Published on Nov 05, 2020 Updated 0 Hours ago

वैश्विक महामारी में छंटनी, बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट्स के दिवालिया होने, अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में रुकावट और दुनिया भर के लोगों की आवाजाही में बड़े पैमाने पर कमी के बीच इस अस्थिरता के दौर में एक नए किस्म की ह्यूमन परफ़ॉर्मेंस की फ़ौरन ज़रूरत है.

कोविड-19 के बाद: ‘इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस’ से ह्यूमन परफ़ॉर्मेंस को नई धार

पिछली शताब्दी में औद्योगिक क्रांति ने ज़िंदगी की क्वालिटी में सुधार किया है और ज़्यादा स्पेशलाइजेशन, कारोबार में बढ़ोत्तरी, और ऐशो-आराम के एक उद्योग का विस्तार और इसके साथ ह्यूमन परफ़ॉर्मेंस (human performance) यानी मानव प्रदर्शन पर ज़्यादा आत्मनिरीक्षण का मौका दिया है. स्पेशलाइज़ेशन और ‘वेलनेस’ के संयोजन ने कॉन्शियसनेस और वियरेबल टेक्नोलॉजी के 5 ट्रिलियन डॉलर की वेलनेस इकोनॉमी के विकास का मौका दिया. 2010 के अंत तक माइंडफुलनेस प्रैक्टिस, डिजिटल डीटॉक्स, योगा और इसके केंद्र में सकारात्मक मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ने के साथ “वेलनेस” मेनस्ट्रीम बन गया.

पेशेवर एथलीट्स और आला अधिकारियों के लिए ह्यूमन परफ़ॉर्मेंस मेनस्ट्रीम बन गया. 2010 के दशक में ख़ासतौर से स्लीप परफ़ॉर्मेंस और ब्रेन परफ़ॉर्मेंस के क्षेत्र में उछाल देखा गया. हालांकि, स्लीप कोच की मदद से खेलों की पेशेवर टीमों ने नींद के विज्ञान पर ध्यान केंद्रित किया है कि यह प्रतियोगिता के दौरान किस तरह कॉग्निटिव (संज्ञानात्मक) और बॉडी परफ़ार्मेंस (शारीरिक प्रदर्शन) के प्रदर्शन को बेहतर बनाता है. इसी तरह हाई परफ़ार्मेंस एग्ज़ीक्यूटिव्स और सेलेब्रेटीज़ अपनी मानसिक क्षमताओं को बेहतर बनाने और ब्रेन पोटेंशियल के विस्तार में मदद के लिए ब्रेन कोच की मदद लेते हैं.

2020 के इस नए दशक में हम पिछले 100 वर्षों को मिलाकर उसकी तुलना में उससे अधिक बदलाव का अनुभव करने वाले हैं, क्योंकि हर उद्योग खुद को रीइनवेंट करेगा. इस दशक ने एक अप्रत्याशित महामारी को जन्म दिया, जिसने दुनिया के हर शख्स, कंपनी, उद्योग और सरकार को प्रभावित किया है. वैश्विक महामारी में छंटनी, बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट्स के दिवालिया होने, अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में रुकावट और दुनिया भर के लोगों की आवाजाही में बड़े पैमाने पर कमी के बीच इस अस्थिरता के दौर में एक नए किस्म की ह्यूमन परफ़ॉर्मेंस की फ़ौरन ज़रूरत है.

मैं ह्यूमन परफ़ॉर्मेंस के तहत एक नए उप-क्षेत्र की बात कर रही हूं— इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस.

वह इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस है जो हमें फ़ुर्ती अपनाने में मदद करेगी, प्रतिकूल परिस्थितियों में आगे बढ़ने और प्रासंगिक बने रहने के लिए रचनात्मक रूप से बदलाव लाएगी.

इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस क्या है?

मेरी नज़र में इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस विचारों की बहुतायत के माइंडसेट पर टिकी है, इसे लगातार लर्निंग, अनलर्निंग और री-लर्निंग के निरंतर चक्र से आकार दिया जाता है, और नए उपायों को अपनाकर मज़बूत की जाती है.

