कोरोना महामारी के दौरान श्रीलंका, नॉर्वे और युगांडा में DHIS2 ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म का उपयोग कैसे किया गया, इसका विश्लेषण.
DHIS2एक वेब-आधारित ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म है जिसे हेल्थ मैनेजमेंटइन्फॉर्मेशन सिस्टम (स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली) (एचएमआईएस) के तौर परसबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है. DHIS2वर्तमान में दुनिया का सबसेबड़ा एचएमआईएस प्लेटफॉर्म है, जो 73 निम्न और मध्यम आय वाले देशों मेंइस्तेमाल किया जा रहा है और लगभग 2.4 बिलियन लोग इसके तहत आते हैं. इसप्लेटफॉर्म के विकास में मुख्य रूप से ओस्लो विश्वविद्यालय (यूआईओ), नॉर्वेका बड़ा योगदान हैऔर विश्व स्तर पर कई भागीदारों और एचआईएसपी नेटवर्कद्वारा यह कार्यान्वित किया जाता है.एचआईएसपी एक वैश्विक आंदोलन की तरह हैजो कार्यान्वयन, स्थानीय अनुकूलन और कॉन्फ़िगरेशन में सहायता करके और देशमें और रीजनल ट्रेनिंग मुहैया करके DHIS2को ग्लोबल पब्लिक गुड के तौरपर बढ़ावा देता है. इस प्लेटफॉर्म का पिछले तीन दशकों में स्वास्थ्यक्षेत्र में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है, और शिक्षा जैसे नॉनहेल्थ सेक्टर में सूचना प्रबंधन का समर्थन करने के लिए इसका तेजी से उपयोगकिया जाता है.
DHIS2 वर्तमान में दुनिया का सबसे बड़ा एचएमआईएस प्लेटफॉर्म है, जो 73 निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है और लगभग 2.4 बिलियन लोग इसके तहत आते हैं. इस प्लेटफॉर्म के विकास में मुख्य रूप से ओस्लो विश्वविद्यालय (यूआईओ), नॉर्वे का बड़ा योगदान है और विश्व स्तर पर कई भागीदारों और एचआईएसपी नेटवर्क द्वारा यह कार्यान्वित किया जाता है.
DHIS2प्लेटफॉर्म का उपयोग कई वर्षों से कम्युनिकेबल डिजीज़ के प्रकोप केप्रबंधन में साधन के तौर पर इस्तेमाल किया गया है, जैसा कि पश्चिम अफ्रीकामें 2014-2016 के इबोला प्रकोप के दौरान विशेष रूप से इसका इस्तेमाल कियागया था. 2015 में इबोला महामारी के बाद में, गिनी के स्वास्थ्य मंत्रालय नेअपनी सर्विलांस सिस्टम को मज़बूत करने के लिए एक रणनीतिक योजना बनाई, जिसमें मॉनिटरिंग डेटा को कैप्चर करने में सक्षम हेल्थ इन्फॉर्मेशन सिस्टमके तौर पर DHIS2को अपनाना शामिल था. गिनी, एक संसाधन-सीमित देश, नेएक बेहतर तरीक़े से एग्रीगेटेड डिजीज़ सर्विलांस को लागू किया, दो क्षेत्रोंमें पायलट परियोजना के साथ इसे शुरू किया, इससे पहले कि इसे राष्ट्रीय स्तरके कार्यक्रम तक आगे बढ़ाया गया, और अंत में चार साल के भीतर एककेस-आधारित डिजिटल सर्विलांस सिस्टम के तौर पर विस्तारित किया. इसलिए, इबोला महामारी के दौरान DHIS2के उपयोग ने इसके प्रकोप के प्रबंधन के लिएसुविधाओं के साथ एक ऐसे प्लेटफॉर्म को आगे बढ़ाया जिससे जिस समुदाय पर इसेलागू किया गया उससे संबंधित महत्वपूर्ण अनुभव हासिल हुआ.
