Published on Aug 14, 2023 Updated 16 Hours ago
इंक्लूसिव और सस्टेनेबल ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर के लिए नीतिगत मार्ग: ब्राज़ील और अफ्रीका के अनुभव

टास्क फोर्स 6: एसडीजी में तेज़ी लाना: 2030 एजेंडा के लिए नए रास्ते तलाशना


सार

उष्णकटिबंधीय कृषि यानी कि ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर के लिए मददगार नीतियों ने कृषि उत्पादन और पारिवारिक खेती को मज़बूत करने के लिए कानूनी ढांचे को डिज़ाइन करने की सरकारी क्षमता में सुधार करके ब्राजील में लाखों छोटे स्तर के किसानों को ग़रीबी से बाहर निकलने में मदद की है. वैज्ञानिक और तकनीक़ी विकास ने छोटे पैमाने के ब्राज़ील के किसानों को स्थानीय ट्रॉपिकल कंडिशन को ध्यान में रखते हुए अनाज के उत्पादन में सक्षम बनाया है.

इसके विपरीत, अफ्रीका में ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर स्टेकहोल्डर्स  को उत्पादन के स्तर पर संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. अफ्रीका में ट्रॉपिकल देशों और औद्योगिक देशों के बीच लगातार तकनीक़ी अंतर मौज़ूदा मुक्त व्यापार स्थितियों के तहत प्रमुख पारंपरिक ट्रॉपिकल फसल निर्यातकों के साथ प्रतिस्पर्धा  करने की स्थानीय उत्पादकों की क्षमता में रुकावट  पैदा करता है. हालांकि ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में अलग-अलग तरह से विकसित हुई है लेकिन दोनों क्षेत्रों के किसानों को समान चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे बुनियादी ढांचे में अपर्याप्त निवेश, आर्थिक प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप ट्रॉपिकल फॉरेस्ट की कटाई और ग्रामीण इलाक़े में बहुत ज़्यादा ग़रीबी. कई देशों में  ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर को बढ़ावा देना सरकारों और सार्वजनिक नीतियों के लिए प्राथमिकता नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप स्ट्रैटिजी और स्ट्रक्चर्ड इन्वेस्टमेंट की कमी होती है.

ब्राजील और अफ्रीका साल 2050 तक फूड और फाइबर जैसे ट्रॉपिकल उत्पादों की अपेक्षित मांग में बढ़ोतरी को पूरा कर सकते हैं. यह देखते हुए कि देश और महाद्वीप दोनों ग्लोबल फूड प्रोडक्शन सिस्टम में महत्वपूर्ण किरदार हैं. ब्राजील और अफ्रीका दोनों के पास भविष्य की मांग को पूरा करने के लिए ट्रॉपिकल उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने की महत्वपूर्ण क्षमता है. इसे प्राप्त करने के लिए, इस क्षेत्र को समृद्ध, समावेशी और टिकाऊ ट्रॉपिकल कृषि के लिए ज़मीन तैयार करने के लिए स्ट्रक्चरर्ड इन्वेस्टमेंट और रणनीतिक रूप से अलाइन्ड नीतियों की आवश्यकता है. यह पॉलिसी ब्रीफ ग्लोबल प्रोडक्ट  वैल्यू चेन  के भीतर दोनों क्षेत्रों की स्थिति की तुलना करती है और एडिशनल फैक्टर्स की जांच करती है जो सफलताओं और विफलताओं की व्याख्या कर सकते हैं, साथ ही ट्रॉपिकल खेती के लिए समावेशी बाज़ारों को बढ़ावा देने के लिए बेस्ट प्रैक्टिस  को रेखांकित कर सकते हैं. कम दोहन वाले नए बाज़ार अवसरों की संभावनाओं को परिभाषित कर सकते हैं और सामान्य लक्ष्यों तक पहुंचने के प्रासंगिक साधन की पहचान कर सकते हैं.

