टास्क फ़ोर्स 3: LiFE, रेज़िलिएंस, एंड वैल्यूज़ फ़ॉर वेल-बींग
सारांश
दुनिया में हर साल मानवीय उपभोग के लिए तैयार खाद्य पदार्थों के 40 प्रतिशत से भी ज़्यादा हिस्से का नुक़सान या बर्बादी हो जाती है. जलवायु परिवर्तन से मानवीय अस्तित्व पर बड़ा ख़तरा मंडरा रहा है. इस जोख़िम के निपटारे के लिए भोजन के ऐसे नुक़सान और खान-पान की वस्तुओं की बर्बादी की रोकथाम इस दिशा में सबसे प्रभावी रणनीतियों में से एक हो सकती है. सरकारें, कारोबार जगत और निजी संगठन खाद्य नुक़सान और भोजन की बर्बादी को कम करने के लिए लक्ष्य-माप-कार्रवाई (टारगेट-मेज़र-एक्ट) रुख़ का लगातार प्रयोग करने लगे हैं. इस पॉलिसी ब्रीफ़ में इसी दृष्टिकोण को अपनाए जाने की वक़ालत की गई है. इसकी अहम सिफ़ारिशें G20 सरकारों और कारोबारों को लक्ष्य कर सामने रखी गई हैं. इनमें भोजन के नुक़सान और खाद्य पदार्थों की बर्बादी में कमी लाने के स्पष्ट लक्ष्य तय करना, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारियों से खाद्य नुक़सान और भोजन की बर्बादी की माप सुनिश्चित करना, लक्षित प्रोत्साहनों से इस ओर कार्रवाई को प्रेरित करना, और खाद्य पदार्थों की हानि और बर्बादी कम करने के लिए शोध और क्षमताओं पर नीतियां बनाना और निवेश करना; शामिल हैं.
एक अहम ग्लोबल चुनौती
कोविड-19 महामारी के कारण खाद्य असुरक्षा में हुई बढ़ोतरी का दुनिया की ज़्यादातर अर्थव्यवस्थाओं पर ज़बरदस्त प्रभाव हुआ है. आय, लिंग और आयु के आधार पर जनसंख्या के कुछ हिस्सों पर इसका भारी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. वैश्विक तौर पर अल्प-पोषण (undernourishment) का प्रसार 2019 में 8 प्रतिशत था जो 2021 में बढ़कर तक़रीबन 10 प्रतिशत हो गया.[i] इसके बावजूद दुनिया भर में उत्पादित कुल खाद्य सामग्रियों के 40 प्रतिशत से भी ज़्यादा हिस्से का खेतों से हमारी थाली तक पहुंचने के रास्ते में या तो नुक़सान हो जाता है या उनकी बर्बादी हो जाती है.[ii] इसके चलते वैश्विक रूप से सालाना लगभग 1 खरब अमेरिकी डॉलर का आर्थिक नुक़सान होता है. आबादी के अलग-अलग समूहों में खाद्य पदार्थों के वितरण और पहुंच में असमानता के मद्देनज़र खाद्य सामग्रियों की हानि और बर्बादी से भोजन और पोषण असुरक्षा में भी इज़ाफ़ा हो रहा है.[iii]
कोविड-19 महामारी के कारण खाद्य असुरक्षा में हुई बढ़ोतरी का दुनिया की ज़्यादातर अर्थव्यवस्थाओं पर ज़बरदस्त प्रभाव हुआ है. आय, लिंग और आयु के आधार पर जनसंख्या के कुछ हिस्सों पर इसका भारी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
दुनिया की बढ़ती आबादी का भरण-पोषण करने में धरती पर ज़बरदस्त पर्यावरणीय दबाव पड़ता है. इसके चलते वातावरण में कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. इनमें मिट्टी का कटाव, जैव-विविधता की हानि और जल संकट शामिल हैं.[iv] पूरी खाद्य प्रणालियों के भीतर खाद्य पदार्थों की हानि और भोजन की बर्बादी में कमी लाने की कोशिशें वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के रोकथाम से जुड़े समाधानों में शीर्ष स्तर की क़वायदों में शामिल है. इससे खाद्य आपूर्ति की पूरी श्रृंखला (खेतों से थाली और फिर कचरे के ढेर तक) में उत्सर्जनों में गिरावट आ सकेगी.[v] इस प्रक्रिया के लिए समग्र और सर्कुलर खाद्य प्रणाली दृष्टिकोण की दरकार है. इसके तहत उत्पादन और कटाई के बाद फ़सल प्रबंधन के टिकाऊ तौर-तरीक़े की ओर व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे और उपभोग की आदतों में सुधार लाना ज़रूरी है (चित्र 1 देखिए). अहम बिंदुओं को दर्शाने वाला लक्ष्य-माप-कार्रवाई दृष्टिकोण इस चुनौती से निपटने में मददगार साबित हो सकता है. सबसे बड़ी समस्या घरों या परिवारों के स्तर पर या आपूर्ति श्रृंखला में है- इसकी पहचान किए जाने से पहले से ज़्यादा लक्षित कार्रवाई सुनिश्चित हो सकेगी.