यह लेख तीन देशों: श्रीलंका, युगांडा और नॉर्वे में कोरोना महामारी के दौरान DHIS2 के इस्तेमाल पर प्रकाश डालता है. यह इन विभिन्न संदर्भों में डिजिटल पब्लिक गुड्स (DPG) के प्रभावी और भरोसेमंद अडॉप्शन और उसके इस्तेमाल के लिए ज़रूरी घटकों के बारे में बताता है, साथ ही इस बात पर चर्चा करता है कि डिजिटल संप्रभुता के लिए DPG का लाभ कैसे उठाया जा सकता है.
यह लेख तीन देशों: श्रीलंका, युगांडा और नॉर्वे में कोरोना महामारी केदौरान DHIS2के इस्तेमाल पर प्रकाश डालता है. यह इन विभिन्न संदर्भोंमें डिजिटल पब्लिक गुड्स (DPG) के प्रभावी और भरोसेमंद अडॉप्शन और उसकेइस्तेमाल के लिए ज़रूरी घटकों के बारे में बताता है, साथ ही इस बात पर चर्चाकरता है कि डिजिटल संप्रभुता के लिए DPG का लाभ कैसे उठाया जा सकता है.हमारे अध्ययन से पता चलता है किकिसी देश के लिए किसी बाहरी इकाई परनिर्भर हुए बिना डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) के ओनरशिप का पूरीतरह से दावा करने और बनाए रखने के लिए, कुशल प्रौद्योगिकी प्रतिभा, पार्टिसिपेटरी डिज़ाइन प्रोसेस, प्रासंगिक सरकारी एजेंसियों द्वारा निरंतरजुड़ाव और बहुक्षेत्रीय जुड़ाव सहित व्यापक क्षमता निर्माण की आवश्यकताहोती है.
कोरोना महामारी के लिए DHIS2
वैश्विक DPG के रूप में डीएचआईएस2 ने कोरोना महामारी के दौरान 50 सेअधिक देशों में कोरोना से संबंधित सूचना प्रबंधन में योगदान दिया. इससे भीमहत्वपूर्ण बात यह है कि इसका कार्यान्वयन काफी चुस्त तरीक़े से किया गयाजिसमें उन देशों का समर्थन करने वाले वैश्विक सलाहकारों का न्यूनतमहस्तक्षेप था.
श्रीलंका: कोरोना महामारी पर त्वरित प्रतिक्रिया
दिसंबर 2019 में कोरोना महामारी ने चीन में पैर पसारना शुरू किया और तेजीसे एशियाई क्षेत्र के कई देशों में फैल गया. श्रीलंका जहां चीन के बाद सबसेज़्यादा एक साल में पर्यटक पहुंचते हैं, वहां जनवरी 2020 में कोरोना वायरसके प्रवेश और प्रसार को रोकने के बारे में ज़बर्दस्त चिंता दिखी थी. तबश्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना महामारी से संबंधित निर्णय लेनेमें शामिल स्टेकहोल्डर्स के बीच निगरानी और समन्वय करने के लिए एक डिजिटलइन्फॉर्मेशन सिस्टम की स्थापना की. हालांकिइस समाधान के विकास औरकार्यान्वयन को लेकर कई चिंताएं थीं, जिसमें एक ऐसे सिस्टम को बनाना भीशामिल है जो रोग महामारी विज्ञान के आधार पर बदलती आवश्यकताओं को समायोजितकर सके; कम समय में एक नए डिजिटल समाधान पर कई क्षेत्रों के कर्मचारियोंको ट्रेनिंग दे सके; परंपरागत रूप से कम लचीले सरकारी ढ़ांचे मेंस्टेकहोल्डरों के बीच सहयोग बना सके; और सरकारी ख़रीद मानदंडों के अनुसार एकडिजिटल सिस्टम डेवलप कर सके.
मंत्रालय ने DHIS2 प्लेटफॉर्म पर आधारित एक डिजिटल सूचना प्रणाली विकसित करने का निर्णय लिया, जिसका पहले से ही स्थानीय स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किया गया था और हेल्थ हाइरार्की (स्वास्थ्य पदानुक्रम) के सभी स्तरों पर इसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. इस प्लेटफॉर्म के डिज़ाइन और कार्यान्वयन का नेतृत्व एचआईएसपी श्रीलंका, स्वास्थ्य मंत्रालय और श्रीलंका की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) एजेंसी के साथ मिलकर किया गया था.
