Author : Syed Raiyan Amir

Published on Sep 23, 2022 Updated 0 Hours ago

भारत और बांग्लादेश के बीच बढ़ता ऊर्जा सहयोग, क्षेत्रीय संबंधों के नए आयाम खोलने में मददगार साबित हो सकता है.

शेख हसीना-मोदी शिखर सम्मेलन 2022: ऊर्जा सहयोग बढ़ाने का प्रयास

ऊर्जा का मुद्दा आज पूरी दुनिया में एक प्रमुख चिंता के रूप में सामने आया है और ज़ाहिर है कि इस चिंता की वजह यूक्रेन में युद्ध और वैश्विक महामारी है. मौजूदा परिस्थियों में विश्वभर के देश ऊर्जा उत्पादन और इसकी निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क से संबंधित अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार कर रहे हैं. इन हालातों के कारण देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों तरह के संबंधों में ऊर्जा का विषय एक ‘भू-राजनीतिक केंद्रबिंदु’ के रूप में उभरकर सामने आया है. ऊर्जा संकट वैश्विक और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को विभिन्न तरीक़ों से अलग-अलग तरह की आर्थिक मंदी में घकेलने का काम करता है. इस पृष्ठभूमि में, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हाल ही में हुई भारत यात्रा, बांग्लादेश ही नहीं पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए एक बड़ी उम्मीद जगाती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान ऊर्जा सहयोग के मुद्दे को प्रमुखता से शामिल किया गया था. भारत में ऊर्जा की कोई किल्लत नहीं है, एक हिसाब से ऊर्जा की प्रचुरता है. भारत में ऊर्जा की अधिकता बांग्लादेश के लिए इसे पाने का मार्ग प्रशस्त करता है. ऐसे में दोनों देशों के बीच बढ़ा हुआ सहयोग, क्षेत्रीय संबंधों में नए क्षितिज खोलने में मददगार सिद्ध हो सकता है, क्योंकि बांग्लादेश और भारत दोनों ही दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं में से हैं.

भारत में ऊर्जा की कोई किल्लत नहीं है, एक हिसाब से ऊर्जा की प्रचुरता है. भारत में ऊर्जा की अधिकता बांग्लादेश के लिए इसे पाने का मार्ग प्रशस्त करता है. ऐसे में दोनों देशों के बीच बढ़ा हुआ सहयोग, क्षेत्रीय संबंधों में नए क्षितिज खोलने में मददगार सिद्ध हो सकता है

बांग्लादेश और भारत के बीच 11 जनवरी, 2010 को एक समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर के साथ ही दोनों देशों के बीच बिजली उद्योग को लेकर सहयोग शुरू हुआ. 5 अक्टूबर, 2013 को बांग्लादेश और भारत के बीच पहले सीमा पार कनेक्शन को चालू किया गया था. भेरामारा बैक-टू-बैक स्टेशन पर दूसरा 500 मेगावाट एचवीडीसी ब्लॉक चालू होने के साथ ही बेहरामपुर-भेरामारा लिंक पर बिजली ट्रांसफर क्षमता 10 सितंबर, 2018 को बढ़कर 1,000 मेगावाट हो गई थी. इसके साथ ही कनेक्टिविटी को और सुदृढ़ करने एवं निर्भरता बढ़ाने के लिए बेहरामपुर और भेरामारा के बीच एक दूसरी 400 केवी डबल सर्किट लाइन का निर्माण किया गया था. इसका पहला सर्किट 14 जून, 2021 को संचालित किया गया था. भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (त्रिपुरा राज्य) से बांग्लादेश के लिए एक अतिरिक्त लिंकेज बनाया गया है. भारत के सूर्यमणिनगर और बांग्लादेश के कोमिला को जोड़ने वाली एक 63-किलोमीटर लंबी, 400 केवी डबल सर्किट लाइन की सर्विस 17 मार्च, 2016 को शुरू की गई थी.

शिखर सम्मेलन 5 से 8 सितंबर तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया था. यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हुआ जब दुनिया ऊर्जा संकट का सामना कर रही है. हालांकि बांग्लादेश और भारत यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि ऊर्जा व्यवस्था स्थिर रहे.

