Author : Harsh V. Pant

Published on Jun 16, 2025 Commentaries 0 Hours ago

अमेरिका की महानता किसी अन्य राष्ट्र की तुलना में अधिक प्रबुद्ध होने में नहीं है, बल्कि अपनी गलतियों को सुधारने की उसकी क्षमता में है.' यह देखना अभी बाकी है कि क्या ट्रंप का अमेरिका ऐसे क्रांतिकारी बदलाव के लिए तैयार है

ट्रंप का अमेरिका किस मोड़ पर खड़ा है?

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ईरान-इजरायल के बीच भड़कते युद्ध के बीच बहुत से देशों को उम्मीद है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संघर्ष विराम की पहल करेंगे. क्या यह उम्मीद पूरी होगी, यह कहना मुश्किल है, क्योंकि आजकल अमेरिका खुद अपनी समस्याओं में उलझा हुआ है. वहां बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन देखे जा रहे हैं. आज यह देखना जरूरी है कि अमेरिका कैसे हालात से गुजर रहा है.

विरोध को दबाने की कोशिश के तहत ही ट्रंप को शनिवार को राजधानी वाशिंगटन डीसी में सैन्य परेड करानी पड़ी. हजारों सैनिकों ने टैंकों, हेलीकॉप्टरों व विमानों के साथ अमेरिकी सेना के 250 वें स्थापना दिवस के जश्न में नेशनल मॉल से मार्च किया, जबकि पूरे देश में लाखों लोगों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया. गौर करने की बात है, साल 1991 के बाद से अमेरिका की राजधानी में यह पहली सैन्य परेड थी और यह उस दिन हुई, जब ट्रंप 79 वर्ष के हुए.

प्रदर्शनकारियों और कानून लागू करने वाली एजेंसियों के बीच लगातार झड़पें; शहर-दर-शहर कर्फ्यू: एक के बाद दूसरे विश्वविद्यालय को दी जा रही चुनौती; कैद किए जा रहे छात्र और सरकार के विभिन्न अंगों द्वारा एक-दूसरे से असहमतियों का खुला इजहार, राजनीतिक हत्याएं, यह तस्वीर तीसरी दुनिया के किसी तानाशाही वाले देश की नहीं, आज के अमेरिका की है. 

प्रदर्शनकारियों और कानून लागू करने वाली एजेंसियों के बीच लगातार झड़पें; शहर-दर-शहर कर्फ्यू: एक के बाद दूसरे विश्वविद्यालय को दी जा रही चुनौती; कैद किए जा रहे छात्र और सरकार के विभिन्न अंगों द्वारा एक-दूसरे से असहमतियों का खुला इजहार, राजनीतिक हत्याएं, यह तस्वीर तीसरी दुनिया के किसी तानाशाही वाले देश की नहीं, आज के अमेरिका की है. लॉस एंजिल्स की सड़कों ने पिछले कुछ दिनों में जो भयंकर आग देखी, इसकी लपटें अमेरिका के कई प्रमुख शहरों तक फैल गई है, मगर व्हाइट हाउस की नीतिगत पहल पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है.

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल अमेरिका के सामाजिक-राजनीतिक विकास के लिहाज से एक निर्णायक क्षण के रूप में उभर रहा है. दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए एक नजीर रहा अमेरिका आज सामाजिक ध्रुवीकरण और राजनीतिक अव्यवस्थाओं से भरा हुआ है, जो हमें विकासशील दुनिया के अनेक देशों की याद दिलाता है. वाशिंगटन के राजनीतिक

पंडित इन देशों को शासन करने के तरीके की नसीहतें देते रहते हैं. लॉस एंजिल्स में पिछले हफ्ते से ही विरोध-प्रदर्शन जारी हैं. मुख्यतः आप्रवासन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग द्वारा अप्रवासियों को निशाना बनाकर छापे मारे जा रहे हैं, जिसके जवाब में पूरे शहर में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं. बढ़ती अशांति को देखते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने लॉस एंजिल्स में 2,000 नेशनल गार्ड और 700 मैरीन सैनिकों की तैनाती कर दी है. कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम और लॉस एंजिल्स की मेयर करेन बास सहित अनेक स्थानीय अधिकारियों ने इस कदम की आलोचना की है, हालांकि एक संघीय न्यायाधीश ने ट्रंप प्रशासन के इस कदम का समर्थन किया है.

आप्रवासन एक बड़ा विभाजनकारी मुद्दा

अमेरिका की घरेलू राजनीति में आप्रवासन एक बड़ा विभाजनकारी मुद्दा बन गया है. ट्रंप प्रशासन ने इसे लेकर कई आक्रामक नीतियां लागू की हैं, जिनसे इस मसले परराष्ट्रीय बहस तेज हो गई है और बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. अनुमान है, ट्रंप के कार्यकाल में लाखों अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से निकाला जाएगा. इन कदमों के समर्थन के लिए उन्होंने 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' भी पेश किया है. यह एक व्यापक विधायी प्रस्ताव है, जो इन कदमों के लिए अरबों डॉलर आवंटित करता है. इनमें सालाना दस लाख लोगों को अमेरिका से बाहर निकालने और सीमाओं पर दीवार खड़ी करने के लिए धन मुहैया कराना शामिल है.

