परिचय
सुरक्षित पेयजल और उचित स्वच्छता सार्वजनिक स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण आवश्यकताएं हैं और ये सेवाएं देना नगरीय सरकार की ज़िम्मेदारी है. कुछ सरकारें तो ये काम प्रभावी ढंग से करती भी हैं. उदाहरण के लिए, जापान में हर जगह नल का पानी कठोर परीक्षण और शुद्धिकरण के कई चरणों से गुज़रने के कारण पीने के लिए सुरक्षित है. इसके अलावा, टोक्यो वॉटरवर्क्स जैसी संस्थाएं वॉटर ट्रीटमेंट के संयंत्रों और पाइपलाइनों का नियमित निरीक्षण करती हैं.[1] इसी तरह, सिंगापुर की नेशनल वॉटर एजेंसी नल के पानी की कुशलता सुनिश्चित करती है ताकि किसी भी स्तर पर बाद में पानी के फिल्ट्रेशन की आवश्यकता न पड़े. प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए जलाशयों, वॉटरवर्क्स और डिसलाईनेशन संयंत्रों और वितरण प्रणालियों से पानी के नमूने इकट्ठा किये जाते हैं. इसके अलावा, ऑनलाइन सेंसर रियल टाइम में प्रत्येक चरण में गुणवत्ता की निगरानी करते हैं, और वेस्ट वॉटर को पीने लायक अल्ट्रा-स्वच्छ और सुरक्षित बनाने के लिए उन्नत मेम्ब्रेन टेक्नोलॉजी और अल्ट्रावायलेट डिसइंफेक्शन विधियों का इस्तेमाल किया जाता है.[2]
इन बातों के ठीक उलट, अधिकांश विकासशील देशों में वेस्ट वॉटर और पीने के पानी की गुणवत्ता एक प्रमुख चिंता का विषय है. भारत भी अपने सभी नागरिकों के लिए पेयजल और स्वच्छता सेवाओं की क्वॉलिटी गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रयासरत है. जल जीवन मिशन जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम सभी गांवों और शहरों के परिवारों को पानी की आपूर्ति करने के प्रयास का हिस्सा है जबकि स्वच्छ भारत मिशन वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट की समस्या से निपटते के लिए कार्यरत हैं.[3] इसके अलावा, कई नगरपालिका और राज्य सरकारों ने पानी और स्वच्छता सुविधाओं को बढ़ाने के लिए अपने स्तर पर पहल छेड़ रखी है. इन सब कोशिशों के बावजूद पानी की गुणवत्ता का मुद्दा अभी भी एक समस्या के तौर पर कायम है.
इस ब्रीफ में दिल्ली की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, की पानी की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया गया है. यह ब्रीफ इस निष्कर्ष की ओर संकेत देता है कि हालांकि, स्थानीय सरकार एक सिस्टेमेटिक तरीके से पानी के गुणवत्ता का प्रबंधन करती है, लेकिन उसका इस्तेमाल करने वाले नागरिक अभी भी उन सेवाओं की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं हैं. इस ब्रीफ का उद्देश्य पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले कारणों को समझने का प्रयास करना है और इससे निपटने के व्यावहारिक समाधान की भी व्याख्या करना है.
दिल्ली के जल एवं सीवेज व्यवस्था का हाल
दिल्ली शहर के निवासियों के लिए जल एवं सीवर सेवाएं दिल्ली जल बोर्ड (DJB) द्वारा दी जाती हैं. DJB को अपनी पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिल्ली के अंदर और बाहर विभिन्न स्रोतों से प्रतिदिन 1,005 मिलियन गैलन पानी (mgd) उपलब्ध होता है.[4] इनमें वर्षा, भूजल और सतही जल शामिल हैं.[5] यह पानी पूरे शहर में फ़ैले दस जल ट्रीटमेंट संयंत्र यानी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट (WTP), जिनमें से प्रत्येक की स्थापित (ट्रीटमेंट) क्षमता 946 mgd है, में जाते हैं.[6]
दिल्ली शहर के निवासियों के लिए जल एवं सीवर सेवाएं दिल्ली जल बोर्ड (DJB) द्वारा दी जाती हैं. DJB को अपनी पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिल्ली के अंदर और बाहर विभिन्न स्रोतों से प्रतिदिन 1,005 मिलियन गैलन पानी (mgd) उपलब्ध होता है.
दिल्ली शहर द्वारा उत्पन्न किया गया 792 mgd सीवेज या अपशिष्ट जल[7] का ट्रीटमेंट 21 स्थानों पर स्थित [a] सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) करते हैं और उनकी कुल क्षमता 667 mgd है.[8] उत्पन्न कुल सीवेज का लगभग 72 प्रतिशत (566.9 mgd) का ही ट्रीटमेंट किया जाता है क्योंकि STPs अपनी कुल क्षमता का 84.9 प्रतिशत ही काम कर पाती है (यानी, स्थापित क्षमता की तुलना में वास्तविक ट्रीटमेंट)[9] बचा हुआ सीवेज यमुना नदी में बह जाता है. इसके अलावा, कुल ट्रीटमेंट किए हुए सीवेज का 16 प्रतिशत (89 mgd) निर्माण, बागवानी, सिंचाई और पावर प्लांट कूलिंग और अन्य उपयोगों के लिए जाता है जो पेयजल के अलावा किए जाने वाले पानी के इस्तेमाल है.[10] कुछ STP की ट्रीटमेंट क्षमता बढ़ाकर और सभी घरों को सीवरेज नेटवर्क से जोड़कर, सीवेज जेनरेशन और ट्रीटमेंट के बीच अंतर को कम करने के लिए भी प्रयास जारी है.
