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चीन के स्टेट काउंसलर वांग यी ने उसी के साथ अत्यंत सरलता से बहुपक्षीयता का ऐसे उल्लेख किया मानो चीन तमाम बहुपक्षीय समझौतों का उल्लंघन ही न करता हो
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) पर कब्ज़ा करने के बाद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने आईटीयू (अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ) को अपने कब्ज़े में लेने पर निग़ाहें गड़ा रखी हैं. अपने 8 सितंबर, 2020 के राजनीतिक संदेश में सीसीपी ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है: डेटा सुरक्षा संबंधी वैश्विक मानक तय करने हैं. चीन के स्टेट काउंसलर वांग यी ने उसी के साथ अत्यंत सरलता से बहुपक्षीयता का ऐसे उल्लेख किया मानो चीन तमाम बहुपक्षीय (अथवा क्षेत्रीय) समझौतों का उल्लंघन ही न करता हो. उसके बावजूद वह दुनिया से चीन के अचानक नियम आधारित व्यवस्था अपनाने को तैयार हो जाने बात पर आंख मूंदकर भरोसा कर लेने की अपेक्षा कर रहा है.
चीन अब प्रौद्योगिकीय दख़ल देने के फेर में है क्योंकि जहां उसकी कूटनीतिक घुसपैठ नाकाम हो रही है वहां वो डेटा की चोरी पर रोक लगाने की बात कर कर रहा है जबकि उसका अपना रिकॉर्ड, ख़ुद उसके राष्ट्रीय खुफ़िया कानून द्वारा संस्थागत होके भी बहुत खराब है.
इसके बावजूद तमाम लोकतांत्रिक देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चीन अब दूरसंचार मानकों का भी अपहरण नहीं करने पाए. डेटा सुरक्षा के लिए वैश्विक मानक बनाने पर काम चल रहा है जिसमें सीसीपी की चौधराहट की आवश्यकता नहीं है. आईटीयू सभी दूरसंचार मानकों की निग़हबान तथा संयुक्त राष्ट्र की संस्था है. इसके सदस्यों में 193 देश एवं 900 कंपनियां, विश्वविद्यालय एवं अन्य संगठन शामिल हैं. मानकों का जहां तक प्रश्न है तो आईटीयू उन्हें विकास संगठन, अनुमोदित मानक, सुरक्षा मानक विकसित होने के दौर में, प्रस्तावित सुरक्षा मानक, सुरक्षा के श्रेष्ठ उपाय तथा पहचान प्रबंधन मानकों सहित छह भागों में तैयार कर रहा है.
सीसीपी द्वारा चुना गया समय रहस्यमय है. यह ऐसे समय मुखर हुआ है जब भारत एवं अमेरिका ने चीन के ऐप्स पर रोक लगा दी है. अमेरिका एवं यूके ने अपने 5जी नेटवर्क में हुआवे के शामिल होने पर रोक लगा दी है और बाकी दुनिया भी धीरे-धीरे मगर पक्के तौर पर ऐसे प्रतिबंध लगाने की ओर बढ़ रही है. यूरोप के नाकाम दौरे, जहां वांग ने चेक सीनेट के अध्यक्ष मिलोस व्यस्त्रसिल को ताईवान की यात्रा करने पर चेतावनी दी जिसकी जर्मन विदेश मंत्री हेको मास ने निंदा की. चीन अब प्रौद्योगिकीय दख़ल देने के फेर में है क्योंकि जहां उसकी कूटनीतिक घुसपैठ नाकाम हो रही है वहां वो डेटा की चोरी पर रोक लगाने की बात कर कर रहा है जबकि उसका अपना रिकॉर्ड, ख़ुद उसके राष्ट्रीय खुफ़िया कानून द्वारा संस्थागत होके भी बहुत खराब है. (यहां पेपर पढ़ें). यह देशों से अन्य देशों की बड़े पैमाने पर खुफ़िया निगरानी से बाज आने को कहने की कोशिश कर रहा है जबकि ऑस्ट्रेलिया ने अपने महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में चीन के निवेशों पर रोक लगा दी है. अमेरिका ने भी हुआवे को उसी कारण से प्रतिबंधित कर दिया है. हम भारत द्वारा ऐसी कार्रवाई का इंतज़ार कर रहे हैं. सीसीपी ”कुछ एकल देशों” पर अपना बाजू मरोड़ने का ऐसे समय आरोप लगा रही है जब पार्टी ”सभी के अध्यक्ष’‘शी जिनपिंग के नेतृत्व में अपनी सीमाओं के आसपास तथा दक्षिण चीन सागर में छोटे-छोटे देशों का गला घोंट रही है.
एकल देश, विशेषकर जी-7 देशों तथा भारत को सावधान रहने तथा अब बौरा चुकी तानाशाह सीसीपी के हाथों 21वीं सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को चलाने वाले सबसे बड़े माध्यम दूरसंचार मानकों का कब्ज़ा रोकने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है.
डब्लूएचओ में इसकी हरकतों के हिसाब से तो हम संयुक्त राष्ट्र एवं उसकी संस्थाओं पर निष्पक्षता के लिए कतई भरोसा नहीं कर सकते. एकल देश, विशेषकर जी-7 देशों तथा भारत को सावधान रहने तथा अब बौरा चुकी तानाशाह सीसीपी के हाथों 21वीं सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को चलाने वाले सबसे बड़े माध्यम दूरसंचार मानकों का कब्ज़ा रोकने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है.
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Gautam Chikermane is Vice President at Observer Research Foundation, New Delhi. His areas of research are grand strategy, economics, and foreign policy. He speaks to ...
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