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सेशेल्स ने अपनी 64 प्रतिशत आबादी का संपूर्ण टीकाकरण कर लिया है यानी इन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग चुकी है
98,000 की आबादी के साथ 115 द्वीपों का द्वीप–समूह सेशेल्स पर्यटन उद्योग पर बहुत ज़्यादा निर्भरता की वजह से जल्द–से–जल्द अपने नागरिकों को टीका लगवाना चाहता है ताकि उसकी अर्थव्यवस्था एक बार फिर से दौड़ने लगे. तेज़ी से टीका लगाने में उसे कामयाबी भी मिली है. सेशेल्स ने अपनी 64 प्रतिशत आबादी का संपूर्ण टीकाकरण कर लिया है यानी इन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग चुकी है जबकि 70 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की एक डोज़ लगी है. इसका ये मतलब हुआ कि सेशेल्स ने वैक्सीन लगाने का काम 100 प्रतिशत पूरा कर लिया है क्योंकि हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए सेशेल्स ने क़रीब 70,000 लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा था.
ख़ुद को ‘दुनिया में सबसे ज़्यादा वैक्सीन लगाने वाला देश’ की उपाधि देते हुए सेशेल्स ने पर्यटकों के लिए अपने द्वीपों को 25 मार्च 2021 को फिर से खोला और यूएई, इज़रायल और रूस से आने वाले सैलानियों का उत्सुकता से स्वागत किया. लेकिन मई की शुरुआत में सेशेल्स ने कोविड के केस में हैरान करने वाली तेज़ी देखी. सीएनएन के साथ एक इंटरव्यू में राष्ट्रपति वैवेल रामकलावन ने बताया, “8 मई के क़रीब हमने कोविड के मामलों की संख्या में तेज़ी देखी. इसकी वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) समेत कई संगठनों ने हमसे सवाल पूछे.”
सेशेल्स ने पर्यटकों के लिए अपने द्वीपों को 25 मार्च 2021 को फिर से खोला और यूएई, इज़रायल और रूस से आने वाले सैलानियों का उत्सुकता से स्वागत किया. लेकिन मई की शुरुआत में सेशेल्स ने कोविड के केस में हैरान करने वाली तेज़ी देखी.
कोविड के मामलों में तेज़ी के बाद यूके सरकार के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने कोविड-19 के मौजूदा आकलन के आधार पर ज़रूरी यात्रा को छोड़कर सेशेल्स नहीं जाने की सलाह दी. यूरोपीय यूनियन ने भी इसी तरह अपने नागरिकों को सलाह दी. अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने ‘लेवल 4: यात्रा नहीं करें’ का स्वास्थ्य नोटिस जारी किया. इसके बाद अमेरिका ने भी अपने नागरिकों को सेशेल्स की यात्रा के ख़िलाफ़ सुझाव दिया.
हालांकि, राष्ट्रपति रामकलावन ने इस बात की तरफ़ ध्यान दिलाया कि जिन लोगों को वायरस का संक्रमण हो रहा है, उनमें से ज़्यादातर ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी और जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज़ ले ही है, उनमें से ज़्यादातर को कोई लक्षण नहीं है. एक महत्वपूर्ण बात और राष्ट्रपति रामकलावन ने कही, “अभी तक ऐसे किसी भी व्यक्ति की मौत का मामला सामने नहीं आया है जिसने वैक्सीन की दोनों डोज़ ली हो”.
राष्ट्रपति रामकलावन की टिप्पणी उस वक़्त आई जब चीन की साइनोफार्म वैक्सीन के असर को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं, ख़ास तौर पर पश्चिमी मीडिया में. न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में कहा गया है, “अब वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि चीन की वैक्सीन के इस्तेमाल को चुनने वाले विकासशील देश उन देशों से पीछे रह सकते हैं जिन्होंने फ़ाइज़र–बायोएनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन को चुना था क्योंकि चीन की वैक्सीन का असर अपेक्षाकृत कमज़ोर है.”
