Author : Nivruti Rai

Published on Nov 30, 2020 Updated 0 Hours ago

भारत की ताक़त उसकी बड़ी आबादी, बढ़ती अर्थव्यवस्था, डिजिटल तकनीकों को अपनाने की क्षमता और एक मज़बूत तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा समर्थित तकनीकी दक्षता है. भारत में लगातार विकसित हो रहा, उद्यमशीलता का वातावरण भी उसे तकनीकी रूप से अग्रणी बनाता है.

डेटा आधारित इनोवेशन और डिजिटलीकरण के ‘कैटेलिस्ट’ से ही मिलेगी भारत के विकास को प्रेरणा!

भारत बदल रहा है. प्रौद्योगिकी रूप से स्मार्ट व उच्चतम तकनीक से लैस कनेक्टेड यानी तकनीकी रूप से एक दूसरे जुड़े उपकरणों का प्रस्फुटन और बेहतर अनुप्रयोग (application), स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, विनिर्माण और खुदरा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आमूलचूल बदलाव का प्रमुख कारण बन रहा है. ये बदलाव डेटा-आधारित इनोवेशन द्वारा संचालित है और इसके ज़रिए, अंक आधारित गणनाओं, स्टोरेज व मेमोरी जैसी कंप्यूटर जनित तकनीकों का इस्तेमाल कर, विकसित प्रौद्योगिकी समाधानों के माध्यम से डेटा यानी आंकड़ों की शक्ति का दोहन किया जा रहा है. डेटा तकनीकों में आए इस उछाल के चलते, आम लोगों के जीवन को समृद्ध बनाने, व्यवसायों का अनुकूलन करने और देश की प्रगति को बढ़ावा देने के लिए तकनीक का लाभ उठाने का यह उपयुक्त अवसर है.

यह 2025 तक भारत को एक ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक बेहतरीन मंच प्रदान करता है. भारत मान्यता प्राप्त रूप से प्रौद्योगिकी का गढ़ है. भारत के पास 500 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ डिजिटल उपभोक्ताओं का तेज़ी से बढ़ता बाज़ार है; विशिष्‍ट पहचान संख्‍य़ा (यूआईडी)  पर आधारित, दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल पहचान कार्यक्रम ‘आधार’ (Aadhaar) है जिसके तहत 1.2 बिलियन से अधिक लोगों की पहचान की जा चुकी है;[1] और इसके पास एक संपन्न व सुरक्षित ई-भुगतान तंत्र (e-payment ecosystem) है जिसके तहत, एक महीने में औसतन एक बिलियन से अधिक एकीकृत भुगतान संबंधी लेनदेन (unified payment interface transactions) होते हैं.[2]

डेटा तकनीकों में आए इस उछाल के चलते, आम लोगों के जीवन को समृद्ध बनाने, व्यवसायों का अनुकूलन करने और देश की प्रगति को बढ़ावा देने के लिए तकनीक का लाभ उठाने का यह उपयुक्त अवसर है.  

भारत का आईटी उद्योग 4.5 मिलियन से भी अधिक इंजीनियरों की प्रतिभा के आधार पर राजस्व में 191 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि करता है;[3] दुनिया के पहले 10 वैश्विक सिस्टम इंटीग्रेटर्स में से अधिकांश भारत में स्थित हैं; और देश में 9000 से अधिक तकनीकी स्टार्टअप हैं, जिनमें से 1600 गूढ़ तकनीकी क्षेत्र (deep technology space) में काम कर रहे हैं,[4]

इसके अलावा, भारत की विशाल आबादी, तकनीक को अपनाने के लिए सबसे बड़े उत्प्रेरक के रूप में काम करती है. डिजिटल सेवाओं के लिए इसकी अपार ज़रूरतें, सस्ती, विस्तार योग्य व लाभदायक तकनीकें व तकनीकी समाधान विकसित करने के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देती हैं.