दिल्ली में विभिन्न WTP और STP के स्थानों को चित्र- में अंकित किया गया है. अधिकांश WTP शहर के पूर्वी क्षेत्र में यमुना के किनारे स्थित हैं, हालांकि दिल्ली के अंदर कई कई स्थानों पर STP हैं. हैदरपुर WTP और ओखला STP में सबसे अधिक क्रमशः 200 mgd और 140 mgd ट्रीटमेंट क्षमता है.[11]
चित्र 1: दिल्ली के पानी और सीवेज ट्रीटमेंट सुविधाएं
स्रोत: लेखक का अपना; WTP / STP नाम दिल्ली के 2023-2024 आर्थिक सर्वेक्षण से लिया गया; और[12] दिल्ली जल बोर्ड की दैनिक विश्लेषण रिपोर्ट;[13] बेस मैप को d-maps से प्राप्त किया गया.[14]
ट्रीटमेंट की प्रक्रिया
भारत में पानी की गुणवत्ता को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों और मानकों के अनुसार रखा जाना अनिवार्य है.[15] इसलिए पानी के कई पहलुओं का मूल्यांकन किया जाता है, जिसमें रंग, स्वाद, टर्बिडिटी, हाइड्रोजन की क्षमता (pH) और गंध शामिल हैं. इसके अलावा रेडियोएक्टिव सामग्री, कीटनाशक अवशेषों, जीवों (कोलीफॉर्म बैक्टीरिया सहित), जहरीले पदार्थों (जैसे कैडमियम, सीसा, पारा और कीटनाशकों) और रसायन जैसे (जैसे एल्यूमीनियम, अमोनिया, कैल्शियम, क्लोराइड और फ्लोराइड) की मौजूदगी को भी जांचा जाता है.
एक दिन में, DJB अलग -अलग स्रोतों से लगभग 1,700 पानी के नमूने[16] इकट्ठा करता है, [b] भौतिक, रासायनिक और बैक्टीरियोलॉजिकल मापदंडों की स्थिति का विश्लेषण करता है और [c] क्वॉलिटी की गारंटी के लिए कदम उठाता है ताकि स्थापित मानदंडों को हासिल किया जा सके. ये सब कदम यह निर्धारित करने के लिए किए जाते हैं कि कहीं एकत्र किए गए पानी के नमूनों में बैक्टीरिया, वायरस और अन्य जैविक संस्थाएं मौजूद तो नहीं हैं. WTP के नौ प्रयोगशालाएं और आठ ज़ोनल प्रयोगशालाओं में विभिन्न तरीकों और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके पानी की गुणवत्ता का परीक्षण होता है. [d] इसके अलावा, कुछ WTP में IoT आधारित प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर इंटरनेट की मदद से यथा समय पर पानी की गुणवत्ता डेटा प्रदान किया जाता है. भागीरथी WTP में सुपरवाइज़री कंट्रोल और डेटा एक्वीजीशन (SCADA), टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके असल समय में डेटा को ट्रैक किया जाता है. इसके अलावा, जल परीक्षण प्रक्रिया में स्वतंत्र संगठनों का भी साथ लिया जाता है. [e] पानी के दूषित पदार्थों का ट्रीटमेंट WTP के ज़रिये किया जाता है. उदाहरण के लिए, क्लोरीनेशन का इस्तेमाल अमोनिया को एक मिलियन में एक भाग (ppm) तक सूक्ष्म ट्रीटमेंट करने के लिए किया जाता है. ट्रीटमेंट प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न वेस्ट पानी का ट्रीटमेंट करने के लिए कुछ WTP (जैसे भागीरथी, हैदरपुर और वज़ीराबाद) में पानी के री-साइक्लिंग प्लांट स्थापित किए गए हैं.
इसी तरह की प्रक्रियाओं का इस्तेमाल सीवेज के लिए भी किया जाता है, जहां नमूने यमुना नदी और STP से एकत्र किए जाते हैं, और आठ क्वॉलिटी कंट्रोल प्रयोगशालाएं सीवेज मापदंडों का विश्लेषण करती हैं [f ]. उचित तकनीक [g] का इस्तेमाल कर सीवेज की क्वॉलिटी को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) द्वारा तय मानदंड के हिसाब से बनाए रखा जाता है. उदाहरण के लिए, नियमों के अनुसार, ट्रीटमेंट किए हुए वेस्ट जल में कुल जमा कणों और जैविक ऑक्सीजन की मांग 10 मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/l) से कम होनी चाहिए.[17] ट्रीटमेंट प्रक्रिया में कई निजी संगठन, जैसे कि Veolia India , तोशिबा वॉटर सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, और अय्यप्पा प्राइवेट लिमिटेड[18] शामिल हैं. उदाहरण के लिए, 2012 में, DJB ने पश्चिम दिल्ली के निलोठी इलाके में 20 mgd क्षमता के एक अत्याधुनिक ग्रीन वेस्ट जल ट्रीटमेंट सुविधा को डिज़ाइन, निर्माण और चलाने के लिए Veolia को चुना.[19] यहाँ ट्रीटमेंट के लिए Azenit प्रक्रिया, जो एक एक्टिवेटिड स्लज प्रिंसिपल पर आधारित जैविक प्रक्रिया है, का इस्तेमाल करके, नाइट्रोजन, फास्फोरस, रासायनिक ऑक्सीजन की मांग, जैविक ऑक्सीजन की मांग और ठोस पदार्थों को हटा दिया जाता है.
