Author : SHOURYA GORI

Published on Aug 03, 2023 Updated 0 Hours ago

भारत, विश्व में सेमीकंडक्टर का केंद्र बनने की आकांक्षा रखता है. ऐसे में इज़राइल एक आदर्श बन सकता है, जिसके साथ भारत मिलकर काम कर सकता है.

इज़राइल का सिलिकॉन वाडी: सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत का दमदार साथी!

सेमीकंडक्टर विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा 25,000 करोड़ रुपए की योजना को मंज़ूरी दिए जाने की संभावना को लेकर हाल में कई ख़बरें आई हैं. ये क़वायद 76,000 करोड़ रुपए की मौजूदा उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना के अलावा होगी. ये भारत को सेमीकंडक्टर का केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण क़दम हैं. ऐसी अतिरिक्त फंडिंग सेमीकंडक्टर निर्माण के विभिन्न पहलुओं में लगी वाणिज्यिक इकाइयों को सहारा देगी. इनमें फैब्स, डिस्प्ले फैब्स, कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर्स फैब्स, सेमीकंडक्टर पैकेजिंग और डिज़ाइनिंग में लगी वाणिज्यिक इकाइयां शामिल हैं. इस रणनीतिक क्षेत्र में अपनी महत्वाकांक्षाओं का विस्तार करता भारत, समान विचारधारा वाले भागीदारों से समर्थन जुटा रहा है.

इज़राइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर चुका है. नवाचार की प्रेरणा और स्टार्टअप के लिए अनुकूल वातावरण ने ‘स्टार्टअप नेशन’ के रूप में इज़राइल की पहचान में ज़बरदस्त योगदान दिया है.

तकनीक़ी विशेषज्ञता से लैस इज़राइल संभावित रूप से भारत का प्रमुख भागीदार बन सकता है. इज़राइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर चुका है. नवाचार की प्रेरणा और स्टार्टअप के लिए अनुकूल वातावरण ने ‘स्टार्टअप नेशन’ के रूप में इज़राइल की पहचान में ज़बरदस्त योगदान दिया है. ये पश्चिम एशिया की सिलिकॉन वैली या सिलिकॉन वाडी (हिब्रू में घाटी) बन गया है. भले ही आपूर्ति श्रृंखला के ढलाईघर यानी फाउंड्री खंड में इसकी भूमिका ना के बराबर है, लेकिन वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में अपनी बढ़ती भूमिका स्थापित करने के लिए इज़राइल ने चिप्स के अनुसंधान और डिज़ाइनिंग में भारी प्रगति की है. ये लेख सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में इज़राइल के कौशल पर रोशनी डालता है. साथ ही इस बात की भी पड़ताल करता है कि भारत और इज़राइल के बीच प्रौद्योगिकी सहयोग पर मौजूद ढांचे कैसे चिप निर्माण में साझा प्रयास के लिए रास्ते खोल सकते हैं.

सेमीकंडक्टर उद्योग में इज़राइल की उन्नति

इज़राइल की सेमीकंडक्टर यात्रा की कहानी 1970 के दशक में शुरू हुई. दरअसल सेमीकंडक्टर क्षेत्र के दिग्गज बॉब नॉयस और गॉर्डन मूर ने फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर नाम की एक कंपनी स्थापित की थी. इसी कंपनी में अपने कार्यकाल के दौरान 1963 में एक अमेरिकी इंजीनियर चार्ली स्पोर्क ने सेमीकंडक्टर चिप्स की असेंबलिंग के काम की हॉन्गकॉन्ग में ऑफशोरिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी. एक दशक के भीतर अमेरिका के लगभग सभी चिप निर्माताओं ने ऑफशोरिंग का काम शुरू कर दिया था. इस घटना ने पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया को वैश्विक सेमीकंडक्टर मानचित्र पर ला दिया. इससे संबद्ध अनुसंधान और विकास (R&D) केंद्रों की ऑफशोरिंग से इज़राइल को काफ़ी लाभ हुआ. सबसे पहले इंटेल कॉरपोरेशन ने 1974 में हाइफा में अपना शोध और विकास केंद्र स्थापित किया. इसके बाद टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स, एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेज़, नेशनल सेमीकंडक्टर, ब्रॉडकॉम, क्वालकॉम और कई अन्य अमेरिकी चिप कंपनियों ने भी ऐसे ही केंद्र बनाए. बाद के वर्षों में जापान, दक्षिण कोरिया और चीन की जानी-मानी सेमीकंडक्टर कंपनियों ने भी यही क़वायद दोहराई. 

