2022 में इटली की प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही जियोर्जिया मेलोनी की विदेश नीति यूक्रेन को अटल समर्थन देने से परिभाषित होती रही है. इस तरह उन्होंने इटली के अटलांटिक और यूरोपीय साझीदारों के साथ तालमेल बढ़ाया है, और अब इटली यूरोपीय संघ (EU) के नीति निर्माण में सक्रियता से सहयोग कर रहा है. प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की विदेश नीति का एक और केंद्रीय सूत्र अफ्रीका और विशेष रूप से यूरोपीय संघ के दक्षिणी इलाक़े या मग़रिब से संपर्क बढ़ाना है. प्रधानमंत्री बनने के बाद से पिछले दो वर्षों में मेलोनी ने अफ्रीका में अल्जीरिया, लीबिया, ट्यूनीशिया, मिस्र, मोरक्को और मॉरीटेनिया समेत कुल 11 दौरे किए हैं. इससे उनकी विदेश नीति में मोटे तौर पर भूमध्य सागर और विशेष रूप से उत्तरी अफ्रीका की केंद्रीय भूमिका स्पष्ट हो जाती है.
इस लेख में अफ्रीका से नज़दीकी बढ़ाने की इटली की कोशिशों और हाल ही में अफ्रीका के लिए शुरू की गई मैटेई योजना (MPA) की संभावनाओं का मूल्यांकन करना और पूरे अफ्रीका में इटली की प्रमुख और प्रायोगिक परियोजनाओं का विश्लेषण करना है.
उत्तरी अफ्रीका में इटली के दोबारा दिलचस्पी लेने के पीछे, आर्थिक सुरक्षा का ख़राब होता ढांचा है, जो यूरोपीय संघ की आर्थिक मुसीबतों का प्रतीक है. यूक्रेन में रूस के विशेष सैन्य अभियान, चीन के साथ भू-आर्थिक प्रतिद्वंद्विता और गाज़ा में युद्ध ने ऊर्जा सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को लेकर EU के उन विचारों की चूलें हिला दी हैं जिनके आधार पर यूरोपीय संघ के नीति निर्माताओं ने अपनी नीतियों का निर्माण किया था. प्रधानमंत्री मेलोनी के अफ्रीका से नज़दीकी बढ़ाने के पीछे, अफ्रीका में ऊर्जा क्षेत्र में नए और पुराने निवेशों के माध्यम से इटली की ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाकर उन्हें मज़बूत बनाना, अहम खनिज तत्वों की वैल्यू चेन को सुरक्षित बनाने के लिए अफ्रीकी साझीदारों के साथ व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देना, और यूरोपीय संघ के दक्षिणी पड़ोस में आर्थिक विकास को नई ताक़त देना है.
इस लेख में अफ्रीका से नज़दीकी बढ़ाने की इटली की कोशिशों और हाल ही में अफ्रीका के लिए शुरू की गई मैटेई योजना (MPA) की संभावनाओं का मूल्यांकन करना और पूरे अफ्रीका में इटली की प्रमुख और प्रायोगिक परियोजनाओं का विश्लेषण करना है. इसके अतिरिक्त, इस लेख में अफ्रीका में कनेक्टिविटी के मौजूदा पूरक और प्रतिद्वंदी विकल्पों का विश्लेषण करना और उनके मुक़ाबले MPA की पूरक या प्रतिद्वंदिता भूमिका का भी आकलन किया गया है.
अफ्रीका के साथ इटली की आर्थिक संपर्क बढ़ाने की कोशिशें
29 जनवरी 2024 को 2024 के इटली अफ्रीका शिखर सम्मेलन के दौरान 21 अफ्रीकी राष्ट्राध्यक्षों, अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष, विश्व बैंक के प्रमुख और संयुक्त राष्ट्र की तमाम एजेंसियों के प्रतिनिधियों के सामने, प्रधानमंत्री मेलोनी ने अपने भाषण में अफ्रीका के लिए मैटेई प्लान (MPA) पर से पर्दा उठाया था. इस योजना का नाम इटली की प्रमुख सरकारी तेल कंपनी नेशनल हाइड्रोकार्बन एजेंसी (Eni) के संस्थापक एनरिको मैटेई के नाम पर रखा गया है. MPA में ये कंपनी भी एक अहम साझीदार है. इस योजना के अंतर्गत इटली की सरकार क़र्ज़ों, निवेशों और हिस्सेदारी के ज़रिए पांच नीतिगत सेक्टरों- ऊर्जा, शिक्षा, पानी, क्षमता निर्माण और कृषि के लिए- अल्जीरिया, कॉन्गो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC), मिस्र, इथियोपिया, आइवरी कोस्ट, कीनिया, मोरक्को, मोज़ांबिक और ट्यूनीशिया को 8.2 अरब डॉलर की सहायता उपलब्ध कराएगी.
