Expert Speak Raisina Debates
Published on Apr 24, 2025 Updated 0 Hours ago

मुश्किल से हासिल इथियोपिया की शांति एक बार फिर टूट रही है और इस बार हॉर्न ऑफ अफ्रीका पर मंडरा रहे व्यापक क्षेत्रीय युद्ध का डर सिर्फ एक गलत कदम से वास्तविकता में बदल सकता है. 

इरीट्रिया-इथियोपिया विवाद से हॉर्न ऑफ अफ्रीका की स्थिरता खतरे में

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ऐसा लग रहा है कि हॉर्न ऑफ अफ्रीका (पूर्वी अफ्रीका का एक क्षेत्र) पर एक और क्षेत्रीय युद्ध का डर मंडरा रहा है और जिस तरह से चीज़ें सामने आ रही हैं उससे एक असाधारण भ्रम की अनुभूति हो रही है. नवंबर 2020 में इथियोपियन नेशनल डिफेंस फोर्स (ENDF) और टिग्रे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के नेतृत्व वाले बागी समूहों के गठबंधन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई. ये युद्ध लगभग दो वर्षों तक चलता रहा जिसने 6,00,000 लोगों की जान ले ली और 9,00,000 अन्य इथियोपियाई नागरिक इसकी वजह से विस्थापित हो गए. मार्च 2022 में अनिश्चितकालीन मानवीय संघर्ष विराम का शांति समझौता किया गया लेकिन इसके कुछ ही महीनों के बाद सितंबर में फिर से लड़ाई शुरू हो गई. नवंबर 2022 में एक और शांति समझौता हुआ जो दो साल से कुछ ज़्यादा समय तक चला.    

पिछले युद्ध में इथियोपिया के सरकारी बलों ने मज़बूत और अच्छी तरह से हथियारबंद TPLF और उसको सहयोगियों, जिनमें ओरोमो लिबरेशन आर्मी (OLA) शामिल है, से युद्ध किया. उस समय इरीट्रिया ने इथियोपिया की सरकार का साथ दिया और TPLF को रोकने में मदद की. लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि इरीट्रिया ने पाला बदल लिया है और ख़बरों के मुताबिक वो ENDF के ख़िलाफ़ अलग-अलग बागी समूहों का समर्थन कर रहा है. 

इरीट्रिया-इथियोपिया विवाद

इरीट्रिया के रवैये में बदलाव पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं है. अगर कुछ ऐतिहासिक संदर्भ सामने रखें तो इरीट्रिया, जो पहले इटली का उपनिवेश था, को 1962 में इथियोपिया ने अपने अधीन कर लिया था. इथियोपिया के ख़िलाफ़ तीन दशक लंबे युद्ध के बाद इरीट्रिया ने 1993 में स्वतंत्रता हासिल की. इस तरह इथियोपिया लैंडलॉक्ड (पूरी तरह ज़मीन से घिरा) देश रह गया. 2018 में सत्ता में आने के बाद इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबे अहमद अली ने इथियोपिया और इरीट्रिया के बीच कूटनीतिक संबंधों को सामान्य बनाया. 

ये युद्ध लगभग दो वर्षों तक चलता रहा जिसने 6,00,000 लोगों की जान ले ली और 9,00,000 अन्य इथियोपियाई नागरिक इसकी वजह से विस्थापित हो गए.

संबंधों में सुधार के परिणामस्वरूप इरीट्रिया ने TPLF के ख़िलाफ़ चल रहे युद्ध के दौरान अबे के नेतृत्व वाली इथियोपियाई सरकार का साथ दिया. फिर भी अबे ने नवंबर 2023 में इरीट्रिया से सलाह किये बिना दुश्मनी को ख़त्म करने वाले समझौते, जिसे ‘प्रिटोरिया समझौता’ कहा जाता है, के ज़रिए युद्ध समाप्त करने का फैसला लिया. इससे इरीट्रिया नाराज़ हो गया. इरीट्रिया की हताशा उसके राष्ट्रपति इसाइस अफवेर्की के द्वारा समझौते को ‘टेकोलिफना’ (हम हताश हो गए हैं) के रूप में बताने के साथ दिखी. वैसे तो प्रिटोरिया समझौते में ‘विदेशी बलों की वापसी’ का प्रावधान था लेकिन इरीट्रिया ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए और उसने इथियोपिया के भीतर अपने कुछ सैनिकों को बनाए रखा. 

