Author : Sauradeep Bag

Expert Speak Raisina Debates
Published on Feb 24, 2025 Updated 0 Hours ago

भारत और आसियान डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में सहयोग को मज़बूत कर रहे हैं. सीमा पार वित्तीय लेनदेन, व्यापार और पैसे आसानी से मंगाने और भेजने के लिए यूपीआई की सफलता का फायदा उठा रहे हैं.

डिजिटल भुगतान से भारत और ASEAN देशों की वित्तीय प्रणालियों में आता सुधार

भारत और आसियान ने डिजिटल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया है, ख़ास तौर पर सीमा पार भुगतान लिंकेज के माध्यम से. ये एक ऐसा कदम जो क्षेत्रीय वित्तीय परिदृश्य को बदल सकता है. 21वें भारत-ASEAN शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधार और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की बात की थी. उन्होंने ये दिखाया कि किस तरह डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के ज़रिए भारत ने वित्तीय भुगतान के क्षेत्र में सफलता हासिल की है. इतना ही नहीं शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में जटिल चुनौतियों का समाधान करने में भी इसने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है. ऐसे में इस बात का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना ज़रूरी है कि इसकी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कैसे किया जाए. भविष्य को आकार देने में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इसी पर ज़ोर देते हुए इस बात का पता लगाना चाहिए डिजिटल पेमेंट सिस्टम को रणनीतिक रूप से कैसे और उन्नत किया जा सकता है.

सबकी पसंद बनता UPI

2016 में अपनी लॉन्च किए जाने के बाद से यूपीआई ने भारत में डिजिटल भुगतान का परिदृश्य बदल दिया है. ये इस बात को भी दिखाता है कि अगर उत्पाद सरल हो, छोटे से लेकर बड़े पैमाने पर काम कर सकता हो तो उससे पूरा सिस्टम बदल सकता है. यूपीआई ने विभिन्न बैंकिंग सेवाओं को एक स्मार्टफोन में समेट दिया है. वित्तीय सेवाओं को एक प्लेटफॉर्म में एकीकृत करके UPI ने ना सिर्फ लेनदेन को व्यवस्थित और आसान बनाया है, बल्कि ये भी दिखाया है कि उपयोगकर्ता के लिए सरल डिज़ाइन के नेटवर्क प्रभावों का भी प्रदर्शन किया है। 2024 के अंत तक, UPI की लेनदेन मात्रा 17,221 करोड़ तक बढ़ गई थी, जो भारत की कुल भुगतान मात्रा 20,787 करोड़ में योगदान कर रही थी. यूपीआई से भुगतान में ये बढ़ोत्तरी इसके आसान इंटरफ़ेस, तुरंत सेटलमेंट करने की क्षमता और वित्तीय संस्थानों के बीच सहज संचालन का सबूत है.

ख़ास बात ये है कि UPI की सफलता भारत तक ही सीमित नहीं है. 2023 से शुरू UPI-PayNow लिंकेज ने भारत और सिंगापुर के बीच रियल टाइम में सीमा पार लेनदेन को सफल बनाया है. दोनों देशों के बीच वित्तीय सहयोग संचालित करने की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है. 

ख़ास बात ये है कि UPI की सफलता भारत तक ही सीमित नहीं है. 2023 से शुरू UPI-PayNow लिंकेज ने भारत और सिंगापुर के बीच रियल टाइम में सीमा पार लेनदेन को सफल बनाया है. दोनों देशों के बीच वित्तीय सहयोग संचालित करने की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है. भारत की इस भुगतान प्रणाली को वैश्विक स्तर पर स्वीकृति मिल रही है. सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, श्रीलंका, नेपाल, मॉरीशस और भूटान जैसे देशों ने सीमा पार भुगतान के लिए यूपीआई को अपने सिस्टम के साथ एकीकृत किया है या फिर साझेदारी स्थापित की है. इन द्विपक्षीय सफलताओं का अब बहुपक्षीय ढांचे में विस्तार हो रहा हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) दूसरे देशों को इससे जोड़ने के लिए बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) और मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड के केंद्रीय बैंकों के साथ प्रोजेक्ट नेक्सस पर सहयोग कर रहा है. इस पहल को अगले साल यानी 2026 तक लॉन्च करने की योजना है. इसका लक्ष्य इन देशों में तेज़ी से भुगतान प्रणालियों (एफपीएस) को आपस में जोड़ना है. इससे एक ऐसा बुनियादी ढांचा तैयार हो जाएगा, सीमा पार रिटेल पेमेंट के लिए आधार तैयार किया जा सके.

