Author : Manoj Joshi

Published on Dec 10, 2020 Updated 0 Hours ago

ऐसा लगता है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी, इनोवेशन, आत्मनिर्भरता और ‘दोहरे सर्कुलेशन’ की हवाबाज़ी पर ज़ोर देकर, अपने देश को ये समझाना चाहती है कि बाक़ी दुनिया की अर्थव्यवस्था से चीन के अलगाव की प्रक्रिया जारी है और इससे आख़िर में चीन का ही भला होगा.

भविष्य के लिए चीन की आर्थिक योजनाएं: संकेतों को पढ़ने का प्रयास

अक्टूबर के आख़िरी हफ़्ते में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का पांचवां महाअधिवेशन संपन्न हुआ. इस अधिवेशन का निष्कर्ष क्या निकला इसे समझने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के एक भाषण पर नज़र डालना उपयोगी होगा. वैसे तो शी जिनपिंग ने ये भाषण अप्रैल महीने में ही दिया था. लेकिन, इसे पहली बार एक नवंबर को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) की वैचारिक पत्रिका क़िशी में प्रकाशित किया गया था.

जिनपिंग के इस भाषण के बारे में ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि चीन का नेतृत्व एक ऐसी रणनीति का संकेत दे रहा है, जिसका लक्ष्य घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूत बनाकर और स्वदेशी इनोवेशन को बढ़ावा देकर, ‘अर्थव्यवस्था और महत्वपूर्ण तकनीक में पूरी तरह निर्भर बनना है.’ ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि चीन को ये क़दम इसलिए उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था को ‘बाहरी ताक़तों से ख़तरा’ बढ़ रहा है. ‘बाहरी ताक़तों के ख़तरे’ का अंदाज़ा पिछले कुछ वर्षों में चीन को तकलीफ़देह तरीक़े से हुआ है, क्योंकि अमेरिका के दबाव में कई देशों ने अपने यहां के दरवाज़े चीन की हुवावेई, बाइटडांस और टेनसेंट जैसी कंपनियों के लिए बंद कर दिए हैं. यहां तक कि चीन के साथ दोस्ताना ताल्लुक़ात रखने वाले यूरोपीय यूनियन के देश भी चीन की कंपनियों को लेकर अपने विकल्पों पर पुनर्विचार कर रहे हैं.

शी जिनपिंग की अगली आर्थिक रणनीति?

अपने भाषण में शी जिनपिंग ने इस रणनीति के बारे में विस्तार से चर्चा की (हमने जिनपिंग के मैन्डैरिन में दिए गए भाषण का गूगल ट्रांसलेट से अनुवाद किया है), जिसे बाद में ‘डुअल सर्कुलेशन’ का नाम दिया गया. इस रणनीति में अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर घरेलू उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखलाओं और बाज़ारों पर निर्भर होती है. विदेशी व्यापार उसके लिए दोयम प्राथमिकता का होता है. शी जिनपिंग ने अपने देशवासियों से ये अपील भी की कि वो मध्यम से लंबी अवधि के लिए कोर तकनीकों जैसे कि हाई-स्पीड रेल, बिजली के उपकरण, नई ऊर्जा, टेलीकॉम के उपकरणों के विकास पर भी ध्यान दें. जिनपिंग ने कहा कि ‘देश के औद्योगिक और राष्ट्रीय सुरक्षा’ संबंधी हितों के लिए आवश्यक है कि, ‘चीन स्वायत्त, नियंत्रित, सुरक्षित और भरोसेमंद’ घरेलू उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भरता बढ़ाए. जिनपिंग ने चीन के विशाल मध्यम वर्ग की तारीफ़ करते हुए, इसे विश्व का सबसे बड़ा ग्राहक बाज़ार बताया. उन्होंने कहा कि खपत को विकास का वाहक बनाने से देश के मध्यम वर्ग का विकास होगा और लोगों के बीच शहरी जीवन का अनुभव बढ़ेगा.

