भारत, क्वॉड और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) के देशों के साथ दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संघ (ASEAN) के आदान-प्रदान के दौरान समुद्री मुद्दे चर्चा के प्रमुख बिंदु हैं. आसियान में समुद्री विस्तार बहुत ज़्यादा है, संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि (UNCLOS) में उसका हित है और दक्षिणी चीन सागर में वो गंभीर मुद्दों का सामना कर रहा है. आसियान अपनी केंद्रीयता की रक्षा करता है जिसके लिए उसके पास आसियान केंद्रित संस्थान जैसे कि आसियान+1, आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF), पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) और आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस (ADMM+) जैसे संस्थान हैं. अपने शुरुआती वर्षों में आसियान के लिए ऐसे क्षेत्र में केंद्रीयता की मांग करना अपेक्षाकृत आसान था जो पहले वियतनाम युद्ध (Vietnam war) और फिर शीत युद्ध (Cold war) ख़त्म होने के बाद के दौर से गुज़र रहा था. अब पिछले एक दशक से इस क्षेत्र में आसियान की केंद्रीय भूमिका को आसियान की क्षमता के द्वारा निर्धारित होने के बदले बड़ी शक्तियों की गतिविधियों से चुनौती मिल रही है. इस क्षेत्र में कई बहुपक्षीय व्यवस्थाओं का भी उदय हुआ है.
समुद्री सुरक्षा को शुरुआत में आसियान क्षेत्रीय मंच (ARF) पर एक बड़ी चिंता के तौर पर पेश किया गया जिसकी वजह से समुद्री सुरक्षा के लिए एक व्यापक दिशा-निर्देश की मांग की गई. इसके बाद 2003 में बाली समझौता II के तहत समुद्री सुरक्षा से आसियान के एक व्यापक मुद्दे के तौर पर निपटा गया. अलग-अलग कोशिशों के ज़रिए, जिनमें 2005 की मलक्का स्ट्रेट सुरक्षा पहल के हिस्से के तौर पर ‘आईज़ इन द स्काई’ शामिल हैं, क्षेत्रीय सहयोग की शुरुआत हुई थी. इन कोशिशों का नतीजा 2010 में आसियान समुद्री मंच (AMF) और 2012 में विस्तारित आसियान समुद्री मंच (EAMF) की स्थापना के रूप में निकला. आसियान केंद्रित संस्थानों में EAMF सबसे नया है.
UNCLOS, समुद्री संपर्क और समुद्री पर्यावरण एवं मत्स्य पालन के संरक्षण के औचित्य पर EAS और आसियान के सदस्यों- दोनों के द्वारा अलग-अलग तरह के हस्तक्षेप किए गए और हर हस्तक्षेप में मौजूदा दस्तावेज़ों एवं संस्थानों, जिनमें अन्य समेत दक्षिण-पूर्व एशिया में मित्रता एवं सहयोग की संधि, दक्षिणी चीन सागर में पक्षों के आचरण का घोषणापत्र शामिल हैं, पर आधारित सहयोग केंद्रित है
क्षेत्रीय साझेदारों ने अलग-अलग ढंग से योगदान दिया. इनमें 2006 में एशिया के भीतर जहाज़ों में समुद्री डकैती और हथियार के दम पर लूट का मुक़ाबला करने को लेकर क्षेत्रीय सहयोग समझौता (ReCAAP) शामिल है. ये एशिया में समुद्री डकैती और समुद्र में हथियार के दम पर लूट के ख़िलाफ़ सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पहला क्षेत्रीय अंतर-सरकारी समझौता था.
नवंबर 2011 में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) के दौरान जापान ने EAS के सदस्य देशों के बीच समुद्री सहयोग को लेकर बातचीत के लिए एक मंच की स्थापना का प्रस्ताव दिया था. आसियान ने इस पर सहमति जताई और अक्टूबर 2012 में आसियान समुद्री मंच (AMF) के साथ विस्तारित आसियान समुद्री मंच (EAMF) की पहली बैठक हुई. तब से ट्रैक 1.5 मंच के रूप में EAS के सदस्य देशों और विशेषज्ञों की भागीदारी के साथ EAMF की बैठक आयोजित की गई है.