जैसे-जैसे ये सहयोग आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसे गहराई से देखना ज़रूरी होगा और ये समझना महत्वपूर्ण है कि इसकी वजह से किन क्षेत्रों में वास्तविक और ज़्यादा लाभ होगा. ये कोई अलग तकनीकी अपग्रेड नहीं है. ये वैश्विक स्तर पर आपस में जुड़ रहे सिस्टम का एक हिस्सा है. इसका प्रभाव वित्तीय प्रणाली के साथ-साथ बिजली संरचनाओं, व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर पड़ेगा. इसलिए मूल्यांकन सिर्फ इस बात का नहीं होना चाहिए कि किन क्षेत्रों में इसका फायदा दिखेगा, बल्कि ये भी पता लगाया जाना चाहिए कि परस्पर जुड़े और अस्थिर वैश्विक परिदृश्य अगर इसका लाभ नहीं उठा पा रहे है तो इसके क्या कारण हैं.

UPI: तेज़, सरल, डिजिटल

यूपीआई जैसी प्रणाली पारंपरिक तरीकों की कमियों को दूर करके सीमा पार भुगतान में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है.। डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में हो रहे बदलाव के प्रमुख घटक के रूप में UPI से लेनदेन में तेज़ी आती है. इससे लेनदेन की फीस में कमी और प्रोसेसिंग के समय में कटौती होती है. ऐतिहासिक रूप से देखें तो इन दोनों ही चीजों ने वैश्विक व्यापार को काफ़ी हद तक बाधित किया है.

सीमा-पार भुगतान के पारंपरिक तरीके बढ़ती लागत, देरी और बिचौलियों के कारण कमज़ोर पड़ गए हैं. UPI रियल टाइम में लेनदेन का निपटान करने इन समस्याओं का समाधान कर देता है. इससे लेनदेन का समय दिनों से घटकर कुछ सेकेंड्स का रह जाता है. भुगतान की प्रक्रिया में आई ये कुशलता वित्तीय बाधाओं को कम करती है. कारोबारियों के लिए व्यापार करना आसान बनाती है. डिजिटल भुगतान से व्यापार में तेज़ी भी आती है. छोटे व्यवसायी माल प्राप्त करने पर फौरन भुगतान कर सकते हैं, जिससे व्यापार संबंध मजबूत होंगे. बिचौलियों को हटने से संसाधनों (जैसे कि उनका कमीशन) की भी बचत होती है. इसका फायदा ये होता है कि कंपनियों को पुरानी भुगतान प्रक्रियाओं के बोझ की चिंता किए बिना मुख्य काम पर ध्यान देने में मदद मिलती है.

सिंगापुर के PayNow के साथ भारत के UPI का एकीकरण सीमा पार भुगतान के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. ये साझेदारी पारंपरिक प्रणालियों की कमियों को दूर करके तेज़ी से प्रभावी लेनदेन को सक्षम बनाती है. 