चित्र 1: खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी में कमी लाने वाले मुख्य वाहक और चुनौतियां
ढांचागत मसले |
फ़ाइनेंसिंग तक पहुंच |
अर्थव्यवस्था |
जनसंख्या का स्वरूप |
नीतियां और नियमन |
जलवायु से जुड़े हालात |
प्रौद्योगिकीय |
प्रबंधकीय |
व्यवहार संबंधी |
· कमज़ोर बुनियादी ढांचा
· अपर्याप्त उपकरण
· आधी-अधूरी पैकेजिंग
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· खाद्य प्रबंधन के अपर्याप्त तौर-तरीक़े, कौशल और ज्ञान
· ख़रीद और संग्रहण की बेलोचदार ज़रूरतें
· आपूर्ति/मांग के लचर पूर्वानुमान और योजनाएं
· मार्केटिंग की रणनीतियां
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· जागरूकता का अभाव
· मानदंड और व्यवहार
· संभावित जोख़िमों के बारे में चिंताएं
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ख़राबी आने, कमज़ोर गुणवत्ता होने, दिखने में बदरंग होने और खरीदार/प्रयोगकर्ता के अभाव के चलते खाद्य पदार्थ और उनके गैर-खाद्य हिस्से खाद्य आपूर्ति श्रृंखला से बाहर चले जाते हैं.. |
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स्रोत: वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट[vi]
ये सच है कि भोजन की हानि और बर्बादी की चुनौतियां आपस में जुड़ी हैं और इनका कोई इकलौता समाधान नहीं है. इसके निपटारे के लिए रणनीतियों के एक समूह की दरकार है. उपलब्ध प्रमाणों से संकेत मिल रहे हैं कि दुनिया भर की तमाम सरकारें और कारोबार, [a] खाद्य पदार्थों की हानि और बर्बादी में कमी लाने के लक्ष्यों को पूरा करने में मार्गदर्शन और कार्रवाई के लिए व्यापक रूप से अपनाए जा रहे लक्ष्य-माप-कार्रवाई दृष्टिकोण का इस्तेमाल करने लगे हैं.[vii]
- लक्ष्य: कमी का लक्ष्य तय करने से खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और बर्बादी की ओर नीति-निर्माताओं द्वारा दिए गए तवज्जो में बढ़ोतरी होती है. कार्रवाई से पहले किसी लक्ष्य की ओर ध्यान की आवश्यकता होती है.
- माप: भोजन की कितनी मात्रा में और कहां बर्बादी हो रही है, इसके माप और विश्लेषण से उन क्षेत्रों की पहचान में मदद मिलती है जहां इनमें कमी लाने के सबसे ज़्यादा अवसर मौजूद हैं.
- कार्रवाई: खाद्य पदार्थों के नुक़सान और बर्बादी के लिए ज़रूरी विशेष हस्तक्षेपों की पहचान करना और फिर उनपर अमल करना, कार्रवाई के दायरे में आते हैं.
1.1 भोजन की हानि और खाद्य पदार्थों की बर्बादी कम करने के प्रमुख साधन और भोजन की बर्बादी कम करने के फ़ायदे
भोजन के नुक़सान और खाद्य सामग्रियों की बर्बादी कम करने में खाद्य प्रणाली के सभी किरदारों (किसानों से उपभोक्ताओं तक) की भूमिका है. लक्ष्य-माप-कार्रवाई दृष्टिकोण के ज़रिए इसे अंजाम दिया जा सकता है (टेबल 1 देखिए).
टेबल 1: मुख्य किरदार और उनकी भूमिकाएं, और खाद्य पदार्थों की हानि और/या बर्बादी कम करने के फ़ायदे
मुख्य किरदार |
संभावित भूमिका |
पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और (लोगों की) खाद्य और पोषण सुरक्षा में अनेक फ़ायदे |
सरकारें
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एजेंडा- और लक्ष्य- तय करना
सशक्तकारी वातावरण- नीतियां और प्रोत्साहन, शोध और नवाचार, जागरूकता और व्यवहार में बदलाव क़ायम करना
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(उत्पादक देशों में) कृषि और सहायक उद्योगों में दक्षता और आत्म-निर्भरता को आगे बढ़ाना और पोषक आहारों तक पहुंच में सुधार लाना[viii]
·अनेक सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को आगे बढ़ाना, जैसे खाद्य उपलब्धता बढ़ाकर वैश्विक भुखमरी से जंग लड़ना
· वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों की हानि और बर्बादी में 25 प्रतिशत गिरावट से खाद्य कैलोरी के अंतर में 12 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, ज़मीन के इस्तेमाल में फ़र्क़ को 27 प्रतिशत कम किया जा सकता है और ग्रीनहाउस गैस (GHG) की रोकथाम के अंतर में 15 प्रतिशत की कटौती मुमकिन हो सकती है.[ix]
· बर्बाद हुई खाद्य सामग्रियों को कचरे की ढेर तक जाने से रोके जाने से खेतों से लेकर थाली और कचरे के ढेर तक मिथेन उत्सर्जनों की रोकथाम में मदद मिल सकती है.[x] साथ ही मछलियों और वन्य जीवों को नकारात्मक प्रभावों से बचाया जा सकता है.
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कारोबार
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सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारियों के ज़रिए नवाचार में अगुवाई और ज्ञान और बेहतरीन तौर-तरीक़ों के आदान-प्रदान में हिस्सेदारी |
आपूर्ति श्रृंखला की दक्षताओं का उनकी क्रियाओं और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार. बर्बादी कम करने में एक ब्रिटिश पाउंड (1.26 अमेरिकी डॉलर) का निवेश कंपनियों के लिए 14 पाउंड (17.58 अमेरिकी डॉलर) के फ़ायदे पैदा कर सकता है.[xi]
सतत विकास लक्ष्यों और कॉरपोरेट रिस्पॉन्सिबिलिटी में तालमेल और कामयाबियों का प्रदर्शन.
