-
CENTRES
Progammes & Centres
Location
सर्कुलर अर्थव्यवस्था में महिलाएं प्रमुख किरदार हैं लेकिन वो कम महत्वपूर्ण भूमिकाओं तक ही सीमित रहती हैं. न्यायसंगत परिवर्तन हासिल करने के लिए डिज़ाइन, इनोवेशन और नेतृत्व में लैंगिक समानता की आवश्यकता है.
Image Source: Getty
ये लेख ‘विश्व पर्यावरण दिवस 2025:सर्कुलर शहरों में वेस्ट मैनेजमेंट’ सीरीज़ का हिस्सा है.
सर्कुलर अर्थव्यवस्था (पर्यावरण के लिए अनुकूल ढंग से सामग्रियों और उत्पादों के फिर से उपयोग और पुनर्निमाण पर आधारित आर्थिक प्रणाली) की तरफ बदलाव, जिसके लिए दुनिया के उत्पादन और उपभोग के पैटर्न में मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता है, महिलाओं की भागीदारी, उनके निर्णय और नेतृत्व के बिना हासिल नहीं किया जा सकता है. रिसर्च से पता चलता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं सर्कुलर अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों की तरफ अधिक झुकाव रखती हैं और वो रिसाइकल, कचरा कम करने, टिकाऊ खपत को बढ़ावा देने और समुदाय से प्रेरित समाधानों का नेतृत्व करने की अधिक क्षमता रखती हैं. अध्ययनों से पता चलता है कि वो पारिस्थितिक (इकोलॉजिकल), पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़ी चिंताओं को लेकर अधिक संवेदनशील हैं. ये सही है कि सर्कुलर अर्थव्यवस्था आंदोलन के पुनरुत्थान का श्रेय एलेन मैकआर्थर को दिया जाता है. नाविक के रूप में उनके अनुभव ने उन्हें समुद्री जीवन और इकोसिस्टम पर प्लास्टिक प्रदूषण के विनाशकारी असर के बारे में बताया. इन अनुभवों ने उन्हें एलेन मैकआर्थर फाउंडेशन की नींव रखने के लिए प्रेरित किया. ये फाउंडेशन दुनिया भर में सरकारो और व्यवसायों के बीच संसाधनों के उपयोग और कचरा कम करने को लेकर सर्कुलर दृष्टिकोण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहा है.
भले ही महिलाएं सर्कुलर अर्थव्यवस्था के केंद्र में हैं लेकिन लैंगिक पूर्वाग्रहों और समाज में महिलाओं की कथित भूमिका की वजह से कम महत्वपूर्ण, अनौपचारिक और एंड-ऑफ-पाइप सर्कुलर अर्थव्यवस्था की गतिविधियों में उनका प्रतिनिधित्व असमान है.
भले ही महिलाएं सर्कुलर अर्थव्यवस्था के केंद्र में हैं लेकिन लैंगिक पूर्वाग्रहों और समाज में महिलाओं की कथित भूमिका की वजह से कम महत्वपूर्ण, अनौपचारिक और एंड-ऑफ-पाइप सर्कुलर अर्थव्यवस्था की गतिविधियों (ऐसे समाधान जो प्रदूषण और कचरे को उत्पन्न होने से रोकने के बदले उनका समाधान करते हैं जैसे रिसाइक्लिंग, फिर से उपयोग और कचरा प्रबंधन) में उनका प्रतिनिधित्व असमान है. सर्कुलर अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण गतिविधियों, जिनमें सर्कुलर उत्पादों का डिज़ाइन एवं इनोवेशन और आधुनिक तकनीकों को अपनाना शामिल हैं, में महिलाओं की भागीदारी नगण्य रही है. लेकिन रिपोर्ट से पता चलता है कि इनोवेटिव कंपनियां उस समय अधिक सर्कुलर होती हैं जब महिलाएं नेतृत्व की भूमिका में होती हैं.
इंटरनेशनल सॉलिड वेस्ट एसोसिएशन (ISWA) के द्वारा 2023 के एक सर्वे के अनुसार- जिसमें ‘वैश्विक कचरा प्रबंधन सेक्टर में महिलाओं’ को लेकर 75 देशों की 607 महिलाओं से डेटा इकट्ठा किया गया- इस क्षेत्र में कम महत्वपूर्ण भूमिकाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत ज़्यादा है जबकि अधिक महत्वपूर्ण गतिविधियों जैसे कि आधुनिक तकनीक के डिज़ाइन और मैनेजमेंट में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है. सर्वे में भाग लेने वाली ज़्यादातर महिलाओं ने कहा कि उन्हें बिना वेतन वाली देखभाल की ज़िम्मेदारियों को वेतन वाले काम के साथ संतुलित करने में अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इससे उजागर होता है कि किस प्रकार लैंगिक मानदंड सर्कुलर अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को तय करते हैं.
