Author : Erin Watson

Published on May 06, 2022 Updated 1 Days ago

भारत के जी 20 प्रतिबद्धताओं के साथ, जो न केवल अध्यक्ष पद के शुरू होने से पहले के विशेषाधिकार के साथ प्रतिबिंबित करने का मौका है, बल्कि यह भी विचार योग्य है कि यह इस तरह के एक महत्वपूर्ण नीतिगत एज़ेंडे का नेतृत्व कैसे करेगा.

2023 में W(वुमन)20 को लेकर भारत की योजना; ‘पूर्वानुमान, सुधार और बुलंदी की ओर बढ़ने’ में ही निहित है!

आठ वर्षों में जब से G20 ने दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में महिलाओं के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक आधिकारिक एंगेजमेंट ग्रुप को स्थापित किया है, वूमन 20 (डब्ल्यू 20) ने विश्व स्तर पर महिलाओं को प्रभावित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय नीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. एक नागरिक जुड़ाव समूह के तौर पर शुरू किए गए महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा अब G20 के एज़ेंडे के केंद्र में है. नेताओं के बयान लगातार नीतिगत सिफ़ारिशों का समर्थन करते दिख रहे हैं जो महिलाओं पर ही केंद्रित हैं. कोरोना महामारी की दुनिया में दस्तक से पहले, सुरक्षित आजीविका तक अपनी पहुंच बनाने के लिए महिलाओं को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा. साल 2014 में घोषित ब्रिस्बेन ’25×25′ लक्ष्यों ने 2025 में महिलाओं की श्रम शक्ति में भागीदारी को 20 प्रतिशत [1] तक बढ़ाने की मांग की है और यह महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा पर केंद्रित जी 20 नेताओं की महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताओं में से एक बताया जा रहा है. हालांकि, एक ऐसी दुनिया जो वापस पटरी पर आने की कोशिश कर रही है, जहां अभी भी महामारी का दौर पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ है, उसने दुनिया भर में महिलाओं को असमान रूप से प्रभावित किया है. [2] अतिरिक्त देखभाल की ज़िम्मेदारियां, घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी, रोज़गार के अवसरों में कमी और सरकारी सहायता तक कम पहुंच का मतलब यह है कि कोरोना महामारी का प्रभाव महिलाओं के जीवन में मौज़ूदा नुक़सान को और बढ़ा सकता है. [3] इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा को आगे बढ़ाने में बहुपक्षवाद और जी 20 की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो चुकी है.

एक नागरिक जुड़ाव समूह के तौर पर शुरू किए गए महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा अब G20 के एज़ेंडे के केंद्र में है. नेताओं के बयान लगातार नीतिगत सिफ़ारिशों का समर्थन करते दिख रहे हैं जो महिलाओं पर ही केंद्रित हैं. कोरोना महामारी की दुनिया में दस्तक से पहले, सुरक्षित आजीविका तक अपनी पहुंच बनाने के लिए महिलाओं को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा.

दुनिया भर में महिलाओं के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करने की तात्कालिकता स्पष्ट रूप से समझी जा सकती है क्योंकि बहुपक्षीय व्यवस्था मौज़ूदा वक़्त में दबाव में है. भारत-प्रशांत क्षेत्र में तेज़ी से जटिल और भीड़भाड़ वाला भू-राजनीतिक वातावरण, अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध और हाल ही में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का मतलब है कि सीमा पार चुनौतियों का समाधान करने के लिए बहुपक्षीय प्रणाली की क्षमता सीमित नज़र आती है और यह इतना आसान भी नहीं है. इसका मतलब यह है कि G 20 और दूसरों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि वह वास्तविक प्रभाव के साथ क्या हासिल कर सकता है – महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा इन मुद्दों में से प्रमुख है.

यह लेख निर्धारित करता है कि जेंडर एज़ेंडा G20 प्रणाली के भीतर कैसे शामिल होता है और वुमन 20 रुझानों को देखते हुए, G20 की भारत की अध्यक्षता के लिए तीन सिफ़ारिशें करता है जहां यह वुमन 20 एज़ेंडा का अनुमान, सुधार और उसे बढ़ावा दे सकता है.

वुमन 20 क्या है?

