Issue BriefsPublished on Jun 07, 2025
ballistic missiles,Defense,Doctrine,North Korea,Nuclear,PLA,SLBM,Submarines
Air Defence Mechanisms A Primer On India And Pakistan

भारत और पाकिस्तान का हवाई रक्षा तंत्र: एक शुरूआती झलक!

  • Prateek Tripathi
  • Kartik Bommakanti

    आधुनिक युद्ध कला में एयर डिफेंस यानी हवाई रक्षा (AD) की अहमियत को लेकर कभी कोई शक था ही नहीं. "ऑपरेशन सिंदूर" ने साबित कर दिया है कि यह अब भी प्रासंगिक बना हुआ है. भारत और पाकिस्तान दोनों से ही ऑर्डर ऑफ बैटल (ORBAT) में AD सिस्टम्स ने ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. दोनों देशों के बीच हालिया संघर्ष ने भी इन प्रणालियों की परीक्षा ली थी. इस ब्रीफ में दोनों देशों-भारत और पाकिस्तान के AD सिस्टम्स का अवलोकन किया गया है. इसके साथ ही इस ब्रीफ में दोनों देशों के AD सिस्टम्स की सापेक्ष मजबूतियों की चर्चा की गई है. इस ब्रीफ में यह भी चर्चा की गई है कि कैसे इन दोनों देशों ने  AD सिस्टम्स का अधिग्रहण किया और अपनी सेना के तीनों अंगों में इन हवाई रक्षा प्रणालियों का एकीकरण किया है. "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान AD सिस्टम्स का प्रदर्शन यह भी साफ़ कर देगा कि भविष्य में ये दोनों देश अपनी हवाई रक्षा प्रणालियों को और कैसे पुख़्ता करेंगे.

Attribution:

एट्रीब्यूशन : प्रतीक त्रिपाठी और कार्तिक बोम्मकांति, “भारत और पाकिस्तान का हवाई रक्षा तंत्र: एक शुरूआती झलक!,” ORF इश्यू ब्रीफ नं. 809, मई 2025 ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन.

Image Source: Getty

प्रस्तावना

पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के हाथों 26 नागरिकों की हत्या किए जाने का जवाब देने के लिए भारत ने 6-7 मई 2025 को "ऑपरेशन सिंदूर" आरंभ किया. भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में यह ऐतिहासिक क्षण था. यह ऑपरेशन और उसे पाकिस्तान की ओर से दिया गया जवाब मुख्यत: परमाणु संपन्न दोनों पड़ोसी देशों के बीच एक हवाई एवं हवाई रक्षा प्रणाली युद्ध था. इस युद्ध की घटनाओं ने स्टैटिक इंस्टालेशंस यानी स्थायी स्थापनाएं, मोबाइल प्लैटफॉर्म्स, हथियार प्रणालियों, ट्रुप कंसंट्रेशन यानी सैनिकों के जमावड़ों और नागरी बुनियादी ढांचे को हवाई और हवा से भूमि पर वार करने वाले हथिथारों से जुड़े ख़तरों से सुरक्षित रखने में हवाई रक्षा प्रणालियों की अहम भूमिका को उजागर कर दिया.

भारत के पास मल्टी-टीअर्ड यानी बहु स्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली मौजूद है. इसमें आयातित, संयुक्त रूप से निर्मित तथा घरेलू प्रणाली शामिल है. इस बहु स्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली में लंबी दूरी तक, मध्यम दूरी तक तथा छोटी दूरी तक हस्तक्षेप करने की क्षमता है. पाकिस्तान भी बहुस्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली हासिल करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन "ऑपरेशन सिंदूर" ने यह बात साबित कर दी है कि उसकी कोशिश भारत के मुकाबले अभी काफ़ी नवजात अवस्था में है. पाकिस्तान की वर्तमान हवाई रक्षा प्रणालियों में अधिकांश चीन में उत्पादित प्रणालियां शामिल हैं. हालांकि हालिया सैन्य संघर्ष की वजह से अब रावलपिंडी चीनी और तुर्की, घरेलू विकास और दूर की संभावना है कि यूरोपियन यूनियन के सहयोग से हवाई रक्षा क्षमताओं में अपने निवेश को और अधिक प्रोत्साहित करेगा.

 

भारत की हवाई रक्षा प्रणाली

 

1. बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस 

पाकिस्तान ने जब 1995 में चीन से  M-11 मिसाइल्स लिए तो भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) कार्यक्रम आरंभ हुआ. इस कार्यक्रम ने 1998 में पाकिस्तान के परमाणु परीक्षण एवं 1999 के कारगिल युद्ध के बाद गति पकड़ी. द डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) अर्थात रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने अप्रैल 2019 में अपना पहला चरण पूरा किया और दूसरा चरण अभी चल रहा है. पहले चरण में पाकिस्तान की बैलिस्टिक मिसाइलों से पैदा होने वाले ख़तरे से निपटने के लिए एंडो-एटमॉस्फियरिक इंटरसेप्शन को डिजाइन किया गया, जबकि दूसरे चरण में एक्जो-एटमॉस्फियरिक इंटरसेप्शन पर ध्यान दिया जा रहा है. दूसरे चरण में चीनी मिसाइल्स से रक्षा करने पर ध्यान दिया जा रहा है.

भारत का BMD एक द्विस्तरीय प्रणाली है जो 2,000 किमी की रेंज तक आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकती है यानी रोकने की क्षमता रखती है. (दूसरे चरण में यह रेंज बढ़कर 5,000 किमी तक हो जाएगी). हाई-अल्टीट्यूड यानी अधिक ऊंचाई पर इंटरसेप्शन के लिए भारत ने 1990 के दशक में पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) सिस्टम को विकसित करना शुरु कर दिया था. 2006 में इस पर काम पूरा हुआ और इसका परीक्षण किया गया.

भारत का BMD एक द्विस्तरीय प्रणाली है जो 2,000 किमी की रेंज तक आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकती है यानी रोकने की क्षमता रखती है. (दूसरे चरण में यह रेंज बढ़कर 5,000 किमी तक हो जाएगी). हाई-अल्टीट्यूड यानी अधिक ऊंचाई पर इंटरसेप्शन के लिए भारत ने 1990 के दशक में पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) सिस्टम को विकसित करना शुरु कर दिया था. 2006 में इस पर काम पूरा हुआ और इसका परीक्षण किया गया. सैद्धांतिक रूप से PAD 2,000 किमी की रेंज यानी दूरी तक, 80 किमी ऊंचाई पर, Mach 5 गति के साथ आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को रोकने की क्षमता रखता है. सेकंड टियर के एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) सिस्टम का भी 2006 में सफ़लतापूर्वक परीक्षण किया गया था. यह 30 किमी तक के कम ऊंचाई वाले खतरों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. भारत ने दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के साथ-साथ परमाणु और अंतरिक्ष इंस्टालेशंस यानी अधिष्ठापनों को कवर करने या सुरक्षित करने के लिए PAD तथा AAD इंटरसेप्टर्स को रणनीतिक रूप से तैनात किया है.

