Author : Ramanath Jha

Expert Speak Urban Futures
Published on Oct 01, 2024 Updated 0 Hours ago

हाल ही इस साल, पुणे में भयानक बाढ़ आई थी, जब शहर के कई हिस्से जलमग्न हो गए, और जिससे सामान्य जीवन बेतरह बाधित हो गई थी. इस वजह से देखा गया कि शहर की ऐसी किसी भी आपदा से निपटने की क्षमता काफी कम है.

आखिर क्यों ‘शहर’ लोगों के रहने लायक नहीं बच रहे: बेंगलुरु व पुणे का उदाहरण!

Image Source: Getty

जिस तरह से शहरों का उपर उठना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें कई तरह की बाहरी गतिशीलता और अन्य आंतरिक कारक भी शामिल हैं, ठीक उसी तरह से उनके पतन, में भी कई तरह की बाहरी व अंदरूनी कारक शामिल होते  हैं. इनमें वैश्विक जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, युद्ध, बदलती सत्ता के समीकरण, तकनीक़ एवं प्रौद्योगिकी एवं नवाचार जैसी कुछ शक्तियां होती हैं जो शहरों को गंभीर तौर पर प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं.  दुर्भाग्यवश, अलग-अलग शहरों से इन कारकों का अपने दम पर मुक़ाबला कर पाने की उम्मीद करना अतिशयोक्ति होगी. 

हालांकि, इन कारकों के न होने पर भी, स्थानीय निर्णय लेने की क्षमता और  मनुष्यों द्वारा पैदा की गई आपदाएं भी शहरों के भाग्य बदलने में एक निर्णायक भूमिका अदा कर सकती हैं. उदाहरण के लिए, एक वक्त़ में कोलकाता भारतीय अर्थव्यवस्था, वाणिज्य, संस्कृति, शिक्षा, थिएटर और कला का केन्द्र बिन्दु हुआ करता था. परंतु, आज़ादी के बाद, अन्य कारणों के अलावा, उद्योग एवं व्यापार जगत में कुछ ऐसे व्यवसायिक फैसले लिये गये जो पूरे शहर के स्तर पर प्रतिकूल साबित हुआ और जो शहर के आर्थिक पतन का कारण बना. कई व्यापारियों ने अपने  व्यापार, शहर से बाहर दूसरी जगह (शहर या देश) को स्थानांतरित किया और कई पेशेवर नागरिक भी या तो देश के अन्य शहरों में या विदेशों काम करने के लिये चले गए. देखते-देखते एक दशक भर के भीतर, मुंबई ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, धन एवं आकर्षण के मापदंड पर कोलकाता को पूरी तरह से  पीछे छोड़ दिया . हालांकि, मुंबई को जो फायदा शुरुआत में मिला उसमें, वहां की ज़मीनों की आसमान छूती कीमतों के कारण काफी कम आयी है. इसके अलावा   किफ़ायती आवास की कमी, भारी और लगातार बढ़ती जनसंख्या का घनत्व और जीवन-स्तर की लगातार घटती गुणवत्ता की वजह से भी गिरावट आयी है. 

दो शहरों की कहानी 

पिछले दो दशकों में बेजोड़ जीवन शैली और बेहतर गुणवत्ता मुहैया कराने वाले अन्य भारतीय शहरों की तुलना में, बेंगलुरु एवं पुणे आकर्षण के केंद्र में रहे हैं. इसमें इन दोनों ही शहरों में बेहतर मौसम, अच्छे रोज़गार के अवसर, अच्छी बुनियादी व्यवस्था, हरियाली, व  कानून और व्यवस्था आदि शामिल है. 2018 में, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा कराए गए एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में पुणे शहर को सबसे बेहतर रहने योग्य शहर घोषित किया गया. परंतु, दो साल के बाद, मंत्रालय द्वारा फिर से कराए गए इज़ ऑफ लिविंग इंडेक्स के सर्वेक्षण में, पुणे खिसक कर दूसरे स्थान पर चली गई. 

