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तकनीक को अपनाकर, राष्ट्रीय सेवाओं को मुख्यधारा में लाकर या ज़रूरी बनाकर और गेलेफु माइंडफुलनेस सिटी प्रोजेक्ट को प्रतीक बनाकर भूटान अपने राष्ट्रवाद को फिर से परिभाषित कर रहा है.
Image Source: Getty
7 अक्टूबर 2025 को भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने “गेलेफु माइंडफुलनेस सिटी (GMC) परियोजना के लिए रचनात्मक और व्यावहारिक समाधान विकसित करने में भूटान के युवाओं को शामिल करने के लिए” एक नई राष्ट्रीय पहल- पेल्सुंग की शुरुआत का एलान किया. ये घोषणा ऐसे समय में की गई जब भूटान युवा बेरोज़गारी (17.8 प्रतिशत) से जूझ रहा है और वहां बहुत ज़्यादा ब्रेन ड्रेन (प्रतिभाओं के पलायन) की स्थिति है जो टिकाऊ विकास के लिए उसकी कोशिशों को कमज़ोर कर रहे हैं. युवाओं को देश में बनाए रखने के लिए सरकार नए अवसरों का निर्माण करके और उन्हें पेश करके अपने राष्ट्रवाद को फिर से परिभाषित कर रही है. आज के समय में भूटान तकनीक को अपना रहा है, राष्ट्रीय सेवाओँ की शुरुआत कर रहा है, उन्हें मुख्यधारा में ला रहा है एवं उन्हें अनिवार्य बना रहा है और GMC को प्रतीक बना रहा है.
इस साल की शुरुआत में प्रधानमंत्री शेरिंग टोबगे ने माइग्रेशन (प्रवासन) और पलायन को देश के अस्तित्व के लिए ख़तरा बताया था. इस मुद्दे की गंभीरता भूटानी राष्ट्रवाद के मूल तक जाती है. भूटान में वंशानुगत राजतंत्र की स्थापना (1970 में) के बाद से वहां के लोग देश की राष्ट्रीय परिकल्पना, पहचान और अस्तित्व का महत्वपूर्ण पहलू रहे हैं. 60 के दशक में राष्ट्रीय भाषा और ड्रेस को अपनाने के साथ भूटान के इमिग्रेशन और नागरिकता कानूनों की मज़बूती के बाद इस पर और भी ज़ोर दिया गया. यहां तक कि सकल राष्ट्रीय खुशी (GNH) की धारणा ने भी न केवल भूटान के लोगों के रहन-सहन के तरीकों को परिभाषित किया बल्कि देश के लिए एक अनूठी पहचान भी बनाई.
आज की पीढ़ी (जो पुरानी पीढ़ियों की तुलना में दुनिया से अधिक परिचित है) संरचनात्मक आर्थिक मुद्दों से हताश है और बेहतर अवसर, काम-काज की स्थिति एवं वेतन देखकर पलायन कर गई है. कुल प्रवासी आबादी में से लगभग 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी हैं जो सरकार की क्षमता, नौकरशाही और सार्वजनिक क्षेत्र को खोखला कर रहा है.
भूटान ने लोकतंत्र 2008 में अपनाया लेकिन इस व्यवस्था में भी राजा एक महत्वपूर्ण हस्ती बने हुए हैं. ये राजनीतिक बदलाव व्यापक कल्याणकारी नीतियों (मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य) के साथ हुए जिससे इंटरनेट, मीडिया और सोशल मीडिया तक पहुंच बढ़ी. इसने देश को लेकर युवाओं की समझ को काफी हद तक प्रभावित किया. उनकी राष्ट्रवाद की भावना कम संगठित बनी हुई है जबकि पुराना राष्ट्रवाद परंपरा, धर्म और संस्कृति के साथ देश के युवाओं और उनकी जीवनशैली को नज़रअंदाज़ करता है. आज की पीढ़ी (जो पुरानी पीढ़ियों की तुलना में दुनिया से अधिक परिचित है) संरचनात्मक आर्थिक मुद्दों से हताश है और बेहतर अवसर, काम-काज की स्थिति एवं वेतन देखकर पलायन कर गई है. कुल प्रवासी आबादी में से लगभग 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारी हैं जो सरकार की क्षमता, नौकरशाही और सार्वजनिक क्षेत्र को खोखला कर रहा है. हाल के वर्षों में देश की 9 प्रतिशत से ज़्यादा जनसंख्या के पलायन करने और 2027 तक देश के उम्रदराज समाज में बदलने के कारण भूटान का अस्तित्व दांव पर है. यही वजह है कि मजबूर होकर उसे ख़ुद को बदलना पड़ रहा है.