अपने BMD कार्यक्रम के फेज II / दूसरे चरण के हिस्से के रूप में भारत पृथ्वी डिफेंस व्हीकल (PDV) को विकसित कर रहा है. इसका 2017 में परीक्षण किया गया था और यह 100 किमी तक की ऊंचाई पर एक्जो-एटमॉस्फियरिक लक्ष्यों को रोकने की क्षमता रखता है.

 

चित्र 1: भारत की बहु-स्तरीय ड्रोन प्रतिरोधी एवं हवाई रक्षा ग्रीड

Air Defence Mechanisms A Primer On India And Pakistan

स्रोत : रक्षा मंत्रालय

 

2. लंबी दूरी की हवाई रक्षा प्रणाली (400 किमी तक)

S – 400

रूस के अलमाझ सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो द्वारा विकसित S-400 ट्रायंफ सरफेस-टू-एयर मिसाइल (SAM) सिस्टम यानी भूमि से हवाई वार करने वाली प्रणाली को अप्रैल 2007 में सेना की सेवा में शामिल किया गया था. भारत ने 2016 में पांच S-400 सिस्टम्स ख़रीदने के लिए 5.4 बिलियन अमेरिकी डालर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे. इसे दुनिया की सबसे उन्नत लंबी दूरी वाली हवाई सुरक्षा प्रणालियों में से एक प्रणाली माना जाता है. S-400 में एकीकृत रूप से मल्टीफंक्शन रडार, ऑटोनॉमस डिटेक्शन एंड टार्गेटिंग सिस्टम्स (स्वायत्त पहचान एवं लक्ष्यीकरण प्रणाली), एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम्स, लांचर्स एवं एक कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर उपलब्ध हैं. यह चार तरह की-शॉर्ट-रेंज 9M96E (40 किमी), मीडियम-रेंज 9M96E2 (120 किमी), लांग-रेंज 48N6DM (250 किमी), तथा वेरी लांग-रेंज 40N6 (400 किमी) - मिसाइल का उपयोग करता है. इसी वजह से एक लेयर्ड डिफेंस यानी स्तरीय रक्षा व्यवस्था तैयार होती है. यह प्रणाली सभी प्रकार के हवाई लक्ष्यों का मुकाबला कर सकती है. इसमें 30 किमी की ऊंचाई पर 400 किमी तक की दूरी के हवाई जहाज, मानवरहित हवाई व्हीकल्स यानी वाहन (UAVs) तथा बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल शामिल है. S-400 को महज पांच मिनट में तैनात किया जा सकता है और यह एक साथ 36 लक्ष्यों को पहचानकर उसे रोकने में सक्षम है. इस प्रणाली को भारतीय वायु सेना, थल सेना और नौसेना के मौजूदा तथा भावी हवाई रक्षा यूनिट्‌स के साथ एकीकृत किया जा सकता है.

BMD नेटवर्क का मिशन कंट्रोल सेंटर (MCC) 500 किमी से अधिक दूरी तक नज़र रखने वाले लांग-रेंज ट्रैकिंग रडार्स (LRTRs) के नेटवर्क के साथ भारतीय हवाई क्षेत्र की निरंतर निगरानी करता है. इन रडार्स का उपयोग करते हुए एक्सट्रीम रेंज यानी बहुत दूर से आने वाले ख़तरों की शिनाख़्त कर उसे ट्रैक किया जाता है अर्थात उन पर नज़र रखी जाती है.

2021 से आरंभ होकर अब तक भारत को रूस से S-400 के तीन रेजिमेंट्‌स मिल चुके हैं, जबकि 2026 तक दो और रेजिमेंट्‌स की डिलेवरी नियोजित है. अब इसे S-400 सुदर्शन चक्र के नाम से पहचाना जाता है और यह भारत की लंबी-दूरी की एकमात्र हवाई सुरक्षा प्रणाली है. 

 

3. मीडियम-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम्स (100 किमी तक)

बराक-8

बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के दो संस्करण हैं : एक 100 किमी तक की रेंज वाला नौसेना-आधारित लांग-रेंज सरफेस-टू-एयर ( मिसाइल (LRSAM) सिस्टम तथा दूसरा 70 किमी तक की रेंज वाला मीडियम-रेंज सरफेस-टू-एयर (MRSAM) सिस्टम. इन दोनों को ही अब भारतीय सेना, नौसेना तथा वायु सेना में शामिल कर लिया गया है. इसे DRDO तथा इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रिज (IAI) ने भारत और इजराइल के बीच हुए अंतर-सरकारी समझौते के तहत संयुक्त रूप से विकसित किया गया है. इस सिस्टम में भारत के सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की इकाइयों के साथ-साथ MSMEs भी शामिल है. इस मिसाइल सिस्टम की भारत को बिक्री 2017 में की गई थी और उस समय से ही लगातार परीक्षण हो रहे हैं. इसका अंतिम परीक्षण 4 अप्रैल 2025 को किया गया. MRSAM सिस्टम के सहयोग से विभिन्न ख़तरों जिसमें हवाई जहाज, UAVs, म्युनिशंस/युद्ध-सामग्री और क्रूज मिसाइल के विरुद्ध प्वाइंट एंड एरिया अर्थात बिंदु एवं क्षेत्र हवाई रक्षा उपलब्ध होती है. 

 

4. शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम्स (35 किमी तक)

आकाश

आकाश एक शॉर्ट-रेंज मोबाइल SAM प्रणाली है, जिसे स्वदेश में ही DRDO ने विकसित किया है. इस प्रणाली का विकास 1983 में आरंभ किया गया था. लेकिन अनेक टेस्ट फायरिंग के बाद इसे 2015 में आधिकारिक रूप से भारतीय सेना एवं वायु सेना में शामिल किया गया. इसमें 30-35 किमी तक की रेंज में इंटरेप्शन (अवरोधन करने) करने की क्षमता है और यह 18 किमी तक की ऊंचाई पर टार्गेट को निशाना बना सकता है. इस प्रणाली को पूर्णत: स्वायत्त रूप से चलाते हुए अनेक हवाई लक्ष्यों जिसमें हवाई जहाज, UAVs तथा क्रूज मिसाइल शामिल हैं, को निशाना बनाया जा सकता है. 2016 में भारत सरकार ने 70 किमी तक की विस्तारित दूरी वाले आकाश नेक्स्ट जनरेशन (Akash NG) सिस्टम के विकास को मंजूरी दी है. 2021 तथा 2024 में Akash NG का सफ़लतापूर्वक परीक्षण किया गया है.

