Published on Mar 11, 2021 Updated 0 Hours ago

इस नाज़ुक और आपातकालीन समय में भारत ने उचित समय पर कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध कराकर नेपाल की काफ़ी हद तक इस मुश्किल वक्त़ में मदद प्रदान की है 

भारत की ‘वैक्सीन मैत्री’ आधारित कूटनीति ने नेपाल की कितनी मदद की?

भारत ने नेपाल को करीब एक मिलियन कोविड-19 वैक्सीन की खुराक़ की मदद करके वहां के लोगों का दिल जीत लिया. कोविड वैक्सीन की ये खुराक़ वहां के ज़रूरतमंद लोगों को भारत सरकार द्वारा नि:शुल्क तौर पर मुहैया करायी गर्इ है. नेपाल को कोविड-19 वैक्सीन की सख़्त ज़रूरत थी क्योंकि इस समय तक मिले आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 की वजह से नेपाल में 2,71,925 लोग संक्रमित हो चुके हैं, और अब-तक कुल 2038 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. ये आंकड़े 8 फरवरी 2021 तक के हैं. ऐसे में इस नाज़ुक और आपातकालीन समय में भारत ने उचित समय पर कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध कराकर नेपाल की काफ़ी हद तक इस मुश्किल वक्त़ में मदद प्रदान की है. भारत में उत्पादित कोविशील्ड वैक्सिन के देश के भीतर सफल शुरुआत के बाद नेपाल, उन चंद देशों की फेहरिस्त में आ गया जिसे भारत ने यह टीका उपलब्ध  करवाया है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ऐस्ट्राजेनिका कंपनी द्वारा विकसित और भारत के सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा उत्पादित कोविशील्ड वैक्सीन को नेपाल और कई अन्य देशों ने उतनी ही गर्मजोशी के साथ स्वीकार किया गया है, जिस तरह से अमेरिका में Pfizer कोविड-19 वैक्सीन और जॉनसन एण्ड जॉनसन द्वारा निर्मित कोविड-19 वैक्सिन को सहर्ष स्वीकार किया गया. हालांकि, Pfizer और जॉनसन एंड जॉनसन  द्वारा निर्मित कोविड वैक्सीन थोड़ा ज्य़ादा महंगा होने की वजह से विकासशील देशों में रहने-वाले आम आदमी की पहुंच के बाहर साबित हो सकते हैं. इसके अलावा इन वैक्सीन का भंडारण काफी निचले तापमान में करने की आवश्यकता होती है, जो नेपाल जैसे विकासशील देश के लिए करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, ख़ासकर तब जब उन्हें इन वैक्सीन को अपने देश के भीतर नियत जगहों पर सड़क यातायात के ज़रिये ले जाने की ज़रूरत होती है.

भारत में निर्मित कोविशील्ड वैक्सिन को आसानी से 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान में आसानी से सरंक्षित करके एक जगह से दूसरी जगह तक लाया जाया जा सकता है. इसके अलावा भारतीय वैक्सिन काफ़ी हद तक सुरक्षित और सस्ता है. 

इसके विपरीत भारत में निर्मित कोविशील्ड वैक्सिन को आसानी से 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान में आसानी से सरंक्षित करके एक जगह से दूसरी जगह तक लाया जाया जा सकता है. इसके अलावा भारतीय वैक्सिन काफ़ी हद तक सुरक्षित और सस्ता है.

कैसे कोविशील्ड बना संजीवनी बूटी

सच्चाई तो ये है कि, जिस तरह से रामायण में श्रीलंका की युद्धभूमी में घायल हुए भगवान राम के भाई लक्ष्मण की जान बचाने के लिए हनुमान हिमालय से “प्राण-रक्षक संजीवनी बूटी” लेकर आए थे, बिल्कुल वैसे ही भारत में निर्मित कोविशील्ड  वैक्सिन इस कठिन वक्त में नेपाल के लिए जीवनदायी संजीवनी बूटी सिद्ध हुर्इ है. ये पहली बार नहीं है कि नेपाल को इस तरह से भारत से जीवन-रक्षक संजीवनी बूटी प्राप्त की है. साल 2015 में आये विनाशकारी भूकंप के बाद जिसमें नेपाल के हजारों नागरिकों की मौत हो गई थी, उस वक्त छह घंटे से भी कम वक्त में, भारत वो पहला देश था जिसने नेपाल को बचाव एवं राहत सामग्री पहुंचाने का काम किया था. इसके अलावा विस्थापितों के पुर्नवास के लिए भी भारत सरकार ने भारी-भरकम धनराशि मदद के रूप में दी थी.

