महामारी की वजह से कई लोग सामाजिक मेल-जोल और मनोरंजन के लिए नये तौर-तरीक़े जैसे कि ऑनलाइन गेमिंग की तरफ़ जाने को मजबूर हो गए हैं. इसका नतीजा ये हुआ कि भारतीय गेमिंग उद्योग लॉकडाउन के दौरान 21 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर के हिसाब से आगे बढ़ा. 2021 में भारत के लोगों ने औसतन 4.7 घंटे रोज़ाना गेमिंग पर बिताए जो कि 2019 के मुक़ाबले 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. लॉकडाउन के दौरान गेमिंग में आई ये अचानक बढ़ोतरी अब कम हो गई है लेकिन तब भी भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में संतुलित विकास हो रहा है और ये लगातार महामारी से पहले के स्तर के मुक़ाबले ज़्यादा दर से आगे बढ़ रहा है.
भारतीय गेमिंग उद्योग लॉकडाउन के दौरान 21 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर के हिसाब से आगे बढ़ा. 2021 में भारत के लोगों ने औसतन 4.7 घंटे रोज़ाना गेमिंग पर बिताए जो कि 2019 के मुक़ाबले 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
भारत में कई कारण हैं जिन्होंने गेमिंग में संतुलित बढ़ोतरी में योगदान दिया है. इनमें इंटरनेट तक पहुंच में तरक़्क़ी, सस्ता 4जी इंटरनेट डाटा, स्मार्टफ़ोन के इस्तेमाल में बढ़ोतरी, गेमिंग के अनुभव में सुधार, स्थानीय प्राथमिकता के हिसाब से गेम्स का विकास, अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर मिलने वाले गेम्स की उपलब्धता, और लाइव स्ट्रीमिंग के लिए ट्विच एवं फेसबुक जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का आना. इस तरह के विकास को देखते हुए ये ज़रूरी है कि गेमिंग में शामिल इन समुदायों की बदलती गतिशीलता को नैतिकता और व्यवहार के साथ-साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर के संबंध में देखा जाए. इस लेख में हम देखेंगे कि किस तरह ऑनलाइन गेमिंग और इसमें शामिल तेज़ी से उभरता समुदाय मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक राहत हो सकता है, ये उस आम सोच के उलट है जिसके मुताबिक़ गेमिंग का नकारात्मक असर पड़ता है.
गेमिंग का अनुशासन या बीमारी
मौजूदा दस्तावेज़ गेमिंग के लिए सात प्रेरणादायक कारणों के बारे में बताते हैं: सामाजिक संबंध बनाना; वास्तविकता से दूर जाना; दूसरों के साथ मुक़ाबला; तनाव से मुक़ाबला करना या तनाव दूर करना; समन्वय, कल्पना और गेम के दौरान की पहचान विकसित करने जैसे कौशल में बढ़ोतरी करना; और मन बहलाना या मनोरंजन. इन प्रेरणाओं का सकारात्मक या नकारात्मक संकेत हो सकता है, और ऑनलाइन गेमिंग को तनाव देने/तनाव से राहत और अलग करने वाली चीज़/ऐसी चीज़ जिससे आपके संपर्क का विस्तार होता है- दोनों ही रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
एक रिपोर्ट के आधार पर, वीडियो गेम्स की दुनिया में एक तेज़ सफ़र नकारात्मक भावनाओं से मुक़ाबला करने की क्षमता में बढ़ोतरी करता है, बुनियादी ज़रूरतों से संतुष्टि प्राप्त कर मिज़ाज ठीक करता है, और बाहरी एवं आंतरिक तनाव से बेहतर ढंग से मुक़ाबला करता है.