साल 2024 में, बेंगलुरू, ईज़ ऑफ लिविंग इंडेक्स में सबसे ज्य़ादा 66.70 अंक पाते हुए, इस सूची में शीर्ष पर रहा. आईटी इंडस्ट्री में सबसे ज्य़ादा होनहार लोगों को रोज़गार देने के कारण, इस शहर को, ‘भारत के सिलिकॉन वैली’ के तौर पर भी सराहा गया.

साल 2024 में, बेंगलुरू, ईज़ ऑफ लिविंग इंडेक्स में सबसे ज्य़ादा 66.70 अंक पाते हुए, इस सूची में शीर्ष पर रहा. आईटी इंडस्ट्री में सबसे ज्य़ादा होनहार लोगों को रोज़गार देने के कारण, इस शहर को, ‘भारत के सिलिकॉन वैली’ के तौर पर भी सराहा गया. इस शहर की सांस्कृतिक विरासत एवं मनोरंजन के अनेकों साधन के कारण इसे काफी पसंद किया जाने लगा है. साथ ही किफ़ायती किराये में मकान मिलना भी इसकी लोकप्रियता का कारण बना. इस कारण ये शहर उन लोगों के लिए सबसे ज़्यादा ‘इन डिमांड’ बना रहा , जो बेहतर सुविधाओं वाला  जीवन, जीने की आकांक्षा रखते हैं. पुणे की भी लगभग यही खूबियां थीं और वो भी कॉस्मोपोलिटन (महानगरीय) संस्कृति, सुरक्षित माहौल, सही कीमत, और काफी मज़बूत रोज़गार व्यवस्था देने के कारण बेंगलुरु को कड़ी टक्कर देता है. लेकिन, ये निराशाजनक है कि धीरे-धीरे इन दोनों शहरों की ये खूबियां, काफी तेज़ी से कम होती जा रही हैं. 

बेंगलुरु  

अगर हम बेंगलुरु का मामला देखें तो पायेंगे कि1951 में इस शहर की आबादी 1 मिलियन (790,308) के करीब थी. जो 2021 तक आते-आते बड़ी तेज़ी से बढ़ते हुए 12.76 मिलियन हो गई थी और वर्तमान में ऐसा अनुमान है कि ये बढ़कर कर 14 मिलियन तक हो जाएगी. आबादी बढ़ने के साथ-साथ, शहर की ह्यूमन डेनसिटी (मानव घनत्व) और बिल्ट डेनसिटी (निर्माण घनत्व) दोनों ही प्रति स्कवैर किलोमीटर के हिसाब से बढ़ा है. इन स्थानीय कारणों के अलावा कई अन्य कारणों ने जलवायु परिवर्तन के साथ मिलकर बेंगलुरु  को आज एक बेहद गर्म शहर बना दिया है. साल 2024 में, कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र (KSNDMC) ने  बताया कि 30 अप्रैल 2024 को, शहर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार करते हुए, 41.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच चुका था. KSNDMC ने ये भी बताया कि तापमान में बढ़ोत्तरी सिर्फ़ दिन की बात नहीं है, बल्कि रात के समय में दर्ज शहर का न्यूनतम तापमान भी काफी उछाल पर है जिससे लोगों को   काफी बेचैनी का सामना करना पड़ रहा है. गर्मी के मौसम में बेतहाशा गर्म तापमान के साथ ही, बेंगलुरू में बार-बार बाढ़ आने से भी शहर का जीवन बाधित हुआ है. इससे यहां बुनियादी ढांचे नष्ट हुए हैं, जिस वजह से लोगों को भारी आर्थिक नुकसान के साथ ही जान माल में भी काफी हानि हुई है.     

इसके साथ ही, शहर में पीने के लायक पानी की कमी भी एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है. पिछले साल, गर्मी के मौसम में, कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने आधिकारिक तौर पर कहा कि, बेंगलुरू शहर को प्रतिदिन 50 करोड़ लीटर पीने के पानी की कमी हो रही है, जो कि शहर कुल ज़रूरत का पांचवा हिस्सा है. शहर में रह रहे लोगों का एक बड़ा वर्ग पानी की अपनी ज़रूरत को पूरा करने के लिए टैंकरों से पानी खरीदने को विवश है. शहर में लगातार बढ़ती आबादी की वजह से उपज रही पानी की मांग के कारण बड़ी मात्रा में भू-जल निकाला जा रहा है. जिस वजह से भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है और साथ ही कुएं भी तेज़ी से सूख रहे हैं.  