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किसान
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उत्पाद को बाज़ार तक ले जाते वक़्त खेतों में और खेतों के नज़दीक नुक़सानों के कम करने की दिशा में कार्रवाई करना |
आय और आजीविका में सुधार, ख़ासतौर से महिलों समेत छोटे और सीमांत किसानों के लिए
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उपभोक्ता
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कार्रवाई के ज़रिए प्रदर्शन, मसलन सहायक क़ानूनों और सार्वजनिक-निजी क्षेत्र की भागीदारियों की मदद से परिवारों में होने वाली भोजन की बर्बादी को कम करना |
परिवारों और उपभोक्ताओं के ख़र्चे कम करना[xii]
स्वास्थ्य से जुड़े फ़ायदे और स्वच्छ शहर.
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सिविल सोसाइटी
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आपूर्ति श्रृंखला और नीति के मोर्चे पर रुकावटों के निपटारे से इकोसिस्टम तैयार करने की क़वायद को सहारा देना, बर्बादी से खाद्य सामग्रियों की रक्षा करना, क्षमता में मौजूद अंतरों को पाटना, जागरूकता तैयार करना और व्यवहार में बदलाव लाना. |
जलवायु के मोर्चे पर जोख़िमों की रोकथाम करने वाली सतत खाद्य प्रणालियां तैयार कर उनकी भूमिका और मिशन को पूर्ण करना. |
स्रोत: लेखक के ख़ुद के
G20 की भूमिका
खाद्य पदार्थों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी कम करने की दिशा में वैश्विक क़वायदों को G20 शिखर सम्मेलन के दौरान और ठोस रूप दिया जा सकता है. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा उठाए जा सकने वाले मज़बूत क़दमों की चर्चा हो सकती है. इनमें भोजन और पोषण सुरक्षा बढ़ाने के लिए लक्ष्य-माप-कार्रवाई रुख़ अपनाना, जलवायु जोख़िमों की रोकथाम करना और किसानों की आजीविका और आमदनी में सुधार लाने जैसे उपाय शामिल हैं. G20 के कई सदस्य राष्ट्र (और समूह से बाहर के भी कई देश) पहले से ही खाद्य हानि और भोजन की बर्बादी कम करने से जुड़े मसलों पर काम कर रहे हैं. ख़ासतौर से सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर अपनी वचनबद्धताओं के ज़रिए वो इस दिशा में काम कर रहे हैं. लक्ष्य 12.3 के तहत खुदरा और उपभोक्ता स्तर पर वैश्विक प्रति व्यक्ति भोजन बर्बादी को आधा करने का आह्वान किया गया है. साथ ही 2030 तक उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं (फ़सल कटाई के बाद के नुक़सानों समेत) के साथ खाद्य पदार्थों की हानि में कमी लाने की बात कही गई है. टेबल 2 में लक्ष्य-माप-कार्रवाई दृष्टिकोण का इस्तेमाल करके खाद्य सामग्रियों की हानि और भोजन की बर्बादी में कमी लाने की दिशा में देशों द्वारा महसूस की जा रही चुनौतियों और कामयाबियों को रेखांकित किया गया है.
टेबल 2: लक्ष्य-माप-कार्रवाई दृष्टिकोण का प्रयोग कर खाद्य सामग्रियों की हानि और भोजन की बर्बादी में कमी लाने की दिशा में देशों द्वारा महसूस की जा रही चुनौतियां और कामयाबियां
अहम पहलू |
चुनौतियां |
सतत विकास लक्ष्य 12.3 से जुड़ी चुनौतियों के निपटारे में सरकार के स्तर पर प्रगति |
लक्ष्य |
वैसे तो हर देश के सामने सतत विकास लक्ष्यों से जुड़े लक्ष्य हैं, भोजन की हानि और बर्बादी कम करने के लिए कुछ पर्यावरणीय प्रतिबद्धताएं हैं. इनमें राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान शामिल हैं, जिनका मक़सद कचरे के ढेर में जाने वाले बर्बाद खाने में कमी लाना और खाद्य पदार्थों की हानि और भोजन की बर्बादी के लिए आधार रेखा और निगरानी सुनिश्चित करना है.[xiii] |
वैश्विक आबादी के तक़रीबन 55 प्रतिशत हिस्से की नुमाइंदगी करने वाले देशों और क्षेत्रीय संगठनों ने सतत विकास लक्ष्य 12.3 के अनरूप विशिष्ट लक्ष्य तय किए हैं. हालांकि G20 के सदस्य देशों के भीतर सिर्फ़ चीन के पास खाद्य पदार्थों की हानि और भोजन की बर्बादी में कमी लाने को लेकर NDC मौजूद है. |
माप |
हॉटस्पॉट्स के बारे में जानकारी का अभाव और माप के मानकीकृत उपकरण ना होना. |
महज़ कुछ मुट्ठी भर देश (वैश्विक आबादी का 12 प्रतिशत) ही समूची आपूर्ति श्रृंखला में अपने यहां भोजन सामग्रियों की हानि और/या खाद्य पदार्थों की बर्बादी माप करते हैं. इनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कोलंबिया, डेनमार्क, इज़राइल, इटली, जापान, फ़िनलैंड, मेक्सिको, यूरोपीय संघ (EU), न्यूज़ीलैंड, नॉर्वे, सऊदी अरब, यूनाइटेड किंगडम (UK), और अमेरिका शामिल हैं.[xiv] इन देशों में से भी हरेक ने अपने यहां खाद्य पदार्थों की हो रही बर्बादियों की माप करने की कोशिश नहीं की है और इसको लेकर एक क्रियाप्रणाली विकसित करने की जद्दोजहद कर रहे हैं. भारत 1968 से ही कुछ चुनिंदा खाद्यान्नों के सिलसिले में कटाई के बाद होने वाली बर्बादियों के आकलन की क़वायद करता आ रहा है. 2005 के बाद से प्रमुख फ़सलों के लिए और ज़्यादा समग्र राष्ट्रीय आकलन को अंजाम दिया जा रहा है. भारत का ताज़ातरीन राष्ट्रीय आकलन 2022 में प्रकाशित किया गया है.[xv] |
कार्रवाई |
सीमित रणनीतियों और क्रियाओं की दिशा में अपर्याप्त कार्यक्रमों के साथ सरकारों द्वारा वरीयता दिए जाने का अभाव
समूची आपूर्ति श्रृंखला में कारोबारों द्वारा खंडित कार्रवाई.