 

SPYDER

सरफेस-टू-एयर पायथन एंड डर्बी (SPYDER) एक लो-लेवल, क्विक रिएक्शन SAM सिस्टम है, जिसे राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स तथा IAI के MBT मिसाइल डिवीजन एवं एल्टा रडार डिवीजन ने विकसित किया है. SPYDER में हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर्स, UAVs तथा प्रीसिजन-गाइडेड म्युनिशंस को निशाना बनाने में सक्षम है. यह फिक्स्ड एसेट्‌स (अचल संपत्ति) के साथ-साथ युद्ध क्षेत्र में मोबाइल फोर्सेस यानी चलित सेना को प्वाइंट एंड एरिया सुरक्षा मुहैया करवाता है. SPYDER लांचर को दो तरीके की इंटरसेप्टर मिसाइल फायर करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसके सहयोग से पायथन-5 तथा डर्बी मिसाइल को चलाया जा सकता है.

SPYDER सिस्टम के दो वेरिएंट्‌स यानी संस्करण हैं: पहला SPYDER-SR (शॉर्ट-रेंज) है. इसकी रेंज 15 किमी की है और यह 20 m से 9,000 m की ऊंचाई तक निशाना लगा सकता है. यह सिस्टम चार मिसाइल लेकर 360° में चौकन्ना रहकर वार कर सकता है और लक्ष्य की पुष्टि होने के पांच सेकेंड के भीतर ही मिसाइल लांच करने में सक्षम है. यह सिस्टम मल्टी-टार्गेट को सिंगल, मल्टीपल तथा रिपल (लगातार) फायरिंग करते हुए लक्षित करने की क्षमता रखता है. इसका न केवल दिन में बल्कि रात में और हर तरह की मौसमी स्थितियों में उपयोग किया जा सकता है. SPYDER-MR (मीडियम-रेंज) की रेंज 35 किमी तक की है और यह 16 किमी से 20 किमी तक की ऊंचाई पर निशाना साध सकता है. इसमें आठ मिसाइल लगाई जा सकती है और इसके साथ एडवांस्ड IAI/Elta MF-STAR सर्विलांस रडार भी मौजूद है. भारत ने 2009 में 18 SPYDER-MR सिस्टम्स के साथ 750-750 पायथन और डर्बी मिसाइल ख़रीदे थे. इस सिस्टम का उपयोग करके 2019 में किए गए बालाकोट हवाई हमले के बाद एक पाकिस्तानी निगरानी ड्रोन को मार गिराया गया था.

ऊपर दी गई प्रणालियों के अलावा भारत के पास विरासत वाले सोवियत शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम जैसे S-125 Pechora , 9K33 Osa-AK , तथा 2K12 Kub/Kvadrat भी मौजूद हैं. DRDO एक 25-30 किमी रेंज वाली क्विक रिएक्शन यानी त्वरित कार्रवाई सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम (QRSAM) को भी विकसित कर रहा है. इसे भी शीघ्र ही भारत की हवाई सुरक्षा प्रणाली में शामिल किए जाने की उम्मीद है.

 

5. वेरी-शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (10 किमी तक)

भारत के पास बेहद कम दूरी वाली हवाई रक्षा प्रणाली भी उपलब्ध है, जिसकी क्षमता 10 किमी से भी कम है. इसका उपयोग मुख्यत: दुश्मनों के हवाई जहाज से थल सेना एवं टैंक रेजिमेंट्‌स को बचाने के लिए किया जाता है. यह सिस्टम UAVs के ख़िलाफ़ भी उपयोगी है. इस प्रणाली में अधिकांश सोवियत और रूसी मिसाइल तथा गन सिस्टम्स जैसे कि 2K22 Tunguska (तुंगुस्का), L-70 anti-aircraft gun (हवाईजहाज रोधी पिस्तौल/बंदूक), तथा ZSU-23-4 Shilka (शिल्का) का समावेश है. इसके अलावा भारत ने रूसी मैन-पोर्टेबल (जो कोई व्यक्ति आसानी से ले जा सके) एयर डिफेंस सिस्टम्स (MANPADS), जिसमें Igla-M तथा उसका अधिक उन्नत वारिस Igla-S, भी ख़रीदा है. भारतीय सेना ने अप्रैल 2024 में ही इसकी नई बैच को हासिल किया है. DRDO भी एक घरेलू वेरी-शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम यानी बेहद कम दूरी वाली हवाई रक्षा प्रणाली (VSHORADS) विकसित कर रहा है. 

 

निगरानी एवं समन्वय

BMD नेटवर्क का मिशन कंट्रोल सेंटर (MCC) 500 किमी से अधिक दूरी तक नज़र रखने वाले लांग-रेंज ट्रैकिंग रडार्स (LRTRs) के नेटवर्क के साथ भारतीय हवाई क्षेत्र की निरंतर निगरानी करता है. इन रडार्स का उपयोग करते हुए एक्सट्रीम रेंज यानी बहुत दूर से आने वाले ख़तरों की शिनाख़्त कर उसे ट्रैक किया जाता है अर्थात उन पर नज़र रखी जाती है. इसमें दो EL/M-2080 ग्रीन पाइन रडार्स का समावेश है, जिसका निर्माण IAI ने किया है. इन्हें 2000 के आरंभिक वर्षों में भारत को निर्यात किया गया था. इसके अलावा लाइसेंस के तहत दो रडार्स का निर्माण भारत में किया गया था, जिसका नाम “Swordfish” है. ये एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एैरे (AESA) LRTRs है, जिनकी आरंभिक रेंज 600 किमी थी और अब इसे कथित रूप से 1,500 किमी तक विस्तारित कर दिया गया है. MCC को इंडियन एयर फोर्स (भारतीय वायु सेना) (IAF) तथा नेशनल टेक्नीकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के ELM-2090 टेरा सिस्टम्स (इन्हें भी इजराइल से ख़रीदा गया है), जो बेहद लंबी-दूरी तक खोज एवं शिनाख़्त करते हैं, से पूर्व चेतावनी का डाटा (जानकारी) भी मिलता है. इसके अलावा MCC को IAF’s के एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AEW&C) से भी जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है. DRDO की ओर से विकसित Netra (नेत्रा) AEW&C का उपयोग करते हुए दुश्मन/प्रतिरोधी हवाई जहाज तथा UAVs का शिनाख़्त कर उनका पीछा किया जा सकता है. इसे फोर्स मल्टीप्लायर सिस्टम ऑफ सिस्टम्स अर्थात शक्ति को दोगुना करने वाली प्रणाली भी माना जाता है. इसका रडार कवरेज 240 डिग्री का है और इसकी रेंज 200 किमी तक की है. [a] इसके साथ ही भारत 360-डिग्री रडार कवरेज और 400 किमी से अधिक की रेंज वाले तीन इजराइली IL-76-आधारित फाल्कन एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम्स (AWACS) को भी संचालित करता है.