ज़ोख़िम के संभावित पहलू
पानी को इकट्ठा और बांटने की प्रक्रिया में उसके दूषित होने की संभावना रहती है. अशुद्धियां अक्सर उस पानी में मौजूद होती हैं जो सतह के स्रोतों (जैसे नदियों, नहरों, झीलों और तालाबों) से ट्रीटमेंट सुविधाओं के लिए लाई जाती हैं या जो धरती से खोदकर निकाली जाती हैं. यह लोगों और सरकार के जल निकायों की उपेक्षा करने, पशु लाशों के अस्थि और विभिन्न प्रकार के जल इस्तेमाल करने वालों द्वारा सतह के जल निकायों में वेस्ट वॉटर को मिलाने के कारण होता है, जिसमें व्यावसायिक प्रतिष्ठान और झुग्गी बस्ती में रह रहे अस्थाई रिहायशी इलाके शामिल हैं. जल आपूर्ति से जुड़ी संस्थाओं को ट्रीटमेंट संयंत्रों में पानी को शुद्ध करने के लिए यह समस्या एक चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा करती है क्योंकि इसके कारण कुछ जीव और वायरस कीटाणु नाशक के लिए प्रतिरोध पैदा करते हैं. इसके अलावा कुछ ट्रीटमेंट किए हुए पानी की पाइपलाइनों में दरारों के बढ़ने से पानी के प्रदूषित होने का ज़ोख़िम भी बढ़ जाता है, जो शहरी भारत में एक नियमित घटना है. कई मामलों में, पाइपलाइनों का पुराना होना और उसको बहुत दिनों से न बदला जाना इसका कारण होता है. नतीज़तन, पाइपलाइनों में ट्रीटमेंट किए हुआ पानी भी दूषित हो जाते हैं, जब दूषित पदार्थ जैसे कि कीचड़ और सीवेज दरार के माध्यम से पाइप लाइन में आ जाते हैं. इसके अलावा, यह हानिकारक जीवों का पाइप के अंदर फ़ैलने का कारण बनते हैं. नगरपालिका से प्राप्त पानी की गुणवत्ता के बारे में भी अनिश्चितता होने के कारण पानी का इस्तेमाल करने वाले लोग बैक्टीरिया, ख़तरनाक रसायनों और अन्य सामग्रियों को ख़त्म करने के लिए कई प्रकार के जल शुद्धिकरण के यंत्र का इस्तेमाल करने लगते हैं जैसे कि रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम या पानी फिल्टर इत्यादि.
पानी के उपभोक्ताओं द्वारा पाइपलाइनों से पानी को जबरदस्ती खींचने को मजबूर होना एक और गंभीर मुद्दा है. सामान्य तौर पर, सिविक एजेंसियां ज़रूरत से कम पानी सप्लाई करती हैं और उसमे कम दबाव होता है. नतीज़तन, कई लोगों ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में पानी खींचने के लिए इलेक्ट्रिक मोटर्स को लगा रखा है. इस कारण इस प्रक्रिया के दौरान पाइपलाइनों में कीचड़ और अन्य दूषित पदार्थ भी शामिल हो जाता है क्योंकि सीवर लाइनों और ख़ुली नालियों में प्रदूषित सामग्रियों की बहुत ज़्यादा मात्रा होती है इसलिए इस सीवर के पानी का ट्रीटमेंट के बाद भी गैर पेयजल के रूप में भी, जैसे निर्माण और बागवानी जैसे कार्यो के लिए, पुन: इस्तेमाल इस्तेमाल करना काफ़ी अधिक चुनौतीपूर्ण है. प्रदूषित वेस्ट वस्तुओं, जैसे कि प्लास्टिक की बोतलें और बैग, अक्सर बाज़ार क्षेत्रों और कच्ची बस्तियों में पानी के राजमार्गों और आस-पास के प्रतिष्ठानों से उनके पास की ख़ुली नालियों में फेंक दिया जाता है. यदि सीवेज ट्रीटमेंट के सारे आयाम पूरे नहीं किए जाते हैं तो गैर पेयजल के रूप में उपयोगों के लिए इस पानी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें बीमारी पैदा करने वाले जीव मौजूद होते हैं.