इज़राइल का इतिहास उथल-पुथल से भरा रहा है. आस-पड़ोस के शत्रुतापूर्ण वातावरण से वहां सुरक्षा चुनौतियों में लगातार बढ़ोतरी होती रही है, लेकिन इन तमाम हालातों ने सेमीकंडक्टर के शोध और विकास में इसकी प्रगति का रास्ता नहीं रोका.

इज़राइल का इतिहास उथल-पुथल से भरा रहा है. आस-पड़ोस के शत्रुतापूर्ण वातावरण से वहां सुरक्षा चुनौतियों में लगातार बढ़ोतरी होती रही है, लेकिन इन तमाम हालातों ने सेमीकंडक्टर के शोध और विकास में इसकी प्रगति का रास्ता नहीं रोका. इंटेल की अग्रणी तकनीक़ी क्रांति ने फैब और फैबलेस आपूर्ति श्रृंखला खंडों में घरेलू स्टार्टअप को रफ़्तार दी. इज़राइली स्टार्टअप बड़ी कामयाबी से मौजूदा विदेशी चिप कंपनियों के पूरक बन गए. इससे उनमें से कुछ का विलय और अधिग्रहण (M&A) हुआ. विलय और अधिग्रहण के कुछ अहम उदाहरण नीचे दिए गए हैं:

टेबल 1: इज़राइली सेमीकंडक्टर उद्योग में विलय और अधिग्रहण (M&As)

प्रमुख सेमीकंडक्टर कंपनी इज़राइली सेमीकंडक्टर स्टार्टअप विलय और अधिग्रहण सौदों का मूल्य (अमेरिकी डॉलर में)
इंटेल मोबिलआई 15.3 अरब
इंटेल टावर सेमीकंडक्टर 5.4 अरब
Nvidia मेलानॉक्स टेक्नोलॉजी लिमिटेड 6.9 अरब
KLA-टेनकोर ऑर्बोटेक 3.4 अरब
इंटेल हबाना लैब्स 2 अरब
एमेज़ॉन अन्नपूर्णा लैब्स 3.5 अरब
सोनी अल्टेयर सेमीकंडक्टर्स 2.12 अरब

स्रोत: लेखक द्वारा संकलित किया गया डेटा

IBM पर्सनल कंप्यूटर (PC) में शामिल इंटेल के मशहूर माइक्रोप्रॉसेसर 8088 का इज़राइल में निर्माण हुआ. माइक्रोसॉफ्ट के डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करने वाला ये पहला PC था. इंटेल और माइक्रोसॉफ्ट की इस कामयाबी ने आख़िरकार विंडोज़-आधारित कंप्यूटिंग को विस्तार दिया. इंटेल के लिए, इज़राइल सबसे फ़ायदेमंद निवेश रहा है. कंपनी की इज़राइली शाखा ने बाद के माइक्रोचिप्स प्रॉसेसर्स (जैसे पेंटियम MMX, बनियास, मैरोम, योना, सेंट्रिनो, सैंडी ब्रिज, आइवी ब्रिज, एल्डर लेक) और अभी हाल ही में रैप्टर लेक जैसे माइक्रोचिप प्रॉसेसर डिज़ाइन किए हैं. 

बड़ा घरेलू बाज़ार ना होने के बावजूद इज़राइल की तकनीक़ी बढ़त, चिप निर्माण और आपूर्ति श्रृंखला के निर्यात हिस्से तक फैली हुई है. इस दिशा में सबसे पहले क़दम बढ़ाने का इंटेल को फ़ायदा हुआ. उसने येरूशलम और किर्यत गाट (तेल अवीव के नज़दीक) में फैब्रिकेशन संयंत्र स्थापित कर लिए. इज़राइल के सेमीकंडक्टर उद्योग ने 2020 में लगभग 19.8 अरब अमेरिकी डॉलर का राजस्व पैदा किया. साल 2025 तक इस आंकड़े के 41.6 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है.