ब्रिस्बेन 25×25 लक्ष्य के लिए G20 की प्रतिबद्धता के बाद वूमन 20 की स्थापना 2015 में तुर्की के राष्ट्रपति पद के दौरान की गई थी. [4]आधिकारिक इंगेजमेंट ग्रुप की मौज़ूदा स्थिति के साथ, वुमन 20 का उद्देश्य उद्यमियों, व्यापारिक लोगों, नागरिक समाज, शिक्षाविदों और अन्य लोगों को महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा पर G20 को सिफ़ारिशें बढ़ाने के लिए एक मंच प्रदान करना था. आधिकारिक इंगेजमेंट ग्रुप सरकार-से-सरकार के लाइन से बाहर काम करती है और कुछ असर के लिए G20 प्रणाली का लोकतंत्रीकरण भी करती है. वुमन 20 के लिए ‘आर्म्स-लेंथ’ दृष्टिकोण के अपने फ़ायदे और नुक़सान भी हैं. इससे एक तरफ़ गैर-सरकारी प्रतिनिधि अपनी अंतर्दृष्टि और सिफ़ारिशों के साथ अधिक स्पष्ट और रचनात्मक हो सकते हैं तो दूसरी तरफ़ फ़ंडिंग और अनौपचारिक प्रक्रियाओं के उतार-चढ़ाव के स्तर का मतलब है कि इसका प्रभाव असंगत है.

वुमन 20 को लेकर अंतिम विज्ञप्ति की दिशा में अधिकांश काम ऑनलाइन और ईमेल के ज़रिए हुआ और बातचीत के दौरान अंतिम शिखर सम्मेलन के समय तो एक बार देर रात तक अंजाम दी गई. अक्सर अन्य बहुपक्षीय संगठनों जैसे आर्थिक सहयोग और विकास संगठन या निजी क्षेत्र जैसे मैकिन्से एंड कंपनी सहित भागीदारों द्वारा इन प्रयासों का समर्थन किया जाता है.

यह देखते हुए कि G20 देशों को पता है कि अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से घरेलू और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद बढ़ेगा, यह आश्चर्यजनक नहीं है कि तुर्की के बाद वूमन 20 ने अक्सर उच्च स्तर की पहुंच का लाभ उठाया. साल 2018 में राष्ट्रपति मौरिसियो मैक्री ने मंच पर वुमन 20 की नीतिगत सिफ़ारिश को स्वीकार कर लिया,[5] जैसा कि जापान में 2019 में प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे ने किया था. [6]इसके साथ ही सऊदी अरब की सरकार ने महत्वपूर्ण संसाधनों के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई जिसने प्रशासनिक रूप से प्रभावी डब्ल्यू 20 कार्यालय को और सक्षम बनाया और यह कोरोना महामारी[6] के पहले साल के दौरान विशेष रूप से अहम था.

डब्ल्यू 20 प्रक्रियाएं एक समय में, आम तौर पर (यह साल-दर-साल कुछ हद तक बदल जाती है) में राउंडटेबल शेड्यूल शामिल होते हैं, जो पूरे वर्ष निर्धारित रहते हैं और मेज़बान देश में एक अंतिम शिखर सम्मेलन के तौर पर इसकी समाप्ति होती है. शुरुआती गोलमेज सम्मेलन अक्सर यूरोप या अमेरिका में आयोजित किए जाते थे और अन्य प्रमुख जेंडर (लिंग) – केंद्रित घटनाओं के साथ मेल खाते थे. ये गोलमेज़ सम्मेलन अक्सर उन प्रतिनिधियों के लिए आसान हुआ करते थे जो वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए इससे जुड़ते थे और यात्रा नहीं करते थे. वुमन 20 को लेकर अंतिम विज्ञप्ति की दिशा में अधिकांश काम ऑनलाइन और ईमेल के ज़रिए हुआ और बातचीत के दौरान अंतिम शिखर सम्मेलन के समय तो एक बार देर रात तक अंजाम दी गई. अक्सर अन्य बहुपक्षीय संगठनों जैसे आर्थिक सहयोग और विकास संगठन या निजी क्षेत्र जैसे मैकिन्से एंड कंपनी सहित भागीदारों द्वारा इन प्रयासों का समर्थन किया जाता है.

हाल के वर्षों में, हालांकि अपेक्षाकृत कम प्रक्रिया वाले इस प्रोग्रामिंग के वार्षिक कैलेंडर में फेरबदल किया गया है, जिसमें शुरूआती और समापन कार्यक्रम, विषयगत-संबंधित सम्मेलन, विभिन्न कार्यबल और कार्य समूह के बारे में जानकारी शामिल है.कोरोना महामारी के अलग-अलग अनुभवों को देखते हुए इन आयोजनों को ऑनलाइन, कभी व्यक्तिगत रूप से और कभी-कभी हाइब्रिड डिलीवरी के माध्यम से आयोजित किया जाता रहा है.यह बुरी बात नहीं है लेकिन लिंग पर केंद्रित जी 20 तंत्र के भीतर अन्य आंदोलनों के साथ-साथ इसका मतलब है कि वुमन 20 अक्सर अपने मक़सद को खो देता है और मुख्य आयोजन के इतर एक कार्यक्रम भर रह जाता है.

