ऐसा लगता है कि भारत में कोविड-19 की दूसरी वेव ने हमला बोल दिया है. मार्च के पहले हफ़्ते में हर दिन औसतन 16,740 नए केस आ रहे थे. यानी प्रति दिन नए केस केस का औसत तीन गुना बढ़ गया है. पिछले एक हफ़्ते के दौरान अचानक ही नए केस का आंकड़ा, प्रति दिन पचास हज़ार के पार चला गया है.
भारत में कोविड के बढ़ते नए मामलों के साथ-साथ देश में कोरोना के टीकाकरण के अभियान की गति भी तेज़ हुई है. भारत ने अब तक क़रीब साढ़े छह करोड़ लोगों को कोविड-19 का टीका लगाने में सफलता प्राप्त की है.
भारत का कोविड की वैक्सीन लगाने का साप्ताहिक औसत 22 लाख के पार चला गया है. अगर आगे भी टीकाकरण की यही रफ़्तार रहती है, तो 75 प्रतिशत आबादी को टीका लगाने में 3.1 वर्ष लग जाएंगे. टीकाकरण की रफ़्तार में ये गिरावट पहली बार देखी गई है, जब पिछले हफ़्ते के दौरान 75 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन देने का औसत अनुमान 2.4 वर्ष से बढ़कर 3.1 वर्ष पहुंच गया. इसकी वजह शायद ये थी कि लोकप्रिय त्यौहार होली के चलते औसत टीकाकरण की रफ़्तार धीमी पड़ गई.
अगर आगे भी टीकाकरण की यही रफ़्तार रहती है, तो 75 प्रतिशत आबादी को टीका लगाने में3.1 वर्षलग जाएंगे.
पिछले हफ़्ते भारत ने लगभग 1.54 करोड़ कोविड के टीके लगाए थे. इस दौरान सबसे उच्चतम दैनिक स्तर वो था जब एक दिन में 34 लाख लोगों को वैक्सीन की खुराक दी गई. शुरुआत में तो टीकाकरण को लेकर लोगों में उत्साह की कमी दिख रही थी. लेकिन, पिछले तीन हफ़्तों के दौरान भारत ने टीका लगाने के साप्ताहिक औसत दो गुने से भी ज़्यादा कर लिया है.
भारत में कोविड-19 के सबसे ज़्यादा टीके महाराष्ट्र में लगाए जा रहे हैं. अब तक वहां क़रीब 5.78 करोड़ लोगों को वैक्सीन की डोज़ दी जा चुकी है. इस समय देश के कुल नए कोविड केस में से पचास प्रतिशत से भी अधिक अकेले महाराष्ट्र से ही आ रहे हैं. पिछले दो सप्ताह के दौरान महाराष्ट्र में कोरोना का संक्रमण इतनी तेज़ी से बढ़ा है कि कई ज़िलों में आंशिक लॉकडाउन से लेकर रात के कर्फ्यू लगाने जैसे क़दम उठाने पड़े हैं. इसके अलावा, महाराष्ट्र में टीका लगाने की दर को भी तेज़ किया गया है.
जहां तक वैक्सीन की कुल ख़ुराक देने का मामला है, तो महाराष्ट्र के बाद राजस्थान (54 लाख टीकों के साथ) दूसरे नंबर पर और उत्तर प्रदेश (53 लाख टीके) तीसरे स्थान पर है. वहीं, ज़्यादा केस होने के बावजूद राजधानी दिल्ली में टीकाकरण की रफ़्तार बेहद धीमी है. पिछले दो महीनों के दौरान दिल्ली में केवल 11 लाख लोगों को कोविड की वैक्सीन दी जा सकी है. इसी तरह, पंजाब में भी पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान कोरोना के नए केस बड़ी तेज़ी से बढ़े हैं. इनमें से कई मामले अधिक ख़तरनाक नए वैरिएंट के हैं. लेकिन, पंजाब भी कोविड का टीका लगाने में बहुत पीछे चल रहा है. अब तक पंजाब सात लाख से कुछ ही ज़्यादा लोगों को टीका लगा सका है.
