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बंटवारे से लेकर पेनाल्टी स्ट्रोक तक खेल ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को प्रतिबंबित किया है. ये प्रतिद्वंद्विता महज़ स्कोरबोर्ड से कहीं अधिक को दर्शाती है.
Image Source: Getty
भारत के दिवंगत हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर के मुताबिक 1948 के लंदन ओलंपिक में “भारत और पाकिस्तान की टीमों को अलग-अलग जगह ठहराया गया” था. बलबीर सिंह सीनियर के अनुसार “हमारे पुराने दोस्त जान-बूझकर हमसे दूरी रख रहे थे.” दोस्ती ख़त्म होने को किस प्रकार समझा जाना चाहिए? बेशक एथलीट हाथ मिलाते हैं. लेकिन ये आवश्यक प्रोटोकॉल है जो कि राजनयिकों के हाथ मिलाने की तरह है. वहीं मैदान पर मुकाबला उतना मैत्रीपूर्ण नहीं होता.
आज़ादी के समय पाकिस्तान के लोग अपनी तुलना भारतीयों से करते हुए ख़ुद को ‘अलग और बेहतर’ समझते थे. पाकिस्तान के दिवंगत प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो ने हिंदू भारत के बराबर एक मुस्लिम देश के बारे में लिखा था. बराबरी- अगर श्रेष्ठता नहीं तो- की ये भावना अभी भी मज़बूत बनी हुई है और हाल के दिनों में पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने कुछ ऐसा ही दोहराया था.
पाकिस्तान के खिलाड़ी अक्सर इस्लाम की सर्वोच्चतावादी व्याख्या के इर्द-गिर्द तैयार देश की “शिकायत की राजनीति” का समर्थन करते हैं. मोहम्मद रिज़वान टी20 वर्ल्ड कप मैच के बाद भारतीय खिलाड़ियों के सामने इस्लामिक प्रार्थना क्यों करते हैं? भले ही कुछ खिलाड़ी व्यक्तिगत शत्रुता महसूस नहीं करते हैं, फिर भी फंडिंग हासिल करने के लिए उन्हें देश की विचारधारा के साथ जुड़ना होगा.
पाकिस्तान के खिलाड़ी अक्सर इस्लाम की सर्वोच्चतावादी व्याख्या के इर्द-गिर्द तैयार देश की “शिकायत की राजनीति” का समर्थन करते हैं.
अक्सर ये मान लिया जाता है कि खेल की प्रतिद्वंद्विता राजनीति और अर्थशास्त्र के लिए प्रासंगिक नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं है. पीछे से रक्षा के रूप में इस्लामिक दुनिया के काम करने के साथ पाकिस्तान ने हार मानने से इनकार कर दिया है. ध्यान देने की बात है कि पाकिस्तान के सर्वश्रेष्ठ हॉकी मैनेजर- एयर चीफ मार्शल नूर ख़ान और ब्रिगेडियर एम. एच. आतिफ़- को सशस्त्र बलों से लिया गया था.
जिस समय बराबरी की भावना अपने चरम पर थी, उस समय भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान हॉकी की आमने-सामने की भिड़ंत में 74-42 से आगे था (1960 और 2010 के बीच). हो सकता है कि खिलाड़ियों ने बंटवारे की कहानियों को खेल में शामिल कर लिया हो (क्रिकेट में तो इसके और ज़्यादा सबूत मिलते हैं). दिलचस्प बात ये है कि भारतीय एथलीट भी बराबरी के विचार से बंधे हुए हैं. भारत के पूर्व हॉकी कोच रोलेंट ओल्टमैंस ने एक बार कहा था कि भारत को केवल पाकिस्तान को पराजित करने या एशिया में जीत हासिल करने से कहीं अधिक बड़ा लक्ष्य रखना चाहिए. हॉकी इंडिया के कार्यकारी निदेशक रवि कांत श्रीवास्तव ज़ोर देकर कहते हैं, “हमें पाकिस्तान केंद्रित नहीं बनना चाहिए.” लेकिन खिलाड़ी अक्सर ये समझने में नाकाम रहते हैं.
क्या पाकिस्तान का 82-67 का जीत-हार का रिकॉर्ड उसे बेहतर टीम बनाता है? नहीं. पाकिस्तान 2014 एवं 2023 में वर्ल्ड कप और 2016, 2020 एवं 2024 में ओलंपिक में क्वालिफाई करने में नाकाम रहा. अतीत के शानदार रिकॉर्ड- तीन ओलंपिक और चार विश्व कप में जीत का खिताब- के बावजूद पाकिस्तान का पतन तेज़ रफ्तार से हुआ है. 2015 से भारत ने बड़े मुकाबलों में दो रजत पदक और पांच कांस्य पदक जीते हैं जिनमें ओलंपिक में दो कांस्य पदक भी शामिल हैं. श्रीवास्तव आगे कहते हैं, “हमें आंकड़ों के बारे में बात नहीं करनी चाहिए. पाकिस्तान पीछे छूट गया है.”
