Author : Akshay Joshi

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Published on Sep 09, 2024 Updated 0 Hours ago

प्रधानमंत्री आवास योजना ने भारत में 3.45 करोड़ लोगों को घर की सुविधा मुहैया कराई है जो कि एक उल्लेखनीय उपलब्धि है. लाभार्थी की पहचान की प्रक्रिया को बेहतर बनाने से इसकी सफलता और बढ़ सकती है.

प्रधानमंत्री आवास योजना: PMAY में लाभार्थियों की पहचान प्रक्रिया का मूल्यांकन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट पेश करते समय प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 3 करोड़ घरों के निर्माण की घोषणा की. इसके अलावा, उन्होंने ये भी कहा कि भारत के शहरों में 1 करोड़ घरों का निर्माण किया जाएगा. दूसरे शब्दों में कहें तो बाकी दो करोड़ घर ग्रामीण क्षेत्रों (PMAY-ग्रामीण) में बनाए जाएंगे. लोगों का बेघर होना हाशिए पर होने का सबसे ख़राब रूप है जो समस्या विकसित देशों में भी बनी हुई है. इस संदर्भ मेंसभी के लिए घरमुहैया कराने का PMAY का लक्ष्य एक बहुत बड़ा काम लगता है. PMAY-शहरी योजना 2015 से चलाई जा रही है और PMAY-ग्रामीण 2016 से. सरकार की तरफ से जारी ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक इस योजना की प्रगति निम्नलिखित है:

PMAY का प्रदर्शन (संख्या लाख में)

क्रम संख्या

योजना

मांग 

स्वीकृति

पूर्ण

मांग के संबंध

में पूर्णता%

1

PMAY- शहरी (PMAY-U)

112.24

118.64

83.67

75%

2

PMAY-ग्रामीण

(PMAY-G)

295

294.66

262.23

89%

स्रोत: सूचना और प्रसारण मंत्रालय, प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) 

योजना के काम-काज का डेटा दिखाता है कि PMAY ने सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है और समाज के एक बड़े वर्ग को पक्की छत प्रदान की है. सरकार इस सफलता को दोहराना चाहती है लेकिन योजना में कुछ सुधार ज़रूरी है. योजना का नवीनीकरण इसके अधिक व्यापक लाभों को सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थी की पहचान के महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान देने के उद्देश्य से सरकार के लिए एक मौका है. 

PMAY-G और PMAY-U के लिए लाभार्थी की पहचान की प्रक्रिया अलग-अलग है. PMAY-G लाभार्थियों की पहचान के लिए सामाजिक-आर्थिक एवं जाति जनगणना (SECC) 2011 के आंकड़ों और आवास+ सॉफ्टवेयर पर निर्भर है. PMAY-U की गाइडलाइन मांग का आकलन करने के लिए SECC डेटा पर निर्भरता की राज्य सरकार की आवश्यकता पर ज़ोर देती है. हालांकि, लाभार्थी की पहचान के लिए PMAY-U घरों की मांग के सर्वे पर निर्भर है. PMAY-U और PMAY-G में लाभार्थी की पहचान के दोनों नज़रिए की सीमाएं हैं जिनका प्राथमिकता से समाधान करने की ज़रूरत है. 

PMAY-G के तहत लाभार्थी की पहचान मुख्य रूप से SECC 2011 के आंकड़ों में घरों की आवश्यकता और बाहर रखने (एक्सक्लूज़न) की कसौटी पर आधारित है. इन मानदंडों के आधार पर परिवारों की एक प्राथमिकता सूची बनाई जाती है.

