Published on Dec 08, 2020 Updated 0 Hours ago

हम अभी वैश्वीकरण और डिजिटल कनेक्टिविटी के शीर्ष पर हैं. वैश्वीकरण और डिजिटल कनेक्टिविटी ने ये बदल दिया है कि प्रोडक्ट बनाने के बारे में कैसे सोचना चाहिए.

स्ट्रीक एआई टेक्नोलॉजी: रिटेल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर पहुंचाएगा हर किसी को शेयर बाज़ार तक

ORF: रोज़ाना के रिटेल निवेशकों के ट्रेडिंग अनुभव में स्ट्रीक क्रांति ला रही है. हमें ये बताइए कि आपने स्ट्रीक की ख़ासियत को कैसे विकसित किया ?

Jayalakshmi Manohar: शेयर बाज़ार की शुरुआत के वक़्त से अब तक काफ़ी बदलाव आया है और इसकी वजह टेक्नोलॉजी है. पहले शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग फ्लोर होते थे, फिर टेलीफ़ोन के ज़रिए ऑर्डर दिए जाने लगे और अब आपके मोबाइल फ़ोन पर ब्रोकर के सॉफ्टवेयर ऐप्लिकेशन के ज़रिए शेयरों की ख़रीद-बिक्री होने लगी है. इस तरह शेयर बाज़ार तेज़ी से किसी भी टेक्नोलॉजी को अपनाने के मामले में सबसे आगे रहा है. लेकिन रिटेल ट्रेडर्स को उपलब्ध ट्रेडिंग एप्लिकेशन ने भले ही ऑर्डर प्लेसमेंट आसान कर दिया हो लेकिन उससे ट्रेडर को समय पर ट्रेडिंग के फ़ैसले लेने का प्रभावशाली औज़ार नहीं मिला है. हम देखते हैं कि ट्रेडर को बाज़ार में नुक़सान उठाना पड़ता है. 90 प्रतिशत से ज़्यादा ट्रेड में नुक़सान झेलना पड़ता है.

दूसरी तरफ़ इंस्टीट्यूशनल ट्रेडर के पास वित्तीय संसाधन, बड़ी टीम और आधुनिक तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर हैं जिनसे उन्हें जोखिम कम करने और ज़्यादा लाभ हासिल करने में मदद मिलती है.

स्ट्रीक की स्थापना सभी लोगों के लिए रिटेल ट्रेडिंग को दिलचस्प बनाने और ट्रेडर को प्रभावशाली अत्याधुनिक तकनीकों से लैस कर उन्हें अधिकार देने के लिए की गई. ये तकनीक सरल, इस्तेमाल में आसान इंटरफेस के ज़रिए ट्रेडर को मिलेगी जिसके लिए कोडिंग की जानकारी की ज़रूरत नहीं है. रिटेल ट्रेडर अब स्ट्रीक के इंटेलिजेंस लेयर तक पहुंच कर ट्रेडिंग के फ़ैसले तुरंत ले सकते हैं. साथ ही वो शेयर बाज़ार में अपनी स्थिति को पहले से तय एंट्री और एग्ज़िट की रणनीति के साथ ट्रैक भी कर सकते हैं. स्ट्रीक के ज़रिए रिटेल ट्रेडर ने 35 मिलियन से ज़्यादा बैकटेस्ट किए हैं, 4.3 मिलियन से ज़्यादा स्ट्रैटजी अपनाई है और 1 अरब अमेरिकी डॉलर से ज़्यादा की वैल्यू के ऑर्डर दिए हैं.

रिटेल ट्रेडर अब स्ट्रीक के इंटेलिजेंस लेयर तक पहुंच कर ट्रेडिंग के फ़ैसले तुरंत ले सकते हैं. साथ ही वो शेयर बाज़ार में अपनी स्थिति को पहले से तय एंट्री और एग्ज़िट की रणनीति के साथ ट्रैक भी कर सकते हैं 

हम चाहते थे कि ट्रेडर को एक एंड-टू-एंड प्लेटफॉर्म मिले- जहां वो चार्ट पर दिखने वाले ट्रेडिंग आइडिया पर रणनीति बना सकें, अपनी रणनीतियों की बैकटेस्टिंग कर सकें और आख़िर में इन रणनीतियों को बाज़ार में लागू करने में सक्षम हो सकें. स्ट्रीक के साथ एक ट्रेडर अब बाज़ार की उठा-पटक का शिकार नहीं बनेगा बल्कि इक्विटी, कमोडिटी, करेंसी और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट में बाज़ार के साथ चल सकेगा.

ORF: दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुक़ाबले इक्विटी मार्केट में एक औसत भारतीय की हिस्सेदारी बहुत कम है. स्ट्रीक जैसा प्लेटफॉर्म इसमें कैसे बदलाव ला सकता है ? आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा ?