सिंगापुर के PayNow के साथ भारत के UPI का एकीकरण सीमा पार भुगतान के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. ये साझेदारी पारंपरिक प्रणालियों की कमियों को दूर करके तेज़ी से प्रभावी लेनदेन को सक्षम बनाती है. लेनदेन की लागत को कम करके इसने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लंबे समय से बाधा उत्पन्न करने वाली एक कमी को काफ़ी हद तक दूर किया है. UPI-PayNow सिस्टम मोबाइल नंबरों या वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPAs) का इस्तेमाल करके रियल टाइम में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करता है. इससे मध्यस्थों की ज़रूरत और आम तौर पर लेनदेन में लगने वाली कई दिनों की देरी ख़त्म हो जाती है. ये नवाचार दिखाता है कि जब जटिल प्रणालियों को सरल बनाया जाता है तो किस तरह पुरानी प्रणाली की छिपी हुई लागत और कमियां उजागर हो सकती हैं. ये इस बात का भी सबूत है कि प्रगति कुछ हद तक अनावश्यक चीजों हटाने पर भी निर्भर करती है. भविष्य में दूसरे एशियाई देशों में भी भारत-सिंगापुर सहयोग जैसी वित्तीय प्रणाली का विस्तार किया जा सकता है. 


व्यापार में आसानी

आसान और ज़्यादा कुशल लेनदेन की प्रणाली का ई-कॉमर्स पर गहरा प्रभाव पड़ता है. ये एक ऐसा क्षेत्र है, जो इस क्षेत्र के करीब सभी देशों में बहुत तेज़ी से तरक्क़ी कर रहा है. पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में डिजिटल कॉमर्स में ज़बरदस्त वृद्धि देखी जा रही है. हालांकि, उच्च लेनदेन शुल्क और भुगतान के सीमित विकल्प जैसी चुनौतियां इसके विकास में बाधा डाल रही हैं. अगर पूरे आसियान क्षेत्र में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को यूपीआई से एकीकृत कर दिया जाए तो इससे व्यवसायी अपने उपभोक्ताओं को भुगतान की आसान प्रणाली प्रदान कर सकेंगे. ये उनके खरीदारी के अनुभव को भी बेहतर करेगी. सीमा पार ई-कॉमर्स लेनदेन को सुविधाजनक बनाने से बिना किसी बाधा को एक बड़े बाज़ार तक पहुंच बनेगी. UPI की वजह से कारोबारियों को मुद्रा बदलने (करेंसी कंवर्जन) और लेनदेन के उच्च शुल्क जैसी परेशानियों से छुटकारा मिलेगा. ज़ाहिर सी बात है कि इस तरह के एकीकरण से ना सिर्फ उपभोक्ताओं को लाभ होता है, बल्कि सीमाओं के पार संचालित होने वाले व्यवसायों के लिए राजस्व के नए स्रोत भी खुलते हैं. 

हालांकि,  इन वित्तीय भुगतान प्रणालियों से होने वाले लाभों का मूल्यांकन इस बात पर भी निहित है कि इसका दूसरे और तीसरे क्रम पर क्या प्रभाव पड़ेगा. जैसे कि उदाहरण के लिए अगर सीमा पार लेनदेन सुचारू हो जाता है तो एशिया में मैन्युफैक्चरिंग हब माने जाने वाले देश वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ ज़्यादा बेहतर तरीके से एकीकरण कर सकते हैं. आगे क्या होगा, वैश्विक और क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाएं कैसे बदलती है और इसके लिए कैसी कूटनीति अपनाई जाती है, इसका ये असर देखना दिलचस्प होगा. इसके कई अनदेखे नतीजे भी हो सकते हैं. 