इस साल के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम ‘प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ाई’ को ध्यान में रखते हुए ये स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि सर्कुलर अर्थव्यवस्था की तरफ न्यायसंगत परिवर्तन की परिकल्पना में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका है. पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं के अलावा उनकी भागीदारी एक दोधारी तलवार है. एक तरफ तो महिलाएं अपनी आजीविका के लिए इन पर निर्भर हैं. दूसरी तरफ वो काफी हद तक अनौपचारिक पदों तक सीमित रहते हुए प्लास्टिक प्रदूषण के गंभीर असर का सामना करती हैं जिनमें स्वास्थ्य से जुड़े ख़तरे, ख़राब काम-काज की स्थिति और कम मज़दूरी शामिल हैं.
वैसे तो प्लास्टिक प्रदूषण का मुकाबला करने में सर्कुलैरिटी (संसाधनों का फिर से उपयोग और कचरे में कमी) की ज़ोरदार मांग की जाती है लेकिन इस बदलाव के केंद्र में महिलाओं को रखना आवश्यक है. सर्कुलर अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव के संभावित फायदे महत्वपूर्ण हैं. अध्ययनों में अनुमान लगाया गया है कि 2040 तक सर्कुलैरिटी, समुद्र में प्लास्टिक का रिसाव 80 प्रतिशत तक कम कर सकती है, ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में 25 प्रतिशत की कटौती कर सकती है, 7,00,000 नौकरियों का सृजन कर सकती है और हर साल 200 अरब अमेरिकी डॉलर की बचत कर सकती है. लेकिन लिंग विशिष्ट हस्तक्षेप के बिना ये लाभ महिलाओं को नहीं मिल सकते हैं और मौजूदा असमानताओं को मज़बूत कर सकते हैं. इसलिए एक न्यायसंगत परिवर्तन को वास्तव में ‘न्यायसंगत’ बनाने को सुनिश्चित करने के लिए पूरी सर्कुलर अर्थव्यवस्था में महिलाओँ की अधिक मज़बूत भागीदारी की आवश्यकता है, न कि केवल कम महत्वपूर्ण भूमिकाओं के साथ अनौपचारिक क्षेत्र से जुड़ी गतिविधियों में.
वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा कार्यबल (वर्कफोर्स) में महिलाओं की हिस्सेदारी औसतन केवल 32 प्रतिशत है और कुछ क्षेत्रों में तो ये और भी कम है जैसे भारत में महिलाओं की हिस्सेदारी महज़ 11 प्रतिशत है.
सर्कुलर अर्थव्यवस्थाओं के भीतर हरित नौकरियां समावेशी आर्थिक विकास के लिए रास्ता मुहैया कराती हैं. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुमान के मुताबिक सर्कुलर अर्थव्यवस्था के प्रयासों के माध्यम से 2030 तक दुनिया भर में 60 लाख नई नौकरियां पैदा की जा सकती हैं. वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा कार्यबल (वर्कफोर्स) में महिलाओं की हिस्सेदारी औसतन केवल 32 प्रतिशत है और कुछ क्षेत्रों में तो ये और भी कम है जैसे भारत में महिलाओं की हिस्सेदारी महज़ 11 प्रतिशत है. इसके अलावा 1 करोड़ 40 लाख हरित नौकरियों में से लगभग दो-तिहाई एशिया में हैं और हरित कार्यबल में पुरुषों का हिस्सा 85 प्रतिशत है. इसका कारण महिलाओं की तरफ निवेश की कमी हो सकता है जिससे उन्हें कम कौशल और कम महत्व वाली भूमिकाओं में रहना पड़ता है.
इसके विपरीत महिलाओं पर निवेश के दूरगामी आर्थिक और सामाजिक लाभ हैं. नतीजों से पता चलता है कि महिलाएं अपनी आमदनी का 90 प्रतिशत तक हिस्सा परिवार और कल्याण पर खर्च करती हैं जबकि पुरुष केवल 35 प्रतिशत. इसके अलावा, 2023 के एक अध्ययन से पता चलता है कि ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में लैंगिक अंतर को कम करने से वैश्विक आर्थिक गतिविधि में 7 प्रतिशत से ज़्यादा की बढ़ोतरी हो सकती है जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को 7 ट्रिलियन डॉलर का बढ़ावा मिलेगा.
