Author : Erin Watson

Issue BriefsPublished on Jul 19, 2024
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भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के ज़रिये मुमकिन है वैश्विक आर्थिक एकीकरण

  • Erin Watson

    भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) जो कि इंडिया स्टैक के नाम से जाना जाता है वह केवल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए प्रभावशाली है बल्कि वैश्विक आर्थिक एकीकरण की दिशा में भी इसका गहरा महत्व है. यह इश्यू ब्रीफ स्पष्ट करता है कि कैसे इस ढांचे ने वित्तीय समावेशन को आसान बनाया है और इनोवेशन को बढ़ावा देने के साथ- साथ भारत में आर्थिक विकास को गति दी हैयह इश्यू ब्रीफ देश के वित्तीय परिदृश्य को बदलने में इंडिया स्टैक की मूलभूत भूमिका पर प्रकाश डालता है और आर्थिक विकास के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने के इच्छुक अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में इसे अपनाने की बात करता है. विभिन्न देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के डिजिटल विकास की ओर अपना कदम बढ़ा रहे हैं. ऐसे में यह तय है कि इन देशों की आर्थिक नीति का इंडिया स्टैक के साथ एकीकरण की संभावना दुनिया भर में अधिक से अधिक आर्थिक सहयोग और समावेशी विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रबल और उम्मीद से भरी ख़बर है.

Attribution:

एरिन वॉटसन, "भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के ज़रिये मुमकिन है वैश्विक आर्थिक एकीकरण" ORF इश्यू ब्रीफ नं. 700, मार्च 2024, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन.

परिचय

पश्चिमी दिल्ली के एक सुदूर इलाके की अपनी एक छोटी सी दुकान से जैस्मिन कौर ने अपने “जस्ट लुकिंग लाइक ए वाओ” इंस्टाग्राम रील्स के साथ इंटरनेट पर ज़बरदस्त शोहरत हासिल की. अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए अपनी साड़ियों और सूट के डिज़ाइन प्रदर्शित करने वाली जैस्मिन के इन आकर्षक वीडियो ने लाखों लोगों यहाँ तक कि बॉलीवुड सितारों और उनके लाखों अनुयायियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. नए भारत में एक महिला उद्यमी के रूप में जैस्मिन अपने मशहूर इंस्टाग्राम रील्स के माध्यम से वह भारत के आर्थिक विकास की लहर पर सवार थी. वह अपने व्यवसाय की प्रतिस्पर्धा को मात देने के लिए उसके पास मौजूद उपकरणों का उपयोग कर नया उदाहरण पेश कर रही थी. जैस्मिन जैसी उद्यमी महिलाओं के लिए यह व्याख्या जो उनके व्यावसायिक क्षमता को फिर से आकार दे रही थी वह केवल डिजिटल मार्केटिंग की ताकत का परिचय नहीं था. बल्कि यह उदाहरण डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के क्षेत्र में भारत के क्रांतिकारी कदमों की मिसाल थी जिसे  'इंडिया स्टैक' के रूप में जाना जाता है. 

 भारत के डिजिटलाइजेशन के प्रयासों ने व्यक्ति के जीवन के पहचान को मौलिक रूप से बदल दिया है. अब उन लोगों को बायोमेट्रिक पहचान हासिल हो चुकी है जिनके पास पहले कोई पहचान नहीं थी. ऐसे लोग जिनके पास बैंक अकाउंट तक नहीं थे उन्हें अब बैंकिंग की सुविधा हासिल हो रही है और लोगों को अपने से संबंधित डाटा के प्रबंधन में स्वयं नियंत्रण और गोपनीयता का अधिकार हासिल हो चुका है

इंडिया स्टैक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के विभिन्न भागों से बना एक एकीकृत ढांचा है जिसके मुख्य तीन स्तंभ हैं. इसमें शामिल है डिजिटल पहचान, डिजिटल भुगतान और इससे संबंधित डाटा का प्रबंधन और रखरखाव. भारत के डिजिटलाइजेशन के प्रयासों ने व्यक्ति के जीवन के पहचान को मौलिक रूप से बदल दिया है. अब उन लोगों को बायोमेट्रिक पहचान हासिल हो चुकी है जिनके पास पहले कोई पहचान नहीं थी. ऐसे लोग जिनके पास बैंक अकाउंट तक नहीं थे उन्हें अब बैंकिंग की सुविधा हासिल हो रही है और लोगों को अपने से संबंधित डाटा के प्रबंधन में स्वयं नियंत्रण और गोपनीयता का अधिकार हासिल हो चुका है.[i] जैस्मिन जैसी महिलाओं के लिए, इंडिया स्टैक की सर्वव्यापकता का मतलब यह भी है कि वह अपने ग्राहकों से आसानी से भुगतान प्राप्त कर सकती है और अपने बैंक या वकील के साथ कानूनी दस्तावेज़ साझा कर सकती है. वह अपने उद्योग में सप्लायर लोगों को आसानी से भुगतान कर सकती है और सुलभ रूप से ऋण या निवेश भी प्राप्त कर सकती है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि वह और तेज़ी से आसान और सस्ती डिजिटल तकनीक के माध्यम से अपने भुगतान और क्रिय विक्रय का हिसाब रख सकती है.