भूटान ने राष्ट्रवाद की एक नई भावना पाई है जो तकनीक को अपनाकर युवा पीढ़ी की ज़रूरतों को पूरा कर सकती है. 2019 की शुरुआत में राजा ने विकास में बढ़ोतरी के लिए तकनीक के उपयोग की तरफ इशारा किया था. कोविड-19 महामारी ने इस आवश्यकता को और तेज़ किया. 112वें राष्ट्रीय दिवस समारोह के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “हमारे पड़ोसी भारत और चीन अभूतपूर्व आर्थिक विकास का अनुभव कर रहे हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, ऑटोमेशन, बिग डेटा, ब्लॉकचेन, क्वॉन्टम कंप्यूटर और फिनटेक (डिजिटल करेंसी, डिजिटल वॉलेट, डिजिटल बैंकिंग) में तकनीकी प्रगति से प्रेरित है. दुनिया तेज़ी से बदल रही है. हम जिस चीज़ को अभी भी नहीं समझते हैं, उससे परहेज़ करके सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद नहीं कर सकते हैं. इस तरह का रवैया आत्मनिर्भरता के हमारे राष्ट्रीय उद्देश्य पर भारी पड़ेगा.”
वास्तव में भूटान ने तकनीक को सकल राष्ट्रीय खुशी (GNH) की संभावना को खोलने और अर्थव्यवस्था, गवर्नेंस, कल्याण में सुधार करने तथा संस्कृति एवं पारिस्थितिकी को बनाए रखने के माध्यम के रूप में देखा. उस साल ई-गवर्नेंस, सार्वजनिक सेवाओं के डिजिटलाइज़ेशन, डिजिटल बैंकिंग और फिनटेक इकोसिस्टम की बुनियाद रखने के लिए डिजिटल ड्रुक्युल फ्लैगशिप प्रोग्राम (DDFP) की शुरुआत की गई थी. लगभग उसी समय भूटान ने बिटकॉइन माइनिंग को भी अपनाया. 2022 में भूटान ने डिजिटल बदलाव, कुशलता और सरकारी एजेंसियों के प्रभाव को बढ़ाने के लिए GovTech की स्थापना की. 2025 तक भूटान बिटकॉइन का पांचवां सबसे बड़ा धारक बन गया (1.4 अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का जो उसके सकल घरेलू उत्पाद का 40 प्रतिशत है). उसने बिटकॉइन रणनीति का इस्तेमाल अपने खर्च को पूरा करते हुए पूंजी का प्रवाह और राजस्व बढ़ाने के लिए किया. भूटान अपनी राष्ट्रीय डिजिटल पहचान परियोजना के लिए भी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है.
लेकिन ये केवल ऊपर से नीचे की पहल नहीं है. तकनीक को तेज़ी से अपनाकर भूटान समान रूप से ये भी सुनिश्चित करना चाहता है कि उसके नागरिक इन बदलावों के मुताबिक ख़ुद को ढाल सकें. कॉलेज में पढ़ने वाले सात छात्रों के द्वारा भूटान के पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टार्टअप नोमाइंडभूटान का विकास इस नई डिजिटल सुबह को लेकर प्रतिबद्धता का प्रमाण है. इसके अलावा 2026 में लागू होने वाला एकीकृत बिज़नेस लाइसेंसिंग सिस्टम ऐसे और स्टार्टअप और उद्यमों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. ऐसी पीढ़ी जो ख़ुद को स्थानीय और वैश्विक- दोनों समझती है, उसके लिए ये डिजिटल बदलाव इनोवेशन और अवसरों पर आधारित राष्ट्रवाद की एक नई भाषा का प्रतिनिधित्व करता है.
