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यूएस की वैश्विक स्वास्थ्य के प्रति मदद में कटौती, विशेषकर मातृ और शिशु स्वास्थ्य की सहायता में कटौती एक गंभीर चुनौती बनकर उभर रही है. लेकिन इससे निम्न और मध्य आय वाले देशों में सतत और आत्मनिर्भर स्वास्थ्य समाधान को बढावा भी मिल सकता है.
Image Source: Getty
यह लेख "स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य" शृंखला का हिस्सा है.
महिलाओं और बच्चों की सेहत संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वैश्विक एकजुटता और प्रतिबद्धता की आवश्यकता है. जनवरी 2025 के बाद से वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में पहले कभी ना देखे गए झटकों का तांता सा लग गया. अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरीका को औपचारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अलग करने का आदेश जारी दिया, संयुक्त राज्य अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएड/USAID) को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू की, एक प्रमुख एचआईवी/एड्स की पहल को निलंबित किया और ग्लोबल गैग रूल को फिर से लागू कर दिया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आकलन के मुताबिक हर साल तीन लाख महिलाएं प्रसव या गर्भावस्था के दौरान अपनी जान गंवा देती हैं, 20 लाख से अधिक शिशु मृत पैदा होते हैं और लगभग इतनी ही संख्या में नवजात शिशुओं की पहले महीने में ही मौत हो जाती है.
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर निकलने की प्रक्रिया में एक साल की अवधि और कांग्रेस की मंज़ूरी की आवश्यकता होती है, लेकिन वैश्विक स्वास्थ्य सेवाओं को सीमित करने का काम शुरु हो चुका है. वहीं यूएसएड के विघटन से संभंव है की अमेरीकी संविधान का उल्लंघन हो चुका है. इस तरह की कार्रवाईयों से जिस तरह का गहरा आर्थिक और तकनीकी असर पड़ा है उससे महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा मंझधार में पड़ गई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आकलन के मुताबिक हर साल तीन लाख महिलाएं प्रसव या गर्भावस्था के दौरान अपनी जान गंवा देती हैं, 20 लाख से अधिक शिशु मृत पैदा होते हैं और लगभग इतनी ही संख्या में नवजात शिशुओं की पहले महीने में ही मौत हो जाती है. प्रसव के बाद रक्तस्राव माताओं की मौत का सबसे बड़ा कारण है. दूसरी बड़ी वजह प्रसूति संबंधी अप्रत्यक्ष मौतें हैं जो पहले से ही मौजूद किसी बीमारी की वजह से हो सकती हैं. तीसरा बड़ा कारण उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है. प्रसवोत्तर रक्तस्राव से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है और उच्च आमदनी वाले देशों में इसे लगभग पूरी तरह से थाम लिया गया है. लेकिन उप-सहारा और उत्तरी अफ़्रीका, पश्चिमी एशिया, दक्षिण अमेरीका और कैरिबियाई देशों में मातृ मृत्यु का अनुपात सबसे ज़्यादा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार साल 2000 से 2015 के बीच वैश्विक मातृ मृत्यु दर (मैटरनल मौर्टेलिटी रेट या MMR) को कम करने में बड़ी सफलता मिली. साल 2000 में 1 लाख जीवित जन्मों पर औसतन 339 मातृ मृत्यु हुई जबकि यही औसत संख्या 2015 में 227 पर आ गई थी. लेकिन साल 2016 से 2020 के बीच मातृ मृत्यु दर मे गिरावट का दौर थम सा गया और 2020 में ये संख्या 223 रही. संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 3.1 (SDG 3.1) के अनुसार साल 2030 तक मातृ मृत्यु दर को 70 प्रति लाख जीवित जन्म पर लाने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन मौजूदा दर पर इस लक्ष्य को हासिल करने की संभावना नहीं दिख रही है. अगर स्वास्थ्य प्रणाली को मज़बूत करने के लिए धन की कमी की समस्या को ठीक से हल नहीं किया गया तो हालात और ख़राब होने का डर है.