सर्विस की गुणवत्ता
DJB की अगस्त 2024 की वॉटर क्वॉलिटी सर्विलांस के अनुसार का हवाला देते हुए (चित्र 2 देखें) [h],[20] दिल्ली के चिन्हित क्षेत्रों में घरों और स्कूलों में नलों से लिए गए 629 नमूनों में से लगभग 21 (3%) को मापदंडों के नीचे पाया गया है, इसके अलावा, DJB की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार वर्षों में पूरे शहर से जांचे गए नमूनों में से 5% से भी कम को मापदंडों के नीचे पाया गया.[21] विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानदंडों के अनुसार, 3 से 5 % इंटरमीडिएट ज़ोख़िम समूह में माना जाता है, जिसके लिए कम प्राथमिकता वाले सुधारात्मक कदमों की ज़रूरत होती है.
चित्र 2: दिल्ली की वॉटर क्वॉलिटी
स्रोत: 8 अगस्त, 2024 की रिपोर्ट, दिल्ली जल बोर्ड[22]
कई जल और सीवेज क्वॉलिटी संबंधी मुद्दे अक्सर अन्य स्रोतों द्वारा भी रिपोर्ट किए जाते हैं.
दिल्ली के यमुना के पास शाहदरा इलाके में 168 घरों में पानी की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए अक्टूबर और नवंबर 2017 में की गई एक इंपिरिकल यानी अनुभवजन्य शोध से पता चला कि पाइपलाइनों, हैंडपंप, बोरवेल और पानी के टैंकरों सहित अन्य स्रोतों से मिलने वाले पानी से लोग ख़ुश नहीं हैं.[23] शोध में जवाब देने वाले लोगों ने बताया कि पानी पीला, खारा होता है और उसमें कुछ तत्व भी पाए जाते हैं. निवासियों ने दावा किया कि सीवेज, वेस्ट वॉटर और ठोस कचरे के ख़राब निपटान के कारण पानी की क्वॉलिटी कम हो गई है और इस तरह के दूषित पानी को पीने से हैजा, डायरिया, टाइफाइड, सांस की समस्या और त्वचा और आंखों में जलन जैसी बीमारियां होती हैं.
केंद्र सरकार ने नवंबर 2019 में सिफ़ारिश की थी कि BIS दिल्ली में ग्यारह अलग-अलग स्थानों पर पानी की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने के लिए एक सर्वेक्षण करे. डेटा विश्लेषण से पता चला कि डीजेबी द्वारा प्रदान किया गया पानी पीने के लिए उपयुक्त नहीं था, प्राप्त नमूनों में 19 पैरामीटर आवश्यक मानकों से मेल नहीं खाते थे. लेकिन DJB ने इस दावे का खंडन किया और दावा किया कि पानी की गुणवत्ता बरक़रार है और BIS का मूल्यांकन करने का तरीका अनुचित और अपारदर्शी था.[24] इसके बाद, मीडिया आउटलेट इंडिया टुडे द्वारा किए गए एक अध्ययन में कुछ चुने हुए घरों में नल से पानी के नमूने लिए गए. शोध के अनुसार, दिल्ली के नौ परीक्षण स्थलों में से चार के पानी में बैक्टीरिया की मौजूदगी के कारण जल गुणवत्ता परीक्षण में विफ़ल रहे, जबकि उनमें से पांच पास हुए[25] इंडिया टुडे और BIS सर्वेक्षणों के परिणामों में यह जानकारी शामिल नहीं है कि स्थानीय लोगों ने अपने घरों तक पहुंचने वाली नगरपालिका की किसी भी पाइप लाइन को ख़ुद बदला है या नहीं. यह बात इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इन स्थितियों में पाइप लाइन के जोड़ों की ख़राब मरम्मत से पानी के दूषित होने का ख़तरा रहता है.
