Published on May 30, 2017 Updated 0 Hours ago
शिखंडी: पहला मानव कवच (ह्यूमन शील्‍ड) एवं मेजर गोगोई

शिखंडी महाभारत का एक पात्र है। महाभारत की कथा के अनुसार शिखंडी भीष्‍म द्वारा अपहृत काशीराज की बड़ी पुत्री अम्‍बा का ही अवतार था। अम्‍बा ने अपने प्रेमी से तिरस्‍कृत होने का दोषारोपण भीष्‍म पर किया एवं उनसे विवाह का आग्रह किया। किन्‍तु भीष्‍म तो आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत से बंधे थे, भला वो क्‍योंकर मानते। अपमानित अम्‍बा ने प्रतिज्ञा की कि वह एक दिन भीष्‍म की मृत्‍यु का कारण बनेगी। भगवान शंकर ने अम्‍बा की तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर उसकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। तब अम्‍बा ने शिखंडी के रूप में राजा द्रुपद के यहॉ जन्‍म लिया।

महाभारत के युद्ध में भीष्‍म ने यद्यपि पाण्‍डवों को विजयी होने का आर्शीवाद दिया था, किन्‍तु हस्तिनापुर के सिंहासन से जुड़े होने के कारण वे महाभारत के युद्ध में कौरवों के साथ थे। युद्ध में भीष्‍म के पराक्रम के सामने अर्जुन का युद्ध कौशल फीका पड़ रहा था। कृष्‍ण की सलाह पर पांचों पांडव स्‍वयं भीष्‍म से उन्‍हें परास्‍त करने का उपाय पूछने जाते हैं। भीष्‍म ने बताया कि पांडवों की सेना में शिखंडी नामक योद्धा है जो पूर्व जन्‍म में अम्‍बा थी। भीष्‍म शिखंडी को पूर्व जन्‍म की अम्‍बा (स्‍त्री) के रूप में देखते हैं, अत: उस पर शस्‍त्र नहीं उठायेगें। अगले दिन कृष्‍ण की सलाह से अर्जुन ने अनिच्‍छा पूर्वक शिखंडी को अपने आगे कर धर्म विरूद्ध युद्ध किया तथा युद्ध से विरत भीष्‍म को वाणों से वेध दिया। पौराणिक दृष्टिकोण से शिखंडी सम्‍भवत: पहला मानव कवच था जिसका अधर्मपूर्वक प्रयोग धर्मराज युधिष्ठिर की सेना ने महाभारत में किया।

मेजर नितिन गोगोई श्रीनगर में राष्‍ट्रीय राइफल्‍स में तैनात हैं। 9 अप्रैल को बड़गाम क्षेत्र में उपचुनाव के दौरान एक पोलिंग सेन्‍टर जिसे अराजक तत्‍वों ने घेर लिया था एवं जलाने जा रहे थे, पर तैनात आई0टी0बी0पी0 की टुकड़ी के कमांडर की एस0ओ0एस0 कॉल मिलने के बाद वे लगभग तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित अपने कैम्‍प से अपनी छोटी सी क्‍यू0आर0टी0 (क्विक रियेक्‍शन टीम) लेकर रवाना हुए। मेजर गोगोई के अपने इन्‍टरव्‍यू के मुताबिक उक्‍त पोलिंग सेन्‍टर तक पहुंचने के लिए कई रोड ब्‍लॉक्‍स को साफ करना पड़ा।गुन्‍डीपुरा पोलिंग सेन्‍टर पर ही मेजर गोगोई को पुन: आई0टी0बी0पी0 टुकड़ी कमांडर का संदेश आया कि उतलीगाम पोलिंग सेंटर को लगभग 1200 उपद्रवी तत्‍वों ने घेर लिया है तथा वे भंयकर पथराव कर रहे है एवं पोलिंग सेंटर को जला देना चाहते हैं। मेजर गोगोई 1.5 किलोमीटर दूर उतलीगाम पोलिंग सेन्‍टर के लिए रवाना हुए। रास्‍ते में फिर उन्‍हें रोड ब्‍लॉक्‍स एवं भारी पथराव से जूझना पड़ा। उन्‍हीं पत्‍थरबाजों में से एक फ़ारूक अहमद डार था। मेजर गोगोई के मुताबिक डार भारत विरोधी नारे लगा कर भीड़ को उकसा रहा था, मेजर गोगोई की क्‍यू0आर0टी0 ने डार को पकड़ा तथा पैदल साथ लेकर पोलिस सेन्‍टर में फंसे पोलिंग पार्टी के सदस्‍यों एवं आई0टी0बी0पी0 के जवानों को पोलिंग स्‍टेशन से सुरक्षित अपने वाहन तक लाए। उपद्रवी जिसमें महिलाएं एवं बच्‍चे भी शामिल थे, के भारी पथराव से बचने के लिए फ़ारूख अहमद डार को मेजर गोगोई के निर्देश से जीप के बोनट पर बांधा गया। डार को बोनट पर बांधने का उपद्रवी भीड़ पर सकारात्‍मक असर पड़ा एवं पथराव थम गया। मेजर गोगोई की सूझ-बूझ से 12 सदस्‍यीय पोलिंग पार्टी एवं सुरक्षाकर्मियों को सकुशल सुरक्षित स्‍थान पर पहुंचाया जा सका।