भोजन की बर्बादी कम करने के लिए उपभोक्ता के व्यवहार को बदलने की तात्कालिक ज़रूरत
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विश्व की आबादी का 35 प्रतिशत हिस्सा अब अपनी सरहदों के भीतर खाद्य सामग्रियों की हानि और भोजन की बर्बादी के निपटारे के लिए बड़े पैमाने पर जुगत लगा रहा है. इनमें ऑस्ट्रेलिया, चीन, यूरोपीय संघ, न्यूज़ीलैंड, टर्की और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं. भोजन के नुक़सान और/या बर्बादी में कमी लाने के लिए रणनीतियां और कार्यक्रम विकसित करने में G20 के सदस्य देश विभन्न चरणों में हैं. मिसाल के तौर पर यूनाइडेट किंगडम प्रति व्यक्त भोजन हानि और बर्बादी में 27 प्रतिशत की कमी लाकर SDG 12.3 हासिल करने के सबसे क़रीब पहुंच गया है. पिछले दशक में माप और कार्रवाई की क़वायद के ज़रिए उसने ये कामयाबी हासिल की है. एक और उदाहरण में टर्की में भोजन सामग्रियों के नुक़सान और बर्बादी पर एक साल के जागरूकता अभियान के द्वारा परिवारों में होने वाले भोजन की बर्बादी में कमी लाकर 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर की बचत की गई.[xvi] |
स्रोत: लेखक के ख़ुद के[xvii]
लक्षित कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहले से ज़्यादा स्थिर रुख़ और रणनीति बेहद ज़रूरी है. वैसे तो टेबल 1 में दिए गए उदाहरणों से G20 के देशों द्वारा उठाए गए उल्लेखनीय क़दमों के संकेत मिलते हैं, लेकिन अभी इस दिशा में काफ़ी कुछ किया जाना बाक़ी है.
प्रमाणों से संकेत मिलते हैं कि 2050 तक भोजन के नुक़सान और बर्बादी में 50 प्रतिशत तक की कमी लाए जाने से 2010 में उपलब्ध खाद्य सामग्रियों और 2050 में खाद्य पदार्थों की कुल ज़रूरत के बीच की खाई 20 प्रतिशत से ज़्यादा कम हो सकती है.[xviii] एक और अध्ययन से पता चला कि अमेरिका के केवल तीन शहरों के किराना स्टोर, खुदरा माल बेचने वाली दुकानों, रेस्टोरेंट और खाद्य सेवा क्षेत्रों में उपलब्ध अतिरिक्त भोजन को दान दे दिए जाने से ज़रूरतमंद परिवारों को सालाना 6.8 करोड़ अतिरिक्त भोजन हासिल हो सका.[xix] G20 के सदस्य देश समावेशी, न्यायसंगत और सतत आर्थिक वृद्धि की ओर आगे बढ़ते हुए टिकाऊ उपभोग को बढ़ावा देने की क़वायद पर ज़ोर देकर खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी में कमी ला सकते हैं.
G20 के सदस्य देश समावेशी, न्यायसंगत और सतत आर्थिक वृद्धि की ओर आगे बढ़ते हुए टिकाऊ उपभोग को बढ़ावा देने की क़वायद पर ज़ोर देकर खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी में कमी ला सकते हैं.
2023 का शिखर सम्मेलन G20 देशों को खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और बर्बादी पर उठाए जा रहे क़दमों को और मज़बूत बनाने का मौक़ा दे रहा है. लक्ष्य-माप-कार्रवाई दृष्टिकोण को अपनाकर और कृषि, पर्यावरण और इस सेक्टर से जुड़े अन्य मंत्रालयों के साथ कार्य बिंदुओं पर चर्चा कर इस क़वायद को अंजाम दिया जा सकता है. इसके बाद इन कार्य बिंदुओं को G20 नेताओं द्वारा मंज़ूर कर मौजूदा तकनीकी कार्य समूहों के ज़रिये लागू कराया जा सकता है. इससे दीर्घकाल में समूचे G20 में खाद्य सुरक्षा में मज़बूती लाई जा सकेगी और आजीविका में सुधार किया जा सकेगा.