इस बीच नागरिक सेना (मिलिशिया) का एक और गठबंधन इथियोपिया के राष्ट्रीय बलों के ख़िलाफ़ अप्रैल 2023 से लड़ रहा है. फानो नाम का ये गठबंधन एक जातीय-राष्ट्रवादी समूह है और अमहारा समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है. अमहारा इथियोपिया का दूसरे सबसे बड़ा जातीय समूह है जिसने TPLF के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सेना के साथ लड़ाई लड़ी. ‘फानो’ का अनुवाद मोटे तौर पर स्वतंत्रता सेनानी होता है और ये 30 के दशक में इथियोपिया पर इटली के फासीवादी कब्ज़े के ख़िलाफ़ स्वैच्छिक सेना के सफल अभियान के समय का है. 

फानो ने राष्ट्रीय सरकार के ख़िलाफ़ हथियार उठाया क्योंकि उसे महसूस हुआ कि प्रिटोरिया समझौते से उसे बाहर रखा गया है. प्रिटोरिया समझौते के एक महत्वपूर्ण प्रावधान ने TPLF, फानो और OLA जैसे सभी क्षेत्रीय बलों को भंग कर दिया. फानो ने इस मांग को अपने अस्तित्व के लिए ख़तरा समझा क्योंकि टिग्रे और ओरोमिया जैसे दुश्मन क्षेत्रों से उस पर हमला हो सकता है.  

इसके अलावा जनवरी 2024 में प्रधानमंत्री अबे अहमद ने सोमालिया के एक अलग हो चुके क्षेत्र सोमालीलैंड के साथ एक विवादित समझौते पर हस्ताक्षर कर लाल सागर के एक बंदरगाह का अधिग्रहण करने के अपने इरादे का ऐलान किया. इरीट्रिया ने मिस्र और सोमालिया के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करके इथियोपिया के द्वारा बंदरगाह हासिल करने के संभावित कदम का विरोध किया. इसके बाद इरीट्रिया की सीमा पर इथियोपिया के बलों की तैनाती और इसके जवाब में इरीट्रिया के द्वारा पूरे देश में सेना की लामबंदी ने हॉर्न ऑफ अफ्रीका को संकट में डाल दिया है, इसकी वजह से युद्ध का ख़तरा मंडरा रहा है.  

अगर इथियोपिया और इरीट्रिया के बीच युद्ध फिर से शुरू होता है तो पहले से उथल-पुथल का सामना कर रहे क्षेत्र में परिणाम दूरगामी होगा.

वैसे तो प्रिटोरिया समझौते ने राष्ट्रीय बलों के साथ टिग्रे का संघर्ष समाप्त किया लेकिन इसने टिग्रे को दो गुटों- TPLF और टिग्रे अंतरिम प्रशासन (TIA)- में भी बांट दिया. शांति समझौते के बाद एक समावेशी अंतरिम प्रशासन का गठन हुआ जिसका काम इथियोपिया की सरकार के साथ मिलकर कूटनीतिक तौर पर विवादों का निपटारा करना था. अपनी सत्ता खोने के डर और अंतरिम सरकार पर टिग्रे के हितों के ख़िलाफ़ काम करने का आरोप लगाते हुए TPLF के वर्तमान अध्यक्ष डेब्रेटसियोन गेब्रेमाइकल के नेतृत्व में TPLF के एक गुट ने अंतरिम सरकार के विरुद्ध बगावत कर दी और संघीय सरकार के द्वारा नियुक्त अंतरिम राष्ट्रपति गेटाच्यू रेडा को पद से हटा दिया. इस गुट के द्वारा इरीट्रिया के साथ सांठगांठ करके केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ लड़ने की संभावना बहुत ज़्यादा बनी हुई है, विशेष रूप से अब. स्थिति जो भी हो लेकिन अब ऐसा लगता है कि इथियोपिया और इरीट्रिया विरोधी गुटों का समर्थन कर रहे हैं, ऐसे में टिग्रे में छद्म युद्ध की शुरुआत हो सकती है. 

