इस साल सितंबर में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने भारत में शिक्षाविदों, उद्योगों के पेशेवरों, छात्रों और वैज्ञानिक समुदाय को क्वॉन्टम (quantum) को बढ़ावा देने के लिए माहौल प्रदान करने के मकसद से ‘क्वांटम कंप्यूटर सिम्युलेटर (QSim) टूलकिट’ लॉन्च किया. यह क्वॉन्टम प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए 8,000 करोड़ रुपये के बज़टीय ख़र्च के प्रावधान का नतीजा है.
क्वॉन्टम तकनीक मौजूदा वक्त के एन्क्रिप्शन तकनीक को जोख़िम में डालने की क्षमता रखती है जो देश के अहम साइबर बुनियादी ढांचे के लिए ख़तरा पैदा कर सकती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर लग सकती है.
क्वॉन्टम तकनीक (quantum technology) मौजूदा वक्त के एन्क्रिप्शन तकनीक को जोख़िम में डालने की क्षमता रखती है जो देश के अहम साइबर बुनियादी ढांचे के लिए ख़तरा पैदा कर सकती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर लग सकती है. अगर एक बार क्वॉन्टम कंप्यूटर और उसके अप्लीकेशन को वास्तविकता का रूप दे दिया जाए तो गोपनीय सैन्य और रणनीतिक जानकारी को भी आसानी से डिक्रिप्ट किया जा सकता है. इन्हीं संभावित जोख़िमों को ध्यान में रखते हुए भारत को अमेरिका और चीन की बराबरी करने के लिए अपनी कोशिशों में तेजी लाने की ज़रूरत है, क्योंकि इन दोनों शक्तिशाली मुल्कों ने क्वॉन्टम तकनीक पर वर्चस्व हासिल कर लिया है. जैसे-जैसे देश क्वॉन्टम तकनीक की ओर अपने वित्तीय और बौद्धिक संसाधनों में तेजी लाते हैं, भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह इस तकनीक को लेकर बहुत पीछे ना रह जाए.
क्वॉन्टम कंप्यूटर क्या हल कर सकते हैं?
आधुनिक समय की कंप्यूटिंग में सूचना को बाइनरी अंकों या बिट्स, यानी 0 या 1 में रिले और संग्रहित किया जाता है. क्वॉन्टम कंप्यूटिंग में सूचना को साझा करने उसे स्टोर करने में क्यूबिट्स का इस्तेमाल किया जाता है जो 0 या 1 या दोनों के संयोजन के रूप में मौजूद रहता है. यह क्वॉन्टम कंप्यूटर को एक पारंपरिक कंप्यूटिंग सिस्टम की प्रोसेसिंग क्षमता से आगे ले जाते हुए एक ही समय में, बहुत तेज दर पर कई एप्लीकेशन को कर पाने की आज़ादी देता है.
क्वॉन्टम कंप्यूटर आधुनिक समय के कंप्यूटर की प्रोसेसिंग क्षमताओं में तेजी से वृद्धि करेंगे और कॉम्बिनेटरिक्स से जुड़ी समस्याओं को भी दूर कर पाएंगे.
क्वॉन्टम कंप्यूटर आधुनिक समय के कंप्यूटर की प्रोसेसिंग क्षमताओं में तेजी से वृद्धि करेंगे और कॉम्बिनेटरिक्स से जुड़ी समस्याओं को भी दूर कर पाएंगे. कम अवधि और दीर्घकालिक क्वॉन्टम एप्लिकेशन से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े समाधानों को बढ़ावा मिलेगा, वित्तीय पूर्वानुमान में सुधार होगा, विनिर्माण क्षेत्र में नाकामियों को कम किया जा सकेगा, दवाईयों के स्तर पर तेज़ी लाई जा सकेगी और बेहतर साइबर सुरक्षा मापदंड को आगे बढ़ाया जा सकेगा.
वैश्विक क्वॉन्टम वर्चस्व की दौड़
वर्तमान में क्वॉन्टम तकनीक अपने शुरुआती चरण में है और इसे व्यावहारिक रूप से लागू होने में अभी कुछ वक्त लगेंगा. बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) का अनुमान है कि अगले तीन से पांच वर्षों में इसका मूल्य 5 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 10 अरब अमेरिकी डॉलर तक हो जाएगा. यह समूह यह भी बताता है कि यह आंकड़ा अगले पंद्रह वर्षों में 450 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. इस तकनीक के दायरे और क्षमता को देखते हुए सरकारें प्रौद्योगिकी फर्म और शिक्षाविद क्वॉन्टम वर्चस्व या क्वॉन्टम तकनीक से फायदा उठाने के लिए संसाधनों का जबर्दस्त निवेश कर रहे हैं. जून 2021 में, चीन के शोधकर्ताओं ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि का दावा किया था. अक्टूबर 2019 में, गूगल ने इस उपलब्धि को रेखांकित किया. भारत, कनाडा, जर्मनी और फ्रांस ने इसे बढ़ावा देने के लिए एक अरब डॉलर से अधिक ख़र्च करने की प्रतिबद्धता जताई है.
