Expert Speak Raisina Debates
Published on May 04, 2023 Updated 0 Hours ago

भारत के एकदम पड़ोस में चीन की बढ़ती मौजूदगी चिंता का विषय है.

भारत के पड़ोसी इलाकों के आस-पास चीन की ‘नागरिक’ और ‘सैनिक’ स्तर पर घुसपैठ की कोशिश!

इस बात के संकेत हैं कि चीन कोविड से जुड़ी अपनी पाबंदियों को कम कर रहा है और एक बार फिर से अपने पड़ोस के देश में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है. भूटान और चीन के बीच सीमा को लेकर बातचीत के ताज़ा दौर से ये पता चलता है. म्यांमार के कोको आईलैंड में सैन्य सुविधा के निर्माण की ख़बर और श्रीलंका में रिमोट सैटेलाइट रिसीविंग ग्राउंड स्टेशन का प्रस्ताव भारत के लिए ताज़ा सिरदर्द है. इसके कारणों को तलाश करना बड़ा काम नहीं है. अगर चीन की ये योजनाएं वाकई सही हैं तो इनके ज़रिए पूरे क्षेत्र में चीन को निगरानी की सुविधा मिल सकती है.

भूटान और चीन के बीच सीमा को लेकर बातचीत के ताज़ा दौर से ये पता चलता है. म्यांमार के कोको आईलैंड में सैन्य सुविधा के निर्माण की ख़बर और श्रीलंका में रिमोट सैटेलाइट रिसीविंग ग्राउंड स्टेशन का प्रस्ताव भारत के लिए ताज़ा सिरदर्द है.

चीन के कुनमिंग में दोनों पक्षों के बीच सीमा वार्ता को लेकर भारत में असमंजस की स्थिति उस वक़्त बनी जब भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने फरवरी में बेल्जियम के एक अख़बार को इंटरव्यू दिया. जनवरी में कुनमिंग में बातचीत के दौरान दोनों देशों के विशेषज्ञ अपनी सीमा वार्ता को 'आगे बढ़ाने' और समझौते तक पहुंचने के लिए सहमत हुए. एक महीने बाद अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री शेरिंग मतभेदों को कम करके बताते देखे गए. उन्होंने कहा कि 'कुछ क्षेत्रों (केवल?) का सीमांकन अभी तक नहीं किया गया है'.

चीन को लेकर परंपरागत चिंताओं के अलावा इस ख़ास मामले में भारत डोकलाम ट्राई-जंक्शन को लेकर भूटान का रुख़ जानने के बारे में उत्सुक था. जैसा कि याद किया जा सकता है कि 2017 में भारत और चीन के बीच एक सैन्य गतिरोध बना था. ये गतिरोध उस समय पैदा हुआ जब कथित तौर पर चीन ने भूटान के क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की और उसके बाद भूटान ने भारत की मदद मांगी थी. हालांकि, कहा जाता है कि भारत की चिंताओं का समाधान अप्रैल के पहले हफ़्ते में भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल के दिल्ली दौरे के दौरान किया गया जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य बड़े सरकारी नेताओं के साथ मुलाक़ात की. 

हस्तक्षेप नहीं करने की शर्त 

इस संपूर्ण पृष्ठभूमि में अमेरिका के एक थिंक-टैंक ने हाल की एक सैटेलाइट तस्वीर की व्याख्या करते हुए म्यांमार के कोको आईलैंड में चीन के अड्डे की संभावना का संकेत दिया है. कोको आईलैंड भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीप से ज़्यादा दूर नहीं है. रिपोर्ट में ये भी सुझाव दिया गया है कि श्रीलंका में चीन के नियंत्रण वाले क्षेत्र हंबनटोटा में भी इसी तरह के अड्डे का प्रस्ताव दिया गया है

एनालिसिस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोको आईलैंड के अड्डे, जिसमें एक आवासीय ब्लॉक शामिल है, का उपयोग पूरे क्षेत्र में जासूसी के लिए किया जा सकता है. चीन का इरादा और उसकी वजह से कार्रवाई चाहे जो भी हो लेकिन इसको लेकर भारत को विशेष रूप से चिंतित होना चाहिए, न सिर्फ़ अपने लिए बल्कि अपने आस-पास के छोटे देशों के लिए भी.  