PMAY-G के तहत लाभार्थी की पहचान 

PMAY-G के तहत लाभार्थी की पहचान मुख्य रूप से SECC 2011 के आंकड़ों में घरों की आवश्यकता और बाहर रखने (एक्सक्लूज़न) की कसौटी पर आधारित है. इन मानदंडों के आधार पर परिवारों की एक प्राथमिकता सूची बनाई जाती है. इसके अलावा, 2011 के SECC सर्वे में छूटे लाभार्थियों को शामिल करने को सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आवास+ सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया है. ज़मीन पर मौजूद सर्वे करने वाले कर्मचारी इसका इस्तेमाल योग्य लोगों को शामिल करने के लिए करते हैं. ग्राम सभा सूची की जांच-पड़ताल करती है और जांच के बाद एक स्थायी प्रतीक्षा सूची (PWL) तैयार की जाती है. लेकिन पहचान की प्रक्रिया का नज़दीक से विश्लेषण करने पर कई तरह की खामियों का पता चलता है. 

2016 में इस योजना की शुरुआत के समय से लाभार्थियों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए इसने SECC के आंकड़ों पर भरोसा किया है. लेकिन SECC के आंकड़ों पर निर्भरता को लेकर केंद्र सरकार ने विरोधाभासी रवैया अपनाया है. दिसंबर 2021 में SECC के अस्थायी आंकड़े जारी होने के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा, “न केवल आरक्षण बल्कि रोज़गार, शिक्षा और दूसरे मुद्दों के संबंध में भी SECC 2011 पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है.सरकार का विरोधाभासी रुख इस योजना की शुरुआत के समय से लाभार्थी की पहचान पर सवाल उठाता है. इसके अलावा, तमिलनाडु में PMAY-G के कार्यान्वयन पर 2022 की CAG परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट संख्या 6 कहती है कि “SECC डेटा, जो कि लाभार्थी की पहचान के लिए बुनियाद है, में ऐसे परिवारों की संख्या बहुत ज़्यादा थी जिसमें एक या अधिक सदस्यों का नाम ज्ञात नहीं था. SECC डेटा की इस कमज़ोरी का दुरुपयोग किया गया और फर्ज़ी तरीके से बड़ी संख्या में घरों को मंज़ूरी दी गई.ऊपर के मामले SECC डेटा के ज़रिए लाभार्थियों की पहचान के मूल सवाल को उजागर करते हैं. 

जैसा कि ऊपर बताया गया है, प्राथमिकता सूची की छानबीन के लिए ग्राम सभा ज़िम्मेदार है. छानबीन की ये प्रक्रिया महत्वपूर्ण है क्योंकि ये सुनिश्चित करती है कि सबसे ज़रूरतमंद लाभार्थियों की पहचान की जाए. लेकिन ग्राम सभा के द्वारा सत्यापन की उचित प्रक्रिया का पालन करने पर भी फिर से ध्यान देने की आवश्यकता है. मध्य प्रदेश सरकार के स्थानीय निकायों पर CAG की 2023 की रिपोर्ट संख्या 7 ने प्राथमिकता सूची का पालन नहीं करने पर तीखी टिप्पणी की है. इसमें कहा गया है किऑडिट किए गए 60 ग्राम पंचायतों की मंज़ूरी सूची की जांच-पड़ताल के दौरान हमने ध्यान दिया कि कुल 18,935 स्वीकृत मामलों में से 8,226 लाभार्थियों ने प्राथमिकता सूची में अधिक ज़रूरतमंद लाभार्थियों की जगह ले ली और उन्हें ज़रूरतमंद लोगों की तुलना में पहले घर की स्वीकृति दी गई. संबंधित ज़िला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) ने घरों की स्वीकृति देने में स्थायी प्रतीक्षा सूची (PWL) की प्राथमिकता संख्या के क्रम का पालन नहीं किया.सरकार ख़ुद भी मानती है कि वो केवल SECC डेटा पर भरोसा नहीं कर सकती है. इसके अलावा, मध्य प्रदेश को लेकर CAG की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राथमिकता सूची से छेड़छाड़ की गई. 

ग़रीबी से जूझ रहे लोगों को PMAY के तहत कम दाम पर घर मुहैया कराना “मुफ्त घर” की पेशकश करने की तुलना में “रियायती घर” के सिद्धांत पर काम करता है. इसका अर्थ ये है कि लाभार्थी को अपने घर के निर्माण के लिए एक निश्चित हिस्से का योगदान करना होगा.