अप्रतिबंधित विचारों के आने के लिए जगह देने के लिए लोगों को सक्रिय रूप से अभाव की मानसिकता को छोड़ देना चाहिए जो भय से भरा है. इसके बजाय भरपूर की मानसिकता (abundance mindset) बिना किसी पूर्वाग्रह के नए अवसरों और संभावनाओं का पता लगाने का मौका देती है और उत्पन्न बारीक समझ इस बुनियाद से आती है कि विकल्प की बहुतायत है, जिन्हें निर्मित किया जा सकता है. रूपक के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली पाई (pie) बड़ी हो सकती है और जो लोग पाई के रिम्स से नहीं बंधे हैं, उनके लिए पाई के कई पक्ष हो सकते हैं.

लर्निंग की प्रक्रिया उन लोगों के लिए त्वरित होती है जो स्वाभाविक रूप से और हमेशा उत्सुक हैं. जो लोग अपनी बालसुलभ जिज्ञासा खो चुके हैं, उनके मामले में इस पर काम किया जा सकता है और बड़ी उम्र में भी पुनर्जीवित की जा सकती है.

भरपूर की मानसिकता केवल बुनियाद है और इमैजिनेशन को ताकत देने के लिए सिर्फ़ कल्पना करना काफ़ी नहीं है. इसमें नई चीजों को सीखने की इरादतन ख्वाहिश के साथ इसका पोषण किया जाना चाहिए. लर्निंग की प्रक्रिया उन लोगों के लिए त्वरित होती है जो स्वाभाविक रूप से और हमेशा उत्सुक हैं. जो लोग अपनी बालसुलभ जिज्ञासा खो चुके हैं, उनके मामले में इस पर काम किया जा सकता है और बड़ी उम्र में भी पुनर्जीवित की जा सकती है. जिज्ञासा पुरानी पड़ चुकी विचारधारा की अनलर्निंग (सीखे हुए को भूलना), पुराने व्यावसायिक मॉडल का त्याग करने और सामाजिक समता के पुराने पड़ चुके विचारों की पुनर्कल्पना के मुश्किल काम के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम करती है.

अंत में, इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस के उच्च स्तर पर होना अनुभव और व्यवहार में नवीनता के संपर्क में होना है. आगे के सेक्शन इस पर विस्तार से रोशनी डाली गई है.

हर इंडस्ट्री में इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस का इस्तेमाल करने के उदाहरण हैं

जिस तरह कुछ फ़ूड्स हैं जो दिमाग़ की क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं, ऐसे ही विचार भी हैं जो इमैजिनेशन के लिए फ़ूड के तौर पर काम कर सकते हैं. निम्नलिखित टेबल इमैजिनेशन की मांसपेशियों के लिए कुछ फ़ूड प्रदान करती है:

यथास्थिति   ट्रांसफ़ॉर्मेशन

फ़िजिकल क्लॉथ

फ़िजिकल क्लॉथ इंसानी शरीर  पर पहने जाते हैं.

डिजिटल कपड़े

डिजिटल क्लॉथ डिजिटल अवतार में पहने जाते हैं. डिजिटल कुतूर का दौर अभी शुरू ही हुआ है.

“आप पहिया का दोबारा आविष्कार नहीं कर सकते”

पहिया चरम प्रदर्शन तक पहुंच चुका है और इसे चलन से बाहर नहीं किया जा सकता है.

“इसे छोड़ दो”

दुनिया भर में हाइपरलूप पैसिव मैग्नेटिक लेविेटेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर लोगों को भूमिगत परिवहन उपलब्ध करा रहा है.

वृद्धावस्था को वापस नहीं किया जा सकता. बुढ़ापा ज़िंदगी  की एक हकीकत है और समय के साथ एक ही दिशा में आगे बढ़ता है.

बुढ़ापा एक बीमारी है.

बायोलॉजी की इन्फॉर्मेशन थ्योरी के साथ दीर्घायु शोध से पता चलता है कि उम्र बढ़ने को पीछे लौटाया जा सकता है.

फ़ूड ज़मीन में उगता है।

फ़ूड हमेशा ज़मीन की मिट्टी में ही पैदा होता है.

