Published on Jul 19, 2021 Updated 0 Hours ago

महामारी के दौरान भरोसेमंद आंकड़ों के अभाव में वास्तविक नुकसान का जायजा ले पाना अभी भी बाकी है. हालांकि, इस बात को लेकर आम सहमति है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को इस दौरान सबसे ज़्यादा क्षति हुई.

अर्थव्यवस्था में तेज़ी के लिये सरकार करे वित्तीय हस्तक्षेप: सरकारी खज़ाने से मिले मदद

28 जून को केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने दूसरे वित्तीय उपायों की घोषणा की – प्रत्यक्ष तौर पर ऐसा कोविड 19 की दूसरी लहर से देश में प्रभावित सेक्टरों को राहत पहुंचाने के लिए किया गया था.

जैसा कि पिछले एक साल से ट्रेंड रहा है ज़्यादातर वित्तीय प्रोत्साहन के उपायों में नए किस्म के ऋण और क्रेडिट स्कीम शामिल रहे हैं. इस राहत पैकेज में बजट में की गई एक घोषणा की पुनरावृत्ति शामिल थी जो सुधार और नतीजे आधारित पावर आवंटन स्कीम से संबंधित थी. यह वो स्कीम थी जिसे 303,058 करोड़ की लागत से साल 2021-22 से लेकर 2025-26 तक लागू किया जाना था – जिसमें केंद्र का हिस्सा 97,631 करोड़ रु. था. इस राशि को इस पैकेज में शामिल कर लिया गया था. इसलिए इसे अतिरिक्त राशि के तौर पर नहीं लिया जा सकता और ना ही इसे प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा कहा जा सकता है.

नई क्रेडिट / लोन गारंटी / इंस्योरेंश स्कीम कुछ इस तरह है :

 कोविड प्रभावित सेक्टरों के लिए 1.1 लाख करोड़ रु. की लोन गारंटी स्कीम:  जिसमें 50,000 करोड़ रु. हेल्थ सेक्टर और 60,000 करोड़ रु. दूसरे सेक्टर के लिए शामिल था, इसमें टूरिस्ट गाइड और दूसरे स्टेक होल्डरों के लिए भी स्कीम शामिल थी.

 अतिरिक्त 1.5 लाख करोड़ रु. की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम ( ईसीएलजीएस ) : यह पूर्व की ईसीएलजीएस स्कीम का विस्तार है, जिसे पिछले साल मई महीने में बतौर आत्मनिर्भर पैकेज लॉन्च किया गया है.

 25 लाख लोगों को माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्य़ूशन (एमएफआई) द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम : छोटे ऋणधारकों के लिए एक नई स्कीम शुरू की गई. हालांकि, इसके लिए जो राशि आवंटित की गई वह महज़ 7500 करोड़ रु. थी.

–  नेशनल इंश्योरेंस अकांउट (एनईआईए) के द्वारा 33,000 करोड़ रु. की मदद से प्रोजेक्ट एक्सपोर्टस : इसके ज़रिए कम भरोसेमंद ऋण लेने वालों को एक्जिम बैंकों द्वारा बायर्स क्रेडिट दिए जाने के लिए इंश्योरेंस कवर का प्रस्ताव रखा गया

 एक्सपोर्ट इंश्योरेंस कवर के लिए 88,000 करोड़ के कवर का प्रस्ताव : एक्सपोर्ट इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने के लिए एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (ईसीजीसी) में पांच साल से ज़्यादा अवधि के लिए इक्विटी का प्रस्ताव रखा गया.

हैरानी की बात है कि इस राहत पैकेज में भारत नेट के तहत 19,041 करोड़ रु. का आवंटन दो साल के लिए ब्रॉडबैंड प्रोजेक्ट के भी किया गया था. इसके अलावा 100 करोड़ के आवंटन से 1 महीने के लिए मुफ़्त टूरिस्ट वीज़ा और नॉर्थ ईस्ट एग्रीकल्चरल मार्केटिंग कॉरपोरेशन (एनईआरएएमएसी) के लिए 77 करोड़ की राशि आवंटित की गई. इतना ही नहीं, ऐसे नाममात्र आवंटन के साथ ही ऐसे स्कीमों द्वारा उत्पादन और रोज़गार को तुरंत बढावा मिलता हो इसे लेकर भी सवाल पैदा होते रहे.

अगर इन आवंटनों के साथ साथ ऋण / इंश्योरेंस स्कीम और पावर डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के तहत बजट में की गई राशि के प्रावधानों की लागत कुल 628,993 करोड़ राशि (जैसा कि प्रोत्साहन पैकेज का सरकार ने दावा किया) से अलग कर दिया जाए तब इस प्रोत्साहन राहत पैकेज की राशि 123,644 करोड़ रु. पर आकर ठहर जाती है, जो कि सरकार के द्वारा दावा किए गए राहत राशि का पांचवां हिस्सा है.

अगर इन आवंटनों के साथ साथ ऋण / इंश्योरेंस स्कीम और पावर डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम के तहत बजट में की गई राशि के प्रावधानों की लागत कुल 628,993 करोड़ राशि (जैसा कि प्रोत्साहन पैकेज का सरकार ने दावा किया) से अलग कर दिया जाए तब इस प्रोत्साहन राहत पैकेज की राशि 123,644 करोड़ रु. पर आकर ठहर जाती है, जो कि सरकार के द्वारा दावा किए गए राहत राशि का पांचवां हिस्सा है.