मौज़ूदा वक्त में  एम्पॉवर के ट्विटर अकाउंट में कहा गया है कि यह महिलाओं के नेतृत्व और सशक्तिकरण में तेज़ी लाने के लिए व्यवसायों और सरकारों के बीच सबसे अधिक समावेशी और कार्रवाई आधारित गठबंधन है. [10] इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जी 20 के भीतर दो तंत्रों के बीच एक शक्ति संघर्ष भी जारी है और डब्ल्यू 20 के लिये यह चिंता का विषय है कि यह तेज़ी से अप्रासंगिक होता जा रहा है.

वुमन 20 कुछ मायनों में, अपनी ही सफलता का शिकार बन गया है. साल  2018 में बिज़नेस वूमेन लीडर्स (बीडब्ल्यूएल) टास्कफ़ोर्स की स्थापना “महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को प्रभावित करने के लिए कार्रवाई योग्य, मापने योग्य और परिणाम-संचालित समाधानों”  पर ध्यान केंद्रित करने के लिए की गई थी. [8] सरकार के प्रमुखों ने अपने देश के प्रतिनिधि को नियुक्त किया और जी 20 में जेंडर के लिए एक आधिकारिक, फिर भी गैर-सरकारी आवाज़ बन कर उभरा. बीडब्ल्यूएल कार्यबल के पास वूमन 20 के समर्थन के लिए कोई आधिकारिक रास्ता नहीं बचा था लेकिन अक्सर इसके सदस्य वूमन 20 प्रतिनिधि ही हुआ करते थे. कुछ के लिए इसने संचार के लिए एक रास्ता खोल दिया लेकिन दूसरों के लिए यह वुमन 20 के भीतर व्यावसायिक प्रयासों को बीडब्ल्यूएल टास्कफ़ोर्स के साथ भ्रमित करने वाली वज़ह साबित हो रही थी, जिनके प्रतिनिधियों के पास फ़ैसले लेने के लिए उनके संबंधित सरकार के प्रमुखों की अनुमति हुआ करती थी.

साल 2020 में बीडब्ल्यूएल टास्कफ़ोर्स को समाप्त कर दिया गया और एक नई पहल, वुमन 20 एलायंस फ़ॉर द एम्पावरमेंट एंड प्रोग्रेस ऑफ़ वुमेन इकोनॉमिक रिप्रेजेंटेशन (जी 20 एम्पॉवर), कनाडा के नेतृत्व में एक पहल के साथ बदल दिया गया. [9] एम्पॉवर का उद्देश्य प्राथमिक क्षेत्र से सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि के साथ महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा को आगे बढ़ाना भी है. कुछ मामलों में एम्पावर की स्थापना ने एक शक्ति संरचना को आगे बढ़ाया जहां इसे वुमन 20 के सरकारी ट्रैक से समर्थन (और इस प्रकार, संसाधन) प्राप्त हुआ. मौज़ूदा वक्त में  एम्पॉवर के ट्विटर अकाउंट में कहा गया है कि यह महिलाओं के नेतृत्व और सशक्तिकरण में तेज़ी लाने के लिए व्यवसायों और सरकारों के बीच सबसे अधिक समावेशी और कार्रवाई आधारित गठबंधन है.[10] इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि जी 20 के भीतर दो तंत्रों के बीच एक शक्ति संघर्ष भी जारी है और डब्ल्यू 20 के लिये यह चिंता का विषय है कि यह तेज़ी से अप्रासंगिक होता जा रहा है. वास्तव में इसके इतर एक सच भी है, ख़ास तौर पर साल 2021 में इटली में महिला अधिकार पर नव निर्मित मंत्रिस्तरीय सम्मेलन जिसे साल 2022 में इंडोनेशिया द्वारा आगे बढ़ाया गया. [11] वास्तविकता यह है कि जी 20 तंत्र में जेंडर (लैंगिक) अब पहले से कहीं अधिक अंतर्निहित हो चुका है और इस वज़ह से यह सुनिश्चित करने के लिए भारत क्या कर सकता है कि वुमन 20 (और अन्य समूहों) का प्रभाव सबसे अधिक मायने रखे, यह क़रीब से जांच करने का विषय है.

