Author : Hari Bansh Jha

Published on Nov 25, 2020 Updated 0 Hours ago

साल दर साल,  विदेशी निवेशकों ने नेपाल में जलविद्युत, औद्योगिक, विनिर्माण, सेवा, पर्यटन, निर्माण, कृषि, खनिज और ऊर्जा जैसे सभी क्षेत्रों में सराहनीय रूप से निवेश किया है..

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को लेकर नेपाल की चुनौतियां!

आर्थिक विकास के लिए, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के महत्व को समझते हुए  नेपाल, 1990 के दशक से एफडीआई को आकर्षित करने के लिए, उदार निवेश नीति अपना रहा है. इस दिशा में,  नेपाल सरकार (GON)  ने, न केवल अपने कानूनों और नियमों में बदलाव किए हैं,  बल्कि संभावित निवेशकों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए, नेपाल निवेश बोर्ड के तहत उच्चतम स्तर पर ‘एक-खिड़की प्रणाली’ (one-window system)  भी स्थापित की है. फिर भी,  नेपाल को एफडीआई क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो मुख्य़ रूप से पारदर्शिता की कमी, परियोजनाओं के हड़बड़ी में किए जाने वाले चयन और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर उनके संभावित प्रभावों की उपेक्षा के कारण है.

साल दर साल,  विदेशी निवेशकों ने नेपाल में जलविद्युत, औद्योगिक, विनिर्माण, सेवा, पर्यटन, निर्माण, कृषि, खनिज और ऊर्जा जैसे सभी क्षेत्रों में सराहनीय रूप से निवेश किया है,  जिसके चलते नेपाली लोगों के लिए आय और रोज़गार के अवसर पैदा होते रहे हैं. हिमालय की गोद में स्थित होने के चलते इस देश के पास, अपने पड़ोसियों और भारत व चीन के बनिस्पत पारिस्थितिकी और जलवायु लाभ हैं, जो निवेशकों के लिए अपने आप में एक आकर्षण है. नेपाल का परिदृश्य दुनिया की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ से लेकर तराई क्षेत्र में लगभग समुद्र तल तक फैला है. इसके अलावा, दक्षिण से उत्तर की ओर 193  किलोमीटर की दूरी के भीतर देश में सभी प्रकार की जलवायु उपलब्ध है, जो अलग-अलग क्षेत्रों जैसे, हर्बल उत्पादों और जैविक खेती में निवेश के नज़रिए से पर्याप्त अवसर प्रदान करता है.

हिमालय की गोद में स्थित होने के चलते इस देश के पास, अपने पड़ोसियों और भारत व चीन के बनिस्पत पारिस्थितिकी और जलवायु लाभ हैं, जो निवेशकों के लिए अपने आप में एक आकर्षण है. 

इसके अलावा, देश में श्रम की आपूर्ति भी आश्वस्त है. यह तथ्य इस बात से स्पष्ट होता है कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा युवावर्ग का है, और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मज़दूरी की दरें भी नेपाल में बहुत सस्ती हैं. कोविड-19  के प्रकोप से पहले तक, लगभग 1,200  से 1,500  नेपाली युवा, रोज़गार के लिए खाड़ी  देशों का रुख़ करते थे. यह बड़ी संख्य़ा में रोज़गार के लिए नेपाल से भारत जाने वाले युवाओं से अलग है.

पर्यटन और चिकित्सा के क्षेत्र में विशेज्ञता

नेपाल के पर्यटन क्षेत्र जैसे एयरलाइंस, होटल, रेस्तरां, रिसॉर्ट और ट्रैवल एजेंसियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, जग ज़ाहिर है. अकेले यह क्षेत्र, देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग आठ प्रतिशत का योगदान देता है. घने जंगल, वनस्पतियां व जीव-जंतु, ऊंचे पहाड़, पहाड़ी इलाके, झीलें, नदियां व तालाब और जनकपुर- देवी सीता की जन्मस्थली, लुम्बिनी- गौतम बुद्ध की जन्मस्थली, काठमांडू में  स्थित पशुपतिनाथ मंदिर व मुक्तिनाथ मंदिर जैसे धार्मिक स्थल दुनियाभर में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे, पर्यटन स्थल हैं. नेपाल ने नेत्र शल्य चिकित्सा, बाईपास सर्जरी और अंग प्रत्यारोपण में जो विशेषज्ञता हासिल की है, उसकी वजह से चिकित्सा पर्यटन (medical tourism) में भी एफडीआई धीरे-धीरे आशाजनक होता जा रहा है.

