Author : Jacob Ninan

Published on Sep 01, 2023 Updated 0 Hours ago

एआई को जैसे-जैसे सॉफ्टवेयर सर्विसेज इंडस्ट्री में प्रमुखता मिल रही है, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की टेक कंपनियां इससे किस प्रकार निपटती हैं. भविष्य में यह इस सेक्टर में रोज़गार सृजन को भी सुनिश्चित करेगा.

परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है सॉफ्टवेयर सर्विस उद्योग

मौज़ूदा वक़्त में सॉफ्टवेयर सर्विसेज इंडस्ट्री एक असाधारण परिवर्तन के दौर से गुजर रही है. उभरती हुई  प्रौद्योगिकियां, ख़ास तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक़ सॉफ्टवेयर उद्योग के फ्रेमवर्क्स को नए सिरे से परिभाषित कर रही हैं, जिसके चलते विभिन्न कंपनियां दशकों से क़ामयाबी हासिल करने वाले अपने बिजनेस मॉडल्स का फिर से मूल्यांकन करने पर बाध्य हो रही हैं. कोविड-19 महामारी, वैश्विक स्तर पर विपरीत आर्थिक परिस्थितियों, भू-राजनीतिक अफरा-तफरी का माहौल और गिग इकोनॉमी अर्थात काम करने का एक ऐसा तौर-तरीक़ा जो लोगों के पास अस्थाई नौकरी करने या अलग-अलग काम करने पर आधारित है, के विकास के पश्चात, आईटी क्रांति की अगुवाई करने वाली सॉफ्टवेयर सेवाएं आज बदलाव के एक नए फेज से जूझ रही हैं. इसकी वजह यह है कि सॉफ्टवेयर सेवाएं AI, ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी उभरती तकनीक़ों द्वारा लाए गए बेतरतीब और परेशानी पैदा करने वाले परिवर्तनों का सामना कर रही हैं.

अतीत में शुरू हुआ कार्य वर्तमान में भी जारी

पूरी दुनिया में वैश्विक स्तर पर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री ने 1960 के दशक में अपने पैर पसारने शुरू किए थे और उस दौरान इस उद्योग में ग्राहकों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, मेंटिनेंस एवं पब्लिकेशन जैसे कार्य शामिल थे. भारत की बात करें तो वर्ष1967 में मुंबई में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की स्थापना के साथ सॉफ्टवेयर उद्योग की शुरुआत हुई थी. बरोज़ के साथ अपनी साझेदारी के उपरान्त TCS 10 वर्षों के बाद ही भारत की पहली सॉफ्टवेयर सर्विसेज एक्सपोर्टर बन गई. उसके बाद से ही तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने आईटी सेक्टर को प्राथमिकता दी और TCS, इंफोसिस, विप्रो एवं HCL जैसी भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहुंच क़ायम की एवं विस्तार किया है. इन कंपनियों ने अपने प्राथमिक बिजनेस के तौर पर सॉफ्टवेयर सेवाओं को दुनिया भर में उपलब्ध कराया है.

भारत की बात करें तो वर्ष1967 में मुंबई में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की स्थापना के साथ सॉफ्टवेयर उद्योग की शुरुआत हुई थी.

वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का सॉफ्टवेयर सर्विसेज का एक्सपोर्ट (कॉमर्शियल मौज़ूदगी के ज़रिए निर्यात के अलावा) 17.2 प्रतिशत बढ़कर 156.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था. मार्च 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक़ भारतीय आईटी – बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट (BPM) सेक्टर में कुल 4.85 मिलियन कर्मचारी कार्यरत थे. नेशनल पॉलिसी ऑन सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स 2019 के पूर्वानुमान के अनुसार भारत सॉफ्टवेयर सर्विसेज सेक्टर में 10,000 टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स पैदा करेगा, जिसमें 1,000 स्टार्टअप्स टियर 2 और टियर 3 शहरों में स्थापित होंगे और इनसे वर्ष 2025 तक 3.5 मिलियन नौकरियां सृजित होंगी. इससे भारत की यूनिवर्सिटियों से ग्रेजुएशन करने वाले फ्रेशर्स को काफ़ी फायदा होगा.

भविष्य

एक तरफ उम्मीदों से भरे ग्रोथ के तमाम संकेतक यह बताते हैं कि भारत का सॉफ्टवेयर सर्विस सेक्टर काफ़ी सशक्त है, वहीं दूसरी तरफ एक सच्चाई यह भी है कि टेक्नोलॉजी कंपनियों को एक बिलकुल अलग तरह की चुनौती से जूझना पड़ रहा है, यानी उभरती प्रौद्योगिकियों के प्रभाव से उनके कर्मचारियों पर पड़ने वाले असर की चुनौती. कई आईटी कंपनियां अपने वर्कफोर्स में कटौती कर रही हैं और ऐसे में वर्ष 2023 बेहद मुश्किल भरा प्रतीत हो रहा है. स्टेबिलिटी AI (Stability AI) के सीईओ इमाद मुस्ताक़ ने भविष्यवाणी की है कि AI की वजह से भारत के कई कोडर्स (coders) को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा, क्योंकि आने वाले दिनों में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के लिए बहुत ही कम लोगों की ज़रूरत होती है.