1.चुनौतियां

खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, विशेष रूप से विकासशील देशों में, प्रतिकूल भू-राजनीतिक संदर्भ और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण यह और भी अधिक जटिल समस्या बन गई है. पॉलिसी ओरिएंटेड थिंक-टैंक के रूप में, न्यू साउथ के लिए नीति केंद्र (पीसीएनएस) और ब्राजीलियन सेंटर फॉर इंटरनेशनल रिलेशंस (सीईबीआरआई) दोनों ने खाद्य असुरक्षा से निपटने और घरेलू उत्पादन के स्तर को बढ़ाने पर चर्चा की है. इसका उद्देश्य स्थानीय आजीविका में सुधार के लिए समाधानों की पहचान करना और कृषि उत्पादों के वैश्विक व्यापार में भाग लेने के लिए देश की क्षमता का पोषण करना है. लो-कार्बन इकोनॉमी और क्लाइमेट चेंज रेजिलियेंस के लिए आवश्यक परिवर्तन के संदर्भ में, कृषि और खाद्य सुरक्षा जी20 जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों के लिए रणनीतिक क्षेत्र हैं. ये ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ग्लोबल साउथ के देश, जो समान विशेषताओं और चुनौतियों को साझा करते हैं, आगे सहयोग कर सकते हैं. स्थानीय वास्तविकताओं के अनुकूल और ऑन-साइट अनुभवों के आधार पर समाधानों का प्रचार विकास संबंधी चर्चाओं और प्रैक्टिस में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है. इस पॉलिसी ब्रीफ का उद्देश्य ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर के संबंध में ब्राजील और उप-सहारा अफ्रीका के देशों द्वारा साझा की गई चुनौतियों के आकलन के आधार पर इनमें से कुछ समाधानों पर प्रकाश डालना है.

ट्रॉपिकल अफ़्रीकन एग्रीकल्चर को संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है जो जलवायु परिवर्तन से प्रेरित होने वाले क्रिटिकल स्ट्रेसर्स और उप-सहारा देशों में कृषि विकास की गति पर उनके प्रभावों के कारण और भी बदतर हो सकती हैं. कृषि-खाद्य प्रणालियों की जटिलता, कृषि-पारिस्थितिकी तंत्र का नाजुक होना और इन क्षेत्रों में नीतिगत वातावरण का दोहन इस बात पर रिस्पॉन्स  देने में अपर्याप्त है कि क्यों अफ्रीका में ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर क्षमता अभी भी लोगों के भूख मिटाने और लोगों को ग़रीबी से बाहर निकालने के लिए पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा सका है.

सफल कृषि परिवर्तन के इतिहास के साथ समान वैश्विक चुनौतियों का सामना करने वाले कम्पेयरेबल एग्रो-इकोलॉजिकल प्रोफाइल वाले ट्रॉपिकल लैटिन अमेरिकी देशों के अनुभवों की समीक्षा करने से ट्रॉपिकल देशों में कृषि विकास के रास्तों की पहचान करने में मदद मिल सकती है. ब्राज़ील ऐसे देश का उदाहरण है, जिसने कृषि उत्पादन बढ़ाने और कृषि क्षेत्र का विस्तार किए बिना कृषि उत्पादों का एक अहम सप्लायर बनने के लिए कार्बन एग्रीकल्चर प्लान (एबीसी योजना) (मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर,लाइवस्टॉक एंड फूड सप्लाई 2021) जैसी नीतियां लागू की हैं. उदाहरण के लिए, एबीसी योजना ब्राज़ीलियन प्रोड्यूसर्स द्वारा लो कार्बन एग्रीकल्चर प्रैक्टिस और प्रौद्योगिकियों को अपनाने को बढ़ावा देने और अधिक उत्पादन दक्षता का नेतृत्व करते हुए और भूमि और संसाधनों को बचाने के साथ-साथ एनवायरनमेंट  कंप्लायंस को मज़बूत करने पर केंद्रित है. एक दूसरे के पूरक के तौर पर, फॉरेस्ट कोड, ब्राजील में भूमि उपयोग को रेग्युलेट करने के लिए ज़िम्मेदार मुख्य नीति, एक ही भौगोलिक स्थान के भीतर नेटिव वेजिटेशन प्रिजर्वेशन (देशी वनस्पति संरक्षण) और कृषि उत्पादन के लिए नींव तैयार करती है.