इसके अतिरिक्त सरकार नए नागरिक राष्ट्रवाद और राष्ट्र-निर्माण के नैतिक मूल का प्रतिनिधित्व करने के लिए तीन राष्ट्रीय सेवाओं- डि-सुंग, ग्यालसुंग और पेल्सुंग- का उपयोग कर रही है. डि-सुंग प्रोग्राम (जिसकी शुरुआत 2011 में हुई थी) एक स्वैच्छिक कार्यक्रम है जो शुरुआत में आपदा को लेकर प्रतिक्रिया और सामुदायिक सेवा के लिए बनाया गया था. लेकिन समय के साथ ये एक आंदोलन में बदल गया है जो भूटान के नागरिकों को ज़रूरत के समय देश और यहां के लोगों की सेवा करने के लिए प्रोत्साहित करता है. 2020 में इस कार्यक्रम से जुड़े हज़ारों लोगों ने महामारी के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य और साजो-सामान पहुंचाने में सहायता की. इस तरह उन्होंने दिखाया कि स्वैच्छिक सेवा भूटानी नागरिक होने का एक प्रमुख हिस्सा बन गई है. अभी तक 51,353 भूटान के नागरिक इस कार्यक्रम के तहत ट्रेनिंग हासिल कर चुके हैं. वास्तव में डि-सुंग कार्यक्रम से जुड़े कुछ हुनरमंद लोग ग्यालसुंग के लिए डि-सुंग परियोजना के तहत ग्यालसुंग पहल में भी मदद कर रहे हैं.
2019 में भूटान के राजा ने ग्यालसुंग प्रोग्राम की घोषणा की जो 18 वर्ष या उससे ज़्यादा उम्र के सभी भूटानी नागरिकों (विदेश में रहने वाले भी) के लिए एक अनिवार्य राष्ट्रीय सेवा है. 2022 में इसे संसद ने मंज़ूरी दी. युवाओं को एक साल के प्रोग्राम से जोड़कर सभी कैडेट को तीन महीने की बुनियादी सैन्य ट्रेनिंग दी जाती है. इसके बाद उन्हें जीवन से जुड़े कौशल और किसी एक क्षेत्र- निर्माण तकनीक, कंप्यूटिंग, एंटरप्रेन्योरशिप या कृषि- का प्रशिक्षण हासिल करना होता है. कैडेट 35 साल की उम्र तक सेवा में बने रहते हैं और आपात स्थिति के दौरान उन्हें राष्ट्रीय कर्तव्य के लिए बुलाया जा सकता है. 35 और 45 साल के बीच वो रिज़र्व में बने रहते हैं और उसके बाद अपने पूरे जीवन के दौरान वो डि-सुंग प्रोग्राम में स्वयंसेवक के रूप में काम कर सकते हैं. 2025 के मध्य तक 6,331 नागरिकों को ग्यालसुंग प्रोग्राम के तहत ट्रेनिंग दी जा चुकी है.
दो महत्वपूर्ण विचार इस पहल को तय करते हैं. पहला, सेवा का उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना और उन्हें देश की सेवा करने वाला अच्छा नागरिक बनने में सक्षम बनाना है. दूसरा, जीवन से जुड़े हुनर पर ग्यालसुंग का ध्यान युवाओं को और कुशल बनाएगा और बेरोज़गारी से जुड़े प्रमुख कारणों (जैसे कि बेमेल योग्यता एवं पर्याप्त योग्यता, अनुभव और कौशल की कमी) को दूर करेगा (ग्राफ 1 देखें).
ग्राफ 1. बेरोज़गार बने रहने के कारण

स्रोत: थर्ड क्वार्टरली लेबर फोर्स रिपोर्ट 2025
GMC भूटान के दक्षिणी मैदानी इलाके में भारत की सीमा से लगा एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र (SAR) है. इसे इनोवेशन, आर्थिक विकास और समृद्धि के केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है. ये परियोजना राष्ट्रवाद के प्रतीक के रूप में विकसित हो रही है और इसके लिए भूटान के राजा ख़ुद हज़ारों स्वंयसेवकों का नेतृत्व कर रहे हैं. GMC एक व्यापक छतरी बन गई है जिसके तहत राष्ट्रीय सेवाएं और डिजिटलाइज़ेशन युवाओं के लिए अवसर पैदा करने के उद्देश्य से जुड़ी है. तीसरी सेवा पेल्सुंग की शुरुआत करते समय राजा ने ज़ोर देकर कहा कि, “हम आज जो भी कर रहे हैं वो युवाओं के लिए है ताकि वो हमसे बेहतर बन सकें.” ये सेवा अलग-अलग प्रोफेशनल पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले 20 से 35 साल के बीच के भूटान के नागरिकों के लिए तीन महीने का स्वैच्छिक कार्यक्रम है. इसका उद्देश्य उन्हें शहर के लिए अपनी सोच और समाधान के माध्यम से योगदान करने के लिए सशक्त बनाना भी है.