शहर में लगातार बढ़ती आबादी की वजह से उपज रही पानी की मांग के कारण बड़ी मात्रा में भू-जल निकाला जा रहा है. जिस वजह से भूजल का स्तर लगातार गिर रहा है और साथ ही कुएं भी तेज़ी से सूख रहे हैं.  

भारत के सिलिकॉन वैली की परेशानियों में और इज़ाफा करने के लिए, बेंगलुरु में यातायात और भारी भीड़ की समस्या भी एक प्रमुख मुसीबत है. लोकेशन तकनीक़ की बहुराष्ट्रीय डेवेलपर कंपनी टॉम-टॉम ने अपनी वैश्विक यातायात भीड़ सूचकांक 2023 में बेंगलुरु को भारत का सबसे भीड़-भाड़ वाला शहर एवं दुनिया का छठा सबसे भीड़-भाड़ वाला शहर घोषित किया है. यहां 10 किलोमीटर तक का सफर तय करने में, औसतन 18 किमी प्रति घंटे की रफ्त़ार से भी कुल 28 मिनट 30 सेकंड का वक्त़ लग जाता है. ये डेटा 2022 से एक मिनट ज़्यादा का समय दिखा रहा है, जो पिछले दो साल में जो भीड़ यहां बढ़ी है और यातायात और  बदतर हुई है उस स्थिति को दर्शाता है. 

इसके अलावा बेंगलुरु शहर में होने वाले अपराधों में भी लगातार वृद्धि देखी जा रही है. वर्ष 2021 और 2023 के बीच, अपराध की घटनाएं 7,566 से बढ़कर 12,627 हो गई. हत्याओं की संख्या 145 से बढ़कर 205 हो गई, डकैती 364 से बढ़कर 673, और चोरी 1,167 से बढ़कर 2,493 हो गई. सबसे ज्यादा चिंतनीय विषय ये थी की अपराधों का पता लगाना 2021 के 47 प्रतिशत से घट कर 2023 में 28.5 प्रतिशत तक आ गया. महिलाओं एवं बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में वृद्धि देखी गई. साल 2021 में जहां 6,422 साइबर अपराध की घटना देखी गई थी, वहीं 2023 में इसमें बेतहाशा वृद्धि दर्ज करते हुए 17,623 घटनाओं के साथ उल्लेखनीय बढ़त देखी गई. शहरी पुलिस व्यवस्था, इस  बहु-आयामी अपराध के बढ़ते ग्राफ से निपटने के भारी दबाव में हैं.   

पुणे 

पुणे की स्थिति भी खासी अच्छी नहीं थी. बेंगलुरु की तरह ही, उसने भी अपने यहां  जनसंख्या विस्फोट देखा है. 1950 में 0.58 मिलियन आबादी वाले इस शहर ने बड़ी संख्या में  आबादी में वृद्धि दर्ज की है, जो अब 7.3 मिलियन तक पहुचं चुकी है. बेंगलुरु की तरह ही, इस शहर का खूबसूरत मौसम, काफी तेज़ी से बीते समय की बात बनता जा रहा है. इस साल गर्मी के मौसम में, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने, पुणे में दिन के तापमान के 43.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने के कारण अपने नागरिकों के लिए अधिसूचना जारी कर उन्हें आगाह किया कि वे अपने सभी बाहरी गतिविधियों को या तो स्थगित करें या किसी अन्य समय पर करें ताकि ख़ुद को गर्मी से बचा सकें. इसके अलावा लोगों को खूब पानी पीने और अपने आपको हाइड्रेटेड रखने की भी सलाह दी गई थी. वर्ष 2024 में, ऐसे कई मौके आये जब शहर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार हुआ. है. ये साफ तौर पर बताता है कि शहर की जनसंख्या में वृद्धि, बड़े स्तर पर लोगों की संख्या एवं निर्माण कार्य के बढ़ने, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन ने एक साथ मिलकर शहर के वर्तमान तापमान के प्रोफाइल को मौलिक रूप से बदल कर रख दिया है. इसके साथ ही, टॉम-टॉम के 2023 की यातायात भीड़ सूचकांक 2023 में,  पुणे को बेंगलुरु के बिल्कुल पीछे 7वें नंबर पर रखा गया था. इस रिपोर्ट में पुणे को विश्व का सबसे भीड़भाड़ वाला 7वें नंबर का शहर बताया गया है. रिपोर्ट में बताया गया कि ट्रैफिक के शीर्ष घंटों में इसने 10 किलोमीटर की दूरी तय करने में 19 किलोमीटर प्रति घंटे की औसत रफ्त़ार से इसने 27 मिनट 50 सेकंड का वक्त़ लगाया.  