चिकित्सा और स्वास्थ्य सूचना विज्ञान मेंप्रशिक्षित विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रशासकों के साथ इस तरह कीचिंताओं के बारे में चर्चा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ऐसी चर्चाओंके बादमंत्रालय ने DHIS2प्लेटफॉर्म पर आधारित एक डिजिटल सूचनाप्रणाली विकसित करने का निर्णय लिया, जिसका पहले से ही स्थानीय स्वास्थ्यक्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किया गया था और हेल्थ हाइरार्की (स्वास्थ्यपदानुक्रम) के सभी स्तरों पर इसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. इस प्लेटफॉर्म केडिज़ाइन और कार्यान्वयन का नेतृत्व एचआईएसपी श्रीलंका, स्वास्थ्य मंत्रालयऔर श्रीलंका की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) एजेंसी के साथ मिलकरकिया गया था. देश DHIS2प्लेटफॉर्म पर पोर्ट ऑफ एंट्री मॉनिटरिंगमॉड्यूल के प्रोटोटाइप को डिज़ाइन करने में सक्षम था, जो श्रीलंका द्वाराकोरोना के पहले मामले की रिपोर्ट के समय तक कार्यान्वयन के लिए तैयार था.श्रीलंका चार महीने के भीतर सिस्टम में आठ से अधिक मॉड्यूल डिज़ाइन करने मेंसक्षम था, जिसमें जेनेरिक प्लेटफॉर्म को अनुकूलित करना भी शामिल था (चित्र 1 देखें).
चित्र 1: डिजिटल सूचना प्रणाली मॉड्यूल का विकास (जनवरी-जून 2020)
इन इनोवेशन के निर्माण को स्थानीय एचआईएसपी समूह द्वारा यूआईओ, ग्लोबलएचआईएसपी समुदाय और सरकारी आईसीटी एजेंसी के सहयोग से तैयार किया गया था, जिसने हैकथॉन का आयोजन करके स्वयंसेवी डेवलपर्स की भागीदारी का समन्वय कियाथा. कोरोना स्टीयरिंग कमेटी (संचालन समिति) की अध्यक्षता में मल्टी सेक्टरस्टेकहोल्डर्स ने इस सिस्टम के कार्यान्वयन का समर्थन किया. श्रीलंका के अनुभवों और मेटाडेटा को यूआईओ DHIS2कोर टीम और ग्लोबलएचआईएसपी समुदाय के साथ साझा किया गया, जिसके कारण कोरोना के लिए DHIS2मेटाडेटा पैकेज का उत्पादन हुआ, जिसे 40 से अधिक देशों ने अपनाया. 2020 के उत्तरार्द्ध में एचआईएसपी श्रीलंका और स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश कीसंपूर्ण वयस्क आबादी को पूर्व-पंजीकृत करके कोरोना टीकाकरण डेटा पर कब्ज़ाकरने के लिए DHIS2को अनुकूलित किया. जनवरी 2021 में देश को टीकों कापहला स्टॉक मिलने तक टीकाकरण मॉड्यूल तैयार हो गया था. इस मेटाडेटा कोग्लोबल DHIS2समुदाय के साथ भी साझा किया गया था, जिसने टीकाकरणमेटाडेटा पैकेज के विकास में योगदान दिया था. एक डिजिटल टीकाकरण प्रमाणपत्रतैयार करने के लिए एचआईएसपी श्रीलंका टीम और सरकारी आईसीटी एजेंसी नेडीएचआईएच 2 प्लेटफॉर्म पर डीआईवीओसी (एक DPG) को एकीकृत करने के लिएसहयोग किया.
