सारांश
डिजिटल व्यापार (सीमाओं के आर-पार सेवाओं की आपूर्ति समेत) G20 समूह के भीतर की विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. ऐसे देश अब तक तेज़ रफ़्तार डिजिटलीकरण का फ़ायदा नहीं उठा सके हैं. सीमा पार डेटा प्रवाहों (CBDF) को लेकर एक ही वक़्त पर प्रशासनिक रूप से अलग-अलग दृष्टिकोण मौजूद हैं. ऐसे में सूचना के क्षेत्र में मौजूद भारी-भरकम अंतर और नियामक ढांचों में बढ़ती भिन्नताएं डिजिटल व्यापार के रास्ते में बड़ी बाधा बनकर खड़ी हैं.
इस पॉलिसी ब्रीफ में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौजूद नियामक ढांचों की पड़ताल की गई है. साथ ही G20 अर्थव्यवस्थाओं से एक केंद्रीकृत डिजिटल विनियमन और सूचना भंडार (DRIR) की संरचना और स्थापना की दिशा में काम करने का प्रस्ताव किया गया है. इसमें अलग-अलग न्यायिक क्षेत्राधिकारों (jurisdictions) में CBDF को नियंत्रित करने वाली नियामक व्यवस्थाओं और संस्थागत ढांचों की जानकारी शामिल की जानी चाहिए. DRIR ना केवल पारदर्शिता और सूचना साझा करने की क़वायदों को आगे बढ़ाएगा, बल्कि एक सफल और समावेशी नियामक ढांचे के प्रति आम सहमति बनाने के अवसर के तौर पर भी काम करेगा. इसके अलावा यह भविष्य के व्यापार और डिजिटल समझौतों से जुड़ी वार्ताओं और अर्थव्यवस्थाओं को आवश्यक नीति और नियामक सुधारों की जानकारी देने वाला बेशक़ीमती उपकरण भी साबित हो सकता है.
1.चुनौती
दुनिया भर में डिजिटल व्यापार, हाल के वर्षों में आर्थिक वृद्धि और विकास के एक अहम चालक के रूप में उभरा है. एशिया और प्रशांत क्षेत्र इसका अपवाद नहीं है. डिजिटल टेक्नोलॉजियों के व्यापक उपयोग से डिजिटल व्यापार की वृद्धि को हवा मिली है. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों, सोशल मीडिया और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी प्रौद्योगिकियों ने कंपनियों को दुनिया भर में फैले उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाया है. इनसे सीमाओं के आर-पार डिजिटल उत्पादों और सेवाओं के आदान-प्रदान की सुविधा मिली है.[i]
चित्र 1: डिजिटल सेवाओं के व्यापार से जुड़े रुझान (2005-2021)
डिजिटल सेवा व्यापार तेज़ गति से आगे बढ़ रहा है. इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार वाली ऐसी सभी सेवाएं शामिल हैं जिनका डिजिटल रूप से ऑर्डर या वितरण किया जाता है.a,[ii] 2005 और 2021 के बीच वैश्विक स्तर पर डिजिटल सेवाओं में व्यापार लगभग चौगुना हो गया. इसका आकार 1.8 खरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 7 खरब अमेरिकी डॉलर हो गया (चित्र 1 देखें). कोविड-19 महामारी के बावजूद डिजिटल सेवा व्यापार ने लचीलापन दिखाया है. वैश्विक रूप से साल 2021 में इस क्षेत्र में 11.4 प्रतिशत का मज़बूत उछाल देखा गया. वैश्विक डिजिटल सेवा व्यापार में यूरोप, एशिया और प्रशांत क्षेत्र का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा है.
डिजिटल व्यापार के लिए सीमाओं के आर-पार डेटा को बेरोकटोक स्थानांतरित करने की क्षमता बेहद अहम है. ख़ासतौर से डिजिटल सेवाओं के व्यापार[iii],[iv] के संदर्भ में ये क्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण है. इनमें ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट शामिल हैं. डेटा प्रवाह, कंपनियों को वैश्विक बाज़ारों तक पहुंच बनाने, भागीदारों और आपूर्तिकर्ताओं के साथ सहभागिता करने और दुनिया भर में फैले उपभोक्ताओं को अनुकूलित सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाता है.