लैंगिक रूप से एक समावेशी सर्कुलर अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कई बड़े कदम उठाना आवश्यक है.
सबसे पहले, महिलाओं के लिए शिक्षा और कौशल विकास में निवेश होना चाहिए. लगभग 85 प्रतिशत हरित कौशल प्रशिक्षण पुरुषों को प्रदान किया जाता है जबकि 90 प्रतिशत से अधिक महिलाएं बताती हैं कि सामाजिक मानदंड इस तरह की ट्रेनिंग में उनकी भागीदारी को सीमित करते हैं. सर्कुलर अर्थव्यवस्था में सभी स्तरों पर समान हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा और कौशल, विशेष रूप से STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमैटिक्स) के क्षेत्रों में, के माध्यम से महिलाओं और लड़कियों की क्षमता का निर्माण करने के उद्देश्य से पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है.
दूसरा, कचरा प्रबंधन में डिजिटल बंटवारे का समाधान होना चाहिए. ब्राज़ील में पायलट प्रोजेक्ट से पता चलता है कि इस तरह की तकनीकों तक महिलाओं की पहुंच का विस्तार करने से रिसाइक्लिंग सहकारी समितियों में महिलाओं पर सकारात्मक असर पड़ता है. आधुनिक तकनीकों तक महिलाओं की पहुंच और उनके उपयोग को सक्षम करने वाली नीतियों को बनाने से उन्हें सर्कुलर अर्थव्यवस्था के भीतर कम कौशल वाली अनौपचारिक भूमिकाओं से महत्वपूर्ण पदों तक पहुंचने में मदद मिलेगी. साथ ही वो अधिक प्रभावशाली ढंग से कचरा प्रबंधन से निपट सकेंगी.
तीसरा, सर्कुलर अर्थव्यवस्था के नियोजन में लैंगिक आधार पर आंकड़े की कमी होने से नीतियों में महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े विशेष ख़तरों और आर्थिक योगदान को अनदेखा कर दिया जाता है. लैंगिक आधार पर आंकड़े को इकट्ठा करना और उसके उपयोग को ज़रूरी बनाना ये सुनिश्चित करेगा कि हस्तक्षेप न्यायसंगत परिवर्तन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिकाओं का लाभ उठाते हुए उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बेहतर ढंग से तैयार किए जाएंगे.
निर्णय लेने और शासन व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को सर्कुलर अर्थव्यवस्था के डिज़ाइन में मुख्यधारा में लाया जाना चाहिए. इसमें नीति तैयार करने, उन्हें लागू करने, रूप-रेखा की निगरानी करने में लैंगिक दृष्टिकोण को शामिल करना और शासन व्यवस्था के निकायों एवं सलाहकार समितियों में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करना शामिल है.
चौथा, लैंगिक रूप से संवेदनशील जलवायु वित्त, कुल जलवायु वित्त प्रवाह का केवल 2 प्रतिशत हिस्सा है जबकि सर्कुलर अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी का समर्थन करने के लिए ये बेहद महत्वपूर्ण है. लैंगिक आधार पर बजट और निगरानी प्रणाली को जोड़ने और एक लैंगिक रूप से जवाबदेह सहभागी वित्त पोषण के दृष्टिकोण को अपनाने से अलग-अलग क्षेत्रों में लैंगिक नतीजों में सुधार आएगा.
अंत में, निर्णय लेने और शासन व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी को सर्कुलर अर्थव्यवस्था के डिज़ाइन में मुख्यधारा में लाया जाना चाहिए. इसमें नीति तैयार करने, उन्हें लागू करने, रूप-रेखा की निगरानी करने में लैंगिक दृष्टिकोण को शामिल करना और शासन व्यवस्था के निकायों एवं सलाहकार समितियों में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित करना शामिल है.
सुनैना कुमार ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं.
शैरॉन सारा थवानी कोलकाता में ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन और सेंटर फॉर न्यू इकोनॉमिक डिप्लोमेसी के डायरेक्टर नीलांजन घोष की एग्ज़ीक्यूटिव असिस्टेंट हैं.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.
Sunaina Kumar is a Senior Fellow at ORF and Executive Director at Think20 India Secretariat. At ORF, she works with the Centre for New Economic ...
Read More +