जी 20 द्वारा जारी किए गए हर आधिकारिक बयान के साथ, डब्ल्यू 20 के एक प्रतिनिधि द्वारा इस पर विचार किया जाना चाहिए कि किसी भी नीति की सिफ़ारिशें महिलाओं को कैसे प्रभावित करेंगी. यह वुमन 20 सचिवालय को शेरपा में और वित्त बैठकों में पर्यवेक्षक का दर्ज़ा प्रदान कर सकता है, या कम समय के लिए परामर्श प्रक्रिया के ज़रिए इसे पूरा किया जा सकता है.

भारत 2023 के लिए की गई सिफ़ारिशें

यह एक कड़वी सच्चाई का हिस्सा है कि वुमन 20 में कुछ सुधार की आवश्यकता है. भारत 2023 में ऐसा करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है क्योंकि तब भारत इसकी अध्यक्षता करेगा. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, जी 20 ट्रोइका के सबसे नए सदस्य के रूप में भारत को निश्चित रूप से वर्तमान अध्यक्ष, इंडोनेशिया के साथ मिलकर काम करना चाहिए. यह जानने और समझने के लिए कि जी 20 कूटनीतिक कार्य कैसे पूरा करता है. ऐसा करने में भारत यह समझने के लिए अतीत की ओर देख सकता है कि वह अपने संसाधनों का सबसे बेहतर आवंटन कैसे कर सकता है और वुमन 20 के असर को और व्यापक बना सकता है. इसके आधार पर वुमन 20 की सफलता सुनिश्चित करने के लिए भारत तीन चीज़ें कर सकता है – उम्मीद करना, सुधार करना और स्तर को ऊपर उठाने की कोशिश करना.

उम्मीद


भारत को वुमन 20 से यही अनुमान लगाना चाहिए और सीखने के बजाय विशेषज्ञता की स्थिति से शुरुआत करनी चाहिए. घटनाओं के एक साल के कैलेंडर को शामिल करने के लिए वुमन 20 एज़ेंडे का विस्तार अक्सर स्वास्थ्य या उद्यमिता जैसे विषय पर केंद्रित होता है. ऐसा लगता है कि वुमन 20 की विशेषज्ञता पाने के बजाय, ये आयोजन कूटनीति के लिए एक मंच और विषयों पर प्रतिनिधियों को शिक्षित करने की प्रक्रिया बन गई है. यह एक बड़ी समस्या है कि वुमन 20 बड़े पैमाने पर सीमित संसाधनों वाले स्वयंसेवकों का एक अंतर्राष्ट्रीय समूह बन गया है. इसके  साथ ही वे अक्सर डॉक्टर, इंजीनियर, उद्यमी और अर्थशास्त्री सहित विश्व-अग्रणी विशेषज्ञ भी होते हैं. इसका मतलब है कि वुमन 20 में जाने के लिए विशेषज्ञता की शर्त पहले से ही है. उन्हें आमतौर पर जेंडर आधारित मुद्दों में नवीनतम विकास के बारे में सीखने के दिनों की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन वे उस ज्ञान के साथ पहले से ही आगे रहते हैं. जबकि भारत के लिए विशेषज्ञता की मौज़ूदा शर्त है, नए और महत्वपूर्ण अपडेट और विकास के लिए ज्ञान भागीदारों के साथ काम करना. इस पर वुमन 20 के शुरुआती महीनों में काम किया जा सकता है और एक संक्षिप्त ब्रीफ़िंग के रूप में प्रतिनिधियों को बताया जा सकता है. इसका मतलब यह है कि कम घटनाएँ और वास्तव में गंभीर रूप से, पहले से ही संसाधन की कमी वाले प्रतिनिधियों के लिए कम धन की आवश्यकता होगी. वुमन 20 के सात वर्षों के बाद अब मुद्दों की पहचान हो रही है और कोशिश यही होनी चाहिए कि जी 20 के दौरान ध्यान समाधान की ओर होना चाहिए.