G20 के लिए सिफ़ारिशें
खाद्य पदार्थों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी की वजहें विकसित और विकासशील देशों में अलग-अलग होती हैं, यहां तक कि विभिन्न इलाक़ों में भी इन वजहों में अंतर होता है.[xx] मिसाल के तौर पर निम्न-आय वाले देशों में खाद्य सामग्रियों की हानि के पीछे उत्पादन, फ़सल कटाई और उनकी तैयारी, बुनियादी ढांचे, प्रॉसेसिंग और मार्केटिंग को लेकर प्रबंधन और तकनीकी कौशल की व्यापक सीमाओं का हाथ होता है. उधर अमीर देशों में भोजन की बर्बादी की वजहों में उपभोक्ता का व्यवहार और बर्बादी भरे तौर-तरीक़े शामिल हैं.[xxi] लिहाज़ा देशों को वैसी रणनीतियों की दरकार है जो उनके संदर्भों में और ज़्यादा सटीक बनाए जाएं. राष्ट्रीय स्तर पर लक्ष्य-माप-कार्रवाई दृष्टिकोण को अपनाया जाना उत्प्रेरक हो सकता है. सार्वजनिक नीति, निजी क्षेत्र की कार्रवाई और किसानों और उपभोक्ताओं के बर्ताव में आपसी तालमेल बनाने में ये सहायक साबित हो सकता है (चित्र 2 देखिए).
चित्र 2: लक्ष्य-माप-कार्रवाई दृष्टिकोण
स्रोत: वर्ल्ड रिसोर्सेज़ इंस्टीट्यूट
सिफ़ारिश 1: खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी में कटौती करने के लिए G20 को स्पष्ट लक्ष्य (जलवायु कार्रवाई पर राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों यानी NDCs की तरह) तय करने चाहिए. इससे कूड़ेदानों तक पहुंचने वाले बर्बाद भोजन की मात्रा में भी कमी लाई जा सकेगी.
खाद्य पदार्थों का नुक़सान और भोजन की बर्बादी कम करने के लिए देशों की वचनबद्धता दर्शाने में विशिष्ट लक्ष्य तय करना अहम हो जाता है. G20 देशों को अपनी NDC प्रतिबद्धताओं के हिस्से के तौर पर खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी में कमी की क़वायदों को शामिल करना चाहिए. इसके साथ ही लक्ष्य-तय करने वाली योजनाओं की निगरानी और माप के लिए राष्ट्रीय रणनीतियां तैयार करते हुए उनके लिए बजट का आवंटन किया जाना चाहिए. लक्ष्य तय करने की दिशा में बेहतरीन तौर-तरीक़ों के कुछ उदाहरण नीचे दिए गए हैं:
- महज़ मुट्ठी भर देशों (ज़्यादातर G20 से बाहर के राष्ट्र) ने ऐसी NDC वचनबद्धताएं जताई हैं जो खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी को घटाने की क़वायद को ज़ेहन में रखती हैं; इनमें भूटान, चीन, मिस्र, इथियोपिया, घाना, रवांडा और यूगांडा शामिल हैं.[xxii]
- G20 देशों की सरकारेंलक्ष्य तय करने और सार्वजनिक-निजी भागीदारियों की पड़ताल करने के लिए अपनी-अपनी सरज़मीं पर कारोबारों को प्रोत्साहित कर सकती हैं. मिसाल के तौर पर यूनाइटेड किंगडम की बहुराष्ट्रीय खुदरा व्यापार कंपनी टेस्को ने 2016-17 के SDG 12.3 से तालमेल बिठाकर 2030 तक SDG 12.3 हासिल करने का लक्ष्य रखा है. ताज़ातरीन आंकड़ों के मुताबिक टेस्को ने 2021/2022 की समाप्ति तक आधारसीमा के हिसाब से भोजन की बर्बादी कम करने की कार्यकारी सीमा में 45 प्रतिशत गिरावट का लक्ष्य हासिल कर लिया है.
- 2023 के अंत तक यूरोपीय संघ अपने इलाक़े में खाद्य सामग्रियों की बर्बादी को रोकने के लिए क़ानूनी रूप से बाध्यकारी लक्ष्य तय करने का इरादा रखता है.[xxiii]
सिफ़ारिश नंबर 2: G20 के देशों को सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की भागीदारियों से खाद्य सामग्रियों की हानि और भोजन की बर्बादी की माप करने में क़ाबिलियत बनानी चाहिए. इससे लक्षित भू-भाग में खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और बर्बादी के पैमाने के बारे में समझ विकसित हो सकेगी.
खाद्य पदार्थों की हानि और भोजन की बर्बादी के पैमाने की माप से उन ज्वलंत बिंदुओं की पहचान हो सकेगी जहां तत्काल क़दम उठाए जाने की दरकार है. इस तरह बर्बादी रोकने के अवसर पैदा हो सकेंगे, खाद्य सामग्रियों की हानि और भोजन की बर्बादी के लक्ष्य तय करने को वरीयता दी जा सकेगी और इस दिशा में हो रही प्रगति की निगरानी मुमकिन होगी.
- G20 के देश माप की एक मानकीकृत कार्यप्रणाली अपना सकते हैं जो उनके स्थानीय संदर्भों के मातहत काम करती है. साथ ही वो अन्य देशों को भी इसी प्रेरणा के साथ कार्रवाई करने को प्रोत्साहित कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर यूके में स्थानीय अधिकारियों द्वारा हरेक परिवार में भोजन की बर्बादी को लेकर किया गया आकलन कई सालों तक तुलनात्मक अध्ययन के काम आ सकता है.[xxiv] खाद्य पदार्थों की बर्बादी में कमी लाने को लेकर चीनी कार्य योजना में पूरी आपूर्ति श्रृंखला में खाद्य पदार्थों की हानि और बर्बादी रोकने के लिए कार्रवाइयों की सूची दी गई है.