IAF का इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम अर्थात एकीकृत हवाई कमान एवं नियंत्रण प्रणाली (IACCS) तथा थल सेना का आकाशतीर सिस्टम हवाई क्षेत्र की निगरानी का समन्वय तथा संपूरण करने का काम करते है. IACCS एक स्वचलित हवाई रक्षा कमान एवं नियंत्रण केंद्र है जो IAF के ऑपरेशंस को नियंत्रित करने और उन पर निगरानी रखने का काम करता है. यह हवाई क्षेत्र प्रबंधन एवं हथियार नियंत्रण के लिए केंद्रबिंदु के रूप में काम करता है. वर्तमान में नौ IACCS नोड्‌स कार्यरत हैं जो संपूर्ण भारतीय हवाई क्षेत्र को कवर करते हैं. IAF के अधिकांश रडार्स IACCS, सिविलियन यानी नागरिक रडार्स एवं AWACS के साथ एकीकृत किए गए हैं. रडार से मिली हुई जानकारी का विश्लेषण करते हुए इस जानकारी को संयोजित किया जाता है ताकि हवाई क्षेत्र का एक समग्र चित्र तैयार किया जा सके. इसके पश्चात इस चित्र को हथियार नियंत्रण केंदों के साथ साझा किया जाता है.

आकाशतीर एक एयर डिफेंस कंट्रोल एंड रिर्पोटिंग सिस्टम है, जिसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने भारतीय सेना के लिए विकसित किया है. इसका निर्माण मार्च 2023 में BEL तथा रक्षा मंत्रालय के बीच 2,000 करोड़ रुपए के एक हस्ताक्षरित समझौते के तहत किया गया है. यह प्रणाली रियल-टाइम एयरस्पेस मॉनिटरिंग एवं वर्धित निर्णय लेने के लिए रडार तथा संचार डाटा यानी जानकारी को सहजता के साथ एकीकृत करता है. यह प्रणाली हवाई रक्षा ऑपरेशंस को स्वचलित बनाती है जिसकी वजह से मानवीय हस्तक्षेप कम होता है और महत्वपूर्ण ऑपरेशंस के दौरान त्वरित/जल्दी जवाब देना सुनिश्चित किया जाता है. वाहन-आधारित होने की वजह से यह प्रणाली अधिक गतिशीलता उपलब्ध करवाती है और एयरबोर्न यानी हवा में मौजूद लक्ष्यों के ख़िलाफ़ फ्लेक्सीबिलिटी अर्थात लचीलापन भी देती है. सितंबर BEL ने 2024 तक 100 से अधिक आकाशतीर सिस्टम्स की आपूर्ति कर दी है.

भारतीय सेना तथा IAF वर्तमान में आकाशतीर एवं IACCS के एकीकरण पर काम कर रहे हैं. जनवरी 2025 में एक साइट पर यह काम सफ़लतापूर्वक किया जा चुका है.

 

पाकिस्तानी हवाई सुरक्षा प्रणाली

पाकिस्तान के पास भी बहुस्तरीय हवाई रक्षा (AD) क्षमता मौजूद है. इसमें चीनी और कुछ पश्चिमी प्रणालियों का समावेश है. इसके अलावा वहां के बढ़ते AD उद्योग का भी इसमें योगदान है. तीनों शाखाओं-पाकिस्तानी सेना (PA), पाकिस्तानी वायु सेना (PAF) तथा पाकिस्तानी नौसेना (PN) विभिन्न तरीके की हवाई सुरक्षा प्रणालियों से लैस हैं. हालांकि ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तानी AD पोश्चर यानी रुख टेरिटोरियल डिफेंस  के बजाय बेस डिफेंस की तरफ अधिक झुका हुआ है. पाकिस्तान में टेरिटोरियल डिफेंस के प्रबंधन का ज़िम्मा अधिकांशत: PAFs के हवाई लड़ाकू विमानों पर निर्भर है. यह बात वर्तमान में भी सही दिखाई देती है. भारत की ओर से छेड़े गए "ऑपरेशन सिंदूर" ने यह दिखाया भी है. इस दौरान पाकिस्तान के AD क्षमता, विशेषत: PAF की, में कुछ कमज़ोरियां उजागर हुई थी. भारत ने PAF की 11 अलग-अलग हवाई ठिकानो को सटीकता के साथ निशाना बनाया था. इस हमले के कारण पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर तैनात रडार प्रतिष्ठानों, हथियार भंडार केंद्रों एवं रनवे को अंशत: अथवा पूर्णत: नष्ट कर दिया गया था.

HQ16A, जिसे LY-80 के नाम से भी जाना जाता है, एक चीन निर्मित मीडियम-रेंज SAM (MRSAM) सिस्टम है. इसका संचालन करने वाली PA ने इसे 2010 के दशक में हासिल किया था. इस AD सिस्टम को चीनी सेना ने सितंबर 2011 में पहली बार पेश किया था.

