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Published on Mar 21, 2025 Updated 3 Days ago

20 के दशक की शुरुआत में वैश्विक अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के बीच रूस की अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय सामर्थ्य और विकास का प्रदर्शन किया है. 

यूक्रेन संकट के बीच रूस की अर्थव्यवस्था का विकास

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ये लेख रायसीना एडिट 2025 सीरीज़ का हिस्सा है. 


पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से 2022 में 1.2 प्रतिशत GDP गिरावट की छोटी सी अवधि के बावजूद 2023 और 2024 में रूस की अर्थव्यवस्था में 4.1 प्रतिशत की अनुमानित बढ़ोतरी दर्ज की गई. ये यूरोपियन यूनियन (EU) और अमेरिका की विकास दर से अधिक थी. इन वर्षों के दौरान रूस ने 16,000 से ज़्यादा वित्तीय, व्यापार, अलग-अलग क्षेत्रों, साजो-सामान, व्यक्तिगत और दंडात्मक प्रतिबंधों का सामना किया जो कि विश्व इतिहास में अभूतपूर्व था. इसके अलावा विदेश में वित्तीय संपत्तियों को ज़ब्त/चुरा लिया गया जबकि निर्यात पाइपलाइनों पर हमला किया गया. बाहरी झटकों के सामने रूस की अर्थव्यवस्था के सामर्थ्य का वर्णन तीन कारणों के माध्यम से किया जा सकता है: 1) 30 वर्षों के बाज़ार सुधार का नतीजा; 2) इन वर्षों के दौरान तनाव प्रतिरोध और झटकों के ख़िलाफ़ रणनीतियों का भारी-भरकम अनुभव होना; और 3) रूस की अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने की अपनी क्षमता के बारे में पश्चिमी देशों का गलत आकलन. 

बाज़ार संस्थानों की वजह से रूस की अर्थव्यवस्था न केवल बदलते समय के साथ ख़ुद को बहुत ज़्यादा बदल लेने में सक्षम है बल्कि विविध भी है. रूस ऊर्जा, खनिज, खाद्य, फसल और जल संसाधनों के मामले में आत्मनिर्भर है. उसके पास एक विकसित और स्थिर घरेलू बाज़ार होने के साथ-साथ तनाव प्रतिरोधी बैंकिंग सिस्टम भी है जो बड़ी समस्या वाले बैंक से मुक्त है. राष्ट्रीय इनोवेशन प्रणाली वैक्सीन बनाने से लेकर हाइपरसोनिक तकनीकों और एक साथ दो प्रतिस्पर्धी AI मॉडल के विकास तक एक मज़बूत तकनीकी बुनियाद प्रदान करती है. कोविड-19 महामारी के दौरान सुव्यवस्थित स्वास्थ्य देखभाल के नियमों ने बाज़ार में ऑटोइम्यून बीमारियों के लिए लक्षित इलाज की दवाओं के प्रवेश की अनुमति दी. 

रूस की अर्थव्यवस्था का विकास 

आधुनिक रूस के इतिहास में 2022 का आर्थिक संकट पांचवां है. समय के साथ सरकार, संघीय नियामकों और केंद्रीय बैंक को संकट के प्रबंधन और जवाबी नीति तैयार करने में अनूठा प्रोफेशनल अनुभव हासिल हुआ है. यही बात व्यवसायों और यहां तक कि घरों पर भी लागू होती है. रूस का मध्य वर्ग बैंक जमा, रियल एस्टेट, मुद्रा और सोना में संपत्ति आवंटन की रणनीतियों में निपुण होता जा रहा है. 

तेल उत्पादकों ने निर्यात प्रवाह में नाटकीय बदलाव किया. 2021 में जहां लगभग 100 प्रतिशत कच्चे तेल का निर्यात यूरोप को किया गया वहीं 2022 के अंत तक 80 प्रतिशत निर्यात एशियाई बाज़ारों को किया गया. 2021 में जहां रूस के तीन अग्रणी व्यापार साझेदार चीन, जर्मनी और नीदरलैंड थे, वहीं 2023 में तीन अग्रणी व्यापार साझेदार चीन, भारत और तुर्किए हो गए. रूस अब चीन के साथ यूरोप का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और उन गिने-चुने देशों में है जिनके साथ चीन का व्यापार घाटा है. विडंबना ये है कि रूस यूरोपियन यूनियन का दूसरा सबसे बड़ा LNG सप्लायर बना हुआ है

2021 में जहां रूस के तीन अग्रणी व्यापार साझेदार चीन, जर्मनी और नीदरलैंड थे, वहीं 2023 में तीन अग्रणी व्यापार साझेदार चीन, भारत और तुर्किए हो गए. रूस अब चीन के साथ यूरोप का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और उन गिने-चुने देशों में है जिनके साथ चीन का व्यापार घाटा है.