- G20 के सदस्य अपनी ज़रूरतों और स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक संसाधनों को ढाल सकते हैं. ये तमाम देश G20 के भीतर और बाहर के राष्ट्रों में गठजोड़ भरे पैमानों और प्रेरणाओं के लिए सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र की भागीदारियों को प्रोत्साहन दे सकते हैं. इस संदर्भ में बेहतरीन अभ्यास मौजूद हैं, इनमें:
- यूके का कोर्टोल्ड कमिटमेंट एक स्वैच्छिक क़रार है जो समूचे यूनाइटेड किंगडम में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला के बीच गठजोड़कारी कार्रवाई को सुलभ बनाता है ताकि खेतों से लेकर थाली तक खाद्य पदार्थों की बर्बादी घटाई जा सके. साथ ही उससे जुड़े ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जनों और जल संकट में भी कमी लाई जा सके.[xxv]
- ऑस्ट्रेलिया का खाद्य समझौता एक महत्वाकांक्षी क़रार है जो सरकारी, निजी और फ़ूड रेस्क्यू संगठनों को एकजुट करता है. खाने-पीने के सामानों की बर्बादी रोकने के लिए समाधान तैयार करने और उनको साझा करने की दिशा में ये एक गठजोड़कारी क़वायद है.[xxvi]
- प्रशांत तटीय गठजोड़ खाद्य कारोबारों और अपने क्षेत्राधिकारों को पेसिफ़िक कोस्ट फ़ूड वेस्ट कमिटमेंट से जुड़ने का आह्वान करता है. ये एक स्वैच्छिक समझौता है जो खाद्य पदार्थों की बर्बादी रोकने वाले मौजूदा प्लेटफ़ॉर्मों और प्रतिबद्धताओं पर टिककर आगे बढ़ता है. इनमें SDG 12.3 और चैंपियंस 2030 शामिल हैं.[xxvii]
- यूरोपीय संघ के कई देशों की विशिष्ट प्रतिबद्धताएं हैं. इनमें ‘नीदरलैंड्स यूनाइटेड अगेंस्ट वेस्ट’ अभियान भी शामिल है. अनेक संस्थाओं वाले टास्क फ़ोर्स ने इसकी शुरुआत की थी. इसके तहत खाद्य पदार्थों की बर्बादी को न्यूनतम स्तर पर लाने की शिक्षा देकर लोगों का व्यवहार बदलने पर ज़ोर दिया जाता है.[xxviii]
प्रशांत तटीय गठजोड़ खाद्य कारोबारों और अपने क्षेत्राधिकारों को पेसिफ़िक कोस्ट फ़ूड वेस्ट कमिटमेंट से जुड़ने का आह्वान करता है. ये एक स्वैच्छिक समझौता है जो खाद्य पदार्थों की बर्बादी रोकने वाले मौजूदा प्लेटफ़ॉर्मों और प्रतिबद्धताओं पर टिककर आगे बढ़ता है.
सिफ़ारिश नंबर 3: खाद्य पदार्थों की हानि और भोजन की बर्बादी कम करने की दिशा में लक्षित प्रोत्साहनों, नीतियों और निवेश के ज़रिए G20 के देश कार्रवाई की प्रेरणा दे सकते हैं. इन लक्ष्यों की दिशा में काम करने वाली सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारियों के निर्माण से इस क़वायद को अंजाम दिया जा सकता है.
G20 के देश लक्षित आयोजनों, मौजूदा तकनीकी कार्य समूहों और वैश्विक खाद्य प्रणालियों से जुड़े शिखर सम्मेलन से पहले लक्षित आयोजन के ज़रिए नवाचारों और कार्रवाई पर विचार कर उनका आदान-प्रदान कर सकते हैं. इन आयोजनों में आगे दिए गए पहलुओं पर मंथन किया जा सकता है:
3.1 नीतियां और प्रोत्साहन
* G20 के देश स्वैच्छिक लक्ष्य स्वीकारने और बेहतरीन तौर-तरीक़े अपनाने के लिए कारोबारों को प्रोत्साहित कर सकते हैं. G20 के सदस्य इस सिलसिले में कामयाब पहलों से सबक़ सीखकर उनका भरपूर लाभ उठा सकते हैं. इनमें ‘10x20x30’ पहल शामिल है, जो दुनिया में खाद्य पदार्थों के कम से कम 10 सबसे बड़े खुदरा विक्रेताओं और आपूर्तिकर्ताओं को एक छत के नीचे लाता है. इनमें से हरेक विक्रेता कम से कम 20 आपूर्तिकर्ताओं को साथ जोड़कर 2030 तक खाद्य पदार्थों के नुक़सान और बर्बादी में 50 प्रतिशत की कमी लाने के लक्ष्य की ओर काम कर रहा है.[xxix]
* अतिरिक्त खाद्य पदार्थों को अन्य दिशाओं में भेजने और/या दान में देने को लेकर प्रोत्साहन मुहैया कराना और इस रास्ते में खड़ी बाधाओं को दूर करना
* G20 के देश अपने साथियों (जैसे अर्जेंटीना, इटली और कनाडा) से काफ़ी कुछ सीख सकते हैं. इन सभी देशों ने ‘नेकदिली और परोपकार’ क़ानून के अपने-अपने संस्करण पारित किए हैं. इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र की खाद्य कंपनियों और खुदरा विक्रेताओं को अतिरिक्त या अनबिके खाद्य पदार्थों को ख़ैराती संस्थाओं को दान देने के लिए प्रेरित करना है. इसके लिए खाद्य सुरक्षा ज़रूरतों की दिशा में उनकी देनदारियों को सीमित कर दिया गया है.[xxx]