सेशेल्स में वैक्सीनेशन के लिए यूएई से दान में मिली चीन की साइनोफार्म वैक्सीन और भारत के तोहफ़े कोविशील्ड का इस्तेमाल किया गया जो ऑक्सफोर्ड–एस्ट्राज़ेनेका की मेड इन इंडिया वैक्सीन है. भारत ने कोविशील्ड की 1,00,00 डोज़ उपहार में दी जबकि यूएई ने साइनोफार्म की 50,000 डोज़ दान में दी. जिन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ दी गई उनमें से 57 प्रतिशत को साइनोफार्म वैक्सीन दी गई जबकि 43 प्रतिशत को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई.
10 मई 2021 का इयान ब्रेमर (अध्यक्ष, यूरेशिया ग्रुप) का ट्वीट पश्चिमी मीडिया में साइनोफार्म वैक्सीन के ख़िलाफ़ चिंता को दिखाता है: “सेशेल्स फिलहाल दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी को वैक्सीन लगाने वाला देश है लेकिन अभी यहां प्रति व्यक्ति कोविड के मामले भारत से भी ज़्यादा हैं. ये कैसे मुमकिन है? ज़्यादातर इस्तेमाल की गई वैक्सीन साइनोफार्म है जो गंभीर बीमारी/मौत से काफ़ी हद तक बचाती है लेकिन संक्रमण कम करने के मामले में असरदार नहीं है.”
सेशेल्स में वैक्सीनेशन के लिए यूएई से दान में मिली चीन की साइनोफार्म वैक्सीन और भारत के तोहफ़े कोविशील्ड का इस्तेमाल किया गया जो ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की मेड इन इंडिया वैक्सीन है.
मूल रूप से राष्ट्रपति रामकलावन का नज़रिया इससे हटकर नहीं है. लेकिन उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया कि वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाले किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. सेशेल्स न्यूज़ एजेंसी (एसएनए) से बात करते हुए रामकलावन ने कहा, “लोग संक्रमित हैं लेकिन कुछ लोगों को छोड़कर ज़्यादातर लोग बीमार नहीं हैं. क्या वैक्सीन से इसी तरह की मदद नहीं मिलनी थी? इसलिए जो हो रहा है वो सामान्य है.”
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की ज़रूरत पड़ी, उनमें से 80 प्रतिशत को वैक्सीन नहीं लगाई गई थी और वो ऐसे लोग हैं जिन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं. रामकलावन के मुताबिक, इससे पता चलता है कि वैक्सीन ने असर किया है. रामकलावन ने टिप्पणी की, “साइनोफार्म वैक्सीन का असर पूरी तरह है. इसने सेशेल्स को बचाया है. अगर साइनोफार्म वैक्सीन असरदायक नहीं होती तो हमें लोगों की मौत देखनी पड़ती, हमें अस्पताल में ज़्यादा लोगों को भर्ती कराना पड़ता.”
राष्ट्रपति रामकलावन ने साइनोफार्म के असर और कोविड केस तेज़ी से बढ़ने से इसके संबंध को लेकर सवाल को ठुकरा दिया. उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि उन्होंने ख़ुद भी साइनोफार्म वैक्सीन ली है. उन्होंने आगे ये भी जोड़ा कि वास्तव में वो साइनोफार्म वैक्सीन लेने वाले सेशेल्स के पहले व्यक्ति होने के साथ–साथ अफ्रीका के पहले नेता भी हैं. उन्होंने साइनोफार्म के असर को लेकर अफ़वाहों को वैक्सीन राजनीति कहकर खारिज कर दिया: “पश्चिमी देश बनाम चीन और प्रचलित राजनीति.” रामकलावन ने ख़ास तौर पर इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि साइनोफार्म वैक्सीन लेने के बाद उन्होंने एंटी–बॉडी टेस्ट कराया और इसके नतीजे से पता चला कि उनके शरीर में काफ़ी ज़्यादा मात्रा में एंटी–बॉडी है.
98,000 की आबादी के साथ 115 द्वीपों का द्वीप–समूह सेशेल्स पर्यटन उद्योग पर बहुत ज़्यादा निर्भरता की वजह से जल्द–से–जल्द अपने नागरिकों को टीका लगवाना चाहता है ताकि उसकी अर्थव्यवस्था एक बार फिर से दौड़ने लगे. तेज़ी से टीका लगाने में उसे कामयाबी भी मिली है. सेशेल्स ने अपनी 64 प्रतिशत आबादी का संपूर्ण टीकाकरण कर लिया है यानी इन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग चुकी है जबकि 70 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की एक डोज़ लगी है. इसका ये मतलब हुआ कि सेशेल्स ने वैक्सीन लगाने का काम 100 प्रतिशत पूरा कर लिया है क्योंकि हर्ड इम्युनिटी हासिल करने के लिए सेशेल्स ने क़रीब 70,000 लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य रखा था.