नेपाल में 80,000 मेगावाट से अधिक जल विद्युत दोहन की क्षमता है;  जिसमें से फिलहाल 1000  मेगावाट से कम का उत्पादन या दोहन किया जा रहा है. साल 2014  में नेपाल और भारत के बीच ‘पावर ट्रेड एग्रीमेंट’ के बाद, बाज़ार अब विदेशी निवेशकों के लिए कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि भारत विद्युत की वह सभी तादाद खरीदने के लिए तैयार है, जो नेपाल बेच सकता है. नेपाल के पास, धातु और गैर-धातु वस्तुओं व खनिजों के समृद्ध प्राकृतिक संसाधन भी हैं. चूना पत्थर, टैल्क, निर्माण-संबंधित खनिजों आदि के नेपाल के पास विशाल भंडार हैं. इनमें से कुछ क्षेत्र, विदेशी निवेशकों के लिए हर लिहाज़ से बेहद लाभकारी हैं.

साल 2014  में नेपाल और भारत के बीच ‘पावर ट्रेड एग्रीमेंट’ के बाद, बाज़ार अब विदेशी निवेशकों के लिए कोई मुद्दा नहीं है, क्योंकि भारत विद्युत की वह सभी तादाद खरीदने के लिए तैयार है, जो नेपाल बेच सकता है

एफडीआई को बढ़ावा देने के लिए, विदेशी निवेशकों को संयुक्त उद्यम कंपनियों में काम करने की अनुमति भी है. यहां तक कि कुछ क्षेत्रों में, 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति है. इसके अलावा, भूमि के कानून, विदेशी निवेशकों को लाभ के प्रत्यावर्तन (repatriation of profit) की अनुमति देते हैं. साथ ही, विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी अधिनियम (FITA) के तहत उद्योगों को उचित सुरक्षा प्रदान की जाती है.

फिर भी, हाल के वर्षों में  नेपाल में एफडीआई क्षेत्र में गंभीर शिथिलता देखी गई है. भारत,  जो कई वर्षों तक नेपाल के लिए पहले नंबर पर निवेशक रहा है, अब चीन से पिछड़ रहा है. यह परियोजनाओं की संख्य़ा को लेकर भी और निवेश की कुल राशि को लेकर भी चीन अब भारत से आगे निकल गया है. नेपाल में चीनी निवेश अब भारतीय निवेश से तीन गुना अधिक हो गया है. इसके अलावा, साल 1996  से 2006 के बीच माओवादी विद्रोह के दौर में भारत की ओर से कोई एफडीआई नहीं आया था. इसके बाद भी,  भारत से नेपाल में एफडीआई का प्रवाह बहुत अधिक नहीं रहा है.

साल 2017 में हुए दो दिवसीय नेपाल निवेश शिखर सम्मेलन के दौरान, काठमांडू में आयोजित, चीनी फर्मों ने कुल 13.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की प्रतिज्ञा की थी, जिसमें से 8.36 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया गया;  जबकि भारतीय फर्मों ने केवल 317 मिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार किया. इस सम्मेलन में भारतीय फर्मों द्वारा निवेश की पेशकश और प्रतिबद्धता बांग्लादेश, श्रीलंका, जापान और अमेरिका सरीखे देशों से भी कम थी.

चीन का 10 बिलियन डॉलर का निवेश

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत चीन, अब सड़क निर्माण, जल विद्युत, उद्योग, एकीकृत चेक पोस्ट, मुक्त व्यापार क्षेत्र, सिंचाई, आर्थिक गलियारे, ट्रांसमिशन लाइन, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में निवेश कर रहा है. अनुमान है कि इनमें से कुछ क्षेत्रों में कुल निवेश लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, लेकिन इन परियोजनाओं में सौदों के नियमों और शर्तों के बारे में बहुत जानकारी नहीं है.