इसके बावजूद केवल धार्मिक उत्साह और रणनीतिक बराबरी ये नहीं बता सकती कि कैसे पाकिस्तान एक समय मज़बूत था. आर्थिक कारक भी महत्वपूर्ण हैं.
तालिका संख्या 1.
वर्ष |
पाकिस्तान |
भारत |
वर्ष |
पाकिस्तान की जीत |
भारत की जीत |
ड्रॉ |
1950 |
643 |
619 |
|
|
|
|
1960 |
647 |
753 |
1950- 1960 |
0 |
1 |
1 |
1970 |
952 |
868 |
1960- 1970 |
3 |
2 |
1 |
1980 |
1,161 |
938 |
1970- 1980 |
9 |
3 |
1 |
1990 |
1,598 |
1,309 |
1980- 1990 |
22 |
14 |
10 |
1999 |
1,952 |
1,818 |
1990- 2000 |
13 |
9 |
4 |
स्रोत: GDP के आंकड़े एंगस मैडिसन की द वर्ल्ड इकोनॉमी (2007) से और मैच का रिकॉर्ड Bharatiyahockey.org से.
पाकिस्तान के राजनीतिक अर्थशास्त्री एस. अकबर ज़ैदी के अनुसार, विदेशी सहायता का हिस्सा पाकिस्तान की GDP में 5 प्रतिशत था. 60 के दशक के मध्य तक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था जनसंख्या वृद्धि की दोगुनी रफ्तार से बढ़ी, निवेश GDP के 20 प्रतिशत स्तर पर था, कीमत स्थिर थी और विदेशी मुद्रा भंडार सालाना 7.5 प्रतिशत बढ़ रहा था (1950 और 1973 के बीच, भारत की GDP सालाना आधार पर केवल 3.54 प्रतिशत ही बढ़ी). 1979 में पूर्व सोवियत संघ के द्वारा अफ़ग़ानिस्तान पर आक्रमण और 3 अरब अमेरिकी डॉलर की विदेशी सहायता मिलने के बाद पाकिस्तान की वार्षिक औसत विकास दर 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई (1977-1981). 1980 और 2000 के बीच भारत से आमने-सामने की भिड़ंत में पाकिस्तान का पलड़ा 35-23 से भारी रहा.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के साथ बराबरी की धारणा एक टोटेमिक सिद्धांत तक सीमित हो गई है. पाकिस्तान का अख़बार डॉन एक ‘मनोवैज्ञानिक बाधा’ का हवाला देता है और पाकिस्तान के एथलीट अब हीनता की स्थिति में पहुंच गए हैं.
अर्थशास्त्री अरविंद पनगढ़िया के मुताबिक, जिसका ज़िक्र बीबीसी ने किया है, 21वीं शताब्दी के शुरुआती 17 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय पूरी 20वीं शताब्दी की तुलना में ज़्यादा तेज़ी से बढ़ी. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (अप्रैल 2024) के अनुसार भारत की प्रति व्यक्ति GDP 2,730 अमेरिकी डॉलर है जबकि पाकिस्तान की 1,460 अमेरिकी डॉलर. 2010 और 2024 के बीच भारत ने 24 मैच जीते जबकि पाकिस्तान ने केवल 8.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के साथ बराबरी की धारणा एक टोटेमिक सिद्धांत (विश्वास की वो प्रणाली जिसमें कहा जाता है कि मनुष्य का किसी प्राणी से संबंध या रहस्यमय रिश्ता होता है) तक सीमित हो गई है. पाकिस्तान का अख़बार डॉन एक ‘मनोवैज्ञानिक बाधा’ का हवाला देता है और पाकिस्तान के एथलीट अब हीनता की स्थिति में पहुंच गए हैं. पाकिस्तान के मुख्य कोच रेहान बट्ट ने 2023 में कहा था, “अगर ये नौजवान लड़के मैदान में उतरते हैं, लड़ते हैं और भारत के ख़िलाफ़ बराबरी करते हैं तो कोच के रूप में ये हमारे लिए जीत है.” इसके विपरीत अति-राष्ट्रवाद ने भारतीय खिलाड़ियों की मानसिकता को निर्धारित किया है. भारत के पूर्व हॉकी कप्तान पी. आर. श्रीजेश ज़ोर देकर कहते हैं, “हार का सामना करके हम अपने सैनिकों को निराश नहीं करना चाहते हैं.”
अंतर इतना अधिक है- जो अभी भी बढ़ रहा है- कि इस बात पर संदेह होना स्वाभाविक है कि क्या ये अब भी सबसे ‘भयंकर’ प्रतिद्वंद्विता है. यहां तक कि वास्तविक निष्कासन की आशंका के बावजूद प्रशंसक वफादार बने रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि कितने लंबे समय तक? भारत के द्वारा लगातार बहिष्कार (अंतर्राष्ट्रीय हॉकी संघ के आयोजनों को छोड़कर) को देखते हुए इस बात का ख़तरा है कि इस प्रतिद्वंद्विता की यादें धुंधली हो जाएंगी.