बहरहाल, एशिया में डेटा प्रवाह के रास्ते में पाबंदियों की दीवारें ऊंची हैं और यहां इसमें ज़्यादा रोकटोक दिखाई देती है. एशियाई अर्थव्यवस्थाओं द्वारा डेटा स्थानीयकरण उपायों का अनुपात दुनिया के बाक़ी हिस्सों के मुक़ाबले बड़ा (कुल हिस्से में क़रीब 70 प्रतिशत) है. जहां तक स्थानीय भंडारण आवश्यकताओं का सवाल है, इसमें एशिया का हिस्सा अपेक्षाकृत छोटा है. सशर्त प्रवाह व्यवस्थाएं ज़्यादा प्रचलित हैं. फिर भी यूरोप और लैटिन अमेरिका की तुलना में एशिया में सशर्त प्रवाह प्रशासनों का अनुपात अपेक्षाकृत मामूली है.[v]
तमाम देशों में प्रशासनिक योजनाओं के साथ-साथ क़ानूनी और नियामक वातावरण की प्रकृति विषम है. इससे इन क़वायदों में जटिलता की एक और परत आ गई है. इंटर-ऑपरेबल डिजिटल मानकों के निरंतर विकास और स्वीकार्यता के रास्ते में अनेक रुकावटें हैं. इन बाधाओं में डेटा प्रवाहों पर घरेलू विनियमों का विखंडन, राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद संस्थागत तंत्रों पर साझा जानकारी का अभाव (मसलन श्रृंखला और सहायक मंत्रालयों के साथ-साथ समन्वय में श्रम का विभाजन) और डिजिटल व्यापार नियमों के प्रयोग से जुड़े तौर-तरीक़ों के बारे में मौजूद अनिश्चितताएं प्रमुख हैं.[vi]
फ़िलहाल, बहुपक्षीय संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा डेटा संग्रह की क़वायद डिजिटल व्यापार मसलों (मसलन, डिजिटल व्यापार भंडार) में साझा हितों की पहचान करने, घरेलू विनियमों (जैसे डिजिटल व्यापार एकीकरण डेटाबेस) का ख़ाका तैयार करने और व्यापार समझौतों (इलेक्ट्रॉनिक-कॉमर्स और डेटा पर व्यापार समझौतों से जुड़े प्रावधान यानी TAPED, डेटाबेस) में डिजिटल व्यापार से संबंधित क़ानूनी प्रावधानों को ख़त्म करने पर है.
सीमा पार डेटा प्रवाह नियमों की निगरानी करने वाले मौजूदा कार्यक्रम
कई कार्यक्रम अब डिजिटल नियमों पर अधिक विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं. इनमें सीमा पार डेटा प्रवाह (CBDF) भी शामिल है. इनसे डिजिटल नियामक परिदृश्य को लेकर नीति निर्माताओं की समझ में काफी हद तक सुधार आया है.b इस संबंध में तीन प्रमुख पहल टेबल 1 में प्रदर्शित की गई हैं.
टेबल 1: डिजिटल व्यापार उपायों पर ओपन–एक्सेस डेटाबेसों का ब्योरा
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डिजिटल व्यापार भंडार |
डिजिटल व्यापार एकीकरण डेटाबेस |
इलेक्ट्रॉनिक–कॉमर्स और डेटा पर व्यापार समझौते के प्रावधान |
मेज़बान |
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन |
यूरोपीय विश्वविद्यालय संस्थान |
ल्यूसर्न विश्वविद्यालय |
जारी होने की तारीख़ |
अक्टूबर 2020 तक तरोताज़ा |
अक्टूबर 2022 |
जुलाई 2021 (तरोताज़ा नवंबर 2022) |
कवरेज |
WTO के 163 सदस्य, WTO के 25 पर्यवेक्षक, और 4 ग़ैर-पर्यवेक्षक |
100 देश |
साल 2000 से अब तक 370 से ज़्यादा वरीयता-प्राप्त व्यापार समझौते संपन्न हुए हैं |
उपाय |
12 व्यापक नीति क्षेत्र, और 27 विशिष्ट क्षेत्र |
कुल 65 संकेतकों के साथ 12 स्तंभ |
कुल 114 प्रतिबद्धताओं के साथ 5 स्तंभ |
डिजिटल व्यापार भंडार WTO के पूरक क्षेत्रों के लिए डिजिटल व्यापार पर नियमों, सिद्धांतों और मानकों की एक श्रृंखला का ब्योरा देता है.[vii] सूचना के प्रवाह पर ये भंडार इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सूचना के सीमा पार हस्तांतरण और स्थानीय भंडारण आवश्यकताओं की पड़ताल करता है. इनमें कंप्यूटिंग सुविधाओं का स्थान और वित्तीय कंप्यूटिंग सुविधाओं का स्थान शामिल है. इसमें डेटा प्रवाह को बढ़ावा देने और डेटा गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए बहुपक्षीय समझौतों की जानकारी भी शामिल होती है. इस कड़ी में CBDF और स्थानीय भंडारण आवश्यकताओं पर प्रावधान वाले क्षेत्रीय व्यापार समझौते शामिल हैं.c
TAPED डिजिटल व्यापार प्रशासन में विकास की टोह लगाता है.[viii] डेटा प्रवाह के क्षेत्र में यह ई-कॉमर्स/डिजिटल व्यापार अध्याय (और समर्पित अध्यायों के बाहर) में जानकारी का ख़ाका तैयार करता है. डेटा के मुक्त आवागमन से जुड़े प्रावधान, डेटा प्रवाह बाधाओं का निपटारा करने के तंत्र, डेटा स्थानीयकरण आवश्यकताओं को प्रतिबंधित या सीमित करने के प्रावधान और डेटा के मुक्त प्रवाह पर फिलहाल चल रही परिचर्चाएं, इसके दायरे में आती हैं. आख़िरकार TAPED दूरसंचारों, ऑडियो-विज़ुअल और वित्तीय सेवा अध्याय/प्रावधानों में डेटा प्रवाह के किसी भी संदर्भ का ख़ाका तैयार करता है.