 

अब जबकि यह साफ़ हो चुका है कि भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था अब DPI के आसपास किस प्रकार आसानी से संरचित है और चूंकि भारतीयों की एक बहुत बड़ी संख्या विदेशो में बसी है, इस प्रणाली का उपयोग कर अब देश की आर्थिक क्षमता को अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में पूरी तरह इस्तेमाल करने का यह महत्वपूर्ण अवसर है.[ii] इस लेख में यह तर्क पेश किया गया है कि एक ऐसे समय में जबकि कई देश आर्थिक विविधीकरण के रास्ते में अग्रसर है और वैश्विक अर्थव्यवस्था के डिजिटलाइजेशन के लक्ष्य से जूझ रहे हैं, ऐसे में अपने द्विपक्षीय संबंधों के माध्यम से इन देशों को अपनी आर्थिक क्षमता को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने के लिए और अपने स्वयं के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को और सुदृढ़ बनाने के लिए उन्हें इंडिया स्टैक को अपनाना चाहिए. अब जबकि विकसित देश पुरानी वित्तीय प्रणालियों में सुधार करने के इच्छुक है और विकासशील देश की वित्तीय प्रणालियों का निर्माण करने के रास्ते पर अग्रसर है ऐसे में भारत का इंडिया स्टैक यानी डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा निश्चित ही विश्व भर में एक अग्रणी प्रणाली के रूप में उभरा है, जिसे अपनाया जा सकता है और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के भारत के साथ और परस्पर जोड़ने के तौर तरीकों में क्रांति लाई जा सकती है. भारत के DPI को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार द्वारा अपनाए जाने के मायने यह होंगे कि बाकी देश भारत DPI के तहत मौजूद अवसरों को सिर्फ देखने और समझने से ज़्यादा अब वे इस आर्थिक प्रणाली के साथ ख़ुद को जोड़कर इसका फ़ायदा उठा सकते हैं. 

 

इस इश्यू ब्रीफ का पहला भाग DPI और इसके प्रमुख घटकों के संदर्भ  में भारतीय पद्धति का वर्णन करता है जिसके अंतर्गत इसकी डिजिटल पहचान और भुगतान प्रणालियों के बारे में बताया गया है. इसके अलावा दूसरे भाग में यह लेख अंतरराष्ट्रीय अवसरों के बारे में बातें रेखांकित करता है जैसा कि सिंगापुर और भारत के DPI के सहयोग का उदाहरण दिया गया है. तीसरे भाग में प्रमुख बात यह रेखांकित की गई है कि अन्य देश और उनके बाज़ार भारत के DPI के अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं. इस लेख का अंत यह महत्वपूर्ण निष्कर्ष के साथ प्रस्तुत किया गया है कि कि भारत ने इंडिया स्टैक के साथ DPI के क्षेत्र में क्रांति की लौ जलाई है और वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं इसके साथ अपने आप को जोड़कर इसका लाभ उठा सकती हैं.

 

डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के प्रति भारत का दृष्टिकोण

 

डिजिटल सार्वजनिक संरचना डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए उसी तरह आधारभूत है जैसे औद्योगिकीकरण के लिए रेलवे है. भारत के संदर्भ में, DPI को लेकर भारत का दृष्टिकोण पारदर्शिता, जवाबदेही और सहभागी शासन के ढांचे के साथ-साथ यह सरंचना ओपन सोर्स, इंटर ऑपरेबल और स्केलेबल तकनीक की नींव पर आधारित प्रौद्योगिकी पर निर्भर है.[iii] ओपन-सोर्स एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) का एक स्तरित 'स्टैक' विभिन्न सरकारी एजेंसियों के अधिकार क्षेत्र में और रखरखाव में रखा गया है और डेवलपर्स सस्ते एप्लिकेशन्स को बाज़ार में मुहैया कराने के लिए इन DPI का उपयोग करके सॉफ्टवेयर बना सकते हैं.[iv] इस तरह इस तरह की तकनीक़ी व्यवस्था ने भारत में एक मज़बूत डिजिटल सेवाओं के बुनियादी ढांचे की नींव रखी है और यह इनोवेशन और उद्यमिता को भी बढ़ावा देता है. इससे वित्त, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा सहित सभी क्षेत्रों में एप्लिकेशन्स और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला का विकास हुआ है जिससे आर्थिक विकास और तकनीकी प्रगति में योगदान मिला है.[v]

 