युगांडा: वैश्विक उपयोग के लिए लोकल इनोवेशन्स को साझा करना
युगांडा, पूर्वी अफ्रीका का एक लैंडलॉक्ड (भू-आबद्ध) देश अपनी सीमा से परेकेन्या और तंजानिया से आपूर्ति पर बहुत अधिक निर्भर है. महामारी की शुरुआतसे, युगांडा को देश में माल परिवहन करने वाले ट्रक ड्राइवरों को ट्रैक करनेऔर अनुमति देने की चुनौती का सामना करना पड़ा था. इस प्रक्रिया को आसानबनाने के लिएयुगांडा ने DHIS2मेटाडेटा पैकेज के एंट्री कंपोनेंट केपोर्ट का इस्तेमाल किया और यात्रा के दौरान अलग-अलग जगहों पर ट्रकड्राइवरों को ट्रैक करने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन को बनाया और स्थानीयआवश्यकताओं के लिए इसे और तेजी से बढ़ाया. युगांडा टीम द्वारा इनोवेशन जैसेकि DHIS2एंड्रॉइड कैप्चर ऐप में क्यूआर कोड का समर्थन करने वालीसुविधाओं को शामिल करना, ने भी DHIS2कोर प्लेटफॉर्म के विस्तार मेंयोगदान दिया. इसके अलावा, युगांडा ने स्कूली बच्चों की कोरोना संक्रमण स्थिति पर रिपोर्टकरने के लिए शिक्षा क्षेत्र में DHIS2को भी लागू किया. युगांडा नेमौज़ूदा इलेक्ट्रॉनिक इंटीग्रेटेड डिजीज़ सर्विलांस एंड रिस्पांस का लाभउठाया, जिसे 2012 में शिक्षा के लिए DHIS2 (डीईएमआईएस) सिस्टम काउपयोग करके स्कूल स्तर पर कोविड रिपोर्टिंग मॉड्यूल के निर्माण के लिए लागूकिया गया था. इसने महामारी के कारण स्कूल बंद होने की एक्सटेंडेड पीरियड्सके बाद छात्रों को स्कूलों में वापस लाने में मदद की.
नॉर्वे: डिजिटल पब्लिक गुड्स को अपनाना
नॉर्वे एक ऐसा देश है जो पूरी तरह से डिजिटल हैलेकिन 2020 में कोरोनामहामारी के शुरुआती चरण में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में कुशल डिजिटल टूल काइस्तेमाल करने को लेकर वहां भी बड़ी चुनौती आई. उत्तरी नॉर्वे में ट्रोम्सोनगरपालिका ने मार्च 2020 में इस उद्देश्य के लिए एक स्केलेबल डिजिटलसमाधान तैयार करने में यूआईओ की सहायता मांगी. कोरोना वायरस मॉनिटरिंग केलिए कई देशों में DHIS2की सफल तैनाती को देखते हुए DHIS2कीकोर टीम ने ट्रॉम्सø के लिए एक डिजिटल समाधान तैयार किया, और अंततः देशमें 130 से अधिक नगर पालिकाओं द्वारा इसका उपयोग किया गया. यह किसी यूरोपीयदेश में पहला बड़ा DHIS2सिस्टम को लेकर कार्यान्वयन था. हालांकिमौज़ूदा कॉम्प्लेक्स डिजिटल समाधान और इंटीग्रेशन के कारण नॉर्वेको इसके कार्यान्वयन को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. स्वास्थ्यकर्मचारियों के कार्यभार को कम करने और मौज़ूदा इन्फॉर्मेशन आर्किटेक्चर केसाथ तालमेल बिठाने को लेकर इस पूरे सिस्टम को मौज़ूदा आइडेंटिटीप्लेटफॉर्मों, और टेस्टिंग एंड वैक्सीनेशन डेटाबेस के साथ एकीकृत किया जानाथा. एकीकरण के आसपास लोकल इनोवेशन ने भी सामान्य DHIS2प्लेटफॉर्म औरएकीकरण की क्षमताओं को बढ़ाने में योगदान दिया.
कोरोना वायरस मॉनिटरिंग के लिए कई देशों में DHIS2 की सफल तैनाती को देखते हुए DHIS2 की कोर टीम ने ट्रॉम्सø के लिए एक डिजिटल समाधान तैयार किया, और अंततः देश में 130 से अधिक नगर पालिकाओं द्वारा इसका उपयोग किया गया. यह किसी यूरोपीय देश में पहला बड़ा DHIS2 सिस्टम को लेकर कार्यान्वयन था.
इस चर्चा मेंहम उन जेनरिक फैक्टर्स (सामान्य कारकों) की पहचान करने परध्यान केंद्रित करने का प्रयास करते हैं जिन्होंने कई देशों में इस सिस्टमके असरदार कार्यान्वयन को मुमकिन बनाया और कैसे संप्रभुता से संबंधितचिंताओं को लेकर चर्चा की गई.