एनालिसिस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोको आईलैंड के अड्डे, जिसमें एक आवासीय ब्लॉक शामिल है, का उपयोग पूरे क्षेत्र में जासूसी के लिए किया जा सकता है.

रिपोर्ट में विशेष रूप से पिछले साल चीन के जासूसी जहाज़ युआन वांग-5 के हंबनटोटा बंदरगाह पर आने के विवाद का हवाला दिया गया है जिसकी वजह से भारत और कई पश्चिमी देशों में हलचल बढ़ गई थी. रिपोर्ट में ये भी जोड़ा गया है कि श्रीलंका में चीन का ग्राउंड स्टेशन वो काम कर सकता है जिसके लिए जहाज़ को भेजा गया था. अमेरिकी विश्लेषण में चीन और अर्जेंटीना के बीच पूर्व के एक समझौते का भी हवाला दिया गया है जिससे संकेत मिलता है कि स्थानीय सरकार चीन के नये अड्डे में चीन की गतिविधियों को लेकर न तो सवाल उठा सकती है, न ही उसमें हस्तक्षेप कर सकती है. ये साफ़ नहीं है कि इस तरह की शर्त को श्रीलंका के द्वारा हंबनटोटा को 99 साल के लिए लीज़ पर चीन को देते वक़्त कर्ज़ के बदले हिस्सेदारी के समझौते में भी शामिल किया गया था या नहीं.

श्रीलंका का इनकार

श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने अमेरिकी थिंक-टैंक की रिपोर्ट का खंडन किया है. उन्होंने कहा है कि रडार आधारित या इस तरह के अड्डे की स्थापना के लिए किसी भी तरह का (चीनी) अनुरोध नहीं किया गया है. इस प्रकार कोई मंज़ूरी नहीं दी गई है. क्या इसका ये मतलब है कि अगर अर्जेंटीना की तरह की शर्त लीज़ के दस्तावेज़ में पहले से मौजूद है तो चीन को हंबनटोटा में किसी भी तरह की गतिविधि के लिए श्रीलंका की सरकार से मंज़ूरी लेने की आवश्यकता नहीं है? 

जो भी हो लेकिन श्रीलंका के सत्ताधारी गठबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले 15 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल के पिछले दिनों चीन की यात्रा ने देश के भीतर और बाहर चिंता बढ़ा दी है. इस प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के पांच प्रतिनिधि शामिल थे. वैसे इस पार्टी का सिर्फ़ एक सदस्य 225 सदस्यों वाली संसद में मौजूद है. 

प्रतिनिधिमंडल के 10 सदस्य श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (SLPP) से जुड़े हुए हैं. इस पार्टी की स्थापना राजपक्षे परिवार ने की थी. सरकार में SLPP की भागीदारी और संसद में समर्थन की वजह से ही विक्रमसिंघे राष्ट्रपति के पद पर बने हुए हैं. सूची में राजपक्षे के संबंधी भी शामिल हैं. इस दौरे से अलग, साख गंवा चुके पूर्व राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे इस साल फरवरी में कोविड के बाद संभवत: चीन का दौरा करने वाले श्रीलंका के पहले नेता बन गए हैं. 

पेट्रोलियम संधि

इन घटनाक्रमों से अलग श्रीलंका के जाफना से प्रकाशित होने वाले एक तमिल भाषी अख़बार ने ख़बर दी कि चीन के ग्लोबल टेलीविज़न ने 10 दिनों के सैटेलाइट आधारित ट्रांसमिशन का टेस्ट किया है जिसमें श्रीलंका के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, जो भारतीय तट के नज़दीक है, को शामिल किया गया है. ग्लोबल टीवी का पिछले कुछ वर्षों से श्रीलंका के कुछ हिस्सों में टेरेस्ट्रियल ट्रांसमिशन चल रहा है. 

