दक्षिण कोरिया में लंबे अर्से से ये बहस चल रही थी कि BTS बैंड के सदस्य सेना की अनिवार्य सेवा से जुड़ेंगे या नहीं. आख़िरकार, अक्टूबर 2022 में तमाम अटकलों पर विराम लग गया. बैंड ने अपने समूह प्रतिनिधियों के ज़रिए एलान किया कि समूह के सारे सदस्य सेना में 2 साल की अनिवार्य सेवा देंगे. इस घोषणा ने न सिर्फ़ एक लंबी बहस का अंत कर दिया, बल्कि 2022 के दक्षिण कोरिया के लिए एक अहम नज़ीर भी तय कर दी.
दक्षिण कोरिया अपने पड़ोसी मुल्क के साथ जंगी हालात का सामना कर रहा है. वहां 18 से 35 साल की उम्र के सभी“तगड़े और सेहतमंद” मर्दों के लिएफ़ौजी सेवाएं देना क़ानूनन ज़रूरी है. शुरुआती दौर में, खेल की दुनिया में कामयाबियों की बुनियाद रखने के लिए इस क़ानूनी ज़िम्मेदारी से छूट दिए जाने की व्यवस्था की गई. पिछले सालों में ये रियायती सूची लंबी होती चली गई. 5 घरेलू और 37 अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में से एक या ज़्यादा में जीत हासिल करने वाले क्लासिकल और पारंपरिक संगीतकारों, नर्तकों और मेडल-विजेता एथलीटों को अनिवार्य फ़ौजी भर्ती से आंशिक या पूरी छूट दी गई. देश का झंडा बुलंद करने के उनके प्रयासों को देखते हुए उन्हें ये रियायत दी गई. इसके अलावा गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए भी छूट का प्रावधान किया गया.
दक्षिण कोरिया अपने पड़ोसी मुल्क के साथ जंगी हालात का सामना कर रहा है. वहां 18 से 35 साल की उम्र के सभी“तगड़े और सेहतमंद” मर्दों के लिएफ़ौजी सेवाएं देना क़ानूनन ज़रूरी है. शुरुआती दौर में, खेल की दुनिया में कामयाबियों की बुनियाद रखने के लिए इस क़ानूनी ज़िम्मेदारी से छूट दिए जाने की व्यवस्था की गई.
BTS को ऐसी सेवा से जुड़ना चाहिए या नहीं, इस सवाल की गूंज ना सिर्फ़“BTS आर्मी” (BTS के प्रशंसकों के सबसे बड़े समूह के लिए इस्तेमाल शब्दावली)बल्कि कोरिया की असल सेना में भी सुनाई दे रही थी. रक्षा मंत्री ली जोंग-सुप ने सांसदों को बताया कि उन्होंने अधिकारियों से इस विषय पर परस्पर विरोधी जनमत की पड़ताल करने के लिए सर्वे किए जाने की संभावनाएं तलाशने को कहा है. इस मसले पर सत्तारूढ़ पीपुल पॉवर पार्टी और विपक्षी द डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ कोरिया के बीच भी मतभेद रहे हैं. सत्तारूढ़ दल,BTS के लिए अनिवार्य सैन्य भर्ती के पक्ष में रहा है जबकि विपक्षी पार्टी इसके ख़िलाफ़. पिछले महीने विपक्षी सांसद किम योंग-बेई ने BTS के आर्थिक और सामाजिक योगदानों के मद्देनज़र अनिवार्य सैन्य भर्ती का एक वैकल्पिक स्वरूप तैयार करने के लिए एक विधेयक का भी प्रस्ताव किया था.
फ़ौज में भर्ती की उम्र सीमा बढ़ाई गई
बैंड के सबसे उम्रदराज़ सदस्य जिन, दिसंबर में 30 साल के हो जाएंगे. ऐसे में इस पूरे मसले पर कई सवाल खड़े होते हैं- अनिवार्य फ़ौजी भर्ती का क़ानून BTS पर लागू होना चाहिए या नहीं, या फिर दक्षिण कोरिया की आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति (सॉफ़्ट पॉवर) में बैंड के योगदान के चलते उसे छूट दी जानी चाहिए. ये तमाम मसले अब महज़ सार्वजनिक बहसों तक सीमित ना होकर एक पेचीदा क़ानूनी सवाल बन चुके थे.