21वीं सदी की अर्थव्यवस्था के रोडमैप का लक्ष्य 2035 तक 65,000 हुनरमंद नौकरियां पैदा करना और आत्मनिर्भर आर्थिक माहौल बनाना है, ऐसे में GMC एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
सरकार GMC के ज़रिए प्रवासी समुदाय को भी जोड़ रही है क्योंकि बहुत से प्रवासी अपने देश के लिए “कुछ करने” की इच्छा रखते हैं. 2024 में राजा के ऑस्ट्रेलिया दौरे का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य प्रवासी समुदाय के साथ जुड़ना और दुनिया में अपना मुकाम हासिल करने की भूटान की कोशिश के बारे में जानकारी साझा करना था. चूंकि 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था के रोडमैप का लक्ष्य 2035 तक 65,000 हुनरमंद नौकरियां पैदा करना और आत्मनिर्भर आर्थिक माहौल बनाना है, ऐसे में GMC एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. इस तरह सरकार GMC के विकास में प्रवासी समुदाय की प्रतिभा, पूंजी और अनुभव का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकार ने GMC नेशन बिल्डिंग बॉन्ड (GNBB) को भी लॉन्च किया जिससे विदेश में रहने वाले भूटान के नागरिकों को इस परियोजना में अपना योगदान करने की अनुमति मिल गई. इस बीच सरकार अपने राष्ट्रीय पुनः एकीकरण कार्यक्रम के माध्यम से विदेश से लौटे कुछ नागरिकों का पुनर्वास कर रही है.
उम्मीद बनी हुई है कि राष्ट्रवाद की नई लहर, राष्ट्रीय कर्तव्यों और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, व्यवसाय अनुकूल नीतियों एवं युवाओं के लिए अवसरों जैसे लुभावने कारणों के साथ बड़े पैमाने पर पलायन को रोका जा सकता है या फिर ये भी हो सकता है कि युवा फिर से देश की तरफ लौटें.
डिजिटलाइज़ेशन पर ज़ोर, राष्ट्रीय सेवा कार्यक्रमों और GMC के विकास से जो उभर रहा है, वो है राष्ट्रवाद की एक सोची-समझी और जागरूक पेशकश. भूटान अब युवाओं को देश में बनाए रखने के लिए केवल आर्थिक प्रोत्साहनों पर निर्भर नहीं है बल्कि वो समान रूप से भावनात्मक और नागरिक हिस्सेदारी पर भी ज़ोर दे रहा है. सरकार नई पीढ़ी के लिए अवसरों का निर्माण करने के उद्देश्य से टिकाऊ अर्थव्यवस्था, कौशल विकास और सामूहिक जवाबदेही को प्राथमिकता दे रही है. पलायन को केवल पूरी तरह संकट के दृष्टिकोण से देखने के बदले भूटान इसका उपयोग आत्ममंथन के लिए कर रहा है, ऐसा आत्ममंथन जो युवाओं को सक्रिय ढंग से शामिल करने, उन्हें सशक्त बनाने और फिर से जोड़ने के माध्यम से राष्ट्रवाद को परिभाषित करता है. ये उम्मीद बनी हुई है कि राष्ट्रवाद की नई लहर, राष्ट्रीय कर्तव्यों और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, व्यवसाय अनुकूल नीतियों एवं युवाओं के लिए अवसरों जैसे लुभावने कारणों के साथ बड़े पैमाने पर पलायन को रोका जा सकता है या फिर ये भी हो सकता है कि युवा फिर से देश की तरफ लौटें.
आदित्य गोदारा शिवामूर्ति ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के स्ट्रैटजिक स्टडीज़ प्रोग्राम में एसोसिएट फेलो हैं.
उदिति लुणावत ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में रिसर्च इंटर्न हैं.
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Aditya Gowdara Shivamurthy is an Associate Fellow with the Strategic Studies Programme’s Neighbourhood Studies Initiative. He focuses on strategic and security-related developments in the South Asian ...
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Uditi Lunawat is a Research Intern at the Observer Research Foundation. ...
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