प्रतिबंधों ने घरेलू उत्पादन को तेज़ी से बढ़ावा दिया. 2014 से कृषि, खाद्य उत्पादन और मैन्युफैक्चरिंग को आयात बदलाव क्षेत्र (इंपोर्ट सब्स्टिटूशन स्फेयर) में शामिल किया गया है जो काफी सफल साबित हुआ है. आज मैन्युफैक्चरिंग में प्रयासों को रद्द किए बिना औद्योगिक नीति का ध्यान सेवाओं की तरफ हो रहा है: सबसे पहले मेडिसिन, शिक्षा और पर्यटन. ये बदलाव बड़े पैमाने पर डिजिटलाइज़ेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के एकीकरण पर बहुत ज़्यादा निर्भर करता है. टैक्सेशन, कस्टम, सरकार, बैंकिंग और शैक्षिक सेवा जैसे प्रमुख क्षेत्रों को डिजिटाइज़ किया जा चुका है जिससे कार्यक्षमता में बढ़ोतरी हुई है, लोगों की परेशानियां कम हुई हैं और वित्तीय भ्रष्टाचार में कमी आई है. 

व्यापक (मैक्रो) नीतिगत साधन भी संकट विरोधी बदलाव के एक और चरण से गुज़रे हैं: बजट के नियमों में ढील दी गई है; वित्तीय प्रोत्साहनों ने राजस्व में बढ़ोतरी की है और इसके परिणामस्वरूप उधार की मांग समेत मांग में बढ़ोतरी हुई है. आर्थिक उम्मीदों में सुधार आया है. इसका उद्देश्य महंगाई को काबू में करना है जिसके लिए न केवल मांग में कमी बल्कि आपूर्ति में बढ़ोतरी और उद्यमशीलता में उदारीकरण का भी सहारा लिया जा रहा है. व्लादिमीर पुतिन के द्वारा तैयार इस नीति को लेकर उन्होंने कहा “आज कीमत में बढ़ोतरी पर रोक लगाना न केवल बैंक ऑफ रशिया का काम है बल्कि आपूर्ति की बढ़ोतरी को तेज़ करने के लिए रूसी फेडरेशन की सरकार के काम की गुणवत्ता की समीक्षा भी है”. रूस की सरकार साथ-साथ “डी-ऑफशोराइज़ेशन” को भी पूरा कर रही है जिसके तहत प्रमुख कंपनियों को रूस के अधिकार क्षेत्र में लाया जा रहा है. इसके लिए पहले से विशेष प्रशासनिक ज़िले तैयार किए गए हैं. इसके साथ ही बिचौलियों और संपत्ति धारकों (असेट होल्डर्स) के रूप में काम करने वाली विदेशी हिस्सेदारी (फॉरेन होल्डिंग) को भी ख़त्म किया जा रहा है. सामूहिक रूप से इन्हें आपूर्ति-पक्ष के अर्थशास्त्र (सप्लाई-साइड इकोनॉमिक्स) का रूसी संस्करण कहा जा सकता है. 

इसके शुरुआती नतीजे क्या हैं? 2023 में खपत के स्तर समेत ज़्यादातर संकेतकों के अनुसार रूस की अर्थव्यवस्था 2021 के अंत के स्तर तक लौट गई थी. रूसी फेडरेशन की मुख्य आर्थिक समस्याएं श्रमिकों की कमी (पूर्ण रोज़गार में) और बंद निर्यात बाज़ार हैं. विश्व बैंक के ताज़ा अनुमानों के अनुसार क्रय शक्ति समता (परचेज़िंग पावर पैरिटी) में GDP के मामले में रूस दुनिया की पांच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है. ये नतीजा न केवल ऊपर बताए गए कारकों की वजह से है बल्कि इस तथ्य के कारण भी है कि लंबे समय तक रूबल के अवमूल्यन ने काफी हद तक कीमत में बढ़ोतरी को पीछे छोड़ दिया है. इसलिए डॉलर के मामले में उपभोक्ता वस्तुओं की टोकरी (कंज़्यूमर बास्केट ऑफ गुड्स) के समकक्ष मूल्य में गिरावट आई है. 

