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ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के रक्षा बजट में बढ़ोतरी इरादे का संकेत तो देती है लेकिन वित्त के मामले में सीमित क्षमता ये तय कर सकती है कि भारत के साथ रणनीतिक अंतर को वो कितना भर सकता है.
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद व्यापक रूप से ये उम्मीद की जा रही थी कि पाकिस्तान के रक्षा बजट में बहुत ज़्यादा बढ़ोतरी होगी. पाकिस्तान की सेना ने भारत के ख़िलाफ़ इस छोटे, चार दिन के संघर्ष में अपनी जीत का नैरेटिव सफलतापूर्वक गढ़ा और उसे बेचा. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पाकिस्तान की सेना ने ख़ुद को लेकर राजनीतिक और सामाजिक रवैये को दुरुस्त किया. इसका ये मतलब था कि सेना के द्वारा राष्ट्रीय संसाधनों की बहुत अधिक खपत को लेकर बिना किसी गंभीर राजनीतिक विरोध या आलोचना के पाकिस्तान के सशस्त्र बल नाममात्र की नागरिक सरकार से अधिक फंड की मांग कर सकते थे.
वैसे तो पाकिस्तान के रक्षा बजट में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी बहुत ज़्यादा हैरान करने वाली नहीं है लेकिन जो बात चौंकाती है वो ये कि बढ़ोतरी उतनी ज़्यादा नहीं की गई जितनी अटकलें या उम्मीद लगाई जा रही थीं.
हालांकि, भारत के साथ संघर्ष ने रक्षा के मामले में पाकिस्तान की गंभीर खामियों को भी उजागर कर दिया. नए हथियार ख़रीदकर और नई तकनीकों में निवेश करके पाकिस्तान को न केवल अपनी रक्षा की कमज़ोरियों को दूर करना होगा बल्कि उसे अपने हथियारों के भंडार को फिर से भरना और नए सिरे से तैयार करना होगा. साथ ही भारत ने जो नुकसान पहुंचाया उसकी भरपाई भी करनी होगी. वैसे तो पाकिस्तान के रक्षा बजट में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी बहुत ज़्यादा हैरान करने वाली नहीं है लेकिन जो बात चौंकाती है वो ये कि बढ़ोतरी उतनी ज़्यादा नहीं की गई जितनी अटकलें या उम्मीद लगाई जा रही थीं.
वित्त वर्ष (FY) 2016-17 से 2025-26 तक 10 वर्षों के दौरान पाकिस्तान के रक्षा आवंटन की समीक्षा (तालिका 1 देखें) से कुछ दिलचस्प रुझान/आंकड़े सामने आते हैं. हालांकि एहतियात बरतना ज़रूरी है. रक्षा आवंटन बजट में की गई घोषणा के अनुसार होता है जिसमें रक्षा पेंशन शामिल नहीं होती है जिसका भुगतान आम बजट से किया जाता है. अगर रक्षा पेंशन को जोड़ दिया जाए तो रक्षा बजट में बढ़ोतरी 25-30 प्रतिशत होगी. रक्षा खर्च के दूसरे गुप्त पहलू- सहायक मद के तहत किए गए खर्च- भी इस विश्लेषण में शामिल नहीं किए गए हैं क्योंकि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचना से उनका आकलन करने का कोई तरीका नहीं है.
