Author : Ayjaz Wani

Published on Jun 03, 2022 Updated 0 Hours ago

SCO के सदस्य देशों को अपनी नाइत्तेफ़ाक़ियों और मतभेदों को सुलझाना होगा. साथ ही शांतिपूर्ण, सुरक्षित और फलते-फूलते यूरेशिया का लक्ष्य हासिल करने के लिए आपसी विश्वास का माहौल बनाना होगा.

SCO-RATS शिखर सम्मेलन: भारत की चिंताओं के निपटारे की आधी-अधूरी क़वायद

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों ने 16 मई को नई दिल्ली में क्षेत्रीय आतंक-निरोधी ढांचे (RATS) के तहत चर्चाओं और विचार-मंथन का दौर शुरू किया. इस क़वायद का मक़सद क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में तालमेल और सहयोग के स्तर को आगे बढ़ाना है. अक्टूबर 2021 में भारत ने RATS की अध्यक्षता संभाली थी. भारत निरंतर क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर तालमेल को गहरा करने की अपील करता रहा है. ख़ासतौर से अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा नाटकीय रूप से सत्ता पर क़ाबिज़ होने के बाद से भारत इस मसले पर बेहद सक्रिय हो गया है. RATS की बैठक एक ऐसे समय में आयोजित हुई है जब रूस-यूक्रेन जंग की वजह से दुनिया के देशों के बीच की दरार और चौड़ी होती जा रही है. SCO के सदस्य देशों के बीच भी भरोसे की कमी गंभीर रूप लेती जा रही है. RATS या रीजनल एंटी टेरररिस्ट स्ट्रक्चर, मुख्य रूप से अफ़ग़ानिस्तान और तालिबानी हुकूमत के मातहत सक्रिय अलग-अलग आतंकी संगठनों पर तवज्जो देगा. SCO के तमाम सदस्य देशों के लिए ये ख़तरे का सबब बन गए हैं. चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडलों की मौजूदगी में नशीले पदार्थों से जुड़े आतंकवाद (narco-terrorism) और नशे की तस्करी से जुड़े मसलों को भी एजेंडे में शामिल किया गया. इस साल अक्टूबर में मानेसर स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के परिसर में RATS के बैनर तले आतंक-निरोधी अभ्यास का संचालन किए जाने के आसार हैं. 2023 में भारत में SCO के नेताओं का शिखर सम्मेलन भी आयोजित होना है. ऐसे में अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान के इलाक़े में पैदा आतंकवाद से मुक़ाबले, नशीले पदार्थों की तस्करी से लड़ने और आतंक के लिए आर्थिक रकम जुटाए जाने जैसी क़वायदों से निपटने में बेहतर साझेदारी को लेकर भारत के नीति-निर्माताओं की उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं. 

RATS की बैठक एक ऐसे समय में आयोजित हुई है जब रूस-यूक्रेन जंग की वजह से दुनिया के देशों के बीच की दरार और चौड़ी होती जा रही है. SCO के सदस्य देशों के बीच भी भरोसे की कमी गंभीर रूप लेती जा रही है.

क्षेत्रीय आतंक-निरोधी ढांचा (RATS)

7 जून 2002 को सेंट पीटर्सबर्ग में SCO सदस्य देशों के काउंसिल ऑफ़ हेड्स की बैठक में एक स्थायी निकाय के तौर पर RATS की स्थापना की गई थी. स्थापना के बाद से क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर अलगाववाद, आतंकवाद और चरमपंथ से निपटने में ये ढांचा सहयोग का प्रमुख आधार बनकर उभरा है. RATS के कार्यकारी संबंधों के तहत सदस्य देश आतंकवाद से निपटने के लिए ज़रूरी सूचनाएं जुटाने के मक़सद से आपस में और अन्य वैश्विक संगठनों के बीच तालमेल बिठाने पर काम करते हैं. RATS अपने तमाम सदस्य देशों से आतंकवादियों और आतंकी संगठनों से जुड़ी सूचनाओं का बहीखाता भी तैयार करता है. RATS के तहत आतंक-निरोध के साझा अभ्यासों के ज़रिए सदस्य देश अपने सशस्त्र बलों के प्रशिक्षण पर भी काम करते हैं. इसका मक़सद समूह के भीतर आतंक से निपटने का ज़रिया तैयार करना और आपसी तालमेल को बढ़ावा देना रहा है. टेरर फ़ंडिंग और आतंकी गतिविधियों के लिए रकम मुहैया कराए जाने की क़वायदों की रोकथाम के लिए सदस्य देशों ने नार्को-टेररिज़्म को RATS के तहत शामिल किया है. दरअसल इलाक़े के चरमपंथियों और आतंकवादियों के लिए राज्यसत्ता के ख़िलाफ़ गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ज़रूरी फ़ंड जुटाने के लिए नशे की तस्करी एक प्रमुख स्रोत बन गया है. हालांकि अब भी SCO का प्रमुख एजेंडा बग़ैर दख़लंदाज़ी के बुनियादी सिद्धांत के बूते सदस्य देशों की आतंक-निरोधी क्षमताओं को उन्नत बनाना और उसे ठोस रूप देना ही है.