10 साल पहले कर्ट कैंपबेल ने चेतावनी दी थी कि “रूस और चीन का दोहरा नियंत्रण अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक कठिन चुनौती है” जो 2019 तक वास्तविकता में बदल गई थी.

ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) के लिए रूस का समर्थन “एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था” को लेकर एक अपेक्षित प्रतिक्रिया है. रूस ने सबसे पहले इसे चुनौती दी. 10 साल पहले कर्ट कैंपबेल ने चेतावनी दी थी कि “रूस और चीन का दोहरा नियंत्रण अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक कठिन चुनौती है” जो 2019 तक वास्तविकता में बदल गई थी. 

सारांश

रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों ने यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) और ब्रिक्स देशों के बीच संबंधों को मज़बूत किया और ये संगठन ख़ुद वैश्विक अर्थव्यवस्था के विखंडन में बाधा हैं. 2025 तक रूस की आपूर्ति-पक्ष अर्थव्यवस्था (सप्लाई-साइड इकोनॉमी) एक स्थिर रास्ते पर पहुंच जाएगी. वर्तमान वर्ष का काम इस मॉडल की खामियों को दूर करना है जिनमें महंगाई (2024 में 9.5 प्रतिशत), श्रम बाज़ार की बाधाएं (2024 में बेरोज़गारी 2.3 प्रतिशत) और ज़्यादा बजट खर्च शामिल हैं. कीमत पर दबाव बहुत ज़्यादा रक्षा खर्च का सामान्य परिणाम है. इसके अलावा सरकार को तेल की कीमत में गिरावट आने का ख़तरा भी दिख रहा है. इसलिए 2025 के लिए लक्ष्य महंगाई को कम करना है. अनुमानित विकास दर GDP का लगभग 1.5-2 प्रतिशत है. इसे वित्तीय मज़बूती और सख्त मौद्रिक नीति के माध्यम से हासिल किया जा सकता है. हालांकि महंगाई की आशंका और विदेशी व्यापार के हालात अभी भी महंगाई के पक्ष में हैं. इसलिए महंगाई को दूर करना अभी भी एक लंबा रास्ता है. 2025 में केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि महंगाई वार्षिक आधार पर केवल 7-8 प्रतिशत तक ही गिरेगी लेकिन 2024 के अंत तक अधिक कर्ज़ दर के परिणामस्वरूप क्रेडिट गतिविधि में कमी साफ तौर पर दिखने लगी. इसने लोगों की बचत की प्रवृत्ति को भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया. इसके साथ-साथ दिसंबर 2024 में रूस के बजट राजस्व की कुल मात्रा पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 28 प्रतिशत बढ़ गई

रूस कुछ कठिनाइयों के साथ रक्षा उत्पादन बढ़ाने में सफल रहा. इसके साथ-साथ अपने लोगों के जीवन स्तर को बनाए रखने और यहां तक कि उसे बेहतर बनाने में भी कामयाब रहा. 

संक्षेप में ये कहा जा सकता है कि कोविड-19 संकट का सफलतापूर्वक सामना करने के बाद रूस की अर्थव्यवस्था 2022 के आर्थिक प्रतिबंधों के झटकों से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार थी. मामूली रुकावट के बाद रूस की अर्थव्यवस्था विकास की राह में प्रवेश कर गई है. प्रतिबंधों का तात्कालिक असर सामने आ चुका है लेकिन आर्थिक और राजनीतिक- दोनों प्रकार से इसका उल्टा असर हुआ है, विशेष रूप से जर्मनी में. रूस कुछ कठिनाइयों के साथ रक्षा उत्पादन बढ़ाने में सफल रहा. इसके साथ-साथ अपने लोगों के जीवन स्तर को बनाए रखने और यहां तक कि उसे बेहतर बनाने में भी कामयाब रहा. 


अलेक्ज़ेडर ए डिंकिन रूस के रशियन एकेडमी ऑफ साइंस के प्रिमाकोव नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ वर्ल्ड इकोनॉमी एंड इंटरनेशनल रिलेशंस के अध्यक्ष हैं. 

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