एबीसी प्लान के पहले स्टेज के दौरान, 2010 से 2020 तक, ब्राज़ील की सभी 27 संघीय इकाइयों के साथ-साथ इसके छह बायोम (मिनिस्टेरियो दा एग्रीकल्चर एन.डी.) में लो कार्बन वाली कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक लागू किया गया था. एबीसी प्लान को सात कार्यक्रमों द्वारा आयोजित एक परिचालन योजना के माध्यम से स्ट्रक्चर्ड किया गया था जो विभिन्न सस्टेनेबल प्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी पर काम करते थे: 1) डिग्रेडेड पैश्चर्स की रिकवरी 2) क्रॉप-लाइवस्टॉक इंटीग्रेशन; 3) नो-टिलेज सिस्टम (जुताई रहित सिस्टम); 4) बायोलॉजिकल  नाइट्रोजन फिक्सेशन; 5) प्लान्टेड फॉरेस्ट ; 6) एनिमल वेस्ट ट्रीटमेंट; और 7) जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन, जिनमें से अंतिम तकनीक़ दूसरों के लिए एक ट्रांसवर्सल कार्यक्रम है. प्रत्येक कार्यक्रम में प्रचार अभियान, ग्रामीण ऋण अनुदान, टेक्नीशियन  और ग्रामीण उत्पादकों के क्षमता-निर्माण प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और एनवायरनमेंट  कॉम्प्लायंस (मिनिस्टेरियो दा एग्रीकल्चर 2012) से संबंधित कार्य शामिल थे.

साल 2010 से 2020 तक, एबीसी प्लान के तहत 54 मिलियन हेक्टेयर से अधिक में लो-कार्बन वाली कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा सका है, जिससे 193.6 मिलियन टन सीओ2 ईक्यू (कृषि, पशुधन और खाद्य आपूर्ति मंत्रालय 2021) के बराबर कमी आई. उदाहरण के लिए, एकीकृत फसल पशुधन वानिकी प्रणालियों के लिए 10.76 मिलियन हेक्टेयर का विस्तार हुआ, जबकि अतिरिक्त 26.8 मिलियन हेक्टेयर डिग्रेडेड पैश्चर्स को फिर से हासिल किया गया (मिनिस्टेरियो दा एग्रीकल्चर 2021). नीति के दूसरे चरण, जिसे एबीसी+ योजना कहा जाता है, का लक्ष्य अतिरिक्त 72.6 मिलियन हेक्टेयर, 5 मिलियन मवेशियों और 208 मिलियन एम3 पशु अवशेषों में लो-कार्बन वाली कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने का विस्तार करना है, जिससे 2021 से 2030 तक 1 गीगा टन सीओ2 ईक्यू मिटिगेशन हो सके (मिनिस्टेरियो दा एग्रीकल्चर 2021).

ऐसी नीतियां, जो टिकाऊ उत्पादन प्रणालियों के माध्यम से आउटपुट में वृद्धि को बढ़ावा देती हैं, विकास को प्रोत्साहित कर सकती हैं और घरेलू राजनीतिक परिदृश्य को चिह्नित करने वाली धारणाओं और स्थितियों से परे ग्लोबल एग्रीकल्चर मार्केट में प्रभावी भागीदारी के माध्यम से आर्थिक प्रगति में मददगार हो सकती है.

सब-सहारन अफ्रीका में ट्रॉपिकल एग्रीकल्चर को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए, ब्राजील के साथ तुलना नए मार्ग और सफल केस स्टडी की तलाश में अंतर्दृष्टि प्रदान करेगी जो अफ्रीका में ट्रॉपिकल कृषि प्रणालियों की क्षमता के बारे में संशयवादियों की भविष्यवाणियों को ख़ारिज़ कर सकती है और ट्रॉपिकल अफ्रीका की गलत धारणाओं को दूर कर सकती है कि अफ्रीकन एक्सपोर्ट क्रॉप्स अंतर्राष्ट्रीय कृषि बाज़ार में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी हासिल नहीं कर सकतीं हैं.