“पलायनवाद”- दिन भर किसी चीज़ की लगातार निगरानी से राहत के अनुभव की ज़रूरत- के तौर पर जिस तरह ऑनलाइन गेमिंग के माहौल को हानिकारक एवं एक ही दिशा में परिवर्तन के संकेत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, उसके विपरीत ये एक अस्थायी एवं दो दिशाओं वाला दांव है जिसमें गेम खेलने वाला व्यक्ति वास्तविकता के बदले वीडियो गेम में निर्मित दुनिया में जाता है. एक रिपोर्ट के आधार पर, वीडियो गेम्स की दुनिया में एक तेज़ सफ़र नकारात्मक भावनाओं से मुक़ाबला करने की क्षमता में बढ़ोतरी करता है, बुनियादी ज़रूरतों से संतुष्टि प्राप्त कर मिज़ाज ठीक करता है, और बाहरी एवं आंतरिक तनाव से बेहतर ढंग से मुक़ाबला करता है. इसे एक ख़ूबी के तौर पर दिखाया जाता है जिसका इस्तेमाल गेमिंग में सक्रिय लोगों के द्वारा मनोरंजन की गतिविधि के रूप में किया जाता है. दूसरी तरफ़ ‘पलायनवाद’ का एक बेहद चरम रूप समस्या खड़ी करने वाले गेमर्स के बीच एक सामान्य विशेषता है, जिनके पास वास्तविक दुनिया में मौजूद होने के लिए प्रेरणा की कमी है और इसकी जगह वो ज़रूरत से ज़्यादा वर्चुअल वर्ल्ड से जुड़े रहते हैं. किस तरह ऑनलाइन गेमिंग का इस्तेमाल किया जाता है, उसके मुताबिक़ इसके नुक़सानदेह होने या किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए सकारात्मक मनोवैज्ञानिक परिणाम देने की संभावना है. इस बात को स्वीकार करना महत्वपूर्ण है कि किसी भी दूसरी मनोरंजन की गतिविधि की तरह गेमिंग से भी फ़ायदा या नुक़सान- दोनों हो सकते हैं.
बीमारियों के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण के 11वें संशोधन के मुताबिक़ गेमिंग की बीमारी को “गेमिंग के व्यवहार (डिजिटल गेमिंग या वीडियो गेमिंग) के पैटर्न” के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें कि “गेमिंग के ऊपर कमज़ोर नियंत्रण हो, गेमिंग को इस हद तक ज़्यादा प्राथमिकता दी जाती हो कि दूसरे काम-काज या रोज़ाना की गतिविधियों के ऊपर गेमिंग को वरीयता हासिल हो, और नकारात्मक नतीजों के बावजूद गेमिंग जारी रहे या उसमें बढ़ोतरी हो.” हालांकि विशेषज्ञों ने ये पता लगाया है कि सनक की हद तक गेमिंग करना ज़रूरी नहीं है कि कोई बीमारी हो बल्कि ये एक बड़ी अदृश्य बीमारी का लक्षण हो सकता है. ये पाया गया है कि गेमिंग की बीमारी से ग्रस्त लगभग 50 और 30 प्रतिशत लोगों में क्रमश: डिप्रेशन और बेचैनी है.
गेमिंग समुदाय: वास्तविक, समावेशी, प्रतिनिधि, और सहानुभूति रखने वाला
कोविड-19 की शुरुआती अवधि में जब पूरा विश्व बंद हो गया और बार-बार लॉकडाउन लगा तो दुनिया भर के लोगों ने एक-दूसरे से आमने-सामने की नज़दीकी और सामाजिक लगाव को खो दिया. 2020 की शुरुआत में जब सामाजिक आयोजन पूरी तरह से प्रतिबंधित थे तो गेमिंग प्लेटफॉर्म जैसे कि फोर्टनाइट, रोब्लॉक्स, और माइनक्राफ्ट ने अपने ऑनलाइन गेम इवेंट और कन्सर्ट की तरफ़ लाखों लोगों को आकर्षित किया. इन कन्सर्ट के दौरान आमने-सामने का अनुभव दोहराने की कोशिश की गई. इसके लिए लोगों को अवतार चुनने, प्राइवेट और पब्लिक चैट, और दूसरे लोगों के साथ किरदार वाले गेम खेलने की इजाज़त दी गई. इन सामाजिक आयोजनों की वजह से गेमिंग में शामिल लोग एकजुट हुए और जिस वक़्त वास्तविक दुनिया में लोग एक-दूसरे से आमने-सामने के संपर्क से दूर थे, उस वक़्त ये लोग एक-दूसरे से बातचीत करने लगे. इन प्लैटफॉर्म पर गेमिंग से अलग इवेंट होने पर भविष्य में गेमिंग से दूर रहने वाले दर्शक और ज़्यादा जुड़ेंगे और इस तरह इन लोगों की संख्या बढ़ेगी.
अवतार एक ऐसा माध्यम है जो गेम खेलने वाले लोगों को वर्चुअल वर्ल्ड के भीतर डिजिटल रूप से प्रतिनिधित्व में मदद करते हैं. ऐसे अवतार लोगों को खुले तौर पर ख़ुद को अभिव्यक्त करने और उनकी पहचान स्वीकार करने में मदद कर सकते हैं.
