परिचय
भारत के शहरीकरण को आकार इसके महानगरीय शहरों पर अत्यधिक निर्भरता से मिलता है, जिनमें देश की शहरी आबादी का 42.3 फ़ीसदी हिस्सा रहता है.[i] इसके परिणामस्वरूप एक मिलियन से अधिक शहरों में मानव घनत्व बहुत ज़्यादा, औसतन 20,713 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है.[ii] जैसे-जैसे शहरी आबादी बढ़ी और शहर की अर्थव्यवस्था का विस्तार हुआ, शहरी क्षेत्रों में मोटर वाहनों, मुख्य रूप से कारों और दोपहिया वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई. उदाहरण के लिए, 2020 में, दिल्ली में 11.89 मिलियन पंजीकृत मोटर वाहन थे, बेंगलुरु में 9.64 मिलियन, चेन्नई में 6.35 मिलियन, अहमदाबाद में 4.57 मिलियन, मुंबई में 3.88 मिलियन, हैदराबाद में 3.24 मिलियन और जयपुर में 3.17 मिलियन.[iii] इसके परिणामस्वरूप सड़कों पर भीड़भाड़ भी हुई क्योंकि सड़क का अधिकांश हिस्सा वाहनों को पार्क करने के लिए उपयोग किया जाता है. जैसे-जैसे यातायात की भीड़ बढ़ती है, शहरों में गतिशीलता में बाधा आती है, यात्रियों को अपने रोज़मर्रा के आवागमन पर और ज़्यादा समय गुज़ारना पड़ता है. यह स्थिति और प्रतिकूल आर्थिक और सामाजिक परिणामों को लेकर शक्तिहीनता की भावना से निराशा पैदा होती है.[iv] यद्यपि ऐसी स्थितियों ने आम तौर पर कई शहरों में यातायात की स्थिति पर जनता के गुस्से को भड़काया है, कुछ नागरिकों ने सार्वजनिक चर्चा के माध्यम से इस मुद्दे को संबोधित करने का भी प्रयास किया है. उदाहरण के लिए, पिछले कुछ वर्षों में वडोदरा (गुजरात),[v] लुधियाना (पंजाब),[vi] पुणे (महाराष्ट्र),[vii] और मंगलुरु[viii] और बेंगलुरु[ix] (कर्नाटक) में यातायात से संबंधित चुनौतियों और समाधानों पर चर्चा के लिए नागरिकों की बैठकें आयोजित की गई हैं.
भारत में मोटर वाहनों से संबंधित मामले केंद्र और राज्य दोनों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. हालांकि भारत के शहरों के लिए वाहनों की बढ़ती भीड़ एक उभरती हुई समस्या है, लेकिन ऑटोमोबाइल उद्योग पर प्रतिबंध लगने की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि इसकी आर्थिक और रोज़गार देने की क्षमता काफ़ी ठीक है और यह भारत के लिए महत्वपूर्ण है
भारत में मोटर वाहनों से संबंधित मामले केंद्र और राज्य दोनों के अधिकार क्षेत्र में (नगर सरकारों या स्थानीय निकायों के नहीं) आते हैं. हालांकि भारत के शहरों के लिए वाहनों की बढ़ती भीड़ एक उभरती हुई समस्या है, लेकिन ऑटोमोबाइल उद्योग पर प्रतिबंध लगने की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि इसकी आर्थिक और रोज़गार देने की क्षमता काफ़ी ठीक है और यह भारत के लिए महत्वपूर्ण है.[x] 2023 की शुरुआत में, भारत में 4.25 मिलियन नई कारों की बिक्री दर्ज की गई और यह जापान को पीछे छोड़ कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाज़ार बन गया.[xi] 2021 में, भारत के कुल निर्यात का 8 प्रतिशत इस क्षेत्र का था, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद का 7.1 प्रतिशत हिस्सा था और इसने 37 मिलियन नौकरियां पैदा की थीं.[xii] 2023 तक, भारत दुनिया का सबसे बड़ा दोपहिया वाहन निर्माता, भारी ट्रकों का तीसरा सबसे बड़ा निर्माता और चौथा सबसे बड़ा कार निर्माता भी था.[xiii] ऑटोमोबाइल क्षेत्र भारत के राज्यों के लिए भी मूल्यवान है, मोटर वाहन कर उनके सबसे स्वस्थ राजस्व स्रोतों में से एक है. उदाहरण के लिए, 2023 में, दिल्ली सरकार ने इससे 29,160 मिलियन रुपये जुटाए और साल-दर-साल वृद्धि दर 17 प्रतिशत रही है.[xiv] इसके साथ ही, चूंकि किसी भी शहर में कारों की संख्या पर रोक लगाने की दिशा में भी कोई विचार नज़र नहीं आ रहा है इसलिए शहरों के पास अब अपनी भौगोलिक सीमाओं के भीतर संचालित होने वाले बढ़ते गाड़ियों की भीड़ लगाने वालों (ट्रैफ़िक कंजस्टर्स) से निपटने के लिए तैयार होने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. कई शहरों ने बिगड़ती स्थितियों को संभालने के लिए पार्किंग संगठनों का इस्तेमाल एक उपकरण के रूप में करने पर विचार करना शुरू कर दिया है. यह शोध-पत्र अहमदाबाद, बेंगलुरु, दिल्ली, पुणे और मुंबई की पार्किंग नीति के दस्तावेजों का आकलन करता है और स्थिति की गंभीरता को कम करने में आने वाली संभावित बाधाओं और संभावित समाधानों पर चर्चा करता है.