5 अक्टूबर 2012 को विस्तारित आसियान समुद्री मंच (EAMF) की पहली बैठक फिलिपींस की राजधानी मनीला में हुई. तीसरे AMF के साथ इसकी अध्यक्षता फिलिपींस के विदेश मामलों के विभाग में नीति के अवर सचिव अर्लिंडा एफ. बैसिलिओ ने की थी. इसमें EAS देशों के सरकारी और ग़ैर-सरकारी प्रतिनिधि शामिल हुए थे यानी आसियान के 10 सदस्य देश और आसियान के सचिवालय के साथ ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूज़ीलैंड, कोरिया गणराज्य (ROK), रूसी संघ और अमेरिका.
आसियान और EAS के नेता बहस शुरू करने को लेकर उत्साहित थे ताकि इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा से जुड़ी साझा चुनौतियों का समाधान करने के अवसरों को समझा जा सके. EAMF को AMF से आगे काम करना था. इस तरह आसियान की केंद्रीयता के साथ EAMF एक और संस्थान है.
EAMF को EAS के सभी देशों के लिए साझा समुद्री मुद्दे के साथ ट्रैक 1.5 कूटनीति के रूप में देखा गया था. पहली बैठक का ध्यान वर्तमान संदर्भ में UNCLOS के महत्व; सहायक क्षमता निर्माण के साथ समुद्री संपर्क; बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने; आसियान के कई देशों और ख़ास तौर पर भारत में बड़ी संख्या में मौजूद नाविकों के लिए ट्रेनिंग; समुद्री पर्यावरण के संरक्षण और मत्स्य पालन की व्यवस्था को बढ़ावा देने के अलावा सहयोग के लिए सर्वश्रेष्ठ कार्यप्रणाली की पहचान करने पर था.
समुद्री मुद्दों को लेकर आसियान में 10 समूह हैं जो आसियान के 12 क्षेत्रीय निकायों में मिलते हैं. इन 10 समूहों के मुद्दे ज़्यादातर एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं. आसियान में क्षेत्रीय मंत्रिस्तरीय बैठक नहीं होती है, इसलिए आसियान के सदस्य देशों के बीच व्यापक रूप से समुद्री मुद्दों पर चर्चा के लिए AMF इकलौता मंच है.
UNCLOS, समुद्री संपर्क और समुद्री पर्यावरण एवं मत्स्य पालन के संरक्षण के औचित्य पर EAS और आसियान के सदस्यों- दोनों के द्वारा अलग-अलग तरह के हस्तक्षेप किए गए और हर हस्तक्षेप में मौजूदा दस्तावेज़ों एवं संस्थानों, जिनमें अन्य समेत दक्षिण-पूर्व एशिया में मित्रता एवं सहयोग की संधि, दक्षिणी चीन सागर में पक्षों के आचरण का घोषणापत्र शामिल हैं, पर आधारित सहयोग केंद्रित है. मुख्य वैचारिक नेतृत्व सिंगापुर, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया गणराज्य, जापान, न्यूज़ीलैंड, फिलिपींस, इंडोनेशिया और रूस ने किया था.
पिछले कुछ वर्षों में EAMF की बैठकें
हाल के वर्षों में EAMF की समीक्षा से पता चलता है कि कुछ वर्षों की एकसमानता के बाद पांचवें EAMF की बैठक, जो 2016 में ब्रुनेई में होनी थी, को बिना किसी कारण के टाल दिया गया था. आख़िर में ये बैठक एक वर्ष की देरी के बाद दिसंबर 2017 में हुई जिसकी मेज़बानी जकार्ता ने की. आठवें आसियान समुद्री मंच (AMF) और छठे विस्तारित आसियान समुद्री मंच (EAMF) की बैठक दिसंबर 2018 में मनीला में हुई. तिमोर-लेस्ते (पूर्वी तिमोर) ने EAMF के अध्यक्ष देश के मेहमान के रूप में पहली बार इस बैठक में भाग लिया.
विस्तारित आसियान समुद्री मंच (EAMF) की सातवीं और आठवीं बैठक 2019 और 2020 में वियतनाम में हुई. पिछले कुछ वर्षों के दौरान क्षेत्रीय समुद्री सहयोग, जिनमें समुद्री प्रदूषण, अवैध ढंग से मछली पकड़ने और समुद्री संसाधनों के दीर्घकालिक दोहन से मुक़ाबला करने की पहल शामिल हैं, पर चर्चा हुई. इसके अलावा जिस विषय पर ध्यान दिया गया उसमें इस क्षेत्र के सामने मौजूद बहुआयामी चुनौतियां हैं जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अपराध, समुद्री अम्लीकरण, मछुआरों एवं नाविकों की सुरक्षा और समुद्र में न सुलझे हुए विवाद. बैठक में शामिल भागीदारों ने इंडो-पैसिफिक को लेकर आसियान के दृष्टिकोण (AOIP) के उद्देश्यों का समर्थन किया. AOIP में समुद्री सहयोग और सुरक्षा को महत्वपूर्ण लक्षण बताया गया है.