सन 2023 में शहर के 5,000 ट्यूबवेल में से लगभग 25 प्रतिशत से निकाला गया पानी नाइट्रेट, आयरन, अमोनिया, फ्लोराइड और अन्य मापदंडों से संबंधित निर्धारित पानी की क्वॉलिटी को पूरा नहीं कर पा रहा था.[26] जनवरी 2024 में, वज़ीराबाद WTP ने कथित तौर पर 0.5 mg/ के स्वीकृत स्तर के मुकाबले 4.9 mg/ तक अमोनिकल नाइट्रोजन (अमोनिया की उपस्थिति का संकेत) के स्तर का दूषित पानी मिला, जिसका क्लोरीन के माध्यम से ट्रीटमेंट करना मुश्किल है.[27] DJB के पदाधिकारियों ने इस तथ्य से इनकार किया. यह चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि जब भी अमोनिया का स्तर बढ़ता है तब पानी का उत्पादन कम हो जाता है और उस WTP द्वारा सर्विस किए जा रहे इलाके में पानी की आपूर्ति को प्रभावित करता है.[28] ऐसे में अमोनिया के स्तर में वृद्धि के कारणों की समीक्षा करने की आवश्यकता है. पहले यह माना जाता था कि यह हरियाणा के आसपास के राज्य में अपस्ट्रीम कृषि क्षेत्रों में उर्वरकों और कीटनाशकों के गहन इस्तेमाल के कारण होता है.[29]
मई और जून 2024 में, सोशल मीडिया साइट लोकल सर्किल्स ने दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले 3,500 लोगों का एक सर्वेक्षण किया. इस सर्वे से मिले नतीजों के अनुसार, 39% स्थानीय लोग नल के पानी की गुणवत्ता से असंतुष्ट थे.[30] अगस्त 2024 में मध्य दिल्ली के कुछ इलाकों के निवासियों ने दूषित पानी पीने की सूचना दी [i] क्योंकि उनका दावा था कि पानी का बुनियादी ढांचा पुराना हो गया है.[31]
मई और जून 2024 में, सोशल मीडिया साइट लोकल सर्किल्स ने दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले 3,500 लोगों का एक सर्वेक्षण किया. इस सर्वे से मिले नतीजों के अनुसार, 39% स्थानीय लोग नल के पानी की गुणवत्ता से असंतुष्ट थे
अगस्त 2024 में DPCC द्वारा किए गए STP के परफॉरमेंस अप्रेज़ल के अनुसार, कई संयंत्र [j] फीकल क्लोरिफॉर्म, जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग, कुल सस्पेंडेड सॉलिड, तेल और ग्रीस और घुलित फॉस्फेट से संबंधित मापदंडों के मानदंडों को पूरा करने में विफ़ल रहे.[32] DJB की दिसंबर 2023 की दैनिक विश्लेषण रिपोर्ट में कई STP में आवश्यक मानकों की तुलना में महत्वपूर्ण रूप से उच्च पैरामीटर स्तर भी नोट किए गए (टेबल 1 देखें).[33] पूरी तरह ट्रीटमेंट न किए गए पानी का इस्तेमाल या तो बागवानी के लिए किया जाता है या यमुना और बड़े नालों में डाला जाता है. इसके अलावा, लगभग 450 mgd पूरी तरह ट्रीट नही किया गया वेस्ट वॉटर प्रतिदिन 44 नालों के माध्यम से नज़फ़गढ़ नाले में पहुंचता है.[34] दूषित पानी यमुना की ओर बह जाता है.
टेबल 1: दिल्ली की सीवेज क्वॉलिटी
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पैरामीटर (मिलीग्राम /लीटर )
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सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का नाम और
STP प्लांट की कैपेसिटी
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टोटल सस्पेंडेड सॉलिड्स (TSS)
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बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD)
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केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (COD)
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अमोनिकल नाइट्रोजन (NH4-N)
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फास्फेट (PO4-P)
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STP के लिए तय DPCC के मानक
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10
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10
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50
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5
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2
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केशोपुर, 40 mgd
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50
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30
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250
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50
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5
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कापसेरा, 5 mgd
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10
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10
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50
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5
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2
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कोंडली, 45 mgd
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30
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20
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250
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50
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5
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नरेला, 10 mgd
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50
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30
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250
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50
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5
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ओखला, 37 mgd
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50
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30
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250
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50
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5
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दिल्ली गेट 2.2 mgd
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15
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10
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50
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5
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2
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स्रोत: 1 दिसंबर 2023 की रिपोर्ट,[35] दिल्ली जल बोर्ड और DPCC[36]
सार्वजनिक स्वास्थ्य पर असर
पीने के पानी और सीवेज का ट्रीटमेंट न होने से स्वास्थ्य को बहुत खतरा होता है. इस बात को कई बीमारियों जैसे कि हैजा, दस्त, पेचिश, हेपेटाइटिस, टाइफाइड और पोलियो के डेटा की समीक्षा करके समझा जा सकता है. उदाहरण के लिए, दिल्ली में दस्त के मामलों की संख्या 2022-23 में 15,152 से बढ़कर 2023-24 में 20,393 हो गई है.[37] राष्ट्रीय राजधानी में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) 4 (2015-16) और 5 (2019-21) ने भी पांच वर्ष से कम आयु वाले बच्चों में दस्त की बीमारी में 9.6 प्रतिशत से 10.6 के इज़ाफ़े की बात कही है.[38]
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है कि दस्त की बीमारी बैक्टीरिया, वायरस और पैरासिटिक जीवों के कारण होते हैं जो दूषित भोजन या पीने के पानी में मौजूद होते हैं या गन्दगी से पनपते हैं. यह बच्चों के बीच मृत्यु का एक प्रमुख कारण है और इस समस्या का समाधान स्वच्छता, अपनी जगह की सफाई और सुरक्षित पेयजल के माध्यम से किया जा सकता है.[39]
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (IIT) और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट[k] शिक्षण और शोध संस्थानों के दो ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने छोटे पैमाने पर, सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल जल और सीवेज ट्रीटमेंट प्रणाली का निर्माण किया है
दिल्ली के कई आवासीय क्षेत्रों, जिनमें ग्रामीण गांव, कच्ची कॉलोनियां और झुग्गी बस्तियां शामिल हैं, इनमें जल आपूर्ति और सीवर पाइपलाइनों का अभाव है. इसके अलावा, इन स्थानों पर पर्याप्त ठोस वेस्ट इकट्ठा करने की सेवाओं और सैनिटरी शौचालयों का अभाव है. नतीज़तन, इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि इन स्थानों पर रहने वाले लोग कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं.