खेल के आगे देखें तो पहलगाम आतंकी हमले के बाद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस बात को स्वीकार किया कि पाकिस्तान की भूमिका को साबित करने की ज़रूरत के बिना भारत को जवाब देने का अधिकार है. क्या खिलाड़ियों को भारत के बढ़ते प्रभाव को समझने में रास्ता दिखाया गया है? स्पष्ट मनोवैज्ञानिक वर्चस्व को देखते हुए ऐसा ही लगता है.
शीत युद्ध- और उस दौरान मिलने वाली विदेशी सहायता- ने एक समय हॉकी ताकत के रूप में पाकिस्तान के उदय में मदद की. 2025 में दार्शनिकों और विद्वानों को खेल से परे देखना होगा और अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के भीतर खेल और ताकत के मेल पर विचार करना होगा. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के अध्ययन में यथार्थवादी सैद्धांतिक ढांचे के भीतर खेल के विश्लेषण को शामिल करना चाहिए और सरकारों के लिए अच्छा होगा कि वो अपनी शासन कला में खेल को शामिल करें.
जितेंद्र नाथ मिश्रा पूर्व राजदूत हैं. वो सोनीपत स्थित ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में डिप्लोमैटिक प्रैक्टिस के प्रोफेसर हैं. वो राधालैंड एंड वर्ल्ड्स बियॉन्ड के संपादक और सह-लेखक भी हैं.
[1] Stephen Philip Cohen, The Idea of Pakistan (New Delhi: Oxford University Press, 2005), 35.
[2] Zulifkar Ali Bhutto, If I am Assassinated… (New Delhi: Vikas Publishing, 1979), 219.
[3] Jitendra Nath Misra, “The Partition Notebooks, A Review Essay,” Nação e Defesa (Nation and Defence), No. 150, 2018, 174- 175.
[4] In a video posted by Sana Amjad on YouTube a man identifying himself as Bilal says, “Against a mightier enemy we have, we are keeping, we are going on.” An unnamed woman: “I’m very biased towards the military.” See YouTube, “Which Is The Strongest Country INDIA Or PAKISTAN? | Pakistani Youth Opinion | Sana Amjad,” https://www.youtube.com/watch?v=hxKerdD6tB0.
[5] Soumitra Bose, “Beating Pakistan is not enough, says angry Oltmans after Canada defeat,” Hindustan Times, June 26, 2017, https://www.hindustantimes.com/other-sports/beating-pakistan-is-not-enough-says-angry-oltmans-after-canada-defeat/story-ZokvxydpjOjBjOb3KaX03J.html.
[6] Interview with the author in Delhi on April 22, 2025.
[7] Ibid.
[8] S. Akbar Zaidi, “Who Benefits from U.S. Aid to Pakistan?” Economic and Political Weekly, Vol. XLVI, No. 32, August 6, 2011, quoted in Praveen Swami, “CIA used India as base to spy on China’s nuclear programme in 1960s, JFK assassination files show,” The Print, April 8, 2025, https://theprint.in/world/cia-used-india-as-base-to-spy-on-chinas-nuclear-programme-in-1960s-jfk-assassination-files-show/2581981/.
[9] Gustav F. Papanek, Pakistan’s Development: Social Goals and Private Incentives (Cambridge, Mass.: Harvard University Press, 1967), 2.
[10] Angus Maddison, The World Economy (New Delhi: Academic Foundation, 2007), 217. See “Table A3-e. GDP Growth Rates in 56 Asian Countries, 1820-1998.”
[11] Peter A. Pentz, “The Mujahidin Middleman: Pakistan's Role in the Afghan Crisis and the International Rule of Non-Intervention,” Penn State International Law Review 6, no. 3 (1988): 383.
[12] Government of Pakistan (GOP), Finance Division, Economic Adviser’s Wing, Pakistan Economic Survey 1980-81 (Islamabad, n.d.), 11.
[13] “Indo-Pak Year-wise Win-Loss Record,” September 30, 2024, http://www.bharatiyahockey.org/sankhya/indopak/years.htm. See also B.G Joshi, “Indo-Pak Year-wise Win-Loss Record,” Bharatiyahockey.org, http://www.bharatiyahockey.org/sankhya/indopak/years.html. Indian goalkeeper Mir Ranjan Negi was destroyed by the 1- 7 defeat to Pakistan in the 1982 Asian Games hockey finals.
[14] “Hockey’s Fortunes”, Dawn, November 1, 2016.
[15] The author has watched India and Pakistan play at Dhaka, Atlanta and Antwerp, and there was not the fan interest that we might have had in a home game in India or Pakistan.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.
Jitendra Nath Misra is a former ambassador, serving as Professor of Diplomatic Practice at O.P. Jindal Global University, Sonipat. He is the editor and co-author ...
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