जिस तरह से वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े बदलाव हो रहे हैं उससे लगता है कि यूएसएड की विधटन का इससे ख़राब समय और कोई नहीं हो सकता था. यूएसएड शीत युद्ध की विरासत रही जिसने पूरी दुनिया में समय समय पर ज़रूरी मानवीय सहायता पंहुचाकर खुद को सॉफ्ट पावर का मज़बूत साधन बनाया. अब इसे अमेरीका की नई सरकार ने समाप्त कर दिया है.
संयुक्त राष्ट्र एचआईवी /एड्स कार्यक्रम (UNAIDS) का अनुमान है कि राष्ट्रपति की आपातकालीन एड्स राहत योजना (PEPFAR) फ़ंड के नुक़सान के परिणामस्वरूप एचआईवी से संबंधित मौतों में दस गुना बढ़ोतरी होगी और वर्ष 2035 तक लगभग 6.3 मिलियन लोगों की मौत की आशंका बन जाएगी.
एक अनुमान के मुताबिक अमेरिकी विदेशी सहायता की मदद से एचआईवी/एड्स, तपेदिक, मलेरिया, मानवीय सहायता और टीकाकरण जैसी स्वास्थ्य सेवाओं के द्वारा पूरे विश्व में प्रति वर्ष 3,296,991 लोगों की जान बचाई जाती है. लेकिन जब से ट्रंप प्रशासन ने यूएसएड की गतिविधियों की समीक्षा शुरु की है, एजेंसी की 80 प्रतिशत से अधिक परियोजनाओं को समाप्त कर दिया गया है. अमेरीकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के मुताबिक इनमें से कई परियोजनाएं अमेरीकी राष्ट्रीय हित में थे. जिन स्वास्थ्य क्षेत्रों पर सबसे बड़ा असर पड़ा है उनमें से एक मातृ एवं बाल स्वास्थ्य है जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2024 में यूएसएड के फंड में 83 प्रतिशत की कटौती की गई.
वैश्विक एचआईवी देखभाल
यूएसएड क़रारों के ज़रिए से वित्तपोषित कई कार्यक्रमों को भी स्थगित कर दिया गया है. इसका एक उदाहरण है य़ूएस का वैश्विक एचआईवी/एड्स प्रोग्राम जिसे राष्ट्रपति की आपातकालीन एड्स राहत योजना (प्रेसिडेंट्स इमरजेंसी प्लान फ़ॉर एड्स रिलीफ़ या PEPFAR) कहा जाता है. यह कार्यक्रम किसी भी एक देश द्वारा एड्स के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा प्रयास है. इसे साल 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के कार्यकाल में शुरु किया गया था. अब तक इस प्रोग्राम ने 2.6 करोड़ लोगों की जान एचआईवी के उपचार और इसके संक्रमण को फ़ैलने से रोक कर बचाई है और इसे एचआईवी एड्स के ख़िलाफ़ वैश्विक प्रगति का आधार माना जाता है. संयुक्त राष्ट्र एचआईवी /एड्स कार्यक्रम (UNAIDS) का अनुमान है कि राष्ट्रपति की आपातकालीन एड्स राहत योजना (PEPFAR) फ़ंड के नुक़सान के परिणामस्वरूप एचआईवी से संबंधित मौतों में दस गुना बढ़ोतरी होगी और वर्ष 2035 तक लगभग 6.3 मिलियन लोगों की मौत की आशंका बन जाएगी.
निम्न और मध्य आय वाले देशों में एचआईवी मातृ और बाल स्वास्थ्य के लिए सतत चुनौती पेश करता रहता है. PEPFAR ने गर्भवती महिलाओं को एचआईवी उपचार हासिल करने में इसके मां से बच्चे में संचरन को रोकने में मदद की है. एचआईवी का मां से बच्चे में संचरन गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान के दौरान होता है.
सुरक्षित गर्भपात सेवाओं और क़ानूनी सलाह की कमी हो जाने से महिलाएं दूसरे विकल्प तलाशने के लिए मजबूर हो जाती हैं जो असुरक्षित और जानलेवा भी हो सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्तर पर 13 प्रतिशत मातृ मृत्यु असुरक्षित गर्भपात की वजह से होती हैं.