भारत की DPI की विशेष संरचना इस प्रकार बनाई गई है कि इसे दुनिया भर के देशों द्वारा अपनाने, पुनः उपयोग करने और रेप्लिकेट करने के लिए इसे एक्सेसिबल और सुलभ बनाया जा सके. भारत विश्व में अपने DPI से एक ऐसा उदाहरण बन गया है जो दर्शाता है कि सहयोगात्मक डिजिटल सोल्यूशंस से दुनिया की आबादी को महत्वपूर्ण सेवाओं प्रदान करने में इस तरह मदद मिलेगी जो कि स्केलेबल भी है. इस प्रकार का DPI न केवल इनोवेशन, प्रतिस्पर्धा और समावेशी प्रगति को बढ़ावा देता है बल्कि ये सरंचना नियामक ढांचे द्वारा भी समर्थित है जिससे इसके संचालन को और भी सुविधाजनक बनाया जा सकता है. भारत का DPI, एक मज़बूत तकनीकी तंत्र, एक अच्छी तरह से परिभाषित शासन ढांचे और एक विविध बहु-हितधारक इकोसिस्टम की शक्ति भी साथ अपने साथ में समेटे हुए है.[vi] 

 भारत का आधार कार्ड कार्यक्रम, जो मूलतः एक बायोमेट्रिक रूप से सुरक्षित डिजिटल प्रणाली है जिसके अंतर्गत अब तक लगभग 1.3 बिलियन से अधिक लोगों को ऑनलाइन कनेक्ट किया गया है, इंडिया स्टैक की मूलभूत नींव के रूप में काम करता है

भारत का आधार कार्ड कार्यक्रम, जो मूलतः एक बायोमेट्रिक रूप से सुरक्षित डिजिटल प्रणाली है जिसके अंतर्गत अब तक लगभग 1.3 बिलियन से अधिक लोगों को ऑनलाइन कनेक्ट किया गया है, इंडिया स्टैक की मूलभूत नींव के रूप में काम करता है.[vii] आधार ने प्रत्येक नागरिक को पहचान देने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक नो योर कस्टमर (eKYC) पद्धति को सक्षम बनाया है और इस सुविधा के चालू होने का मतलब है कि एक नागरिक को, जिसे पहले अपना बैंक अकाउंट खुलवाने में दो से चार सप्ताह लगते थे वह अब इतने लंबे इंतज़ार की बजाय यह काम मिनटों में कर सकता है.[viii] यह पूरी पहल भारत सरकार के वित्तीय समावेशन की स्कीम प्रधानमंत्री जन-धन योजना (जन धन) के साथ जुड़ी हुई है और यह मुहिम  50 करोड़ से अधिक लोगों को बैंकिंग प्रणाली के साथ जोड़ने में सफ़ल रही है. और उल्लेखनीय बात यह है कि इस तरह बैंकिंग से जुड़े लोगो में अधिकांश महिलाएं हैं.[ix] 2011 और 2021 के बीच मात्र 10 वर्षों में भारत में बैंक खातेदारों की संख्या दोगुनी हुई और यह संख्या 71 प्रतिशत तक पहुँच गई और इसकी मुख़्य सफ़लता यह रही कि लाभार्थियों में स्त्री-पुरुष के बीच के प्रतिशत का अंतर लगभग शून्य था.[x]

 

आधार के विशाल पैमाने और व्यापक सफ़लता के चलते यह UPI यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस के प्रयोग को बेजोड़ बनाने में सफ़ल रहा. आधार UPI की नींव बन गई और भारत में एक रियल टाइम भुगतान प्रणाली की एक ऐसी सुविधा को हकीकत बना दिया जिसमे सभी लोग आसानी से अपने मोबाइल से ही कई बैंक खातों को जोड़कर उपयोग कर सकते थे. 

 

आज भारत में 68 प्रतिशत से अधिक लोग अपने रोज़मर्रा के लेनदेन के लिए UPI  का उपयोग करते हैं और अकेले अगस्त 2023 में इस तकनीक का उपयोग कर 10.6 बिलियन लेनदेन सुविधाजनक रूप में हुए.[xi] UPI को नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI) द्वारा चलाया जाता है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा इस पर नज़र रखी जाती है यानी RBI रेगुलेटर है.[xii] UPI को आधार और अन्य ओपन सोर्स स्टैकस परतों पर बनाया गया है और इस सुविधा से भारतीय अर्थव्यवस्था में समग्र लेनदेन लागत में काफ़ी कमी आई है. यह न केवल उपभोक्ताओं के लिए लेनदेन को अधिक किफ़ायती बनाकर व्यवसायों को लाभ पहुंचाता है बल्कि नकद लेन देन से भी निजात पाने में मदद करता है और इससे निश्चित ही देश में वित्तीय तंत्र में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही आई है.

 