अभाव (डेप्रिवेशन) के इंडेक्स के अनुसार वंचित पृष्ठभूमि से भूमिहीन ग़रीबों को प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए. लेकिन ग़रीबी से जूझ रहे लोगों को PMAY के तहत कम दाम पर घर मुहैया करानामुफ्त घरकी पेशकश करने की तुलना मेंरियायती घरके सिद्धांत पर काम करता है. इसका अर्थ ये है कि लाभार्थी को अपने घर के निर्माण के लिए एक निश्चित हिस्से का योगदान करना होगा. जो परिवार लाभार्थी के हिस्से का बोझ नहीं उठा सकते हैं वो इस योजना में अपना नामांकन नहीं करवा सकते हैं. इसलिए भूमिहीन परिवार ज़रूरतमंद की सूची में सबसे ऊपर होने के बावजूद तब तक घर नहीं बना सकते हैं जब तक कि ज़मीन मुहैया नहीं कराते. 

PMAY-U के तहत लाभार्थी की पहचान 

PMAY-U (शहरी) मांग से संचालित दृष्टिकोण पर आधारित है. इसमें घरों की मांग के सर्वे के आधार पर मांग का आकलन शामिल है. नीति के मुताबिक संबंधित शहरी स्थानीय निकायों को लाभार्थियों की पहचान के लिए घरों की मांग का एक सर्वे ज़रूर कराना चाहिए. PMAY-G में इस्तेमाल किया जाने वाला अभाव का इंडेक्स PMAY-G में स्पष्ट रूप से उपयोग नहीं किया जाता. इसके बदले PMAY-U में घरों की स्थिति, आय के मानदंड और आधार के सत्यापन पर आधारित आकलन होता है. 

2022 में कर्नाटक में शहरी ग़रीबों के लिए आवास योजना के कार्यान्वयन के परफॉर्मेंस ऑडिट की CAG रिपोर्ट संख्या 4 मांग के सर्वे के अमल को लेकर एक आलोचनात्मक टिप्पणी करती है. इसमें कहा गया है-

शहरी ग़रीबों के लिए घरों की आवश्यकता का आकलन करने के लिए मांग का सर्वे प्रभावी नहीं था और इसमें योग्य लाभार्थियों के बाहर होने का ख़तरा था क्योंकि KAHP (कर्नाटक अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी), 2016 के तहत 20.35 लाख लोगों के लिए किफायती घरों के प्रोजेक्ट की तुलना में सर्वे में 13.72 लाख संभावित लाभार्थियों की ही पहचान की गई. मांग का सर्वे तय कट-ऑफ तारीख के भीतर पूरा नहीं किया गया और लगभग 49 प्रतिशत लाभार्थियों को सर्वे की सूची में बाद में जोड़ा गया जिसकी वजह से रणनीतिक योजना, सालाना लक्ष्य का निर्धारण और संसाधनों का आवंटन प्रभावित हुआ.मांग के सर्वे पर CAG की तरफ से उठाए गए सवाल स्वीकृत लक्ष्यों के बारे में भी बताते हैं. नीचे दी गई तालिका बताती है कि कैसे इन राज्यों के लिए PMAY के तहत स्वीकृत घरों में कटौती की गई.

क्रम संख्या

राज्य/UT

2021 में स्वीकृत घरों की संख्या 

2024* में स्वीकृत घरों की संख्या 

अंतर

1

बिहार

364416

314477

-49939

2

हरियाणा

286315

115034

-171281

3

कर्नाटक

693504

638121

-55383

4

तमिलनाडु

719813

680347

-39466

 

 

 