"ऑपरेशन सिंदूर" से पहले पाकिस्तान के सामने एक अहम सवाल खड़ा था. यह सवाल था कि क्या उसे अपने आक्रामण मंचों जैसे कि ड्रोन और मल्टीपल रॉकेट लांच सिस्टम्स में निवेश करना चाहिए या फिर उसे अपनी रक्षात्मक प्रणाली जैसे हवाई एवं मिसाइल सुरक्षा में निवेश करते हुए मजबूत बनाना चाहिए. उस वक़्त पाकिस्तान ने लड़ाकू ड्रोन और मल्टीपल रॉकेट लांच सिस्टम्स को चुना था. ऐतिहासिक रूप से पाकिस्तान ने अपनी लड़ाकू विमान क्षमताओं और पनडुब्बी क्षमताओं में ही इज़ाफ़ा किया है. ऐसे में उसकी AD क्षमताएं पीछे छूट गई है. एक दूसरा कारण यह भी है कि आपूर्तिकर्ताओं में पाकिस्तान की AD समस्या को हल करने को लेकर हिचकिचाहट है और इसकी लागत भी अधिक होती है. निर्यात प्रतिबंधों की वजह से रावलपिंडी के लिए रूसी और अमेरिकी AD सिस्टम्स तक पहुंच संभव नहीं थी, जबकि यूरोपियन सिस्टम्स काफ़ी महंगे थे.  "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान चीनी मूल के AD सिस्टम्स के ख़राब प्रदर्शन के बावजूद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि पाकिस्तान अब चीन समेत यूरोप के अन्य आपूर्तिकर्ताओं तथा तुर्की के सहयोग से AD क्षमताओं में निवेश करेगा.

 

पाकिस्तानी सेना (PA)

PA चीनी मूल का SA-2 मीडियम रेंज SAM को संचालित करती है. यह Mach 3.5 की गति से चलता है और इसकी रेंज 60 किमी की है. PA के पास उपलब्ध एक अन्य AD सिस्टम फ्रेंच विकसित क्रोटेल SAM है, जिसकी गति Mach 2.3 है और उसकी रेंज 11 किमी तक है. इसे वाहनों वाले ज़मीनी मंच से लांच किया जाता है. इसके अलावा तीसरा है शोल्डर फायर्ड मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) Anza I, II, तथा III संस्करण, जिन्हें पाकिस्तान के खान रिसर्च लैबरोटोरी (KRL) ने चीन के सहयोग से विकसित किया है. यह मुख्यत: हवाई जहाज को लक्ष्य बनाता है.

Anza-I का उत्पादन घरेलू स्तर पर किया जाता है. यह रूसी SA-7 ग्रेल पर आधारित है. Anza-II इसी MANPAD का उन्नत संस्करण है, जिसे चीनी QW-1 MANPADS से उत्पन्न किया गया है. इससे भी एक और उन्नत संस्करण है Anza-III, जिसे PA की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विशेष रूप से तैयार किया गया है. इसमें रूसी इग्ला 9K38 Igla MANPAD की तरह एक फायरिंग युनिट भी है. ये तीनों संस्करण गाइडेंस यानी पथ-प्रदर्शन के मामले में अलग-अलग क्षमताएं रखते हैं. Anza-I दुश्मन के हथियारों की गतिविधि का पता लगाने के लिए जहां अनकूल्ड पैसिव इंफ्रारेड (IR) का उपयोग करता है, वहीं Anza-II में कुल्ड IR सीकर यानी अन्वेषक या खोजने वाला यंत्र होता है जो दुश्मन के हथियारों की गतिविधि को ज़्यादा प्रभावी ढंग से भांपने के लिए नॉइस-टू-डिटेक्शन रेश्यो को सुधारता है. QW-2 के वेरिएंट्‌स एवं डेरिवेटिव्स में Anza-III सबसे उन्नत संस्करण है. इसमें ड्यूल-बैंड पैसिव IR सीकर है जो हीट फ्लेयर्स और सोलर बैकग्राउंड हीट को रेजिस्ट करता है यानी गर्मी के प्रकोप का प्रतिरोध करते हुए लक्ष्य पर निगरानी में इज़ाफ़ा करता है.

इन शॉर्ट-रेंज AD सिस्टम्स के अलावा PA एक FM-90 का संचालन भी करती है. यह  HongQi-7 (HQ-7) हांगकी का डेरिवेटिव है, जो एक शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम है. इसका विकास पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) ने किया है. HQ-7 स्वयं ही फ्रेंच मूल के थॉमसन-CSF क्रोटेल सिस्टम का रिवर्स-इंजीनियर्ड वर्जन है. इसका सबसे उन्नत संस्करण HQ-7B है. यह 6x6 आर्मर्ड चेसिस (चीनी संस्करण) या TELAR व्हीकल (पाकिस्तानी संस्करण) पर स्थापित FM-90 है और यह चार मिसाइलों के साथ एकीकृत है. इसकी रेंज15 किमी तक की है.

HQ16A, जिसे LY-80 के नाम से भी जाना जाता है, एक चीन निर्मित मीडियम-रेंज SAM (MRSAM) सिस्टम है. इसका संचालन करने वाली PA ने इसे 2010 के दशक में हासिल किया था. इस AD सिस्टम को चीनी सेना ने सितंबर 2011 में पहली बार पेश किया था. चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कार्पोरेशन (CASC) द्वारा विकसित यह सिस्टम कटिंग एज टेक्नोलॉजी जैसे फेस्ड एैरे रडार, इंटरमिटंट इल्यूमिनेशन सेमी-एक्टिव रडार होमिंग गाइडेंस, वर्टिकल कोल्ड लांच और रेडियो कम्युनिकेशन नेटवर्क का इस्तेमाल करता है. LY-80 MRSAM में किसी भी मौसम में कुशलता के साथ काम करने की क्षमता है. यह घने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफियरंस के बीच भी काम कर सकता है. HQ16A की डिजाइन रूसी मूल के Buk-1 (SA-11 ‘Gadfly’(गाडफ्लाई)) तथा Buk-2 (SA-17 ‘Grizzly’ (ग्रिज्ली)) पर आधारित है. इसमें हाई-एल्टीट्यूट के टार्गेट्‌स को निशाना बनाने की क्षमता है, जबकि इसकी मीडियम-रेंज क्षमता का उपयोग करते हुए लोअर-एल्टीट्यूड के लक्ष्यों को 40 किमी की दूरी तक निशाना बनाया जा सकता है. इसकी यह खूबी हवाई रक्षा बलों की शॉर्ट और लांग रेंज की कमी को दूर करती है.

PA की सभी हवाई सुरक्षा प्रणालियां, जिसमें LY-80 मीडियम-रेंज SAMs, FM-90 शॉर्ट-रेंज SAMs तथा HQ-9/P लांग-रेंज SAMs मिलकर PA की “व्यापक स्तरीय एकीकृत हवाई रक्षा” (CLIAD) प्रणाली में शामिल हैं.