तालिका 1: पाकिस्तान का रक्षा बजट और रक्षा पेंशन (सभी आंकड़े अरब पाकिस्तानी रुपये में)
वर्ष | रक्षा बजट | रक्षा पेंशन |
2016-17 | 860,169 | 177,586 |
2017-18 | 920,166 | 180,152 |
2018-19 | 1,100,334 | 259,779 |
2019-20 | 1,152,535 | 327,088 |
2020-21 | 1,289,134 | 359,000 |
2021-22 | 1,370,000 | 360,000 |
2022-23 | 1,563,000 | 395,000 |
2023-24 | 1,804,000 | 563,000 |
2024-25 | 2,122,000 | 662,000 |
2025-26 | 2,550,000 | 742,000 |
स्रोत: विभिन्न वर्षों के बजट
पिछले 10 वर्षों के बजट को देखें तो ताज़ा बजट- यानी वित्त वर्ष 25-26- में पहली बार रक्षा बजट 9 अरब अमेरिकी डॉलर की रेखा को पार करेगा. हालांकि, इसके लिए अमेरिकी डॉलर की दर मौजूदा विनिमय दर पर स्थिर रहनी होगी. अगर पाकिस्तानी रुपये का मूल्य गिरता है, जिसकी उम्मीद की जा रही है, तो रक्षा बजट एक बार फिर 9 अरब अमेरिकी डॉलर के नीचे चला जाएगा. पिछले दशक में रक्षा बजट दो साल 7 अरब अमेरिकी डॉलर के नीचे चला गया था और आम तौर पर 8-9 अरब अमेरिकी डॉलर के इर्द-गिर्द था (तालिका 2 देखें). 9 अरब अमेरिकी डॉलर के बजट में से 3 अरब अमेरिकी डॉलर वेतन पर खर्च होगा, 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर परिचालन खर्च (25 प्रतिशत ज़्यादा) पर, 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर निर्माण कार्य एवं बुनियादी ढांचे पर (11.5 प्रतिशत ज़्यादा) और 2.4 अरब अमेरिकी डॉलर सैन्य ख़रीद (21 प्रतिशत ज़्यादा) पर. ध्यान देने की बात है कि वेतन पर खर्च केवल 3 प्रतिशत से थोड़ा ज़्यादा बढ़ा है जबकि सरकार ने वेतन में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी का एलान किया है और "अधिकारियों के मूल वेतन में 50 प्रतिशत जबकि जूनियर कमीशंड अधिकारियों (JCO)/सैनिकों के मूल वेतन में 20 प्रतिशत की दर से विशेष राहत भत्ता को मंज़ूरी दी है." स्पष्ट रूप से आंकड़े मेल नहीं खा रहे हैं.
पिछले 10 वर्षों के बजट को देखें तो ताज़ा बजट- यानी वित्त वर्ष 25-26- में पहली बार रक्षा बजट 9 अरब अमेरिकी डॉलर की रेखा को पार करेगा.
जहां तक बात सेना के अलग-अलग अंगों को आवंटन की है तो पाकिस्तान की थल सेना को रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा (46 प्रतिशत) मिलना जारी है. पाकिस्तान वायु सेना (PAF), जो भारत के साथ हाल की भिड़ंत में ज़्यादा सक्रिय रही है, को सिर्फ 20 प्रतिशत से थोड़ा अधिक मिला और नौसेना को लगभग 10 प्रतिशत. दिलचस्प बात ये है कि अंतर-सेवा संगठनों जैसे कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज़ इंटेलिजेंस (ISI) और प्रोपगैंडा संगठन इंटर-सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशंस (ISPR) को लगभग उतना ही पैसा मिलता है जितना PAF को. हालांकि ये समझा जा सकता है क्योंकि पाकिस्तान की हार के बावजूद ISPR जीत का नैरेटिव गढ़ने में बड़ी भूमिका निभाता है.
तालिका 2: अमेरिकी डॉलर में पाकिस्तान का रक्षा बजट में
वर्ष | रक्षा बजट (मिलियन पाकिस्तानी रुपया) | विनिमय दर पीकेआर: यूएस$ | रक्षा बजट (मिलियन अमेरिकी डॉलर) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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स्रोत: अलग-अलग वर्षों में पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स (PBS) के नेशनल अकाउंट्स के आंकड़े और
बजट दस्तावेज़. 2025-26 के लिए विनिमय दर वर्तमान दर पर ली गई है.