भारतीय शहरों में पार्किंग नीतियां
अहमदाबाद, बेंगलुरु, दिल्ली, पुणे और मुंबई भारत के 10 सबसे बड़े शहरों में से पांच हैं. इनमें से चार शहर 2023 के टॉम-टॉम ट्रैफिक इंडेक्स (TomTom Traffic Index) में शामिल हैं, जो दुनिया भर के शहरों का उनके औसत यात्रा समय, ईंधन लागत और सीओ2 (CO2) उत्सर्जन के आधार पर मूल्यांकन करता है [ए] - बेंगलुरु और पुणे क्रमशः वैश्विक स्तर पर छठे और सातवें सबसे भीड़भाड़ वाले शहर हैं (और एशिया में पहले और दूसरे), जबकि नई दिल्ली वैश्विक स्तर पर 44 वें स्थान पर है (एशिया में 12 वें) और मुंबई दुनिया में 54 वें स्थान पर है (एशिया में 14 वें).[xv] सूचकांक के अनुसार, बेंगलुरु में यातायात की औसत गति 18 किमी प्रति घंटा है, पुणे में 19 किमी प्रति घंटा, दिल्ली में 24 किमी प्रति घंटा और मुंबई में 23 किमी प्रति घंटा है.[xvi] हालांकि अहमदाबाद TomTom Index में शामिल नहीं है, लेकिन शहर की यातायात की समस्या भी इन्हीं के समान है. सीईपीटी यूनिवर्सिटी (CEPT University) के सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस इन अर्बन ट्रांसपोर्ट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, अहमदाबाद में यात्रा की अधिकतम रफ़्तार (peak travel speed) 20-22 किमी प्रति घंटा थी.[xvii] ऐसे में, शहर प्रशासन की पार्किंग नीतियों को उनकी यातायात समस्याओं के लिए व्यवहारिक समाधान के रूप में देखा जाना- और लागू किया जाना चाहिए.
अहमदाबाद भारत का सातवां सबसे बड़ा महानगर है, जिसकी जनसंख्या 5.59 मिलियन है (2011 की जनगणना के अनुसार).[xviii] शहर में एक सार्वजनिक बस सेवा (अहमदाबाद नगर परिवहन सेवा), एक बस रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम और एक मेट्रो रेल है. 2021 में, इसमें 3.9 मिलियन वाहन थे, जिनमें से 74.9 प्रतिशत दोपहिया, 4.3 प्रतिशत तिपहिया और 17.8 प्रतिशत चार पहिया वाहन थे.[xix] 2023 में, अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) ने अपनी ' अहमदाबाद शहर, संशोधित पार्किंग नीति 2023' को अधिसूचित किया.[xx] पार्किंग नीति दस्तावेज़ के अनुसार, शहर में सड़क पर और सड़क से इतर सार्वजनिक पार्किंग की सुविधाएं अपर्याप्त हैं, उपलब्ध पार्किंग स्थलों का उपयोग कम किया जाता है और निजी बसों के लिए पार्किंग अव्यवस्थित है.[xxi] वर्तमान में, अहमदाबाद में 5,453 कारों और 26,758 दोपहिया वाहनों के लिए पार्किंग का प्रावधान है.[xxii] शहर में पार्किंग आम तौर पर मुफ़्त है और सड़क पर पार्किंग का सीमांकन स्पष्ट रूप से नहीं किया गया है.
नई नीति में बदलाव का प्रस्ताव है कि मुफ़्त पार्किंग की जगह पार्किंग के लिए शुल्क लेने की ओर बढ़ा जाए. एएमसी का उद्देश्य शहर की नियोजन नीतियों के अनुरूप कार्यात्मक गुणवत्ता, परिचालन उत्कृष्टता, नागरिक संतुष्टि और सतत वित्तीय प्रदर्शन के आधार पर पार्किंग स्थलों को विकसित करना और उनका प्रबंधन करना है.[xxiii] पार्किंग नीति दस्तावेज़ में बताए गए उद्देश्यों में निजी वाहनों के उपयोग को हतोत्साहित करना, सार्वजनिक और ग़ैर-मोटर चालित वाहनों को प्राथमिकता देना, भूमि की लागत को दर्शाने वाले पार्किंग शुल्क तय करना, उच्च टर्नओवर प्राप्त करने के लिए अल्पकालिक पार्किंग को प्रोत्साहित करना, स्मार्ट तकनीकों का इस्तेमाल कर पार्किंग स्थल का प्रबंधन करना और पार्किंग उपनियम और क्षेत्र-स्तरीय पार्किंग योजनाएं तैयार करना शामिल है. नीति में एक अलग ट्रैफ़िक और पार्किंग सेल की स्थापना का प्रावधान है.[xxiv]
बेंगलुरु भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है, जिसकी आबादी 8.4 मिलियन है (2011 की जनगणना के अनुसार).[xxv] 2020 तक, इसमें 9.4 मिलियन वाहन थे,[xxvi] जिनमें से लगभग 67 प्रतिशत दोपहिया वाहन थे और 21 प्रतिशत कारें थीं.[xxvii] पूरे शहर में पार्किंग अनियमित है और सड़क पर पार्किंग आम तौर पर मुफ़्त है, लेकिन उसका ढंग से सीमांकन नहीं हुआ है. दिसंबर 2020 में घोषित बेंगलुरु की ‘पार्किंग नीति 2.0’,[xxviii] ने बदलाव के ये प्रस्ताव रखे थे- अव्यवस्थित से सुव्यवस्थित पार्किंग, मुफ़्त से सशुल्क पार्किंग, सरकार द्वारा संचालित से बाज़ार संचालित पार्किंग, आपूर्ति और पार्किंग नियमों को निष्क्रियता और हल्केपन के साथ लागू किए जाने के बजाय पार्किंग मांग के सक्रियता के साथ प्रबंधन.[xxix] बाज़ार संचालित पार्किंग की ओर बढ़ने का उद्देश्य निजी बाज़ार के स्रोतों के माध्यम से ऑफ़-स्ट्रीट पार्किंग के विकास में तेज़ी लाना था.[xxx] नीति में क्षेत्रीय पार्किंग योजना तैयार करने का भी प्रस्ताव था.[xxxi] शहर के प्रशासनिक निकाय, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के ज़ोनल संयुक्त आयुक्त पार्किंग स्थल प्रबंधन एजेंसियों के माध्यम से सभी पार्किंग की देखरेख करेंगे.[xxxii]