डिजिटल सेवाओं के लिए इसकी अपार ज़रूरतें, सस्ती, विस्तार योग्य व लाभदायक तकनीकें व तकनीकी समाधान विकसित करने के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देती हैं. कोविड-19 की महामारी और नए भू-राजनीतिक परिदृश्य ने इन महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को अपनाने और नए क्षेत्रों में इनके कार्यान्वयन में तेज़ी से वृद्धि की है. 

कोविड-19 की महामारी और नए भू-राजनीतिक परिदृश्य ने इन महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को अपनाने और नए क्षेत्रों में इनके कार्यान्वयन में तेज़ी से वृद्धि की है. हम दूर बैठे, तकनीक के ज़रिए उपकरणों के आपसी सहयोग व उनके जुड़े होने (connected devices) के ज़रिए, नई से नई डिजिटल सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित कर रहे हैं, और सभी क्षेत्रों में तकनीकी हस्तक्षेप का अभूतपूर्व परिदृश्य देख रहे हैं. प्रासंगिक बने रहने और समय के साथ गति बनाए रखने के लिए हर क्षेत्र का डिजिटलीकरण हो रहा है.

इनोवेशन यानी की नवाचार और प्रौद्योगिकी उन्नति के लिए भारत के हर क्षेत्र में, इस तरह की ऊर्जा व दृढ़ता दिखाई देना रोमांचक व प्रोत्साहन से भरा है. तकनीक की दिशा में भारत की यह यात्रा जैसे-जैसे गहन व विस्तारित होगी, ऐसी कई तकनीकें हैं, जो भारत के लिए अपने खरबों डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होंगी.

जनसंख्य़ा स्तर पर विस्तारित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से उत्प्रेरित (डिजिटल बदलाव)

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई (AI), 1950 के दशक के आसपास से रहा है, लेकिन दो महत्वपूर्ण चीज़ों के विलय के कारण अब यह सर्वव्यापी हो रहा है. पहली है, बड़ी मात्रा में उपलब्ध डेटा और दूसरी, गणनाओं की बढ़ती शक्ति व कंप्यूटरों के विकास से बढ़ती स्मृति यानी मेमोरी क्षमता, जो डेटा यानी आंकड़ों से सही और सटीक जानकारियां निकालने के अलावा जानकारियों के प्रसंस्करण को भी संभव बनाती है, और हमें मूल्यवान जानकारियां प्राप्त करने में मदद करती है. मौजूदा दौर में हम इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण बिंदु पर हैं.

मौजूदा दौर में हम इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण बिंदु पर हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में प्रवेश के साथ, भारत के पास उच्चतम प्रौद्योगिकी, डेटा, जनसंख्य़ा के विस्तार के चलते आंकड़ों का विशाल भंडार, डेटा की विविधता और तकनीकी प्रतिभा जैसी अद्वितीय शक्तियां मौजूद हैं, जिनका लाभ उठाने का यह सही अवसर है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में प्रवेश के साथ, भारत के पास उच्चतम प्रौद्योगिकी, डेटा, जनसंख्य़ा के विस्तार के चलते आंकड़ों का विशाल भंडार, डेटा की विविधता और तकनीकी प्रतिभा जैसी अद्वितीय शक्तियां मौजूद हैं, जिनका लाभ उठाने का यह सही अवसर है.

जनसंख्य़ा के पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को अपनाने की क्षमता के साथ, भारत विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकी उन्नति और इनोवेशन को आगे बढ़ाने का अवसर रखता है. भारत के पास, मानव-केंद्रित अनुप्रयोगों (human-centric applications) पर ध्यान केंद्रित करने और विश्व के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के लोकतांत्रिकरण का अभूतपूर्व अवसर है.

