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बाइडेन ने ऐलान किया कि जब रूस के ख़िलाफ़ आरोप साबित हैं तो उसको इसकी क़ीमत ज़रूर चुकानी चाहिए.
प्रचार अभियान के दौरान अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन रूस को विरोधी की श्रेणी में डालने को लेकर बेहद स्पष्ट थे. बाइडेन ने ऐलान किया कि जब रूस के ख़िलाफ़ आरोप साबित हैं तो उसको इसकी क़ीमत ज़रूर चुकानी चाहिए. इसके लिए उन्होंने चुनाव में रूस के दखल का हवाला दिया जो अमेरिका की संप्रभुता में हस्तक्षेप है. बाइडेन ने अमेरिका की विदेश नीति में लोकतांत्रिक मूल्यों की भूमिका पर ज़ोर देते हुए कहा कि अमेरिका को अपने सहयोगियों के साथ रूस के ख़िलाफ़ ज़रूर खड़ा होना चाहिए.
इसका मतलब ये है कि – ट्रंप प्रशासन से हटकर – रूस की अलग-अलग कार्रवाइयों को लेकर अमेरिका की तरफ़ से आलोचना में बढ़ोतरी होगी. संदेश देने से आगे ज़्यादातर विश्लेषक उम्मीद करते हैं कि अमेरिका-रूस संबध ज़्यादातर उसी तरह बने रहेंगे जैसे पिछले चार वर्षों के दौरान थे. न तो पाबंदियों से राहत की उम्मीद है न ही अमेरिका-रूस संबंधों में बेहतरी आई है जो शीत युद्ध के ख़त्म होने के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है- काफ़ी हद तक ट्रंप के कार्यकाल जैसे.
ज़्यादातर विश्लेषक उम्मीद करते हैं कि अमेरिका-रूस संबध ज़्यादातर उसी तरह बने रहेंगे जैसे पिछले चार वर्षों के दौरान थे.
नाटो के मामले में कुछ बदलाव दिख सकता है जहां बाइडेन ने ऐलान किया है कि वो इसकी सैन्य क्षमता मज़बूत करेंगे, इसे मूल्यों का गठबंधन बताया है जिसे रूस नष्ट करना चाहता है. ट्रांस-अटलांटिक साझेदारी में मज़बूती और विदेश नीति में लोकतंत्र पर ध्यान रूस के लिए शायद ही स्वागत योग्य ख़बर है.
हालांकि, कूटनीति की ज़रूरत और किसी ग़लतफ़हमी को दूर करने के लिए रूस के साथ लगातार बातचीत पर बाइडेन का ज़ोर सकारात्मक क़दम होगा
हालांकि, कूटनीति की ज़रूरत और किसी ग़लतफ़हमी को दूर करने के लिए रूस के साथ लगातार बातचीत पर बाइडेन का ज़ोर सकारात्मक क़दम होगा. इसी तरह नये प्रशासन का ये वादा भी सकारात्मक क़दम है कि सामरिक स्थिरता बरकरार रखने के लिए नये START (स्ट्रैटजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी) का विस्तार होगा. दोनों पक्षों के बीच परस्पर सरोकार के क्षेत्र भी हैं- अफ़ग़ानिस्तान, यूक्रेन, मध्य पूर्व, आतंकवाद, साइबर युद्ध, जलवायु परिवर्तन और महामारी- जो रचनात्मक कूटनीति का मौक़ा देते हैं.
लेकिन इससे भविष्य में दुनिया की व्यवस्था को लेकर अमेरिका और रूस के बीच मूलभूत मतभेदों को सुलझाने और इसमें दोनों की भूमिका या संबंधों में महत्वपूर्ण बेहतरी/गिरावट की उम्मीद शायद ही है; वो भी उस वक़्त जब अमेरिका-चीन मुक़ाबला आने वाले समय में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को निर्धारित करने जा रहा है.
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Nivedita Kapoor is a Post-doctoral Fellow at the International Laboratory on World Order Studies and the New Regionalism Faculty of World Economy and International Affairs ...
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