बेशक़ 2020 में कोरियाई क़ानून में बदलाव के ज़रिएBTS को एक क़िस्म का जीवनदान मिल चुका था. अनिवार्य भर्ती को मुल्तवी कर पाने की छूट हासिल किए लोगों के लिए फ़ौज में भर्ती होने की अधिकतम उम्रसीमा 28 से बढ़ाकर 30 साल कर दी गई. हालांकि,एक अहम बात ये है कि ऐसी दुविधा झेलने वाला BTS इकलौता बैंड नहीं है. अतीत में ऐसी कशमकश से गुज़र चुके बैंडों ने या तो कुछ समय के लिए अपना काम रोक दिया था या फ़ौजी सेवा में चले गए सदस्यों की जगह नए सदस्य शामिल करा लिए थे.हालांकि, अतीत के इन तमाम समूहों को वैश्विक मंच पर BTSकी तरह आर्थिक, कूटनीतिक और सांस्कृतिक कामयाबियां नहीं मिली थीं.
एक अहम बात ये है कि ऐसी दुविधा झेलने वाला BTS इकलौता बैंड नहीं है. अतीत में ऐसी कशमकश से गुज़र चुके बैंडों ने या तो कुछ समय के लिए अपना काम रोक दिया था या फ़ौजी सेवा में चले गए सदस्यों की जगह नए सदस्य शामिल करा लिए थे.
जून 2022 में BTS द्वारा ब्रेक लिए जाने के एलान के वक़्त ना सिर्फ़ दक्षिण कोरिया बल्कि वैश्विक स्तर पर इस बैंड के प्रति दीवानगी दिखाई दे रही थी. BTS पर्यटन को बढ़ावा देकर भारी मात्रा में अप्रत्यक्ष राजस्व ला रहा था. मुमकिन तौर पर ये बैंड कोरिया में अपनी तरह की सबसे बड़ी इंडस्ट्री (कोरिया के पारंपरिक औद्योगिक घरानों की तरह) बनने की ओर आगे बढ़ रहा था.सांस्कृतिक रूप से BTS,कोरियाई पॉप और ड्रामा जगत (Hallyu)के उभार और वैश्विक लोकप्रियताके साथ क़रीबी से जुड़ा रहा है. जबकि कूटनीतिक तौर पर BTS ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से लेकर व्हाइट हाउस, लगभग हर जगह अपनी मौजदूगी दर्ज कराई है. कोरियाई सांसद यून सांग-ह्यून के मुताबिक, “BTS ने वो कमाल कर दिखाया है जिसे पूरा करने के लिए हज़ार से भी ज़्यादा राजनयिकों की दरकार होती”.मिसाल के तौर पर, अनिवार्य भर्ती से जुड़ने के एलान के महज़ कुछ ही दिनों पहले BTS ने एक ऐसे कॉन्सर्ट में जलवा बिखेरा जिसका मक़सद वर्ल्ड एक्सपो 2030 के लिए बुसान शहर के दावे का समर्थन करना था. एक अनुमान के मुताबिक 5 करोड़ से भी ज़्यादा लोगों ने इस कॉन्सर्ट का लुत्फ़ उठाया.
दूसरी ओर, अनिवार्य भर्ती की क़वायद को लेकर वैसा समर्थन और जोश नहीं है जो BTS को लेकर है.
अनिवार्य फ़ौजी सेवा के कई आलोचकों की दलील है कि इस व्यवस्था का कोरियाई समाज पर नकारात्मक असर हुआ है. ये क़वायद श्रमशक्ति के आधे हिस्से कोभरी नौजवानी मेंश्रम बाज़ार से बाहर कर देती है. अनिवार्य भर्ती के ख़िलाफ़ होशोहवास में की जाने वाली आपत्तियों को 2018 तक अपराध समझा जाता था.हालांकिइसकी वैकल्पिक क़वायद भी जेल की सज़ा से ज़्यादा अलग नहीं है. अनिवार्य भर्ती के ख़िलाफ़ होशोहवासमें एतराज़ करने वालों से देश की जेल प्रणाली में काम करने की उम्मीद की जाती है. ये ज़िम्मेदारी फ़ौजीसेवा से दोगुनी मियाद के लिए होती है. इनका ब्योरा सार्वजनिक दस्तावेज़ में रखा जाता है. उधर, फ़ौजी भर्ती से बच निकलने के लिए अजीबोग़रीब तौर-तरीक़े (जैसे नागरिकता छोड़ देना या अपने 10 दांत निकलवा देना) इस्तेमाल करने वालों पर जनता बेहद सख़्त रुख़ दिखाती रही है.कई लोगों की दलील है कि ये ग़ैर-बराबरी वाला क़ानून है और कोरिया के सियासी और कारोबारी जगत के ऊंचे रसूख़दार लोग अनिवार्य सेवा नहीं दे रहे हैं. बैरकों मेंदबंगई और यौन उत्पीड़नके आरोप भी ख़ूब उछलते रहे हैं.