वैसे तो भारत औपचारिक रूप से 2020 में क्वांटम प्रौद्योगिकी और एप्लीकेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएम – क्यूटीए) की स्थापना करके क्वॉन्टम कंप्यूटिंग के क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धा में शामिल हो गया लेकिन भारत को चीन और अमेरिका के साथ तालमेल बिठाने के लिए, उसे इस क्षेत्र से जुड़े कुछ प्रमुख नीतिगत लोगों की पहचान करनी होगी और नीतियों के अंतर को पाटना होगा. यह ना केवल भारत को वैश्विक क्वॉन्टम की दौड़ में एक सक्षम दावेदार बनाएंगे बल्कि देश में प्रौद्योगिकी नीति निर्माण के एक नए मापदंड बनाने की शुरुआत भी करेगा.
सिर्फ़ क्वॉन्टम सर्वोच्चता प्राप्त कर लेने भर से भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा हो जाएगी यह ज़रूरी नहीं है. जब क्षमता और कुशल पेशेवरों की बात आती है तो क्वॉन्टम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में भारत के पास एक ऐसे लोगों की तादाद है जो इस क्षेत्र में दक्ष हैं.
भारतीय दृष्टिकोण में संभावित कमियां
सबसे पहले तो भारत में क्वॉन्टम इकोसिस्टम बेहद सुप्त अवस्था में है. जबकि भारत ने क्वॉन्टम कंप्यूटिंग को एक अरब डॉलर निवेश कर बढ़ावा देने की कोशिश की है लेकिन एक व्यापक बहुआयामी-स्टेकहोल्डर नेटवर्क इसमें शामिल नहीं है. फिर भी यह साफ नहीं है कि भारत हाल में क्वॉन्टम एप्लीकेशन या लंबे समय के लिए एप्लीकेशन या दोनों पर ही ध्यान केंद्रित करेगा या नहीं. वास्तविकता में एप्लीकेशन में अनुसंधान की व्याख्या भारत के क्वॉन्टम कोशिशों के केंद्र में होना चाहिए. इसके बाद, भारत के क्वॉन्टम प्रयासों के नतीजों का आकलन करने के लिए मेट्रिक्स भी साफ तौर से परिभाषित नहीं हैं. सिर्फ़ क्वॉन्टम सर्वोच्चता प्राप्त कर लेने भर से भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा हो जाएगी यह ज़रूरी नहीं है. जब क्षमता और कुशल पेशेवरों की बात आती है तो क्वॉन्टम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में भारत के पास एक ऐसे लोगों की तादाद है जो इस क्षेत्र में दक्ष हैं. वर्तमान समय में देश के क्वॉन्टम कंप्यूटिंग क्षेत्र में केवल कुछ ही शोधकर्ता, उद्योग के पेशेवर, शिक्षाविद और उद्यमी ही शामिल हैं. चीन या अमेरिका के मुकाबले भारत अभी भी इस क्षेत्र में काफी पीछे है.
इसके अलावा क्वॉन्टम एप्लीकेशन विकास के लिए प्रौद्योगिकी के विभिन्न पहलुओं की आवश्यकता होगी, जैसे क्वॉन्टम सूचना सिद्धांत, क्वॉन्टम संचार, भंडारण, क्वॉन्टम गणना, और क्वॉन्टम हार्डवेयर विकास को एक साथ लाने के लिए यह अहम है. भारत को अपनी गणना शक्ति बढ़ाने और अपनी क्वॉन्टम क्षमता को साकार करने के लिए अधिक जटिल सेमीकंडक्टर चिप्स विकसित करने की दिशा में काम करने की भी ज़रूरत होगी. मौजूदा समय में साइलो के क्षेत्र में रिसर्च किया जा रहा है जबकि नॉलेज एक्सचेंज की कोई संरचना मौजूद नहीं है. देश में हर तरह के क्वॉन्टम अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए एक साझा मंच की कमी महसूस की जा रही है.
पिछले कई दशकों में भारत हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग में अपनी मज़बूती साबित नहीं कर पाया है. घर पर क्वॉन्टम कंप्यूटर विकसित करने के लिए भारत को सुपरकंडक्टिंग सामग्री, भौतिक क्वाबिट्स, एक डेटा प्लेन, चिप्स, प्रोसेसर और फैब्रिकेशन लैब की ज़रूरत होगी. जबकि इन सभी चीजों के लिए यहां पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है. कुछ निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स ने इन क्रिटिकल क्वॉन्टम कंपोनेंट्स को डेवलप करना शुरू कर दिया है लेकिन ज़्यादातर हार्डवेयर अभी भी आयात किए जाते हैं. आखिरी लेकिन अहम यह है कि ज़्यादातर क्वॉन्टम संबंधित रिसर्च और डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर किया जा रहा है. हालांकि शिक्षाविद अच्छी तरह से रिसर्च किए गए प्रोटोटाइप प्रदान कर सकते हैं लेकिन उद्योगों के साथ तालमेल उनके व्यावहारिक एप्लीकेशन को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक होंगे.