कुल

-316069

स्रोत: आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय, भारत सरकार 

*15 जुलाई 2024 तक PMAY-U की प्रगति 

स्वीकृत घरों में कटौती से दो निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं. पहला निष्कर्ष ये है कि मांग के सर्वे ने ऐसे लाभार्थियों की पहचान की जिन्हें घर की ज़रूरत नहीं थी या घर के लिए तैयार नहीं थे. दूसरा निष्कर्ष ये है कि घर की ज़रूरत वाले 3 लाख से ज़्यादा पहचाने गए लाभार्थी घर लेने में सफल नहीं रहे. 2022 में केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की सरकार को लेकर CAG रिपोर्ट संख्या 2 दावा करती है किलाभार्थियों के चयन के संबंध में आवेदनों की शुरुआती पड़ताल उचित ढंग से नहीं की गई जिसका नतीजा स्वीकृत सूची से 2,120 लाभार्थियों का नाम काटने के रूप में निकला. अंतिम रूप से निर्धारित 12,706 लाभार्थियों में से 5,191 पुरुष लाभार्थियों को (जो 40.85 प्रतिशत हैं) योजना के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए अनुदान या सब्सिडी के लिए चुना गया जबकि वो इसके लिए पात्र नहीं थे.” 

निष्कर्ष

PMAY-G की एक महत्वपूर्ण विशेषता है अभाव के इंडेक्स के आधार पर लाभार्थियों का चयन. अभाव का स्कोर सबसे अधिक वंचितों को सहायता सुनिश्चित करता है. सरकार को अभाव के इंडेक्स के आधार पर व्यापक दिशा-निर्देश विकसित करना चाहिए और लाभार्थी की पहचान के लिए सख्ती से उसका पालन करना चाहिए. ऐसा करने से प्राथमिकता को लेकर योजना की सीमाओं का समाधान करने में मदद मिलेगी और ये सुनिश्चित किया जा सकेगा कि योजना का लाभ सबसे वंचितों तक पहुंचे. इसके अलावा, योजना के कार्यान्वयन में सबसे महत्वपूर्ण खामी भूमिहीन ग़रीबों तक छत की उपलब्धता सुनिश्चित करना है. राज्य सरकारों को ऐसे संभावित लाभार्थियों के लिए ज़मीन मुहैया कराने का प्रावधान तैयार करना चाहिए. ये समाज के सबसे वंचित लोगों के लिए छत की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा. 

जब बेघर होना एक बहुआयामी और जटिल मुद्दा है, उस समय PMAY का उद्देश्य ‘सभी के लिए घर’ के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करना है. इस योजना ने भारत में 3.45 करोड़ से ज़्यादा परिवारों के सिर पर छत मुहैया कराया है जो भारत में घर से जुड़े मुद्दे के पैमाने और जटिलता को देखते हुए एक अद्भुत उपलब्धि है.

PMAY-U के संदर्भ में केंद्र सरकार मांग के स्थिर सर्वे पर भरोसा नहीं कर सकती है क्योंकि मांग घटती-बढ़ती रहती है. मांग को लगातार शामिल करने वाले अलग राष्ट्रीय पोर्टल को अमल में लाने की आवश्यकता है. चूंकि मांग किसी परिवार की आवश्यकताओं और लाभार्थी के हिस्से का भुगतान करने की क्षमता का मिला-जुला रूप है, ऐसे में इसी के अनुसार एक अलग श्रेणी बनाने की ज़रूरत है. 

PMAY के मामले में योजना की सफलता का मूल्यांकन उन लोगों तक पहुंच उपलब्ध कराने पर आधारित है जो रियायती घर के लिए अपना हिस्सा देने में सक्षम हैं. जब बेघर होना एक बहुआयामी और जटिल मुद्दा है, उस समय PMAY का उद्देश्यसभी के लिए घरके महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करना है. इस योजना ने भारत में 3.45 करोड़ से ज़्यादा परिवारों के सिर पर छत मुहैया कराया है जो भारत में घर से जुड़े मुद्दे के पैमाने और जटिलता को देखते हुए एक अद्भुत उपलब्धि है. लाभार्थी की पहचान की प्रक्रिया का समाधान करने से भारत को योजना की उपलब्धियों को और बढ़ाने में मदद मिलेगी. 

अक्षय जोशी अशोका यूनिवर्सिटी में चीफ मिनिस्टर्स गुड गवर्नेंस एसोसिएट प्रोग्राम में डिप्टी मैनेजर हैं. 

 

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