अनिवार्य फ़ौजी सेवा के कई आलोचकों की दलील है कि इस व्यवस्था का कोरियाई समाज पर नकारात्मक असर हुआ है. ये क़वायद श्रमशक्ति के आधे हिस्से कोभरी नौजवानी मेंश्रम बाज़ार से बाहर कर देती है. अनिवार्य भर्ती के ख़िलाफ़ होशोहवास में की जाने वाली आपत्तियों को 2018 तक अपराध समझा जाता था.
कुल मिलाकर अनिवार्य सैन्य भर्ती में BTS के शामिल होने का मसला आगे कुआं, पीछे खाई जैसा हो गया था. ऐसे में बैंड के ताज़ा फ़ैसले ने प्रशासन की मुश्किल सुलझा दी है. इस तरह, ना सिर्फ़ मसौदे बल्कि कोरियाई समाज की भावी दशादिशा से जुड़ी पहेली भी आसान हो गई है. दक्षिण कोरिया विश्व स्तर पर सबसे नीची प्रजनन दर से जूझ रहा है. वहां घरेलू स्तर पर सामाजिक-आर्थिक विषमताएं बेहद तीखी हैं और ये मुल्क लगातार अपने सनकी पड़ोसी (जो परमाणु हमलों की धमकी देता रहता है) के साथ उलझा हुआ है. ऐसे में अनिवार्य भर्ती की व्यावहारिकता दांव पर लगी है.
सॉफ्ट पॉवर
विडंबना ये है कि BTSकी पारी, सेना के लिए ज़रूरी प्रोत्साहनसाबित हो सकती है. फ़ौज मेंBTSकी भर्ती के बाद बैंड के कई प्रशंसकों का भी सेना से जुड़ने को लेकर रुख़ नरम पड़ सकता है. कोरियाई रक्षा मंत्रालय भी इन संभावनाओं से वाक़िफ़ है. रक्षा मंत्री के मुताबिक, “बैंड के सदस्यों को तैयारी करने और अपनी कला दिखाने के मौक़े देने के रास्ते बन सकते हैं.” अगस्त में उनका बयान आया था कि अगर BTS के सदस्य सेना में भर्ती होते हैं तो उन्हें अपनी प्रैक्टिस जारी रखने और अंतरराष्ट्रीय ग्रुप के साथदौरों में फ़ौज से बाहर के सदस्यों के साथ जाने की इजाज़त दिए जाने की संभावना बरक़रार रहेगी. बहरहाल, इन बयानों से सवाल खड़े होते हैं कि क्या “कलाकार सैनिकों” वाली व्यवस्था की वापसी हो सकती है. अन्यायपूर्ण होने के सवालों पर 2013 में इस व्यवस्था को ख़त्म कर दिया गया था. मनोरंजन जगत से जुड़ी सैनिक व्यवस्था में कलाकारों को “सेना के प्रचार-प्रसार के लिए रेडियो और टीवी सामग्रियां तैयार करने” की ज़िम्मेदारी दी जाती है.
शायद ये क़दम इस बात की तस्दीक़ करता है कि सॉफ्टपॉवर ही सबकुछ नहीं है. भले ही कोरियाई पॉप और ड्रामा जगत की वैश्विक सॉफ्टपॉवर शक्तियों से दक्षिण कोरिया को भारी लाभ पहुंचा हो, लेकिन ये भी सच है कि इन क़वायदों से मुल्क की फ़ौजी समस्याओं और आर्थिक संकटों का समाधान नहीं हो सकता. अनिवार्य फ़ौजी सेवा के बाद, 2025 में BTS एक बार फिर इकट्ठा हो सकेगा. हालांकि वो बैंड के लिए एक बिलकुल अलग वक़्त होगा. इस कालखंड में कोरियाई पॉप और ड्रामा जगत के साथ-साथ वहां की सॉफ़्ट पॉवर की दीर्घकालिक स्थिरता और लोकप्रियता का भी इम्तिहान हो जाएगा.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.