फ़ारूख अहमद डार के आर्मी जीप से बंधा होने का वीडियो जब वायरल हुआ तो एक बारगी बवेला ही खड़ा हो गया। उमर अब्‍दुल्‍ला के ट्वीट से शुरू होकर कैप्‍टन अमरिन्‍दर सिंह के इंडियन एक्‍सप्रेस के लेख, फिर उस लेख के प्रत्‍युत्‍तर में उमर अब्‍दुल्‍ला, करन थापर, प्रवीन स्‍वामी तथा सुवीर कौल के विचारोत्‍तेजक लेख जैसे अनेकों लेख विभिन्‍न पत्र-पत्रिकाओं, अखबारों एवं ई मैग्‍ज़ीनों में मेजर गोगोई के पक्ष-विपक्ष में छपे हैं। जम्‍मू कश्‍मीर पुलिस ने मेजर गोगोई के खिलाफ मुकदमा भी पंजीकृत कर दिया है तथा आर्मी ने घटना की जांच के लिए कोर्ट आफ इन्‍क्‍वाईरी का गठन कर दिया। सबसे ज्‍यादा हंगामा कैप्‍टन अमरिन्‍दर सिंह के लेख ‘आई अप्‍लॉड मेजर गोगोई (इंडियन एक्‍सप्रेस 20 मई 2017) को लेकर है। इसी के साथ आर्मी चीफ जनरल विपिन रावत द्वारा कोर्ट ऑफ इन्‍क्‍वाइरी की प्रतीक्षा किए बिना मेजर गोगोई को’ आर्मी चीफ के कमेन्‍डेशन कार्ड से अलंकृत करने के निर्णय को लेकर मीडिया के एक वर्ग द्वारा तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की गई है।

सौभाग्‍य से डार को जीप पर बांध कर घुमाए जाने का वीडियो तथा मेजर गोगोई का इंटरव्‍यू एवं न्‍यूज चैनल इंडिया न्‍यूज को दिए गए इन्‍टरव्‍यू का वीडियो दर्शकों के लिए उपलब्‍ध है। डार का वीडियो स्‍वत: स्‍पष्‍ट है। मेजर गोगोई के इंटरव्‍यू को भाषित किए जाने की आवश्‍यकता है। सम्‍भवत: यह मेजर गोगोई के जीवन का पहला टेलीविजन इंटरव्‍यू रहा होगा। सेना के विषय में थोड़ी भी जानकारी रखने वाला व्‍यक्ति इस बात से इत्तिफ़ाक रखेगा कि मेजर गोगोई ने जो कुछ कहा है उसमें कुछ भी मिलावट या बनावट नहीं है। उनकी आंखों में एक सैनिक की सच्‍चाई एवं मासूमियत है। उतलीगाम में मेजर गोगोई ने जो कुछ किया वो तो केवल कर्तव्‍य भावना एवं जनहानि रोकने तथा पोलिंग पार्टी की सुरक्षा के दृष्टिगत किया गया था। राष्‍ट्रविरोधी नारे लगाती हुई उन्‍मादी भीड़ के पत्‍थरों एवं पेट्रोल बम्‍ब के जानलेवा हमले के बीच मेजर गोगोई ने गजब के धैर्य, साहस, आत्‍मसंयम एवं नेतृत्‍व का परिचय दिया है। वे जानते थे कि भीड़ को भड़काने वाले राष्‍ट्रविरोधी तत्‍वों का एक मात्र उद्देश्‍य है कि सैन्‍य टुकड़ी को उकसा कर फायरिंग कराना ताकि कुछ स्‍त्री-बच्‍चे एवं नवयुवक आर्मी की फायरिंग के शिकार हो एवं मामले का बेवजह अन्‍तर्राष्‍ट्रीयकरण हो।