 

चित्र 2: पाकिस्तान का व्यापक स्तरीय एकीकृत हवाई रक्षा (CLIAD) का ढांचा

Air Defence Mechanisms A Primer On India And Pakistan

स्रोत: ग्लोबल डिफेंस न्यूज

 

पाकिस्तानी वायु सेना (PAF)

PAF’s की हवाई सुरक्षा 1970 के दशक से पहले भूमि-आधारित हवाई सुरक्षा व्यवस्था पर आधारित थी. लेकिन तब से इसमें काफ़ी बदलाव आया है, अब यह उस वक़्त से ज़्यादा विकसित हो गई है. AD क्षमताओं की अहमियत को समझते हुए PAF ने 1975 में एक एयर डिफेंस कमांड (ADC) की स्थापना की. उसके बाद से PAF ने अनेक प्रणालियों को हासिल किया है. इसमें फ्रेंच मिस्ट्राल वेरी-शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस (VSHORAD) सिस्टम शामिल है, जिसका उपयोग भूमि पर स्थित वाहनों तथा हेलिकॉप्टर्स से भी किया जा सकता है. PA द्वारा भी संभवत: मिस्ट्राल के संस्कारणों का उपयोग किया जाता है. हालांकि PAF तथा PA की हवाई सुरक्षा प्रणालियां पूर्णत: एकीकृत हैं अथवा नहीं, इसे लेकर फिलहाल स्थिति साफ़ नहीं है.

यह भी साफ़ है कि तुर्की अब पाकिस्तान के साथ अपने सहयोग को और मजबूती प्रदान करेगा. इस बात की भी संभावना है कि कुछ यूरोपियन देश भी रावलपिंडी के साथ सहयोग के लिए हाथ आगे बढ़ाएंगे. इन अधिक उन्नत क्षमताओं की वजह से ही चीन भी अब भारत के ख़िलाफ़ चीन-भारत सीमा तथा तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र (TAR) में तैनाती बढ़ाएगा. 

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संकट में हवाई सुरक्षा ने अहम भूमिका अदा की थी. इस संकट के दौरान हवाई सुरक्षा की भूमिका से ही अंतत: यह बात साफ़ होगी कि PAF और PA की हवाई सुरक्षा प्रणालियों में एकीककरण या गैर-एकीकरण का स्तर क्या है. फिलहाल इस बात को लेकर स्पष्टता नहीं है कि क्या “ऑपरेशन सिंदूर” ने PAF और PA की हवाई सुरक्षा प्रणालियों में मौजूद ख़ामियों को पूर्णत: या इस हद तक उजागर किया है कि वे दिखाई देने लगेगी. खैर, भारत ने पाकिस्तानी हवाई सुरक्षा को भेदा और IAF ने एक रेंज यानी दूरी पर मौजूद PAF एयर बेस ठिकानों को निशाना बनाया है. उसे लेकर चल रही चर्चाओं में दिखाई दे रहे सबूत और इसके प्रारंभिक आकलन के आधार पर इस बात की आंशिक पुष्टि होती है कि PAF तथा PA के AD सिस्टम्स के बीच एकीकरण का अभाव है.

पाकिस्तानी नौसेना (PN)

अपनी AD क्षमताओं को विकसित करने में PN ने काफ़ी प्रगति कर ली है. PA की तरह ही PN ने भी काफ़ी वर्षों तक बेहद सीमित और विवश पहल के बाद AD को विकसित करने के बारे में विचार किया है. PN भी PA की तरह ही बहु स्तरीय AD क्षमता हासिल करने की आकांक्षा रखती है. लेकिन उसकी यह आकांक्षा ज़्यादातर महत्वाकांक्षा के क्षेत्र में ही बनी हुई है. इसे लेकर ठोस इरादा नहीं दिखाई देता, जिसकी वजह से इसे पूर्ण क्षमता के साथ अब तक हासिल नहीं किया गया है. PN ने संभवत: HQ-16 (HQ-16 जहाज-से-हवाई-मिसाइल/शिप-टू-एयर-मिसाइल (ShAM) के निर्यात संस्करण LY-80N को एकीकृत किया है. यह मुख्यत: एक मीडियम-रेंज ShAM है. हालांकि इस बात को लेकर स्पष्टता नहीं है कि PN के पास LY-80N का 40 किमी वाला संस्करण है या फिर वह अधिक उन्नत 70 किमी वाले संस्करण का उपयोग करता है.

LY-80N को चीनी मूल के टाइप 054A/P Tughril-class frigates (तुगरिल-क्लास फ्रिगेट्‌स) (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी टाइप 054A का PN संस्करण) के साथ एकीकृत किए गए वर्टिकल लांच सिस्टम (VLS) से लांच किया जाता है. PN के पास इस तरह के चार मल्टी-मिशन फ्रिगेट्‌स हैं, जिसमें LY-80N का उपयोग किया जाता है. हालांकि PN के LY-80N में भी PA के MRSAMs की तरह कुछ कमियां मौजूद है. इन दोनों में ही जहाजों में सिर्फ एकीकृत रडार की रौशनी में दिखाई देने वाले दुश्मनों के मल्टीपल टार्गेट्‌स यानी बहु-लक्ष्यों को निशाना बनाने की ही समानांतर क्षमता है. ऐसे में तुगरिल-क्लास फ्रिगेट्‌स के “सचुरेशन अटैक्स और मल्टीपल एयरबोर्न थ्रेट्‌स” तथा हवा में मौजूद बहुसंख्य ख़तरों के समक्ष असुरक्षित साबित होने की संभावना बहुत ज़्यादा है. “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद PN और उसके साथ-साथ PAF और PA भी जहाज पर लगाए गए AD सिस्टम्स की ख़ामियों को लेकर कोई न कोई उपाय करने का प्रयास अवश्यक करेंगे.

निष्कर्ष 

भारत और पाकिस्तान के बीच ताजा संकट ने संभवत: चीनी स्रोतों से हासिल AD सिस्टम्स के लिए परीक्षण मैदान की भूमिका अदा की है. इन सिस्टम्स के ख़राब प्रदर्शन के कारण चीन इन सिस्टम्स में सुधार करने पर मजबूर होगा. और इस वजह से वह पाकिस्तान को ज़्यादा उन्नत और बेहतर क्षमता वाली AD प्रणाली की आपूर्ति करेगा. इसके अलावा पाकिस्तान घरेलू स्तर पर भी AD प्रणाली को तैयार करने की कोशिशों को तेज करेगा. इसके लिए वह पाकिस्तान के तीनों सशस्त्र बलों को उनकी हवाई सुरक्षा कार्यक्रम को पुख़्ता करने के लिए संसाधन मुहैया करवाएगा.