भारत, विश्व में सेमीकंडक्टर का केंद्र बनने की आकांक्षा रखता है. ऐसे में इज़राइल एक आदर्श बन सकता है, जिसके साथ भारत मिलकर काम कर सकता है.

आत्मनिर्भरता की ओर रुझान और पूर्वी एशिया में पारंपरिक ढलाईघरों (foundries) पर निर्भरता कम करने की अनिवार्यता ने पश्चिमी कंपनियों की ओर से भारी-भरकम निवेश को बढ़ावा दिया है. निवेश से जुड़ी ये क़वायद इज़राइल के फैब्रिकेशन संयंत्रों में अनुसंधान और विकास में प्रमुखता से सक्रिय हैं. मिसाल के तौर पर इंटेल किर्यत गाट में अपनी फैब 28 इकाई का विस्तार करने के लिए 10 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश कर रहा है. उधर, फाउंड्री कारोबार में अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए उसी स्थान पर एक और इकाई (फैब 38) का भी निर्माण कर रहा है. इस क़वायद में 25 अरब अमेरिका डॉलर के बराबर ताज़ा निवेश हुआ है, जो एकल रूप से इज़राइल में इसका सबसे बड़ा निवेश है. इंटेल ने अपनी चिप निर्माण क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए इज़राइली कंपनी टॉवर सेमीकंडक्टर्स का भी अधिग्रहण किया है. इज़राइल की ये कंपनी सेमीकंडक्टर उद्योग के फाउंड्री सेगमेंट में दो परिचालन सुविधाओं से लैस है. 

घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योग ने इज़राइली रक्षा बलों के आधुनिकीकरण में भी योगदान दिया है. इस कड़ी में सेमीकंडक्टर डिवाइसेज़ (SCD) ने इन्फ्रारेड नाइट विज़न बढ़ाने के लिए चिप्स विकसित किए हैं. साथ ही इज़राइल की हाई-टेक आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली में भी चिप्स को एकीकृत किया गया है. इज़राइल के इस कामयाब मॉडल के लिए कई कारकों को श्रेय दिया जाता है. इनमें मानवीय पूंजी में निवेश, प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का समूह तैयार किए जाने और नवाचार भरी रुकावटों को बढ़ावा देने जैसे कारक शामिल हैं.

भारत के लिए अवसर

भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक वातावरण लगातार चुनौतीपूर्ण और पेचीदा होते जा रहे हैं. चीन को अहम चिप टेक्नोलॉजी हासिल करने से रोकने और ताइवान के प्रति चीन की बढ़ती आक्रामकता की काट के लिए अमेरिका ने निर्यात नियंत्रण व्यवस्था अपनाई है. इन घटनाक्रमों से घोर-विशिष्टता (hyper-specialised) वाली स्थापित आपूर्ति श्रृंखलाओं की असुरक्षाएं और कमज़ोरियां उभर कर सामने आती हैं. पश्चिम दुनिया द्वारा चीन पर निर्यात नियंत्रण और कारोबारों द्वारा अपनाई गई ‘चीन+1’ रणनीति, भारत को अपने सेमीकंडक्टर उद्योग में फिर से जान फूंकने का अवसर देती है. 