फ़ारूख अहमद डार को जीप पर बांधना मानवाधिकार का हनन, जेनेवा कन्‍वेंशन का उल्‍लंघन हो सकता है। परन्‍तु इतना तो तय है कि उक्‍त कृत्‍य को करने में मेजर गोगोई ने न तो कायरता का परिचय दिया था एवं न ही उनके मन में उपद्रवियों को सबक सिखाने की भावना थी। यदि मेजर गोगोई में सूझबूझ की कमी होती अथवा नैतिक, चारित्रिक बल कुछ कम होता तो यह घटना एक रक्‍तरंजित स्‍वरूप ले लेती। स्‍वयं मेजर गोगोई ने स्‍वीकार किया है कि जीप के ऊपर बांधने का ख्‍याल उनके मन में वहीं आया था। उन्‍होने स्‍वीकार किया कि उन्‍हें इस कृत्‍य का मानवाधिकार विरोधी होने का इल्‍म भी नहीं था। पूछने पर उन्‍होने कहा कि भविष्‍य में वे इस तरह का कदम शायद नहीं दुहराना चाहेंगें।

आर्मी कोर्ट ऑफ इन्‍क्‍वाइरी का परिणाम जो भी हो, जम्‍मू एंड कश्‍मीर पुलिस की विवेचना कुछ भी कहे मेजर गोगोई ने भारतीय सेना के अदम्‍य साहस,शौर्य एवं मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता की विरासत को अक्षुण्‍य रखा है। सेनाध्‍यक्ष जनरल विपिन रावत ने सच्‍चे सेनानायक की तरह अपने बहादुर सैनिक की हौसला अफ़जाई की है। मेजर गोगोई भारी हिसंक भीड़ का सामना करने के बजाय उल्‍टे पांव अपने कैम्‍प लौट सकते थे, जनरल विपिन रावत कोर्ट ऑफ इन्‍क्‍वायिरी की आड़ में छुप सकते थे। किन्‍तु दोनों ने ही उच्‍चकोटि के नेतृत्‍व शक्ति का परिचय दिया है। थल सेनाध्‍यक्ष का प्रशस्ति पत्र सैन्‍य अलंकरणों की वरीयता क्रम में सबसे छोटा अलंकरण है। परन्‍तु मेजर गोगोई के लिए यह अशोक चक्र से बढ़कर है। यह शायद पहला अलंकरण है जिसे असंख्‍य भारतीयों को आहलादित किया है। शायद जनरल रावत रिटायमेंट के बाद राजदूत या गवर्नर न बने किन्‍तु उन्‍होंने लाखों सैनिको का सम्‍मान तो जीत ही लिया है।

महाभारत का युद्ध धर्मयुद्ध था। लक्ष्‍य था अधर्म पर धर्म की विजय। भीष्‍म धर्मनिष्‍ठ थे। युधिष्ठिर तो स्‍वयं धर्मराज थे ही । अर्जुन युद्ध के संचालन में धर्म को देख रहे थे। किन्‍तु कृष्‍ण का दृष्टिकोण युद्ध से कहीं आगे बढ़ कर धर्म पर आधारित राष्‍ट्र का निर्माण था। अर्जुन की हिचकिचाहट के बावजूद भी उन्‍होंने शिखंडी जैसे मानव कवच को आगे करके अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित किया। लक्ष्‍य भीष्‍म को परास्‍त करना नहीं था, लक्ष्‍य था कौरवी शक्तियों को परास्‍त कर धर्मनिष्‍ठ राज्‍य की स्‍थापना करना । कश्‍मीर में भी छद्दम आज़ादी के नाम पर सीमापार से आतंक प्रायोजित किया जा रहा है। मेजर गोगोई ने जो कुछ किया उन्‍होंने अपने सैन्‍य धर्म एवं राष्‍ट्रधर्म के नाते किया। मानव जीवन की रक्षा उनके मनोमस्तिष्‍क में सर्वोपरि था। ऐसे शूरवीर का सम्‍मान होना चाहिए। कैप्‍टेन अमरिन्‍दर सिंह की भी उनके बेबाक बयानों के लिए प्रशंसा होनी चाहिए।


यह लेख मूल रूप से अमर उजाला में प्रकाशित हुआ था।

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