फ़ूड हवा में पैदा होता है.

एरोपोनिक सिस्टम

पानी के इस्तेमाल को 98%, फ़र्टिलाइज़र के इस्तेमाल को 60% और कीटनाशक के इस्तेमाल को 100% तक कम कर सकता है, जबकि फसल की पैदावार को अधिकतम किया जा सकता है.

डिनर के लिए रेस्त्रां में टेबल चाहिए. रेस्त्रां लोगों के खाने की जगह हैं.

“डार्क किचन”— में कोई टेबल नहीं.

किचन सर्विस से “डार्क किचन” चलन में आए हैं जिनमें लोग नहीं आते हैं और सिर्फ़ खाना डिलीवर किया जाता है.

शहर जमीन पर बनाए जाते हैं.

निर्मित शहरी पर्यावरण पारंपरिक रूप से जमीन से ऊपर है.

जलवायु परिवर्तन से और ज़मीन ख़त्म हो जाएगी और शहर बड़े होने हैं, भूमिगत शहर व्यावहारिक समाधान बन जाएंगे.

उदाहरण हैः सिंगापुर

ये उदाहरण संभव की कला में इमैजिनेशन को विस्तार देने के लिए एक मैकेनिज़्म के तौर पर काम करते हैं और दूसरे किस्म की समस्याओं के लिए रचनात्मक रूप से समाधान हासिल  करने की दिमाग़ की क्षमता को बढ़ाते हैं. अधिक विविधतापूर्ण और नवीनतम विचारों के संपर्क में वृद्धि से न्यूरॉन्स के बीच कनेक्शन की ट्यूनिंग द्वारा नई जानकारी को एन्कोड करने में मदद मिलती है और दिमाग को उनके बीच संबंधों को मज़बूत करने का मौका मिलता है.

यह ‘डॉट-कनेक्टिंग’ के वेग में सुधार करता है, जो दिमाग़ तब करता है जब उसे समस्याओं का समाधान करना होता है और रचनात्मक विचारों की संभावना को बढ़ाता है.

भविष्य के ख़तरों और अवसरों के लिए अनजान और अकल्पनीय रणनीतियों के नतीजे इतने बड़े होंगे, कि ‘इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस’ के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

भविष्य के ख़तरों और अवसरों के लिए अनजान और अकल्पनीय रणनीतियों के नतीजे इतने बड़े होंगे, कि ‘इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस’ के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

विरोधाभास: मानव स्वभाव बदलाव का विरोधी है, लेकिन नवीनता पर फलता-फूलता है

दुनिया की सभी सभ्यताओं और देशों के लोग इस मुद्दे पर काफ़ी हद तक एक समान हैं कि अधिकांश इंसानों को बदलाव पसंद नहीं है और कई लोग जिस बात को समझ नहीं पाते उसकी अनदेखी करते हैं या एकदम ख़ारिज कर देते हैं. इन आम मानवीय प्रवृत्ति को इतिहास में और पिछली शताब्दियों में टेक्नोलॉजिकल प्रगति के दौरान देखा गया है. अगर लोगों, व्यवसायों और सरकारों को अगले दशक में तेज़ी से बदलाव के बीच अस्तित्व बचाना है, तो उन्हें ‘यथास्थिति’ के बारे में जितना भी जानते हैं, हर उस चीज़ को री-इमेजिन (नए सिरे से कल्पना) करना होगा.

भविष्य के ख़तरों और अवसरों के लिए अनजान और अकल्पनीय रणनीतियों के नतीजे इतने बड़े होंगे, कि ‘इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस’ के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

कोरोनावायरस और तेज़ी से हुए टेक्नोनॉजिकल परिवर्तन ने ह्यूमन परफ़ॉर्मेंस के बारे में हमारी समझ को और अधिक बढ़ाने और ‘इमैजिनेशन परफ़ॉर्मेंस’ को एक ऐसे उपाय के रूप में अपनाना अनिवार्य बना दिया है जो 2020 के उथल-पुथल के दौर में हमारी रणनीतिक योजना को पनपने के लिए प्रेरित करेगा.

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