विश्लेषण
चर्चा किए गए तीन देशों के परिदृश्यों के आधार पर कोरोना महामारी के दौरानकार्यान्वयन में एचआईएसपी नेटवर्क से सीख, और इन कार्यान्वयन पर मौज़ूदारिसर्च से हम उन अहम कारकों की पहचान करते हैं जिन्होंने असरदार सिस्टम कोलागू करने में योगदान दिया और जो डिजिटल संप्रभुता के आसपास की चिंताओं कोभी संबोधित करते हैं.
मज़बूत, भरोसेमंद और सुरक्षित DPG लागू करना
श्रीलंका, युगांडा और नॉर्वे के अनुभव DHIS2को अनुकूलित औरकार्यान्वित करने में महत्वपूर्ण स्थानीय क्षमताओं के बारे में बताते हैं.उदाहरण के लिए, श्रीलंका ने 10 ईयर कैपेसिटी बिल्डिंग ग्रेजुएट प्रोग्राममें निवेश किया है जो स्वास्थ्य कर्मचारियों की सभी श्रेणियों मेंराष्ट्रीय और ज़िला स्तर पर कैपेसिटी बिल्डिंग में सक्षम व्यक्तियों को आगेबढ़ाता है. तीनों देशों में लोकल एचआईएसपी समूह ग्लोबल एचआईएसपी नेटवर्क सेजुड़े हुए थे. यह ऐसे सिस्टम को विकसित करने की क्षमता प्रदान करता है जोचुस्त हैं, ख़ासकर स्वास्थ्य संकट के दौरान ये काफी असरदार हैं. स्थापितDHIS2प्लेटफॉर्म की फ्लेक्सिबल , जेनरिक नेचर ने भी इसे असरदार बनानेमें अपना योगदान दिया. स्थानीय समूहों ने क्रॉस-सेक्टर सहयोग के साथ हर देश में स्वास्थ्य और अन्यमंत्रालयों के साथ मिलकर काम किया हैऔर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों कोवितरित करने और दीर्घकालिक समर्थन प्रदान करने में भरोसा बनाया है. महामारीजैसे संकट के समय में स्थानीय आवश्यकताओं का समर्थन करने वाले ऐसेदीर्घकालिक संबंध महत्वपूर्ण हैं जहां मौज़ूदा ख़रीद प्रक्रियाओं को तेजी सेट्रैक किया जाना था और बेहतर तरीक़ों को अपनाया जाना था. कोरोना महामारी केदौरान गतिशील आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी कई देशों ने लोकल इनोवेशनका निर्माण किया, जिससे सामान्य प्लेटफॉर्म स्थानीय संदर्भ के लिए ज़्यादाप्रासंगिक हो गए.ग्लोबल वैश्विक नेटवर्क में लोकल इनोवेशन को साझा करनेसे कार्यान्वयन करने वाले देशों में साबित किए गए टेक्नोलॉजी को बढ़ाने औरअपनाने में तेजी आई है.
मेटाडेटा पैकेज के उत्पादन ने सुनिश्चित किया कि कार्यान्वयन के दौरान सूचना प्रबंधन में मानकों और सबसे बेहतर तरीक़ों का पालन किया गया, जिसने एक ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म को अपनाने के बाद से एकत्र किए गए डेटा के सुरक्षा परिप्रेक्ष्य में भी योगदान दिया जो विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है.
मेटाडेटा पैकेज के उत्पादन ने सुनिश्चित किया कि कार्यान्वयन के दौरानसूचना प्रबंधन में मानकों और सबसे बेहतर तरीक़ों का पालन किया गया, जिसने एकओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म को अपनाने के बाद से एकत्र किए गए डेटा के सुरक्षापरिप्रेक्ष्य में भी योगदान दिया जो विश्वसनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करताहै. श्रीलंका के मामले में, साइबर सुरक्षा के प्रभारी सरकारी संस्था नेडीएचआईएस2 प्लेटफॉर्म को लागू करने और इससे संबंधित इनोवेशन को कार्यान्वयनप्रक्रिया के दौरान बारीक़ी से देखा और इसके लिए सिफारिशें की.