एक अन्य घटनाक्रम के तहत, जो भारत के लिए ज़्यादा चिंताजनक हो सकता है, चाइना पेट्रोलियम एंड केमिकल कॉरपोरेशन या साइनोपेक और श्रीलंका सरकार पेट्रोलियम उत्पादों के आयात और खुदरा बिक्री के लिए एक समझौते को अंतिम रूप दे रहे हैं. ख़बरों के मुताबिक़ इस समझौते पर मई में हस्ताक्षर होगा और उसके 45 दिनों के बाद अलग-अलग कंपनियां अपना काम शुरू करेंगी. 

श्रीलंका और मालदीव में कोविड लॉकडाउन बीते दिनों की बात होने के बाद भारत की कंपनी एफकॉन्स ने भारत के पैसे से बनाए जा रहे 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रतिष्ठित थिलामाले समुद्री पुल पर काम शुरू कर दिया है.

पिछले साल डॉलर की कमी की वजह से ईंधन संकट के बाद नीतिगत तौर पर सरकार ने ऑस्ट्रेलिया की यूनाइटेड पेट्रोलियम कंपनी और अमेरिका की एम पार्क्स कंपनी की तरफ़ से इसी तरह के प्रस्तावों को भी मंज़ूरी दी है. खुली निविदा प्रक्रिया के तहत मिले 26 प्रस्तावों में से इन्हें मंज़ूर किया गया है. इस बात से ध्यान नहीं हटा है कि ईंधन संकट उस वक़्त आया जब सार्वजनिक क्षेत्र की सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (CPC) और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) के बीच लंका IOC (LIOC) के रूप में एक संयुक्त उपक्रम था जो पूरे देश में पेट्रोलियम उत्पादों की मार्केटिंग भी कर रही थी. 

भारत ने भी पिछले साल की शुरुआत में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था (आर्थिक संकट और उसके परिणामस्वरूप अरगालया सामूहिक प्रदर्शन से पहले). इसका उद्देश्य साझा भंडारण और उपयोग के लिए पूर्वी त्रिंकोमाली के दो ‘टैंक फार्म’ में पुराने तेल टैंक में से ज़्यादातर का नवीनीकरण करना था. दोनों पक्ष साझा रूप से फार्म में 99 में से 61 टैंक का नवीनीकरण करेंगे जबकि 24 को CPC और 14 को LIOC के द्वारा सुधारा जाएगा. ये समझौता 50 साल के लिए रहेगा. इसमें होने वाले निवेश को विशाल माना जा रहा है और जब काम शुरू होगा तो काफ़ी समय लगेगा. 

मालदीव में चीन की परियोजनाएं 

पड़ोसी देश मालदीव में चीन ने 4 समझौता ज्ञापनों/लेटर ऑफ एक्सचेंज के ज़रिए फिर से प्रवेश किया है. ये समझौते चाइनीज़ इंटरनेशनल डेवलपमेंट कोऑपरेशन एजेंसी (CIDCA) के उपाध्यक्ष डेंग बोक्विन के पिछले दिनों संपन्न दौरे में हुए. मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद और चीन की राजदूत वैंग लिक्शिन इस अवसर पर मौजूद थीं. 

प्रमुख समझौतों के तहत 2023-25 के लिए द्विपक्षीय विकास सहयोग योजना, मालदीव के राष्ट्रीय संग्रहालय की मरम्मत, राजधानी माले और हवाई अड्डा वाले द्वीप हुलहुमाले को जोड़ने वाला और चीन के फंड से तैयार सिनामाले समुद्री पुल की देखरेख और द्वीपों में चार अस्पतालों के निर्माण की व्यावहारिकता पर अध्ययन शामिल हैं. चीन के मेहमान ने उप राष्ट्रपति फ़ैसल नसीम से शिष्टाचार भेंट भी की जिन्होंने कहा कि चीन ने मालदीव के ‘सामाजिक-आर्थिक विकास में बहुत अधिक योगदान’ दिया है. 

