Published on Sep 19, 2022 Updated 25 Days ago

मंकीपॉक्स को और अधिक फैलने से रोकने के लिए ज़्यादा समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की ज़रूरत है.

मंकीपॉक्स का प्रकोप: कितने तैयार हैं हम?

प्रस्तावना

वर्तमान में मंकीपॉक्स वायरस का सबसे बड़ा ज्ञात प्रकोप चल रहा है. 13 मई 2022 और 05 सितंबर 2022 के बीच 53,000 से अधिक मामले और 15 मौतें सामने आ चुकी हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को ‘अंतरराष्ट्रीय चिंता वाला सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल’ (पीएचईआईसी) घोषित किया. 100 देशों में मामलों की पहचान की गयी है, जिनमें से कई में इस बीमारी का प्रकोप पहली बार देखने को मिल रहा है. भारत में 5 सितंबर 2022 तक 11 मामले और एक मौत सामने आ चुकी है. भले ही सामने आने वाले दैनिक मामलों की औसत संख्या घट रही है, पर मरीज़ों की वैश्विक संख्या अब भी ऊपर जा रही है. मौजूदा हालात में, जांच सीमित है (चाहे जांच तक पहुंच हो या फिर जांच कराने की तत्परता), टीके हैं लेकिन उनके बहुत जल्दी उपलब्ध होने की संभावना नहीं है, तथा एंटीवायरल जैसी दवाओं को अब भी मंज़ूरी मिलनी बाकी है और ये बड़े पैमाने पर उपलब्ध नहीं हैं. भारत में, वीआरडीएल (वायरस रिसर्च एंड डायग्नोस्टिक लैबोरेट्रीज) नेटवर्क मंकीपॉक्स के लिए मॉलिक्युलर टेस्ट कर रहा है, जिसके बाद पुष्टि के लिए सैंपल पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) भेजे जाते हैं.

प्रसार और उपचार

मंकीपॉक्स मोटे तौर पर स्व-सीमित बीमारी (बिना इलाज के ठीक हो जाने वाली बीमारी) है और ज़्यादातर, संक्रमित व्यक्ति या पशु से निकट अंतरंग संपर्क के ज़रिये फैलती है. यह मनुष्यों और पशुओं दोनों को संक्रमित करती हैमनुष्य/पशु से पशु को, और पशु से मनुष्य को प्रसार सामने आ चुका है. कष्टकारी चकत्ते (रैशेज) उभरने से पहले, संक्रमित लोगों में कई तरह के लक्षण हो सकते हैं जैसे बुख़ार, दर्द और थकान. इन चकत्तों की संख्या, पैटर्न और उनके निकलने की जगह में भिन्नता हो सकती है. मौजूदा प्रकोप में, बहुसंख्य मरीज़ों में चकत्ते दिखे हैं, लेकिन कुछ को बुख़ार कभी नहीं आया. चकत्ते हाथों, चेहरे, पैरों, मुंह, और गुदा व जननांगों पर या उनके आसपास समेत शरीर के विभिन्न हिस्सों पर निकल सकते हैं. ठीक होने में दो से चार हफ़्ते का समय लगता है, हालांकि लोग तब तक संक्रामक रह सकते हैं जब तक कि चकत्तों की पपड़ी सूख कर गिरती रहती है.

मंकीपॉक्स मोटे तौर पर स्व-सीमित बीमारी (बिना इलाज के ठीक हो जाने वाली बीमारी) है और ज़्यादातर, संक्रमित व्यक्ति या पशु से निकट अंतरंग संपर्क के ज़रिये फैलती है. यह मनुष्यों और पशुओं दोनों को संक्रमित करती है

मंकीपॉक्स, पॉक्सवायरस परिवार का एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है, जिसके दो क्लेड्स (एक ही पूर्वज से निकली शाखाएं) हैं – क्लेड I और क्लेड II. ये क्लेड, क्रमश:, मध्य एशिया और पश्चिम अफ्रीका के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं. इस बीमारी के प्रकोप का ऐतिहासिक डाटा बताता है कि क्लेड II के मुक़ाबले क्लेड I ज़्यादा फैलता है और ज़्यादा गंभीर भी है. मौजूदा प्रकोप के जीनोम ‘सब-क्लेड IIb’ से ताल्लुक़ रखते हैं.

