मल्टीलेटरलिज्म वर्तमान समय में बड़े युद्धों का सामना कर रहा है, जिससे संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की प्रासंगिकता पर सवाल उठ रहे हैं. यूएन युद्धों को समाप्त करने में नाकाम साबित हो रहा है, जैसा कि एंटोनियो गुटेरेस के विचारों में झलकता है. इस संदर्भ में, सुधार को प्राथमिकता देना आवश्यक है. यूएन अगर अपनी भूमिका नहीं निभाता, तो वैश्विक संगठनों के बीच विभाजन होगा.
संयुक्त राष्ट्र को अपनी स्थिति को मजबूत करने की आवश्यकता है, क्योंकि अन्य संस्थाएं उभर रही हैं और उनकी प्रासंगिकता पर संदेह कर रही हैं. यदि यूएन में सुधार नहीं हुआ, तो यह एक बड़ी हानि साबित होगी, और क्षेत्रीय देश अपनी स्थिति को और मजबूत करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि वे दुनिया की एक बड़ी आबादी की आवाज लेकर आए हैं, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है. क्वाड (QUAD) की उपलब्धियों पर चर्चा भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है.
इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि यूएन को अपनी दिशा और रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता है.