* G20 के सदस्य खेतीबाड़ी में दिए जा रहे विकृत प्रोत्साहनों को नया स्वरूप देकर खाद्य पदार्थों के नुक़सान और बर्बादी में कमी लाने का प्रोत्साहन दे सकते हैं. इस कड़ी में किसानों को खेत में और खेत के नज़दीक नुक़सानों में कमी लाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. मिसाल के तौर पर भारत ने 2020 में 1 खरब रु (तक़रीबन 13.5 अरब अमेरिकी डॉलर) के कृषि इंफ़्रास्ट्रक्चर फ़ंड का एलान किया था. इसका मक़सद कोल्ड चेन्स स्थापित करने और फ़सल कटाई के बाद भंडारित किए जाने वाले स्थानों और एग्रिगेशन प्वाइंट्स स्थापित करने के लिए मध्यम से दीर्घकालिक ऋण वित्त-पोषण (फ़ाइनेंसिंग) मुहैया कराना है.[xxxi]
* शोध और नवाचार भरे समाधानों में निवेश: G20 के सदस्य शोध और नवाचार को प्रोत्साहित कर सकते हैं, उनमें निवेश कर सकते हैं और एक-दूसरे को ऐसी क़वायदों के लिए प्रेरित कर सकते हैं. मिसाल के तौर पर ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने भोजन की बर्बादी पर रणनीति की योजना बनाने और उन्हें अमल में लाने के लिए एक स्वतंत्र संगठन तैयार किया है. इसके लिए एक निश्चित बजट का भी आवंटन किया गया है.[xxxii]
* टेक्नोलॉजी में नवाचारों को आगे बढ़ाना: खाद्य पदार्थों की हानि और भोजन की बर्बादी को कम करने की दिशा में काम करने के लिए एग्री-टेक स्टार्टअप तैयार करने के लिए नवाचार भरे समाधानों का विकास ज़रूरी होता है. सार्वजनिक वित्त के ज़रिए इस व्यय को पूरा किया जा सकता है.[xxxiii]मिसाल के तौर पर भारत सरकार ने 2023 में उद्यमियों के लिए एग्रिकल्चर एक्सीलेरेटर फ़ंड का एलान किया है.[xxxiv]
3.2 जागरूकता, क्षमता निर्माण और व्यवहार में परिवर्तन
सदस्य देश खाद्य सामग्रियों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी को निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के लिए शिक्षा और क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों में शामिल कर सकते हैं. इस कड़ी में अमेरिका के ‘फ़ूड वेस्ट वॉरियर प्रोग्राम’ से सीखे गए सबक़ों का लाभ उठाकर G20 देशों में स्कूलों के स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों की संरचना बनाई जा सकती है. इसके ज़रिए खाद्य प्रणालियों के पर्यावरणीय प्रभावों पर रोशनी डाली जा सकती है.[xxxv]इसके अलावा खेतों और वहां से आगे होने वाले नुक़सानों को कम करने के लिए कृषि विस्तार सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना और तकनीकी ज्ञान विकसित करना निहायत ज़रूरी है.[xxxvi]
G20 के सदस्य देश लक्षित भूभागों में परिवार के स्तर पर खाद्य सामग्रियों की होने वाली बर्बादी से निपटने और इस दिशा में निवेश और शोध को प्रोत्साहित करने के लिए उपभोक्ता व्यवहार परिवर्तन अभियान चला सकते हैं. परिवारों में भोजन की बर्बादी कम करने की दिशा में उपभोक्ता के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए सामाजिक मानकों का संदेश एक प्रभावी दृष्टिकोण हो सकता है.[xxxvii] मिसाल के तौर पर भारत सरकार के पर्यावरण के लिए जीवनशैली (LiFE) मिशन में खाद्य पदार्थों की बर्बादी जैसे मसलों के निपटारे के लिए व्यवहार में बदलाव से जुड़े अभियानों को शामिल किया गया है.
कुल मिलाकर G20 के सदस्य- संचार और कार्रवाई, दोनों के ज़रिए खाद्य सामग्रियों की हानि और भोजन की बर्बादी के मसले के निपटारे को लेकर अपनी महत्वाकांक्षा और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन कर सकते हैं. ये तमाम देश प्रोत्साहनों पर बेहतरीन तौर-तरीक़े और सबक़ साझा कर सकते हैं. अपने इलाक़ों में आंदोलन तैयार करने की क़वायद को आगे बढ़ा सकते हैं और सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारियों को सुलभ बना सकते हैं. इतना ही नहीं G20 के देश समूह से बाहर के देशों को इस दिशा में प्रेरित कर सकते हैं और उनके साथ काम कर सकते हैं. उन्हें इस विशाल चुनौती का निपटारा करने में आधार सीमाएं तय करने के साथ-साथ हस्तक्षेपों और बेहतरीन अभ्यासों की पहचान करने में मदद पहुंचाई जा सकती है. आख़िर में G20 के भीतर मौजूदा कार्य समूहों का लाभ उठाकर वैश्विक स्तर पर भोजन सामग्रियों के नुक़सान और भोजन की बर्बादी को कम करने के एजेंडे को ठोस रूप देकर आगे बढ़ाया जा सकता है.
Endnotes
[a] इस ढांचे को स्वीकार करके यूके, यूरोपीय संघ समेत तमाम बड़ी कंपनियों (केलॉग, नेस्ले, सोडेक्सो, टेस्को और वॉलमार्ट) ने अपने यहां खाद्य पदार्थों की हानि और भोजन की बर्बादी में कमी लाने से जुड़े लक्ष्यों में भारी प्रगति की है.
[i] FAO, IFAD, UNICEF, WFP and WHO, The State of Food Security and Nutrition in the World 2022, Repurposing food and agricultural policies to make healthy diets more affordable. Rome, FAO.
[ii] WWF-UK. Driven to Waste: The Global Impact of Food Loss and Waste on Farms, 2021.