भारत ने कोरोना के टीकाकरण अभियान के अपने दूसरे दौर में साठ साल से ज़्यादा उम्र के लोगों के साथ-साथ 45 साल के उन लोगों को भी टीका लगाना शुरू किया था, जो अन्य बीमारियों से भी ग्रस्त हैं. इसके बाद से भारत में टीका लगाने की रफ़्तार चार गुना बढ़ गई. केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, अब तक 60 साल से ज़्यादा उम्र के 2.9 करोड़ और 45 से 60 साल उम्र के अन्य बीमारियों से ग्रस्त लगभग 70 लाख लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है. इस हफ़्ते दूसरे वर्ग के लोगों को वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक भी दी जाने लगी है. अप्रैल महीने के साथ ही भारत में 45 साल से अधिक उम्र के हर व्यक्ति को कोविड-19 का टीका लगाना शुरू हो गया है.
वैसे तो टीकाकरण की रफ़्तार धीरे-धीरे तेज़ हो ही रही है. लेकिन, कोविड के नए वैरिएंट के फैलने और नए मामले सामने आने के कारण, अब आबादी को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाने की ज़रूरत बढ़ रही है
मोटे तौर पर देखें तो अब तक, भारत की क़रीब 90 लाख आबादी को वैक्सीन की दोनों ख़ुराक दी जा चुकी हैं. अगस्त महीने तक अपनी एक चौथाई आबादी को कोविड-19 का टीका लगाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारत को अपने टीकाकरण की रफ़्तार बढ़ानी होगी. अब चूंकि देश में 45 साल से ज़्यादा उम्र के हर व्यक्ति को टीका लगना शुरू किया जा चुका है, तो भारत की कोशिश ये है कि नागरिकों को वैक्सीन की ख़ुराक लेने के लिए दो किलोमीटर से ज़्यादा दूरी न तय करनी पड़े. वैसे तो टीकाकरण की रफ़्तार धीरे-धीरे तेज़ हो ही रही है. लेकिन, कोविड के नए वैरिएंट के फैलने और नए मामले सामने आने के कारण, अब आबादी को प्राथमिकता के आधार पर टीका लगाने की ज़रूरत बढ़ रही है.
बाक़ी दुनिया में टीकाकरण की रफ्तार
पूरी दुनिया में अब तक 141 देशों में 57.4 करोड़ लोगों को कोरोना का टीका लगाया जा चुका है. पिछले हफ़्ते दुनिया भर में 1.03 करोड़ लोगों को कोविड की वैक्सीन दी गई थी. पूरी दुनिया की बात करें तो, इस हफ़्ते हर दिन कोविड का टीका लगाने की दर 1.22 करोड़ ख़ुराक से बढ़कर 1.48 करोड़ ख़ुराक तक पहुंच गई. इससे दुनिया की 75 प्रतिशत आबादी को टीका लगाने की अनुमानित समय सीमा ढाई साल से घटकर दो वर्ष तक आ गई है.
अगर, टीकाकरण के वैश्विक आंकड़ों को बारीक़ी से देखें, तो सबसे ज़्यादा वैक्सीन अमेरिका में दी जा रही है. 29 मार्च तक अमेरिका में लोगों को वैक्सीन की 14.7 करोड़ ख़ुराक दी जा चुकी है. इसके बाद चीन (11 करोड़) और भारत (6.3 करोड़ ख़ुराक) का नंबर आता है. जहां तक प्रतिदिन दी जाने वाली ख़ुराक की बात है, तो इसमें चीन पहले स्थान पर है. वहां प्रतिदिन टीके की 43 लाख ख़ुराक लोगों को दी जा रही है. इसके बाद अमेरिका (27 लाख) और भारत (17 लाख) का नंबर आता है. आबादी के हिसाब से देखें तो इस मामले में अभी इज़राइल सबसे आगे है. उसने अपने देश के हर 100 नागरिकों पर टीके की 112 ख़ुराक दे दी है. वहीं, चीन और भारत इस मामले में काफ़ी पीछे हैं. चीन ने हर 100 लोगों पर 8 और भारत ने 100 लोगों पर टीके की औसतन 4.5 ख़ुराक ही दी हैं.
वैक्सीन मैत्री (#VaccineMaitri)
कोविड-19 की वैश्विक महामारी के ख़िलाफ मानवता की इस जंग में कोरोना का टीकाकरण एक महत्वपूर्ण मोड़ कहा जा रहा है. जिन देशों ने अपने यहां की 30 प्रतिशत से ज़्यादा आबादी को कोविड-19 की वैक्सीन दे दी है, वहां पर कोरोना वायरस के संक्रमण में कमी दर्ज की जा रही है; हालांकि वैक्सीन के वितरण और उपलब्धता में असमानता अब भी बनी हुई है.