नैसकॉम (NASSCOM) की रिपोर्ट ‘इंप्लिकेशंस ऑफ़ एआई ऑन इंडियन इकोनॉमी’ में भारतीय अर्थव्यवस्था पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रभाव का आकलन किया गया है. इसके तहत, एआई का उपयोग करने वाली कंपनियों के कामकाज और तकनीकी क्षमता में, एक यूनिट एआई की वृद्धि, 67.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बढ़ोत्तरी कर सकती है, यानी निकट अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की दृष्टि से, भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 2.5 प्रतिशत का योगदान दे सकती है.[5]

अगली पीढ़ी का संचार तंत्र: डिजिटल इंडिया के लिए ज़रूरी 5जी से लैस बुनियादी ढांचा

5जी तकनीक से, वितरित कंप्यूटिंग (distributed computing) को बढ़ावा मिला है, और इसके ज़रिए उन क्षेत्रों या परिस्थितियों में डेटा की गणना को संभव बनाया जा सकता है, जहां डेटा पैदा हो रहा हो. 5जी तकनीक, फ़ोन जैसे स्मार्ट उपकरणों के इस्तेमाल से कहीं आगे जाती है. इसके ज़रिए, अरबों की कीमत वाले स्मार्ट उपकरणों को जोड़कर 5जी के ज़रिए कंप्यूटिंग यानी अंक गणना व कम्युनिकेशन यानी संचार की दुनिया को एक मंच पर लाया जाता है, ताकि क्लाउड (तकनीकी वर्चुअल तंत्र में डेटा को सुरक्षित रखने संबंधी तकनीक) से लेकर नेटवर्क तक, लगभग असीमित गणना शक्ति बनाई जा सके.

भारत के पास 5जी तकनीक में नेतृत्व करने का अवसर है. भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को स्मार्ट, मज़बूत और सस्ती प्रणालियों की आवश्यकता है, जो 5जी पारिस्थितिकी तंत्र की डेटा आवश्यकताओं का सहयोग कर सकें. भारत में, कंप्यूटिंग क्षमता का यह नया परिदृश्य, ओपन सोर्स इनोवेशन (open source innovation) यानी खुले व सम्मिलित तौर पर तकनीक के इस्तेमाल व प्रचार द्वारा संचालित होगा. शैक्षणिक और अनुसंधान प्रयोगशालाओं में प्रगति के ज़रिए भारतीय इनोवेटर्स और डेवलपर्स के बीच साझेदारी के माध्यम से इस क्षेत्र में नई से नई खोज व तकनीकी बढ़ोत्तरी की जाएगी.

सरकार को बिजली, सड़क और पानी- जैसी बुनियादी ज़रूरतों की तरह, हमारे सामाजिक व आर्थिक ताने-बाने के हिस्से के रूप में ‘कनेक्टिविटी’ यानी तकनीक द्वारा समाज के प्रत्येक हिस्से में जुड़ाव की ज़रूरत को देखना होगा. इसलिए, ग्रामीण इलाकों में कनेक्टिविटी से संबंधित समाधानों (rural connectivity solutions) और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था तक पहुंच संभव हो पाएगी. अनुसंधान व अध्ययन बताते हैं कि “मोबाइल ब्रॉडबैंड अपनाने में 10 प्रतिशत की औसत वृद्धि, आर्थिक रूप से 0.6 प्रतिशत से 2.8 प्रतिशत तक विकास का कारण बनती है.[6]

उद्योग 4.0: तेज़ी से ऑटोमेशन के ज़रिए बदलाव को उत्प्रेरित करना

भारत को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ के लिए, उद्योग 4.0 यानी डिजिटल तकनीक के ज़रिए औद्योगिकरण की अगली कड़ी के रूप में, वैश्विक रूप से खुद को सबसे आगे रखना होगा. डिजिटलीकरण यानी डिजिटल तकनीकों का प्रसार, उद्योग 4.0 के केंद्र में है. इसके लिए इनोवेशन (innovation) व मशीन विज़न (machine vision), रोबोटिक्स (robotics), स्मार्ट एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर (smart energy infrastructure) और उभरती हुई एज कंप्यूटिंग एप्लीकेशन (edge computing application) जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों की दिशा में उन्नति की आवश्यकता होगी.