इसे रोकने का एक बेहद प्रभावी तरीक़ा एंटीरेट्रोवाइरल उपचार (एंटीरेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट या ART) है जो भ्रूण में एचआईवी संचरण के जोखिम को 1 प्रतिशत से भी कम कर देता है.
PEPFAR बच्चों के इलाज में भी प्रभावी रहा है; एक अनुमान के मुताबिक पूरी दुनिया में लगभग 13.7 लाख बच्चे एचआईवी संक्रमन के साथ जी रहे हैं. साल 2023 में विश्व स्तर पर 14 साल तक के बच्चों में एक लाख से अधिक नए एचआईवी संक्रमन होने की रिपोर्ट आई थी. PEPFAR कार्यक्रम नवजात शिशुओं में समय-समय पर एचआईवी परीक्षण करवाता रहता है जो की शिशुओं के दो महीने, नौ महीने और 18 महीने की उम्र में किए जाते हैं. इस कार्यकर्म के तहत एचआईवी/एड्स से प्रभावित अनाथ और असुरक्षित बच्चों (जैसे एचआईवी के साथ जी रहे किशोर जिन्होंने एड्स से अपने एक पेरेंट या दोनों माता-पिता को खो दिया है) को परामर्श, शिक्षा, एचआईवी का परीक्षण और उपचार देने की व्यवस्था की जाती है. राष्ट्रपति की आपातकालीन एड्स राहत योजना यानी PEPFAR की मदद से मातृ और बाल स्वास्थ्य के दूसरे पहलूओं में भी बेहतरी आई है. इनमें सर्वाईकल कैंसर की जांच-पड़ताल (एचआईवी से संक्रमित महिलाओं में सर्वाईकल कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है) के अलावा यह सुनिश्चित करना शामिल है कि बच्चों के ज़रूरी और नियमित टीकाकरण व्यवस्थित रूप से संपन्न होते रहें.
PEPFAR के कुछ कार्यक्रम अमेरीकी रोग नियंत्रण औऱ रोकथाम केंद्र (सीडीसी या CDC) के ज़रिए भी चलाए जाते हैं और ये अभी भी चालू हैं. फिर भी PEPFAR के कार्यक्रमों को चलाने के लिए यूएसएड (USAID) ही प्रमुख एजेंसी है और इसे समाप्त करने का असर कई भौगोलिक क्षेत्रों जैसे उप-सहारा अफ़्रीका में एचआईवी परीक्षण, एंटीरेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट या ART और एचआईवी से संबंधित कलंक को ख़त्म करने के लिए सामाजिक सेवाओं पर पड़ेगा. भारत में एचआईवी परीक्षण और ART मुख्य रूप से अपने घरेलू फ़ंड से ही पूरा हो जाता है. PEPFAR की फंडिंग भारत के एचआईवी/एड्स की बजट का केवल 5.6 प्रतिशत हिस्सा है. भारत में PEPFAR के जो कार्यक्रम चल रहे हैं उसे ‘एक्सेलरेट, सनराइज और सनशाइन’ कहा जाता है जिसके तहत एचआईवी की देखभाल सेवाओं में नए और अभिनव दृष्टिकोण लागू किए जाते हैं. भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इस तरह के कार्यक्रमों पर असर पड़ेगा और साथ ही तकनीकी गतिविधियां जैसे एचआईवी का क्लिनिकल परीक्षण और इसकी निगरानी भी प्रभावित हो सकते हैं.
प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों में रुकावट
अमेरीका में नीति बनी थी जिसे ग्लोबल गैग रूल या GGR भी कहते हैं जिसके तहत अमेरीकी वैश्विक स्वास्थ्य फ़ंड हासिल करने वाले संगठनों को गर्भपात की सेवाएं देने और इसकी वकालत या परामर्श के प्रयास करने से भी रोका जाता. GGR नीति की पुनर्स्थापना से महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. GGR यह अनिवार्य करती है कि कोई भी विदेशी गैर-सरकारी संगठन या एनजीओ जो वैश्विक स्वास्थ्य निधि हासिल करते हैं वो इस नीति का पालन करेंगे कि वे किसी भी धन स्रोत, जो गैर अमेरीकी भी हो सकत है, से परिवार नियोजन के एक तरीके के रूप में गर्भपात नहीं करवाएंगे और ना ही उसे सक्रिय रूप से बढ़ावा देंगे.
सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा की आधारशिला मातृ और बाल स्वास्थ्य से ही बनती है और इसके लिए ज़रूरी होता है कि हरेक गर्भावस्था, प्रसव के बाद की अवधि और जन्म स्वस्थ हो, जिसके लिए लगातार गंभीर प्रयासों की ज़रूरत होती है.
लेकिन इस पॉलिसी से स्वास्थ्य के उन कार्यक्रमों की चुनौतियों गंभीर हो जाएंगी जो अनचाहे गर्भधारण, मातृ मृत्यु दर और यौन संचारित रोगों (STD) को रोकने से संबंधित हैं. इसकी वजह से महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों (SRHR) में भी बड़ी बाधा आ जाती है. नीति का पालन करने में विफल होने पर फ़ंड में कटौती कर दी जाती है जो आखिरकार उन ज़रूरी सेवाओं को प्रभावित करता है जो मातृ स्वास्थ्य, गर्भनिरोधक प्रावधान, एचआईवी/एड्स उपचार और गर्भपात के बाद की देखभाल पर केंद्रित रहती हैं.
सुरक्षित गर्भपात सेवाओं और क़ानूनी सलाह की कमी हो जाने से महिलाएं दूसरे विकल्प तलाशने के लिए मजबूर हो जाती हैं जो असुरक्षित और जानलेवा भी हो सकते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्तर पर 13 प्रतिशत मातृ मृत्यु असुरक्षित गर्भपात की वजह से होती हैं. ग्लोबल गैल रूल (GGR) ऐसे व्यवहारों को बढ़ावा देगा, जिससे महिलाओं का जीवन गंभीर ख़तरे में पड़ जाएगा और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार (SRHR) कमज़ोर हो जाएगा. राष्ट्रपति ट्रम्प के पहले कार्यकाल के दौरान GGR ने महत्वपूर्ण प्रजनन अधिकारों पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. इस दौरान गर्भावस्था से संबंधित मौतों में बढ़ोतरी आई थी, गर्भनिरोधक के उपयोग में कमी हुई और प्रजनन के लिए जबरदस्ती देखी गई थी जिसकी वजह से हाशिए के समुदायों की महिलाओं पर असमान रूप से प्रभाव पड़ा था.
वैश्विक स्वास्थ्य पर पुनर्विचार
एक ओर जहां अमेरीकी वैश्विक स्वास्थ्य सहायता की गैर-मौजूदगी निम्न और मध्य आय वाले देशों को तबाह करना जारी रखेगी, वहीं दूसरी ओर वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को उपेक्षित मुद्दों पर ध्यान देने और मातृ और बाल स्वास्थ्य को सुधारने के लिए ज़रूरी रणनीतियां तैयार करने का मौक़ा मिल सकता है.
जहां दक्षिण अफ्रीका ने इन बदलावों को निर्णय लेने में आत्मनिर्भरता और स्वायत्तता के अवसर के तौर पर सराहा है, वहीं कई दूसरे अफ्रीकी देशों ने चुप्पी साध ली है. वैश्विक सहायता के मौजूदा स्वरूप की दक्षता पर बड़े पैमाने पर बहस हुई है जिसमें यूएसएड (USAID) के ऑडिट में सेहत के ख़ास मुद्दों पर रणनीतिक प्राथमिकता की कमी, पर्याप्त निरीक्षण की अनुपस्थिति, योजनाओं की ट्रैकिंग या उनकी प्रगति की कमी, और स्थानीयकरण के लिए बड़े निवेशों के बावजूद मध्यस्थों का प्रभुत्व जैसे मुद्दे शामिल है.
इसके बजाय, सहायता मॉडल के मौजूदा स्वरूपों का पुनर्मूल्यांकन किया जा सकता है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे आबादी की ख़ास ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं और मातृ-बाल स्वास्थ्य सेवा को दीर्घकालिक रूप से मज़बूत कर रहे हैं.