सुव्यवस्थित तरीके से पैसा भेजना

अलग-अलग देशों में रहकर काम कर रहे नागरिकों द्वारा अपने देशों में पैसे भेजना ASEAN के भीतर सीमा पार वित्तीय प्रवाह की आधारशिला है. इंडोनेशिया, फिलीपींस और वियतनाम जैसे देशों के लाखों कर्मचारी पैसा अपने घर भेजते हैं. पैसे भेजने के जो पारंपरिक तरीके हैं उसमें उच्च शुल्क लगता है और प्रोसेसिंग की प्रक्रिया भी धीमी है. हालांकि अगर भेजे जाने वाले पैसे की मात्रा की बात करें तो इसमें पश्चिमी देशों से भेजी जाने वाली रकम ज़्यादा है लेकिन ASEAN में शामिल देशों के बीच भेजी जाने वाली रकम भी महत्वपूर्ण है. इस काम के लिए यूपीआई का एकीकरण बहुत असरदार साबित हो सकता है. ये रियल टाइम और कम लागत में प्रभावी लेनदेन को सक्षम बनाता है.

भारत और संयुक्त अरब अमीरात की सरकार अब सीमा पार बेरोकटोक लेनदेन को आसान बनाने के लिए सहयोग कर रही है. दोनों देश राष्ट्रीय भुगतान प्लेटफॉर्म्स-UPI (भारत) और ANI (यूएई) को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. 

भारत और संयुक्त अरब अमीरात की सरकार अब सीमा पार बेरोकटोक लेनदेन को आसान बनाने के लिए सहयोग कर रही है. दोनों देश राष्ट्रीय भुगतान प्लेटफॉर्म्स-UPI (भारत) और ANI (यूएई) को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. ये एकीकरण संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले 30 लाख से ज़्यादा भारतीयों को रियम टाइम में पैसा भेजने की सुविधा देगा. उनके पास यूपीआई और एएनआई का इस्तेमाल करने का विकल्प होगा. ये मनी ट्रांसफर में तेज़ी लाएगा. पारदर्शिता और कम लागत जैसे लक्ष्य भी इससे हासिल किए जा सकेंगे. अगर पूरे आसियान में इस तरह की सेवा का विस्तार किया जाए तो प्रवासी श्रमिकों पर वित्तीय तनाव कम होगा. वो ये सुनिश्चित कर पाएंगे कि उनके द्वारा भेजे जाने वाले पैसे तुरंत उनके घरवालों तक पहुंच जाएं. इसे पैसे भेजने की प्रणावी में प्रभावशाली बदलाव आएगा.

आगे का आसान रास्ता

भारत और ASEAN के बीच डिजिटल भुगतान प्रणालियों को बढ़ाने के और भी फायदे होंगे. ये डिजिटल सहयोग भारत की UPI प्रणाली द्वारा संचालित आर्थिक विकास और एकीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतिनिधित्व करता है. संभावनाएं बहुत व्यापाक हैं. हालांकि इससे व्यापार, ई-कॉमर्स और सीमा पार पैसा भेजना तो आसान होगा लेकिन इसमें ये ज़ोखिम हमेशा बना रहता है कि परस्पर जुड़ी प्रणालियां, चाहे कितनी भी आशाजनक क्यों न हों, कमज़ोरियों से भरी होती हैं. ज्ञान और तकनीकी का हस्तांतरण सरल आर्थिक विकास से आगे बढ़कर एक रणनीतिक और कूटनीतिक उपकरण के रूप में उभरा है. डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में भारत की उपलब्धियों ने उसकी अपनी अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलावों को बढ़ावा दिया है. अब भारत इस मॉडल का विस्तार करना चाहता है, जिससे पड़ोसी देशों को इसकी मदद मिल सके.

हालांकि ये अभी शुरुआती चरण में है. 2024 के अंत में 21वें भारत-ASEAN शिखर सम्मेलन में की गई घोषणा के बाद से इस दिशा में ज़्यादा काम नहीं हुआ है. हालांकि कुछ नई साझेदारियां जल्द ही उभरने की संभावना है, लेकिन सिर्फ सोचना ही काफ़ी नहीं होगा. असली चुनौती इसे क्षेत्र के देशों में आर्थिक असमानताओं और संस्थागत मतभेदों की जटिलताओं से निपटने की है.


सौरदीप बेग ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में एसोसिएट फेलो हैं.

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