मापदंड, नियम और ज़िम्मेदार राष्ट्रों के व्यवहार के लिए सिद्धान्त किसी सुरक्षा दीवार और फायरब्रेक की तरह नहीं होते हैं. आग के फैलने की स्थिति में सुरक्षा दीवार और फायरब्रेक पहली पंक्ति के सुरक्षात्मक उपाय होते हैं. आग के फैलाव को रोकने के लिए वास्तविक तौर पर एक दीवार खड़ी की जाती है जो बिल्डिंग को इससे अलग करती है या फिर अगर बिल्डिंग की सुरक्षा दीवार को किसी भी तरफ गिरने से बचाने के लिए इन्हें उपविभाजित किया जाता है. इससे थोड़ा वक्त मिल जाता है, जब तक कि पूरी तरह से आग को बुझा नहीं लिया जाता है. इसी प्रकार फायरब्रेक वनस्पति में पैदा हुआ एक अंतर है या दूसरे ज्वलनशील पदार्थ जो जंगल की आग के फैलाव को धीमा या रोकने में बाधा की तरह काम करे. साइबरस्पेस में फायरवाल और फायरब्रेक दोनों ही अहम हैं, हालांकि एक सिलिकन रिव्यू में छपी लेख में तर्क दिया गया है कि सुरक्षा दीवार द्वारा जो बचाव के उपाय किए जाते हैं वो नाकाम हो जाते हैं लिहाजा फायरब्रेक भी आवश्यक है : पता लगाना और प्रतिक्रिया .
हम कह सकते हैं कि अंतर-राज्यीय संबंध के मामले में यह उसी तरह का काम करते हैं जैसा कि फायरवाल और फायरब्रेक करते हैं
मानदंडों, नियम और ज़िम्मेदार राष्ट्र के व्यवहार से जुड़े सिद्धान्त की अहमियत को हाल ही में यूएन ओपन एंडेड वर्किंग ग्रुप और यूएन ग्रुप ऑफ गर्वनमेंटल एक्सपर्ट्स (जीजीई) की आम सहमति की रिपोर्ट में फिर से महत्व दिया गया है. ऐसा अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता की चुनौतियों को कम करने और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी ) वातावरण में विवाद को रोकने की उनकी क्षमता को लेकर किया गया है. इसके साथ ही इसका योगदान आईसीटी की पूर्ण प्राप्ति के शांतिपूर्ण इस्तेमाल में भी है जिससे वैश्विक सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके. इस तरह हम कह सकते हैं कि अंतर-राज्यीय संबंध के मामले में यह उसी तरह का काम करते हैं जैसा कि फायरवाल और फायरब्रेक करते हैं.
हालांकि एक ही समय में साइबर कार्यक्षेत्र में अंतर-राज्यीय संबंधों में उभरते और मौजूद ख़तरे लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. इस तरह की ‘छोटी आग’ से निपटने के लिए राष्ट्र की तरफ से आंतरिक और बाह्य दोनों तरह की कार्रवाई की ज़रूरत होती है. यही यूएन जीजीई के 11 मापदंडों का फायदा है, जिसके अमलीकरण में साइबर से जुड़े ख़तरों को लेकर ही फायरवाल और फायरब्रेक का निर्माण नहीं किया जाता है, बल्कि अलग अलग कार्यक्षेत्रों के खतरे को लेकर भी , और कुछ मामलों में, जो साइबर कार्यक्षेत्र द्वारा प्रवर्धित होता है.
ख़तरों से निपटने में मापदंडों की प्रभावशीलता को इस बात से मापा जाएगा कि कैसे हम मौजूदा 11 को लागू करते हैं. कोई देश कैसे मापदंडों को लागू करता है इसे देखने के लिए साइबर पॉलिसी पोर्टल एक अहम डैशबोर्ड है.
इस सहमति रिपोर्ट में इस बात की भी पहचान की गई है कि कैसे ये ख़तरे क्षेत्र और उपक्षेत्र में प्रकट होते हैं इसे लेकर भी मतभेद है और आगे भी होगा. इस मामले में मापदंड भी अवसर की खिड़कियों को खोलने का काम करता है. संकट प्रबंधन में ‘अवसर की खिड़की’ मौजूदा घटना से लेकर छोटे अंतर तक फैली होती है और जब आपातकालीन रोकथाम के उपाय प्रभावी नहीं होते हैं और संकट सामने आ जाता है. पूरी दुनिया में साइबर अटैक की घटनाएं छोटी आग का ही एक अलग स्वरूप है जिसके तहत सदस्य राष्ट्र के पास मौका है, जो मापदंडों को लागू करने में दिशानिर्देशों पर आधारित होता है, तर्कसंगत कदम उठाए जाते हैं, जिसमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय आईसीटी नीतियां, समन्वय प्रक्रियाएं और घटना प्रबंधन सेंटर शामिल होते हैं. यह कहता है कि यह सभी देशों के लिए मान्य होता है : साइबर सुरक्षा की बात जब होती है तो कोई भी इससे ऊपर नहीं है.