अप्रैल 2022 में इमरान ख़ान के सत्ता से बाहर होने के बाद पिछले चार वर्षों में रक्षा बजट में हर साल महत्वपूर्ण बढ़ोतरी हुई है. इमरान ख़ान की जगह पर एक गठबंधन सरकार आई जिसे पाकिस्तान की सेना का समर्थन था और दिखावे के लिए इसका नेतृत्व मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ कर रहे थे. इसने सेना के वफादारों और चाटुकारों से भरी एक कार्यवाहक सरकार का रास्ता साफ किया. फरवरी 2024 में चुनाव के बाद 2022 में इमरान ख़ान को सत्ता से बाहर करने वाला वही गठबंधन पाकिस्तानी सेना, जिसने चुनाव में खुलेआम धांधली की थी, के कंधे पर सवार होकर फिर से लौटा. 2022-23 में जहां रक्षा बजट में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई वहीं अगले साल इसमें 15.4 प्रतिशत का इज़ाफ़ा किया गया. उसके बाद 17.6 प्रतिशत की वृद्धि की गई और अब 20.2 प्रतिशत. दलील दी जा रही है कि वित्त वर्ष 25-26 में बढ़ोतरी कमोबेश अतीत के वर्षों की तरह ही है. लेकिन ये आंकड़े पाकिस्तान के सबसे ख़राब आर्थिक संकट के वर्षों- जब पाकिस्तान न सिर्फ डिफॉल्ट के कगार पर था बल्कि महंगाई बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत हो गई थी और ग़रीबी एवं बेरोज़गारी बढ़ रही थी. साथ ही पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ एक और संरचनात्मक समायोजन कार्यक्रम (स्ट्रक्चरल एडजस्टमेंट प्रोग्राम) में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा- के दौरान बढ़ गए थे.
तालिका 3: पाकिस्तान के रक्षा बजट में बढ़ोतरी और GDP के % के रूप में
वर्ष | रक्षा बजट में वृद्धि (%) | डिफ. बजट (संशोधित) वृद्धि (%) | सकल घरेलू उत्पाद के % के रूप में परिभाषित बजट | बजट के % के रूप में परिभाषित बजट | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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स्रोत: अलग-अलग वर्षों में पाकिस्तान के सालाना बजट के दस्तावेज जो https://finance.gov.pk से हासिल किए गए हैं. GDP (मार्केट प्राइस) के आंकड़े https://www.pbs.gov.pk/sites/default/files/tables/national_accounts/2024-25/Table_2.pdf से लिए गए हैं.
भले ही रक्षा बजट साल-दर-साल बहुत ज़्यादा बढ़ रहा है- पिछले पांच वर्षों में ये लगभग दोगुना हो गया है - लेकिन जब आंकड़ों को सापेक्ष रूप में देखा जाता है तो कहानी अधिक जटिल हो जाती है. पाकिस्तान के कुल सरकारी खर्च के प्रतिशत के रूप में रक्षा बजट में तीन साल बाद बढ़ोतरी हुई है लेकिन पिछले दशक के आख़िरी तीन वर्षों (जब ये लगभग 20 प्रतिशत के करीब था) की तुलना में ये अभी भी बहुत कम है (15 प्रतिशत से नीचे). यहां तक कि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के प्रतिशत के रूप में भी ये पिछले तीन वर्षों में 2 प्रतिशत के नीचे रहा है. हालांकि 2025 में ये 2 प्रतिशत की सीमा के पार जा सकता है. एक और दिलचस्प बात ये है कि पिछले दशक के दौरान वास्तविक रक्षा खर्च लगातार बजट आवंटन से अधिक रहा है.
जब पाकिस्तान की संघीय सरकार के द्वारा अर्जित राजस्व से तुलना की जाती है तो रक्षा खर्च का बोझ बहुत अधिक हो जाता है.
जब पाकिस्तान की संघीय सरकार के द्वारा अर्जित राजस्व से तुलना की जाती है तो रक्षा खर्च का बोझ बहुत अधिक हो जाता है. वैसे तो पिछले 10 वर्षों में ये संख्या पाकिस्तान के रक्षा खर्च से कम हुई है- शुद्ध राजस्व प्राप्ति के लगभग 40 प्रतिशत की तुलना में महज़ 20 प्रतिशत के आसपास- लेकिन कर्ज़ चुकाने के कारण सरकार के द्वारा अर्जित पूरा राजस्व ख़त्म हो जाता है. इसका अर्थ ये है कि वित्तीय स्थिति असहनीय होती जा रही है क्योंकि लगभग हर खर्च कर्ज़ पर हासिल फंड से किया जा रहा है. ये समस्या इस तथ्य से और जटिल हो जाती है कि वित्तीय मजबूरियों के कारण सरकार को अपने विकास के खर्च को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है जो बदले में वृद्धि दर पर असर डालता है. पाकिस्तान में कुछ आकलनों के अनुसार कम-से-कम अल्प अवधि में विकास खर्च का वित्तीय गुणक प्रभाव दो गुना होता है.