RATS के कार्यकारी संबंधों के तहत सदस्य देश आतंकवाद से निपटने के लिए ज़रूरी सूचनाएं जुटाने के मक़सद से आपस में और अन्य वैश्विक संगठनों के बीच तालमेल बिठाने पर काम करते हैं. RATS अपने तमाम सदस्य देशों से आतंकवादियों और आतंकी संगठनों से जुड़ी सूचनाओं का बहीखाता भी तैयार करता है.

2011 से 2015 के बीच RATS 20 आतंकी हमलों की रोकथाम करने, 1700 आतंकियों का सफ़ाया करने और आतंकी संगठनों से जुड़े 2700 लोगों की गिरफ़्तारियां करवाने में कामयाब रहा है. इस आतंक-निरोधी ढांचे ने आतंक के 440 अड्डों को तबाह कर सदस्य देशों में आतंक से जुड़े 650 अपराधों को टालने में सफलता पाई है. इन तमाम क़वायदों के ज़रिए विभिन्न आतंकी संगठनों से गोलाबारूद के 4,50,000 टुकड़े और 52 टन से ज़्यादा विस्फोटक ज़ब्त किए जा चुके हैं.

भारत की चिंताएं

भारत और पाकिस्तान 2017 में SCO के पूर्णकालिक सदस्य बने थे. दक्षिण एशिया के दो सबसे प्रभावशाली देशों के जुड़ने से आतंक और चरमपंथ से निपटने की इस समूह की क्षमताओं और क़ाबिलियत में बढ़ोतरी हुई. हालांकि, भारत और पाकिस्तान की मौजूदगी से इस संगठन के भीतर के दरार और चौड़े हो गए. नतीजतन SCO के भीतर नाइत्तेफ़ाक़ी, मतभेद और आपसी विश्वास में कमी का माहौल पैदा हो गया. पूर्णकालिक सदस्यता मिलने के बाद से भारत ने पूरे यूरेशियाई क्षेत्र- ख़ासकर SCO के तमाम सदस्य देशों में शांति, समृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने के संजीदा प्रयास किए हैं. बहरहाल, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से पैदा होने वाला आतंकवाद और आतंकी ढांचा भारत की चिंताओं का एक बड़ा सबब बना हुआ है. नशीले पदार्थों से जुड़ा पूरा तंत्र इन काली करतूतों के लिए रकम जुटाने का ज़रिया बन गया है. जून 2018 में पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया. इसके बाद अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान के इलाक़े के आतंकी संगठनों ने केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए रकम जुटाने के मक़सद से नार्कोटिक्स और ड्रग्स का इस्तेमाल करना चालू कर दिया. मिसाल के तौर पर जनवरी 2022 में पुंछ में नियंत्रण रेखा के पास 31 किलोग्राम हेरोइन ज़ब्त की गई थी. 

RATS के तहत आतंक की रोकथाम के लिए सदस्य देशों को प्रशिक्षित करने और उन्हें तमाम ज़रूरी साज़ोसामानों से लैस करने में SCO कामयाब रहा है. बहरहाल पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से पैदा होने वाला आतंकवाद भारत के लिए बड़ा ख़तरा बना हुआ है.

जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स की तस्करी के लिए पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा का भी इस्तेमाल किया है. FATF के दबाव के चलते पाकिस्तान ने भारत के ख़िलाफ़ अपने असमान और छद्म युद्ध (asymmetric war) के लिए रकम जुटाने के मक़सद से ड्रग्स का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. ये नार्कोटेररिज़्म से जुड़ी उसकी रणनीति का हिस्सा है. RATS के तहत आतंक की रोकथाम के लिए सदस्य देशों को प्रशिक्षित करने और उन्हें तमाम ज़रूरी साज़ोसामानों से लैस करने में SCO कामयाब रहा है. बहरहाल पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से पैदा होने वाला आतंकवाद भारत के लिए बड़ा ख़तरा बना हुआ है. ज़ाहिर है ये भारत के भू-सामरिक और संप्रभुता से जुड़े हितों के ख़िलाफ़ है, और इनका अबतक निपटारा नहीं हो सका है.

