Published on Sep 30, 2022 Updated 24 Days ago

खुद शी भी तीसरे कार्यकाल के लिए इच्छुक हैं और अभी तक उन्होंने अपने उत्तराधिकारी का नाम नहीं लिया है. लेकिन अब जो शी जिनपिंग बोल रहे हैं कि उनका इंटरनल सिक्योरिटी पर पूरा नियंत्रण है, उससे इतना साफ है कि तख्तापलट की ऐसी अफवाहें पब्लिक में उनकी इमेज को थोड़ा नुकसान तो पहुंचा ही सकती हैं.

क्यों उड़ी चीन में तख्तापलट की अफवाह

हाल में चीन में तख्तापलट को लेकर कई अफवाहें सामने आईं. इन अफवाहों में यह था कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब समरकंद में हुई एससीओ समिट से लौटे तो उनको बंदी बना लिया गया. उस बीच काफी सारे ट्वीट ऐसे भी आए, जिनमें विडियो के जरिए दिखाया जा रहा था कि चीन की राजधानी में सेना का भारी मूवमेंट हो रहा है, सड़कों पर टैंकों के साथ सैनिक चल रहे हैं. सोशल मीडिया पर चल रही रही इन अफवाहों को लेकर चीन ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिसके चलते ऐसा भ्रम पैदा हुआ कि चीन में वाकई तख्तापलट हो चुका है. यह मामला और भी उलझा क्योंकि इसमें एक और बात यह थी कि खुद शी जिनपिंग न तो कोई पब्लिक मीटिंग में जा रहे थे और न कहीं दिख रहे थे.

इन अफवाहों को चीन में होने वाले राजनीतिक डेवलपमेंट से भी हवा मिली. हमें देखना होगा कि पिछले कुछ दिनों में चीन की राजनीति में क्या हुआ और आने वाले कुछ दिनों में क्या होने जा रहा है:

सोशल मीडिया पर चल रही रही इन अफवाहों को लेकर चीन ने भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिसके चलते ऐसा भ्रम पैदा हुआ कि चीन में वाकई तख्तापलट हो चुका है. यह मामला और भी उलझा क्योंकि इसमें एक और बात यह थी कि खुद शी जिनपिंग न तो कोई पब्लिक मीटिंग में जा रहे थे और न कहीं दिख रहे थे.

महीने भर बाद चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का अधिवेशन (नैशनल पार्टी कांग्रेस) होने जा रहा है. इसे ऐसे समझें कि लोकतांत्रिक देशों में चुनाव होते हैं और जो भी लीडरशिप सत्ता में होती है, उसकी जगह नई लीडरशिप आती है. मगर चीन में तो चुनाव होते नहीं. इसी नैशनल पार्टी कांग्रेस में वहां नया नेता चुना जाता है और फिर उसे दस साल का टर्म मिलता है. इस टर्म के बाद वह अपनी पूरी कैबिनेट, जिसे पोलित ब्यूरो कहते हैं, उसके साथ रिटायर होते हैं और एक नया शासक आ जाता है. यह नैशनल पार्टी कांग्रेस 16 अक्टूबर से शुरू हो रही है.

तख्तापलट की अफवाह से पहले वहां कायदे-कानून और सुरक्षा मामलों से जुड़े छह वरिष्ठ अधिकारियों को सजा सुनाई गई थी. इसमें सार्वजनिक सुरक्षा के पूर्व उप-मंत्री सुन लिजुन भी शामिल थे, जिन्हें मौत की सजा मिली है. पूर्व न्याय मंत्री फू झेंगहुआ और वांग लाइक जिआंगसु में राजनीतिक और कानूनी मामले देखते थे, उन्हें भी सस्पेंडेड डेथ की सजा मिली है.

चीनी मीडिया रिपोर्टें बताती हैं कि सुन लिजुन ने लगभग दो दशकों में भ्रष्ट सौदों के जरिए 9.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर जमा किए, जबकि फू और वांग ने 1.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर और 6.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर की रिश्वत ली. अब शंघाई, चोंगकिंग और शांक्सी प्रांत के पूर्व पुलिस प्रमुख- गोंग डाओआन, डेंग हुइलिन और लियू जिन्युन भी भ्रष्टाचार और सुन लिजुन से अपने संबंधों के लिए एक दशक से अधिक समय जेल में बिताएंगे.मगर उनको यह सजा भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि राजनीतिक क्रियाकलापों को लेकर सुनाई गई है. सुन लिजुन पर आरोप है कि वह पार्टी के सीनियर लोगों और पोलित ब्यूरो के मेंबरों की निगरानी करते थे. सुन ली का लिंक चीन की बड़ी टेक कंपनी टेनसेंट से भी रहा है.