सभी सॉफ्टवेयर कंपनियों की एक ही परेशानी है, यानी कि वे AI की वजह से होने वाले परिवर्तनों का समाधान तलाशने के लिए अपने बिजनेस मॉडल्स को किस प्रकार से बदलती हैं? ज़ाहिर है कि AI बहुत तेज़ी के साथ सॉफ्टवेयर सर्विसेज इंडस्ट्री में बदलाव ला रहा है. पिछले 6 से 9 महीनों में  ChatGPT ने ख़ास तौर पर अपने AI सामर्थ्य से पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है. चैट जीपीटी एक AI चैटबॉट है, जो सवालों के पूछे जाने पर मनुष्यों की तरह सटीक जवाब देने का काम करता है. यह टूल विज्ञापन, मार्केटिंग और इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न उद्योगों में विचारों एवं सृजनशीलता की पूरी प्रक्रिया को ही बदलने का काम रहा है.

GitHub Copilot नाम के एक दूसरे टूल ने प्रमुख सॉफ्टवेयर लैंग्वेजेज में कोडिंग की सहायता उपलब्ध करा के AI-असिस्टेड कोड डेवलपमेंट के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. इसी प्रकार से डेटाब्रिक्स (Databricks) ने एक AI टूल जारी किया है, जो अंग्रेजी को इनपुट के रूप में लेता है और अपेक्षित कोड का आउटपुट उपलब्ध कराता है. ये सारे टूल्स आज हर किसी को उपयोग हेतु सुलभ हैं.

चैट जीपीटी एक AI चैटबॉट है, जो सवालों के पूछे जाने पर मनुष्यों की तरह सटीक जवाब देने का काम करता है. यह टूल विज्ञापन, मार्केटिंग और इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न उद्योगों में विचारों एवं सृजनशीलता की पूरी प्रक्रिया को ही बदलने का काम रहा है.

कस्टमर सर्विस सेक्टर, जिसको लंबे वक़्त से इंडियन बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) इंडस्ट्री द्वारा संचालित किया जाता रहा है, पहले से ही चैटबॉट्स के विकल्प की ओर नज़रें लगाए हुए है. ज़ाहिर है कि इन्हें “प्रौद्योगिकी में अगली बड़ी चीज़” (The next big thing in technology) कहा जाता है और इस तकनीक़ को कर्मचारियों के स्थान पर तेज़ी के साथ तैनात किया जा रहा है.

जैसे-जैसे इन टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है, वे ख़ुद से आंकड़ों जुटाना जारी रखते है, साथ ही मानवीय फीडबैक से भी सीखना जारी रखते हैं. इन टूल्स का जितना ज़्यादा उपयोग किया जाता है, वे उतनी ही कम गलतियां करते हैं और अपने नतीज़ों में सुधार करते हैं. ऐसा संभव है कि ये टूल्स वर्तमान में सटीक न हों, लेकिन उपयोग के शुरुआती दौर में इनसे जो परिणाम मिल रहे हैं, वे उत्साहजनक हैं और आने वाले दिनों में ये तेज़ी से सीखना जारी रखते हुए निश्चित तौर पर अपने नतीज़ों में और सुधार करेंगे.

सॉफ्टवेयर सर्विसेज इंडस्ट्री पर असर

देखा जाए तो फिलहाल सॉफ्टवेयर सर्विसेज बिजनेस मॉडल में हेडकाउंट के आधार पर, अर्थात कर्मचारियों की संख्या के आधार पर बिलिंग की जाती है. आमतौर पर विशाल आईटी कंपनियों में हज़ारों की संख्या में कर्मचारी कार्य करते हैं. ऐसे में जितने अधिक प्रोजेक्ट होते हैं और बिल योग्य संसाधन यानी कर्मचारी होते हैं, कंपनियों की आमदनी में उतना ही इज़ाफ़ा होता है.

भारतीय आईटी कंपनियों के लिए प्रतिस्पर्धा का जो पूरा वातावरण है, वो इन दिनों तेज़ी से बदल रहा है. आज जो परिस्थितियां हैं, उनमें आईटी कंपनियों को सामान्य और ऐतिहासिक कंपनियों से तो प्रतिस्पर्धा करनी ही पड़ रही है, वहीं ऐसी कंपनियों से भी कंपटीशन करना पड़ रहा है, जो ग्राहकों की विशेष प्रकार की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए AI पर आधारित टूल्स रिलीज कर रही हैं. सॉफ्टवेयर सर्विसेज कंपनियों के पारंपरिक कस्टमर्स के पास आज इन्हीं टूल्स का उपयोग करने की सुविधा है, इनमें से कई ग्राहकों के पास तो इन टूल्स के ओपन-सोर्स वेरिएंट भी मौज़ूद हैं. ये ग्राहक भी अब इन टूल्स का लाभ उठा सकते हैं और बहुत कम संसाधनों के साथ AI की ताक़त के माध्यम से अपना काम सुगम कर सकते हैं.