दूसरी ओर चीन के अधिनायकवादी हितों और तंग नज़रिए से भारत और यहां तक कि कुछ मध्य एशियाई गणराज्यों में भी SCO के भविष्य को लेकर ही तमाम तरह की आशंकाएं गहराने लगी हैं. दरअसल, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए ग़ैर-आक्रामकता और शांतिपू्र्ण तरीक़ों से विवादों का निपटारा करना SCO के बुनियादी उसूलों में शामिल है. ग़ौरतलब है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के आक्रामक रुख़ की वजह से गलवान घाटी में संकट के हालात पैदा हो गए थे. इसके अलावा भारत के अंदरुनी मसलों में भी चीन गाहे-बगाहे दख़ल देता रहता है. इससे भारत की सामरिक बिरादरी में चीन के प्रति अविश्वास बढ़ गया है. चीन ने अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के ज़रिए अपने अधिनायकवादी हितों को आगे बढ़ाने के लिए SCO के मंच का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. इस सिलसिले में ख़ासतौर से BRI की प्रमुख परियोजना यानी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की मिसाल दी जा सकती है. CPEC पाकिस्तानी क़ब्ज़े वाले कश्मीर (POK) से होकर गुज़रता है, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता का सरासर उल्लंघन है.

यूरेशिया की सुरक्षा पर असर

अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भी भारत को ऐसी ही चिंताएं हैं. अमेरिका की सामरिक नाकामी और अगस्त 2021 में अफ़ग़ानिस्तान से वापसी के बाद भारत ने “स्थायी शांति और मेल-मिलाप के लिए अफ़ग़ानी-अगुवाई, अफ़ग़ानी-मालिक़ाना हक़ वाले और अफ़ग़ान-नियंत्रित प्रक्रिया” का समर्थन किया था. बहरहाल पाकिस्तान और चीन जैसे देश साल 2000 से ही तालिबान का समर्थन करते हुए उसकी गतिविधियों को जायज़ ठहराते रहे हैं. इससे भारत की नीति को बड़ा नुक़सान पहुंचा है. आज अफ़ग़ानिस्तान में हज़ारों की तादाद में विदेशी आतंकवादी मौजूद हैं. ख़ासतौर से अल-क़ायदा और इस्लामिक स्टेट ख़ुरासान प्रॉविंस (ISKP) से जुड़े आतंकवादी अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के भीतर घातक हमलों को अंजाम दे रहे हैं. ऐसे में SCO के अन्य सदस्य देशों में भी इनकी आंच पहुंचने का ख़तरा बढ़ गया है.

रूस और भारत ने SCO क्षेत्र में एकीकरण और सहयोग की अपील की है. हालांकि आतंकवाद, नार्कोटिक्स, संप्रभुता और क्षेत्रीय एकीकरण से जुड़े मसलों पर नाइत्तेफ़ाक़ियों, मतभेदों और अविश्वास के बरक़रार रहते इस दिशा में कामयाबी पाना नामुमकिन है. 19 मई को भारत स्थित रूसी दूतावास ने बताया कि RATS के क़ानूनी और तकनीकी विशेषज्ञों के बीच आतंक-निरोधी क़वायदों और चरमपंथ से जुड़े तमाम दस्तावेज़ों पर रज़ामंदी हो गई है. इस साल नई दिल्ली में होने वाली परिषद की अगली बैठक में इसे स्वीकार किया जा रहा है. बहरहाल, SCO के सदस्य देशों के बीच चतुराई भरे संवाद की दरकार है. शांति, समृद्धि और आर्थिक एकीकरण का लक्ष्य हासिल करने और इस मंच के ज़रिए सदस्य देशों (ख़ासतौर से भारत) की जायज़ चिंताओं के निपटारे के लिए ऐसी क़वायद बेहद ज़रूरी है. इन चिंताओं का निपटारा नहीं होने पर यूरेशिया के सुरक्षा हालातों पर बुरा असर पड़ सकता है.     

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.