डिजिटल संप्रभुता संबंधी चिंताओं का जवाब
डिजिटल संप्रभुता को डेटा के नियंत्रण और यह टेक्नोलॉजी और कंप्यूटरनेटवर्क के इस्तेमाल के दौरान क्या दर्शाता है, उस रूप में समझा जा सकताहै. DPG, परिभाषा के मुताबिक, ओपन-सोर्स समाधान प्रस्तुत करते हैं जोराष्ट्रों को अपनाने और स्थानीयकृत करने के लिए एक ठोस आधार तैयार करता है.हालांकि, किसी देश के लिए बाहरी इकाई पर भरोसा किए बिना पूरी तरह सेओनरशिप का दावा करने और एक सिस्टम को बनाए रखने के लिएव्यापक क्षमतानिर्माण की ज़रूरत होती है. जीएचआईएस 2 प्लेटफॉर्म को बनाए रखने में सक्षमकुशल व्यक्तियों का उत्पादन करने के लिए श्रीलंका और युगांडा दोनों के पाससरकारी क्षेत्र के भीतर लंबे समय से क्षमता निर्माण कार्यक्रम को चलाए जारहे थे. इसके अलावा, स्थानीय विशेषज्ञों ने मंत्रालयों और दूसरेस्टेकहोल्डर्स की सहायता से टेक्नोलॉजी का निर्माण और कार्यान्वयन किया, विकास और कार्यान्वयन के स्टेज में शेयरिंग के दृष्टिकोण को भी शामिल कियागया. सॉफ्टवेयर को प्रासंगिक बनाने और अन्य देशों के लिए कार्यान्वयन कोपूरी तरह से ओनरशिप में रखने के लिए यह ज़रूरी है.श्रीलंका की आईसीटी एजेंसी द्वारा आयोजित हैकाथॉन जैसी गतिविधियां देश कोअपने अधिकार क्षेत्र के अनुसार डेटा को स्थापित और प्रबंधित करने के लिएस्थानीय बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ठोस आधार प्रदान करती हैं.तीनों देशों में, स्थानीय एचआईएसपी समूहों ने एक सहायक भूमिका निभाई है, जबकि मंत्रालयों के पास सूचना प्रणाली और डेटा मौज़ूद थे जो डिजिटलसंप्रभुता प्राप्त करने का रास्ता खोलता है. श्रीलंका का उदाहरणकार्यान्वयन में मल्टीसेक्टर जुड़ाव को भी प्रदर्शित करता है, जो पूरेसरकारी दृष्टिकोण के लिए महत्वपूर्ण साबित होता है. उदाहरण के लिए, सेना नेडेटा एंट्री का बोझ उठाया, जिसे कार्यान्वयन प्रक्रिया में ओनरशिप शेयरिंगकरने के तौर पर देखा जा सकता है.
निष्कर्ष
कोरोना महामारी के दौरान कई देशों में DHIS2एक अत्यंत प्रभावशालीDPG समाधान के तौर पर उभरा है. यह फ्लेक्सिबल जेनेरिक ओपन-सोर्ससमाधान होने के नाते इनोवेशन का समर्थन करता है, वह इस प्लेटफॉर्म केलोकल अडॉप्शन को बढ़ावा देता है और इसकी प्रासंगिकता बनाए रखने में मदद भीकरता है. एक मज़बूत कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए देश में कैपेसिटीबिल्डिंग, पार्टिसिपेटरी डिज़ाइन और ओपन-सोर्स नेटवर्क के साथ जुड़नामहत्वपूर्ण है. महामारी के समय में DPG को लागू करते समय डिजिटलसंप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए मल्टीसेक्टर स्टेकहोल्डर्स, कैपेसिटीबिल्डिंग गतिविधियां, सहायक बुनियादी ढांचा और डिजिटल आर्किटेक्चर के साथजुड़ना महत्वपूर्ण है. श्रीलंका, युगांडा और नॉर्वे के अनुभवों में ग्लोबल समुदाय के साथ इनोवेशनऔर सबसे बेहतर तरीक़ों को साझा करना महत्वपूर्ण था. दरअसल, DPG के पीछेएक सक्रिय समुदाय का होना विश्वसनीयता, जवाबदेही और स्थिरता के लिए आवश्यकऔर अहम है.
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