ऑनलाइन गेम इसमें शामिल खिलाड़ियों को अवतार की मदद से वर्चुअल वर्ल्ड के भीतर जाने का मौक़ा देते हैं. अवतार एक ऐसा माध्यम है जो गेम खेलने वाले लोगों को वर्चुअल वर्ल्ड के भीतर डिजिटल रूप से प्रतिनिधित्व में मदद करते हैं. ऐसे अवतार लोगों को खुले तौर पर ख़ुद को अभिव्यक्त करने और उनकी पहचान स्वीकार करने में मदद कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर, “फोर्ज़ा होराइज़न” नाम का रेसिंग गेम गेमर्स को कृत्रिम अंग के साथ अपनी रुचि के मुताबिक़ अवतार बनाने की इजाज़त देता है जिससे दिव्यांग गेमर्स को प्रतिनिधित्व देने में मदद मिलती है. इसके अलावा भी कई ख़ूबियां हैं जैसे कि गेमर्स को त्वचा का सही रंग इस्तेमाल करने की इजाज़त है जिससे गेमर्स की शर्तों के साथ एक गेम के भीतर समावेशी माहौल बनाने में मदद मिलती है. ऐसी ख़ूबियां गेमर्स को वास्तविक दुनिया में ख़ुद को अकेला महसूस करने के मानसिक असर से मुक़ाबला करने में मदद करती हैं.
वैश्विक सर्वे दिखाते हैं कि ई-गेमिंग की तरफ़ बढ़ते आकर्षण में मुख्य भूमिका उन लोगों को खोजने में आसानी है जो उनके लिए उपयुक्त हैं. गेमिंग ने किसी व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े बोझ जैसे लांछन और बहिष्कार जैसे मुद्दों का मुक़ाबला करने के लिए समावेशी समुदाय बनाने में मदद की है. उदाहरण के लिए, कई खिलाड़ियों के साथ किरदार निभाने वाले ऑनलाइन गेम वर्ल्ड ऑफ वॉरक्राफ्ट ने एक गेमर को अपनी “पहचान की तलाश करने के लिए सुरक्षित जगह” मुहैया कराकर उसे दुनिया के सामने ट्रांसजेंडर की अपनी असली पहचान बताने में मदद की. उस गेमर ने अपनी असली पहचान के मुताबिक़ अपना अवतार बनाया जिसे गेमिंग प्लैटफॉर्म के दूसरे खिलाड़ियों ने पूरी तरह से स्वीकार किया. विविधता का ये रुझान नये गेमर्स में लैंगिक पहचान की अभिव्यक्ति के द्वारा और भी दिखाई देती है. एक्सेंचर के एक अध्ययन से ये पता चला है कि 60 प्रतिशत नये गेमर्स महिलाएं थीं और 2 प्रतिशत महिला या पुरुष से अलग (नॉन बाइनेरी). महामारी के वर्षों (2020-2022) में महिला गेमर्स के बीच लगभग 50 प्रतिशत का झुकाव देखा गया है जो कि समुदायों को शामिल करने का एक समावेशी प्रतीक है. इस प्रकार ऑनलाइन गेमिंग समुदाय में शामिल होने के पीछे एक बहुत बड़ा प्रेरक सामाजिक कार्यकलाप है. नये या पुराने मिलते-जुलते विचार वाले लोग ऑनलाइन गेमिंग के द्वारा दिए जाने वाले सुरक्षा के वातावरण की वजह से जमा होते हैं.
गेम डेवलप करने वाली कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य के व्यापक संदर्भ में लोगों को शिक्षित करने और अलग-अलग तरह के लोगों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हैं. इस तरह से वो लोगों को एक अनुभव प्रदान कर रही हैं, और उन्हें ये समझने में मदद कर रही हैं कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से जूझने वाले किसी व्यक्ति को वास्तव में क्या होता है. उदाहरण के लिए, युद्ध से लौटने वाले सैनिकों के बीच पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) एक सामान्य मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा है. ‘स्पेक ऑप्स: द लाइन’ एक शूटर गेम है जो पीटीएसडी के मामले की पड़ताल करता है. इसके लिए गेम के मुख्य किरदार को हिंसक गतिविधियों पर उसकी चर्चा की याद दिलाई जाती है. साथ ही ये गेम कॉल ऑफ ड्यूटी जैसे हिंसक शूटिंग गेम्स, जहां हिंसा को स्वीकार किया जाता है और बढ़ावा दिया जाता है, पर एक अलग पहलू देता है.