मानदंडों को लागू करने के सबक़
वैश्विक दक्षिण में इन मानदंडों को लागू करने में कई महत्वपूर्ण सबक सीखा जा सकता है जिसमें साइबरस्पेस को लेकर ज़िम्मेदार राष्ट्र के बर्ताव के फ्रेमवर्क और टिकाऊ विकास के बीच विभाजन भी शामिल होता है. इससे जो मामला पूरी तरह शांति और स्थिरता से जुड़ा होता है वह आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का बन जाता है. ऊर्जा और शिक्षा जैसे अहम विकासशील सेक्टरों की सुरक्षा से लेकर साइबर क्षमता निर्माण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, जिसकी प्राथमिकता में ऑनलाइन महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा है, टिकाऊ विकास के लिए प्रत्यक्ष फायदे के लक्ष्य को प्राप्त करना, मापदंडों को लागू करने के लिए अहम प्रोत्साहन होगा. यह एक अहम बदलाव होगा और यह ज़्यादा राष्ट्रों को योगदान दे सकता है जो इस परिचर्चा से काफी हद तक और उत्पादकता के तौर पर जुड़े हैं.
नई तकनीकों को लेकर उभरते ख़तरे से संबंधित अभी कमजोर संकेत मिल रहे हैं लेकिन यह परिचर्चा नए मापदंडों की व्यापकता में ख़ास तौर पर बदल जाएगी. ख़तरों से निपटने में मापदंडों की प्रभावशीलता को इस बात से मापा जाएगा कि कैसे हम मौजूदा 11 को लागू करते हैं. कोई देश कैसे मापदंडों को लागू करता है इसे देखने के लिए साइबर पॉलिसी पोर्टल एक अहम डैशबोर्ड है.
सरकारी विशेषज्ञता पर संयुक्त राष्ट्र समूह में आईबीएसए और ब्रिक्स की भागीदारी के साथ दक्षिण के दृष्टिकोण को बढ़ावा देना ज़रूरी है.
परिचर्चा का क्षेत्र बढ़ाना बेहद महत्वपूर्ण है. इसे लेकर वैश्विक दक्षिण-दक्षिण त्रिकोणीय और क्षेत्रीय संगठनों में बहुत ज़्यादा क्षमता है. गुट निरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के दस्तावेज से लेकर ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप एक अच्छे कदम का संकेत है. दूसरे चीजों के अलावा एनएएम के इनपुट ने साइबर सुरक्षा के संबंध में सामान्य लेकिन अलग ज़िम्मेदारी को लेकर व्यावहारिक प्रासंगिकता मुहैया कराई. इसका तर्क यह था कि हालांकि सभी देश वैश्विक समाज को विकसित करने के लिए ज़िम्मेदार हैं लेकिन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी की अपनी-अपनी क्षमताएं हैं. अंतर्राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा पर अंतरसरकारी परिचर्चा की अभिव्यक्ति का मतलब यह हुआ कि डिजिटाइज्ड, विकसित देश अपने तकनीकी आदान-प्रदान और साइबर सुरक्षा क्षमता निर्माण के वादों का सम्मान करते रहेंगे जबकि नए-नए डिजिटाइज्ड और विकासशील देश अपने आर्थिक, समाजिक विकास और सुरक्षा के लिए आईसीटी का इस्तेमाल प्राथमिक तौर पर करने को सुनिश्चित करेंगे.
दक्षिण के दृष्टिकोण को बढ़ावा देना ज़रूरी
सरकारी विशेषज्ञता पर संयुक्त राष्ट्र समूह में आईबीएसए और ब्रिक्स की भागीदारी के साथ दक्षिण के दृष्टिकोण को बढ़ावा देना ज़रूरी है. वैश्विक दक्षिण के लिए ख़ास तौर पर तैयार किए गए संवाद मंचों का ऐसी परिचर्चा को बढ़ावा देने में बेहद अहम भूमिका है लेकिन यह परिचर्चा त्रिकोणीय सहयोग प्रक्रियाओं की मुख्यधारा में परिलक्षित होनी चाहिए, और तो और नए सहयोग प्रक्रियाओं को भी स्थापित करना आवश्यक है.
जैसा कि हम ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप की दूसरी पारी के लिए तैयारी कर रहे हैं ऐसे में हम ज़्यादा भागीदारी की अपेक्षा करते हैं, ख़ास कर वैश्विक दक्षिण की सिविल सोसाइटी और शैक्षणिक समुदायों से, जो मापदंडों और इस पूरे फ्रेमवर्क पर वैश्विक दक्षिण के विचार, दृष्टिकोण और स्थितियों को बढ़ावा दे सके.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.