उद्योग 4.0 में देश में समावेशी और सतत औद्योगिक विकास को उत्प्रेरित करने और बढ़ावा देने की बहुत बड़ी क्षमता है. ‘मेक इन इंडिया’ पर भारत के ज़ोर को देखते हुए, हमारे लिए नई और टिकाऊ विनिर्माण तकनीकों को अपनाना भी महत्वपूर्ण है.  

इसके अलावा, उद्योग 4.0 में देश में समावेशी और सतत औद्योगिक विकास को उत्प्रेरित करने और बढ़ावा देने की बहुत बड़ी क्षमता है. ‘मेक इन इंडिया’ पर भारत के ज़ोर को देखते हुए, हमारे लिए नई और टिकाऊ विनिर्माण तकनीकों को अपनाना भी महत्वपूर्ण है.

जैसे-जैसे ये प्रौद्योगिकी व तकनीकें परिपक्व होती जा रही हैं, और इनोवेशन की एक लहर पैदा कर रही हैं, उनके अनुप्रयोग और उपयोग के नए से नए तरीके, भारत और दुनियाभर के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों को बदल रहे हैं.

हेल्थकेयर: स्वास्थ्य क्षेत्र में, प्रौद्योगिकी ने, टेलीमेडिसिन (telemedicine) यानी दूरस्थ मेडिकल सुविधाओं, मेडिकल इमेजिंग (medical imaging) यानी तकनीक की मदद से एक्स-रे जैसी सुविधाओं का नवीनीकरण, एन्हांस्ड डायग्नोस्टिक्स (enhanced diagnostics) यानी चिकित्सीय जांच को तकनीक के ज़रिए बेहतर, आसान व सटीक बनाना, ड्रग डिस्कवरी (drug discovery) यानी नई दवाओं की खोज और अस्पतालों के कामकाज को सुचारू व किफ़ायती बनाने (hospital workflow efficiency) की दिशा में नए तरह के एप्लीकेशन यानी अनुप्रयोगों को सक्षम बनाया है.

जिस गति के साथ, तकनीकी इनोवेशन, स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण के साथ एकीकृत हो रही है, वह तकनीक के इस्तेमाल के पैमाने को बढ़ाएगी और लागत को कम कर, अधिक से अधिक लोगों द्वारा अपनाए जाने की राह पकड़ेगी. 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और शरीर पर धारण करने योग्य तकनीकें (wearables) जो दिल की बीमारियों व स्थितियों की पहचान कर सकती हैं, मिर्गी के दौरों पर निगरानी रख सकती हैं, और ग्लूकोज़ मॉनिटर करने वाली सेंसर जनित तकनीकें, जो शरीर में मधुमेह के बढ़ते या घटते स्तर को लेकर सीधे संबंधित स्मार्टफोन को डेटा भेजती हैं, लोगों को खुद की बेहतर देखभाल में सक्षम बना रही हैं. जिस गति के साथ, तकनीकी इनोवेशन, स्वास्थ्य सेवाओं के वितरण के साथ एकीकृत हो रही है, वह तकनीक के इस्तेमाल के पैमाने को बढ़ाएगी और लागत को कम कर, अधिक से अधिक लोगों द्वारा अपनाए जाने की राह पकड़ेगी.

महामारी के मौजूदा दौर में, हम टेलीमेडिसिन और टेली-परामर्श में महत्वपूर्ण रूप से वृद्धि देख रहे हैं. इसने समय पर, सस्ती और गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा तक हर किसी की पहुंच सुनिश्चित की है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं का लोकतांत्रिकरण हुआ है, विशेष रूप से देश के दूर-दराज़ और ग्रामीण इलाक़ों के लोगों के लिए.