आधार और UPI के अलावा, इंडिया स्टैक की तीसरी परत डाटा एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA) है जो RBI और NPCI द्वारा तैयार किया गया एक विनियमित ढांचा है जो उपयोगकर्ताओं को कंसेंट मैनेजर के माध्यम से अपना डाटा साझा करने का अधिकार देता है.[xiii] DEPA उपयोगकर्ता को अपने व्यक्तिगत डाटा पर पूरा नियंत्रण प्रदान करता है और थर्ड पार्टी सेवा प्रदाताओं के साथ इस डाटा के बिना किसी रोक-टोक के और सुरक्षित तरीके से साझा करने की सुविधा प्रदान करता है. DEPA की संरचना इस तरह बनाई गई है कि उपयोगकर्ता गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित कर विभिन्न सेवा प्रदाताओं के बीच अपने डाटा की पोर्टेबिलिटी को मुमकिन कर सकता है क्योंकि इस तकनीक से व्यक्ति का डाटा किसी भी समय, कही भी और किसी के भी पास संग्रहीत नहीं किया जा सकता है. व्यक्ति का डाटा इस तंत्र में 'गो-बेटवीन्स' या 'फिड्यूशियरीज' द्वारा एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित किया जाता है.[xiv] इस सिस्टम के आर्किटेक्चर की विशेषता यह है कि यह सहमति-आधारित डाटा-साझाकरण तंत्र पर चलता है जो व्यक्तियों को चुनिंदा रूप से अधिकृत संस्थाओं के साथ अपने डाटा को साझा करने की अनुमति देता है. भारत में उपयोग में लाए जाने वाले इस सिस्टम की ख़ासियत यह भी है कि यह अन्य देशों में उपयोग में लाए जाने वाले डाटा गवर्नेंस के मॉडल से बहुत अलग है. यहां डाटा एग्रीगेटर डाटा के बदले में सेवाएं नहीं प्रदान करते हैं जिसे डाटा एग्रीगेटर बाद में बेच देते हैं.[xv]

 

इंडिया स्टैक के  विभिन्न पहलुओं ने जिस प्रकार का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव डाला है उसका दुनिया में कहीं और हाल फिलहाल में कोई उदाहरण नहीं है.[xvi] इंडिया स्टैक ने डिजिटल लेन-देन के लिए एक सुरक्षित और आसान रास्ता बना कर  वित्तीय समावेशन में गहरा योगदान दिया है.  इस नई सुविधा ने लाखों भारतीयों को औपचारिक तौर पर देश की अर्थव्यवस्था में भाग लेने का अवसर प्रदान किया है. उल्लेखनीय बात यह है कि इसे उपयोग करने वालों में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी बहुत शामिल हैं जो देश की आबादी का 64 प्रतिशत हिस्सा है.[xvii] 

 

इंडिया स्टैक और DPI के विकास से पहले भारत में कोई केंद्रीय डिजिटल पहचान प्रणाली नहीं थी. कागज़ी दस्तावेज़ के आधार पर बनी पहचान छिन्न भिन्न थी और  "अव्यवस्थित और त्रुटिपूर्ण" कहलाई जाती थी.[xviii] उस तरह के पहचान से कई प्रकार की धोखाधड़ी की गतिविधियों को रास्ता मिलता था और इन सब के बीच कमज़ोर लोगों को नुकसान उठाना पड़ता था क्यूंकि वो अपना काम करवाने के लिए रिश्वत नहीं दे पाते थे.[xix] डिजिटल पहचान को सुदृढ़ करने के साथ-साथ, 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 500 और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण के फ़ैसले ने भारतीय मार्किट से 86 प्रतिशत से अधिक नकदी के चलन को ख़त्म कर दिया. उस वक़्त प्रधानमंत्री के विमुद्रीकरण के फैसले की भारी आलोचना की गई थी. वह इसलिए क्योंकि तब देश की 90 प्रतिशत आबादी विशेष रूप से महिलाएं और गरीब नकद भुगतान पर निर्भर करते थे.[xx] हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के लिए एक लेख में, भास्कर चक्रवर्ती ने इसे "नकदी के ख़िलाफ़ मोदी की लड़ाई" के रूप में वर्णित किया और यह सवाल भी उठाया था कि क्या भारत जबरन डिजिटलीकरण के रास्ते में सफ़ल हो पाएगा और इस पर काम कर पाएगा. आज  2024 में अगर यह सवाल फिर से पूछा जाए तो इसका जवाब है, हां, भारत इसमें सफ़ल रहा.[xxi]

इंडिया स्टैक के वैश्विक उड़ान के अवसर

इंडिया स्टैक और विशेष रूप से UPI ने न केवल भारत के वित्तीय तंत्र में बदलाव ला दिया है बल्कि इस प्लेटफार्म में वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने की भी अपार क्षमता है. दुनिया भर में आर्थिक परिदृश्य एक महत्वपूर्ण बदलाव के दौर से गुजर रहा है और अब सालो से उपयोग में लिए जा रहे पारंपरिक आर्थिक प्रणालियों को नए सिरे से डिज़ाइन करने और तकनीकी इनोवेशन पर जोर दिया जा रहा है. गहन इनोवेशन के चलते इंडिया स्टैक ने भारत को विकसित देशों की पुरानी वित्तीय और भुगतान प्रणालियों के मुकाबले लंबी छलांग लगाने में सक्षम बनाया है.  इसके अलावा यह बात भी उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रवासी दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी समूह है[xxii] और इसलिए सुलभ  व्यापार, पर्यटन गतिविधि और अंतरराष्ट्रीय स्तर उद्यम स्थापित करने और सीमा पार भी UPI का उपयोग करने की आवश्यकता और मांग दोनों बढ़ी है.[xxiii] सिंगापुर,[xxiv] संयुक्त अरब अमीरात,[xxv] भूटान,[xxvi] श्रीलंका,[xxvii] और फ्रांस[xxviii] सहित कई अंतरराष्ट्रीय मार्किट ने या तो UPI तकनीक को अपना लिया है या फिर इस तकनीक को वे अपनाना चाहते हैं.