ऊर्जा सहयोग के लिए किए गए प्रयास

बांग्लादेश में शुरू की गई बिजली परियोजनाओं में से एक प्रमुख मैत्री पावर प्लांट की यूनिट I है. रियायती वित्त पोषण योजना के तहत 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की भारतीय डेवलपमेंट सहायता के साथ बांग्लादेश के रामपाल, खुलना में अनुमानित 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत वाले 1320 (660×2) मेगावाट के सुपरक्रिटिकल कोयला संचालित थर्मल पावर प्लांट की स्थापना की जा रही है. यह ऊर्जा क्षेत्र में दोनों सरकारों के सहयोग को मज़बूत करने के अपने प्रयासों को एक साथ रखने के इरादों को प्रदर्शित करता है.

इससे पहले, 2 जुलाई, 2021 से पावर प्लांट के लिए भारत से बांग्लादेश को कोयले का निर्यात शुरू हुआ था. बिजली के निरंतर उत्पादन को बरक़रार रखने के लिए कोयले की आपूर्ति की स्थिरता बेहद ज़रूरी है, क्योंकि यही वो चीज़ है जो ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करेगी.

नई दिल्ली में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाक़ात के बाद अडानी पावर लिमिटेड ने कहा कि वह 16 दिसंबर तक झारखंड राज्य में 1.6 गीगावाट का एक पावर प्लांट शुरू कर देगी, इसके साथ ही बिजली निर्यात के लिए समर्पित वितरण लाइनें भी शुरू कर दी जाएंगी.<

बांग्लादेश की सरकार ऊर्जा क्षेत्र में दूसरे देशों यानी बांग्लादेश के बाहर से निजी निवेश की भी अनुमति प्रदान कर रही है. उद्योगपति गौतम अडानी ने वर्ष 2022 पूरा होने से पहले पूर्वी भारत में स्थित अपने कोयले से संचालित होने वाले पावर प्लांट से बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति शुरू करने की योजना बनाई है, ताकि बांग्लादेश के ऊर्जा संकट को कम किया जा सके. नई दिल्ली में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना से मुलाक़ात के बाद अडानी पावर लिमिटेड ने कहा कि वह 16 दिसंबर तक झारखंड राज्य में 1.6 गीगावाट का एक पावर प्लांट शुरू कर देगी, इसके साथ ही बिजली निर्यात के लिए समर्पित वितरण लाइनें भी शुरू कर दी जाएंगी.

दोनों देशों के नेताओं ने अपने-अपने देशों की बिजली व्यवस्थाओं और तंत्र के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए परियोजनाओं को तेज़ी से शुरू करने का भी निर्णय लिया. इसमें विशेष प्रायोजन व्हीकल के लिए बांग्लादेश-भारत संयुक्त उद्यम के जरिए बांग्लादेश में पार्बतीपुर से होते हुए कटिहार (बिहार) से बोरनगर (असम) तक प्रस्तावित उच्च क्षमता वाली 765 केवी ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण शामिल है. दोनों देशों के मध्य ऊर्जा के क्षेत्र में सब-रीजनल सहयोग को बढ़ाने पर भी सहमति हुई. ज़ाहिर है कि भारत को नेपाल और भूटान से बिजली आयात करने के लिए कहा गया था. भारत सरकार ने कहा कि भारत में पहले से ही इसके लिए आवश्यक नियम और दिशा-निर्देश मौजूद हैं.

इस दौरान, असम और मेघालय में भीषण बाढ़ के कारण हुई देरी को देखते हुए, भारत सरकार ने भी बांग्लादेश के माध्यम से असम से त्रिपुरा तक पेट्रोलियम, तेल और लुब्रीकेंट्स के शिपमेंट को सुविधाजनक बनाने में बांग्लादेश के त्वरित समर्थन का स्वागत किया. इसके अलावा, बांग्लादेश को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) को रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों के मान्यता प्राप्त G2G निर्यातक के रूप में नामित करने के बांग्लादेश के फ़ैसले को भी भारत ने सराहा.