27 जनवरी 2021 को पूरे देश में कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की शुरूआत करते वक्त नेपाली प्रधानमंत्री श्री के.पी.शर्मा ओली ने, बेहद उत्साह व आत्मविश्वास के साथ इस बात का घोषणा की, कि नेपाल की कुल 30 मिलियन आबादी के 72 प्रतिशत हिस्से या नागरिकों को आगामी तीन महीने में टीका लगा लिया जाएगा. हालांकि, बाद में उन्होंने ये भी कहा कि देश की संपूर्ण आबादी को कोविड-19 के टीका द्वारा सुरक्षीत करने में एक साल लग जाएंगे. जिन 72 प्रतिशत आबादी को टीका लगाया जाएगा, उनमें देश की 18 साल से उपर की आबादी को शामिल किया जाएगा. देश में रहने वाले 14 साल से कम उम्र के बच्चे जो देश की कुल आबादी का 28 प्रतिशत हिस्सा हैं, उन्हें इस टीकाकरण अभियान में शामिल नहीं किया गया है.

अब-तक देश के सात प्रदेशों में कोविशील्ड टीकाकरण अभियान की शुरुआत हो चुकी है, और अभी तक कहीं से भी किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव या जान-माल के नुकसान की जानकारी प्राप्त नहीं हुर्इ है. हालांकि, कुछ स्वास्थ्य कर्मी जिन्हें प्रथम चरण के टीकाकरण अभियान के दौरान टीका लगाया गया था, उन्होंने बुख़ार, सिर में चक्कर आना, टीका लगी अंग पर सूजन और दर्द की शिकायत दर्ज करवार्इ है. लेकिन इसके बाद भी ये कहा जा सकता है, ये दुष्प्रभाव या साइड-इफेक्टस बेहद मामूली किस्म के थे. अगर निष्कर्ष निकाला जाये तो हम ये कह सकते हैं कि इस वैक्सिन/टीका को नेपाल में स्वीकार किया जा चुका है. नेपाल पहले दौर के टीकाकरण अभियान में लगभग 4,30,000 अग्रिम पंक्ति के फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को शामिल करने की कोशिश में है. इनमें मुख्य रूप से स्वास्थ्य कर्मी, महिला सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सुरक्षाकर्मी, सफार्इकर्मी और वृद्धाश्रम व कारागार आदि में रहने वाले वृद्धजनों को शामिल करने की योजना है. दूसरे चरण में 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों का टीकाकरण किये जाने की संभावना है. तीसरे चरण में 40 से 55 वर्ष के नागरिकों और चौथे चरण में शेष आबादी को टीकाकरण में शामिल किया जाना है.

अब-तक देश के सात प्रदेशों में कोविशील्ड टीकाकरण अभियान की शुरुआत हो चुकी है, और अभी तक कहीं से भी किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव या जान-माल के नुकसान की जानकारी प्राप्त नहीं हुई है

अपनी पूरी आबादी के टीकाकरण के लक्ष्य को तय समय-सीमा के अंदर हासिल करने के लिए, नेपाल को संयुक्त राष्ट्र के विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोवैक्स सुविधा के ज़रिये कोविड-19 कोविशील्ड वैक्सीन की 2,256,000 ख़ुराक़ मुहैया कराये जाने की बात है. ये वैक्सीन संभवत: नेपाल को फरवरी महीने के अंत तक संयुक्त राष्ट्र संगठन के कोवैक्स सुविधा के अंतर्गत दे दी गई होगी. विश्व स्वास्थ्य संगठन इस महामारी के संकट के दौरान नेपाल की हर संभव सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है.