 

अगर देखा जाए तो भारतीय आर्थिक तंत्र के साथ इंटीग्रेशन किसी भी देश के लिए आर्थिक और रणनीतिक तौर पर एक फ़ायदे का सौदा है. भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसकी GDP 3.3 ट्रिलियन डॉलर है.[xxix] भारत में 1.4 बिलियन आबादी है जो दुनिया में सबसे बड़ी है और इसमें ज़्यादा युवा है जिनमे काफ़ी क्षमता है. अर्थव्यवस्था भी सालाना लगभग 6-8 प्रतिशत के दर से तेज़ी से बढ़ रही है और जल्द ही यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी. भारत में उपभोक्ताओं की संख्या और नए आयामों को तलाशते आकांक्षी वर्ग का अनुपात भी तेजी से बढ़ रहा है और इस वर्ग के कारण वस्तुओं, सेवाओं और शिक्षा की मांग भी बढ़ रही है. भारत के आर्थिक सफ़लता की कहानी उल्लेखनीय है और यह सब 1980 के दशक में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के अंतर्गत लिए गए स्मार्ट नीतिगत निर्णयों का परिणाम है. इन सब ने लाखों लोगों को गरीबी की अवस्था से निकलने में मदद की है और शिशु मृत्यु दर और लाइफ एक्सपेक्टेंसी में भी काफ़ी सुधार हुआ है. [xxx]भारत के प्रवासी पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर दुनिया भर में फ़ैले हुए हैं. भारतीय प्रवासी वैश्विक अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देते हैं. चाहे भारतीय प्रवासी के घरेलू उपयोग के लिए भेजे जाने वाले रेमिटेंस की बात हो या संयुक्त राज्य अमेरिका में बहुराष्ट्रीय कंपनियां चलाने की बात, यह सब दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में भारतीय योगदान का प्रमाण है.[xxxi]

 भारत के आर्थिक सफ़लता की कहानी उल्लेखनीय है और यह सब 1980 के दशक में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के अंतर्गत लिए गए स्मार्ट नीतिगत निर्णयों का परिणाम है. इन सब ने लाखों लोगों को गरीबी की अवस्था से निकलने में मदद की है और शिशु मृत्यु दर और लाइफ एक्सपेक्टेंसी में भी काफ़ी सुधार हुआ है. 

इंडिया स्टैक की सफ़लता की यह गाथा ऐसे समय में लिखी जा रही है जब विश्व भर में रणनीतिक प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और अधिक से अधिक आर्थिक विविधीकरण पर जोर है. यह दौर ऐसा है जब कई देश चीन पर व्यापारिक निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहे हैं और यही कारण है कि दुनिया भर के देश इंडिया स्टैक के साथ अधिक से अधिक मिलाप की संभावनाएं तलाशने में लगे हैं. 

 

भारत और सिंगापुर के बीच का उदाहरण एक ऐसा सन्दर्भ है जिसका अनुसरण कर विकसित देश UPI को वैश्विक बाज़ारों में लाने के अनुभव को लॉन्च करने पर विचार कर सकते हैं. सिंगापुर एक विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था है जहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी और नॉन रेजिडेंट इंडियन (NRI) लोग रहते हैं. दोनों देश डिजिटल बुनियादी ढांचे के निर्माण के तरीकों की ख़ोज में थे जो तेजी से और किफ़ायती दर पर सीमा पार भुगतान को संभव बना सके और भविष्य में रेमिटेंस की प्रक्रिया को सुलभ और आसान कर सकें.[xxxii] इस साझेदारी को मुमकिन करने के लिए मोनेट्री अथॉरिटी ऑफ़ सिंगापुर (MAS), RBI और दोनों देशों के पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स, पेमेंट स्कीम ओनर्स, बैंकों और गैर-बैंक वित्तीय संस्थानों के बीच एक व्यापक साझेदारी की आवश्यकता पड़ी.[xxxiii]

 

फरवरी 2023 में MAS और RBI ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. आमतौर पर ऐसे कार्यक्रमों में राजनीतिक औपचारिकताओं की भरमार होती है लेकिन इस समझौते के हस्ताक्षर के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने अपने-अपने स्थानों से रियल टाइम एक-दूसरे को धन हस्तांतरित कर इस समझौते की शुरुआत की. इस साझेदारी को सिर्फ़ निजी क्षेत्र और सरकारी महकमों दोनों के बीच द्विपक्षीय सहयोग के माध्यम से हासिल किया जा सकता है और यह समझौता यह भी दर्शाता है कि कैसे विकसित देश अपने भुगतान प्रणालियों को इंडिया स्टैक के साथ जोड़ सकते हैं. सिंगापुर में UPI के बढ़ते उपयोग के बीच इस साझेदारी ने भारतीय प्रवासियों और NRI लोगों के लिए UPI का उपयोग कर भारतीय वित्तीय प्रणाली में अपना योगदान देने और अपनी जगह बनाने की अपार संभावना को खोल दिया है. एक ऐसे भारत में निवेश का अवसर जहां राजनीतिक इच्छाशक्ति भी है और इनोवेशन भी है. 

