भ्रष्टाचार से जुड़े सीसीपी के मुखपत्र
सीसीपी के मुखपत्र पीपुल्स डेली में प्रकाशित एक टिप्पणी ने नये नियमनों को इस बुनियाद पर जायज़ ठहराया कि पार्टी का मिशन लोगों की सेवा करना है, न कि ख़ास हित वाले समूहों की. आगे यह भी कहा गया कि कई उच्च-स्तरीय पदाधिकारी गैरक़ानूनी मुनाफ़ा बटोरने में अपने रिश्तेदारों की मदद कर रहे हैं, जिससे पार्टी की छवि को नुक़सान पहुंच रहा है. 17 जून को पोलित ब्यूरो की बैठक में, शी ने ज़ोर देकर कहा कि जब चीन भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक ‘ज़बरदस्त’ जीत के कगार पर है, इस चुनौती को पूरा करने के लिए ज़्यादा काम करने की ज़रूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित करना वक़्त की ज़रूरत है कि अधिकारी भ्रष्टाचार के जाल में न फंसें क्योंकि वे भ्रष्टाचार करने की ‘जुर्अत नहीं करते हैं, करने में सक्षम नहीं हैं, और करना भी नहीं चाहते हैं.’
कारकों के एक जटिल समुच्चय ने भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान को प्रभावित किया हो सकता है. यह एहसास लगातार बढ़ रहा है कि ऊंचे स्तर पर घूसखोरी की घटनाएं जनता को नाराज़ करती हैं और राजनीतिक वैधता को ख़तरे में डालती हैं. यह अभियान दूसरे सत्तावादी शासनों में घटित घटनाओं से भी प्रभावित हुआ है. 2011 में ट्यूनीशिया में स्थानीय प्राधिकारियों के साथ विवाद के बाद एक विक्रेता के ख़ुद को आग लगा लेने की घटना ने दो दशक पुराने, एक पार्टी के शासन को उलट दिया. भ्रष्टाचार और उच्च महंगाई दर ने आग में घी डालने का काम किया. इस उथल-पुथल से उठे झटकों की थरथराहट बाद में मिस्र और लीबिया पहुंची, जहां हुस्नी मुबारक और मुअम्मर गद्दाफ़ी के एकल पार्टी शासन को उखाड़ फेंका गया. इस घटना ने सीरिया में बशर अल-असद के ख़िलाफ़ विद्रोह की चिनगारी भड़का दी और मध्य पूर्व में राजनीतिक उथल-पुथल खड़ी कर दी. ख़ुद को अनुकूलित करने वाले सत्तावादी शासन (जो दूसरे निरंकुश राज्यों का लगातार अध्ययन करता है और अपने को बचाये रखने की रणनीति का पुनर्निर्धारण करता है) के बतौर, 2012 में शी ने जब पद संभाला तो वित्तीय भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बाहर करना उनकी शुरुआती पहलक़दमियों में से एक था.
शिनजियांग प्रांत और हांगकांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आलोक में, अमेरिका ने सीसीपी के अभिजात वर्ग की देश में मौजूद परिसंपत्तियों को ज़ब्त करने की कोशिश की है.
महत्वपूर्ण यह है कि, नये दिशानिर्देश सीसीपी की राष्ट्रीय कांग्रेस से पहले लाये जा रहे हैं, जो सत्ता हस्तांतरण का गवाह बनने वाली है. शी को अभूतपूर्व ढंग से तीसरा कार्यकाल मिलने की उम्मीद है, लेकिन नये नेता अपने पूर्ववर्तियों द्वारा ख़ाली किये गये पदों को भरेंगे.
जीरो-कोविड रणनीति के आर्थिक प्रभाव और शी द्वारा अपने कार्यकाल को लंबा किये जाने से कुछ पदाधिकारियों की राजनीतिक महत्वाकांक्षा अचानक टूटने के कारण सीसीपी के एक तबक़े में शी के ख़िलाफ़ नाराज़गी को देखते हुए, ऐसे नियमन उन्हें चीन में नये अभिजात वर्ग पर पकड़ प्रदान करेंगे.