एक अलग लेकिन संबंधित घटनाक्रम के तहत मालदीव फंड मैनेजमेंट कॉरपोरेशन (MFMC) ने चीन के पैसे से दक्षिणी अद्दू सिटी में बनाई जा रही 145 मिलियन अमेरिकी डॉलर की हंकेदे पर्यटन विकास परियोजना का काम चाइना नेशनल इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कंपनी (CNEEC) को सौंपा है. लंबे समय से फंसी इस परियोजना को लेकर सत्ताधारी पार्टी MDP से संबंध रखने वाले अद्दू के मेयर अली निज़्ज़र ने जहां फ़ौरन चीन की कंपनी को काम मिलने का स्वागत किया वहीं स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की कंपनी पर विश्व बैंक ने ज़ांबिया में किए गए ग़लत कामों की वजह से ‘आर्थिक प्रतिबंध’ लगा रखा है. विपक्षी PPM-PNC के द्वारा नियंत्रित माले नगरपालिका परिषद ने भी माले की एक मुख्य सड़क बोदुथकुरुफानु मागु की मरम्मत का काम चीन की हुनान कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन को सौंपा है. ये परियोजना 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर की है. चीन की कंपनी को ये काम तब सौंपा गया है जब 2018 में बनाई गई माले-हुलहुमाले सड़क पर 32 जगह दरार आ गई है. माले की सड़क के ठेके की शर्तों के मुताबिक़ इस काम को 30 दिनों में पूरा करना है. 

पर्यटन मालदीव का मुख्य आर्थिक आधार है और कोविड के बाद पिछले कुछ महीनों में इसने तेज़ी से रफ़्तार पकड़ी है. चीन की राजदूत ने कहा है कि चीन के सैलानी आने वाले महीनों में और ज़्यादा संख्या में मालदीव घूमने के लिए आएंगे. इसकी शुरुआत मई में पांच दिनों की छुट्टी से होगी. वर्तमान में विदेशी पर्यटकों की संख्या के मामले में रूस सबसे आगे है. यूक्रेन युद्ध के बावजूद रूस ने पर्यटकों की संख्या के मामले में पड़ोसी देश भारत को दूसरे नंबर पर पछाड़ दिया है. 

श्रीलंका और मालदीव में कोविड लॉकडाउन बीते दिनों की बात होने के बाद भारत की कंपनी एफकॉन्स ने भारत के पैसे से बनाए जा रहे 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रतिष्ठित थिलामाले समुद्री पुल पर काम शुरू कर दिया है. जब ये पुल पूरी तरह बन जाएगा तो राजधानी माले को व्यावसायिक बंदरगाह और औद्योगिक द्वीप से जोड़ेगा. इसके अलावा ये पुल माले की सड़कों पर भीड़ को कम करेगा जो कि दुनिया में सबसे भीड़-भाड़ वाली राजधानियों में से एक है. 

मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह की सरकार ने स्पष्ट किया है कि यद्यपि भारत की निर्माण कंपनी का स्वामित्व हाल के दिनों में कई बार बदला गयाहै और मालदीव सरकार को इस मामले में भरोसे में नहीं लिया गया है लेकिन इसके बावजूद इस काम में और दूसरी परियोजनाओं में कोई कमी नहीं होगी. ये अपने आप में बहुत कुछ कहता है. 

हालांकि ये देखना बाक़ी है कि चीन के साथ समझौता और विशेष रूप से खुदरा ईंधन की बिक्री यहां से कैसे आगे बढ़ती है- श्रीलंका को पेट्रोलियम की आपूर्ति में मदद करनी है या इस क्षेत्र में भारत के साथ मुक़ाबला करना है. शुरुआत करने वालों के लिए ये बहुत कुछ कह रहा होगा.


चेन्नई में रहने वाले एन. सत्या मूर्ति नीति विश्लेषक और समीक्षक हैं.

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