ये भारत की कोशिशों का ही नतीजा है कि बहुत से विकासशील देश अपने यहां कोरोना का टीकाकरण शुरू कर सके हैं.
दुनिया भर में अब तक कोविड-19 के जितने टीके लगाए गए हैं, उनमें से 44 प्रतिशत ख़ुराक केवल अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में दी गई हैं. बहुत से देशों, और ख़ास तौर से अफ्रीका में तो अब तक कोविड-19 का टीकाकरण अभियान शुरू भी नहीं हो सका है. वहीं, उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देश अपने यहां टीकाकरण की रफ़्तार को लगातार बढ़ा रहे हैं. अमेरिका में हर 100 लोगों पर 27 ख़ुराक तो यूरोप में प्रति 100 लोगों पर 16 ख़ुराक दी जा चुकी है; वहीं अफ्रीकी देश इस मामले में बहुत पीछे हैं. अफ्रीका में हर 100 लोगों पर पिछले हफ़्ते तक टीके की 0.7 ख़ुराक का औसत ही हासिल किया जा सका है.
अभी दुनिया में 67 ऐसे देश हैं, जो अपने यहां कोरोना का टीकाकरण नहीं शुरू कर पाए हैं. इनमें से 58 विकासशील देश हैं. इससे भी अधिक चिंता की बात ये है कि जहां कम आमदनी और मध्यम आमदनी वाले 57 प्रतिशत देश अपने यहां कोरोना का टीकाकरण शुरू कर चुके हैं, उन देशों में भी टीकाकरण का औसत कुल आबादी का केवल 3.8 प्रतिशत है. जबकि अधिक आमदनी वाले देश अपनी कुल आबादी के 24 प्रतिशत हिस्से को टीकाकरण अभियान के दायरे में ला चुके हैं.
भारत अपने साझेदार देशों को लगातार कोविड-19 के टीके उपलब्ध करा रहा है. 31 मार्च तक भारत ने अन्य देशों को कोविड के टीके की 6.4 करोड़ ख़ुराक उपलब्ध कराई है. इसमें से एक करोड़ ख़ुराक दान के रूप में दी गई है. ये भारत की कोशिशों का ही नतीजा है कि बहुत से विकासशील देश अपने यहां कोरोना का टीकाकरण शुरू कर सके हैं.
अपने यहां से टीकों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अफ़वाहों के बीच भी भारत ने सिर्फ़ पिछले हफ़्ते ही वैक्सीन की क़रीब पांच लाख ख़ुराक छह देशों को भेजी. भारत सरकार ने स्पष्टीकरण भी दिया है कि वो अपने साझेदार देशों को अलग अलग चरणों में कोविड-19 के टीके उपलब्ध कराता रहेगा; हालांकि, भारत में टीके बनाने की क्षमता और अपने राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान को देखते हुए अन्य देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराने की समय सीमा में बदलाव की ज़रूरत पड़ सकती है.
83 देशों को कोरोना का टीका उपलब्ध कराने के बावजूद भारत अपने यहां टीकाकरण अभियान को नई गति देने में सफल रहा है. भारत को ये विश्वास है कि वैक्सीन के बढ़ते निर्यात के बावजूद, वो अपने यहां टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण को सफलतापूर्वक लागू कर सकेगा. भारत में इस समय वैक्सीन के सात विकल्प उपलब्ध हैं, जो क्लिनिकल ट्रायल के अलग अलग दौर से गुज़र रहे हैं. इसके अलावा देश में कोरोना वैक्सीन के क़रीब दो दर्जन विकल्प और भी हैं, जो क्लिनिकल ट्रायल से पहले के दौर में हैं. नई वैक्सीन के विकास की इस गति को देखते हुए, और हर दिन टीका लगाने के औसत को पचास लाख तक पहुंचाने की कोशिशों के चलते, ये उम्मीद की जा सकती है कि भारत अगस्त 2021 तक अपनी प्राथमिकता और संक्रमण के सबसे ज़्यादा ख़तरे वाली आबादी को टीका लगाने का लक्ष्य पाने में सफल रहेगा.
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