निष्कर्ष एवं सुझाव
दिल्ली के जल और सीवेज की क्वॉलिटी पर वर्तमान मूल्यांकन के अनुसार, DJB ने क्वॉलिटी की गारंटी के लिए कई कदम उठाए हैं. इनमें पूरे शहर में जल और सीवेज ट्रीटमेंट सुविधाओं और परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना करना, मौके पर ही नलों और जल स्रोतों से लिए गए नमूनों का दैनिक परीक्षण, बाहरी संगठनों द्वारा नमूनों का मूल्यांकन, नवीनतम टेस्टिंग विधियों और प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल, निजी व्यवसायों के अनुभव का लाभ उठाना तथा दूर दराज़ के क्षेत्रों में जल और सीवर नेटवर्क का विस्तार करना शामिल है.
कई प्रशासनिक कदमों के बावजूद शहर के कुछ हिस्सों में पानी और सीवेज की ख़राब गुणवत्ता पाई गई हैं. जिनमें मुख्य हैं:
· सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पानी और सीवेज की गुणवत्ता के मूल्यांकन के कई पैरामीटर (जैसे फॉस्फेट और अमोनिया) BIS और DPCC के मापदंडों से कम हैं.
· शहर के विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी और स्वतंत्र संस्थाओं द्वारा किए गए साक्षात्कारों में ग्राहकों ने संबंधित सरकारी विभागों द्वारा दी जाने वाली पानी और स्वच्छता सेवाओं की गुणवत्ता पर अपनी नाराज़गी व्यक्त की है. उनके अनुसार, सार्वजनिक स्थानों को पर्याप्त रूप से साफ़ नहीं किया जाता है, और नल के पानी में गंदगी होती है.
· पानी के क्वॉलिटी के बारे में चिंतित होकर अधिकांश लोग व्यक्तिगत पानी को शुद्ध करने के उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं; वही दूसरी ओर गरीब लोग जो कच्ची बस्ती में रहते ख़ उनकी पहुंच साफ़ पेयजल तक नहीं है और वे बीमारी के ज़ोख़िम से अधिक जूझ रहें हैं.
· कभी-कभी ट्रीटमेंट किए बग़ैर सीवेज को सीवर, गड्ढे और जलभराव में फेंक दिया जाता है.
· पानी से उत्पन्न, स्वच्छता के अभाव से जुड़ी बीमारियां बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करती हैं.
इसलिए, यह ज़रूरी है कि दिल्ली के सभी क्षेत्रों को स्वच्छ जल और सफाई की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं. वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए दिल्ली सरकार को चाहिए कि वह:
- मौजूदा समस्याओं को दूर करने के लिए तय जल और सीवेज मानकों का पालन करे.
- जल स्रोतों की नियमित जांच और रखरखाव करके दिल्ली सरकार सतही और भूजल स्रोतों को दूषित पदार्थों से बचा कर रखें.
- भविष्य के सीवेज लोड का अनुमान लगाने और उसके अनुसार ट्रीटमेंट क्षमता को नियंत्रित करने के लिए शहर में नवनिर्मित घरों और व्यवसायों पर नज़र रखें.
- बढ़ती मांग के मद्देनजर पानी और सीवेज के ट्रीटमेंट की क्षमता का विस्तार करें.
- जल स्रोतों, जलाशयों, वितरण लाइनों और ट्रीटमेंट के बाद की क्वॉलिटी का आकलन करने के लिए रियल टाइम निगरानी डिवाइस स्थापित करें.
- कच्ची बस्ती और अनियोजित क्षेत्रों में जहां कम आय वाले लोग रहते हैं वहां कचरा उठाने, पानी और सीवर सेवाएं प्रदान करें और इसके अलावा लोगों को ठोस कचरे का उचित तरीके से निपटान करने के बारे में ट्रेनिंग दें.
- कच्ची बस्ती और अनियोजित क्षेत्रों में, वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट और पुनः इस्तेमाल के लिए विकेन्द्रीकृत सुविधाएं प्रदान करें.
- जंग लगी और पुरानी हो चुकी पानी और सीवर पाइपलाइनों को बदलें और सुनिश्चित करें कि वे साफ़ हों.
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (IIT) और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट[k] शिक्षण और शोध संस्थानों के दो ऐसे उदाहरण हैं जिन्होंने छोटे पैमाने पर, सस्ती और पर्यावरण के अनुकूल जल और सीवेज ट्रीटमेंट प्रणाली का निर्माण किया है.[40] विकेन्द्रीकृत सुविधाओं की स्थापना करके, ट्रीटमेंट संयंत्रों को आवासीय क्षेत्रों से जोड़ने वाली लंबी दूरी वाली पाइपलाइनों की लंबाई कम की जा सकती है जिससे लंबी दूरी के वितरण नेटवर्क में प्रदूषण की समस्या का समाधान किया जा सकता है.
- रचनात्मक जल और स्वच्छता परियोजनाओं को बनाने और उन्हें पूरा करने के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध किया जाना चाहिए.
- यह भी सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि नागरिकों को पानी और सीवेज की गुणवत्ता के बारे में नवीनतम जानकारी मिल सके.