Jayalakshmi Manohar: 1.2 अरब से ज़्यादा आबादी वाले देश भारत में जहां घरेलू बचत का अनुपात (30 प्रतिशत) दुनिया में सबसे ज़्यादा में से है, वहां शेयर बाज़ार में रिटेल भागीदारी सिर्फ़ 2 प्रतिशत है. अगर आप रोज़ाना के सक्रिय ट्रेडर या स्विंग ट्रेडर पर नज़र डालें तो ये आंकड़ा ज़बरदस्त रूप से कम हो जाता है. कम रिटेल हिस्सेदारी में एक और दिक़्क़त खड़ी होती है ट्रेडर के लेन-देन के वॉल्यूम में कमी होने से.

इसकी एक बड़ी वजह है देश में वित्तीय साक्षरता का अभाव जो कि हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है. स्ट्रीक के साथ हम अपने प्रोडक्ट की पेशकश के भीतर इस समस्या का समाधान कर बड़ा सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं. प्रोडक्ट की कई ख़ासियत, जैसे बैकटेस्टिंग और पेपर ट्रेडिंग, नये ट्रेडर या जिन्होंने पहले शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग नहीं की है, उनके लिए ट्रेनिंग का काम करती है.

दूसरी चुनौती ट्रेडिंग का पूर्वाग्रह और लोगों के व्यवहार में पूर्वाग्रह है जिसकी वजह से भारी नुक़सान होता है और कई बार ये बर्बादी की वजह बन जाता है. हमारा प्लेटफॉर्म इस तरह से भी डिज़ाइन किया गया है कि इनमें से कुछ मुद्दों का समाधान कर सके और इसके उपाय इस प्लेटफॉर्म के भीतर हैं.

हमें विश्वास है कि स्ट्रैटजिक ट्रेडिंग शेयर बाज़ार का भविष्य है और रिटेल ट्रेडर तेज़ी से हमारी तकनीक को अपना रहे हैं. 3,80,000 से ज़्यादा ट्रेडर्स ने हमारे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया है जिनमें से ज़्यादातर नई पीढ़ी के हैं. हमने देखा है कि नई पीढ़ी में असाधारण बढ़ोतरी हुई है जो अपना समय ख़ुद को शिक्षित करने में लगा रहे हैं. पिछली तिमाही में नये डीमैट खाते लगभग दोगुनी हो गए हैं.

नये ज़माने की कारोबारी संपत्ति जैसे क्रिप्टोकरेंसी, जहां बाज़ार दुनिया भर में हमेशा खुले रहते हैं, की खोज ने स्ट्रीक को सबसे आगे कर दिया है

नये ज़माने की कारोबारी संपत्ति जैसे क्रिप्टोकरेंसी, जहां बाज़ार दुनिया भर में हमेशा खुले रहते हैं, की खोज ने स्ट्रीक को सबसे आगे कर दिया है. इसे आसान तरीक़े से एक से ज़्यादा इंस्ट्रूमेंट की ट्रेडिंग के मामले में ट्रेडर्स के लिए बेहतरीन प्लेटफॉर्म बना दिया है.

ORF: मेक इन इंडिया में यकीन करने वालों और घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों को क्वालिटी डिजिटल प्रोडक्ट मुहैया कराने की चाह रखने वाले साथी कारोबारियों के साथ आप क्या सबक़ साझा करना चाहती हैं ?

Jayalakshmi Manohar: बड़ा सोचो, दुनिया के लिए सोचो.

हम अभी वैश्वीकरण और डिजिटल कनेक्टिविटी के शीर्ष पर हैं. वैश्वीकरण और डिजिटल कनेक्टिविटी ने ये बदल दिया है कि प्रोडक्ट बनाने के बारे में कैसे सोचना चाहिए. हम अब ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां देश के किसी भी कोने में तैयार प्रोडक्ट, यहां तक कि छोटे शहर के प्रोडक्ट को भी तेज़ी से पूरी दुनिया के लोग अपना सकते हैं.

ऐसा प्रोडक्ट बनाना जिसे दुनिया भर में लाखों यूज़र मंज़ूर करें, ज़बरदस्त हो सकता है. आख़िरकार लोगों का व्यवहार जिस भूगोल और संस्कृति में वो रहते हैं, उससे प्रभावित होता है. लेकिन इसको आसान बनाया जा सकता है अगर आप प्रोडक्ट बनाने की प्रक्रिया को दो भागों में बांट दें- काम-काज और यूज़र का अनुभव.

काम-काज को लेकर आपने पहले भी सुना होगा- किसी असली समस्या का समाधान कीजिए और यूज़र आपके प्रोडक्ट की तरफ़ खिंचे चले आएंगे. असली समस्या का समाधान करने के लिए सबसे पहले आपको अपने उपभोक्ता के हिसाब से सोचना होगा और फिर एक सरल लेकिन शक्तिशाली समाधान निकलेगा. ये समाधान मौजूदा विकल्प के मुक़ाबले कम-से-कम 10 गुना बेहतर होना चाहिए. ये हिस्सा अक्सर स्वभाव से सबसे मुश्किल और सबसे ज़्यादा बार-बार दोहराने वाला होता है. इसके लिए आपको प्रोटोटाइप, बीटा बनाने और बाज़ार में इसको टेस्ट करने और कभी-कभी ख़ुद के भरोसे पर सवाल उठाने की ज़रूरत होगी.