12 स्तंभों में डिजिटल व्यापार एकीकरण डेटाबेस की संरचना तैयार की गई है. इसमें 100 देशों में अनुभव किए गए कुल 65 संकेतक शामिल हैं, जो डिजिटल व्यापार एकीकरण को प्रभावित करने वाली नीतियों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं.[ix] डेटा प्रवाहों पर संकेतकों को दो स्तंभों में वर्गीकृत किया गया है- सीमा पार डेटा नीतियां, और घरेलू डेटा नीतियां. सीमा पार डेटा नीतियों में स्थानांतरणों पर प्रतिबंध, और स्थानीय प्रॉसेसिंग आवश्यकताएं, स्थानीय भंडारण ज़रूरतें, बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएं, सशर्त प्रवाह व्यवस्थाएं और CBDF खोलने के लिए प्रतिबद्धता जताने वाले व्यापार समझौतों में भागीदारी शामिल है. घरेलू डेटा नीतियों में डेटा संरक्षण के लिए रूपरेखाएं, डेटा को बरक़रार रखने के लिए न्यूनतम अवधि की मौजूदगी, प्रभावों का आकलन करने की आवश्यकताएं, डेटा संरक्षक अधिकारियों को शामिल करने की ज़रूरतें और ऐसी नीतियां शामिल हैं जो सरकार को इकट्ठा किए गए व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच बनाने की छूट देती हैं.
प्रमुख विशेषताऐं
आम तौर पर छोटी, खुली और सेवा क्षेत्र के दबदबे वाली अर्थव्यवस्थाएं क्षेत्रीय और वैश्विक एकीकरण के लिए ज़्यादा अनुकूल नीतिगत वातावरण प्रदर्शित करती हैं. डेटा के बेरोकटोक प्रवाह के ज़रिए ऐसा होता है. इसके उलट, बड़ी अर्थव्यवस्थाएं ज़्यादा रोक-टोक वाली होती हैं.[x], [xi] डेटा के भंडारण, उपयोग और हस्तांतरण, सामग्री तक पहुंच और घरेलू डेटा प्रॉसेसिंग पर आयद किए गए नियम बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एकीकरण के निम्न स्तर और विविधताओं का ऊंचा स्वरूप दर्शाते हैं. ऊपर जिन पहलों की चर्चा की गई है, उनके द्वारा जुटाई गई जानकारी के आधार पर इनमें से कुछ विशेषताओं का ब्योरा नीचे दिया गया है.
चित्र 2. लागू करने वाले देश के भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से डेटा प्रवाह से संबंधित डिजिटल व्यापार उपाय
नोट: भौगोलिक श्रेणियां, डिजिटल व्यापार एकीकरण डेटाबेस में चिन्हित किए गए वर्गीकरणों का पालन करती हैं. EAP = पूर्वी एशिया और प्रशांत, ECA = यूरोप और मध्य एशिया, LAC = लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र, MENA = मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, NA = उत्तरी अमेरिका, SA = दक्षिण एशिया, SSA = सब-सहारा अफ्रीका.
स्रोत: डिजिटल व्यापार एकीकरण डेटाबेस से आकलन किया गया.