MPA के लिए पूंजी नेशनल क्लाइमेट फंड और इटैलियन डेवेलपमेंट को-ऑपरेशन के बजट के ज़रिए जुटाई जाएगी. इस योजना का आधार 1960 के दशक में मैटेई द्वारा शुरू किए गए कामों को बनाया गया है. जब एनरिको मैटेई ने Eni के प्रमुख के तौर पर ऐसे सौदे करने की मध्यस्थता की थी, जो पश्चिमी अफ्रीका के तेल से संपन्न राष्ट्रों को बहुत ज़्यादा फ़ायदे देने वाले थे. इसके बदले में इटली, बाक़ी यूरोप का द्वितीयक आपूर्तिकर्ता बन गया था. उसके बाद से, इस ब्लूप्रिंट का इस्तेमाल करते हुए Eni ने मग़रिब में ऊर्जा की आपूर्ति के क्षेत्र में सामरिक सहयोग को आगे बढ़ाया है और उसने राजनीतिक रूप से नाज़ुक माने जाने वाले उन अफ्रीकी देशों में भी अपना कारोबार फैलाया है, जहां पश्चिम की बड़ी तेल कंपनियां जाने से कतराती रही हैं.
मैटेई योजना में द्विपक्षीय विकास के लिए दानदाता और दान प्राप्त करने वाले देशों के नज़रिए से ऊपर से थोपने के बजाय, एक एकीकृत नज़रिया अपनाने की बात कही गई है
Eni के अनुभवों का लाभ उठाते हुए, मैटेई योजना में द्विपक्षीय विकास के लिए दानदाता और दान प्राप्त करने वाले देशों के नज़रिए से ऊपर से थोपने के बजाय, एक एकीकृत नज़रिया अपनाने की बात कही गई है, जिसमें योजना के अफ्रीकी भागीदारों से नियमित रूप से सलाह मशविरा किया जाएगा. इस योजना के तहत अफ्रीका के मूलभूत ढांचे के विकास में इटली के मौजूदा सामरिक निवेशों का आकलन भी किया जाएगा. जिन परियोजनाओं का एलान पहले ही किया जा चुका है, उनमें इटली ट्यूनिशिया में ग्रीन हाइड्रोजन की पाइपलाइन, जो इटली से भी जुड़ी होगी, मोरक्को और इटली के बिजली ग्रिड को जोड़ने की परियोजना और अंगोला, कॉन्गो (DRC) और आइवरी कोस्ट में अक्षय ऊर्जा की परियोजनाएं शामिल हैं.
फिर भी, इस योजना की अपनी कमिया हैं. अफ्रीका को अपने मूलभूत ढांचे की कमियों को पूरा करने के लिए हर साल लगभग 150 अरब डॉलर के निवेश की ज़रूरत है, ऐसे में सिर्फ़ आठ अरब डॉलर के निवेश का कोई ख़ास असर नहीं होने वाला है. यही नहीं, MPA और इसके अंतर्गत आने वाली अधिकतर परियोजनाएं रहस्य के पर्दे में घिरी हैं. इटली की सरकार ने पहले इस योजना का एलान 2022 में किया था और उसके बाद से उपयोगिता का पता लगाने के अध्ययन और अफ्रीकी साझीदारों के साथ सलाह मशविरे के सिवा कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है. इसीलिए, कामयाब होने के लिए मैटेई योजना को अफ्रीकी और निजी साझीदारों के साथ व्यापक स्तर पर सलाह मशविरा करना होगा और विकास के अच्छे नतीजे हासिल करने के लिए इसके वित्तीय आकार को विस्तार देना होगा, तभी जाकर मध्यम से लंबी अवधि में अफ्रीका के साथ इटली के रिश्तों में सकारात्मक नतीजे देखने को मिल सकेंगे.
