विगत दो वर्षों से इंडोनेशिया महामारी का मुकाबला कर रहा है. सभी को यह उम्मीद थी कि इंडोनेशिया 2045 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भविष्यवाणी को देखते हुए अपने आर्थिक विकास दर में स्थिरता रखते हुए इसमें साल दर साल पांच प्रतिशत की दर (वाईओवाई) की वृद्धि करने में सफल रहेगा. लेकिन यह स्थिरता 2015 से 2019 तक ही कायम रही. कोविड-19 की महामारी ने इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका दिया और यह 2020 में –2.07 (वाईओवाई) प्रतिशत से सिकुड़ गई. हालांकि इंडोनेशिया की आर्थिक विकास दर ने जोरदार वापसी करते हुए 2021 में सकारात्मक क्षेत्र में (3.69 प्रतिशत) प्रवेश कर लिया. लेकिन अपने पिछले संकटों से निपटने के अनुभव से सीख लेते हुए इंडोनेशिया को भविष्य में आने वाले इस तरह के तूफानों को झेलने के लिए तैयार रहना होगा.
पता चलता है कि महामारी ने अनेक आर्थिक क्षेत्रों में अवसरों को पैदा करते हुए अब यह साबित किया है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था से जुड़े उद्योगों में एक लचीलापन है, जो संकट का सामना करने में सक्षम है.
महामारी के दौरान आर्थिक गतिविधियों में लोगों की हिस्सेदारी कम होने के कारण अर्थव्यवस्था में सिकुड़न अथवा गिरावट देखी गई थी. इसका अहम कारण यह था कि बड़े पैमाने पर सामाजिक गतिविधियों पर पाबंदियां लगाई गई थी. सामाजिक गतिविधियों पर लगाई गई पाबंदियों के कारण लोगों के बर्ताव में भी परिवर्तन देखा गया. पहले जहां लोग ऑफलाइन (भौतिक अथवा व्यक्तिगत) खरीदारी करते थे, वहीं अब लोगों को ऑनलाइन गतिविधियां अधिक पसंद आने लगी हैं. महामारी के दौरान आए इस परिवर्तन के कारण अर्थव्यवस्था में कुछ ऐसे नए आर्थिक क्षेत्र खुल गए हैं, जहां बेहतरीन प्रदर्शन देखा जा रहा है. उदाहरण के तौर पर महामारी के दौरान सूचना एवं संचार क्षेत्र ने संकुचित होने वाले अन्य आर्थिक क्षेत्रों के मुकाबले दो अंकों की विकास दर (10 प्रतिशत से ज्यादा) की रफ्तार दिखाई है. इससे साफ पता चलता है कि महामारी ने अनेक आर्थिक क्षेत्रों में अवसरों को पैदा करते हुए अब यह साबित किया है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था से जुड़े उद्योगों में एक लचीलापन है, जो संकट का सामना करने में सक्षम है.
गुगल, टीमासेक तथा बेन एंड कंपनी (2021) की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिणपूर्वी एशिया ने डिजिटल दशक में प्रवेश कर लिया है. अनुमान है कि 2030 तक इस क्षेत्र की इंटरनेट अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य तक पहुंच सकती है. इस स्टडी का एक रोचक पहलू यह है कि दक्षिणपूर्वी एशिया में इंटरनेट अर्थव्यवस्था के विकास को ई-कॉमर्स तथा फूड डिलीवरी उद्योग ने गति प्रदान की है. ई-कॉमर्स से सकल व्यापारिक मूल्य
अर्थात ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (जीएमवी) 2025 में 234 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. इंडोनेशिया के संदर्भ में, इंडोनेशिया की डिजिटल अर्थव्यवस्था में 2025 तक 146 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है. इसमें 2030 तक आठ गुना वृद्धि होने का अनुमान लगाया गया है. इस प्रवृत्ति का समर्थन करने के लिए एक मजबूत डिजिटल भुगतान व्यवस्था के साथ डिजिटल बैंकिंग की दिशा में तेजी से बढ़ना जरूरी हो गया है. ऐसा होने पर ही इंडोनेशिया अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था की क्षमताओं का पूर्ण दोहन कर सकेगा.