AMF की 11वीं और EAMF की 9वीं बैठक नवंबर 2021 में ब्रुनेई में आयोजित की गई. इसमें ब्लू इकोनॉमी (समुद्री अर्थव्यवस्था) को लेकर 38वें और 39वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान अपनाए गए आसियान के नेताओं के घोषणापत्र का स्वागत किया गया. बैठक के दौरान कई देशों ने UNCLOS के आलोचनात्मक महत्व के बारे में बात की. कुछ देशों ने जहां गंभीर चिंता जताई जबकि कुछ अन्य देशों ने ताक़त के दम पर पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में मौजूदा परिस्थितियों को बदलने की एकतरफ़ा कोशिशों का विरोध किया. साफ़ तौर पर निशाने पर चीन था. ज़्यादातर सदस्य देशों ने नियम आधारित समुद्री व्यवस्था के महत्व की तरफ़ ध्यान दिलाया. EAMF को ट्रैक 1.5 संवाद की तरफ़ ले जाने की कोशिशों पर ज़ोर दिया गया.
EAMF के साथ भारत की भागीदारी
भारत इस EAMF के साथ कैसे भागीदारी करे? लगता है कि ये भागीदारी ख़लल डालने वाली और तमाशबीन की तरह होगी. आधिकारिक स्तर पर आसियान भारत समुद्री परिवहन कार्यकारी समूह (AIMTWG) का अस्तित्व है लेकिन आसियान के साथ संबंधों को लेकर EAMF का ज़िक्र विदेश मामलों के मंत्रालय की जानकारी में सिर्फ़ सरसरी तौर पर ही होता है. ”कनेक्टिंग ईस्ट: कॉनफ्लुएंस ऑफ IPOI एंड AOIP विज़न्स” पर विदेश मामलों के राज्यमंत्री डॉ. आरआर सिंह के मुख्य भाषण में EAMF का कोई ज़िक्र ही नहीं किया गया. हालांकि, EAMF की चर्चा भारत-आसियान के कुछ दस्तावेज़ों में की गई है जिनमें 18वां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 2021 शामिल है लेकिन जून 2020 में आसियान-भारत संवाद संबंधों की 30वीं सालगिरह के अवसर पर आयोजित विशेष आसियान-भारत विदेश मंत्रियों की बैठक में सह-अध्यक्षों के बयान में इसका ज़िक्र नहीं किया गया.
शायद भारत इस बात को लेकर अनिश्चित है कि समुद्री मुद्दों को लेकर आसियान किस संस्थान का अनुसरण करना चाहता है. समुद्री मुद्दों को लेकर आसियान में 10 समूह हैं जो आसियान के 12 क्षेत्रीय निकायों में मिलते हैं. इन 10 समूहों के मुद्दे ज़्यादातर एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं. आसियान में क्षेत्रीय मंत्रिस्तरीय बैठक नहीं होती है, इसलिए आसियान के सदस्य देशों के बीच व्यापक रूप से समुद्री मुद्दों पर चर्चा के लिए AMF इकलौता मंच है. इस तरह AMF के सहायक मुद्दों के साथ EAMF इसका एक विस्तृत संस्करण बन गया. EAMF की कार्य सूची हमेशा व्यापक आधार वाली होती है और इसमें ऐसे उलझे हुए मामले होते हैं जो आसियान के तीन आधार स्तंभों में से एक से ज़्यादा को शामिल करते हैं. सभी मामले सिर्फ़ सुरक्षा से जुड़े नहीं होते हैं जिन पर अक्सर ARF और ADMM+ की बैठकों में चर्चा होती है.
आसियान का समर्थन हासिल करने के लिए AMF के आगे EAMF को तैयार किया गया और ट्रैक 1.5 पर चर्चा की गई. अब EAMF के सदस्यों को लगता है कि इसका औचित्य कम हो गया है.