तालिका 1 )

तालिका 1: 28 जून 2021 राहत पैकेज का विवरण
योजना  अवधि राशि
(करोड़ रुपये)
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महामारी से आर्थिक राहत
COVID प्रभावित क्षेत्रों के लिए ऋण गारंटी योजना 2021-22 110,000
आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) 2021-22 150,000 विस्तार
सूक्ष्म वित्त संस्थानों के लिए ऋण गारंटी योजना 2021-22 7,500
पर्यटक गाइड/हितधारकों के लिए योजना 2021-22 ऋण गारंटी योजना के अंतर्गत शामिल
5 लाख पर्यटकों को एक महीने का मुफ्त पर्यटक वीजा 2021-22 100
आत्मनिर्भर रोज़गार योजना का विस्तार 2021-22
डीएपी और पीएण्डके उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी 2021-22 14,775
पीएमजीकेवाई के तहत मई से नवंबर, 2021 तक मुफ्त खाद्यान्न 2021-22 93,869
स्वास्थ्य
जन स्वास्थ्य के लिए नई योजना 2021-22 15,000 योजना परिव्यय- INR 23220 करोड़; केंद्रीय शेयर- INR 15000 करोड़
विकास और रोजगार के लिए प्रोत्साहन
जलवायु अनुकूल विशेष लक्षण किस्मों का विमोचन 2021-22
नॉर्थ ईस्ट रिजनल एग्रीकल्चर मार्केटिंग कॉरपोरेशन का उत्थान 2021-22 77
एनईआईए के माध्यम से परियोजना निर्यात को बढ़ावा देना 2021-22 से 2025-26 ३३,०००
निर्यात बीमा कवर को बढ़ावा 2021-22 से 2025-26 88,000
भारतनेट पीपीपी मॉडल के माध्यम से प्रत्येक गांव में ब्रॉडबैंड 2021-22 से 2022-23 19,041
बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना के कार्यकाल का विस्तार समय विस्तार
रिफॉर्म बेस्ड रिजल्ट लिंक्ड पावर डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम (बजट घोषणा) 2021-22 से 2025-26 ९७,६३१ योजना परिव्यय – INR 303,058 करोड़; केंद्रीय हिस्सा – INR 97,631 करोड़
संपूर्ण 628,993
स्रोत: प्रेस सूचना ब्यूरो ( पीआईबी )

इस पैकेज में सीधे तौर पर अगर कोई आर्थिक राहत दी गई तो वह प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेएवाय) के विस्तार से संभव हो पाई. इस स्कीम के तहत योजना के लिए योग्य नागरिकों को मुफ़्त में अनाज दी गई और मई से लेकर नवंबर 2021 के बीच इस योजना के विस्तार के लिए 93,869 करोड़ रु. आवंटित किए गए. (टेबल 1)

एक तरह से, अकेले इसी ( वास्तविक में वित्तीय राहत उपाय ) स्कीम को कई अलग अलग लोन स्कीम और महत्वहीन घोषणाओं के साथ मिलाकर एक बड़ी राहत पैकेज के तौर पर प्रस्तुत किया गया. अगर पीएमजीकेएवाई योजना के विस्तार के लिए आवंटित राशि को हटा लिया जाए तो राहत पैकेज का वास्तविक साइज और घट जाता है – और यह कम होकर महज 29.755 करोड़ रु.  की राशि हो जाती है – एक ऐसी राशि जिसका केंद्रीय सरकार के वित्त के मुक़ाबले ज़िक्र करना भी मुनासिब नहीं होगा.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक़ दूसरी लहर की वज़ह से लगाई गई सख़्त लॉकडाउन की पाबंदियों का नतीज़ा रहा कि देश में बेरोज़गारी दर अप्रैल 2021 में 7.9 फ़ीसदी से बढ़कर 11.9 फ़ीसदी हो गई.

इसमें दो राय नहीं कि देश कोरोना महामारी से लगातार कराह रहा है. कोरोना की दूसरी लहर ने ग्रामीण और शहरी दोनों सेक्टरों में उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के मुताबिक़ दूसरी लहर की वज़ह से लगाई गई सख़्त लॉकडाउन की पाबंदियों का नतीज़ा रहा कि देश में बेरोज़गारी दर अप्रैल 2021 में 7.9 फ़ीसदी से बढ़कर 11.9 फ़ीसदी हो गई.

इतना ही नहीं महामारी के दौरान भरोसेमंद आंकड़ों के अभाव में वास्तविक नुक़सान का जायजा ले पाना अभी भी बाकी है. हालांकि, इस बात को लेकर आम सहमति है कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को इस दौरान सबसे ज़्यादा क्षति हुई. इसका रोज़गार पर सबसे ज़्यादा असर हुआ क्योंकि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग देश की एक बड़ी आबादी को रोज़गार मुहैया कराते हैं. और इसमें कोई दो राय नहीं कि कोविड 19 की तीसरी लहर में एमएसएमई सेक्टर को पूरी तरह ख़त्म करने की क्षमता है. अगर ऐसा होता है तो साल 2023 तक यह सेक्टर पूरी तरह संभलने में समय लेगा.

ऐसी स्थिति में नई क्रेडिट और लोन गारंटी स्कीम का कोई आर्थिक मतलब नहीं निकलता है. दरअसल, अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए प्रत्यक्ष वित्तीय हस्तक्षेप की ज़रूरत है, और किसी भी तरह की मंदी को सीधे तौर पर वित्तीय मदद से उबारने की कोशिश की जानी चाहिए. कम समय में अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए इन्हीं कदमों को उठाने की ज़रूरत है.

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