क्षेत्रीय रूप से सब-सहारा अफ्रीका की अर्थव्यवस्थाएं डेटासेट में शामिल डेटा प्रवाह के सभी उपायों में से 27 प्रतिशत को लागू करती हैं. इसके बाद यूरोप और मध्य एशिया (26 प्रतिशत) और पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र (22 प्रतिशत) की अर्थव्यवस्थाएं आती हैं (चित्र 2 देखें). CBDF खोलने (संकेतक 6.5), डेटा संरक्षण के लिए रूपरेखा बनाने (संकेतक 7.1), और डेटा बरक़रार रखने के लिए न्यूनतम अवधि (संकेतक 7.2) को लेकर प्रतिबद्ध व्यापार समझौतों में भागीदारी से संबंधित उपाय ज़्यादातर सब-सहारा अफ्रीका की अर्थव्यवस्थाओं द्वारा लागू किए गए हैं. दूसरी ओर, स्थानीय भंडारण आवश्यकताओं से जुड़े 70 प्रतिशत उपायों (संकेतक 6.2) और प्रभाव मूल्यांकन करने या डेटा संरक्षण अधिकारी (संकेतक 7.3) रखने की आवश्यकताओं पर लगभग 50 प्रतिशत उपाय यूरोपीय और मध्य एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने लागू कर दिए हैं. पूर्वी एशियाई और प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं में ज़्यादातर रजिस्टर्ड उपाय ऐसे हैं जो स्थानांतरण पर प्रतिबंध लगाते हैं और इनमें स्थानीय स्तर पर प्रॉसेसिंग की दरकार जुड़ी होती है (संकेतक 6.1). यही अर्थव्यवस्थाएं अपनी सरकारों को जमा किए गए व्यक्तिगत डेटा तक पहुंच बनाने की छूट देने के लिए बड़ी संख्या में उपाय भी दिखाती हैं (संकेतक 7.4).
समझौतों और संधियों के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं
1 जनवरी 2022 को क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) प्रभाव में आ गई. इसके साथ ही ई-कॉमर्स पर प्रावधान भी लागू हो गए. इसका लक्ष्य सदस्य अर्थव्यवस्थाओं के बीच इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स को बढ़ावा देना है. इस क़वायद का मक़सद ई-कॉमर्स के उपयोग में विश्वास का एक इकोसिस्टम खड़ा करना और इसके विकास के लिए तमाम स्टेकहोल्डर्स के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है.[xii] इनमें इंटरनेट या निजी इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर डेटा, सूचना और डिजिटल उत्पादों का प्रसारण शामिल हैं. TAPED डेटाबेस वरीयता-प्राप्त और क्षेत्रीय व्यापार समझौतों में डिजिटल व्यापार प्रतिबद्धताओं के गहन मूल्यांकन की छूट देता है.
टेबल 2: डेटा प्रवाहों से संबंधित RCEP प्रतिबद्धताएं
स्रोत: TAPED, नवंबर 2022 संस्करण.
RCEP समझौते में डेटा संरक्षण से संबंधित वचनबद्धताएं शामिल हैं. इनमें घरेलू क़ानूनों और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित बाध्यकारी प्रतिबद्धताएं जुड़ी हुई हैं (टेबल 2 देखें).[xiii] समझौते में डेटा स्थानीयकरण आवश्यकताओं को सीमित करने से संबंधित प्रतिबद्धताएं भी शामिल हैं.[xiv] ‘वित्तीय सेवाओं’ पर अनुबंध 8A और ‘सूचना के हस्तांतरण और सूचना की प्रॉसेसिंग’ पर आर्टिकल 9 में डेटा की मुक्त आवाजाही से जुड़ी प्रतिबद्धताएं स्पष्ट की गई हैं. उधर, ‘कंप्यूटिंग सुविधाओं के स्थान यानी लोकेशन’ से जुड़ा आर्टिकल 12.14 किसी भी पक्ष को उस पक्ष के भू-क्षेत्र में कंप्यूटिंग सुविधाओं का उपयोग करने या पता लगाने के लिए किसी संरक्षित (covered) व्यक्ति की आवश्यकता पर रोक लगाता है.[xv] दूसरी ओर, TAPED के विश्लेषण से डेटा प्रवाहों, ई-गवर्नमेंट और खुले सरकारी डेटा के साथ-साथ डेटा नवाचार में बाधाओं को दूर करने के लिए सक्षमकारी तंत्र के प्रावधानों की ग़ैर-मौजूदगी का ख़ुलासा होता है.