इस साल गर्मी के मौसम में, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने, पुणे में दिन के तापमान के 43.3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने के कारण अपने नागरिकों के लिए अधिसूचना जारी कर उन्हें आगाह किया कि वे अपने सभी बाहरी गतिविधियों को या तो स्थगित करें या किसी अन्य समय पर करें ताकि ख़ुद को गर्मी से बचा सकें.

एक तरफ जहां राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वार्षिक सर्वेक्षण में पिछले एक दशक के दौरान पुणे के समूचे अपराध के आंकड़ों में किसी प्रकार का महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है, लेकिन हालिया घटी चंद घटनाओं ने नागरिकों के मन में असुरक्षा एवं भय पैदा कर दिया है. हाल ही में पुणे में जिस प्रकार से, पॉर्श कार सड़क दुर्घटना हुई और जिसमें दो युवा पेशेवर मारे गए थे, और सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले एक वरिष्ठ नागरिक को मार दिया गया, और कुछ बाइक सवार हत्यारों द्वारा एक भूतपूर्व कॉर्पोरेटर की दिन दहाड़े कर दी गई, इन सभी घटनाओं को जिस प्रकार से निपटाया गया था,उसने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है. 

इस साल, पुणे ने भयानक बाढ़ का भी सामना किया, और शहर के कई हिस्से पानी में समा गये, और सामान्य जीवन बेतरह बाधित हुआ. इस घटना से लोग ये सोचने पर मजबूर होने लगे कि क्या उनका शहर के ऐसी किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटने की क्षमता रखता है.  गड्ढों से भरे सड़क बढ़ती यातायात के बोझ को झेल पाने में असमर्थ हैं. सड़कों की जगह में समग्र कमी और सर्विस रोड की अपर्याप्त संख्या, शहर की मुख्य इलाकों को भीड़ से भर रही है. रोज़ाना आवा-जाही करने वाले नागरिक, शहरी सड़क के बुनियादी ढांचों से संबंधित अपनी नाराज़गी को खुले तौर पर व्यक्त कर रहे हैं.  

कुल मिलाकर, दोनों शहरों की प्रशासन अथवा सरकारें, एक तरह से खंडित  शासन व्यवस्था, वित्तीय दुर्बलता और जलवायु परिवर्तन से पैदा हुए दुष्परिणामों  से प्रभावित होने की वजह से असहाय हो गये लगता है. इतना कि ये इन बड़ी   चुनौतियों का सामना कर पाने में असमर्थ होते दिख रहे हैं. जब तक इस स्थिति को गंभीरतापूर्वक नहीं लिया जाता है और इन समस्याओं को दूर करने के लिए सरकारों द्वारा किसी भी प्रकार के कठोर एवं सख्त़ कदम नहीं उठाए जाते हैं, तब तक बेंगलुरू एवं पुणे की ईज़ ऑफ लिविंग इंडेक्स में मिली टॉप रैंकिंग यहां बसे नागरिकों के जीवन में कोई अर्थ नहीं रखता.  

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.