शी जिनपिंग ने अपने देशवासियों से ये अपील भी की कि वो मध्यम से लंबी अवधि के लिए कोर तकनीकों जैसे कि हाई-स्पीड रेल, बिजली के उपकरण, नई ऊर्जा, टेलीकॉम के उपकरणों के विकास पर भी ध्यान दें.

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का महाधिवेशन उस विषय पर चर्चा के लिए बुलाया गया था, जिसे चीन में आधिकारिक रूप से ‘देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास 14वीं पंचवर्षीय योजना (2021-205) और वर्ष 2035 तक के लिए लंबी अवधि के लक्ष्य’ का नाम दिया गया है. इस समय चीन में ये योजना बनाने पर काम चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि चीन की संसद यानी नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के अगले बसंत में होने वाले वार्षिक सत्र में इस योजना को मंज़ूरी दे दी जाएगी. बीजिंग में हुए चार दिनों के महाधिवेशन की अध्यक्षता राष्ट्रपति जिनपिंग ने की थी और इसमें देश के 350 उच्च स्तर के अधिकारी शामिल हुए थे. इसमें अर्थव्यवस्था को घरेलू शक्ति से विकसित करने पर ज़ोर दिया गया.

इस महाधिवेशन के बाद जारी किए गए बयान (जिसे गूगल ट्रांसलेट से अनूदित किया गया है) में चौंकाने वाली कोई बात है नहीं. उम्मीद के मुताबिक़, इसमें चीन की तकनीकी क्षमताओं के विकास और आत्म-निर्भरता पर ज़ोर दिया गया है. इसके साथ साथ देश की सुरक्षा और सैन्य बलों के आधुनिकीकरण की बातें कही गई हैं. इसके अलावा इस दस्तावेज़ में, ‘डुअल सर्कुलेशन’ का भी ज़िक्र है.

वर्ष 2035 से आगे के लिए इस महाधिवेशन में चीन के लिए ‘समाजवादी आधुनिकीकरण’ का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसका मक़सद देश की आर्थिक और तकनीकी ताक़त को मज़बूती देने व शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों के निवासियों की प्रति व्यक्ति आय को बढ़ावा देना है. 

चीन की चौदहवीं पंचवर्षीय योजना में 12 विषयों पर ज़ोर देने की बात कही गई है. इनमें वैज्ञानिक तकनीकी आत्म-निर्भरता और इनोवेशन, एक आधुनिक औद्योगिक व्यवस्था, एक मज़बूत घरेलू बाज़ार, सुधार, कृषि को प्राथमिकता, क्षेत्रीय विकास एवं शहरीकरण, सांस्कृतिक या सॉफ्ट पावर, हरित विकास, विदेशी संबंधों, नागरिकों के लिए बेहतर जीवन, अर्थव्यवस्था के नागरिक और सैन्य क्षेत्रों के एकीकरण और सैन्य आधुनिकीकरण जैसे विषय शामिल हैं.

वर्ष 2035 से आगे के लिए इस महाधिवेशन में चीन के लिए ‘समाजवादी आधुनिकीकरण’ का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसका मक़सद देश की आर्थिक और तकनीकी ताक़त को मज़बूती देने व शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों के निवासियों की प्रति व्यक्ति आय को बढ़ावा देना है. चीन को ये अपेक्षा है कि तब तक वो एक आधुनिक अर्थव्यवस्था के निर्माण का कार्य पूरा कर लेगा, जो नए औद्योगीकरण, IT के उपयोग और कृषि के आधुनिकीकरण से संभव होगा. इसी तरह, सेना के आधुनिकीकरण का लक्ष्य भी प्राप्त किया जा चुका होगा. उस समय तक चीन की प्रति व्यक्ति GDP औसत रूप से विकसित देशों के बराबर होगी और शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों और अलग अलग इलाक़ों के बीच असमानता भी कम हो चुकी होगी. जैसा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा है, चीन के लिए वर्ष 2035 तक औसत दर्जे का विकसित देश बनने का मतलब होगा प्रति व्यक्ति GDP को 30 हज़ार डॉलर प्रति व्यक्ति तक पहुंचाना. जबकि इस समय चीन की प्रति व्यक्ति GDP 10,262 डॉलर है, जो दक्षिण कोरिया के मौजूदा स्तर के बराबर है.