EAMF का ध्यान नीतिगत संवाद का अनुकरण करने, चर्चा और सदस्य देशों की चिंताओं एवं उपलब्धियों के बारे में उनकी जानकारी पर रहता है जो कि दूसरे सदस्यों के लिए उपयोगी हो सकती हैं. ऐसा लगता है कि ये एक प्रक्रिया है और EAMF आसियान के दूसरे संस्थानों की तरह ही काम करता है जिनके पास कोई कार्यक्रम या परियोजना नहीं है और जिन्हें नियमानुसार फंड देकर जारी रखा जाता है.
EAMF की तरह समुद्री मुद्दों पर आसियान का अपना कोई क्षेत्रीय संस्थान नहीं है. इसके परिणामस्वरूप EAMF के एजेंडे को EAS के उन देशों के द्वारा आगे बढ़ाया जाता है जो कि आसियान के सदस्य नहीं है. इन देशों में आगे रहने वाले वो हैं जिनके पास कार्यक्रमों का फंड देने के लिए संसाधान है. यही वजह है कि जापान, ऑस्ट्रेलिया, चीन, अमेरिका और कुछ हद तक कोरिया गणराज्य अग्रणी भूमिका में हैं. EAMF के तहत शुरू किए गए ज़्यादातर कार्यक्रमों को उन कार्यक्रमों से जोड़ा गया है जो कि पहले से ही EAS या ARF के तहत तैयार किए गए हैं.
भारत इस मामले में बहुत ज़्यादा पहल नहीं करता है. हालांकि भारत का AoIP और इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (IPOI) के बीच सहयोग है जिस पर 2021 में आसियान भारत शिखर सम्मेलन में सहमति बनी थी. भारत ने EAS की 14वीं बैठक के दौरान अपनी IPOI को स्थापित किया है और इसलिए ये एक व्यापक संदर्भ में काम करता है, उम्मीद की जाती है कि इनमें से कुछ विचारों की गूंज EAMF के द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रमों में सुनाई देगी.
सार्थक योगदान की कमी
हालांकि, भारत जहां IPOI और AoIP को लेकर आसियान के देशों के साथ काम कर रहा है, वहीं इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि इसमें EAMF की चर्चा हुई है जबकि AoIP-IPOI सहयोग के तहत चलाये जा रहे कार्यक्रम अक्सर समुद्री मुद्दों से जुड़े होते हैं. आसियान के देशों और चुनिंदा EAS देशों के बीच द्विपक्षीय भागीदारी की बढ़ती संख्या, ADMM+ में बड़ी भूमिका और IPOI एवं 24 मई 2022 को घोषित इंडो-पैसिफिक समुद्री कार्यक्षेत्र जागरुकता (IPMDA) जैसी इंडो-पैसिफिक से जुड़ी पहल का उभरना, भारत-आसियान-EAS के सांचे में EAMF को प्रासंगिकता के लिए लड़ने की स्थिति में ला खड़ा करता है.
जब जापान ने EAMF का प्रस्ताव दिया था, तब उसने एक ऐसे मंच के ज़रिए दक्षिणी चीन सागर (SCS) के मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश की थी जहां चीन से हटकर ग़ैर-आसियान साझेदार नियमित रूप से SCS के मुद्दे को उठा सकें. आसियान के भीतर SCS का मुद्दा जटिल था और इसको लेकर आम राय नहीं थी. आसियान का समर्थन हासिल करने के लिए AMF के आगे EAMF को तैयार किया गया और ट्रैक 1.5 पर चर्चा की गई. अब EAMF के सदस्यों को लगता है कि इसका औचित्य कम हो गया है. कुछ विश्लेषक मानते हैं कि सिर्फ़ इंडोनेशिया और वियतनाम को ही AMF/EAMF से लगाव है और यही वजह है कि जब दूसरे सदस्य देश हिचकिचाते हैं तो वो बैठक आयोजित करवाने के लिए आगे आते हैं. हाल की बैठकों के बारे में महज़ ये ख़बरें आई कि दूसरे समझौतों के तहत क्या हुआ है लेकिन नीति को लेकर कोई सार्थक योगदान नहीं किया गया. चूंकि इंडो-पैसिफिक में काफ़ी कुछ बदल गया है, ऐसे में ये लगता है कि EAMF का महत्व कम हो रहा है. जब EAMF के समर्थकों की दिलचस्पी ख़त्म हो गई है, उस समय में इसे प्रासंगिक कैसे बनाया जाए, ये एक मुख्य और जटिल सवाल है.
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