नीति-स्तर पर कमियों को दूर करने के साथ-साथ भारत को अपनी रणनीति और कार्य योजना की सफलता का आकलन करने के लिए भी मैट्रिक्स को बढ़ावा देने की ज़रूरत है
भारत के लिए आगे का रास्ता क्या है?
भारत हमेशा से तकनीक का बड़ा आयातक रहा है. साल 2020 में भारत ने 10.4 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का आयात किया जबकि तकनीकी निर्यात महज 0.3 अरब अमेरिकी डॉलर था. भारत के लिए क्वॉन्टम प्रौद्योगिकी का आयातक होने से निर्यातक तक का सफर तय करने के लिए उसे अपनी तकनीकी और प्रौद्योगिकी नीति के मकसद, बुनियादी ढांचे और डिलिवरेबल्स पर फिर से गौर करने और काम करने की ज़रूरत है.
नीति-स्तर पर कमियों को दूर करने के साथ-साथ भारत को अपनी रणनीति और कार्य योजना की सफलता का आकलन करने के लिए भी मैट्रिक्स को बढ़ावा देने की ज़रूरत है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने बुनियादी ढांचे को निर्धारित करने और क्षेत्र में अनुसंधान को आसान बनाने के लिए 80 करोड़ रुपये का निवेश करने के लिए क्वांटम-सक्षम विज्ञान और प्रौद्योगिकी (QuEST) पहल की शुरुआत की है. हालांकि, यह योजना कागज़ पर तो काफी दूरदृष्टि और विश्लेषणों से युक्त नज़र आती है लेकिन इसके लक्ष्यों के आकलन के लिए समय-समय पर फीडबैक लेने की एक व्यवस्था तैयार करनी होगी. इनमें से एक संकेतक तो यह हो सकता है कि इस क्षेत्र में कितने अनुसंधानों को पेटेंट कराया गया हैं. क्वॉन्टम मिशन के आकलन की मॉनिटरिंग करने को प्राथमिकता देनी होगी. उद्यमी, इनोवेशन, सभी स्तरों पर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम, छात्रवृत्ति, फेलोशिप, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और क्वॉन्टम प्रौद्योगिकी में परामर्श नॉलेज इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए बेहद अहम हैं. इसके साथ ही यह स्किल के अंतर को भी कम करने के लिए ज़रूरी है. इससे भारत में एक समर्पित क्वॉन्टम समुदाय का निर्माण होगा जो दुनिया भर में शोधकर्ताओं और उद्योग पेशेवरों के साथ सहयोग करने में सक्षम होगा. इस तरह के उपाय क्वॉन्टम तकनीक विकास के लिए स्कॉलरशिप और पेशेवर विशेषज्ञता को बढ़ावा देगी.
fभारत को अपने इन्वेस्टर इकोसिस्टम को भी बढ़ावा देना चाहिए जो क्वॉन्टम कंप्यूटर और उसके एप्लीकेशन के हार्डवेयर सामानों के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
भारत को अपने इन्वेस्टर इकोसिस्टम को भी बढ़ावा देना चाहिए जो क्वॉन्टम कंप्यूटर और उसके एप्लीकेशन के हार्डवेयर सामानों के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकता है. चूंकि इन कंप्यूटरों के आने के साथ ही सेमीकंडक्टर चिप्स की मांग बढ़ जाती है इसलिए भारत को अपने सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने की ज़रूरत है. सरकार ने भारत के भीतर इन चिप्स के डिज़ाइन और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उद्योगों को पूंजी की मदद प्रदान की है. सरकार उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाओं के साथ उन्हें मदद भी कर सकती है और इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों और सेमीकऩ्डक्टर के निर्माण को बढ़ावा देने की योजना जैसे कदम के जरिए इंटेल और एएमडी जैसे मार्केट प्लेयर्स को सहायता कर सकती है.
हालांकि भारत की क्वॉन्टम प्रौद्योगिकी रणनीति कागज़ों पर तो बेहद आदर्श प्रतीत होती है लेकिन प्रासंगिक एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह इन नीति और अमलीकरण के स्तर के अंतर को स्वीकार करे और उन्हें समयबद्ध तरीके से कम करने की कोशिश करे, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत क्वॉन्टम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक विश्व शक्ति के रूप में उभर सके.
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