सुधार

वुमन 20 की प्रक्रिया में सुधार इसकी शक्ति के तौर पर सामने आना चाहिए, न कि जी 20 सम्मेलन के दौरान इसके इतर होने वाली गतिविधियों के तौर पर. दरअसल, इस प्रक्रिया सुधार के दो घटक हैं जिन्हें भारत 2023 में आगे बढ़ा सकता है. पहला, वुमन 20 को जेंडर पर विशेषज्ञता के साथ जी 20 के संसाधन के रूप में देखे जाने की ज़रूरत है. जी 20 द्वारा जारी किए गए हर आधिकारिक बयान के साथ, डब्ल्यू 20 के एक प्रतिनिधि द्वारा इस पर विचार किया जाना चाहिए कि किसी भी नीति की सिफ़ारिशें महिलाओं को कैसे प्रभावित करेंगी. यह वुमन 20 सचिवालय को शेरपा में और वित्त बैठकों में पर्यवेक्षक का दर्ज़ा प्रदान कर सकता है, या कम समय के लिए परामर्श प्रक्रिया के ज़रिए इसे पूरा किया जा सकता है. वुमन 20 को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखा जाना चाहिए जो जी 20 को अपनी नीतिगत सिफ़ारिशों के साथ मदद कर सकता है. ऐसे समूह के लिए जहां सरकार की मुखिया एक महिला नहीं है[12], यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है.

भारत के लिए सबसे पहले वुमन 20 की शुरुआत विशेषज्ञता वाली स्थिति से ही करनी चाहिए. इसका मतलब यह अनुमान लगाना है कि नॉलेज़ पार्टनर, प्रतिनिधियों और हितधारकों को क्या पेशकश करनी है. क्या यह विशेषज्ञों के रूप में उनकी शुरुआती बातों को मानने या फिर वुमन 20 के सामने रखने को लेकर है. 

इसके अलावा दूसरा, वुमन 20 का ध्यान अपनी विज्ञप्ति और नीतिगत अनुशंसाओं पर होना चाहिए जिन्हें वुमन 20 के प्रत्याशित होने पर पहले की शर्तों के साथ विकसित किया जा सकता है. वुमन 20 को भारत में अंतिम संचार वार्ता के मॉडल पर लौटना चाहिए, जिसमें प्रतिनिधियों द्वारा अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हाइब्रिड मॉडल के ज़रिए राउंडटेबल सम्मेलन आयोजित किए जा सकते हैं. इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि वुमन 20 में उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि बने रहें, जिसका उसने अतीत में फ़ायदा उठाया क्योंकि यह उनकी अन्य प्रतिबद्धताओं के साथ केंद्रित प्रतिबद्धता है.

ख़ुद के स्तर को ऊंचा करना

भारत को W20 को G20 प्रणाली के भीतर ऊंचा करना चाहिए. W20 को उच्च स्तरीय मंत्रियों और सरकार के प्रमुखों तक पहुंच के युग में लौटने की ज़रूरत है. इसका मतलब यह है कि W20 (और अन्य आधिकारिक जुड़ाव समूह) को G20 नेताओं को नीतिगत सिफ़ारिशें देने के लिए एक औपचारिक मार्ग प्रदान किया जाता है. भारत का नेतृत्व, W20 को G20 में एक परामर्शी तंत्र की ओर फिर से ले जाने के लिए, इस उन्नत प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है. यह G20 समुदाय को नीति निर्माण में W20 योगदान की क्षमता और महत्व पर प्रकाश डालता है. भारत W20 के लिए मंत्रिस्तरीय और वरिष्ठ आधिकारिक प्रतिनिधि और संचार के माध्यम से भी ऐसा कर सकता है. इन रास्तों को रेखांकित करना और भारत के प्रेसिडेंट बनने के समय से यह स्पष्ट करना एक ऐसा तरीक़ा है जो W20 को इसके ऊंचे दर्ज़े का संकेत दे सकता है. एक चीज़ जो प्रतिनिधि ढूंढते हैं वह है W20 प्रेसीडेंसी से उस दिशा को समझने के लिए नेतृत्व के संकेत लेकिन यह भी कि क्या उनके प्रयास और संसाधन सार्थक हैं. आकस्मिक टिप्पणियों से पता चलता है कि डूब लागत की गिरावट लागू नहीं होती है और जब वे आसानी से नहीं पढ़ सकते हैं कि उनके काम का कार्यात्मक उद्देश्य क्या है, तो प्रतिनिधि अलग हो जाते हैं.