चीन अपनी अर्थव्यवस्था के मौजूदा आकार को वर्ष 2035 तक दोगुना करने का लक्ष्य भी हासिल कर सकता है. इसके लिए चीन को हर साल पांच प्रतिशत की दर से अपनी GDP बढ़ानी होगी. 

चीन की जो योजना उभरकर सामने आ रही है, उससे इस बात का कोई संकेत नहीं मिलता कि चीन ने अपने विकास के लिए किसी औपचारिक दर को प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है या नहीं. अब उन्होंने इस योजना के दौरान, अपनी वार्षिक वृद्धि का आकलन करने के लिए कोई और पैमाने तय किए हैं, ये तो आगे चलकर ही पता चलेगा. तेरहवीं पंचवर्षीय योजना में चीन ने 6.5 प्रतिशत की वार्षिक विकास दर और वर्ष 2010 से 2020 के बीच अर्थव्यवस्था को दोगुना करने का लक्ष्य रखा था. कोविड-19 के कारण, चीन इस लक्ष्य को प्राप्त करने से थोड़ा पीछे रह जाएगा, हालांकि चीन ने इस योजना के अपने अधिकतर लक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं. वैसे शी जिनपिंग के व्याख्यान जिसे 3 नवंबर को सार्वजनिक किया गया, में उन्होंने कहा कि चीन के लिए उच्च आमदनी वाले देशों के मौजूदा मानक को प्राप्त कर पाना संभव है और चीन अपनी अर्थव्यवस्था के मौजूदा आकार को वर्ष 2035 तक दोगुना करने का लक्ष्य भी हासिल कर सकता है. इसके लिए चीन को हर साल पांच प्रतिशत की दर से अपनी GDP बढ़ानी होगी. इस बयान से साफ़ है कि चीन ने कोई स्पष्ट लक्ष्य नहीं निर्धारित किया, मगर संकेतों में इन लक्ष्यों का हवाला मिलता है. इसके बावजदू, चीन का ज़ोर तकनीकी इनोवेशन, उद्योगों और आपूर्ति श्रृंखलाओं के आधुनिकीकरण और घरेलू बाज़ार के विकास से तेज़ आर्थिक वृद्धि करने पर है.

चीन के सामने सबसे बड़ी चुनौती 

चीन की इन योजनाओं की राह में सबसे बड़ी चुनौती अमेरिका के साथ बढ़ता तनाव है. फाइनेंशियल टाइम्स ने पंचवर्षीय योजनाओं में चीन की निर्माण क्षेत्र संबंधी नीतियों पर सलाह देने वाले चीन की सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा है कि राष्ट्रपति ट्रंप रहें या जो बाइडेन, ‘ये तय है कि अमेरिका और चीन के बीच औद्योगिक रूप से अलगाव का ये सिलसिला आगे भी जारी रहेगा.’

हालांकि, कम से कम सार्वजनिक स्तर पर चीन के अधिकारी, अमेरिका से अलगाव की बातों को बहुत हवा नहीं देते. महाधिवेशन के बाद प्रेस से बात करते हुए, वित्तीय मामले देखने वाले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के एक बड़े अधिकार हान वेनशियु ने कहा कि, अमेरिका और चीन के बीच अलगाव वास्तविकता से परे है. इससे अमेरिका और चीन, दोनों की अर्थव्यवस्था को नुक़सान होगा. वेनशियु ने डुअल सर्कुलेशन की अहमियत पर ज़ोर देते हुए कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार एक दूसरे का सहयोग करेंगे और विकास की नींव घरेलू बाज़ार होंगे.

पर्यवेक्षकों को ये उम्मीद है कि आने वाले समय में अनुसंधान एवं विकास (R&D) चीन का निवेश बहुत बढ़ेगा, ख़ास तौर से बायोटेक्नोलॉजी, न्यू एनर्जी व्हीकल और सेमी-कंडक्टर्स के क्षेत्र में. 