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 16.8 मिलियन लोग रहते हैं (2011 की जनगणना के अनुसार) और 2022 में यहां 13.4 मिलियन पंजीकृत वाहन थे. सितंबर 2019 में, सरकार ने 'दिल्ली पार्किंग रखरखाव और प्रबंधन नियम 2019' को अधिसूचित किया.[xxxiii] दस्तावेज़ में कहा गया है कि एक शीर्ष निगरानी समिति नियमों के कार्यान्वयन और अनुपालन की समीक्षा करेगी.[xxxiv] इसने पैदल यात्रियों, साइकिल चालकों, बसों (स्कूल बसों सहित), मेट्रो, आपातकालीन वाहनों, विकलांगों की पहुंच और पार्किंग सुविधाओं, विक्रेता क्षेत्रों, कारों के लिए पिक-अप और ड्रॉप स्पॉट और परिवहन वाहनों के लिए रात भर पार्किंग पर उचित विचार करते हुए क्षेत्रीय पार्किंग योजनाओं की तैयारी को भी अनिवार्य कर दिया है.[xxxv] दस्तावेज़ में, खास तौर पर, कहा गया कि योजनाएं ऐसे तैयार हों कि यातायात की मुक्त आवाजाही पर किसी तरह का अटकाव न आए. शीर्ष समिति, आधार पार्किंग शुल्क समिति की सिफारिशों के आधार पर आधार पार्किंग शुल्क का निर्धारण करेगी.[xxxvi] नागरिक एजेंसियों को अलग-अलग पार्किंग शुल्क निर्धारित करना चाहिए. एक गतिशील मूल्य निर्धारण तंत्र लागू किया जाना चाहिए, और सड़क पर पार्किंग के लिए ऑफ़-स्ट्रीट पार्किंग से कम से कम दोगुना शुल्क लिया जाना चाहिए.[xxxvii]
पुणे भारत का सातवां सबसे बड़ा शहर है, जिसकी जनसंख्या 3.11 मिलियन (2011 की जनगणना के अनुसार) है.[xxxviii] 2017 में, 23 गांवों को शहर की सीमा में शामिल कर लिया गया, इसके बाद 2021 में 11 और को शामिल किया गया, जिससे शहर की आबादी में लगभग दस लाख की वृद्धि हो गई.[xxxix] 2022 में, शहर में 3.2 मिलियन दोपहिया वाहन, 88,674 ऑटो रिक्शा, 36,946 टैक्सी कैब और 753,000 कारें थीं.[xl] शहर की पार्किंग नीति 2016 में जारी की गई थी.[xli] नीति के मार्गदर्शक सिद्धांतों में लोगों और वाहनों को ख़ास तरीकों के प्रति प्रेरित करना, साइकिल और परिवहन के मध्यवर्ती साधनों की पार्किंग के लिए प्रावधान करना, परिवहन के व्यक्तिगत साधनों के उपयोग को कम करना, चलने और साइकिल चलाने जैसे टिकाऊ परिवहन साधनों के उपयोग को प्रोत्साहित करना, पार्किंग स्थलों का औचित्य स्थापित करना, कुशल उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए पार्किंग के लिए शुल्क लेने को तर्कसंगत बनाना और एक राजस्व पैदा करने वाली पार्किंग प्रबंधन प्रणाली तैयार करना शामिल है.[xlii] नीति का लक्ष्य 2031 तक 80 प्रतिशत मोटर चालित यात्राओं को सार्वजनिक परिवहन में बदलना, उसी वर्ष तक कुल वाहन किलोमीटर में 50 प्रतिशत की कमी लाना और पार्किंग स्थल के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाली सड़क के कम से कम 10 प्रतिशत को सार्वजनिक खुले स्थानों में बदलना है. इसमें पार्किंग ज़िलों और प्रबंधन के लिए नई तकनीकों का भी प्रस्ताव किया गया है.[xliii]
भारत का सबसे बड़ा शहर, मुंबई, दुनिया के सबसे ज़्यादा घनत्व वाले शहरों में से एक है[xliv] (2011 की जनगणना के अनुसार 12.44 मिलियन की आबादी के साथ) और देश में सबसे अधिक वाहन घनत्व भी यहीं है.[xlv] 2020 में, मुंबई में 2.35 मिलियन दोपहिया, 220,000 तिपहिया, 1.13 मिलियन कारें और 3.95 मिलियन भारी वाहन थे.[xlvi] वर्तमान में, लगभग सभी सड़कों पर पार्किंग मोटे तौर पर विनियमित है और ज्यादातर मुफ़्त है.[xlvii] 2016 में जारी शहर की व्यापक गतिशीलता योजना ने 2,84,575 कार स्थानों के बराबर जगह (equivalent car space- ECS) की पार्किंग मांग का अनुमान लगाया.[xlviii] हालांकि, 2022 में, लगाए गए अनुमान के अनुसार शहर में उपलब्ध पार्किंग क्षमता काफी कम थी - बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के पास यह 39,501 ECS और , सरकारी, अर्ध-सरकारी संस्थाों, और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के पास 26,815 ECS थी.[xlix]
2022 में, बीएमसी ने शहर के लिए एक पार्किंग नीति जारी की, हालांकि इसका अभी तक पूरी तरह से लागू होना बाकी है. [बी] नीति का प्रस्ताव है कि बीएमसी के तत्वावधान में मुंबई पार्किंग प्राधिकरण (Mumbai Parking Authority- MPA) शहर में पार्किंग के लिए ज़िम्मेदार होगा [सी] लेकिन एक स्वतंत्र शीर्ष निकाय के साथ जिसमें यातायात और परिवहन से संबंध रखने वाले सभी सरकारी विभागों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. अपने रोज़मर्रा के मामलों की देखरेख के लिए एमपीए के पास एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अन्य पदाधिकारी भी होंगे.[डी] एमपीए को मुंबई पार्किंग पूल (निकाय द्वारा प्रबंधित ऑन- और ऑफ़-स्ट्रीट पार्किंग स्थल) बनाने और विकसित करने होंगे,[ई],[l]ऑन- और ऑफ़- स्ट्रीट पार्किंग की आपूर्ति और मांग और पार्किंग मूल्य निर्धारण को व्यवस्थित और प्रबंधन करना होगा, इसके साथ ही परित्यक्त और कबाड़ वाहनों का प्रबंधन करना होगा. एमपीए पार्किंग बुनियादी ढांचे का डिजिटलीकरण करेगा, जिससे नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से पार्किंग स्थल पहले से आरक्षित करने की सुविधा मिल सकेगी.[li] एमपीए को अलग-अलग समय, घर से काम करने और अन्य नवाचारों के माध्यम से, विशेष रूप से व्यस्त घंटों के दौरान, सड़कों पर यातायात की भीड़ को कम करने पर भी ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी.[lii]
सभी पांच शहरों की पार्किंग नीतियां कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर सहमत होती दिखती हैं. वे इस बात पर एकमत हैं कि पार्किंग मुफ़्त नहीं हो सकती और जहां भी सार्वजनिक स्थान का उपयोग किया जाता है, वहां शुल्क लिया जाना चाहिए क्योंकि 'मुफ़्त पार्किंग' की अवधारणा टिकाऊ नहीं है.