डिजिटल व्यापार भंडार इस विश्लेषण में पूरक तैयार कर सकता है. डेटा प्रवाह से संबंधित क्षेत्रीय पहलों समेत डिजिटल व्यापार प्रतिबद्धताओं से निपटने वाले अन्य अंतरराष्ट्रीय उपकरणों पर जानकारी प्रदान करके इस क़वायद को अंजाम दिया जा सकता है. एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) निजता ढांचा, धारा III और IV में सीमा पार निजता और सीमा पार हस्तांतरण तंत्र को सूचीबद्ध करता है. इस क़वायद में सीमाओं के पार व्यक्तिगत जानकारी के मुक्त प्रवाह को बनाए रखते हुए निजता की रक्षा के महत्व को चिन्हित किया गया है. इसके अलावा APEC की सदस्य अर्थव्यवस्थाओं ने सीमा-पार निजता नियम प्रणाली विकसित की है. ये “संगठनों को व्यक्तिगत जानकारी को सीमाओं के आर-पार स्थानांतरित करने का एक साधन मुहैया करता है, ताकि लोगों को भरोसा हो सके कि उनकी व्यक्तिगत जानकारियों की निजता संरक्षित है.”[xvi] दूसरी ओर, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण पर दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन (यानी आसियान) का फ्रेमवर्क, व्यक्तिगत डेटा के विदेशी हस्तांतरण के लिए संबंधित व्यक्ति की सहमति प्राप्त करने या यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने का प्रावधान करता है कि प्राप्तकर्ता संगठन व्यक्तिगत डेटा की निरंतर सुरक्षा करेगा.[xvii] हाल के अर्से में इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स पर आसियान समझौता (जो 2021 में लागू हुआ) आसियान के भीतर सीमा पार ई-कॉमर्स को नियंत्रित करने के लिए नीतियों, सिद्धांतों और नियमों का एक समूह उपलब्ध कराता है.[xviii]
वैसे तो ये तमाम पहलें विभिन्न देशों की CBDF नीति के संबंध में उनके नियामक रुख़ पर अनमोल सूचनाएं मुहैया कराती हैं, लेकिन वे मौजूदा संस्थागत व्यवस्थाओं और डिजिटल व्यापार नीतियों को अपनाने और क्रियान्वयन से जुड़ी क़वायदों की पड़ताल नहीं कर पाते हैं. इस तरह के प्रयास के लिए पहले से ज़्यादा समन्वित दृष्टिकोण की दरकार होगी. इससे विनियामक अनुपालना में प्रगति और अंतरराष्ट्रीय मानकों के पालन से जुड़ी क़वायद को डिजिटल नियामक सहयोग के वास्तविक संकेतक बनाए जा सकेंगे. CBDF प्रणालियों का वैश्विक आर्थिक गतिविधि पर स्पष्ट प्रभाव पड़ रहा है. इस दिशा में नियामक सहयोग अनेक फ़ायदों का सबब बन सकते हैं. हालांकि CBDF के लिए एक आम दृष्टिकोण के रास्ते में चुनौतियां बरक़रार हैं: घरेलू नियमों में अक्सर समन्वय का अभाव होता है, डेटा सुरक्षा उपायों की निगरानी करना लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है, और घरेलू नियमों के बीच तुलनात्मकता (comparability) हमेशा सुनिश्चित नहीं की जा सकती है. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय तंत्रों (जैसे व्यापार समझौतों) के माध्यम से घरेलू डेटा नियमों की इंटर-ऑपरेबिलिटी सुनिश्चित करने का काम जटिल बना हुआ है.[xix] लिहाज़ा, एक माकूल मंच का निर्माण वक़्त की मांग बन गया है. इस मंच में डिजिटल नियामक विखंडन की समस्याओं को निपटारा करते हुए आख़िरकार उनपर क़ाबू पाया जा सकेगा.
2.G20 की भूमिका
डेटा का मुक्त प्रवाह, कारोबारी गतिविधियों को बढ़ावा देता है और आर्थिक फ़ायदे पैदा करने में मदद करता है. ऐसे में विशाल डिजिटल प्लेटफॉर्म का उभार, निजता और डेटा सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौतियां पैदा करते हैं. ऐसे प्लेटफॉर्म व्यक्तिगत डेटा के संग्रह, उपयोग और उनको साझा करने की क़वायदों पर एकाधिकार जमा रहे हैं. G20, निजता और सुरक्षा की आवश्यकता को संतुलित करते हुए डेटा के मुक्त प्रवाह को बढ़ावा देने में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिहाज़ से बेहतर स्थिति में है. 2019 में G20 ने सीमाओं के आर-पार डेटा के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए सिद्धांतों के एक समूह (डेटा फ्री फ्लो विद ट्रस्ट यानी DFFT) को स्वीकार किया.[xx] 2022 में G20 के बाली घोषणापत्र में भरोसे के साथ डेटा मुक्त प्रवाह को सक्षम करने और CBDF को बढ़ावा देने को लेकर सदस्यों की प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया गया.[xxi]
2023 में G20 डिजिटल अर्थव्यवस्था कार्य समूह ऐसे खुले समाधानों, प्रोटोकॉलों, मानकों और सिद्धांतों के विकास पर ज़ोर देगा जो सुरक्षित और सुलभ हों. ये समूह एक वैश्विक डिजिटल बुनियादी ढांचा भंडार तैयार करने की दिशा में काम करेगा, जो साइबर शिक्षा और जागरूकता के लिए एक टूलकिट की तरह काम करेगा. साथ ही डिजिटल कौशलों से संबंधित अपस्किलिंग और रीस्किलिंग कार्यक्रमों के लिए एक संसाधन की भूमिका भी निभाएगा.