Endnotes
[a] As of December 2023, there were 38 STPs across the city (see Figure 1). Certain plant sites have more than one STP: six in Okhla; four in Kondli; three each in Keshopur, Coronation Pillar, and Yamuna Vihar; and two each in Nilothi, Vasant Kunj, Delhi Gate, Papankalan, and Rithala. Kapashera, Chilla, Akshardham, Narela, Mehrauli, Molarband, Ghitorni, Najafgarh, and Rohini have one STP each.
[b] Water sources include the river, canals, lakes, ponds, WTPs, distribution network (pipelines), reservoirs, booster pumping stations, tube wells, Ranney wells, water tankers, public hydrants, taps in schools, dispensaries, and households.
[c] Water parameters include colour, odour, pH value, taste, iron, chlorine, ammoniacal nitrate, pesticides, turbidity, electrical conductivity, total dissolved solids, alkalinity, hardness, dissolved oxygen, fluoride, and heavy metals.
[d] Techniques and technologies for water analysis include inductively coupled plasma-optical emission spectroscopy (ICP-OES) for heavy metals, gas chromatography for organic contaminants, total organic carbon (TOC) analyser for organic carbon, high-performance liquid chromatography (HPLC) for pesticides, Kjeldahl method for total nitrogen, real-time reverse transcription-polymerase chain reaction (RT-PCR) for microbiological analysis, and laboratory information management system (LIMS) software for managing samples and data.
[e] The National Environmental Engineering Research Institute and Council of Scientific and Industrial Research undertake (in their laboratories) quality tests of water samples collected from various locations in Delhi, and the results are shared with DJB.
[f] Sewage parameters include total suspended solids (TSS), biological oxygen demand (BOD), chemical oxygen demand (COD), ammoniacal nitrogen, phosphate, sulphide, potential of hydrogen (pH), and faecal coliform.
[g] Techniques and technologies for sewage analysis and treatment include IoT-based technology for chemical enhanced dosing, remote-controlled automatic sampling units for composite sampling of sewage, laboratory information management system (LIMS) software for managing samples and data, activated sludge process (ASP), sequencing batch reactor (SBC), membrane bioreactor (MBR) system, extended aeration, BioFor, DensaDeg.
[h] ‘Unsatisfactory’ implies that the water is not fit for drinking and there is a need to isolate impurities from water through methods such as chlorination, sedimentation, and slow sand filtration.
[i] Old Delhi, Sadar Bazar, Paharganj, parts of Karol Bagh, Malkaganj, Rajinder Nagar, Patel Nagar, and Naraina.
[j] The STPs that failed to meet the parameters are Keshopur, Nilothi, Najafgarh, Pappankalan, Rohini, Narela, Yamuna Vihar, Mehrauli, Vasant Kunj, Molarband, Okhla, and Ghitorni.
[k] A bioreactor installed at the IIT Madras campus in January 2022 facilitates nitrate removal from sewage to a sufficiently low level, and allows for usage of treated sewage. In Roorkee, thermal hydrolysis technology is used for treating sewage, which helps in protecting the environment from unpleasant odours, surface and groundwater contamination, and the spread of pathogens.
[1] Jessie Carbutt, “Is tap water in Japan safe to drink,” Metropolis, September 5, 2024, https://metropolisjapan.com/tap-water-in-japan/.
[2] PUB Singapore’s National Water Agency, “Water quality,” https://www.pub.gov.sg/Public/WaterLoop/Water-Quality.
[3] Ministry of Housing and Urban Affairs, “Jal Jeevan Mission (Urban) to provide universal coverage of water supply,” Press Information Bureau, February 2, 2021, https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1694420.
[4] Aam Aadmi Party, “Will go on hunger strike over water: Atishi writes to PM,” X Post, June 20, 2024, https://x.com/AamAadmiParty/status/1803649253241446706.
[5] Rumi Aijaz, “Exploring ways to fill Delhi’s unmet water needs,” ORF Issue Brief No. 706, April 2024, Observer Research Foundation, https://www.orfonline.org/research/exploring-ways-to-fill-delhi-s-unmet-water-needs.
[6] Aam Aadmi Party, “Water treatment plants by Delhi govt,” AAP WiKi, May 20, 2024, https://aamaadmiparty.wiki/en/Achievements/Delhi/WTP.
[7] Government of NCT of Delhi, Economic Survey of Delhi 2023-24, Water Supply and Sewerage, Chapter 13 (Delhi: Planning Department), https://delhiplanning.delhi.gov.in/ sites/default/files/Planning/chapter_13.pdf.
[8] Aam Aadmi Party, “Sewage treatment plants: Building capacity by AAP Delhi govt.,” AAP WiKi, August 17, 2024, https://aamaadmiparty.wiki/en/Achievements/Delhi/DelhiSewageTreatment.
[9] Aam Aadmi Party, “Sewage treatment plants: Building capacity by AAP Delhi govt.”
[10] Government of NCT of Delhi, Economic Survey of Delhi 2023-24.
[11] Government of NCT of Delhi, Economic Survey of Delhi 2023-24.
[12] Government of NCT of Delhi, Economic Survey of Delhi 2023-24.