ख़ुद को ‘दुनिया में सबसे ज़्यादा वैक्सीन लगाने वाला देश’ की उपाधि देते हुए सेशेल्स ने पर्यटकों के लिए अपने द्वीपों को 25 मार्च 2021 को फिर से खोला और यूएई, इज़रायल और रूस से आने वाले सैलानियों का उत्सुकता से स्वागत किया. लेकिन मई की शुरुआत में सेशेल्स ने कोविड के केस में हैरान करने वाली तेज़ी देखी. सीएनएन के साथ एक इंटरव्यू में राष्ट्रपति वैवेल रामकलावन ने बताया, “8 मई के क़रीब हमने कोविड के मामलों की संख्या में तेज़ी देखी. इसकी वजह से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) समेत कई संगठनों ने हमसे सवाल पूछे.”
सेशेल्स ने पर्यटकों के लिए अपने द्वीपों को 25 मार्च 2021 को फिर से खोला और यूएई, इज़रायल और रूस से आने वाले सैलानियों का उत्सुकता से स्वागत किया. लेकिन मई की शुरुआत में सेशेल्स ने कोविड के केस में हैरान करने वाली तेज़ी देखी.
कोविड के मामलों में तेज़ी के बाद यूके सरकार के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने कोविड-19 के मौजूदा आकलन के आधार पर ज़रूरी यात्रा को छोड़कर सेशेल्स नहीं जाने की सलाह दी. यूरोपीय यूनियन ने भी इसी तरह अपने नागरिकों को सलाह दी. अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने ‘लेवल 4: यात्रा नहीं करें’ का स्वास्थ्य नोटिस जारी किया. इसके बाद अमेरिका ने भी अपने नागरिकों को सेशेल्स की यात्रा के ख़िलाफ़ सुझाव दिया.
हालांकि, राष्ट्रपति रामकलावन ने इस बात की तरफ़ ध्यान दिलाया कि जिन लोगों को वायरस का संक्रमण हो रहा है, उनमें से ज़्यादातर ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी और जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज़ ले ही है, उनमें से ज़्यादातर को कोई लक्षण नहीं है. एक महत्वपूर्ण बात और राष्ट्रपति रामकलावन ने कही, “अभी तक ऐसे किसी भी व्यक्ति की मौत का मामला सामने नहीं आया है जिसने वैक्सीन की दोनों डोज़ ली हो”.
राष्ट्रपति रामकलावन की टिप्पणी उस वक़्त आई जब चीन की साइनोफार्म वैक्सीन के असर को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं, ख़ास तौर पर पश्चिमी मीडिया में. न्यूयॉर्क टाइम्स के एक लेख में कहा गया है, “अब वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि चीन की वैक्सीन के इस्तेमाल को चुनने वाले विकासशील देश उन देशों से पीछे रह सकते हैं जिन्होंने फ़ाइज़र–बायोएनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन को चुना था क्योंकि चीन की वैक्सीन का असर अपेक्षाकृत कमज़ोर है.”
सेशेल्स में वैक्सीनेशन के लिए यूएई से दान में मिली चीन की साइनोफार्म वैक्सीन और भारत के तोहफ़े कोविशील्ड का इस्तेमाल किया गया जो ऑक्सफोर्ड–एस्ट्राज़ेनेका की मेड इन इंडिया वैक्सीन है. भारत ने कोविशील्ड की 1,00,00 डोज़ उपहार में दी जबकि यूएई ने साइनोफार्म की 50,000 डोज़ दान में दी. जिन लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ दी गई उनमें से 57 प्रतिशत को साइनोफार्म वैक्सीन दी गई जबकि 43 प्रतिशत को कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई.