इसके अलावा CBDF पर अधिक पारदर्शिता लाने और नियामक ढांचों के सम्मिलन को बढ़ावा देने के लिए G20 व्यवहार्य अवसर पैदा कर सकता है. घरेलू डेटा नियमनों को अपनाने और उनकी निगरानी के लिए समन्वित तंत्र बनाकर इस क़वायद को अंजाम दिया जा सकता है. अगले खंड में इस पर विस्तार से चर्चा की गई है. घरेलू नियामक ढांचे और संस्थागत व्यवस्थाओं में कमियों की पहचान कर उन्हें दूर करने में मदद करने को लेकर विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करने में भी G20 समूह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
3.G20 के लिए सिफ़ारिशें
वैसे तो DFFT के सिद्धांत, डेटा के मुक्त प्रवाह की दिशा में आगे बढ़ाए गए क़दम का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन उनमें ठोस कार्यान्वयन तंत्रों का अभाव है और वे क़ानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं. एक व्यापक डेटा प्रणाली विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं की डिजिटल व्यापार रणनीतियों का निर्माण करने और उनका मूल्यांकन करने में काफी मदद करेगी. ऐसी प्रणाली डिजिटल-अर्थव्यवस्था भागीदारी के सभी क्षेत्रों को जोड़ती है. इसमें संस्थागत इंतज़ामों और डिजिटल व्यापार नियमनों के कार्यान्वयन की जानकारी शामिल है. इसके अतिरिक्त यह विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में डिजिटल खाई को कम करने के लिए आवश्यक तकनीकी सहायता की पहचान करने में भी मदद करेगी. तमाम अर्थव्यवस्थाएं राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को सुरक्षित करते हुए CBDF को सुविधाजनक बनाने के लिए विनियामक सम्मिलन की तलाश में हैं. ऐसे में यह रेखांकित करना अहम है कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को घरेलू क़ानूनों या विनियमों (और इसके विपरीत) में कैसे ढाला जाता है.
CBDF पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के साथ घरेलू नियमनों का सामंजस्य स्थापित करने में मदद करने के लिए लेखक, G20 अर्थव्यवस्थाओं को एक केंद्रीकृत डिजिटल विनियमन और सूचना भंडार (DRIR) की संरचना बनाने और उसकी स्थापना की दिशा में काम करने की सलाह देते हैं. इसमें विभिन्न क्षेत्राधिकारों में CBDF को नियंत्रित करने वाले तौर-तरीक़ों, क्रियान्वयन की मात्रा और संस्थागत व्यवस्था की जानकारी शामिल की जानी चाहिए.
DRIR, भविष्य के व्यापार और डिजिटल समझौतों की वार्ताओं को लेकर एक सामान्य आधार मुहैया कराने के लिए एक बेशक़ीमती उपकरण होगा. ये अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए घरेलू स्तर पर किए जाने वाले आवश्यक नीतिगत और नियामक सुधारों से अर्थव्यवस्थाओं को अवगत कराएगा. यह विभिन्न प्रणालियों की पारस्परिक पहचान को बढ़ावा देते हुए क्रियान्वयन के तौर-तरीक़ों के लिए संस्थागत विकल्प प्रदान करने में भी सक्षम होगा.
और ज़्यादा विशिष्ट रूप से कहें तो G20 अर्थव्यवस्थाएं नीचे दिए गए क़दमों पर विचार कर सकती हैं:
राष्ट्रीय क़ानूनों, विनियमनों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर व्यापक ख़ाका निर्माण और डेटा संग्रहण स्थापित करना
- G20 अर्थव्यवस्थाओं में CBDF पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नियमनों के मौजूदा ख़ाके की समीक्षा करें, उन्हें संगठित करें और पूरा करें. इन क़वायदों में मौजूदा गणना-प्रणालियों में सामंजस्य स्थापित करने के लिए तुलनात्मक विश्लेषण करना और इनकी रिपोर्टिंग करने वाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच तुलनीयता (comparability) सुनिश्चित करना शामिल है. प्रतिबद्धताओं की एक संगठित ‘चेकलिस्ट’ को डिज़ाइन करना और उसकी समीक्षा करना और संभावित गुमशुदा आयामों (मसलन प्रवर्तन यानी एनफोर्समेंट तंत्रों) या साफ़-सफ़ाई की ज़रूरतों की पहचान करना.