आगे देखने के लिए अतीत की ओर झांकना

महिलाओं के लिए आजीवन नतीज़ों में आई गिरावट की पृष्ठभूमि में जी 20 में महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा का महत्व बढ़ गया है. वुमन 20 और अन्य समूहों जैसे कि बीडब्ल्यूएल टास्कफ़ोर्स और एम्पॉवर ने नीतिगत सिफ़ारिशों की वक़ालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो महिलाओं पर सकारात्मक प्रभाव डालेंगे. इसके बावज़ूद इस पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है कि वुमन 20 एक संगठन के तौर पर कहां जा रहा है और इसे लेकर जी 20 को क्या पेशकश करनी चाहिए. यह ‘लैंगिक एज़ेंडे’ के दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि यह है कि कैसे उस एज़ेंडे की वक़ालत की जाती है और जो तेज़ी से जटिल बहुपक्षीय प्रणाली को बढ़ावा देता है और जो दबाव में है.

भारत के जी 20 प्रतिबद्धताओं के साथ, जो न केवल अध्यक्ष पद के शुरू होने से पहले के विशेषाधिकार के साथ प्रतिबिंबित करने का मौका है, बल्कि यह भी विचार योग्य है कि यह इस तरह के एक महत्वपूर्ण नीतिगत एज़ेंडे का नेतृत्व कैसे करेगा. वुमन 20, जी 20 संगठनों के साथ पूरी तरह से यह समझना मुश्किल है कि हर नए अध्यक्ष पद के साथ सार्वजनिक रिकॉर्ड को प्रभावी ढंग से मिटा दिया जाता है. वुमन 20 के भीतर विशेषज्ञता से पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए क्या किया जा सकता है, इस बारे में पिछले प्रतिनिधियों और अध्यक्षताओं से बहुत कुछ सीखना अभी बाक़ी है. भारत के लिए सबसे पहले वुमन 20 की शुरुआत विशेषज्ञता वाली स्थिति से ही करनी चाहिए. इसका मतलब यह अनुमान लगाना है कि नॉलेज़ पार्टनर, प्रतिनिधियों और हितधारकों को क्या पेशकश करनी है. क्या यह विशेषज्ञों के रूप में उनकी शुरुआती बातों को मानने या फिर वुमन 20 के सामने रखने को लेकर है. दूसरी चीज़ जो भारत को करनी चाहिए वह यह है कि उन प्रक्रियाओं में सुधार लानी चाहिए जो तेज़ी से अप्रभावी होती जा रही हैं. वुमन 20 को एक विशेषज्ञ समूह के लिए फिर से आगे बढ़ाने की ज़रूरत है, जो जी 20 के आधिकारिक ट्रैक को सूचित और सलाह दे सके. वुमन 20 के लिए एक लचीला दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है और सीमित साइड-इवेंट के साथ विज्ञप्ति पर फिर से ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत है. तीसरा काम जो भारत कर सकता है, वह है आधिकारिक ट्रैक और वरिष्ठ प्रतिनिधित्व के लिए औपचारिक रास्ते के साथ वूमन 20 के स्तर को आगे बढ़ाना. 


[1] “Brisbane, Australia, 15-16 November 2014,” OECD.

[2] Clare Wenham et al., “Women are most affected by pandemics — lessons from past outbreaks,” Nature (blog), 8 July, 2020.; Nicole Bateman and Martha Ross, “Why Has COVID-19 been especially harmful for working women?,” Brookings, October, 2020.; Danielle Wood, Kate Griffiths, and Tom Crowley, “Women’s work: The impact of the COVID crisis on Australian women,” Grattan Institute, February 14, 2021.

[3] Wood, Griffiths, and Crowley, “Women’s Work”

[4] “NO Woman left behind,” W20 Saudi Arabia 2020 Women.

[5] “W20 presents recommendations to President Mauricio Macri,” G20 Argentina 2018, October 3, 2018.

[6] “Opening Address by Prime Minister Shinzo Abe at 5th WAW! /W20,” Prime Minister of Japan and His Cabinet, March 23, 2019.

[7] Erin Watson-Lynn, “Saudi Arabia Is Not Offside on Gender Equality,” The Interpreter, March 6, 2020.

[8] “Prime Minister Justin Trudeau Appoints Shahrzad Rafati to Represent Canada on G20 Business Women Leaders Task Force,” Financial Post, September 20, 2018.

[9] “G20 EMPOWER To Improve Women’s Economic Empowerment and Representation in Canada and Around the World,” Cision, March 25, 2021.

[10] G20 Empower (@g20empower), Twitter, 2022.

[11] “WPL Joins the G20 Ministerial Conference on Women’s Empowerment,” Women Political Leaders (blog), 2021.; “Ministerial Conference on Women’s Empowerment,” G20 Indonesia 2022.

[12] An exception here is Ursula von der Leyen who is President of the European Commission, which has a seat at the G20 table.

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