नेपाल में कोविड-19 वैक्सिन की भारी मांग को देखते हुए, (भारत के) स्वदेशी भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोविड-19 प्रतिरोधक, ‘कोवैक्सीन’ ने नेपाल में इसके आपातकालीन इस्तेमाल के लिए आवेदन भी दाख़िल किया है. बिल्कुल इसी तरह से चीनी अधिकारी भी अपने यहां की स्थानीय कंपनी शाइनोफार्म द्वारा बनायी गई वैक्सीन के 300,000 टीकों के इस्तेमाल की अनुमति मांगी है. चीन भी भारत की तरह नेपाल को ये वैक्सीन बिल्कुल मुफ़्त, मदद के तौर पर देना चाहता है. लेकिन, नेपाल के औषधीय विभाग ने अब-तक सिर्फ़ भारत द्वारा दिए गए कोविशील्ड को ही आपात स्थिति में इस्तेमाल किए जाने की मंज़ूरी दी है. इसके अलावा किसी भी अन्य उत्पाद को फ़िलहाल ये अनुमति नहीं दी गई है. नेपाल प्रशासन ने भारत के बायोटेक और चीन के शाइनोफार्म कंपनी को अपनी-अपनी वैक्सीन के आपात-कालीन इस्तेमाल की अनुमति प्राप्त करने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ उनके पास जमा करने के निर्देश दिए हैं.

भारत निर्मित वैक्सीन से नेपाल बना आत्मनिर्भर

भारत निर्मित कोविशिल्ड की खोज और उसके सफल परिक्षण ने नेपाल सरकार को इस हद तक आत्मविश्वास प्रदान किया है कि अब नेपाल की सरकार उन विदेशी नागरिकों और पर्यटकों को भी अपनी सीमा में अधिकृत प्रवेश करने की अनुमति देने पर विचार कर रही है, जिन्होंने अपने देश में पहले से यह वैक्सिन लगवा लिया है. चूंकि, कर्इ देशों ने विदेश यात्रा पर जाने वाले अपने कुछ नागरिकों को टीकाकरण प्रमाण-पत्र जारी किया हुआ है, उन्हें न तो क्वॉरंटाइन किया जाएगा और न ही उन्हें टीका लिए जाने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता होगी. वर्तमान समय में नेपाली सरकार सिर्फ़ उन यात्रियों को ही अपने देश में प्रवेश करने अनुमति दे रही है, जो कोविड-19 की जांच  किए जाने का प्रमाण-पत्र दिखा पा रहे हैं.

इसके अलावा, भारत और चीन के नागरिकों को नेपाल भ्रमण के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नेपाल सरकार ने अपने यहां की उन 16 सीमा बिन्दुओं को खोलने का निर्णय लिया है जो भारत और चीन की सीमाओं के साथ लगे हुए हैं. नेपाली सरकार के इस  प्रोत्साहन भरे कदम के पीछे कहीं न कहीं ये मंशा थी कि भारत से आने वाले तीर्थ यात्री 11 मार्च को महाशिवरात्री पर्व के मौके पर भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन कर सकें.

नेपाली सरकार के इस  प्रोत्साहन भरे कदम के पीछे कहीं न कहीं ये मंशा थी कि भारत से आने वाले तीर्थ यात्री 11 मार्च को महाशिवरात्री पर्व के मौके पर भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन कर सकें. 

इस संकटपूर्ण परिस्थिती में जब नेपाल को कोविड-19 के टीके की अत्यंत आवश्यकता थी उस कठिन घड़ी में कोविशील्ड वैक्सिन मुहैया करवाकर, भारत ने कहीं न कहीं नेपाली नागरिकों के बीच सद्भाव हासिल कर मज़बूत साख़ स्थापित की है. भारत के पड़ोसी देशों में नेपाल के अलावा भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, सेशेल्स, मालदीव्स, श्रीलंका, और अफ़गानिस्तान जैसे देशों को भी भारतीय टीके से फ़ायदा पहुंचा है. कोविड-19 के टीकाकरण की बदौलत इन देशों के नागरिकों का कोरोना संक्रमण से बचाव होगा, जिससे न सिर्फ़ वो इस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रह सकेगें बल्कि इसका असर इन देशों के कृषि-क्षेत्र, औद्योगिक-क्षेत्र, सेवायें, पर्यटन और अन्य क्षेत्र जो इस महामारी की वजह से सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुए थे, उनमें नए जीवन का संचार हो पायेगा और वे मज़बूत होंगे. इस टीकाकरण की वजह से सामरिक और भौगोलिक स्तर पर इलाके में पहले की तरह सामान्य हालात बहाल करने में मदद होगी.

जिस तरह से भारत सरकार ने उदारता दिखाते हुए, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल समेत अपने कई अन्य पड़ोसी देशों को कोविड-19 जैसे जानलेवा बीमारी से लड़ने के लिए, जीवनरक्षक कोविशील्ड वैक्सीन उपलब्ध करवायी है वो वाक़ई काबिलेतारीफ़ क़दम है. भारत की सरकार इस प्रशंसनीय क़दम के लिए बधाई की पात्र है.

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