किसी विकासशील डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त में प्रत्येक हितधारक से यह उम्मीद होती है कि वह जानकारी का आदान-प्रदान करें तथा जिन कार्ययोजना और नीतियों पर काम करना है उसे लेकर बातचीत करता रहे.
इंडोनेशिया में, विशेषत: महामारी के बाद डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त में हो रहे विकास ने ही बैंक इंडोनेशिया और आर्थिक मामलों के समन्वयक मंत्रालय को इस बात पर बल देने के लिए प्रोत्साहित किया कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच एकसूत्रता बेहद जरूरी है. डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त के संचालन को लेकर चर्चा भी आवश्यक है. ऐसा होने पर ही डिजिटल व्यापार और भुगतान की पूर्ण क्षमता का उपयोग हो सकेगा और इंडोनेशिया की भुगतान व्यवस्था का विस्तार कर डिजिटल बैंकिंग को गति देने में सफलता मिलेगी.
इकोसिस्टम में हितधारकों की पहचान करें
किसी भी संगठन अथवा सरकारी संस्था को अपनी नीतियों को लागू करने में जिस परंपरागत समस्या का सामना करना पड़ता है वह नीति को लेकर तय किए गए लक्ष्यों को हासिल करने में समन्वय और एकसूत्रता का अभाव होता है. ऐसे में किसी विकासशील डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त में प्रत्येक हितधारक से यह उम्मीद होती है कि वह जानकारी का आदान-प्रदान करें तथा जिन कार्ययोजना और नीतियों पर काम करना है उसे लेकर बातचीत करता रहे. डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त के हितधारकों जैसे सरकार, बैंक इंडोनेशिया, उद्योग, कारोबार/उद्योग संगठनों, ग्राहकों तथा एनजीओ अथवा गैर सरकारी संगठन की पहचान की जानी चाहिए. प्रत्येक हितधारक की पहचान बेहद अहम हैं, ताकि इंडोनेशिया की डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त पारिस्थितिकी तंत्र में उनकी भूमिका और योगदान का सही आकलन किया जा सके.
सरकार की, सार्वजनिक हितधारक के रूप में डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं वित्त क्षेत्र के विनियमन, नीति और सरकारी खर्च के माध्यम से उसे प्रभावित करने और उसके संचालन में अहम भूमिका होती है. बैंक इंडोनेशिया को इसमें डिजिटल भुगतान व्यवस्था के क्रियान्वयन की अहम जिम्मेदारी उठानी है. परिणामस्वरूप निजी क्षेत्र, जिसमें प्रतिष्ठान, स्टार्ट-अप और ई-कॉमर्स का समावेश हैं, भी डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. क्योंकि यह क्षेत्र ही डिजिटल आर्थिक पारिस्थितिकी के चालक यानी आरंभकर्ता और निर्वाहक हैं.
डिजिटल साक्षरता और कौशल के साथ-साथ सरकार की प्राथमिकता नवाचार को प्रोत्साहित करने वाले नियामक उपकरण या नियम होने चाहिए, ताकि इंडोनेशिया में डिजिटल अर्थव्यवस्था की क्षमता का उचित उपयोग किया जा सके.
तदनुसार, माल या सेवाओं के विक्रेता के रूप में कार्य करने वाले व्यापारी, जो निजी क्षेत्र के डेरिवेटिव (निजी क्षेत्र पर आश्रित वर्ग) भी कहे जाते हैं, के पास भौतिक और ऑनलाइन दोनों स्टोर उपलब्ध होते हैं. वे यह व्यवसाय करते हुए भुगतान लेनदेन का कार्यान्वयन करने में बैंकों या अन्य भुगतान प्रणाली सेवा प्रदाताओं का सहयोग करते हैं. इसके साथ ही, डिजिटल अर्थव्यवस्था उद्योग का समर्थन करने वाले व्यावसायिक संघ निरंतर आधार पर उपभोक्ताओं, प्रतिष्ठानों और व्यावसायिक भागीदारों के बीच केंद्र अथवा कनेक्टर यानी संबंधक बनकर कारोबार को चलाने में सहायक बन सकते हैं. स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय एनजीओ की भी डिजिटल अर्थव्यवस्था पारिस्थितिकी में महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं. वे आम तौर पर नीति समर्थन और स्थानीय समुदायों की क्षमता को मजबूत करने के माध्यम से स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करते हैं. प्रतिष्ठानों और स्टार्टअप को पूंजी प्रदान करने वाले निवेशक भी कम महत्वपूर्ण पक्ष नहीं हैं.
डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं वित्त का संचालन
सुशासन के अभाव में इंडोनेशिया में डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र में हो रही भारी वृद्धि को अकेले नहीं छोड़ा जा सकता. इस तरह के सुशासन में उपभोक्ता के व्यक्तिगत डेटा का संरक्षण, साइबर सुरक्षा, निरीक्षण और कानूनी विनियमन और डिजिटल वित्तीय अर्थव्यवस्था क्षेत्र के भीतर औद्योगिक नीतियां जैसे कई मुद्दों को शामिल किया जाना चाहिए. हालांकि इस क्षेत्र का विकास सभी हितधारकों के विश्वास और विशेष रूप से डेटा से संबंधित नीतियों और विनियमों में पारदर्शिता के स्तर पर टिका हुआ है. व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा से संबंधित नियामक आदेश में, डेटा सुरक्षा और शासन के संबंध में सामान्य दिशा और स्पष्टीकरण प्रदान करने वाले नियमों की आवश्यकता होती है. हालांकि भुगतान प्रणालियों के मामले में विनियम, विभिन्न सरकारी स्तर और संस्थानों में फैले हुए होते हैं.
डिजिटल युग में भुगतान प्रणाली उद्योग में आए परिवर्तन, विशेष रूप से डिजिटल अर्थव्यवस्था के संचालन में पेश आने वाली विभिन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए बैंक इंडोनेशिया ने इंडोनेशियाई भुगतान प्रणाली ब्लूप्रिंट 2025 तैयार किया है. ब्लूप्रिंट में इस बात को स्वीकार किया गया है कि भुगतान प्रणाली उद्योग की संरचना का पुनर्गठन जरूरी है. इसके साथ ही एक भुगतान प्रणाली कार्यान्वयन पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करना होगा, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त विकास के अनुकूल हो सके. इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और लेनदेन के कार्यान्वयन पर सरकारी विनियमन (जीआर) संख्या 71/2019 और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के माध्यम से व्यापार पर जीआर संख्या 80/2019 के अधिनियमन को भुगतान प्रणाली पर बैंक इंडोनेशिया विनियमन (पेराटुरन बैंक इंडोनेशिया (पीबीआई)) संख्या 22/23/पीबीआई/2020, भुगतान सेवा प्रदाताओं पर पीबीआई संख्या 23/6/पीबीआई/2021 और भुगतान प्रणाली अवसंरचना ऑपरेटरों पर पीबीआई संख्या 23/7/पीबीआई/2021 के साथ सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है. कम से कम यह पहल नियामक ढांचे की जटिलता को कम कर सकती है. यह जटिलता उस क्षेत्र की विशेषता है जो डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त सहित गतिशील परिवर्तनों/प्रवृत्तियों से निपट रहा है.
इंडोनेशिया की अर्थव्यवस्था में डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे. अनुमान है कि इंडोनेशिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और रोजगार में डिजिटल अर्थव्यवस्था और वित्त के योगदान में वृद्धि जारी रहेगी. यह छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) को महामारी की मंदी से उबरने, आगे बढ़ने और उन्नत होने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है. हालांकि, इन अनुमानों या भविष्यवाणियों को सभी हितधारकों की ओर से की जा रही आर्थिक स्थिरता पाने की कोशिशों का साथ मिलना चाहिए. इंडोनेशिया को सभी क्षेत्रों में समान हिस्सेदारी के विकास की भावना के साथ, डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास में बड़े विस्तार को राष्ट्रीय विकास की प्राथमिकता बनाना होगा. इसके अलावा, डिजिटल साक्षरता और कौशल के साथ-साथ सरकार की प्राथमिकता नवाचार को प्रोत्साहित करने वाले नियामक उपकरण या नियम होने चाहिए, ताकि इंडोनेशिया में डिजिटल अर्थव्यवस्था की क्षमता का उचित उपयोग किया जा सके.
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