 

इंडिया स्टैक को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाए जाने के सुझाव 

 

भारत के साथ आर्थिक एकीकरण और व्यापार की क्षमता को बढ़ाने के अवसरों को ख़ोलने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों को अन्य देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय भुगतान के तौर तरीकों में संरचनात्मक बदलाव करने की आवश्यकता है. अन्य देशों की तरह भारत में भी हो रहे अंतरराष्ट्रीय मनी ट्रांसफर धीमे और नौकरशाही से लिप्त होते हैं. इसके ठीक विपरीत भारत में घरेलू भुगतान तेज, कुशल और कम लागत वाले हैं. इंडिया स्टैक और UPI ने भारत की अर्थव्यवस्था को बेशक गति दी है और एक अरब से अधिक लोगों के लिए बैंकिंग प्रणाली को सुलभ बना दिया है. यह एक ऐसा पैमाना है जो दुनिया भर के विकसित और विकासशील देशों को लाभान्वित कर सकता है. ऐसे कई सबक हैं जो वैश्विक बाज़ार और सरकारें भारत के DPI के अनुभव से सीख सकते हैं:

 

  1. इंडिया स्टैक को अपने सिस्टम के साथ मिलाने के लिए राजनीतिक महत्वाकांक्षा की आवश्यकता है: इंडिया स्टैक को लागू करने के लिए महत्वाकांक्षी राजनीतिक नेतृत्व और इस दृष्टि का समर्थन करने के लिए इच्छुक प्रतिभागियों के बीच सहयोग और गठबंधन की आवश्यकता होगी. हालांकि DPI की नींव पिछली सरकार में रखी गई थी लेकिन इसे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ाया गया और इसमें सुधार किए गए. जब प्रधानमंत्री ने विमुद्रीकरण जैसे दूरगामी और विवादास्पद निर्णय लिए तो उसके उद्देश्य बड़े स्पष्ट थे.  इस फ़ैसले ने देश की एक बड़ी आबादी को तेजी से ऑनलाइन होने के लिए प्रेरित किया.  मौजूदा भुगतान प्रणालियों में एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सेंट्रल बैंकों, पेमेंट अथॉरिटीज और निजी क्षेत्र जैसे स्टेकहोल्डर्स को पेमेंट सिस्टम के साथ जोड़ने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है. आपसी सहयोग से डिजिटल भुगतान प्रणालियों को और भी मजबूत किया जा सकता है ताकि धोखाधड़ी वाले लेनदेन की संभावना को बेहद कम किया जा सके.[xxxiv]

 

  1. एक बॉटम-अप अप्रोच व्यापक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के इकोसिस्टम के निर्माण में मदद कर सकता है: सिंगापुर के उदाहरण से हमने सीखा की इंडिया स्टैक के विभिन्न तत्वों का एकीकरण बिल्कुल संभव हैऔर बॉटम-अप अप्रोच से वित्तीय सेवाओं में इनोवेशन और कॉम्पीटीशन को और बढ़ावा मिलेगा  जिससे DPI के व्यापक उपयोग को सुविधा मिल पाएगी. डिजिटल पहचान भुगतान और डाटा गोपनीयता और कंसेंट को और सुदृढ़ बनाती है और ये बातें UPI के विस्तार में निर्णायक हैं.

 

  1. भारत में आर्थिक अवसरों को ख़ोलने के लिए UPI के साथ एकीकरण महत्वपूर्ण है: पूरे देश में4 बिलियन भारतीयों और व्यवसायों द्वारा उपयोग की जाने वाली भुगतान प्रणालियों में मिलने और साथ जुड़ने का मतलब है कि दो देशों की सीमाओं के पार धन का बेहतर प्रवाह होगा जैसा कि हम पहले से ही सिंगापुर के मामले में देख चुके हैं. चाहे वह ई-कॉमर्स, व्यापार, उद्यमिता, रेमिटेंस, शिक्षा या पर्यटन के माध्यम से हो, भारतीय अर्थव्यवस्था के अनुकूल कार्य करने के तरीके से अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भारतीय प्रवासी जिन देशों में अधिक मात्रा में हैं उन्हें इस बात पर विचार करना चाहिए कि उनका केंद्रीय बैंक UPI के साथ एकीकरण कर भारत के साथ कैसे सहयोग कर सकता है.