[iii] FAO, The State of Food and Agriculture 2019. Moving forward on food loss and waste reduction, Rome, 2019; FAO, Global Food Losses and Food Waste: Extent, Causes and Prevention, FAO 2011.
[iv] HLPE, Food Losses and Waste in the Context of Sustainable Food Systems. A Report by the High-Level Panel of Experts on Food Security and Nutrition of the Committee on World Food Security, Rome, 2014.
[v] Paul Hawken, Project Drawdown: The Most Comprehensive Plan to Reverse Global Warming (London: Penguin Books, 2017); World Bank, “Addressing Food Loss and Waste: A Global Problem with Local Solutions,” 2020.; IPCC, Summary for Policymakers, Cambridge, UK and New York, NY, USA, IPCC, 2022.; IPCC, Synthesis Report of the IPCC Sixth Assessment Report (AR6), Longer report, AR6 Synthesis Report Climate Change 2023, 2023.
[vi] Katie Flanagan, Kai Robertson, and Craig Hanson, Reducing Food Loss and Waste: Setting a Global Action Agenda, World Resources Institute, 2019.
[vii] Champions 12.3, “Call to Global Action on Food Loss and Waste,” 2020.
[viii] Roni A. Neff, Rebecca Kanter, and Stefanie Vandevijvere. “Reducing Food Loss and Waste While Improving the Public’s Health.” Health Affairs 34, no. 11 (November 2015): 1821–29.
[ix] Tim Searchinger, Richard Waite, Craig Hanson, and Janet Ranganathan. “World Resources Report: Creating a Sustainable Food Future – A Menu of Solutions to Feed Nearly 10 billion People by 2050.” World Resources Institute, 2019.
[x] Andrew Parry, Keith James, and Stephen LeRoux. “Strategies to Achieve Economic and Environmental Gains by Reducing Food Waste,” 2015.
[xi] Craig Hanson and Peter Mitchell, “The Business Case for Reducing Food Loss and Waste,” 2017.
[xii] FAO, “Global Initiative on Food Loss and Waste Reduction.” 2015.
[xiii] “Reducing Food Loss and Waste: Setting a Global Action Agenda, 2019”
[xiv] Brian Lipinski, “SDG Target 12.3 on Food Loss and Waste: 2022 Progress Report,” 2022.
[xv] Monika Agarwal, Sushant Agarwal, Subia Ahmad, Ruchika Singh, and K.M. Jayahari, Food Loss and Waste in India: The Knowns and The Unknowns. Mumbai: World Resources Institute India, 2021.; NABCONS, Post-Harvest Losses in Agri Produces in India, Ministry of Food Processing Industries, Government of India, 2022
[xvi] FAO, United Nations Turkey. https://turkiye.un.org/en/134114-changing-mindsets-among-consumers-helping-reduce-food-waste-turkey, 2021
[xvii] “SDG Target 12.3 on Food Loss and Waste: 2022 Progress Report”; “Food Losses and Waste in the Context of Sustainable Food Systems. 2014”; Addisalem (Addis) Benyam, Tammara Soma, and Evan Fraser, “Digital Agricultural Technologies for Food Loss and Waste Prevention and Reduction: Global Trends, Adoption Opportunities and Barriers,” Journal of Cleaner Production 323 (2021): 129099.
[xviii] “Creating a Sustainable Food Future – A Menu of Solutions to Feed Nearly 10 billion People by 2050, 2019”
[xix] JoAnne Berkenkamp and Caleb Phillips, “Modeling the Potential to Increase Food Rescue: Denver, New York, and Nashville,” 2017.
[xx] IPCC, Climate Change and Land, 2019.
[xxi] “Global Initiative on Food Loss and Waste Reduction,” 2015
[xxii] “Reducing Food Loss and Waste: Setting a Global Action Agenda”
[xxiii] EU, Farm to Fork Strategy – For a Fair, Healthy and Environmentally-Friendly Food System, 2020.
[xxiv] WRAP, Synthesis of Household Food Waste Compositional Data 2018, Final Report (Banbury, 2020).
[xxv] WRAP, “The Courtauld Commitment 2030,” 2023.
[xxvi] Stop Food Waste Australia, The Australian Food Pact – A case for action (2022).
[xxvii] Pacific Coast Collaborative, “Creating a Sustainable Future through Food Waste Reduction,” 2021.
[xxviii] Stephanie Min, blog on “The Netherlands Launches Campaign to Teach About Food Labels,” Food Tank, January 5, 2021.
[xxix] “Reducing Food Loss and Waste: Setting a Global Action Agenda, 2019”
[xxx] The Economist Intelligence Unit and Barilla Foundation, “Fixing Food 2021: An Opportunity for G20 Countries to Lead the Way,” 2021.
[xxxi] “Food Loss and Waste in India: The Knowns and The Unknowns”
[xxxii] Commonwealth of Australia, “National Food Waste Strategy: Halving Australia’s Food Waste by 2030,” 2017.
[xxxiii] “Fixing Food 2021: An Opportunity for G20 Countries to Lead the Way”
[xxxiv] Ministry of Agriculture & Farmers Welfare, Government of India, 2021.
[xxxv] WWF, “Food Waste Warriors: A Deep Dive into Food Waste in US Schools” (US, 2019).
[xxxvi] “Addressing Food Loss and Waste: A Global Problem with Local Solutions”
[xxxvii] Stacy Blondin and Sophie Attwood, “Making Food Waste Socially Unacceptable: What Behavioral Science Tells Us About Shifting Social Norms to Reduce Household Food Waste,” World Resources Institute, 2022.
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