भारत, विश्व में सेमीकंडक्टर का केंद्र बनने की आकांक्षा रखता है. ऐसे में इज़राइल एक आदर्श बन सकता है, जिसके साथ भारत मिलकर काम कर सकता है. विज्ञान और टेक्नोलॉजी (S&T) भारत और इज़राइल के बीच द्विपक्षीय सहयोग की बुनियाद है. साल 1992 में भारत और इज़राइल के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे. 1993 में विज्ञान और टेक्नोलॉजी सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद विज्ञान और टेक्नोलॉजी पर भारत-इज़राइल संयुक्त समिति अस्तित्व में आई. रक्षा सहयोग के क्षेत्र में हासिल तालमेल, सेमीकंडक्टर विनिर्माण के वाणिज्यिक मार्गों में भी दिखाई दे सकते हैं. पिछले कुछ वर्षों में भारत और इज़राइल ने टेक्नोलॉजी, नवाचार और औद्योगिक अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समझौता पत्रों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं. नवाचार और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग की क़वायदों में रफ़्तार भरने के लिए कई क़दम उठाए गए हैं. 2017 में भारत-इज़राइल औद्योगिक R&D और नवाचार फंड स्थापित किया गया. इसके बाद 2020 में स्टार्टअप नेशन सेंट्रल और भारत के इंटरनेशनल सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप एंड टेक्नोलॉजी (या iCreate) के बीच द्विपक्षीय कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए गए. इन मौजूदा ढांचों के आधार पर भारत की वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद और इज़राइल के रक्षा अनुसंधान और विकास निदेशालय ने मई 2023 में एक MoU पर दस्तख़त किए. इस समझौते का मक़सद सेमीकंडक्टर्स समेत उच्च तकनीक़ी के क्षेत्र में अनुसंधान कार्यों में सहभागिता बढ़ाना है. 

दोनों भागीदारों की पूरक शक्तियों को देखते हुए सेमीकंडक्टर से जुड़ा अनुसंधान और विकास, सहभागिता के हिसाब से एक केंद्रित क्षेत्र हो सकता है. निश्चित रूप से इज़राइल ने R&D में अपनी क्षमता दिखाई है, वहीं दुनिया के सेमीकंडक्टर डिज़ाइनरों का पांचवां हिस्सा भारत से है. इसके अलावा (इज़राइल के विपरीत) भारत में एक बड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण बाज़ार मौजूद है. 2026 तक इस बाज़ार का आकार 300 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है. दोनों देशों के बीच की ये पूरकताएं, सेमीकंडक्टर उद्योग को एक विशाल घरेलू उपभोक्ता आधार मुहैया कराते हैं. भारत के चिप बाज़ार के आकार का विस्तार होना तय है. 2030 तक ये 110 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाएगा, जो विश्व बाज़ार का 10 प्रतिशत होगा

दोनों देशों ने इस दिशा में कुछ शुरुआती कदम उठाए हैं. मिसाल के तौर पर टावर सेमीकंडक्टर्स और अबू धाबी स्थित नेक्स्ट ऑर्बिट वेंचर्स के संयुक्त उपक्रम इंटरनेशनल सेमीकंडक्टर कंसोर्टियम ने 65-नैनोमीटर एनालॉग चिप्स के निर्माण के लिए मैसूर में एक फैब स्थापित करने का एलान किया है. इसके लिए 3 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया जाएगा. टावर सेमीकंडक्टर के अधिग्रहण के ज़रिए ये निवेश, इंटेल को भारतीय सेमीकंडक्टर विनिर्माण में प्रवेश द्वार उपलब्ध करा रहा है.

आपूर्ति श्रृंखलाओं का दोबारा अनुकूलन

I2U2 (भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और संयुक्त राज्य अमेरिका यानी USA) के ज़रिए भारत-इज़राइल सहयोग ने उभरती और नाज़ुक टेक्नोलॉजियों की लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं को लेकर बहुपक्षीयवाद में फिर से जान फूंकने के लिए मंच तैयार कर दिया है. मुक्त व्यापार समझौते के लिए जारी वार्ताएं भी सेमीकंडक्टर विनिर्माण पर नज़दीकी सहयोग का संकेत देती हैं.

भारत और इज़राइल, बराक-8 मिसाइल रक्षा प्रणाली जैसे हाई-टेक सिस्टम के साझा विकास और कृषि-तकनीक़ी पर सफलतापूर्वक सहयोग कर चुके हैं. सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में अथाह क्षमता का भरपूर उपयोग किया जाना अभी बाक़ी है. इससे भारत और इज़राइल की रणनीतिक साझेदारी और आगे बढ़ सकती है और उसका स्तर और उन्नत हो सकता है. बदलती भू-राजनीतिक गतिशीलता के बीच अस्थिरता भरे परिवेश में दोनों देशों के बीच ऐसी सहभागिता काफ़ी कारगर साबित हो सकती है.


शौर्य गोरी ओआरएफ मुंबई में सिक्योरिटी स्टडीज़ प्रोग्राम इंटर्न हैं.

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