डिजिटल प्रोडक्ट के लिए यूज़र इंटरफेस (यूआई)/यूज़र एक्सपीरियंस (यूएक्स) महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. यूआई/यूएक्स का मतलब है कि किस तरह एक यूज़र आपकी कंपनी के बारे में जानता है और ये अलग-अलग टच प्वाइंट पर बिना किसी बाधा के, एक जैसा अनुभव मुहैया कराने के लिए महत्वपूर्ण है. इस प्रक्रिया के लिए अलग तरह की रिसर्च की ज़रूरत होगी जहां आप अपना ज़्यादातर समय ये जानने में बिताएंगे कि किस तरह की यूआई से आपका यूज़र पहले से वाकिफ़ है और स्थानीय स्तर पर जो यूआई/यूएक्स काम करती है, ज़रूरी नहीं कि वो वैश्विक स्तर पर भी काम करे.

पहले ये सुनिश्चित कीजिए कि एंटरप्रेन्योरशिप आपके लिए है. एंटरप्रेन्योरशिप कोई करियर का रास्ता नहीं है, ये एक मिशन है जिसका मक़सद दुनिया की समस्याओं का समाधान कर यहां रहने वाले हम सभी लोगों के लिए बेहतर दुनिया बनाना है. 

आख़िर में जिस तकनीक का इस्तेमाल आप अपने प्रोडक्ट को बनाने के लिए कर रहे हैं, उसका ढांचा मज़बूत होना चाहिए. अच्छे आइडिया और मार्केट रिसर्च अक्सर कमज़ोर तकनीकी ढांचे की वजह से नाकाम हो जाती हैं. ये ज़रूरी है कि न सिर्फ़ अच्छी तकनीक हो बल्कि आपके प्रोडक्ट के आगे बढ़ने की रफ़्तार के साथ वो विकसित भी हो. बीटा टेस्टिंग के स्तर पर जो काम करे, ज़रूरी नहीं कि वो 1,00,000 यूज़र के स्तर पर भी काम करे और जब प्रोडक्ट के यूज़र 10 लाख के स्तर पर पहुंच जाए तो इसमें और बदलाव की ज़रूरत पड़ सकती है.

ORF: एक सीरियल एंटरप्रेन्योर के तौर पर जो सभी स्ट्रीक यूज़र को प्रोडक्ट का शानदार अनुभव मुहैया कराना चाहती है, आप उन सभी लोगों को क्या कहना चाहेंगी जिन्होंने अभीअभी एंटरप्रेन्योरशिप के सफ़र की शुरुआत की है या जो इसके बारे में सोच रहे हैं ?

Jayalakshmi Manohar: पहले ये सुनिश्चित कीजिए कि एंटरप्रेन्योरशिप आपके लिए है. एंटरप्रेन्योरशिप कोई करियर का रास्ता नहीं है, ये एक मिशन है जिसका मक़सद दुनिया की समस्याओं का समाधान कर यहां रहने वाले हम सभी लोगों के लिए बेहतर दुनिया बनाना है. इसके लिए समर्पण, इच्छा, संकल्प और तत्परता की ज़रूरत होती है ताकि रास्ते में आने वाली सभी अड़चनों से पार पाया जा सके. इसलिए एक ऐसी समस्या को चुनना जिसको लेकर आप जुनून रखते हैं और जो समाज में बड़ा असर लाएगी, आधी लड़ाई जीतने की तरह है.

दूसरी बात है अन्य एंटरप्रेन्योर की ग़लतियों से सीखना. पिछले तीन दशकों में हमने देखा है कि किस तरह टेक्नोलॉजी स्टार्टअप का उदय हुआ, उनमें तेज़ी आई और वो नाकाम हुए. आप अपने आस-पास जो भी स्टार्टअप देखते हैं, चाहे वो कामयाब हुए हैं या नाकाम, उनसे कुछ-न-कुछ सीखा जा सकता है. अगर आप ख़ुद का स्टार्टअप शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपके पास सीखने के लिए बहुत सी चीज़ें हैं.

तीसरी बात है, आप अपनी ख़ास मज़बूती का पता लगाइए. एक अच्छे स्टार्टअप की नींव वो टीम होती है जिससे आप काम शुरू करते हैं. आइडिया बहुत सारे होते हैं लेकिन जो कंपनी उनको ठीक ढंग से लागू करती है, वही कामयाब होती है. ये ज़रूरी है कि आप अपनी ख़ास मजबूती का पता लगाएं और फिर टीम के लिए ऐसे सदस्यों को तलाशें जिनके पास ज़रूरत के मुताबिक़ हुनर हों और वो आपके मिशन को लेकर जुनूनी हों.

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