सभी पांच शहरों की पार्किंग नीतियां कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर सहमत होती दिखती हैं. वे इस बात पर एकमत हैं कि पार्किंग मुफ़्त नहीं हो सकती और जहां भी सार्वजनिक स्थान का उपयोग किया जाता है, वहां शुल्क लिया जाना चाहिए क्योंकि 'मुफ़्त पार्किंग' की अवधारणा टिकाऊ नहीं है. इस बात पर भी व्यापक सहमति है कि ऑफ़-स्ट्रीट पार्किंग का सबसे बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए और ऑन-स्ट्रीट पार्किंग को युक्तिसंगत बनाया जाना चाहिए (यातायात प्रवाह को आगे बढ़ाने के लिए इसे प्रतिबंधित और व्यवस्थित किया जाना चाहिए) ताकि चलते हुए यातायात के लिए सड़क पर अधिक स्थान उपलब्ध हो सके. निगरानी और कार्यान्वयन से संबंधित नीतिगत पहलू विकेंद्रीकरण (क्षेत्र प्रबंधन, पार्किंग ज़ोन और पार्किंग ज़िले) की सलाह देते हैं. ये नीतियां इस बात पर भी सहमत हैं कि ऑन-स्ट्रीट पार्किंग महंगी होनी चाहिए और मांग से संचालित मूल्य वृद्धि सूत्र (demand-driven pricing escalation formula) का निर्धारण किया जाना चाहिए. सभी पांच नीतियां डिजिटल तकनीकों के उपयोग के पक्ष में हैं. हालांकि, ऐसी तकनीकों के उपयोग और संचालन करने के लिए बाहरी विशेषज्ञता (तकनीकी कंपनियों/कर्मियों) की आवश्यकता होगी क्योंकि नगर निगमों के पास ऐसे बुनियादी ढांचे को संभालने के लिए उपयुक्त संसाधन होने की संभावना कम ही हैं.
एक महत्वपूर्ण तरीका जिसके ज़रिये पांचों शहर पार्किंग की मांग को प्रबंधित करने की कोशिश कर रहे हैं, वह है मूल्य निर्धारण. कुछ परिवहन विशेषज्ञों के अनुसार, पार्किंग के लिए बाज़ार मूल्य कम करने से पार्किंग की मांग बढ़ जाती है, जिसका उपयोग न्यूनतम पार्किंग आवश्यकताओं को निर्धारित करने के लिए किया जाता है.[liii] न्यूनतम पार्किंग आवश्यकताओं को समाप्त करने से शहरी विकास की लागत कम होगी, शहरी डिज़ाइन में सुधार होगा, ऑटोमोबाइल पर निर्भरता कम होगी और शहरी फैलाव को रोका जा सकेगा.[liv] दुनिया भर के कई शहरों, जैसे सिंगापुर, लंदन (यूके), कुरितिबा (ब्राज़ील) और हॉन्गकॉन्ग ने मूल्य निर्धारण उपकरणों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है.[lv] उदाहरण के लिए, सिंगापुर में, आवास विकास बोर्ड और शहरी पुनर्विकास प्राधिकरण सीज़न पार्किंग और पार्किंग कूपन की खरीद जैसी पार्किंग सेवाओं का प्रबंधन करते हैं.[lvi] शहर एक पार्किंग मार्गदर्शन प्रणाली के माध्यम से वास्तविक समय में पार्किंग का चयन सक्षम बनाता है. पार्किंग दरें क्षेत्रवार, दिनवार और समयवार निर्धारित की जाती हैं और प्रति मिनट या प्रति घंटे के हिसाब से वसूली जा सकती हैं. पार्किंग शुल्क काफ़ी ज़्यादा हैं और भूमि की लागत जैसे घटकों को दर्शाते हैं.[lvii]
इसी तरह की रणनीतियां भारतीय शहरों जैसे बेंगलुरु,[lviii] श्रीनगर,[lix] और नई दिल्ली में भी आज़माई जा रही हैं.[lx] ये शहर एक ठेकेदार को काम पर रखकर और एक विस्तृत नीति के माध्यम से निगम, स्मार्ट सिटी कार्यालय, यातायात पुलिस और ठेकेदार के बीच राजस्व को विभाजित करके चुनी हुई सड़कों पर पार्किंग प्रबंधन को लेकर प्रयोग कर रहे हैं. उचित मूल्य निर्धारण से स्थानीय निकाय के लिए पर्याप्त राजस्व उत्पन्न करने का अतिरिक्त लाभ हासिल होता है, जो स्थायी परिवहन बुनियादी ढांचे के निर्माण की लागत को आंशिक रूप से समायोजित कर सकता है. इसके अलावा, इन शहरों ने अपने क्षेत्रफल को अलग हिस्सों में बांटा है और क्षेत्र-स्तरीय पार्किंग प्रबंधन योजनाएं [एफ] बनाई हैं ताकि प्रत्येक क्षेत्र पार्किंग के मुद्दों को अलग-अलग हल करने का प्रयास कर सके. पार्किंग प्रबंधन को कुशल सड़क डिज़ाइन जैसी पूरक योजना/ डिज़ाइन तकनीकों के ज़रिए भी सहायता दी जा सकती है. इन शहरों ने कुछ ख़ास तरीकों को भी आज़माया है जो अप्रत्यक्ष रूप से पार्किंग की स्थिति में सुधार ला सकते हैं, जैसे कि लोगों को निजी मोटर वाहनों के बजाय छोटी यात्राएं पैदल करने या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु पैदल चलने की सुविधा, साइकिल चलाने के लिए बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक परिवहन में सुधार करके पैदल यात्रियों को सुविधा प्रदान करने के अधिक अर्थपूर्ण प्रयास किए गए हैं.