टिकाऊ तरीक़े से पैदावार बढ़ाने के लिए मौज़ूदा समाधानों के प्रभावी प्रसार में भी कई चुनौतियां हैं. विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि ब्राज़ील में महत्वपूर्ण कमियों को अभी दूर किया जाना बाकी है, और यह सुनिश्चित करने के लिए कृषि नीति में सुधार की आवश्यकता है कि यह क्षेत्र प्राकृतिक पूंजी के स्थायी उपयोग की सुरक्षा करते हुए विकास को आगे बढ़ावा दे सकता है, रोज़गार पैदा कर सकता है और ग्रामीण परिवारों की आय में वृद्धि कर सकता है (विश्व बैंक 2017). स्थानीय उत्पादकों को व्यक्तिगत तकनीक़ी सहायता प्रदान करने में कठिनाई एक प्रमुख मुद्दा है, ख़ासकर छोटे और मध्यम स्तर के किसानों के लिए, जिनकी प्रॉफिटेबिलिटी  और बाज़ार पहुंच क्षमता बड़े उत्पादकों की तुलना में कम है. एक और चुनौती टिकाऊ समाधानों की लागत है, जिसके लिए ऋण और वित्तपोषण तक पहुंच की आवश्यकता होती है – एक ऐसी मांग जिसे केवल सीमित सार्वजनिक संसाधनों के माध्यम से पूरा नहीं किया जा सकता है.

इसलिए, इस संदर्भ में सफल समाधानों की पहचान करना और उनके स्थानांतरण के लिए आवश्यक शर्तों का आकलन करना, साथ ही आम स्थायी चुनौतियों का पता लगाना महत्वपूर्ण हो जाता है, जिन्हें संयुक्त रूप से अड्रेस किया जा सकता है.

2.जी20 की भूमिका

. सब-सहारन अफ्रीका (एसएसए) में ट्रॉपिकल कृषि के लिए ब्राजील के अनुभव और उसके वादों पर निर्माण अनुकूलनीय और मिटिगेशन टेकनीक़ सॉल्यूशन के उपयोग के माध्यम से उष्णकटिबंधीय उत्पादन प्रणालियों को टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल तरीक़े से बेहतर बनाया जा सकता है. उदाहरण के लिए, नई किस्मों से फसल की पैदावार में वृद्धि, पोषण सामग्री में सुधार, कीटों और बीमारियों के साथ-साथ प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढाया जा सकता है. सिंथेटिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने और ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन को कम करने के लिए क्रॉप-लाइवस्टॉक-फॉरेस्ट्री एकीकरण प्रणाली और जैविक इनपुट (यानी, इनोक्युलेंट्स और जैव कीटनाशक) जैसे इनोवेटिव अप्रोच दूसरे अहम फैक्टर्स हैं.

पिछले दो दशकों में ब्राज़ील एक वैश्विक कृषि महाशक्ति बन गया है. अच्छी बात यह है कि उत्पादन में ऐसी ऐतिहासिक वृद्धि अधिकतर खेती योग्य क्षेत्र के विस्तार के बजाय कृषि उत्पादन प्रणालियों में प्रौद्योगिकी के समावेश के कारण है. दरअसल, सार्वजनिक कृषि अनुसंधान में बड़े पैमाने पर निवेश ने सिस्टम, कल्टीवर्स और जैविक इनपुट के विकास और इसे अपनाने में योगदान दिया है, जिसने कुछ वस्तुओं (जैसे कसावा, कपास, मक्का, चावल, गन्ना और सोयाबीन) में ब्राजीलियन एग्रीकल्चर की प्रतिस्पर्धात्मकता  को बनाए रखा है. इस प्रकार ब्राजील ने एग्रीकल्चर ग्लोबल मार्केट में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है. ब्राजील आनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) सोयाबीन, मक्का और कपास के प्रमुख निर्यातकों में से एक है और साथ ही महत्वपूर्ण उत्पादन वृद्धि (यूएसडीए 2021) भी कर रहा है. संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) के अनुसार, 2022-2023 के फसल मौसम में 65 मिलियन हेक्टेयर में जीएम गुणों वाले पौधे रोपे जाने की उम्मीद है.  2019-2020 की फसल के दौरान  जीएम फसलों का कुल क्षेत्रफल 53 मिलियन हेक्टेयर से अधिक तक पहुंच गया. सोयाबीन को अपनाने की दर 96.3 प्रतिशत तक पहुंच गई. इसके बाद मक्का के लिए 91.8 प्रतिशत, मक्का के लिए 86.7 प्रतिशत और कपास के लिए 89.9 प्रतिशत तक पहुंच गई. ब्राज़ील ने बिना जुताई वाली खेती, क्रॉप-लाइवस्टॉक-फॉरेस्ट्री एकीकरण (आईएलपीएफ), और स्मार्ट इरिगेशन (पानी के तर्कसंगत उपयोग को बढ़ावा देना) जैसी कृषि पद्धतियों को भी लागू किया, जो अधिक कुशल और टिकाऊ उत्पादन में योगदान कर रहे हैं. देश में प्राप्त उपज में अंतर यह स्पष्ट करने के लिए काफी है कि सब-सहारन अफ्रीका (एसएसए) के ट्रॉपिकल क्षेत्रों में ऐसे समाधानों को अपनाने का रास्ता बनाना कितना महत्वपूर्ण है, जहां समान फसलों की कटाई की जाती है. इसका उद्देश्य घरेलू, क्षेत्रीय और महाद्वीपीय बाज़ारों में प्रतिस्पर्धात्मकता  हासिल करना है, जिसकी शुरुआत अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र से और बाद में विश्व बाज़ारों में होनी है.