यह भी साफ़ है कि तुर्की अब पाकिस्तान के साथ अपने सहयोग को और मजबूती प्रदान करेगा. इस बात की भी संभावना है कि कुछ यूरोपियन देश भी रावलपिंडी के साथ सहयोग के लिए हाथ आगे बढ़ाएंगे. इन अधिक उन्नत क्षमताओं की वजह से ही चीन भी अब भारत के ख़िलाफ़ चीन-भारत सीमा तथा तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र (TAR) में तैनाती बढ़ाएगा. पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा प्रणाली भले ही भारत की तरह विस्तृत नहीं है, लेकिन इसमें अब और सुधार होगा. भारतीय वायु सेना (IAF) की ओर से किए गए मिसाइल हमले के ख़िलाफ़ उसकी हवाई सुरक्षा प्रणाली के कमज़ोर प्रदर्शन को देखकर ऐसा होना लगभग तय है.


Endnotes

[a] In addition to providing information to the ground, it can receive information from ground, integrate and fuse them onboard to provide the operators onboard a composite picture of the environment.

[1] Air  Marshal Daljit Singh, “C4ISR Architecture For an Integrated Air Defence And BMD-Necessity And Feasibility,” Centre For Joint Warfare Studies, October 2022, https://cenjows.in/wp-content/uploads/2022/10/7-C4ISR-Architecture-for-An-Integrated-AD-BMD-by-Air-Mshl-Daljit-Singh-Retd.pdf

[2] Singh, “C4ISR Architecture for an Integrated Air Defence and BMD-Necessity and Feasibility”

[3] Snehesh Alex Philip, “India Completes Phase one of Ballistic Missile Defence Programme, Nod for Missiles Awaited,” The Print, April 22, 2019, https://theprint.in/defence/india-completes-phase-one-of-ballistic-missile-defence-programme-nod-for-missiles-awaited/224959/

[4] Philip, “India Completes Phase One of Ballistic Missile Defence Programme, Nod for Missiles Awaited”

[5] “India Tests Nuclear Interceptor Missile,” The Economic Times, February 12, 2017, https://economictimes.indiatimes.com/news/science/india-tests-nuclear-interceptor-missile/articleshow/57109470.cms

[6] Ministry of Defence, Government of India, May 13, 2025, https://x.com/MIB_India/status/1922013622907081079

[7] “S-400 Triumph Air Defence Missile System,” Army Technology, February 3, 2020, https://www.army-technology.com/projects/s-400-triumph-air-defence-missile-system/?cf-view

[8] Franz-Stephan Gady, “India and Russia Ink S-400 Missile Air Defense System Deal,” The Diplomat, October 20, 2016, https://thediplomat.com/2016/10/india-and-russia-ink-s-400-missile-air-defense-system-deal/

[9] “S-400 Triumph Air Defence Missile System”

[10] “S-400 Triumph Air Defence Missile System”

[11] “S-400 Triumph Air Defence Missile System”

[12] “Russia to Deliver Remaining 2 S-400 Air Defence Missiles to India by Q3 of 2026,” Business Today, March 21, 2024, https://www.businesstoday.in/india/story/russia-to-deliver-remaining-2-s-400-air-defence-missiles-to-india-by-q3-of-2026-sources-422331-2024-03-21

[13] “BARAK-8 – Advanced Air & Missile Defence System,” SP’s Naval Forces, March 2022, https://www.spsnavalforces.com/story/?id=811&h=BARAK-8-Advanced-Air-and-Missile-Defence-System

[14] Emanuel Fabian, “Indian Army Completes Final Tests for Israeli-made Barak 8 Missile Defense System, Ready to be Operational,” The Times Of Israel, April 7, 2025, https://www.timesofisrael.com/liveblog_entry/indian-army-completes-final-tests-for-israeli-made-barak-8-missile-defense-system-ready-to-be-operational/  

[15] “Akash Surface-to-Air Missile (SAM) System,” Airforce Technology, March 12, 2024, https://www.airforce-technology.com/projects/akash-surface-to-air-missile-system/?cf-view&cf-closed

[16] “Akash Surface-to-Air Missile (SAM) System”

[17] “SPYDER Surface-to-Air Launcher for Python 5 and Derby Missiles,” Army Technology, January 26, 2024, https://www.army-technology.com/projects/spyder/

[18] “SPYDER Surface-to-Air Launcher for Python 5 and Derby Missiles.”

[19] “SPYDER Surface-to-Air Launcher for Python 5 and Derby Missiles.”

[20] Sakshi Tiwari, “Puncturing Tactical Ballistic Missiles, SPYDER Defense System Operated by India & Israel to Get an Upgrade?,” Eurasian Times, January 6, 2023, https://www.eurasiantimes.com/puncturing-tactical-ballistic-missiles-spyder-defense-system/

[21] Ami Rojkes Dombi, “Reports: India Used SPYDER System to Shoot Down Pakistani Drone,” Israel Defense, February 27, 2019, https://www.israeldefense.co.il/en/node/37638

[22] Lt General Naresh Chand, “Army Air Defence — An Update,” SP’s Naval Forces, January 2017, https://www.spslandforces.com/story/?id=438

[23] Ashu Maan, “Indian Army Boosts Air Defence With Indigenous Missiles: MRSAM Operational QRSAM Near Deployment,” Centre For Land Warfare Studies, April 10, 2025, https://claws.co.in/indian-army-boosts-air-defence-with-indigenous-missiles-mrsam-operational-qrsam-near-deployment-2/

[24] Chand, “Army Air Defence — An Update”

[25] Smruti Deshpande, “Complex Network of India’s Existing Air Defence Capabilities & the Way Forward,” The Print, May 2, 2024, https://theprint.in/defence/complex-network-of-indias-existing-air-defence-capabilities-the-way-forward/2065704/

[26] “Swordfish L-band Radar Long Range Tracking Radar (LRTR),” Global Security, March 2021, https://www.globalsecurity.org/wmd/world/india/swordfish.htm

[27] Vijainder K Thakur, “Matching THAAD’s Capability, India’s Phase 2 Missile Defense Program Gets CCS Nod For New Test Range,” The Eurasian Times, October 14, 2024, https://www.eurasiantimes.com/matching-thaads-capability-indias-phase/

[28] Singh, “C4ISR Architecture for an Integrated Air Defence and BMD-Necessity and Feasibility.”

[29] “Airborne Early Warning & Control System (AEW&C),” DRDO, https://www.drdo.gov.in/drdo/airborne-early-warning-and-control-aewc.