- संभावित प्रवर्तन तंत्रों की समीक्षा और/या प्रस्ताव करें: प्रवर्तन तंत्रों में घरेलू स्तर (क़ानून, विधान, नियम और प्रशासनिक विनियम) और अंतरराष्ट्रीय स्तर (फ़ैसले और सिफ़ारिशें) पर अलग-अलग व्यवस्थाएं शामिल हो सकती हैं. प्रतिबद्धताओं की बाध्यकारी या ग़ैर-बाध्यकारी प्रकृति और संबंधित प्रवर्तन तंत्र (मिसाल के तौर पर विवाद निपटान प्रणाली के ज़रिए) पर जानकारी, प्रतिबद्धताओं की गहराई, विश्वसनीयता और अमल पर आंतरिक दृष्टिकोण मुहैया करा सकती है. अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को अपनाने के दायरे और समयसीमा का आकलन करने के लिए विशिष्ट अर्थव्यवस्थाओं से बचावकारी उपायों (या अपवादों) के बारे में ख़ास जानकारी शामिल की जानी चाहिए.
- CBDF नियमनों, नीतियों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर डेटा संग्रह को लेकर मानकीकृत और उपयोगकर्ता के अनुकूल टेम्पलेट (प्रतिबद्धताओं की संगठित ‘चेकलिस्ट’ की बुनियाद पर) की संरचना बनाएं.
G20 अर्थव्यवस्थाओं द्वारा संस्थागत ढांचे के कार्यान्वयन, उनमें मौजूद खाइयों और महसूस की जा रही बाधाओं की मात्रा का विश्लेषण करें
- मौजूदा राष्ट्रीय नीतियों के क्रियान्वयन की मात्रा के साथ-साथ घरेलू तौर-तरीक़ों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के बीच अंतर का मूल्यांकन करने के लिए एक मापक मानदंड स्थापित करें.
- मौजूदा राष्ट्रीय नीतियों के क्रियान्वयन की मात्रा का मूल्यांकन करने के लिए परिभाषित मानदंडों के आधार पर तमाम स्टेकहोल्डर्स के साथ सर्वेक्षण और कंसल्टेशंस यानी परामर्श करने में G20 अर्थव्यवस्थाओं की सहायता करें. इनमें कारोबारों, सरकारी अधिकारियों और नागरिक समाज संगठनों जैसे किरदार शामिल हैं. सर्वेक्षण का उपयोग मात्रात्मक डेटा इकट्ठा करने के लिए किया जा सकता है, जबकि परामर्श, विशिष्ट क्रियान्वयन चुनौतियों और अवसरों पर गुणात्मक जानकारी उपलब्ध कर सकता है.
- इनपुट संकेतकों (नियामक नीति और निरीक्षण के लिए बजट जैसे कारक, नियामक नीति और प्रशिक्षण में शामिल कर्मचारी), और आउटपुट संकेतकों (जैसे क़ानूनी और अधीनस्थ यानी सब-ऑर्डिनेट विनियम और प्रशासनिक बोझ जैसे नियामक प्रदर्शन) की बुनियाद पर CBDF के संबंध में नियामक सुधार पर मात्रात्मक और गुणात्मक जानकारी संग्रहित करें.
- सीमा पार डेटा प्रवाहों के क्रियान्वयन, अभ्यासों और संस्थागत ढांचे की मात्रा पर एक मानकीकृत रिपोर्टिंग टेम्पलेट की संरचना बनाएं. पिछले चरणों के शुरुआती निष्कर्षों के आधार पर DRIR को रिपोर्ट की जाने वाली प्रमुख एंट्रियों पर चर्चा करने के लिए नीति निर्माताओं, नियामक एजेंसियों और निजी क्षेत्र के एजेंटों के साथ अंतर-सरकारी और मल्टीस्टेकहोल्डर कंसल्टेशंस का आयोजन करें. इसमें गतिविधियों का क्षेत्र, अग्रणी नियामक एजेंसियों के नाम, जनादेश, आकार, संगठनात्मक संरचना, CBDF नीतियों और विनियमों के क्रियान्वयन के लिए केंद्र बिंदु शामिल हैं; और घरेलू नीतियों का अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए ठोस क़दम उठाए जाने चाहिए. इसमें समयरेखा, अग्रणी एजेंसी, राष्ट्रीय किरदार और इससे जुड़े बाहरी विकास भागीदार (अगर कोई हो) शामिल हैं.
- टेम्पलेट को समझने, प्रासंगिक जानकारी जमा करने और DRIR को डेटा रिपोर्ट करने के लिए G20 अर्थव्यवस्थाओं में जागरूकता बढ़ाना और तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना.
- सीमा पार डेटा प्रवाह नियमों के क्रियान्वयन के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों मेंd तकनीकी सहायता को लेकर बेहतरीन तौर-तरीक़ों और आवश्यकताओं की पहचान करने के लिए जमा किए गए डेटा पर शोध करना. डिजिटल (सेवा) व्यापार, डिजिटल नियामक सम्मिलन और आर्थिक फैलाव को बढ़ावा देने में घरेलू नियमनों और अंतरराष्ट्रीय मानकों का प्रभाव संभावित क्षेत्रों में शामिल हैं.