10 मई 2021 का इयान ब्रेमर (अध्यक्ष, यूरेशिया ग्रुप) का ट्वीट पश्चिमी मीडिया में साइनोफार्म वैक्सीन के ख़िलाफ़ चिंता को दिखाता है: “सेशेल्स फिलहाल दुनिया में सबसे ज़्यादा आबादी को वैक्सीन लगाने वाला देश है लेकिन अभी यहां प्रति व्यक्ति कोविड के मामले भारत से भी ज़्यादा हैं. ये कैसे मुमकिन है? ज़्यादातर इस्तेमाल की गई वैक्सीन साइनोफार्म है जो गंभीर बीमारी/मौत से काफ़ी हद तक बचाती है लेकिन संक्रमण कम करने के मामले में असरदार नहीं है.”
सेशेल्स में वैक्सीनेशन के लिए यूएई से दान में मिली चीन की साइनोफार्म वैक्सीन और भारत के तोहफ़े कोविशील्ड का इस्तेमाल किया गया जो ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका की मेड इन इंडिया वैक्सीन है.
मूल रूप से राष्ट्रपति रामकलावन का नज़रिया इससे हटकर नहीं है. लेकिन उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान दिलाया कि वैक्सीन की दोनों डोज़ लेने वाले किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है. सेशेल्स न्यूज़ एजेंसी (एसएनए) से बात करते हुए रामकलावन ने कहा, “लोग संक्रमित हैं लेकिन कुछ लोगों को छोड़कर ज़्यादातर लोग बीमार नहीं हैं. क्या वैक्सीन से इसी तरह की मदद नहीं मिलनी थी? इसलिए जो हो रहा है वो सामान्य है.”
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की ज़रूरत पड़ी, उनमें से 80 प्रतिशत को वैक्सीन नहीं लगाई गई थी और वो ऐसे लोग हैं जिन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं. रामकलावन के मुताबिक, इससे पता चलता है कि वैक्सीन ने असर किया है. रामकलावन ने टिप्पणी की, “साइनोफार्म वैक्सीन का असर पूरी तरह है. इसने सेशेल्स को बचाया है. अगर साइनोफार्म वैक्सीन असरदायक नहीं होती तो हमें लोगों की मौत देखनी पड़ती, हमें अस्पताल में ज़्यादा लोगों को भर्ती कराना पड़ता.”
राष्ट्रपति रामकलावन ने साइनोफार्म के असर और कोविड केस तेज़ी से बढ़ने से इसके संबंध को लेकर सवाल को ठुकरा दिया. उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि उन्होंने ख़ुद भी साइनोफार्म वैक्सीन ली है. उन्होंने आगे ये भी जोड़ा कि वास्तव में वो साइनोफार्म वैक्सीन लेने वाले सेशेल्स के पहले व्यक्ति होने के साथ–साथ अफ्रीका के पहले नेता भी हैं. उन्होंने साइनोफार्म के असर को लेकर अफ़वाहों को वैक्सीन राजनीति कहकर खारिज कर दिया: “पश्चिमी देश बनाम चीन और प्रचलित राजनीति.” रामकलावन ने ख़ास तौर पर इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि साइनोफार्म वैक्सीन लेने के बाद उन्होंने एंटी–बॉडी टेस्ट कराया और इसके नतीजे से पता चला कि उनके शरीर में काफ़ी ज़्यादा मात्रा में एंटी–बॉडी है.
सेशेल्स के साथ-साथ दुनिया के बाक़ी देशों के लिए भी ये महत्वपूर्ण है कि वो वैक्सीन राजनीति से आगे बढ़ें और वैक्सीन के असर को लेकर वास्तविक समझ हासिल करें ताकि वो असमंजस में डालने वाले इस सवाल का जवाब दे सकें
अभी तक इस बात का निश्चित जवाब नहीं मिल पाया है कि अचानक कोविड के मामले क्यों बढ़े. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि उसे हालात का मूल्यांकन करने की ज़रूरत है, मामलों की गंभीरता के सथ–साथ वायरस के स्ट्रेन को नज़दीक से देखना होगा. स्वास्थ्य मंत्रालय ने ध्यान दिलाया है कि ईस्टर के जश्न के ठीक बाद मामले बढ़े और जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवा ली थी, वो बेपरवाह हो गए और उन्होंने कम एहतियात बरता.