[13] Delhi Jal Board, “Daily Analysis Report,” December 1, 2023, https://delhijalboard.delhi.gov.in/sites/default/files/Jalboard/universal-tab/01.12.2023_to_31.12.2023.pdf.
[14] D-maps, “Delhi (India),” https://d-maps.com/carte.php?num_car=16529&lang=en.
[15] Bureau of Indian Standards, Drinking Water Specification (Second Revision), 2012, https://cpcb.nic.in/wqm/BIS_Drinking_Water_Specification.pdf.
[16] Government of NCT of Delhi, Economic Survey of Delhi 2023-24.
[17] Delhi Pollution Control Committee, “Standards for treated effluent of sewage treatment plants,” https://www.dpcc.delhigovt.nic.in/uploads/page/STPStandardspdf-9769efcaacc11566786ae2b364c14c56.pdf.
[18] Delhi Jal Board, “Daily Analysis Report.”
[19] Veolia, “Creating value out of wastewater,” https://www.veolia.in/our-services/nilothi-sewage-treatmet-plant.
[20] Delhi Jal Board, “Daily water quality surveillance report,” August 8, 2024, https://delhijalboard.delhi.gov.in/sites/default/files/Jalboard/universal-tab/water_samples_collection_reports_on_01.08.2024_to_08.08.2024.pdf.
[21] Government of NCT of Delhi, Economic Survey of Delhi 2023-24.
[22] Delhi Jal Board, “Daily water quality surveillance report.”
[23] Harish Kumar et al., “Understanding drinking water quality problems in Shahadra region of Delhi,” Journal of Interdisciplinary Cycle Research, XII (VII), 1311-1323, September 2020, https://www.researchgate.net/publication/344287456_UNDERSTANDING_DRINKING_WATER_QUALITYPROBLEMS_INSHAHADRA_REGION_OF_DELHI
[24] “Delhi Jal Board refutes Centre’s report of tap water being unfit for drinking,” The Times of India, November 17, 2019, https://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/djb-refutes-centres-report-of-tap-water-being-unfit-for-drinking/articleshow/72090419.cms.
[25] Isha Gupta et al., “Operation paani: Half of Delhi’s water unsafe, finds India Today’s test drive,” India Today, January 25, 2020, https://www.indiatoday.in/india/story/operation-paani-delhi-water-not-entirely-safe-finds-india-today-test-drive-1637799-2020-01-17.
[26] “Delhi jal board tasked with 5-year water plan as quality concerns persist,” The Economic Times, April 7, 2024, https://economictimes.indiatimes.com/news/india/delhi-jal-board-tasked-with-5-year-water-plan-as-quality-concerns-persist/articleshow/109100824.cms?from=mdr.
[27] Siddhanta Mishra, “Water quality under lens at Wazirabad plant,” The Times of India, January 12, 2024, https://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/water-quality-under-lens-at-wazirabad-plant/articleshow/106744674.cms.
[28] Aam Aadmi Party, “Water treatment plants by Delhi govt.”
[29] “Bad water,” Down to Earth, March 31, 1998, https://www.downtoearth.org.in/environment/bad-water-21446.
[30] “Delhi water crisis: 39 % residents complain about quality of piped water, call it very poor; only 25 % of households rate it as good,” Business Today, June 13, 2024, https://www.businesstoday.in/india/story/delhi-water-crisis-39-residents-complain-about-quality-of-piped-water-call-it-very-poor-only-25-of-households-rate-it-as-good-433141-2024-06-13.
[31] Paras Singh, “In dilemma, Delhi picks poor water quality over shortage: Report,” Hindustan Times, August 12, 2024, https://www.hindustantimes.com/cities/delhi-news/in-dilemma-delhi-picks-poor-water-quality-over-shortage-report-101723399488246.html.
[32] Kushagra Dixit, “21 of 37 sewage treatment plants don’t meet standards in Delhi: Report,” The Times of India, September 20, 2024, https://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/21-of-37-sewage-treatment-plants-dont-meet-standards-in-delhi-report/articleshow/113507294.cms.
[33] Delhi Jal Board, “Daily Analysis Report.”
[34] Siddhanta Mishra, “7 STPs being upgraded to be ready by Dec 2025,” The Times of India, November 9, 2024, https://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/delhi-upgrades-7-sewage-treatment-plants-to-combat-yamuna-pollution-by-december-2025/articleshow/115094636.cms.
[35] Delhi Jal Board, “Daily Analysis Report.”
[36] Delhi Pollution Control Committee, “Standards for treated effluent of sewage treatment plants.”
[37] Siddhanta Mishra, “DJB asked to increase water testing as cases of diarrhoea rise in Delhi,” The Times of India, July 15, 2024, https://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/cases-of-diarrhoea-on-the-rise-in-new-delhi-djb-urged-to-increase-water-testing/articleshow/111738607.cms.
[38] Ministry of Health and Family Welfare, Stop Diarrhoea Campaign, Operational Guidelines, 2024, https://health.delhi.gov.in/sites/default/files/Health/circulars-orders/guidance_document_on_stop_diarrhoea_campaign_2024.pdf.
[39] WHO, “Diarrhoeal disease,” March 7, 2024, https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/diarrhoeal-disease.
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