बी. बायोटेक क्रॉप्स और दूसरे समाधानों के लाभों के बारे में जनता को सूचित करने के लिए एक विज्ञान-आधारित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च करना

जेनेटिकली रूप से संशोधित उष्णकटिबंधीय खाद्य वस्तुओं के डिमांड साइड को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि बायोइंजीनियरिंग द्वारा पेश किए गए वास्तविक अवसरों के बारे में वर्तमान आधिकारिक चर्चा मुख्य रूप से सार्वजनिक और निजी रिसर्च ख़र्च और जैव सुरक्षा नियामक ढांचे को लागू करने के माध्यम से सप्लाई साइड पर निर्भर करती है. अंतर्राष्ट्रीय अनुभवों से पता चलता है कि औद्योगिक और विकासशील देशों में बायोटेक फसलों के उपयोग से खाद्य सुरक्षा की स्थिति को मज़बूत करने के लिए बायोइंजीनियरिंग का वादा तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक कि बायोटेक खाद्य उत्पादों के आसपास स्वास्थ्य-जोख़िम की आशंकाओं को अच्छी तरह से अड्रेस नहीं कर लिया जाता है. अब तक, विकसित देशों में भी बायोटेक फसलों के उपयोग और रेग्युलेशन पर कोई सहमति नहीं बन पाई है. यद्यपि मानव उपभोग के लिए उनका उपयोग विश्व स्तर पर व्यापक है, प्रत्येक देश में उन्हें कैसे विनियमित और लेबल किया जाता है, इसमें कुछ अंतर देखा जा सकता है. उदाहरण के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) बायोटेक फसलों के प्रति अपने दृष्टिकोण में अधिक सतर्क रहा है, जो एहतियाती सिद्धांत पर आधारित है. उनकी मंज़ूरी के लिए नियामक ढांचा भी दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में अधिक प्रतिबंधात्मक है.

सब-सहारन अफ्रीका में  जैव प्रौद्योगिकी पर चर्चा के दौरान होने वाली ग़लत बयानी कृषि जैव प्रौद्योगिकी गतिविधियों तक फैली हुई है, क्योंकि आनुवांशिक रूप से इंजीनियर किए गए उत्पादों को अमीर देशों में भी कई तरह की विवादों का सामना करना पड़ता है. सब-सहारन अफ्रीका में ट्रॉपिकल क्षेत्रों में बायोटेक फसलों की बाज़ार स्वीकृति का समर्थन करना वाइडर अडॉप्शन रेट सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है. संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) के अनुसार, 2021 में ब्राजील में 50 मिलियन हेक्टेयर से अधिक बायोटेक फसलें लगाई गईं, जो दुनिया में काटे गए कुल फसल क्षेत्र का लगभग 30 प्रतिशत है.

जी 20 देश एक नेटवर्क का समर्थन कर सकते हैं, जिसमें एफएओ, इंटरनेशनल फूड एंड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई)  और अन्य समान विचारधारा वाले निकाय शामिल हैं, जो एक वैश्विक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को एक कुंजी के रूप में डिज़ाइन करने के लिए सतत कृषि के लिए 2030 एज़ेंडा द्वारा निर्देशित हैं और नीति निर्माताओं, कृषि शोधकर्ताओं, एक्सटेंशन प्रोफेशनल, किसानों और उपभोक्ताओं के बीच संबंध बनाने का ज़रिया हैं. इस मंच का उद्देश्य बायोटेक फसलों की सार्वजनिक धारणा, समझ और अडॉप्शन पर प्रभाव डालना है, जहां मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विज्ञान-आधारित जोख़िम मूल्यांकन साझा किए जाते हैं. यह टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देने, बायोटेक अनुसंधान में निवेश बढ़ाने और बायोटेक फसलों से संबंधित नीतिगत निर्णयों को लागू करने में भी मदद कर सकता है.

उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में जैव सुरक्षा पर कानूनी ढांचे को डिज़ाइन करने में सहायता करना

आमतौर पर यह माना जाता है कि एसएसए में जैव प्रौद्योगिकी नीति पर्यावरण का आकलन करना मुश्किल है  लेकिन ट्रॉपिकल अफ्रीकी देशों में कृषि अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) पर सार्वजनिक ख़र्च विशेष रूप से दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में सीमित है. ख़ासकर जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को लेकर यह कम है. इस संबंध में,  देशों को अत्याधुनिक अनुसंधान में शामिल करने और एकीकृत प्रणालियों, अडॉप्टिव सॉल्यूशन्स  (अनुकूली समाधानों) और बायोइंजीनियरिंग के सकारात्मक गुणों को एग्रीकल्चर लेवल पर लाने के प्रयास किए जाने की आवश्यकता है. यह तभी मिल सकता है औऱ संभव हो सकता है जब इन समाधानों को विनियमित और प्रबंधित करने के लिए सहायक नीतियां हों.

कृषि उत्पादकता में इन समाधानों के योगदान को मौज़ूदा नीति परिवेश और कानून की प्रकृति, महत्वपूर्ण जैव प्रौद्योगिकी सामग्री के साथ अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने वाले अनुसंधान संस्थानों और जैव सुरक्षा प्रक्रियाओं को नियंत्रित करने वाले सरकारी निकायों के अस्तित्व से जोड़ा जा सकता है. इस संदर्भ में, राष्ट्रीय जैव सुरक्षा फ्रेमवर्क (एनबीएफ) मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ कृषि और खाद्य उत्पादन में जैव प्रौद्योगिकी के सुरक्षित और ज़िम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं. ये जेनेटिकली इंजीनियर्ड कमोडिटीज में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए एक रूपरेखा भी प्रदान करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आयात या निर्यात जैव सुरक्षा नियमों का अच्छी तरह से पालन करते हैं. इसके अलावा एनबीएफ की अनुपस्थिति आनुवांशिक रूप से इंजीनियर उत्पादों का व्यावसायीकरण करने के इच्छुक अनुसंधान संस्थानों के लिए एक गंभीर बाधा भी है, क्योंकि उन्हें नियामक अधिकारियों से अनुमति लेने के लिए प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि आवेदन की प्रक्रियाएं कठिन होती हैं. अब तक, केवल कुछ देशों ने उष्णकटिबंधीय अफ्रीका में जैव सुरक्षा कानून लागू किया है  और यह ध्यान देने योग्य है कि इस क्षेत्र में जैव सुरक्षा के नियामक ढांचे को मज़बूत किया जाना चाहिए, ख़ासकर उन देशों में जहां आर्थिक विकास कृषि द्वारा संचालित हो रहा है.

जी20 बायोटेक फसलों के नियमन के लिए सामंजस्यपूर्ण दिशानिर्देश और मानक विकसित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ काम कर सकता है, जो अधिक स्थिरता और पारदर्शिता को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है. ट्रॉपिकल क्षेत्रों में अनुमोदन प्रक्रिया, जहां जैव प्रौद्योगिकी का वादा खाद्य सुरक्षा स्थिति का समर्थन करने और क्षेत्रीय और विश्व बाज़ारों में कृषि प्रतिस्पर्धात्मक  बढ़ाने में योगदान कर सकता है.