तालिका 4. संघीय सरकार के शुद्ध राजस्व के प्रतिशत के रूप में रक्षा खर्च
वर्ष |
शुद्ध राजस्व (बजट) के % के रूप में रक्षा बजट |
शुद्ध राजस्व (संशोधित/वास्तविक) के % के रूप में रक्षा बजट |
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स्रोत: अलग-अलग वर्षों में पाकिस्तान के सालाना बजट के दस्तावेज जो https://finance.gov.pk/ से हासिल किए गए हैं.
भारत के दृष्टिकोण से ये मानी हुई बात थी कि पाकिस्तान के रक्षा बजट में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी. फिर भी पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी- लगभग 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर- बहुत ज़्यादा नहीं है. भारत का अपना रक्षा बजट पाकिस्तान की तुलना में लगभग 10 गुना ज़्यादा है. वित्तीय रूप से भारत के सामने पाकिस्तान के जैसी मजबूरियां नहीं हैं क्योंकि पाकिस्तान IMF के कार्यक्रम के अधीन है. ये अलग बात है कि पाकिस्तान रक्षा पर खर्च हुए एक-एक रुपये का ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ उठाने का प्रयास करता है. पाकिस्तान अपनी सैन्य साजो-सामग्री का बड़ा हिस्सा चीन से हासिल करता है. इसका ये भी मतलब है कि वो भुगतान की उदार शर्तों पर चीन से सस्ते दाम पर नए हथियार ख़रीद सकता है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन से पाकिस्तान पांचवीं पीढ़ी का J-35 लड़ाकू विमान ख़रीदने के लिए तैयार है. चीन के सबसे बेहतरीन सिस्टम से पाकिस्तान अपनी हवाई सुरक्षा में सुधार भी कर रहा है.
यद्यपि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साफ तौर पर उजागर खामियों में सुधार करने और उन्हें दूर करने की पाकिस्तान की कोशिशों पर भारत कड़ी नज़र रख रहा है, फिर भी उसे अपने रक्षा खर्च की फिर से समीक्षा करनी चाहिए.
भारत, जिसे हर हाल में पाकिस्तान और पाकिस्तान के ताकतवर संरक्षक चीन का मुकाबला करना है, से हटकर पाकिस्तान पूरी तरह से भारत पर ध्यान रखता है. अपने पश्चिमी मोर्चे पर अफ़ग़ानिस्तान और ईरान के साथ पाकिस्तान की सुरक्षा चुनौतियां काफी हद तक गैर-पारंपरिक है. वैसे तो ये युद्ध थका देने वाले हैं लेकिन वो भारत के सामने मौजूद शत्रुता से भरे, उभरती महाशक्ति चीन को रोकने की चुनौती का कहीं से भी मुकाबला नहीं कर पाते हैं.
यद्यपि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान साफ तौर पर उजागर खामियों में सुधार करने और उन्हें दूर करने की पाकिस्तान की कोशिशों पर भारत कड़ी नज़र रख रहा है, फिर भी उसे अपने रक्षा खर्च की फिर से समीक्षा करनी चाहिए. दोनों देशों के रक्षा बजट में भारी अंतर पर विचार करते हुए इस तथ्य पर भी विचार करना चाहिए कि दस्तावेज़ों में भारत और पाकिस्तान की ताकत में उतना अंतर नहीं है जितना होना चाहिए. ऐसे में इसका समाधान तुरंत निकालने की आवश्यकता है. क्षमता और ताकत के मामले में अगर 10 गुना नहीं तो भारत को पाकिस्तान की तुलना में कम-से-कम चार से पांच गुना बड़ा होना चाहिए. इसके बाद भी चीन को रोकने के लिए भारत के पास पर्याप्त ताकत होनी चाहिए.
सुशांत सरीन ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में सीनियर फेलो हैं.
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Sushant Sareen is Senior Fellow at Observer Research Foundation. His published works include: Balochistan: Forgotten War, Forsaken People (Monograph, 2017) Corridor Calculus: China-Pakistan Economic Corridor & China’s comprador ...
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