अनुमान है, ट्रंप के कार्यकाल में लाखों अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से निकाला जाएगा. इन कदमों के समर्थन के लिए उन्होंने 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' भी पेश किया है

जाहिर है, राजनीतिक विभाजन साफ-साफ दिखाई पड़ रहा. रिपब्लिकन जहां बड़े पैमाने पर ट्रंप प्रशासन के नजरिये का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं डेमोक्रेट नागरिक आजादी, मानवाधिकारों और इतने बड़े पैमाने पर निष्कासन के आर्थिक प्रभाव को लेकर अपनी चिंताएं जता रहे हैं. गवर्नर गैविन न्यूसम ने, जो डेमोक्रेट नेता और राष्ट्रपति के प्रमुख आलोचक हैं, लॉस एंजिल्स में सैन्य तैनाती को एक 'तानाशाह राष्ट्रपति की विक्षिप्त कल्पना' बताया है. व्हाइट हाउस के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ स्टीफन मिलर लगातार दोहरा रहे हैं कि व्हाइट हाउस को आशा है कि आव्रजन व सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग एक दिन में 3,000 तक गिरफ्तारियां कर सकता है. राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों की गिरफ्तारियों के

मुकाबले यह कई गुणा अधिक है. ट्रंप ने कहा था कि वह अमेरिकी सड़कों पर वामपंथी अराजकता को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे और इससे मुक्ति पाने के लिए बतौर राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का पूरा प्रयोग करेंगे.

गहराता जा रहा राजनीतिक ध्रुवीकरण

मगर इस सबसे अमेरिका में राजनीतिक ध्रुवीकरण गहराता जा रहा है. देश की दो प्रमुख सियासी पार्टियों, रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के बीच की वैचारिक खाई और चौड़ी हो गई है. दोनों ही पार्टियां बीच की स्थिति से दूर होती जा रही हैं. यह बदलाव कांग्रेस में स्पष्ट रूप से दिखता है, जहां पिछले पांच दशकों में सदस्यों की विचारधाराएं अधिक चरम पर पहुंच गई हैं और इसके परिणामस्वरूप उनमें आपसी सहयोग कम हो गया है.

ध्रुवीकरण शैक्षिक तौर भी साफ-साफ दिख रहा है. डेमोक्रेट्स उच्च शिक्षित व्यक्तियों के साथ अधिक जुड़े हुए हैं, जबकि रिपब्लिकन उन मतदाताओं का अधिक प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनके पास कॉलेज की डिग्री नहीं है. इस विभाजन ने बिल्कुल विपरीत विचारों को जन्म दिया है. डेमोक्रेट जहां प्रामाणिक विशेषज्ञों का पक्ष लेते हैं, तो वहीं रिपब्लिकन विश्वविद्यालयों और मीडिया संस्थाओं के प्रति संदेह जताते हैं. बढ़ते ध्रुवीकरण के कारण विधायी गतिरोध पैदा हो रहा है. कई महत्वपूर्ण नीतिगत पहल को कांग्रेस से पारित होने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य सेवा, आप्रवासन और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे इस गतिरोध के शिकार बन गए हैं. जाहिर है, ऐसे गतिरोध लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता के विश्वास को कम करते हैं और दबाव वाले मुद्दों से निपटने में सरकार की क्षमता को प्रभावित करते हैं.

अमेरिका एक मुश्किल दौर से गुजर रहा है और कई लोगों का तर्क है कि एक राष्ट्र के तौर पर इसे ऐसे नुकसान होने जा रहे हैं, जिनकी भरपायी न हो सकेगी. हालांकि, अमेरिका में अपनी मूल शक्तियों को बार-बार हासिल करने की महान प्रवृत्ति है. फ्रांसीसी राजनीति विज्ञानी एलेक्सिस डी टोकेविले ने कहा था, 'अमेरिका की महानता किसी अन्य राष्ट्र की तुलना में अधिक प्रबुद्ध होने में नहीं है, बल्कि अपनी गलतियों को सुधारने की उसकी क्षमता में है.' यह देखना अभी बाकी है कि क्या ट्रंप का अमेरिका ऐसे क्रांतिकारी बदलाव के लिए तैयार है? क्या डोनाल्ड ट्रंप में घरेलू अंसतोष के न्यायपूर्ण समाधान और दुनिया में अमन-चैन लाने की क्षमता या इच्छा है?


यह लेख हिंदुस्तान में प्रकाशित हो चुका है.

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