शहरों की पार्किंग समस्या के समाधान की चुनौतियां
भारतीय संवैधानिक आदेश उन शहरों के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा हैं जहां पार्किंग की समस्याएं हैं. उदाहरण के लिए, यद्यपि राष्ट्रीय राजमार्ग संघ सूची का हिस्सा हैं,[lxi] सड़क परिवहन राज्य का एक विषय है,[lxii] यद्यपि राज्य के क़ानूनों के तहत नगरपालिका की सड़कें नगर निकाय के अधिकार क्षेत्र में आती हैं. हालांकि, शहरी स्थानीय निकाय (urban local bodies- ULBs) का गठन और शासन राज्य द्वारा किया जाता है,[lxiii] और इसलिए राज्य स्थानीय नीतियों को निर्देशित कर सकते हैं या ULB द्वारा बनाई गई नीतियों में संशोधन कर सकते हैं. इससे शहरों के पास कोई पहल करने के लिए बहुत कम संभावना बनती है.[जी]
इसके अतिरिक्त, राज्य स्तर पर अन्य संस्थागत बाधाएं भी हैं. पुलिस कुछ पहलुओं को संभालती है जबकि अन्य परिवहन आयुक्तालय (कमिश्नरेट) के दायरे में आते हैं, जो नगर निगमों के काम करने की शक्ति को सीमित करते हैं. उदाहरण के लिए, मुंबई नगर निगम अधिनियम धारा 326 ए और धारा 326 बी में पार्किंग को शामिल करता है. धारा 326 ए नगर निगम आयुक्त को, पुलिस आयुक्त के परामर्श से, पार्किंग स्थल बनाने और निगम की स्वीकृति से पार्किंग शुल्क वसूलने का अधिकार देता है. धारा 326 बी यातायात मांग उपायों (traffic demand measures-TDM) को शुरू करने की इजाज़त देती है. इस तरह ये अधिनियम नगर निगम को अपने सभी पार्किंग कार्यों को करने में सक्षम बनाने के लिए व्यापक वैधानिक ढांचा प्रदान नहीं करता. यह मुद्दा विकसित दुनिया के अधिकांश शहरों में चिंता का विषय नहीं है जहां स्थानीय पुलिस की निगरानी सहित व्यापक अधिकार महापौर में निहित होते हैं. यही कारण है कि मुंबई ने प्रस्ताव दिया है कि पार्किंग से संबंधित सभी शक्तियों को एमपीए में निहित किया जाना चाहिए ताकि निकाय सभी संभावित पार्किंग कार्यों को कर सके. हालांकि, इसके लिए वैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी. इस तरह के संशोधन की शक्तियां राज्य के पास हैं. बीएमसी ने अंतरराष्ट्रीय कार्य प्रणालियों और प्रबंधन के तर्क के साथ एक ऐसा प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को सौंपा है.[lxiv]
एक और समस्या यह है कि सड़क परिवहन और पार्किंग ULBs के दायरे में नहीं आते. 74वें संशोधन के ज़रिए भारतीय संविधान में अनुसूची 12 को जोड़ा गया था, जिसमें नगर पालिका के 18 कामों को सूचीबद्ध किया गया है और राज्यों से इन्हें अपनाने का आग्रह किया गया था. इस सूची में परिवहन, सार्वजनिक परिवहन या पार्किंग शामिल नहीं थे. 1888 का मुंबई नगर निगम अधिनियम (Mumbai Municipal Corporation Act- MMC), जो भारत के सबसे पुराने नगरपालिका कानूनों में से एक है और जिसके आधार पर कई राज्यों ने अपने क़ानून तैयार किए हैं, पार्किंग को उन अनिवार्य कर्तव्यों की सूची में शामिल नहीं करता है, जिन्हें पूरा करना ULBs के लिए अनिवार्य है. MMC की विवेकाधीन कर्तव्यों की सूची[एच] में जनता के परिवहन के लिए ट्रामवे या यांत्रिक रूप से चालित सुविधाओं के निर्माण, खरीद, व्यवस्थापन, रखरखाव, विस्तार और प्रबंधन का उल्लेख है. हालांकि, MMC में पार्किंग के संबंध में केवल दो धाराएं (धाराएं 326 ए और 326 बी) शामिल हैं.
शहरों को भूमि उपयोग से संबंधित चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है. अधिकांश भारतीय शहरों ने सड़कों के लिए भूमि का प्रावधान करने में काफ़ी कंजूसी बरती है. उदाहरण के लिए, पुणे में कुल सड़क नेटवर्क का 62 प्रतिशत नौ मीटर से भी संकरा था. इसके अतिरिक्त, राजमार्गों के साथ समर्पित सर्विस रोड भी अपर्याप्त थीं.