राष्ट्रपति रामकलावन ये कहते हुए मुखर बने हुए हैं कि, “दोनों वैक्सीन साइनोफार्म और कोविशील्ड एस्ट्राज़ेनेका ने हमारे नागरिकों का बचाव अच्छी तरह किया है.” ये भी ख़बर है कि सेशेल्स को जल्द ही रूस की स्पुतनिक V और फ़ाइज़र वैक्सीन भी मिलने वाली है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफ्रीकी संघ के देशों को 50 करोड़ वैक्सीन देने का वादा किया है, उसी के तहत सेशेल्स को भी फ़ाइज़र वैक्सीन मिलेगी.
जिस वक़्त सेशेल्स इस संकट से बाहर निकल रहा है, उस वक़्त सेशेल्स के साथ–साथ दुनिया के बाक़ी देशों के लिए भी ये महत्वपूर्ण है कि वो वैक्सीन राजनीति से आगे बढ़ें और वैक्सीन के असर को लेकर वास्तविक समझ हासिल करें ताकि वो असमंजस में डालने वाले इस सवाल का जवाब दे सकें: क्या वैक्सीन की पसंद मायने रखती है? और अगर ऐसा है तो ये कैसे और किसके लिए मायने रखती है? वैक्सीन की पसंद का दीर्घकालीन नतीजा क्या है और किसी एक देश की ख़ास चुनौती से इसका क्या संबंध है? छोटे और विकासशील द्वीपीय देश जो वैश्विक पर्यटन के लड़खड़ाने की वजह से आर्थिक मोर्चे पर सबसे मुश्किल संघर्ष का सामना कर रहे हैं, उनके लिए ये सवाल तुरंत और बेहतर ढंग से समझने की ज़रूरत है.
अभी तक इस बात का निश्चित जवाब नहीं मिल पाया है कि अचानक कोविड के मामले क्यों बढ़े. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि उसे हालात का मूल्यांकन करने की ज़रूरत है, मामलों की गंभीरता के सथ–साथ वायरस के स्ट्रेन को नज़दीक से देखना होगा. स्वास्थ्य मंत्रालय ने ध्यान दिलाया है कि ईस्टर के जश्न के ठीक बाद मामले बढ़े और जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज़ लगवा ली थी, वो बेपरवाह हो गए और उन्होंने कम एहतियात बरता.
राष्ट्रपति रामकलावन ये कहते हुए मुखर बने हुए हैं कि, “दोनों वैक्सीन साइनोफार्म और कोविशील्ड एस्ट्राज़ेनेका ने हमारे नागरिकों का बचाव अच्छी तरह किया है.” ये भी ख़बर है कि सेशेल्स को जल्द ही रूस की स्पुतनिक V और फ़ाइज़र वैक्सीन भी मिलने वाली है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफ्रीकी संघ के देशों को 50 करोड़ वैक्सीन देने का वादा किया है, उसी के तहत सेशेल्स को भी फ़ाइज़र वैक्सीन मिलेगी.
जिस वक़्त सेशेल्स इस संकट से बाहर निकल रहा है, उस वक़्त सेशेल्स के साथ–साथ दुनिया के बाक़ी देशों के लिए भी ये महत्वपूर्ण है कि वो वैक्सीन राजनीति से आगे बढ़ें और वैक्सीन के असर को लेकर वास्तविक समझ हासिल करें ताकि वो असमंजस में डालने वाले इस सवाल का जवाब दे सकें: क्या वैक्सीन की पसंद मायने रखती है? और अगर ऐसा है तो ये कैसे और किसके लिए मायने रखती है? वैक्सीन की पसंद का दीर्घकालीन नतीजा क्या है और किसी एक देश की ख़ास चुनौती से इसका क्या संबंध है? छोटे और विकासशील द्वीपीय देश जो वैश्विक पर्यटन के लड़खड़ाने की वजह से आर्थिक मोर्चे पर सबसे मुश्किल संघर्ष का सामना कर रहे हैं, उनके लिए ये सवाल तुरंत और बेहतर ढंग से समझने की ज़रूरत है.
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Dr. Vinitha Revi is an Independent Scholar associated with ORF-Chennai. Her PhD was in International Relations and focused on India-UK relations in the post-colonial period. ...
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