इसके बावजूद यानी नेपाल में एफडीआई क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे के बाद भी, भारतीय निवेश कंपनियां कम महत्वपूर्ण नहीं हैं. नेपाल में 150  से अधिक भारतीय उद्यम काम कर रहे हैं, जो देश के कुल एफडीआई में 30  प्रतिशत से अधिक का हिस्सा रखते हैं. भारतीय फर्म, विनिर्माण, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, दूरसंचार, बिजली, पर्यटन और ऐसे सभी क्षेत्रों में काम कर रही हैं

नेपाल में 150  से अधिक भारतीय उद्यम काम कर रहे हैं, जो देश के कुल एफडीआई में 30  प्रतिशत से अधिक का हिस्सा रखते हैं. भारतीय फर्म, विनिर्माण, बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, दूरसंचार, बिजली, पर्यटन और ऐसे सभी क्षेत्रों में काम कर रही हैं.

नेपाल में संयुक्त उपक्रम में काम करने वाली कुछ प्रमुख भारतीय कंपनियों में सूर्या नेपाल, डाबर इंडिया, हिंदुस्तान यूनिलीवर, वीएसएनएल, भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), एशियन पेंट्स, जीएमआर इंडिया, कॉनकॉर (CONCOR), मणिपाल ग्रुप और एमआईटी ग्रुप होल्डिंग्स शामिल हैं. इसके अलावा, सतलुज हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट, हिमताल हाइड्रोपावर कंपनी प्राइवेट लिमिटेड और आईएल एंड एफएस (IL&FS) जैसी भारतीय फर्मों ने नेपाल में जल विद्युत परियोजनाओं में बड़े पैमाने पर निवेश किया है.

हालांकि, पिछले कुछ सालों में, विदेशी निवेशकों के लिए नेपाल में काम करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि वे नेपाल में अपने निवेश को पर्याप्त रूप से सुरक्षित महसूस नहीं करते. राजनीतिक प्रतिबद्धता का अभाव, अपने देशों में लाभांश को स्थानांतरित करने में आने वाली कठिनाइयां, पारदर्शिता की कमी और बढ़ता भ्रष्टाचार कुछ प्रमुख कारक हैं, जिन्होंने विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित किया है. मणिपाल समूह,  रिलायंस सीमेंट (भारत), और नाइजीरिया के डोंगोटे (Dongote) जैसे समूहों ने नेपाल में प्रशासनिक बाधाओं के कारण काम करना बंद कर दिया.

इसलिए,  नेपाल में शुद्ध एफडीआई प्रवाह साल 2017  के बाद, सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.79 प्रतिशत रहा है, भले ही उसी साल, नेपाल निवेश शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया हो. साल 2019 में,  देश में एफडीआई प्रवाह लगभग गैर-मौजूद था, बावजूद इसके कि, नेपाल निवेश शिखर सम्मेलन 2019  को बड़ी धूमधाम से आयोजित किया गया था.

आज नेपाल के लिए, एफडीआई को लेकर सतर्क रहने का समय आ गया है, क्योंकि यह ‘वरदान’ या ‘अभिशाप’ किसी भी रूप में आ सकता है. कुछ देश, कर्ज़ के जाल में तब फंसे, जब उन्होंने परियोजनाओं की नियमों, शर्तों और विवरणों का पारदर्शी और ठीक ढंग से विश्लेषण किए बिना, एफडीआई को स्वीकार कर लिया. इसलिए, केवल उन एफडीआई परियोजनाओं का स्वागत किया जाना चाहिए जो आम लोगों के लिए आय और रोज़गार के अवसर पैदा करके जीडीपी को बढ़ा सकते हैं.

कुछ देश, कर्ज़ के जाल में तब फंसे, जब उन्होंने परियोजनाओं की नियमों, शर्तों और विवरणों का पारदर्शी और ठीक ढंग से विश्लेषण किए बिना, एफडीआई को स्वीकार कर लिया. इसलिए, केवल उन एफडीआई परियोजनाओं का स्वागत किया जाना चाहिए जो आम लोगों के लिए आय और रोज़गार के अवसर पैदा करके जीडीपी को बढ़ा सकते हैं.

चूंकि, नेपाल में संयुक्त उपक्रम में काम करने वाली अधिकांश भारतीय कंपनियों ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है,  इसलिए उन्हें वापस लाने की कोशिश करना आवश्यक है. इस बीच, प्रशासनिक बाधाओं और भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए हर संभव कोशिश की जानी चाहिए, जो उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण निवेशकों को नेपाल में काम करने से हतोत्साहित कर रहे हैं.

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