 सी. उष्णकटिबंधीय कृषि अनुसंधान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए निजी धन जुटाना

नए इनोवेशन और तकनीक़ी प्रगति, विशेष रूप से जैव प्रौद्योगिकी और ट्रॉपिकल क्षेत्रों में कृषि परिवर्तन के लिए, उनकी संभावनाओं को कृषि क्षेत्र में कम निवेश की वास्तविकता को बदलने की क्षमता रखने के रूप में पेश किया गया है. हालांकि  पिछले दशक के दौरान कोई बदलाव नहीं हुआ है, और कई अध्ययनों में यह तर्क दिया गया है कि कृषि में निजी अनुसंधान औद्योगिक और विकसित देशों में केंद्रित है जबकि अफ्रीका में अनुसंधान गतिविधियां उच्च मूल्य और निर्यात-उन्मुख ट्रॉपिकल फसलों/वस्तुओं पर केंद्रित हैं. राज्य, निजी क्षेत्र और शिक्षा जगत को शामिल करते हुए त्रिपक्षीय साझेदारियां विकसित करना – जैसे कि ब्राज़ील के मामले में – को भी उपरोक्त वित्तपोषण और तकनीक़ी सहायता गैप को अड्रेस करने की कुंजी के रूप में पहचाना गया है.

इसके अलावा  ट्रॉपिकल कृषि की ख़ास ज़रूरतों को भी अड्रेस करना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे समशीतोष्ण और समृद्ध देशों से अलग हैं. विकसित दुनिया में अनुसंधान-उन्मुख गतिविधियां ऐसे क्षेत्रों में कृषि पारिस्थितिकी प्रणालियों की विविधता, मिट्टी की उर्वरता और प्रबंधन तकनीक़ों की प्रकृति, स्थानीय कीटों के अस्तित्व और छोटे-छोटे कीटों की प्रधानता वाली खेती की स्थितियों के कारण ट्रॉपिकल देशों की ख़ास ज़रूरतों को पूरा नहीं करती हैं. स्केल फ़ैमिली सिस्टम उन क्षेत्रों में काम कर रहे हैं जहां सिंचित होने की संभावना कम है और इनपुट-गहनता कम है. उन्नत और समृद्ध देशों की कृषि प्रणालियों में इस तरह की असमानताओं के कारण समशीतोष्ण क्षेत्रों में अनुसंधान ट्रॉपिकल देशों पर लागू नहीं हो सकता है  और भले ही नई प्रौद्योगिकियां आसानी से प्रदान की जा सकती हैं, फिर भी उन्हें ट्रॉपिकल देशों में अपनाने के मुद्दों का अनुभव होगा.

इस संदर्भ में  जी20 देशों को वैश्विक अनुसंधान एवं विकास बाज़ार की ख़ामियों को दूर करने के लिए बुलाया गया है, जो साउथ में ख़राब सार्वजनिक व्यय और ट्रॉपिकल देशों में पैदा किए जाने वाले उत्पादों, जैसे कसावा और बाजरा, अन्य स्टार्च पर निजी संगठनों के सीमित हस्तक्षेप से चिह्नित हैं. जड़ वाली फसलें, और कंद, जिन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि वे ट्रॉपिकल क्षेत्रों में खाद्य असुरक्षा से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वाणिज्यिक वस्तुओं और सबसिस्टेंस क्रॉप (निर्वाह फसलों) दोनों के लिए कृषि उत्पादकता का समर्थन करने के लिए अफ्रीका में ट्रॉपिकल देशों को विकसित करने के लिए प्रस्तावित कई रिसर्च इनोवेशन के नॉन परफॉर्मेंस के कारण नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है. यह स्वीकार करते हुए कि उष्णकटिबंधीय कृषि में अनुसंधान एवं विकास के परिणाम वैश्विक हित के लिए फायदेमंद हो सकते हैं और अधिक सामाजिक और आर्थिक अवसर पैदा करते हैं, ब्राजील में अनुसंधान संस्थानों और जी20 देशों की चुनिंदा निजी बायोटेक कंपनियों के बीच एक संयुक्त कार्रवाई अनुसंधान एवं विकास बाज़ार की मौज़ूदा ख़ामियों को दूर करने में मदद कर सकती है, ऐसे में एसएसए में ट्रॉपिकल कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने की ज़रूरत है. इसका मतलब ट्रॉपिकल कृषि में निजी अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वित्त पोषित अनुसंधान कार्यक्रम को आगे बढाने की है, जो सामाजिक रूप से स्वीकार्य और अपनाने में आसान नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में शामिल होने की इच्छुक निजी कंपनियों को कई तरह से पुरस्कृत करता है.