प्रौद्योगिकी, जनसंख्य़ा के विस्तृत पैमाने पर डेटा के विश्लेषण व उपयोग के ज़रिए, बीमारियों का पूर्वानुमान लगाने और उन्हें प्रबंधित करने में भी भूमिका निभा रही है. उदाहरण के लिए, मल्टी-डिसिप्लिनरी को-ऑपरेशन यानी विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग व भागीदारी के ज़रिए, इंटेल इंडिया, काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) और हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी जैसे संस्थान, बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों में कोविड-19 के फैलने की गति व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए उन लोगों की पहचान करने, जिनमें संक्रमण का ख़तरा अधिक है, उनके लिए कोविड-19 की त्वरित जांच और कोरोनावायरस के जीन अनुक्रमण (genome sequencing) की कोशिश में जुटे हैं.

कृषि: भारत की लगभग 50 प्रतिशत आबादी कृषि अर्थव्यवस्था पर निर्भर है. इस क्षेत्र में तकनीक व प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल इस क्षेत्र में काम करने के तरीकों और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इंटेलिजेंट एज-आधारित तकनीकें (Intelligent edge-based technologies), डेटा एनालिटिक्स यानी आकड़ों का विश्लेषण, रोबोट और ड्रोन जैसी तकनीकें, किसानों को फसलों के बारे में वास्तविक समय में सूचना (real time information), मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट, भौगोलिक कारकों व कीटों से ख़तरों से संबंधित जानकारी प्रदान कर सकती हैं, जिससे खेती व उपज में सुधार संभव है.

खेती से लेकर वितरण, डिलीवरी और खाद्यान्न की उपज तक की मूल्य श्रृंख़ला के हर चरण में, तकनीक का इस्तेमाल और उससे होने वाला लाभ, हर रूप में किसानों को प्रोत्साहित करता है कि वो तकनीक को अपनाने के लिए आगे बढ़ें. यही नहीं, इस क्षेत्र में निरंतर बढ़ोत्तरी की संभावना है, जो इसे एक आकर्षक क्षेत्र बनाता है.

शिक्षा: शिक्षा क्षेत्र, प्रौद्योगिकी को सबसे तेज़ी से अंगीकार करने वाले क्षेत्रों में रहा है. इसमें दूरस्थ शिक्षा, स्मार्ट कक्षाओं और सीखने के व्यक्तिगत व लंबे समय तक चलने वाले तरीके (personalised and immersive learning) शामिल हैं. सीखने के इन नए तरीकों और इन गतिविधियों को तैयार करने के लिए नई तकनीकों से लैस उपकरणों में भी तेज़ी से वृद्धि हुई है. महामारी के दौर के बाद, ई-लर्निंग तंत्र, शिक्षा क्षेत्र में मुख्यधारा बन कर उभरा है. इसके ज़रिए सभी को पढ़ने-लिखने का अवसर प्रदान किया जा सकता है, और साथ ही पाठ्य सामग्री की गुणवत्ता और प्रशिक्षकों तक पहुंच, आम लोगों को सशक्त बना सकती है. शिक्षा के क्षेत्र में ‘एंड-टू-एंड’ समाधान यानी सभी तरह के उपाय उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे भी शिक्षा से न चूकें.

तकनीक के विनिर्माण का तंत्र: वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भारत को तैयार करना  

भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की दिशा में तकनीकी निर्माण का मंच तैयार करना एक आवश्यक स्तंभ है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर आज औद्योगिक, स्वास्थ्य सेवा, खुदरा, संचार और शासन सहित हमारे जीवन से जुड़े क्षेत्र में इस्तेमाल होते हैं. भविष्य में यह क्लाउड, आईओटी (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोनोमस ड्राइविंग यानी स्वायत्त ड्राइविंग और अन्य नए क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाएंगे. अनुमान है कि साल 2025  तक, भारत दुनिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स बाज़ारों में से एक होगा, जिसकी कीमत 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर होगी. [7]

भारत सरकार का दारोमदार स्व-निर्भरता पर होने के चलते, यह ज़रूरी है कि भारत अनिवार्य रूप से, तकनीकी डिज़ाइन यानी आलेख, डिजिटल खपत और कौशल के क्षेत्र में अपनी क्षमता का सही उपयोग करने के लिए, एक मज़बूत सेमीकंडक्टर विनिर्माण तंत्र विकसित करे.