बीते कई दशकों से, मंकीपॉक्स को एक संभावित जैविक ख़तरा समझा जाता रहा है, और इसके लिए टीके व एंटीवायरल विकसित किये गये हैं, जिसकी अगुवाई अमेरिका में हुई पहलों द्वारा हुई. मंकीपॉक्स, स्मॉलपॉक्स वायरस (वैरिओला वायरस) से संबंधित है, लेकिन इसका प्रसार अपेक्षाकृत कम है और यह स्मॉलपॉक्स से कम गंभीर भी है. 1970 के दशक में स्मॉलपॉक्स के उन्मूलन प्रयासों के दौरान, यह पाया गया कि स्मॉलपॉक्स वैक्सीन संबंधित बीमारियों मंकीपॉक्स (पर्यवेक्षण अध्ययनों से 85 प्रतिशत) और काउपॉक्स को रोकती है. यह संभव है कि जिन लोगों को स्मॉलपॉक्स (1980 में इसके उन्मूलन से पहले) का टीका लगा था उन्हें मंकीपॉक्स से कुछ सुरक्षा मिलेगी. हालांकि, यह किस स्तर का ‘क्रॉस-प्रोटेक्शन’ प्रदान करेगा, यह अस्पष्ट बना हुआ है. मंकीपॉक्स वेरिसेला/चिकेनपॉक्स/शिंगल्स बीमारी पैदा करने वाले वेरिसेला-ज़ोस्टर वायरस (ह्यूमन अल्फावायरस 3) से संबंधित नहीं है, भले ही चकत्तों का रंग-रूप और दूसरे लक्षण मिलते-जुलते हो सकते हैं. दोनों ही डीएनए वायरस हैं, लेकिन जीवन वृक्ष में एक-दूसरे से इतने दूर हैं कि क्रॉस-प्रोटेक्शन प्रदान नहीं कर सकते.

इम्वैनेक्स (बैवेरियन नॉर्डिक द्वारा निर्मित, जिसे अमेरिका में जिनियोस कहा जाता है) तीसरी पीढ़ी की स्मॉलपॉक्स वैक्सीन है, जिसके साइड इफेक्ट कम हैं. इसे बहुत असाधारण परिस्थितियों के तहत मंकीपॉक्स के ख़िलाफ़ इस्तेमाल के लिए मंज़ूरी दी गयी है, क्योंकि बीमारी की दुर्लभ प्रकृति के चलते इस वैक्सीन के बारे में कुछ सूचनाएं केवल गैर-मानव अध्ययनों से उपलब्ध हैं. पुरानी पीढ़ी की स्मॉलपॉक्स वैक्सीन्स की तुलना में अपेक्षाकृत अनुकूल सेफ्टी प्रोफाइल को देखते हुए, मौजूदा प्रकोप में यह पसंदीदा वैक्सीन है.

अमेरिका में, सीडीसी ने उन लैबोरेट्री कर्मियों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ‘बीमारी के संपर्क में आने से पहले निरोधक उपायों’ की सिफ़ारिश की है, जो मंकीपॉक्स या संबंधित वायरसों का इस्तेमाल करते हुए अनुसंधान कार्यों या बीमारी की जांच में लगे हैं.

वैश्विक वैक्सीन उपलब्धता के लिहाज़ से, डब्ल्यूएचओ के पास तीसरी पीढ़ी की स्मॉलपॉक्स वैक्सीन्स के स्टॉक जिनेवा और नीदरलैंड में हैं. इसके अलावा पुरानी पीढ़ी की कुछ वैक्सीन्स भी हैं. अमेरिका के पास जिनियोस का सबसे बड़ा जख़ीरा (दो करोड़ ख़ुराक) था, लेकिन ज़्यादातर एक्सपायर हो गयीं और उनकी जगह नयी नहीं लायी गयीं. अमेरिका 20 लाख ख़ुराकों का ऑर्डर दे चुका है जो 2022 में उपलब्ध होंगी. यूरोपीय संघ भी ‘हेल्थ इमरजेंसी प्रीपेरेडनेस एंड रिस्पॉन्स’ (एचईआरए) के ज़रिये इम्वैनेक्स की एक लाख से ज़्यादा ख़ुराक के लिए ऑर्डर दे चुका है, इसका मक़सद स्टॉक सुनिश्चित करना और सदस्य राष्ट्रों तथा नॉर्वे व आइसलैंड की ज़रूरतों के आधार पर वितरण की अनुमति देना है.