इसी प्रेस कांफ्रेंस में चीन के विज्ञान एवं तकनीक मंत्री वैंग झिगैंग ने कहा कि, तकनीकी आत्मनिर्भरता की रणनीति आज चीन की बड़ी ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि, ‘हमें स्वतंत्र इनोवेशन को बढ़ावा देना होगा क्योंकि महत्वपूर्ण तकनीकें न तो ख़रीदी जा सकती हैं और न ही किसी से मांगी जा सकती हैं.’

पर्यवेक्षकों को ये उम्मीद है कि आने वाले समय में अनुसंधान एवं विकास (R&D) चीन का निवेश बहुत बढ़ेगा, ख़ास तौर से बायोटेक्नोलॉजी, न्यू एनर्जी व्हीकल और सेमी-कंडक्टर्स के क्षेत्र में. उम्मीद की जा रही है कि चीन, अनुसंधान और विकास में अपने मौजूदा निवेश जो GDP 2.2 फ़ीसद है, को बढ़ाकर 3 प्रतिशत करेगा. फिर भी चीन की महत्वाकांक्षाओं और मौजूदा परिस्थितियों में बहुत फ़ासला है. ये अंतर सेमी-कंडक्टर्स के मामले में तो बहुत ही अधिक है. चीन ने पिछले ही वर्ष अमेरिका से 300 अरब डॉलर के चिप ख़रीदे थे. एक अनुमान के मुताबिक़, वर्ष 2019 में चीन ने अपनी ज़रूरत के महज़ 16 प्रतिशत चिप का निर्माण अपने यहां किया था. ज़ाहिर है, ऐसे हालात में ये आत्म-निर्भरता का दावा, एक खोखली नारेबाज़ी के सिवा कुछ नहीं है.

कुल मिलाकर कहें, तो चीन की सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी दुनिया को ये जताने की कोशिश कर रही है कि दुनिया के तमाम बड़े देशों से दुश्मनी मोल लेकर भी उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महाधिवेशन में आत्म-निर्भरता, इनोवेशन और ‘डुअल सर्कुलेशन’ जैसे हवा-हवाई वाले बयानों पर ज़ोर देकर, ये जताया जा रहा है कि इस समय बाक़ी देशों के साथ चीन के अलगाव की आपदा को भी आगे चलकर चीन अपने लिए अवसर में तब्दील कर लेगा.

चीन दुनिया की इकलौती बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका इस साल विस्तार हुआ है, जबकि बाक़ी बड़े देशों की अर्थव्यवस्थाएं इस महामारी के कारण सिकुड़ी ही हैं. 

वहीं, दूसरी तरफ़ चीन दुनिया की इकलौती बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसका इस साल विस्तार हुआ है, जबकि बाक़ी बड़े देशों की अर्थव्यवस्थाएं इस महामारी के कारण सिकुड़ी ही हैं. निश्चित रूप से चीन को बाक़ी दुनिया से अलग होने से जो झटका लगेगा, वो कुछ वर्षों तक इस विकास दर से उस नुक़सान की भरपाई कर सकेगा. इसके अलावा वित्तीय क्षेत्र को खोलने जैसे सुधार के माध्यम से चीन पश्चिमी देशों के बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने साथ कारोबार जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने की उम्मीद रखता है. चीन की रणनीति ये है कि वो शेनझेन और हैनान के विशेष आर्थिक क्षेत्रों को तकनीक, वित्त और उद्योगों के वैश्विक हब के रूप में विकसित कर सके. दोनों ही क्षेत्रों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वो ज़्यादा से ज़्यादा विदेशी निवेश की नीति को बढ़ावा दें. शेनझेन ही वो क्षेत्र था जहां से चीन के आर्थिक विकास की शुरुआत हुई थी. अब शी जिनपिंग और उनके सहयोगी ये उम्मीद लगा रहे हैं कि गुआंगडॉन्ग-मकाओ-हॉन्ग कॉन्ग के विस्तृत क्षेत्र के माध्यम से चीन अपने सामने खड़ी नई चुनौतियों से निपट सकेगा.

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