PEPFAR की गतिविधियों का पुनर्मूल्यांकन के बारे में भी विचार किया जा सकता है और देखा जाना चाहिए कि किस तरह यह मदद हासिल करने वाले देशों में एचआईवी कार्यक्रमों को स्थायी रूप से मजबूत बनाने के लिए अनूकूल हो सकता है. इसका एक उदाहरण विएतनाम से मिलता है जहां PEPFAR ने एक अभिनव वित्तीय मॉडल को लागू करके देश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा में एचआईवी सेवाओं को शामिल करने में समर्थन दिया. इसकी मदद से साल 2022 में HIV के साथ जी रहे 100 प्रतिशत लोगों को बीमा सुरक्षा दिया गया. PEPFAR के तहत इसी तरह के मॉडल को दूसरे निम्न और मध्य आय वाले देशों में भी लागू किया जा सकता है.
PEPFAR में जो दूसरे सुधार किए जा सकते हैं उनमें लंबे समय तक काम करने वाली प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PrEP) थेरेपी के लिए निवेश में वृद्धि शामिल है. इसे अत्यधिक प्रभावी माना जाता है और यह कमर्शियल उपयोग और विकास के विभिन्न चरणों में मौजूद है. इन सुधारों में रोग के रुझानों की भविष्यवाणी और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों में डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा देना भी शामिल हैं.
अंत में ये भी कहा जा सकता है कि सहायता में कटौती राष्ट्रीय सरकारों को स्वास्थ्य सेवाओं में आत्मनिर्भरता की राह पर चलने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है. उदाहरण के लिए अफ़्रीकी देश इथियोपिया ने पिछले कुछ दशकों में प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों में काफ़ी सुधार किया है, लेकिन ये मुख्यत: अमेरीकी सहायता पर ही निर्भर रहा है. ट्रम्प 1.0 के दौरान देश के दो प्रमुख एनजीओ GGR का पालन करने में सफल नहीं रहे जिसकी वजह से प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा जो गर्भनिरोधक के उपयोग में कमी, जन्म में वृद्धि और गर्भपात के बाद की देखभाल सेवाओं में कमी से साफ़ नज़र आया. लेकिन इथियोपियाई सरकार ने अपनी लोक स्वास्थ्य सेवाओं में सुरक्षित गर्भपात की मदद करना जारी रखा, जिससे प्रजनन अधिकारों को समर्थन मिला.
निष्कर्ष
आज हम शायद 'वैश्विक स्वास्थ्य के स्वर्ण युग के अंत' पर पहुँच गए हैं. सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा की आधारशिला मातृ और बाल स्वास्थ्य से ही बनती है और इसके लिए ज़रूरी होता है कि हरेक गर्भावस्था, प्रसव के बाद की अवधि और जन्म स्वस्थ हो, जिसके लिए लगातार गंभीर प्रयासों की ज़रूरत होती है. सहायता में अचानक आई फ़ंड की कटौती पर चीख-पुकार उचित है, लेकिन ये निम्न और मध्यम आय़ के देशों के लिए एक संदेश भी है कि सहायता को विकास के लिए ज़रूरी उत्प्रेरक के रूप में देखा जाए जो उन्हें आत्मनिर्भरता के राह पर आगे ले जाता है. वैसे ये भी संभव है कि वैश्विक स्वास्थ्य को सॉफ्ट पावर या नरम शक्ति के रूप में इस्तेमाल करने में अमेरीका की मौजूदा अनिच्छा क्षणिक हो सकती है लेकिन यह भी देखा जाना चाहिए कि वैश्विक स्वास्थ्य गतिविधियां जैसे मातृ और बाल स्वास्थ्य के संचालन को स्थायी प्रथा बनाने की बड़ी संभावना मौजूद है जिससे पूरी दुनिया लाभान्वित हो सकती है.
लेखक - लक्ष्मी रामकृष्णन, एसोसिएट फेलो, हेल्थ इनिशिएटिव, ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन
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Lakshmy is an Associate Fellow with ORF’s Centre for New Economic Diplomacy. Her work focuses on the intersection of biotechnology, health, and international relations, with a ...
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