हालांकि, प्रसार और बीमारी की प्रकृति (उच्च प्रसार, निम्न मृत्यु दर) तथा वैक्सीन की किल्लत को देखते हुए, व्यापक टीकाकरण की सिफ़ारिश नहीं की जाती. अमेरिका में, सीडीसी ने उन लैबोरेट्री कर्मियों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए ‘बीमारी के संपर्क में आने से पहले निरोधक उपायों’ की सिफ़ारिश की है, जो मंकीपॉक्स या संबंधित वायरसों का इस्तेमाल करते हुए अनुसंधान कार्यों या बीमारी की जांच में लगे हैं. यूरोप में कुछ दूसरी एजेंसियों ने उच्च जोखिम वाले समूहों, ख़ासकर समलैंगिकों और स्वास्थ्य कर्मियों के टीकाकरण की सिफ़ारिश की है. अमेरिकी सीडीसी और यूरोपीय सीडीसी ने बीमारी का फैलाव रोकने या उसकी गंभीरता कम करने के उपाय के रूप में बीमारी/वायरस के संपर्क में आने के बाद स्मॉलपॉक्स वैक्सीन दिये जाने की सिफ़ारिश की है. 

मौजूदा प्रकोप कई कारणों से ध्यान दिये जाने योग्य है: इस वायरस के शरीर में पलते रहने की अवधि लंबी है, और इसके संपर्क में आने के तीन हफ़्ते बाद भी लक्षण उभर सकते हैं; वायरल शेडिंग की अवधि लंबी है, लिहाज़ा संक्रामकता की अवधि भी ज़्यादा (1-3 हफ़्ते) है

मंकीपॉक्स का चिकित्सकीय प्रबंधन इसके लक्षणों के प्रभाव को कम करने और जटिलताओं को रोकने पर केंद्रित है. स्मॉलपॉक्स के इलाज के लिए विकसित कम से कम ऐसे दो एंटीवायरल (एफडीए से स्वीकृत) हैं, जिन पर मंकीपॉक्स के इलाज के लिए विचार हो रहा है. अमेरिकी सीडीसी द्वारा मंकीपॉक्स के लिए टेकोविरिमैट (उर्फ़ टीपॉक्स) पर ‘एक्सपैंडेड एक्सेस इन्वेस्टिगेशनल न्यू ड्रग प्रोटोकॉल’ में विचार किया जा रहा है, और पशुओं पर हुए अध्ययनों के नतीजों के आधार पर मंकीपॉक्स के ख़िलाफ़ इसके इस्तेमाल के लिए 2022 में यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) द्वारा लाइसेंस दिया जा चुका है. इसके इस्तेमाल का कुछ केस स्टडीज में दस्तावेजीकरण किया गया है. दूसरा एंटीवायरल ब्रिंकिडोफोविर है जिसे मंकीपॉक्स के उपचार में इस्तेमाल किया गया है. इन दवाओं के और मूल्यांकन के लिए अमेरिका और ब्रिटेन दोनों देशों में अभी बृहत् अध्ययनों की तैयारी की जा रही है. वर्तमान में, इन एंटीवायरल दवाओं की उपलब्धता सीमित है.

निष्कर्ष

मौजूदा प्रकोप कई कारणों से ध्यान दिये जाने योग्य है: इस वायरस के शरीर में पलते रहने की अवधि लंबी है, और इसके संपर्क में आने के तीन हफ़्ते बाद भी लक्षण उभर सकते हैं; वायरल शेडिंग की अवधि लंबी है, लिहाज़ा संक्रामकता की अवधि भी ज़्यादा (1-3 हफ़्ते) है; लोग जांच कराने के अनिच्छुक हैं या जांच तक पहुंच नहीं है; बीमारी के ऐसे लक्षण जो चिकित्सा कर्मियों के लिए जाने-पहचाने नहीं हैं; टीकों और एंटीवायरल दवाओं की कमी; और नवजातों, बच्चों व कम इम्युनिटी वाले लोगों में बीमारी के गंभीर रूप लेने का जोखिम.

हाल में, मंकीपॉक्स वायरस के डीएनए कई देशों (अमेरिका, नीदरलैंड, इटली और फ्रांस) में अपशिष्ट जल में मिले हैं. संक्रमित व्यक्तियों/पशुओं के सरोगेट के रूप में अपशिष्ट जल में वायरस की मात्रा पर नज़र रख पाने की क्षमता, बीमारी के प्रकोप पर नज़र रख पाने का एक तरीक़ा है.

अभी मुख्य चिंता पता-नहीं-लग-पाने-वाले स्थानीय प्रकोप को लेकर है, जो पता लग पाने से पहले प्रकोप को बढ़ा देता है और बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है. यह बीमारी का दायरा सीमित रखना कठिन बना देगा. वायरस के गुणों में बदलाव (ऐतिहासिक प्रकोपों की तुलना में) के साथ ही साथ संक्रमित व्यक्तियों का व्यवहार मौजूदा प्रकोप की दिशा को प्रभावित करेगा. इसलिए, समुचित ढंग से संदेशों को लोगों तक पहुंचाना और प्रकोप पर लगातार निगरानी अत्यावश्यक है.

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