Author : Hari Bansh Jha

Expert Speak Raisina Debates
Published on Mar 23, 2023 Updated 0 Hours ago

देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति भी संघीय सरकार को सात प्रांतीय और 753 स्थानीय सरकारों पर किये जा रहे भारी खर्च को पूरा किया जाये या नहीं इस पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रही है. ऐसी स्थिति में, संघवाद का पतन निकट प्रतीत होता है .

क्या नेपाल में संघवाद विफल हो रहा है?

इससे पहले कभी भी इकाई प्रणाली में नगरपालिका और ग्रामीण नगर-पालिकाओं जैसे स्थानीय यूनिट समुह ने विकास के लिए इस तरह का आर्थिक फंड प्राप्त किया होगा जो उन्होंने नेपाल में संघीय व्यवस्था के आने के बाद प्राप्त की है. सड़क, कृषि, और बिल्डिंग निर्माण से संबंधी कई विकास कार्य लगभग सभी नगरपालिकाओं एवं तराई क्षेत्रों, पहाड़, और पर्वतीय क्षेत्रों स्थित ग्रामीण नगरपालिकाओं में कराए गए हैं. हालांकि, अविरल भ्रष्टाचार, जनसंख्या पर लागू भारी कर, उपलब्ध धन का दुरुपयोग, और संघीय, प्रांतीय एवं स्थानीय स्तर पर कार्यों के दोहरापन ने इसके लागू होने के मात्र छह सालों के भीतर ही, लोगों के मन में इस संघीय व्यवस्था के खिलाफ़ बेरुख़ी उत्पन्न कर दी है. इसके अंत में, सरकार के इस संघीय स्वरूप के ख़ात्मे की मांग के साथ स्थानीय लोगों के विभिन्न संगठनों ने काठमांडु में एक विराट प्रदर्शन का आयोजन किया.  

संघीय व्यवस्था को सर्वप्रथम 2015 के नेपाली संविधान में प्रस्तुत किया गया था. उसके अनुसार, संघीय संसद, प्रांतीय असेंबली और स्थानीय समूहों के लिये दो बार चुनाव कराए गए थे.

संघीय व्यवस्था को सर्वप्रथम 2015 के नेपाली संविधान में प्रस्तुत किया गया था. उसके अनुसार, संघीय संसद, प्रांतीय असेंबली और स्थानीय समूहों के लिये दो बार चुनाव कराए गए थे – पहली बार 2017 में और दूसरी बार 2022 में. इस संघीय व्यवस्था के अंतर्गत, देश के भीतर संघीय स्तर पर एक, प्रांतीय स्तर पर सात, और स्थानीय स्तर पर 753 सरकारें कार्यरत हैं जिसे मिलाकर इसकी कुल संख्या 761 बनती है. 

मधेसी, जनजातीय, दलित और अन्य वंचित समूह के लोगों की काफी लंबी जद्दोजहद और संघर्ष के उपरांत ही देश में संघवाद को प्रस्तुत किया गया. तराई कांग्रेस के नेता वेदानंद झा सन 1950 से ही संघीय व्यवस्था की मांग करते आ रहे हैं. बाद में, माओवादियों ने 1996 से 2006 और उसके उपरांत भी संघीय व्यवस्था की मांग को अपना समर्थन दिया.   

नेपाल में संघीय व्यवस्था 

नेपाल द्वारा संघीय व्यवस्था को स्वीकृति दिए जाने के बावजूद, प्रांतीय और स्थानीय निकायों को समुचित प्रशासनिक अधिकार दिए नहीं गए थे. असल में, वे एक प्रशासनिक स्टाफ़ तक की बहाली नहीं कर सकते हैं. केंद्र में, नेपाल की संघीय सरकार ने, सारी प्रशासनिक ताक़त को खुद तक सीमित कर रखा है. उसी तरह से, नेपाल सरकार का वित्त मंत्रालय प्रांतीय और स्थानीय निकायों को कोष का काफी बड़ा हिस्सा मुहैया कराती है.

वर्तमान संघीय व्यवस्था में स्थानीय निकाय अपेक्षाकृत काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. लोगों के रोज़मर्रा के दिनों में, इन प्रांतीय सरकारों की भूमिका अपेक्षाकृत सीमित होती है. ये संभवतः कई कारकों में से एक कारक है जिस वजह से राजेन्द्र लिंगदेल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी और रवि लामिछाने के नेतृत्व वाली स्वतंत्र पार्टी दोनों ही नवंबर 2022 के चुनाव में संघीय ढांचे से इन प्रांतीय सरकारों को ख़त्म करना चाहते थे. 