अपने दक्षिणी पड़ोस में चीन और रूस का मुक़ाबला करना
मग़रिब और अफ्रीका के साथ नज़दीकी बढ़ाने की इटली की कोशिशों का एक प्रमुख भू-राजनीतिक कारण आम तौर पर पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में चीन और रूस का तेज़ी से बढ़ रहा प्रभाव भी है. अफ्रीका से नज़दीकी बढ़ाने के लिए चीन, कनेक्टिविटी बढ़ाने की अपनी चर्चित पहल- बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत व्यापक निवेश किया है. चीन ने अफ्रीकी देशों को क़रीब 185 अरब डॉलर का क़र्ज़ दिया है, और इसके साथ ही साथ उसने कोयला, ऊर्जा, इलेक्ट्रिक ग्रिड, गैस, तेल, अक्षय ऊर्जा, पनबिजली परियोजनाओं, सड़कों, रेलवे और सामाजिक मूलभूत ढांचों जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक सेक्टरों में लगभग 60 अरब डॉलर का निवेश किया है. चीन ने अफ्रीका के 12 देशों के साथ मुक्त व्यापार के व्यापक समझौते भी किए हैं और वो महाद्वीप का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार भी है. चीन की ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक मूल्य संवर्धन श्रृंखलाओं में अफ्रीका की भूमिका बेहद अहम है. चीन, अपने लगभग एक तिहाई तेल और गैस का आयात अफ्रीका के ज़रिए करता है और अफ्रीका में उन महत्वपूर्ण कच्चे खनिजों की कई खदानों में उसने हिस्सेदारी ले रखी है, जो हरित परिवर्तन और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की आपूर्ति श्रृंखला के लिए अहम माने जाते हैं. पश्चिमी देशों की तुलना में चीन को बढ़त हासिल है. क्योंकि वो अफ्रीकी देशों के घरेलू मामलों में दखल नहीं देता. सुधार की मांग किए बग़ैर सहायता देता है, और वित्त के तुरंत वितरण की नीतियों पर चलता है. इसके अलावा चीन को पहल करने के मामले में भी बढ़त हासिल है.
रूस इन देशों को हुकूमतों की स्थिरता के पैकेज और हथियारों के व्यापार के सौदे मुहैया कराता है और इनके बदले में उनके प्राकृतिक संसाधनों और मूलभूत ढांचे के विकास के ठेकों में पहुंच हासिल करता है.
इसी तरह, रूस भी सुरक्षा और आर्थिक पहलों के माध्यम से कई अफ्रीकी देशों के साथ अपने आर्थिक और सुरक्षा संबंधों को मज़बूत बना रहा है. रूस इन देशों को हुकूमतों की स्थिरता के पैकेज और हथियारों के व्यापार के सौदे मुहैया कराता है और इनके बदले में उनके प्राकृतिक संसाधनों और मूलभूत ढांचे के विकास के ठेकों में पहुंच हासिल करता है. रूस, अफ्रीकी देशों को उर्वरक, गेहूं और मक्के की आपूर्ति करके उनके कृषि और खाद्य सुरक्षा जैसे अहम आर्थिक सेक्टरों में बड़ी भूमिका अदा करता है. यूक्रेन में सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद से अफ्रीका के साथ रूस का कारोबार 56 प्रतिशत बढ़ चुका है: 2022 में ये व्यापार 18.4 अरब डॉलर का था, जो 2023 में बढ़कर 28.3 अरब डॉलर का हो चुका था. रूस और अफ्रीका के बीच कुल व्यापार में से अकेले मिस्र की हिस्सेदारी एक चौथाई की है. अफ्रीका में रूस की रणनीति का मक़सद, यूक्रेन में अपने ‘विशेष सैन्य अभियान’ के लिए समर्थन हासिल करना भी है. संयुक्त राष्ट्र और ज़्यातार दूसरे वैश्विक बहुपक्षीय मंचों में वोट देने वाले देशों में अफ्रीका की संख्या सबसे अधिक है, और संयुक्त राष्ट्र के 169 में से 51 वोट अफ्रीकी देशों के हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस से यूक्रेन को युद्ध के मुआवज़े के भुगतान और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से रूस की बर्ख़ास्तगी जैसे जैसे प्रस्तावों पर मतदान के दौरान ज़्यादातर अफ्रीकी देश अनुपस्थित रहे हैं.
निष्कर्ष
अपने पड़ोसी क्षेत्र में चीन और रूस के प्रभाव का मुक़ाबला करने, अपनी ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने, अवैध अप्रवास को रोकने और पड़ोसी देशों को विकास में सहायता उपलब्ध कराने के लिए इटली ने 2024 में MPA को लॉन्च किया था. इसकी कुछ कमियों को पूरा करने के लिए, इटली की अध्यक्षता में हुए G7 शिखर सम्मेलन के दौरान MPA का समन्वय, यूरोपीय संघ के ग्लोबल गेटवे और G7 के पार्टनरशिप फ़ॉर ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड इन्वेस्टमेंट (PGII) के साथ बिठाया गया है. विकास में इटली की ज़्यादातर सहायता उसके सबसे पड़ोसी इलाक़े उत्तरी अफ्रीका में केंद्रित है, जो उसकी आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से अहम क्षेत्र है. अगर प्रधानमंत्री मेलोनी 2024 के इटली अफ्रीका शिखर सम्मेलन मे किए गए वादों को पूरा करती हैं और PGII के ज़रिए इस इलाक़े में विकास को आगे बढ़ाती हैं, तभी जाकर इटली, मग़रिब और पूरे अफ्रीका में अपने सामरिक और भू-आर्थिक लक्ष्यों को हासिल कर सकेगा.
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