एक और कारक जिसने सीसीपी को अपने पथभ्रष्ट कैडरों पर लगाम कसने के लिए मज़बूर किया हो सकता है, वह है पश्चिम के साथ जारी उसका तनाव. सीसीपी पदाधिकारियों के रिश्तेदार परिसंपत्तियां रखने के वास्ते विदेश स्थित कंपनियों का इस्तेमाल करने के लिए जाने जाते हैं. ‘खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम’ की एक रिपोर्ट ने माओत्से तुंग के रिश्तेदारों, शी जिनपिंग के ब्रदर-इन-लॉ, और पूर्व सीसीपी महासचिव हू याओबांग को विदेश में वाणिज्यिक गतिविधियों से जोड़ा जिसका प्रबंधन क़ानूनी फर्म मोसैक फोनेस्का एंड कंपनी के ज़रिये किया जाता था. ये चीन के अभिजात वर्ग को अमेरिकी प्रतिबंधों के ख़तरे की ज़द में लाते हैं. शिनजियांग प्रांत और हांगकांग में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आलोक में, अमेरिका ने सीसीपी के अभिजात वर्ग की देश में मौजूद परिसंपत्तियों को ज़ब्त करने की कोशिश की है. हाल के समय में, सीसीपी पोलित ब्यूरो के एक सदस्य वांग चेन और शिनजियांग के पार्टी प्रमुख चेन क्वानगुओ इस तरह की कार्रवाई के निशाने पर हैं. पार्टी सदस्यों के लिए सत्यनिष्ठा संबंधी नये नियमन भविष्य में ज़्यादा कठोर अमेरिकी प्रतिबंधों के समक्ष गार्ड रेल जैसे हैं.
भ्रष्टाचार को विशुद्ध रूप से सामाजिक बुराई के रूप में देखने की सीसीपी की सोच में बड़ा पुनर्मूल्यांकन हुआ प्रतीत होता है. यह चिंता बनी हुई है कि जैसा गु कैलाई के मामले में हुआ, इन्सानी लालच विदेशी ख़ुफ़िया एजेंसियों को चीन के राजनीतिक तंत्र के बिल्कुल अंदर तक पहुंच हासिल करना आसान बना सकता है और उसे भीतर से अस्थिर कर सकता है.
भ्रष्टाचार को लेकर सीसीपी की सोच में बड़ा पुनर्मूल्यांकन
अंत में, और ज़्यादा अहम बात यह है कि, 2012 की पार्टी कांग्रेस से पहले की घटनाएं इन नये शुचिता नियमनों में एक बड़ा कारक बनी लगती हैं. चोंगक्विंग के पुलिस प्रमुख वांग लिजुन ने पोलित ब्यूरो सदस्य बो जिलाई को रिपोर्ट किया कि ब्रिटिश कारोबारी नील हेवुड को ज़हर दिये जाने में जिलाई की पत्नी का हाथ है. इससे उपजे विवाद ने वांग को चांगदू स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास में शरण मांगने पर मजबूर किया. चूंकि अमेरिका और चीन में तब अपेक्षाकृत सौहार्दपूर्ण संबंध थे, जिसने यह सुनिश्चित किया कि वांग को चीनी अधिकारियों को वापस सौंप दिया गया. मीडिया रिपोर्टों ने यह खुलासा किया कि हेवुड पश्चिमी कॉरपोरेट्स और सीसीपी के सत्ताधारी अभिजात वर्ग के बीच बिचौलिये की भूमिका में था. लेकिन सीसीपी की बेचैनी बढ़ाते हुए, मीडिया खुलासों ने हेवुड का संपर्क ब्रिटिश ख़ुफ़िया एजेंसी से जोड़ा. हालांकि, ब्रिटिश सरकार ने उसके सीक्रेट सर्विस में काम करने की बात से इनकार किया. हाल के वर्षों में, चीन और अमेरिका के संबंध ख़राब हुए हैं. शी ने चेताया कि चीन ‘अपने इतिहास में सबसे जटिल आंतरिक और बाह्य कारकों’ का सामना कर रहा है, और ये चुनौतियां ‘आपस में गुंथी हुई और एक दूसरे को सक्रिय करने वाली हैं.’ सीसीपी को डर है कि पश्चिमी शक्तियां देश में शासन परिवर्तन को उकसा सकती हैं. इस पृष्ठभूमि के मद्देनज़र, भ्रष्टाचार को विशुद्ध रूप से सामाजिक बुराई के रूप में देखने की सीसीपी की सोच में बड़ा पुनर्मूल्यांकन हुआ प्रतीत होता है. यह चिंता बनी हुई है कि जैसा गु कैलाई के मामले में हुआ, इन्सानी लालच विदेशी ख़ुफ़िया एजेंसियों को चीन के राजनीतिक तंत्र के बिल्कुल अंदर तक पहुंच हासिल करना आसान बना सकता है और उसे भीतर से अस्थिर कर सकता है. इस तरह, पार्टी सदस्यों के लिए ये शुचिता मानदंड चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा में मौजूद एक बड़े सुराख़ को भरने की कोशिश करते हैं.
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