Author : Sanjay Ahirwal

Published on Jan 16, 2018 Updated 0 Hours ago

आने वाले दिनों में भारत की आर्थिक उन्नति ही विश्व में उसका स्थान तय करेगी। 2017 में भारत की जीडीपी ढाई ट्रिल्यन डॉलर यानी दो लाख पचास हज़ार करोड़ डॉलर की थी जो की विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। अब वक़्त आ गया है जब हम इसे बढ़ा कर अगले दस सालों में सात ट्रिल्यन डॉलर पर पहुँचाएँ जो की हमें तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना देगी।

रायसीना डॉयलॉग — 2018

स्त्रोत: पीटीआई

नया साल आ चुका है और अपने साथ लाया है नयी आशाएँ , नयी शुरुआतें, नयी सम्भावनाएँ। नए साल के साथ ही लोगों का रायसीना डॉयलॉग के नए संस्करण का इंतज़ार भी ख़त्म होता है। इस बार रायसीना डॉयलॉग या वार्तालाप 16 से 18 जनवरी को दिल्ली में हो रहा है।अब्ज़र्वर रीसर्च फ़ाउंडेशन और भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित रायसीना डॉयलॉग का यह तीसरा संस्करण है जिस में एक बार फिर महत्वपूर्ण आर्थिक, सामाजिक, सुरक्षा और सामरिक मुद्दों से जुड़े विषयों पर चर्चा और बहस होगी। विश्व बाज़ार में भारत की स्थिति और लगातार होती आर्थिक उन्नति से यह तो तय है की इक्कीसवीं सदी ऐशियाई देशों ख़ास कर भारत के नाम रहेगी और इसी थीम को आगे बढ़ाते हुए इस साल का विषय है:

MANAGING DISRUPTIVE TRANSITIONS: Ideas, Institutions and Idioms या — संक्रमण दौर की चुनौतियाँ: नए विचारों, नए संस्थानों के बीच सहयोग

हमेशा की तरह इस विषय से जुड़े पहलुओं पर कई विश्व विख्यात हस्तियाँ अपने विचार रखेंगी, जिन में प्रमुख हैं: भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन, विदेश सचिव एस जयशंकर, विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर, विदेश राज्यमंत्री जेनरल (रेटायअर्ड) वी के सिंह, विदेश मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति के चेयरमन शशि थरूर, नागरिक उड्डययन मंत्रालय में राज्यमंत्री जयंत सिन्हा, स्वीडन के पूर्व प्रधान मंत्री कार्ल बिल्दत, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु, अफगनिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री हामिद करजाई, अफगनिस्तान में अमरीकी सेना के कमांडर जेनरल जान निकल्सॉन जुनीयर, भारत के सेना अध्यक्ष जेनरल बिपिन रावत, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा, यूनाइटेड किंगडम के सेनाध्यक्ष जेनरल सर क्रिस डेवरेल, ऑस्ट्रेल्या के नौसेना अध्यक्ष वाइस ऐड्मरल टिम बेरेट्ट। इन सब के साथ रायसीना डॉयलॉग में शिरकत कर रही है कई और बड़ी शक्सियतें और डेलीगेटस।

आने वाले दिनों में भारत की आर्थिक उन्नति ही विश्व में उसका स्थान तय करेगी। 2017 में भारत की जीडीपी ढाई ट्रिल्यन डॉलर यानी दो लाख पचास हज़ार करोड़ डॉलर की थी जो की विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। अब वक़्त आ गया है जब हम इसे बढ़ा कर अगले दस सालों में सात ट्रिल्यन डॉलर पर पहुँचाएँ जो की हमें तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना देगी। पूरी दुनिया की नज़रें इस वक़्त भारत और चीन पर टिकी हुई है। आने वाले तीन दशक हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाले हैं। हम में क़ाबलियत है की हम लोकतंत्र, सुशासन, सामाजिक समरसता, समान विकास के मॉडल को नयी टेक्नॉलजी की मदद से आगे बढ़ाते हुए भारतीय बाज़ार को विश्व के अन्य देशों के लिए ज़्यादा लुभावना और आकर्षक बना सकते हैं।


पूरी दुनिया की नज़रें इस वक़्त भारत और चीन पर टिकी हुई है। आने वाले तीन दशक हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने वाले हैं।