पिछले छह सालों में, प्रांतीय सरकारें स्थानीय निकायों की तरह से परिणाम दे पाने में बुरी तरह से असफल साबित हुईं हैं. हालांकि, प्रांतीय और स्थानीय प्रशासन, दयनीय परिणामों के लिए संघीय सरकार को ही दोषी ठहरा रही है.

पिछले छह सालों में, प्रांतीय सरकारें स्थानीय निकायों की तरह से परिणाम दे पाने में बुरी तरह से असफल साबित हुईं हैं. हालांकि, प्रांतीय और स्थानीय प्रशासन, दयनीय परिणामों के लिए संघीय सरकार को ही दोषी ठहरा रही है, चूंकि अगले ने, न तो उन्हें समय पर धन मुहैया कराया और न ही रोज़मर्रा के प्रशासनिक कार्यों के लिये आधिकारिक कर्मचारी उपलब्ध करा पायी. दूसरी तरफ, संघीय सरकार इन प्रांतीय एवं स्थानीय निकायों पर ये आरोप लगा रही है कि उन्हें आवंटित किए गए धन का उचित इस्तेमाल नहीं किया गया है.     

लोगों की उम्मीदों पर खरा न उतर पाने के बावजूद भी प्रांतीय और स्थानीय समूह, अब-तक अस्तित्व में हैं. हालांकि, वे लगभग सभी राजनैतिक दलों के लिए – चाहे छोटी या बड़ी, मात्र दूध देने वाली गाय स्वरूप ही साबित हो रहे हैं. वे सभी राजनैतिक दलों के लिए मात्र एक बहाली केंद्र स्वरूप ही कार्य करते फिर रहे हैं.  

इसलिए, देश के कई भागों में इस संघीय व्यवस्था के खिलाफ़ लोगों की निराशा बढ़ती जा रही है. प्रांतीय और स्थानीय सरकारों में शामिल जनप्रतिनिधियों ने, जनता के लिए आवंटित कोष का दुरुपयोग किया है और अपनी निजी स्वार्थ की पूर्ति में सारे धन व्यय कर दिए हैं. संघीय व्यवस्था शुरू किए जाने के बाद से भ्रष्टाचार का बड़े पैमाने पर विकेंद्रीकरण हुआ है. इससे पहले भ्रष्टाचार ज्य़ादातर केंद्र आधारित था, किन्तु अब ये केंद्र से आगे बढ़ कर प्रांत और वहाँ से नगरपालिका और उनके वार्डों और ग्रामीण नगरपालिका तक अपने पाँव फैला चुकी है .  

निष्कर्ष

हाल ही में, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा (2022) में भ्रष्टाचार की धारणाओं से संबंधित 180 देशों की सूची जारी की गई है, जिसमें नेपाल ने अपने यहां व्याप्त भ्रष्टाचार के आधार पर 110वां स्थान प्राप्त किया है. दक्षिण एशिया में भूटान को 25वां स्थान, जबकि मालदीव 85वें, भारत 85वें, श्रीलंका 101वां, पाकिस्तान 140वां, बांग्लादेश 147वां, और अफ़ग़ानिस्तान 150वें स्थान पर काबिज है. दक्षिण एशिया में सिर्फ़ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान ही वो चंद देश है जो कि नेपाल से ज्य़ादा भ्रष्ट है.      

संघीय शासन को हर क्षेत्र में इस कदर भ्रष्टाचार में डूबते देखना वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है. जवाबदेही की कमी और संघीय, प्रांतीय एवं स्थानीय यूनिटों के बीच सहयोग मैकेनिज़्म की कमी, इस अविरल भ्रष्टाचार एवं देश के भीतर दयनीय सेवा के लिए मुख्यतः ज़िम्मेदार है. इसने देश के भीतर संघीय व्यवस्था के वर्तमान प्रारूप के स्थायित्व पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है, जिसमें मुख्य लाभार्थी राजनेता समुदाय और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता होते हैं. देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति भी संघीय सरकार को सात प्रांतीय और 753 स्थानीय सरकारों पर किये जा रहे भारी खर्च को पूरा किया जाये या नहीं इस पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रही है. ऐसी स्थिति में, संघवाद का पतन निकट प्रतीत होता है . 

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Hari Bansh Jha was a Visiting Fellow at ORF. Formerly a professor of economics at Nepal's Tribhuvan University, Hari Bansh’s areas of interest include, Nepal-China-India strategic ...

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