तकनीक क्षेत्र में महिलाएं: इनोवेशन के लिए ज़रूरी है भागीदारी

जैसे-जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्लाउड, इंटेलिजेंट एज और 5जी जैसी उभरती तकनीकें, हमारे जीवन और कार्यक्षेत्र को बदल रही हैं, वास्तविक रूप से सकारात्मक प्रभाव केवल तभी प्राप्त किए जा सकते हैं, जब इन समाधानों को विकसित करने वाले इनोवेटर्स और डेवलपर्स खुद समाज के विभिन्न वर्गों से आएं. इस संदर्भ में, महिलाओं की भूमिका और लैंगिक विविधता बेहद महत्वपूर्ण है.

भारत में महिलाओं की समानता को आगे बढ़ाना, सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी को बढ़ावा देने का एक बड़ा अवसर है, जिसके तहत साल महिलाओं की भागीदारी के ज़रिए, 2025 तक अर्थव्यवस्था में 770 बिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़े जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए व्यापक बदलाव की आवश्यकता होगी

इस मोड़ पर, जब भारत प्रगति व विकास की निरंतर व टिकाऊ गति प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, तो देश के लिए यह आवश्यक है कि वह कार्यस्थल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाए और उन्हें हर रूप में समावेशी बनाए. भारत में महिलाओं की समानता को आगे बढ़ाना, सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी को बढ़ावा देने का एक बड़ा अवसर है, जिसके तहत साल महिलाओं की भागीदारी के ज़रिए, 2025 तक अर्थव्यवस्था में 770 बिलियन अमेरिकी डॉलर जोड़े जा सकते हैं[8], लेकिन इसके लिए व्यापक बदलाव की आवश्यकता होगी.

इस क्षेत्र में लिंग आधारित विविधता (gender diversity) सुनिश्चित करने के लिए कई तरह के हस्तक्षेप किए गए हैं, लेकिन इस क्षेत्र में मारक व सुदृढ़ बदलाव लाने के लिए टिकाऊ, निरंतर व ठोस प्रयासों की आवश्यकता है. इस कोशिश में, सरकारों, उद्योगों और अकादमिक जगत के बीच सहयोग ज़रूरी है, ताकि कार्यस्थल और अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी क्षेत्रों में सभी स्तरों पर महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित की जा सके, जो त्वरित प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है.

भारत में इनोवेशन व तकनीकी विकास को तेज़ करने को लेकर इंटेल इंडिया की प्रतिबद्धता

‘इंटेल इंडिया’ भारत के डिजिटल क्षेत्र में बदलाव, प्रगति और इनोवेशन के सफर का एक अभिन्न अंग रहा है. अमेरिका से बाहर इंटेल का सबसे बड़ा डिज़ाइन केंद्र भारत में है, जिसमें बेंगलुरु और हैदराबाद में मौजूद अत्याधुनिक डिज़ाइन सुविधाएं व विनिर्माण ढांचा शामिल है. इंटेल ने भारत में अब तक छह बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है, और देश में अनुसंधान, विकास और इनोवेशन के पदचिह्न कायम करने और इस क्षेत्र के विस्तार का काम लगातार जारी रखा है.