 

  1. डिजिटल सार्वजनिक ढांचे की क्षमता को अधिकतम उपयोग करने के लिए इंटरऑपरेबिलिटी और मानकीकरण बहुत ज़रूरी है: इंडिया स्टैक की शानदार सफ़लताओं में से एक इसका सार्वजनिक रेलवे डिजिटल सिस्टम है. यहां ओपन-सोर्स तकनीक का इस्तेमाल कर इनोवेटर्स कॉम्पिटिटिव सॉफ्टवेयर बनाने के समान अवसर का उपयोग कर सकते हैं. इंटरऑपरेबिलिटी और मानकीकरण भारत के साथ वैश्विक व्यापार और सीमा पार भुगतान को व्यवस्थित करने में बहुत मदद करेगा.
निष्कर्ष

इंडिया स्टैक की सफ़लता की कहानी रातों रात बनाई गई एक खूबसूरत इमारत जैसी भले ही लगे लेकिन सच्चाई ये है कि इसे खड़ा करने में दस साल का अच्छा ख़ासा समय लगा है. भारत की अर्थव्यवस्था का हिस्सा रहे या फिर इसको करीब से देखने वाले सभी ने पिछले एक दशक में एक ऐसा बदलाव देखा है जिसका दुनिया में कोई और सानी नहीं है. आज जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा देश कहलाने वाले भारत की सरंचना इंडिया स्टैक के इर्द गिर्द बनी हुई है विशेष रूप से इसकी UPI प्रणाली के आसपास. इस महत्वपूर्ण आर्थिक प्रक्रिया से देश भर में व्यापक वित्तीय समावेश संभव हो पाया है और यह सफ़लता की कहानी भारत की विकास गाथा का एक अनिवार्य हिस्सा है. 

 आज जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा देश कहलाने वाले भारत की सरंचना इंडिया स्टैक के इर्द गिर्द बनी हुई है विशेष रूप से इसकी UPI प्रणाली के आसपास. इस महत्वपूर्ण आर्थिक प्रक्रिया से देश भर में व्यापक वित्तीय समावेश संभव हो पाया है और यह सफ़लता की कहानी भारत की विकास गाथा का एक अनिवार्य हिस्सा है. 

अब जबकि दुनिया भर के देश आर्थिक विविधीकरण के लिए भारत की ओर देख रहे हैं और दुनिया भर में विशाल भारतीय प्रवासियों की मौजूदगी भी प्रबल है, ऐसे में भारत के आर्थिक प्रणालियों विशेषकर पेमेंट सिस्टम के साथ इन देशों का समाकलन एक उचित मांग और आवश्यकता दोनों है. यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि आज की तारीख़ में किसी भी विकासशील देश में इंडिया स्टैक जैसा कोई अन्य व्यापक संरचनात्मक बदलाव नही है जिसे विकसित देश भी अपनाने के लिए आतुर हों. निचले स्तर को प्राथमिकता प्रदान की गई इस प्रणाली से भारत के अपने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के कारण भारत उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में उपयोग में लाए जा रहे पारंपरिक भुगतान मॉडल से कोसो आगे निकल चुका है. इस क्रांतिकारी परिवर्तन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए अन्य देशों और उनके बाज़ारों को अब भारत की प्रणाली के अनुकूल अपने सिस्टम को बढ़ावा देना होगा न की प्रगति की इस धारा के विपरीत और यह इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि अन्यथा इन देशों के पास भारत की आर्थिक उन्नति को देखकर केवल आश्चर्य से “जस्ट लुकिंग लाइक ए वाओ” कहने का कहने के सिवा कोई चारा नही बच जाएगा.


(यह इश्यू ब्रीफ पहली बार ORF की वार्षिक पत्रिका, रायसीना फाइल्स के 2024 संस्करण में एक अलग शीर्षक कॉल ऑफ दिस सेंचुरी: क्रिएट एंड कोऑपरेटके नाम से छपा था.)

Endnotes

[i]  Yan Carrière-Swallow, Vikram Haksar, and Manasa Patnam, “Stacking Up Financial Inclusion Gains in India,” IMF, July 2021, https://www.imf.org/external/pubs/ft/fandd/2021/07/india-stack-financial-access-and-digital-inclusion.htm

[ii] DFAT, “India Economic Strategy: Chapter 18,” Australian Government, https://www.dfat.gov.au/publications/trade-and-investment/india-economic-strategy/ies/chapter-18.html#:~:text=India%20has%20the%20largest%20diaspora,origin%20spread%20across%20146%20countries.

[iii] Astha Kapoor and Erin Watson, “Defining the Digital Public Infrastructure Approach,” T20 India, 2023, https://t20ind.org/research/defining-the-digital-public-infrastructure-approach/

[iv] India Stack, “FAQ,” https://indiastack.org/faq.html

[v] IE Insights, “India’s DPI Success: A Global Blueprint,” October 2023, https://www.ie.edu/insights/articles/indias-dpi-success-a-global-blueprint/

[vi] UNDP, “Inspiring Collective Action: Digital India Sets the Stage for G20,” February 2023, https://www.undp.org/news/inspiring-collective-action-digital-india-sets-stage-g20

[vii] Government of India, “Aadhaar Dashboard,” https://uidai.gov.in/aadhaar_dashboard/index.php

[viii] Shawn Hunter, Adele Webb, and Erin Watson-Lynn, Policy Guidebook: Harnessing Digital Technology for Financial Inclusion in Asia and the Pacific, UN ESCAP, March 2022, https://www.unescap.org/kp/2022/policy-guidebook-harnessing-digital-technology-financial-inclusion-asia-and-pacific