शहरों को भूमि उपयोग से संबंधित चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है. अधिकांश भारतीय शहरों ने सड़कों के लिए भूमि का प्रावधान करने में काफ़ी कंजूसी बरती है. उदाहरण के लिए, पुणे में कुल सड़क नेटवर्क का 62 प्रतिशत नौ मीटर से भी संकरा था.[lxv] इसके अतिरिक्त, राजमार्गों के साथ समर्पित सर्विस रोड भी अपर्याप्त थीं. शहर की सिर्फ़ 9.29 प्रतिशत भूमि परिवहन सुविधाओं के लिए उपलब्ध थी.[lxvi] अच्छी ख़ासी अधिग्रहण लागत के कारण चिह्नित सड़कों के लिए ज़मीन अधिग्रहण करना मुश्किल है क्योंकि कई सड़कें निजी भूमि पर प्रस्तावित हैं. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम ने पुणे में 136.8 किलोमीटर रिंग रोड परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में तेज़ी लाने के लिए राज्य सरकार से 6,000 करोड़ रुपये मांगे थे.[lxvii] इसी तरह, बेंगलुरु में पाया गया कि शहर की 74 प्रतिशत प्रमुख सड़कें सिर्फ़ दो लेन की थीं और केवल 7 प्रतिशत सड़कें छह या उससे ज़्यादा लेन की थीं.[lxviii] सर्विस रोड के मामले में बेंगलुरु भी पुणे जैसी ही स्थिति में है. दिल्ली भारत का एकमात्र ऐसा प्रमुख शहर प्रतीत होता है जिसकी ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा (21 प्रतिशत) सड़कों के लिए उपलब्ध है.[lxix] इसकी तुलना में, न्यूयॉर्क, बार्सिलोना, पेरिस, एम्स्टर्डम, मेलबर्न और सिडनी जैसे कई प्रमुख शहरों में मुख्य शहरी इलाक़ों में 35 फ़ीसदी ज़मीन पर सड़कें बिछी हुई हैं.[lxx] जिन शहरों में सड़कों के लिए 30 फ़ीसदी से कम ज़मीन समर्पित की गई है, उनमें भीड़भाड़ की समस्याएं बहुत अधिक होंगी.[lxxi]
भारतीय शहरों में भीड़भाड़ से निपटने के लिए स्ट्रीट वेंडर्स के मुद्दे को सुलझाना भी आवश्यक होगा. पथ विक्रेता (आजीविका संरक्षण और पथ विक्रय विनियमन) अधिनियम, 2014 {Street Vendors (Protection of Livelihood and Regulation of Street Vending) Act, 2014} के तहत अब शहर स्ट्रीट वेंडर्स को जगह देने के लिए वैधानिक रूप से बाध्य हैं. चूंकि यह आदेश आमतौर पर शहरों के मास्टर प्लान में उचित रूप से शामिल नहीं रहता है, इसलिए फ़ुटपाथ और सड़कें अक्सर स्ट्रीट वेंडिंग का स्थान बन जाती हैं.[lxxii] ऐसी स्थिति में, सड़क पर पार्किंग एक और बड़ी चुनौती बन जाती है. विकल्प के तौर पर, कुछ शहर बहुमंज़िला ऑफ़-स्ट्रीट पार्किंग सुविधाओं पर विचार कर रहे हैं.[lxxiii] हालांकि, ऐसी सुविधाओं के लिए ज़मीन ढूंढना मुश्किल काम है, क्योंकि अन्य नागरिक सुविधाओं (जैसे स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाएं, खेल के मैदान, पार्क और बाज़ार) को प्राथमिकता दी जाएगी.
यातायात की बढ़ती भीड़ ने कुछ शहरों को भूमिगत पार्किंग पर विचार करने के लिए भी मजबूर किया है.[lxxiv] इससे ज़मीन के ऊपर चल रहे व्यवसायों और गतिविधियों को बाधित किए बिना ज़मीन के नीचे की जगह का उपयोग करना संभव हो जाता है. उदाहरण के लिए, शहर के उन क्षेत्रों में जहां भूमि की लागत अधिक है, भूमिगत पार्किंग सुविधाओं की व्यवस्था करना आर्थिक रूप से समझदारी होगी. हालांकि, ऐसी सुविधाएं महंगी हैं और इनके रख-रखाव और परिचालन की लागत ज़्यादा होती है; ज़मीन की लागत को हटा दें तो औसतन ये सतह की पार्किंग सुविधा के मुकाबले से कम से कम दोगुनी महंगी हैं.[lxxv] खुदाई के अतिरिक्त खर्च और संरचनात्मक प्रणाली की लागत को देखते हुए बहुमंजिला भूमिगत पार्किंग सुविधाएं कुल लागत को और बढ़ा देंगी. हालांकि, ज़्यादातर ULBs की नाजु़क वित्तीय हालत को देखते हुए, अधिकांश नगर निगमों के लिए भूमिगत पार्किंग एक व्यवहारिक विकल्प नहीं है.
यह ज़रूरी नहीं है कि अच्छा सार्वजनिक परिवहन यातायात की भीड़ को काफ़ी कम कर दे. भीड़भाड़ की स्थिति में सुधार करने के लिए, शहरों को निजी कारों के स्वामित्व और उपयोग के कार्यात्मक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक मूल्यों को लक्षित करने वाली गतिविधियों के साथ ही अपनी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को बेहतर बनाने के प्रयासों को मिलाकर काम करना होगा
निष्कर्ष
चूंकि, भारत के शहरों में यातायात की भीड़ बढ़ रही है और देश में शहरीकरण और भी तेज़ी से बढ़ने जा रहा है, इसलिए अच्छे, पर्याप्त और कुशल सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था और उपलब्धता सुनिश्चित करना निजी कारों के इस्तेमाल को हतोत्साहित कर सकता है. परिस्थितियों के अनुसार भारत के सबसे बड़े और सबसे भीड़भाड़ वाले शहरों- जिनमें अहमदाबाद, बेंगलुरु, पुणे, दिल्ली और मुंबई शामिल हैं- ने सार्वजनिक परिवहन में बड़े पैमाने पर निवेश किया है. दरअसल, मौजूदा समय में सभी पांच शहर अपनी मेट्रो रेल सेवाओं का विस्तार कर रहे हैं. हालांकि, TomTom Index से निकलने वाले कुछ आंकड़े हतोत्साहित करने वाले हैं.[lxxvi] सर्वेक्षण में शामिल भारतीय शहरों में यातायात की भीड़ को कम करने के मामले में सार्वजनिक परिवहन के विस्तार का बहुत कम सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. बेशक, यह ज़रूरी नहीं है कि अच्छा सार्वजनिक परिवहन यातायात की भीड़ को काफ़ी कम कर दे. भीड़भाड़ की स्थिति में सुधार करने के लिए, शहरों को निजी कारों के स्वामित्व और उपयोग के कार्यात्मक, मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक मूल्यों को लक्षित करने वाली गतिविधियों के साथ ही अपनी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों को बेहतर बनाने के प्रयासों को मिलाकर काम करना होगा.[lxxvii]
Endnote
[a] In 2023, 387 cities across 55 countries on six continents were evaluated.