इस बार इथियोपिया के ग्राउंडहॉग डे (लोकप्रिय सांस्कृतिक आयोजन) पर हर कुछ वर्षों में एक बार होने वाली टिग्रे के नेतृत्व में बगावत को एक दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है. इथियोपिया के संविधान का अनुच्छेद 39 हर क्षेत्र को अलग होने का अधिकार देता है और क्षेत्रीय निजी सेना को राष्ट्रीय सेना के साथ मिलकर काम करने की अनुमति देता है. सत्ता का ये क्षेत्रीय हस्तांतरण इथियोपिया की राष्ट्रीयता के लिए एक बड़ी चुनौती है. 

हॉर्न ऑफ अफ्रीका

हॉर्न ऑफ अफ्रीका में शांति की राह में मध्य पूर्व के देशों को भी शामिल किया जाना चाहिए. तुर्किए और संयुक्त अरब अमीरात (UAE)- दोनों देशों ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश किया है और वो नहीं चाहेंगे कि ये क्षेत्र अराजकता की चपेट में आ जाए. इस क्षेत्र में मिस्र एक और महत्वपूर्ण देश है. वैसे तो कमज़ोर इथियोपिया मिस्र के लिए फायदेमंद होगा, विशेष रूप से नील नदी के पानी के बंटवारे और ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां डैम (GERD) को लेकर मौजूदा विवाद की पृष्ठभूमि में, लेकिन अगर संघर्ष का विस्तार होता है तो ये संकट निश्चित रूप से मिस्र को नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा लाल सागर में अव्यवस्था स्वेज़ नहर, जो कि मिस्र की आर्थिक जीवन रेखा है, के माध्यम से व्यापार के लिए अनुकूल नहीं होगी.  

पिछली बार इथियोपिया ने तुर्किए और चीन में बने ड्रोन का इस्तेमाल करके TPLF को काबू करने में सफलता हासिल की थी. लेकिन इस बार विद्रोही समूह, विशेष रूप से फानो, के पास भी भारी तोपखाना और आधुनिक हथियार प्रणाली है. अगर ये बाहरी तत्व अपने निहित स्वार्थों को बनाए रखने के लिए अलग-अलग बागी समूहों का समर्थन करने का फैसला करते हैं तो इसका नतीजा कभी न ख़त्म होने वाला गृह युद्ध होगा.  

ये इथियोपिया में ग्राउंडहॉग डे का समय है. लेकिन इस बार व्यापक क्षेत्रीय परिणामों के साथ दांव पर बहुत कुछ लगा हुआ है. अगर इथियोपिया और इरीट्रिया के बीच युद्ध फिर से शुरू होता है तो पहले से उथल-पुथल का सामना कर रहे क्षेत्र में परिणाम दूरगामी होगा. ये बाकी बचे सूडान को बर्बाद कर सकता है, चाड को अस्थिर कर सकता है और साहेल क्षेत्र (अफ्रीका के पूर्व से पश्चिम तक फैला क्षेत्र) को लाल सागर से जोड़ने वाले कॉरिडोर को अस्थिर बना सकता है. पूरा क्षेत्र अनिश्चित संतुलन पर टिका हुआ है और ये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में है कि हॉर्न ऑफ अफ्रीका में एक और युद्ध शुरू होने से पहले ही उसे रोका जाए. 


समीर भट्टाचार्य ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं. 

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