[ix] The Economic Times, “Over 50 Cr Jan Dhan Accounts Opened in Past 9 Years; Total Deposits Cross Rs 2 Lakh Cr,” https://economictimes.indiatimes.com/news/economy/finance/over-50-cr-jan-dhan-accounts-opened-in-past-9-years-total-deposits-cross-rs-2-lakh-cr/articleshow/103091780.cms#

[x]  World Bank, “Findex 2021 India Country Brief,” 2021, https://thedocs.worldbank.org/en/doc/4c4fe6db0fd7a7521a70a39ac518d74b-0050062022/original/Findex2021-India-Country-Brief.pdf

[xi] Government of India, “Monthly Metrics,” Government of India, 2023, https://www.npci.org.in/statistics/monthly-metrics

[xii] National Payments Corporation of India (NPCI), https://www.npci.org.in

[xiii] India Stack, “Data,” October 2023, https://indiastack.org/data.html

[xiv] IMF, “India Stack: Financial Access and Digital Inclusion,” July 2021, https://www.imf.org/external/pubs/ft/fandd/2021/07/india-stack-financial-access-and-digital-inclusion.htm.

[xv] IMF, “India Stack: Financial Access and Digital Inclusion”

[xvi] Cristian Alonso et al., Stacking up the Benefits: Lessons from India’s Digital Journey, International Monetary Fund, March 2023, https://www.imf.org/-/media/Files/Publications/WP/2023/English/wpiea2023078-print-pdf.ashx.

[xvii] World Bank, “Rural Population (% of Total Population) – India,” 2023, https://data.worldbank.org/indicator/SP.RUR.TOTL.ZS?locations=IN.

[xviii] Tim O’Callahan, “What Happens When Billion Identities are Digitized,” March 2020, https://insights.som.yale.edu/insights/what-happens-when-billion-identities-are-digitized

[xix] O’Callahan, “What Happens When Billion Identities are Digitized”

[xx] Bhaskar Chakravorti, “India’s Botched War on Cash,” Harvard Business Review, December 2016, https://hbr.org/2016/12/indias-botched-war-on-cash.

[xxi] Chakravorti, “India’s Botched War on Cash”

[xxii] DFAT, “India Economic Strategy: Chapter 18”

[xxiii] NPCI, “UPI PayNow - NPCI International,” 2023, https://www.npci.org.in/who-we-are/group-companies/npci-international/upi-paynow?TSPD_101_R0=08d1fc67a6ab20003d8994ae2ff4fafbd7758be7b06ff046ee528bd3e04ba113c69f91f7ce618d2008dacc4730143000cd9c3ed1a33e5d6ec0b6848cdf43afa355f048d48c0f86cc71a857749309b33115bc6736ccdad5c62247fb8abc49231b.

[xxiv] MAS, “Launch of Real-Time Payments Between Singapore and India,” February 2023, https://www.mas.gov.sg/news/media-releases/2023/launch-of-real-time-payments-between-singapore-and-india.

[xxv] Finextra, “UAE to Launch National Domestic Card Scheme,” October 2023, https://www.finextra.com/newsarticle/43137/uae-to-launch-national-domestic-card-scheme.

[xxvi] The Indian Express, “Bhutan Becomes the First Neighbouring Country to Use BHIM UPI,” July 2021, https://indianexpress.com/article/business/bhutan-becomes-the-first-neighbouring-country-to-use-bhim-upi-7403970/

[xxvii]  The Economic Times, “India and Sri Lanka Working Together to Link UPI and Lanka Pay: PM Modi,” October 2023, https://economictimes.indiatimes.com/industry/banking/finance/banking/india-and-sri-lanka-working-together-to-link-upi-and-lanka-pay-pm-modi/articleshow/104417986.cms.

[xxviii] Livemint, “UPI in France: UPI to Go Live in France in Three to Four Months, Says NIPL CEO Ritesh Shukla,” July 2023, https://www.livemint.com/news/india/upi-in-france-upi-to-go-live-in-france-in-three-to-four-months-says-nipl-ceo-ritesh-shukla-11689741994629.html.

[xxix] World Bank, “GDP – Current USD,” 2023, https://data.worldbank.org/indicator/NY.GDP.MKTP.CD?most_recent_value_desc=true

[xxx] DFAT, “India Economic Strategy: Chapter 1,” https://www.dfat.gov.au/publications/trade-and-investment/india-economic-strategy/ies/chapter-1.html.

[xxxi] DFAT, “India Economic Strategy: Chapter 18”

[xxxii] MAS, “Launch of Real-Time Payments Between Singapore and India”

[xxxiii] MAS, “Launch of Real-Time Payments Between Singapore and India”

[xxxiv] Divya Bhati, “More Than 95,000 UPI Fraud Cases Reported in 2022, Here is How You Can Stay Safe,” India Today, May 2023, https://www.indiatoday.in/technology/news/story/more-than-95000-upi-fraud-cases-reported-in-2022-here-is-how-you-can-stay-safe-2386084-2023-05-29

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