[30] Wing Commander Swaim Prakash Singh, “Prioritisation of AWACS for the IAF,” Centre For Air Power Studies, August 31, 2022, https://capsindia.org/prioritisation-of-awacs-for-the-iaf/

[31] Singh, “C4ISR Architecture for an Integrated Air Defence and BMD-Necessity and Feasibility.”

[32] Singh, “C4ISR Architecture for an Integrated Air Defence and BMD-Necessity and Feasibility.”

[33] Huma Siddiqui, “India’s Air Defence Strengthens with Akashteer Systems for the Army,” Financial Express, October 3, 2024, https://www.financialexpress.com/business/defence-indias-air-defence-strengthens-with-akashteer-systems-for-the-army-3629848/

[34] Siddiqui, “India’s Air Defence Strengthens with Akashteer Systems for the Army”

[35] Lt Gen PC Katoch, “The Akashteer-IACCS Combo,” SP’s Land Forces, January 27, 2025, https://www.spslandforces.com/experts-speak/?id=1230&h=The-Akashteer-IACCS-Combo

[36] Bilal Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems,” QUWA, November 1, 2024, https://quwa.org/pakistan/pakistan-air-defence-system/

[37] Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems.”

[38] Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems.”

[39] Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems.”

[40] Usman Ansari, “Pakistan unveils aircraft and rocket programs, parades military tech,” Defense News, March 27, 2024, https://www.defensenews.com/global/asia-pacific/2024/03/27/pakistan-unveils-aircraft-and-rocket-programs-parades-military-tech/

[41] Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems”.

[42] Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems”.

[43] Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems”.

[44] “Pakistani, Surface to Air Missile,” Internet Archive, https://web.archive.org/web/20070703061831/http://www.pakistanidefence.com/PakAirForce/SAM.html

[45] “Pakistani, Surface to Air Missile.”

[46] “Pakistani, Surface to Air Missile.”

[47] “Anza Mk-1, II, III,” Armyrecognition.com, https://armyrecognition.com/military-products/army/air-defense-systems/man-portable-air-defense-systems/anza-mk-i-mk-ii-mk-iii-pakistan-uk

[48] “Anza Mk-1, II, III.”

[49] “Anza Mk-1, II, III.”

[50] Anza Mk-1, II, III.”

[51] “QW-2 Chinese Man-Portable Infrared Homing Guided Surface to Air Missile,” Data Integration Network, TRADOC, http://52.147.194.24/WEG/Asset/QW-2_Chinese_Man-Portable_Infrared_Homing_Guided_Surface-to-Air_Missile

[52] “QW-2 Chinese Man-Portable Infrared Homing Guided Surface to Air Missile.”

[53] “HQ-9B (FM-90) Chinese 6x6 Short Range Air Defence Missile System,” OE-Data Integration Network (ODIN), TRADOC, https://odin.tradoc.army.mil/WEG/Asset/HQ-7B_(FM-90)_Chinese_6x6_Short-Range_Air_Defense_Missile_System

[54] “HQ-9B (FM-90) Chinese 6x6 Short Range Air Defence Missile System”.

[55] “HQ-7 (FM-90),” tank-afv.com https://tank-afv.com/modern/China/HQ-7B_FM-90.php

[56] “The Growth of Pakistan’s Air Defence Environment,” Quwa, May 8, 2022, https://quwa.org/quwa-premium-excerpt/the-growth-of-pakistans-air-defence-environment-2/

[57] “GQ-16 LY-80 SAM,” armyrecognition.com, May 9, 2025, https://armyrecognition.com/military-products/army/air-defense-systems/air-defense-vehicles/hq-16a-china-uk

[58] “GQ-16 LY-80 SAM.”

[59] “GQ-16 LY-80 SAM.”

[60] Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems.”

[61] “Pakistan Leverages Its Alliance With China to Counter India’s Air Power,” Global Defense News, April 29, 2025, https://armyrecognition.com/focus-analysis-conflicts/army/analysis-defense-and-security-industry/pakistan-leverages-its-alliance-with-china-to-counter-indias-air-power

[62] Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems.”

[63] Khan, “Report: Pakistan’s Air Defence Systems.”

[64] Girish Linganna, “Balancing Fiscal Realities and Technological Imperatives: Pakistan’s Air Defence Ambition,” Raksha-Anirveda, March 31, 2024, https://raksha-anirveda.com/pakistans-air-defence-ambition-fiscal-reality-tech/

[65] Imogen Piper, Evan Hill, Maham Javaid and Rick Noack, “Indian Strikes on Pakistan Damaged Six Airfields, Post Analysis Finds,” The Washington Post, May 14, 2025, https://www.washingtonpost.com/world/2025/05/14/india-pakistan-strikes-conflict-damage/

[66] “Alit From China Unveils LY-80N Naval Surface-to-Air Missile Weapon System,” armyrecognition.com, July 19, 2021, https://armyrecognition.com/news/navy-news/2021/alit-from-china-unveils-ly-80n-surface-to-air-missile-weapon-system

[67] “Pakistan Navy Tughril-Class (Type 054A/P) Multi Mission Frigate,” Quwa, December 14, 2024, https://quwa.org/pakistan/pakistan-navy/ships/pakistan-navy-ships-type-054a-p-frigate/

[68] “Alit from China unveils LY-80N naval surface-to-air Missile Weapon System”.

[69] “Pakistan Navy Tughril-Class (Type 054A/P) Multi Mission Frigate.”

[70] “Pakistan Navy Tughril-Class (Type 054A/P) Multi Mission Frigate.”

[71] “Pakistan Navy Tughril-Class (Type 054A/P) Multi Mission Frigate.”

[72] “Pakistan Navy Tughril-Class (Type 054A/P) Multi Mission Frigate.”

[73] Shaheer Ahmed, “India-Pakistan Military Crisis: A Testing Ground for Chinese Military Hardware,” The Diplomat, May 13, 2025, https://thediplomat.com/2025/05/india-pakistan-military-crisis-a-testing-ground-for-chinese-military-hardware/

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Authors

Prateek Tripathi

Prateek Tripathi

Prateek Tripathi is a Junior Fellow at the Centre for Security, Strategy and Technology. His work focuses on emerging technologies and deep tech including quantum technology ...

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Kartik Bommakanti

Kartik Bommakanti

Kartik Bommakanti is a Senior Fellow with the Strategic Studies Programme. Kartik specialises in space military issues and his research is primarily centred on the ...

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