एट्रिब्यूशन: प्रमिला क्रिवेली, रोलैंडो एवेंडानो, और जॉन्ग वू कांग, “बिल्डिंग एन इन्फॉर्मेशन-शेयरिंग मैकेनिज़्म टू बूस्ट रेगुलेटरी फ्रेमवर्क्स ऑन क्रॉस-बॉर्डर डेटा फ्लोज़,” T-20 पॉलिसी ब्रीफ, मई 2023.
Endnotes
aडिजिटल सेवाओं के व्यापार की परिभाषा के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखें ADB’s अनलॉकिंग द पोटेंशियल ऑफ डिजिटल सर्विसेज़ ट्रेड इन एशिया एंड द पेसिफिक (एंडनोट 1) और OECD-WTO-IMF की हैंडबुक ऑन मेजरिंग डिजिटल ट्रेड (एंडनोट 2) देखें.
bपिछली पहलों ने डिजिटल व्यापार पर नियामक विकास को लेकर समान भंडार विकसित किए हैं. मिसाल के तौर पर सेंट गैलेन एंडोमेंट द डिजिटल पॉलिसी अलर्ट, और ECIPE द्वारा डिजिटल ट्रेड एस्टीमेट्स प्रोजेक्ट देखें.
cउदाहरणों में निजता और व्यक्तिगत डेटा के सीमा पार प्रवाहों की सुरक्षा पर OECD दिशानिर्देश, APEC सीमा पार निजता नियम, आसियान PDP ढांचा शामिल हैं.
dप्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान और वर्गीकरण किया जा सकता है. विनियमों को लागू करने के लिए आवश्यक अपेक्षित समय और तकनीकी सहायता के लिए संबंधित ज़रूरतों के आधार पर इस क़वायद को अंजाम दिया जा सकता है. इस सिलसिले में व्यापार सुविधा समझौते की श्रेणियों A, B और C से सबक़ लिए जा सकते हैं.
[i] Asian Development Bank, Unlocking the Potential of Digital Services Trade in Asia and the Pacific, November 2022 (Manila: Asian Development Bank, 2022).
[ii] OECD-WTO-IMF, Handbook on Measuring Digital Trade, Version 1 (Paris: OECD Publishing, 2020).
[iii] Asian Development Bank, Asian Economic Integration Report 2022: Advancing Digital Services Trade in Asia and the Pacific, February 2022 (Manila: Asian Development Bank, 2022).
[iv] United Nations Conference on Trade and Development, Digital Economy Report 2021: Cross-border data flows and development: For whom the data flow, September 2021 (New Yok: United Nations Publications 2021).
[v] Asian Development Bank, Asian Economic Integration Report 2022: Advancing Digital Services Trade in Asia and the Pacific, February 2022 (Manila: Asian Development Bank, 2022).
[vi] International Telecommunication Union, Global Cybersecurity Index 2020: Measuring commitment to cybersecurity, June 2021 (Geneva: 2021).
[vii] Taku Nemoto and Javier López González, Digital trade inventory: Rules, standards and principles, June 2021 (Paris: OECD Publishing, 2021).
[viii] Mira Burri, Maria Vasquez Callo-Müller, and Kholofelo Kugler. TAPED: Trade Agreement Provisions on Electronic Commerce and Data, November 30, 2022, published by University of Lucerne.
[ix] Martina Ferracane, Digital Trade Integration Database, 2022, European University Institute.
[x] Simon Evenett and Johannes Fritz, Emergent Digital Fragmentation: The Perils of Unilateralism, June 2022 (London: Centre for Economic Policy Research, 2022).
[xi] Martina Ferracane, Digital Trade Integration: Global Trends, September 2022 (Brussels: Trans European Policy Studies Association, 2022).
[xii] Asian Development Bank, The Regional Comprehensive Economic Partnership Agreement: A New Paradigm in Asian Regional Cooperation?, May 2022, (Manila: Asian Development Bank, 2022).
[xiii] “Regional Comprehensive Economic Partnership Agreement”.[
[xiv] Regional Comprehensive Economic Partnership Agreement
[xv] Regional Comprehensive Economic Partnership Agreement
[xvi] “Asia-Pacific Economic Cooperation Privacy Framework”.
[xvii] “Association of Southeast Asian Nations Framework on Personal Data Protection” .
[xviii] “Association of Southeast Asian Nations Agreement on Electronic Commerce”.
[xix] World Economic Forum, From Fragmentation to Coordination: The Case for an Institutional Mechanism for Cross-Border Data Flows, April 2023 (Geneva: World Economic Forum, 2023).
[xx] G20, “G20 Ministerial Statement on Trade and Digital Economy,” June 9, 2019.
[xxi] G20, “G20 Bali Leaders’ Declaration,” November 16, 2022.
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