[b] This is perhaps attributable to the delay in the polls to elect municipal corporators (the elections were scheduled for 2023) and the absence of an elected local body. This situation has adversely affected decision-making, with certain approvals from the state government still needed before the parking policy can become operational.
[c] To plan, regulate, and manage all on- and off-street parking and public parking places under the physical jurisdiction of Greater Mumbai.
[d] It is closely modelled on the Brihanmumbai Electric Supply and Transport Undertaking. While it is placed under the BMC umbrella, it will have autonomy in its day-to-day operations and will be led by an independent executive. The MPA has a basis in the city’s Developmental Control and Promotion Regulations 2034.
[e] To encourage all parking facilities to join the pool, the policy proposes that all entities with such features (such as government agencies or commercial and residential societies) determine their own terms and conditions and pricing. The idea is to optimise the availability of parking through the efficient utilisation of all parking available in the city while making it easy for commuters to reserve parking spots through an app.
[f] Street design comprise, inter alia, footpaths, travel lanes and transit stops, all planned and delineated in such a manner that they together optimise accessibility, mobility, safety, and aesthetics.
[g] The Seventh Schedule of the Constitution of India comprises, inter alia, a Union List and a State List. The Union List allocates 97 subjects that fall in the domain of the Parliament for legislation, with the union government having exclusive power regarding the cited subjects. The State List details a total of 66 subjects that fall in the domain of the state legislatures and on which it can make laws. These are the ones on which state legislatures can make laws. Essentially, the state governments have exclusive power regarding the subjects in this list. Municipal governance as part of local governance is allocated to the states and forms part of the State List.
[h] The MMC Act stipulates two sets of municipal duties/functions. It is incumbent on the corporation to perform and provide for the set of obligatory duties detailed in Section 61 of the Act. On the other hand, the corporation may, in its discretion, fully or partly provide for the discretionary functions. It is logical to infer that the obligatory functions are mandatory, and the corporation may enter the domain of discretionary functions only after it has satisfactorily performed the obligatory functions.
[i] Office of the Registrar General & Census Commissioner, Ministry of Home Affairs, Government of India, “Indian Census 2011,” https://censusindia.gov.in/census.website/data/population-finder
[ii] Indian Census 2011
[iii] Shangliao Sun, “Number of Registered Motor Vehicles India FY 2020, by Major City,” Statista, October 9, 2023, https://www.statista.com/aboutus/our-research-commitment/2834/shangliao-sun.
[iv] Md. Abdul Fattah, Syed RiadMorshed, and Abdulla-Al Kafy, “Insights into the Socio-economic Impacts of Traffic Congestion in the Port and Industrial Areas of Chittagong City, Bangladesh,” Transportation Engineering, ScienceDirect, September 2022.
[v] The Times of India, “Eminent Citizens Discuss Vadodara’s Traffic Woes, Solutions,” Times of India, April 13, 2014.
[vi] The Tribune, “Public Participation Must to Deal with Traffic Jams,” June 10, 2019.
[vii] Laxman More, “Pune: City of Narrow Roads,” Pune Times Mirror, November 29, 2023.
[viii] The Hindu, “Traffic Woes Dominate Public Grievances Meeting of Mangaluru,” November 11, 2023.
[ix] Nishtha Badgamia, “Work from Road”: Frustrated Locals Declare New Trend in India’s Bengaluru,” May 19, 2023.
[x] Ramanath Jha, “Citizen’s Report on their City’s Traffic Congestion: Pune,” Observer Research Foundation, December 8, 2023, Citizen’s report on their city’s traffic congestion: Pune (orfonline.org)
[xi] ET Auto, “India Surpasses Japan to become 3rd Largest Auto Market Globally,” January 6, 2023.
[xii] Invest India, “Running in the Top Gear India is the World’s Third-largest Automobile Market,” December 29, 2023, https://www.investindia.gov.in/sector/automobile
[xiii] Invest India, “Running in the Top Gear India is the World’s Third-largest Automobile Market”
[xiv] Atul Mathur, “Revenue Mop-up from Motor Vehicle Tax, Allied Charges Up 17 %, but May Fall Short of Projections,” ET Auto, January 11, 2024.
[xv] TomTom, “TomTom Traffic Index Ranking 2023”.