लोकतांत्रिक देशों में जिस तरह से चुनाव के पहले लीडरशिप का आकलन करते हैं, सुन लिजुन और टेनसेंट ने चीन में भी ऐसा ही करने की कोशिश की थी. प्रजातंत्र में ऐसा करना तो काफी आम सी चीज है, मगर चीन में यह बहुत संवेदनशील मुद्दा है. वहां आखिरी मिनट तक किसी को नहीं पता होता कि कौन लीडर बनेगा. सुन लिजुन और टेनसेंट ने कहा कि इसमें उनका कोई हाथ नहीं है, सब जूनियर लोगों का किया-धरा है.सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े इन वरिष्ठ लोगों की दोषसिद्धि के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर चीन में तख्तापलट होने और शी को बंदी बनाने की अटकलें लगाई जाने लगीं.

तकनीकी दबदबा

लुलु चेन की किताब ‘इन्फ्लुएंस एंपायर’ से पता चलता है कि सुन लिजुन ने टेनसेंट से सत्तारूढ़ सीसीपी सदस्यों पर नजर रखने के लिए मदद मांगी. संयोग से टेनसेंट के संस्थापक मा हुआटेंग (जिन्हें पोनी मा के नाम से भी जाना जाता है) भी नैशनल पीपल्स कांग्रेस यानी चीन की राष्ट्रीय विधायिका के प्रतिनिधि रहे हैं. हालांकि टेक दिग्गज ने इस प्रयास में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया है, फिर भी लगता तो यही है कि सीसीपी में कुछ तकनीकी कंपनियों ने अधिक मुनाफा बनाया है. जनवरी 2022 में सीसीपी की पत्रिका ‘क्यूशी’ में अपने लेख में शी ने खुद कहा कि चीन के आर्थिक विस्तार ने सोशल मीडिया फर्मों को बदलकर आर्थिक और वित्तीय सुरक्षा को खतरा पैदा कर दिया था. इस तरह के डर को शंघाई में फुडन यूनिवर्सिटी के प्रफेसर वू शिनवेन ने भी कहा कि चीन के व्यापारिक अभिजात वर्ग ने आर्थिक ताकत जमा कर ली है और सीसीपी में कुछ तत्वों की सहायता से इसे राजनीतिक प्रभाव में बदलने के लिए उत्सुक है.

सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े इन वरिष्ठ लोगों की दोषसिद्धि के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर चीन में तख्तापलट होने और शी को बंदी बनाने की अटकलें लगाई जाने लगीं.

छवि को धक्का

तख्तापलट की जो अफवाहें वायरल हुईं, इनसे जुड़े कोई भी तथ्य सामने नहीं है. यह बस एक थियरी है कि टेनसेंट और चीन की इंटरनल सिक्यॉरिटी का कहीं न कहीं कोई लेना-देना रहा होगा. सुरक्षा प्रतिष्ठान के साथ शी के संबंध असहज रहे हैं. सुरक्षा से जुड़े पूर्व मंत्रियों के पतन और अपमान से यह प्रमाणित भी होता है. मगर तख्तापलट की अफवाहों में कोई सत्यता इसलिए भी नहीं है क्योंकि शी को 20वीं पार्टी कांग्रेस के प्रतिनिधियों में से एक के रूप में सूचीबद्ध भी किया गया है. खुद शी भी तीसरे कार्यकाल के लिए इच्छुक हैं और अभी तक उन्होंने अपने उत्तराधिकारी का नाम नहीं लिया है. लेकिन अब जो शी जिनपिंग बोल रहे हैं कि उनका इंटरनल सिक्योरिटी पर पूरा नियंत्रण है, उससे इतना साफ है कि तख्तापलट की ऐसी अफवाहें पब्लिक में उनकी इमेज को थोड़ा नुकसान तो पहुंचा ही सकती हैं.

यह लेख नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है.

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