 

 

ऊर्जा संभावनाएं

बांग्लादेश-भारत मैत्री पाइपलाइन को लेकर भी भारत और बांग्लादेश द्वारा विचार-विमर्श किया गया और इस परियोजना का मूल्यांकन किया गया. यह पाइपलाइन भारत से उत्तरी बांग्लादेश में हाई-स्पीड डीज़ल के परिवहन की सुविधा प्रदान करेगी और बांग्लादेश की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करेगी. 346 करोड़ रुपये की यह पाइपलाइन परियोजना बांग्लादेश के दिनाजपुर ज़िले के पाबर्तीपुर को भारत के पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से जोड़ेगी. 130 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन की वार्षिक क्षमता 10 लाख मीट्रिक टन की होगी.

इस मुलाक़ात के दौरान भारत सरकार से बांग्लादेश की पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू मांग को पूरा करने में उसकी मदद करने के लिए भी कहा गया था. इस पर भारत सरकार ने इससे जुड़ी दोनों देशों की एजेंसियों के बीच बातचीत की व्यवस्था करने का वादा किया.

 

सब-रीजनल स्तर: SASEC, BBIN और BIMSTEC

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की इस यात्रा ने SASEC, BBIN और BIMSTEC जैसे उप-क्षेत्रीय मंचों के माध्यम से आगे और सहयोग सुनिश्चित करने के लिए कुछ और बिंदुओं को जोड़ा है. इस सभी मंचों से जुड़े देशों के ऊर्जा से संबंधित सिद्धांत है, जिनका इन्हें पालन करना होता है और इनके बीच कुछ समझौते भी हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री शेख हसीना की यह यात्रा इन मंचों को कुछ ऐसी नई समझ और उपाय भी प्रदान करने वाली साबित हुई है, जिनसे सब-रीजनल क्षेत्रों में ऊर्जा सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकता है. बांग्लादेश की भौगोलिक स्थित एक लिहाज से बेहतरीन है, जो उसके आंतरिक संपर्क क्षेत्र को आसान बनाती है. इन विशेषताओं के साथ बांग्लादेश ऊर्जा संकट को दूर करने के लिए क्षेत्रीय शक्तियों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. इसके अतिरिक्त, बांग्लादेश अपनी भू-रणनीतिक लोकेशन की वजह से दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के मध्य एक बेहद प्रभावी पुल का भी काम कर सकता है. हाल-फिलहाल में हुआ बांग्लादेश का ढांचागत विकास, क्षेत्रीय स्तर पर एक नए आयाम के साथ सहयोग को बढ़ावा देगा. ऐसे में यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि ऊर्जा का आदान-प्रदान इस सहयोग को ना केवल और नई ऊंचाई पर ले जा सकता है, बल्कि ऊर्जा व्यवस्था में भी स्थिरता ला सकता है.

निष्कर्ष

प्रत्येक राष्ट्र और क्षेत्र के लिए प्राकृतिक संसाधनों का वितरण और ऊर्जा की खपत के पैटर्न अलग-अलग हैं. सीमा-पार संपर्क, क्षेत्र की ऊर्जा सुरक्षा और लचीलेपन को बढ़ाने के साथ-साथ संसाधनों के अधिकतम वितरण को संभव बनाते हैं. तेज़ी से हो रहे अपने आर्थिक विस्तार की वजह से दुनिया की सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाली दो अर्थव्यवस्थाएं, यानी बांग्लादेश और भारत, वैश्विक ऊर्जा की मांग को बढ़ा रहे हैं. ज़ाहिर है कि बीते दस सालों में बांग्लादेश और भारत के बीच सफ़ल और निर्बाध ऊर्जा सहयोग देखने को मिला है. यह सहयोग दक्षिण एशिया क्षेत्र में भविष्य की सीमा-पार सफ़लताओं और आपसी तालमेल के लिए एक मिसाल पेश करता है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.

Author

Syed Raiyan Amir

Syed Raiyan Amir

Syed Raiyan Amir is a Research Associate at the KRF Center for Bangladesh and Global Affairs. Previously he worked at the United Nations Office on ...

Read More +

Related Search Terms