चूंकि पारंपरिक और सार्वजनिक अनुसंधान प्रक्रियाओं में शायद ही कभी नई प्रौद्योगिकियों और उन्हें अपनाने के तौर-तरीक़ों का व्यावसायीकरण चरण शामिल होता है, इसलिए किसानों को उचित प्रौद्योगिकियों के प्रभावी हस्तांतरण की गारंटी देने के लिए व्यावसायीकरण में निवेश करने के लिए निजी कंपनियों के लिए प्रोत्साहन को बढ़ावा देना ज़रूरी है. इस संयुक्त वैश्विक कार्यक्रम में ब्राजील की निजी क्षेत्र की जैव प्रौद्योगिकी कंपनियां शामिल हो सकती हैं क्योंकि जिस प्रक्रिया के द्वारा जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान को क्षेत्र में व्यावसायिक अनुप्रयोगों में तब्दील किया जाता है, उसके लिए उद्योग की तुरंत भागीदारी की आवश्यकता होती है. इसमें किसानों के संगठनों और सहकारी समितियों के बीच क्षेत्र परीक्षण के लिए ट्रॉपिकल क्षेत्रों में स्थानीय जैव प्रौद्योगिकी संस्थानों के लिए भौतिक बुनियादी ढांचे के लिए समर्थन और उन संस्थानों को तकनीक़ी सहायता प्रदान करना भी शामिल है जो इन प्रौद्योगिकियों की विभिन्न गतिविधियों का प्रबंधन करने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकियों के उपयोग और विनियमन में स्थानीय विशेषज्ञता का निर्माण करते हैं जो स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा नीतियों के बारे में अनिश्चितता और निजी निवेश के लिए और अधिक प्रोत्साहन पैदा करता है.

3.जी20 को सिफ़ारिशें

प्रस्तावित ग्लोबल फ्रेमवर्क परस्पर जुड़े नीतिगत रास्तों की रूपरेखा तैयार करता है जो संरचनात्मक और आगामी चुनौतियों को कवर करते हैं जो कृषि परिवर्तन की गति में बाधा डालते हैं. इस ढांचे के लिए जी20 देशों से बायोइंजीनियरिंग में दशकों के अनुसंधान और ट्रॉपिकल कृषि की प्रतिस्पर्धात्मकता  बढ़ाने में इसके योगदान को आगे बढ़ाने के लिए एक मज़बूत प्रतिबद्धता की आवश्यकता है, जैसा कि ब्राजील के मामले में है. क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में हिस्सेदारी हासिल करने के लिए एसएसए में नकदी फसल कमोडिटी की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रसार, बायोटेक फसलें, उन्नत खेती और एकीकृत प्रणाली जैसे अडॉप्शन और मिटिगेशन सॉल्यूशन  प्राथमिकता हैं. ठीक इसी तरह  वैश्विक विज्ञान और साक्ष्य-आधारित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म लॉन्च करके नीति निर्माताओं, किसानों और उपभोक्ताओं के बीच हाई अडॉप्शन रेट सुनिश्चित करने के लिए इन आधुनिक तकनीक़ों के व्यापक लाभों और अवसरों को संप्रेषित करने के लिए एक बड़े अभियान की आवश्यकता है.

जी20 को आधुनिक प्रौद्योगिकियों के जैव सुरक्षा विनियमन और प्रबंधन को नियंत्रित करने वाले ठोस कानूनी ढांचे को डिजाइन करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करके ट्रॉपिकल एसएसए देशों में बायोटेक फसलों के विकास को प्रभावित करने वाली नीतियों में मौज़ूदा कमियों से निपटने के लिए भी कॉल किया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास बाज़ार की मौज़ूदा कमियों और एसएसए में ट्रॉपिकल देशों में कृषि उत्पादकता पर उनके नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिए इन प्रयासों में जी20 देशों के महत्वपूर्ण योगदान की आवश्यकता है. इसलिए  ट्रॉपिकल कृषि अनुसंधान आवश्यकताओं को पूरा करने की संभावना वाले निजी धन जुटाने के लिए निजी क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन बढ़ाने की ज़्यादा से ज़्यादा सिफ़ारिश की जाती है.


एट्रिब्यूशन: अहमद ओहनीनी एट अल, “समावेशी और सतत ट्रॉपिकल कृषि के लिए नीति मार्ग: ब्राजील और अफ्रीका के अनुभव,” टी20 पॉलिसी ब्रीफ, मई 2023


Bibliography

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