जैसे-जैसे सॉफ्टवेयर सर्विसेज इंडस्ट्री में AI को प्रमुखता मिल रही है, यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की टेक कंपनियां मानव बनाम मशीन की बीच किस प्रकार से संतुलन बनाकर चलती हैं.

इसमें कोई दोराय नहीं है कि AI टूल्स के साथ काम करने वाली कंपनियां, जिनमें कर्मचारियों की संख्या कम होती है, वे सॉफ्टवेयर सर्विसेज बिजनेस मॉडल के समक्ष दिक़्क़तें पेश कर सकती हैं. ऐसे कंपनियां बहुत की कम क़ीमत पर अपने सेवाएं उपलब्ध करा सकती हैं. इस प्रकार से देखा जाए तो AI की तुलना में मानव संसाधन का उपयोग करने वाली कंपनियों की आमदनी में कमी आएगी और ज़ाहिर तौर पर AI तकनीक़ का इस्तेमाल करने वाली और इसका उपयोग नहीं करने वाली कंपनियों के बीच स्पष्ट रूप से अंतर दिखाई देगा. बताया गया है कि AI आधारित टूल्स का उपयोग करके सॉफ्टवेयर डेवलपर्स द्वारा अपनी उत्पादकता में 30 से 50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज़ की गई है.

उपरोक्त विश्लेषण से यह स्पष्ट हो गया है कि नए AI-सक्षम सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट लैंडस्केप को तीव्रता के साथ समायोजित करने के लिए मौज़ूदा बिजनेस मॉडल में बदलाव की ज़रूरत होगी. उल्लेखनीय है कि ऐसे में कंपनिया AI टूल्स का उपयोग करके मौज़ूदा कर्मचारी उत्पादकता लाभ के साथ, उनके वेतन में कटौती करेंगी और अपनी बैलेंस शीट सुधारने के लिए कर्मचारियों को ज़रूरत के मुताबिक़ नौकरी पर रखने का विकल्प चुनना पसंद करेंगी. इतना ही नहीं, इस तरह के बदले हुए बिजनेस वातावरण के लिए विशेष स्किल वाले कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ेगी.

ऐसी सॉफ्टवेयर सर्विसेज कंपनियां, जिनकी बिजनेस की प्रक्रियाओं, आंकड़ों और AI-रेडी संसाधनों तक सुलभता होगी, वे बिजनेस मॉडल परिवर्तन करने के लिहाज़ से बेहतर स्थिति में होंगी. ऐसे में इनोवेशन ही सफलता का बेहतर विकल्प होगा. ज़ाहिर है कि अब तक जिस बिजनेस मॉडल ने ज़बरदस्त लाभांश दिया है, उसे इस नए AI-कुशल बिजनेस फ्रेमवर्क में फिर से काम करने की ज़रूरत होगी. इस बदलाव के लिए न सिर्फ़ कंपनियों, बल्कि दूसरे हितधारकों जैसे कि सरकारों, व्यापार निकायों एवं सिविल सोसाइटी की ओर से भी अनुकरण योग्य लीडरशिप की ज़रूरत होगी.

यह विचार अभी शुरूआती दौर में ही है और इस पर व्यापक रूप से अमल किया जाना बाक़ी है, लेकिन बड़ी संख्या में तकनीक़ी कंपनियों ने AI एकीकरण को कर्मचारियों की छंटनी के लिए एक अहम वजह माना है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने अनुमान जताया है कि वर्ष 2025 तक एआई 97 मिलियन नई नौकरियां सृजित करेगा, साथ ही ऑटोमेशन व AI और इसके फलस्वरूप “मानव और मशीनों के बीच श्रम का नया बंटवारा” 15 उद्योगों एवं 26 अर्थव्यवस्थाओं में 85 मिलियन कर्मचारियों की नौकरियों को गैर-ज़रूरी बना देगा. जैसे-जैसे सॉफ्टवेयर सर्विसेज इंडस्ट्री में AI को प्रमुखता मिल रही है, यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत की टेक कंपनियां मानव बनाम मशीन की बीच किस प्रकार से संतुलन बनाकर चलती हैं. ज़ाहिर है कि यही संतुलन आने वाले वर्षों में सॉफ्टवेयर सर्विसेज इंडस्ट्री के रोज़गार सृजन के वादे को सुनिश्चित करने का काम करेगा.

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जैकब निनान एक सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट डेवलपमेंट फर्म कोट्टाकल बिजनेस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के कोफाउंडर हैं.

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