इसी तरह एक और वीडियो गेम ग्रिस (GRIS) शोक के अलग-अलग चरणों को लेकर है जहां गेम का किरदार अपने जीवन में एक व्यक्तिगत नुक़सान से जूझता है और शोक के पांच चरणों के एक सफ़र पर निकलता है, उससे पार पाता है. इसी तरह सेलेस्टे नाम का वीडियो गेम मज़बूत पटकथाओं और दिलचस्प कहानियों की मदद से बेचैनी का मुक़ाबला करता है.
इसी तरह एक और वीडियो गेम ग्रिस (GRIS) शोक के अलग-अलग चरणों को लेकर है जहां गेम का किरदार अपने जीवन में एक व्यक्तिगत नुक़सान से जूझता है और शोक के पांच चरणों के एक सफ़र पर निकलता है, उससे पार पाता है. इसी तरह सेलेस्टे नाम का वीडियो गेम मज़बूत पटकथाओं और दिलचस्प कहानियों की मदद से बेचैनी का मुक़ाबला करता है. इसमें बेचैनी से जूझने वाले किसी व्यक्ति की चुनौतियों और उससे पार पाने के सफ़र को दिखाया गया है. इस तरह के गेम्स लोगों को अलग-अलग तरह की मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का अनुभव देते हैं जिनका सामना उनके दोस्त या परिवार के लोग कर सकते हैं. गेमिंग लोगों को दूर जाने की अनुमति देते हैं, जिसका तनाव से निपटने या उसका मुक़ाबला करने की उनकी क्षमता पर सकारात्मक असर होता है. गेमिंग एक सस्ता, आसानी से उपलब्ध, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद, असरदार, और लांछन से मुक्त एक संसाधन है जो मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से राहत पाने में मदद करता है. इस तथ्य को स्वीकार करना कि मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर चिंता है, ये भी दिखाता है कि ऑनलाइन गेमिंग एक उप संस्कृति है जो वास्तविक दुनिया में लोगों के सामने की दिक़्क़तों को लेकर चिंतित है.
ऑनलाइन गेमिंग अनुभव के ज़रिए लोगों को जटिल प्रणाली समझने में भी मदद करता है. ये किरदारों को अपनी भूमिका तय करने की अनुमति देता है, और समझाता है कि किस तरह बदलाव से नतीजों पर असर पड़ता है. ऑनलाइन गेम्स में जो विश्लेषणात्मक रवैया विकसित किया गया है, वो किसी व्यक्ति के सामने वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के कौशल या जटिल वास्तविक दुनिया की समस्याओं को अच्छी तरह समझने की क्षमता पर सकारात्मक असर डाल सकता है.
आगे का रास्ता
कोविड-19 ने लोगों को संकट के समय ई-गेमिंग समुदायों के साथ बातचीत के ज़रिए सांत्वना के लिए न सिर्फ़ प्रेरित किया है बल्कि लोग ये उम्मीद लगा रहे हैं कि भविष्य के लिए भी ई-गेमिंग ज़्यादा महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा. और सामाजिक रूप से ज़िम्मेदार गेमिंग इस उद्योग के द्वारा पेशकश की जाने वाले सेवाओं में उपयोगकर्ता के अनुभव का एक अनिवार्य हिस्सा बनेगा. इसके अलावा इस उद्योग का लोकतंत्रीकरण एक शक्तिशाली विचारधारा है.
किस तरह गेमिंग मानसिक स्वास्थ्य को सहारा देने में मदद कर सकता है और इन प्लेटफॉर्म के ज़रिए सामाजिक समर्थक व्यवहार के विकास को बढ़ावा देने के लिए किन चीज़ों को शामिल करने की ज़रूरत है, उसको बेहतर ढंग से समझने की आवश्यकता है. साथ ही ऑनलाइन गेमिंग के इर्द-गिर्द लगे दाग़ को भी हटाने की ज़रूरत है. इसके अलावा इस धारणा को भी छोड़ देना चाहिए कि ऑनलाइन गेमिंग से मानसिक स्वास्थ्य को नुक़सान होता है. किसी व्यक्ति की भलाई में समुदाय के महत्वपूर्ण होने के लिए गेमिंग को लेकर विश्लेषण निष्पक्ष नज़रिये से होना चाहिए- निराशावादी, एकतरफ़ा दृष्टिकोण से दूर.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.