इंटेल इंडिया ने इंटेल की प्रौद्योगिकी और उत्पाद क्षेत्र में तकनीकी नेतृत्व व उत्पाद संबंधी इनोवेशन के ज़रिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है. एआई, 5जी, स्वायत्त प्रणालियों (autonomous systems) जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर, इसने सिस्टम ऑन ए चिप (System on a Chip-SoC) संबंधी डिज़ाइन, 5जी नेटवर्क, ग्राफिक्स, सॉफ्टवेयर और क्लाउड/डेटा सेंटर विकसित करने के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया है. इंटेल भारत में जीवंत प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ काम कर रहा है, और लोगों के जीवन को समृद्ध बनाने के लिए इनोवेशन, अनुसंधान, तकनीकी प्रगति और नई से नई तकनीक को अपनाने की दिशा में तेज़ी से काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.

भारत की क्षमता व ताक़त उसकी बड़ी आबादी, बढ़ती अर्थव्यवस्था, डिजिटल तकनीकों को अपनाने की गति और एक मज़बूत तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में निहित है. इन क्षमताओं को मूल रूप से तकनीकी क्षेत्र में भारत की दक्षता, और इनोवेशन व उद्यमशीलता के लगातार बढ़ते वातावरण से प्रोत्साहन मिल रहा है. मौजूदा समय की ज़रूरत है, एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो जिसमें उद्योग, स्टार्टअप, अकादमिक जगत और सरकार शामिल हों, और मिलेजुले रूप से साथ काम करने व डेटा-चालित प्रौद्योगिकियों की क्षमता को विकसित करने की दिशा में काम करें.

मौजूदा समय की ज़रूरत है, एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो जिसमें उद्योग, स्टार्टअप, अकादमिक जगत और सरकार शामिल हों, और मिलेजुले रूप से साथ काम करने व डेटा-चालित प्रौद्योगिकियों की क्षमता को विकसित करने की दिशा में काम करें. 

इससे व्यापार और समाज की बेहतरी और उन्हें सकारात्मक रूप से बदलने की दिशा में सरकारी प्रयासों को भी मदद मिलेगी. इसके लिए विघटनकारी (disruptive) इनोवेशन की ज़रूरत होती है, यानी ऐसी तकनीकें और सोच जो अपनी प्रकृति में पूरी तरह से नई हों और आमूलचूल बदलाव का रास्ता अपनाएं. साथ ही ज़्यादा से ज़्यादा लोगों द्वारा अपनाए जा सकने वाले व्यापार मॉडल, यूज़ केसेस (use cases), अनुसंधान, बौद्धिक संपदा और अनुकूल नीतियों (policy infrastructure) की ज़रूरत है, जो तकनीक के निर्बाध निर्माण और उभरते तकनीक-आधारित समाधानों को अपनाने की ओर केंद्रित हों. इन प्रयासों से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्लाउड, 5जी और अन्य प्रौद्योगिकियों का विकास होगा और भारत व दुनिया भर में तेज़ी से डिजिटल विकास संभव हो पाएगा. भारत को इनोवेशन यानी नवाचार की अगली लहर का नेतृत्व करने के लिए इस अवसर का पूरी तरह इस्तेमाल करना चाहिए.


Endnotes

[1]  “Digital India: Technology to Transform a Connected Nation”, McKinsey Global Institute, 2019.

[2] UPI Crosses 1 Billion Transactions Over 100 Million Users In October”, BW Businessworld, October 28, 2019.

[3] Industry generates 191 billion in revenues; hires 205,000 new employees in fy 2020”, NASSCOM.

[4] Over 1,300 Startups Added in 2019, over 8,900 Tech-Startups in India Now: Nasscom”, The Economic Times, November 5, 2019.

[5] Implications of AI on the Indian Economy”, NASSCOM Community, July 24, 2020.

[6] Börje Ekholm, “How 5G Could Speed up Global Growth”, World Economic Forum, January 12, 2018.

[7] Electronic Systems Sector in India – Electronic Devices Industry,” Invest India.

[8] The Power of Parity: advancing women’s equality in Asia Pacific”, McKinsey Global Institute, May 2018.

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