[xvi] TomTom, “TomTom Traffic Index Ranking 2023”
[xvii] Paul John, “Ahmedabad has Slowest Peak Hour Traffic,” Times of India, July 19, 2018, https://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/ahmedabad-has-slowest-peak-hour-traffic/articleshow/65046972.cms
[xviii] Indian Census 2011
[xix] Ahmedabad Municipal Corporation, “Revised Parking Policy 2023 Ahmedabad City,” https://ahmedabadcity.gov.in/Images/Revised%20Ahmedabad%20Parking%20Policy%202023.pdf
[xx] Ahmedabad Municipal Corporation, “Revised Parking Policy 2023 Ahmedabad City”
[xxi] Ahmedabad Municipal Corporation, “Revised Parking Policy 2023 Ahmedabad City”
[xxii] Ahmedabad Municipal Corporation, “Revised Parking Policy 2023 Ahmedabad City”
[xxiii] Ahmedabad Municipal Corporation, “Revised Parking Policy 2023 Ahmedabad City”
[xxiv] Ahmedabad Municipal Corporation, “Revised Parking Policy 2023 Ahmedabad City”
[xxv] Indian Census 2011
[xxvi] Directorate of Urban Land Transport, “Parking Policy 2.O For Bengaluru,” Urban Development Department, Government of Karnataka, December 2020
[xxvii] Suchith Kidiyoor, “Bengaluru’s Number of Vehicles Doubles in a Decade, but BMC Fleet Size Remains Stagnant,” May 21, 2022, https://www.thehindu.com/news/cities/bangalore/bengalurus-number-of-vehicles-doubles-in-a-decade-but-bmtc-fleet-size-remains-stagnant/article65442021.ece
[xxviii] Directorate of Urban Land Transport, “Parking Policy 2.0 For Bengaluru,” Urban Development Department, Government of Karnataka, December 2020, https://dult.karnataka.gov.in/assets/front/pdf/Parking_Policy_2.0.pdf
[xxix] Directorate of Urban Land Transport, “Parking Policy 2.0 For Bengaluru
[xxx] Directorate of Urban Land Transport, “Parking Policy 2.0 For Bengaluru”
[xxxi] Directorate of Urban Land Transport, “Parking Policy 2.0 For Bengaluru”
[xxxii] Directorate of Urban Land Transport, “Parking Policy 2.0 For Bengaluru”
[xxxiii] Government of the National Capital Territory of Delhi, “Delhi Maintenance and Management of Parking Places Rules,” September 23, 2019, http://it.delhigovt.nic.in/writereaddata/egaz20217593.09.2019.pdf
[xxxiv] Government of the National Capital Territory of Delhi, “Delhi Maintenance and Management of Parking Places Rules”
[xxxv] Government of the National Capital Territory of Delhi, “Delhi Maintenance and Management of Parking Places Rules”
[xxxvi] Government of the National Capital Territory of Delhi, “Delhi Maintenance and Management of Parking Places Rules”
[xxxvii] Government of the National Capital Territory of Delhi, “Delhi Maintenance and Management of Parking Places Rules”
[xxxviii] Indian Census 2011
[xxxix] Dheeraj Bengrut, “43 Lakh Vehicles Running on Pune Roads, Almost Equal to its Population,” Hindustan Times, October 25, 2022.
[xl] Bengrut, “43 Lakh Vehicles Running on Pune Roads, Almost Equal to its Population”
[xli] Pune Municipal Corporation, “Public Parking Policy 2016”.
[xlii] Pune Municipal Corporation, “Public Parking Policy 2016”.
[xliii] Pune Municipal Corporation, “Public Parking Policy 2016”.
[xliv] Times of India, ”Mumbai is World’s Second Most Densely Populated City,” March 29, 2018.
[xlv] Somit Sen, “Mumbai Traffic Chaos: Highest Private Car Density Per Km Leads to Gridlock,” Mumbai Mirror, November 5, 2023.
[xlvi] Regional Transport Officer, Mumbai
[xlvii] Brihanmumbai Municipal Corporation, “Brihanmumbai Parking Policy 2022”
[xlviii] Municipal Corporation of Greater Mumbai, “Comprehensive Mobility Plan (CMP) for Greater Mumbai,” April 2016.
[xlix] Brihanmumbai Municipal Corporation, “Brihanmumbai Parking Policy 2022”
[l] Brihanmumbai Municipal Corporation, “Brihanmumbai Parking Policy 2022”
[li] Brihanmumbai Municipal Corporation, “Brihanmumbai Parking Policy 2022”
[lii] Brihanmumbai Municipal Corporation, “Brihanmumbai Parking Policy 2022”
[liii] Donald Shoup, “The High Cost of Free Parking,” Journal of Planning Education and Research 17, no. 1 (January 2005).
[liv] Shoup, “The High Cost of Free Parking”
[lv] Hong Kong Government, “Vehicle Parking – Parking Fees of TD Multi-Storey Car Parks”.
[lvi] One Motoring, “Parking,” Land Transport Authority, Singapore.
[lvii] One Motoring, “Parking Rates”
[lviii] Directorate of Urban Land Transport, “Parking Policy 2.0 For Bengaluru”
[lix] Municipal Corporation, Srinagar, “Srinagar Metropolitan Area Parking Policy 2010".
[lx] Transport Department, Government of NCT of Delhi, “Delhi Maintenance and Management of Parking Rules, 2017,” January 29, 2018.
[lxi] Constitution of India, Seventh Schedule, List I Union List, https://www.mea.gov.in/Images/pdf1/S7.pdf
[lxii] Constitution of India, Seventh Schedule, List II State List, https://www.mea.gov.in/Images/pdf1/S7.pdf
[lxiii] Constitution of India, Seventh Schedule, List II State List
[lxiv] Municipal Commissioner, BMC, “Proposal for Statutory Amendment of the MMC Act for the Creation of MPA,” March 3, 2023.
[lxv] More, “Pune: City of Narrow Roads”
[lxvi] Pune Municipal Corporation, “Comprehensive Mobility Plan for Pune City,” November 2008.
[lxvii] Nisha Nambiar, “Rs. 6,000 Crore Sought for Outer Ring Road,” Times of India, December 18, 2023.
[lxviii] Christin Matthew Philip, “74% of Bengaluru’s Major Road Network Two-lane: Survey,” Times of India, March 16, 2020.
[lxix] Delhi Development Authority, Baseline Report on Transport, July 16, 2021.
[lxx] Gregory Scruggs, “How Much Public Space Does a City Need?” Next City, January 7, 2015.
[lxxi] Scruggs, “How Much Public Space Does a City Need?”
[lxxii] Ministry of Housing and Urban Affairs, The Street Vendors (Protection of Livelihood and Regulation of Street Vending) Act, 2014.
[lxxiii] Keshav Kaplush, “Multi-level Car Parking Systems – A Single Solution for Multiple Problems of Urban India,” Times of India Readers’ Blog, June 11, 2019.
[lxxiv] Richa Pinto, “Mumbai: BMC Plans Underground Parking Lots in Every Zone,” Times of India, June 17, 2022.
[lxxv] John Purinton and Derek Beaudoin, “The Top 10 Issues Affecting the Cost of Building a Parking Space,” Watry Design, Inc., July 2023.
[lxxvi] Ramanath Jha, “The Impact of Public Transport on Traffic Congestion in Cities,” Observer Research Foundation, September 26, 2023.
[lxxvii] Jha, “The Impact of Public Transport on Traffic Congestion in Cities”
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