इन्फ़र्मेशन टेक्नॉलजी यानी सूचना प्रौद्योगिकी और डेटा ड्रिवेन डिजिटल रेवेल्युशन के इस दौर में भारत विश्व बाज़ार में एक ऐसी मंज़िल पर खड़ा है जहाँ से सही क़दम उठा कर वो चीन को भी पीछे छोड़ सकता है। अब तक के मानव विकास में ऊर्जा और प्रोध्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस समय एक बड़ी उद्योगिक क्रांति हमारे सामने चुनौती दे रही है। सुपेर इंटेलिजेन्स ऐज, डेटा कनेक्टिविटी और आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स हमें नयी ऊँचाइयों पर पहुँचा सकते हैं।

अगर भारत इस सुपर इंटेलिजेन्स ऐज को आत्मसात करते हुए सही तरह से इस्तेमाल कर ले जाता है तो हमें विश्व में आर्थिक सुपर-पावर बनने से कोई नहीं रोक सकता। और कदाचित यही बात दूसरे देशों को भारत की ओर आकर्षित भी कर रही है।

नए रास्ते तो अवश्य खुल रहे हैं लेकिन चुनौतियाँ और बाधाएँ भी कम नहीं हैं। जहाँ एक और भारत की 63% आबादी तीस साल की उम्र से कम है यानी काम करने वालों की कमी नहीं है, वहीं दूसरी ओर मूलभूत ढाँचे, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी मीलों लम्बे रास्ते तय करने हैं। यहाँ भारत को अपने मित्र देशों की मदद की ज़रूरत पड़ेगी । उनके लिए भी निवेश फ़ायेदा का सौदा होगा क्यूँकि भारत की उन्नति अब रुकने वाली नहीं है। आर्थिक क्षेत्र में हो रहे सुधारों ने देश में व्यापार और निवेश को और भी आकर्षित बना दिया है।


नए रास्ते तो अवश्य खुल रहे हैं लेकिन चुनौतियाँ और बाधाएँ भी कम नहीं हैं। जहाँ एक और भारत की 63% आबादी तीस साल की उम्र से कम है यानी काम करने वालों की कमी नहीं है, वहीं दूसरी ओर मूलभूत ढाँचे, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी मीलों लम्बे रास्ते तय करने हैं।


लेकिन आर्थिक उन्नति विघटनकारी शक्तियों की आँखों को भी बुरी तरह गड़ने लगती है इसलिए ज़रूरी है की देश की सुरक्षा और अखंडता पर भी पूरा ध्यान दिया जाए। विश्व की लोकतांत्रिक शक्तियों के लिए यह ज़रूरी है कि बढ़ते आतंकवाद पर अंकुश लगाया जाए। विघटनकारी शक्तियों और संस्थाओं को क़ाबू में किया जाए। यह वक़्त की ज़रूरत है कि अलग अलग काम करने के बजाए हम एक साथ मिल कर इसका सामना करें। ख़ुफ़िया तंत्र को मज़बूत करते हुए ज़रूरी ख़ुफ़िया सूचना का सही वक़्त पर आदान प्रदान किया जाए । जो देश आतंकवाद पर अंकुश नहीं लगाते या उस पर अंकुश लगाने में नाकामयाब रहे हैं उन पर दबाव डाल उनकी नीति में बदलाव लाने पर ज़ोर दिया जाए।

आज का विश्व सचमुच एक ग्लोबल विलेज बन चुका है। ऐसे में ज़रूरी है की सभी हितधारक, राजनीतिक निर्णयकर्ता, सार्वजनिक नीति बनाने वाले, बड़े कारोबारी, आद्योगिक लीडर, सामरिक समुदाय से जुड़े विशेषज्ञ, मीडिया और शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ एक प्लैट्फ़ॉर्म पर साथ आएँ। विचारों का आदान प्रदान हो ताकि सभी मित्र देश विश्व को सुव्यवस्थित और सम्पन्न भविष्य की ओर ले जाने में सफल हों।

रायसीना डॉयलॉग — 2018 यही प्लैट्फ़ॉर्म दे रहा है। आज के विश्व के बदलते परिवेश में जहाँ एक ओर सामरिक रिश्ते बदल रहे हैं, नए सम्बंध बन रहे हैं, वहाँ वक़्त की नज़ाकत है कि लोकतांत्रिक शक्तियाँ और मित्र देश साथ आएँ, एक दूसरे की ताक़तों और ज़रूरतों को समझें, दोस्ती का हाथ बढ़ाएँ और नए क्षेत्रों में सहयोग करते हुए साथ आगे बढ़ते जाएँ। अब समय आ गया है कि भारत विश्व व्यवस्था में अपना सही स्थान पाए, विश्व को नयी दिशा और विकास को नयी गति दे। इसलिए विश्व स्तर पर सबका साथ सबका विकास का संदेश पहुँचाना रायसीना डॉयलॉग का ऐजेंडा है।

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.